कंचनजंगा भारत का एकमात्र ‘अच्छी’ श्रेणी का विरासत स्थल क्यों है?

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के नवीनतम वैश्विक आकलन में कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (Khangchendzonga National Park) ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की है — यह भारत का एकमात्र प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल है जिसे “Good” रेटिंग प्राप्त हुई है। जबकि पश्चिमी घाट, सुंदरबन और मानस वन्यजीव अभयारण्य जैसे अन्य भारतीय स्थलों को चिंता या खतरे की श्रेणी में रखा गया है, कंचनजंगा ने संरक्षण का एक नया मानक स्थापित किया है।

एक अद्वितीय धरोहर

यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 2016 में इसे भारत का पहला “मिश्रित विश्व धरोहर स्थल (Mixed World Heritage Site)” घोषित किया — जो इसकी जैव-विविधता के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व दोनों को मान्यता देता है।

  • क्षेत्रफल: 1,784 वर्ग किमी

  • विस्तार: उपोष्णकटिबंधीय जंगलों से लेकर विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी माउंट खांचेंदजोंगा (8,586 मीटर) तक

  • 280 ग्लेशियर और 70 से अधिक हिमनद झीलें

  • दुर्लभ जीव-जंतु: हिम तेंदुआ, लाल पांडा, बादली तेंदुआ, हिमालयी थार

  • पक्षी विविधता: 550 से अधिक प्रजातियाँ, जिनमें इम्पीयन तीतर और सत्यर ट्रैगोफन प्रमुख हैं

एक पवित्र परिदृश्य

यह उद्यान स्थानीय समुदायों के लिए मात्र एक वन क्षेत्र नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का जीवंत केंद्र है।

  • लेपचा समुदाय इसे मायेल लयांग (देवताओं द्वारा प्रदत्त छिपा हुआ स्वर्ग) कहते हैं।

  • तिब्बती बौद्धों के लिए यह एक बेयुल (गुप्त तीर्थ घाटी) है।

  • थोलुंग मठ जैसे प्राचीन मठ आज भी सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं।

इस आध्यात्मिक श्रद्धा ने लोगों में प्रकृति के प्रति सम्मान और संयम की संस्कृति विकसित की है — जो संरक्षण की सबसे बड़ी शक्ति बन गई है।

“Good” रेटिंग के कारण

IUCN की सकारात्मक रेटिंग कई ठोस कारणों पर आधारित है —

  • मानव हस्तक्षेप न्यूनतम: दुर्गम स्थान होने के कारण शहरी या व्यावसायिक दबाव सीमित हैं।

  • सामुदायिक सहभागिता: वन अधिकारी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर जैव-विविधता और आजीविका दोनों की रक्षा करते हैं।

  • सतत विकास: 2018 में बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित होने के बाद बफर जोन में टिकाऊ खेती और संसाधन उपयोग की अनुमति दी गई।

  • सीमापार संरक्षण: नेपाल के कांचनजंघा संरक्षण क्षेत्र के साथ समन्वय से सीमा-पार पारिस्थितिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

  • आपदा सहनशीलता: 2024 की हिमनदी झील फटने की घटना में पूर्व-निर्धारित आपदा मानचित्रण के कारण न्यूनतम नुकसान हुआ।

भारत के लिए प्रेरणा

कंचनजंगा यह दर्शाता है कि संरक्षण और संस्कृति साथ-साथ फल-फूल सकते हैं। जब देश के कई संरक्षित क्षेत्र अतिक्रमण, प्रदूषण और संसाधन दोहन से जूझ रहे हैं, यह उद्यान पर्यावरणीय संतुलन और सामुदायिक सहयोग का आदर्श उदाहरण बन गया है।

अंतिम विचार

भारत जैसी जैव-विविधता सम्पन्न भूमि को कंचनजंगा को एक “पुरस्कार” नहीं, बल्कि “प्रेरणा” के रूप में देखना चाहिए। सोच-समझकर की गई योजना, स्थानीय सहभागिता और परंपराओं के प्रति सम्मान से अन्य धरोहर स्थल भी “Good” रेटिंग प्राप्त कर सकते हैं — और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत सुरक्षित रख सकते हैं।

क्या आप जानते हैं?

  • कंचनजंगा दुनिया के केवल 12 स्थलों में से एक है जिसे प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त है।

  • यह पूर्वी हिमालयीय जैव-विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है, जहाँ 10,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

वंदे मातरम के 150 वर्ष: एक राग जो एक आंदोलन बन गया

भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” 7 नवम्बर 2025 को अपनी 150वीं वर्षगाँठ मना रहा है। “वंदे मातरम्” का अर्थ है — “माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ।” यह अमर गीत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है, जिसने पीढ़ियों से भारतीयों में एकता, भक्ति और देशभक्ति की भावना जागृत की है।

यह गीत पहली बार 7 नवम्बर 1875 को बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, और बाद में “आनंदमठ” (1882) उपन्यास में सम्मिलित किया गया। इस पर संगीत रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। समय के साथ, वंदे मातरम् एक साहित्यिक रचना से आगे बढ़कर स्वाधीनता संग्राम का घोषवाक्य बन गया — भारत की सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रीय आत्मा का प्रतीक।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

“वंदे मातरम्” की यात्रा भारतीय राष्ट्रवाद के उदय की कहानी कहती है। शुरू में यह मातृभूमि के प्रति काव्यात्मक श्रद्धांजलि था, जो बाद में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध प्रतिकार का प्रतीक बन गया।

  • पहला प्रकाशन: बंगदर्शन, 7 नवम्बर 1875

  • साहित्य में समावेश: आनंदमठ (1882)

  • पहली सार्वजनिक प्रस्तुति: रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा, 1896 के कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में

  • पहला राजनीतिक उपयोग: 7 अगस्त 1905, बंगाल विभाजन-विरोधी आंदोलन के दौरान

श्री अरबिंदो ने 1907 में कहा था कि बंकिमचंद्र ने यह गीत 32 वर्ष पूर्व रचा था, जब बंगाल ने अपनी खोई हुई अस्मिता की खोज आरम्भ की थी।

आनंदमठ और देशभक्ति का धर्म

बंकिमचंद्र के आनंदमठ ने मातृभूमि को देवी के रूप में चित्रित किया — भारत के आध्यात्मिक और राजनीतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बनाते हुए।

मठ के संन्यासी (संतान) अपनी “माँ” — अर्थात भारतमाता — की मुक्ति के लिए समर्पित रहते हैं। उनके मंदिर में माँ की तीन रूपों में पूजा होती है —

  1. जो थी (The Mother That Was): गौरवशाली और भव्य

  2. जो है (The Mother That Is): दासता में पीड़ित

  3. जो होगी (The Mother That Will Be): स्वतंत्र और उज्ज्वल

श्री अरबिंदो के शब्दों में —

“उसकी दृष्टि की माता के सत्तर करोड़ हाथों में तलवार थी, भिक्षा का कटोरा नहीं।”

इस प्रकार, वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं रहा — बल्कि देशभक्ति का धर्म बन गया।

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय: एक दूरद्रष्टा

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय (1838–1894) आधुनिक बंगाली साहित्य के जनक माने जाते हैं।

मुख्य योगदान:

  • आधुनिक बंगाली गद्य के प्रवर्तक

  • प्रमुख उपन्यास: दुर्गेशनंदिनी (1865), कपालकुंडला (1866), आनंदमठ (1882), देवी चौधुरानी (1884)

  • वंदे मातरम् के माध्यम से भारत को “माँ” के रूप में मानवीकृत किया

  • युवाओं में मातृभूमि के प्रति भक्ति और राष्ट्रचेतना का संचार किया

वंदे मातरम्: प्रतिरोध का गीत

20वीं सदी के आरम्भ तक, वंदे मातरम् राष्ट्रीय आंदोलन का नारा बन गया।

  • अक्टूबर 1905: बंदे मातरम् संप्रदाय की स्थापना, कलकत्ता

  • मई 1906: बारीसाल में 10,000 लोगों की “वंदे मातरम्” यात्रा

  • अगस्त 1906: बंदे मातरम् अंग्रेज़ी दैनिक का प्रकाशन, बिपिनचंद्र पाल व श्री अरबिंदो द्वारा

ब्रिटिश दमन

ब्रिटिश सरकार ने “वंदे मातरम्” के जनांदोलन से घबराकर इसके सार्वजनिक गायन पर प्रतिबंध लगा दिया।

  • बंगाल (रंगपुर, 1905) में छात्रों को दंडित किया गया

  • धुलिया (1906), बेलगाम (1908) आदि में प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी फिर भी, “वंदे मातरम्!” का उद्घोष पूरे भारत में एकता और साहस का प्रतीक बन गया।

स्वतंत्रता संग्राम का युद्धघोष

यह गीत भारत के स्वाधीनता संघर्ष का समानार्थी बन गया —सभा, जुलूस और जेलों में “वंदे मातरम्” गूंजता रहा।

मुख्य क्षण:

  • 1896: कांग्रेस अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा गायन

  • 7 अगस्त 1905: स्वदेशी आंदोलन में नारा

  • 1906–1908: बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब में विरोध प्रदर्शन

  • 1914: लोकमान्य तिलक की रिहाई पर जनता का “वंदे मातरम्” से स्वागत

विदेशों में भारतीय क्रांतिकारियों पर प्रभाव

“वंदे मातरम्” की गूंज विदेशों तक पहुँची —

  • 1907: स्टटगार्ट (जर्मनी) में मदाम भीकाजी कामा ने तिरंगा फहराया, जिस पर “वंदे मातरम्” अंकित था

  • 1909: मदनलाल धींगरा के अंतिम शब्द — “बंदे मातरम्”

  • 1909: जिनेवा से Bande Mataram पत्रिका का प्रकाशन

  • 1912: दक्षिण अफ्रीका में गोपालकृष्ण गोखले का “वंदे मातरम्” से स्वागत

राष्ट्रीय सम्मान और संवैधानिक मान्यता

24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की —

“वंदे मातरम्, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, उसे जन गण मन के समान ही सम्मान प्राप्त होगा।”

इस प्रकार, वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।

150वीं वर्षगाँठ का राष्ट्रीय उत्सव (7 नवम्बर 2025)

भारत सरकार इस ऐतिहासिक अवसर को वर्षभर मनाने जा रही है।

मुख्य आयोजन:

  • उद्घाटन समारोह: इंदिरा गांधी स्टेडियम, नई दिल्ली

  • राष्ट्रव्यापी जनभागीदारी (जिला और तहसील स्तर तक)

  • स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी

  • वंदे मातरम् पर प्रदर्शनी और लघु फिल्म

  • प्रसिद्ध गायकों द्वारा क्षेत्रीय संस्करणों की प्रस्तुति

वर्षभर की गतिविधियाँ:

  • आकाशवाणी और दूरदर्शन पर विशेष कार्यक्रम

  • पीआईबी द्वारा चर्चा सत्र (टियर-2 व 3 शहरों में)

  • भारतीय मिशनों में वैश्विक सांस्कृतिक संध्या

  • “वंदे मातरम्: सलाम मदर अर्थ” वृक्षारोपण अभियान

  • देशभर में भित्तिचित्र, एलईडी प्रदर्शन और जनजागरूकता

  • बंकिमचंद्र और “वंदे मातरम्” पर 25 लघु फिल्में

यह अभियान “हर घर तिरंगा” आंदोलन के साथ जुड़ा रहेगा, जो एकता, गौरव और राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है।

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ सबसे बड़ा सर्वे शिप ‘इक्षक’, जानें इसकी खासियत

भारतीय नौसेना ने 6 नवम्बर 2025 को कोच्चि नौसैनिक अड्डे पर सर्वे वेसल लार्ज (SVL) श्रेणी के तीसरे पोत आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल किया। यह भारत की समुद्री अवसंरचना और आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण क्षमताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) पहल के अंतर्गत डिजाइन और निर्मित यह पोत नौसेना की हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण (Hydrographic Surveys), आपदा राहत (Disaster Relief) और रणनीतिक समुद्री अभियानों (Strategic Maritime Operations) में क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाता है।

एसवीएल श्रेणी : एक रणनीतिक संपत्ति

एसवीएल (Survey Vessel Large) परियोजना वर्ष 2018 में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता के साथ हुए अनुबंध के तहत शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य चार बड़े सर्वे पोतों का निर्माण करना है। ये जहाज़ गहरे समुद्री और तटीय सर्वेक्षण (Deep-water and Coastal Surveys) करने, नौवहन मार्गों का मानचित्रण (Mapping Navigational Routes) तथा रक्षा और नागरिक उपयोग के लिए आवश्यक महासागरीय डेटा (Oceanographic Data) एकत्रित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

आईएनएस संध्याक (INS Sandhayak) और आईएनएस निर्देशाक (INS Nirdeshak) इस श्रेणी के पहले दो पोत हैं जिन्हें पहले ही नौसेना में सम्मिलित किया जा चुका है। आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) के शामिल होने से नौसेना अपने नियोजित एसवीएल बेड़े (SVL Fleet) को पूरा करने के और निकट पहुँच गई है, जिससे समुद्री मार्गों की सुरक्षा और समुद्री अवसंरचना के विकास में उसकी क्षमता और अधिक सुदृढ़ हुई है।

आईएनएस इक्षक की प्रमुख विशेषताएँ

आईएनएस इक्षक (INS Ikshak) अपनी उन्नत क्षमताओं और आधुनिक डिजाइन के कारण विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो भारतीय नौसेना की बदलती समुद्री आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह पोत नौसैनिक अभियानों में उच्च दक्षता, सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करता है।

तकनीकी विनिर्देश 

  • विस्थापन (Displacement): लगभग 3,400 टन

  • लंबाई (Length): 110 मीटर

  • गति (Speed): 18 नॉट्स से अधिक, जो डीज़ल इंजनों और द्वि-शाफ्ट प्रणोदन प्रणाली (Dual-shaft Propulsion System) द्वारा संचालित है

  • नियंत्रण क्षमता (Maneuverability): बो (Bow) और स्टर्न (Stern) थ्रस्टर्स से सुसज्जित, जिससे सर्वेक्षण के दौरान सटीक दिशा नियंत्रण संभव होता है

परिचालन क्षमताएँ

  • द्वि-भूमिका कार्य (Dual-role Function):
    यह पोत सर्वे वेसल के रूप में कार्य करने के साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief – HADR) प्लेटफ़ॉर्म या अस्पताल पोत (Hospital Ship) में परिवर्तित किया जा सकता है।

  • प्रौद्योगिकी प्रणाली (Technology Suite):
    इसमें अत्याधुनिक स्वायत्त जल-नीचे वाहन (Autonomous Underwater Vehicles – AUVs), दूर से संचालित वाहन (Remotely Operated Vehicles – ROVs), साइड-स्कैन सोनार (Side-scan Sonar) तथा महासागरीय प्रणालियाँ (Oceanographic Systems) शामिल हैं, जो समुद्र तल का सटीक मानचित्रण करने में सक्षम बनाती हैं।

  • दल-सुविधा (Crew Comfort):
    यह पहला SVL पोत है जिसमें महिला नौसैनिकों के लिए समर्पित आवास (Dedicated Accommodation) की व्यवस्था की गई है, जिससे नौसेना में लैंगिक समावेशन (Gender Inclusivity) को प्रोत्साहन मिलता है।

एनएचपीसी लिमिटेड की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में 50 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया गया

विद्युत, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने 6 नवंबर 2025 को भारत की अग्रणी जलविद्युत कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC) की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ₹50 का स्मारक सिक्का जारी किया। नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में एक विशेष कॉमिक पुस्तक “छोटा भीम और बड़ा बाँध” भी लॉन्च की गई, जिसका उद्देश्य बच्चों और आम जनता में जलविद्युत के महत्व और इसके लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह उपलब्धि राष्ट्रीय सम्मान, ऊर्जा क्षेत्र की उपलब्धियों और युवा सहभागिता—इन तीनों को एक साथ जोड़ती है, जिससे यह विषय समसामयिक घटनाओं और सिविल सेवा परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनता है।

एनएचपीसी की यात्रा

  • स्थापना: 7 नवंबर 1975

  • प्रारंभिक भूमिका: जलविद्युत परियोजनाओं पर केंद्रित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी

  • विकास: पिछले पाँच दशकों में एनएचपीसी ने देश के दुर्गम और पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक जटिल एवं महत्त्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाएँ सफलतापूर्वक विकसित कीं।

  • वर्तमान स्वरूप: अब एनएचपीसी सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है, और स्वयं को 100% ग्रीन एनर्जी कंपनी के रूप में स्थापित कर चुकी है।

  • स्वर्ण जयंती एनएचपीसी की नवाचार, धैर्य और भारत के सतत ऊर्जा लक्ष्यों में उसके योगदान का उत्सव है।

स्वर्ण जयंती समारोह की प्रमुख झलकियाँ

  • ₹50 का स्मारक सिक्का केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल द्वारा जारी किया गया, जो एनएचपीसी की पाँच दशकों की उपलब्धियों का प्रतीक है।

  • सिक्का जलविद्युत विकास और हरित ऊर्जा में एनएचपीसी के नेतृत्व की राष्ट्रीय सराहना को दर्शाता है।

  • “छोटा भीम और बड़ा बाँध” शीर्षक से कॉमिक बुक का विमोचन — लोकप्रिय बाल पात्र छोटा भीम के माध्यम से बच्चों को जलविद्युत की अवधारणा को सरल और रोचक तरीके से समझाने का प्रयास।

  • समारोह में एनएचपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) तथा निर्देशकों की उपस्थिति रही, जिससे यह आयोजन भारत के विद्युत क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन गया।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
कार्यक्रम एनएचपीसी की 50वीं वर्षगांठ (स्वर्ण जयंती)
शुभारंभकर्ता केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल
मुख्य आकर्षण ₹50 का स्मारक सिक्का एवं कॉमिक पुस्तक “छोटा भीम और बड़ा बाँध”
एनएचपीसी की क्षमता 8,333 मेगावाट स्थापित, 9,704 मेगावाट निर्माणाधीन
रणनीतिक दिशा सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन में विविधीकरण
महत्त्व सतत विकास, सार्वजनिक क्षेत्र में नवाचार और युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन

महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, प्रश्न और उत्तर

आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 एक ऐतिहासिक टूर्नामेंट था जिसने प्रतिभा, टीम वर्क और महिला क्रिकेट की बढ़ती ताकत का जश्न मनाया। 30 सितंबर से 2 नवंबर 2025 तक भारत द्वारा आयोजित इस आयोजन में दुनिया भर की आठ शीर्ष टीमें शामिल हुईं। भारत ने एक रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपना पहला विश्व कप खिताब जीता। आइए इस रोमांचक टूर्नामेंट पर आधारित कुछ रोचक सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी देखें।

महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

इस सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी के साथ 2025 आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप के बारे में अपने ज्ञान का परीक्षण करें। इस रोमांचक वैश्विक क्रिकेट टूर्नामेंट के मैचों, खिलाड़ियों, आयोजन स्थलों और भारत की ऐतिहासिक जीत के बारे में रोचक तथ्य जानें।

प्रश्न 1. आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 की मेजबानी किस देश ने की?
a) ऑस्ट्रेलिया
b) इंग्लैंड
c) भारत
d) न्यूज़ीलैंड

S1. उत्तर (c)

प्रश्न 2. महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 में कितनी टीमों ने भाग लिया?
a) 10
b) 8
c) 12
d) 6

S2. उत्तर (b)

प्रश्न 3. आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 किस टीम ने जीता?
a) इंग्लैंड
b) दक्षिण अफ्रीका
c) भारत
d) ऑस्ट्रेलिया

S3. उत्तर (c)

प्रश्न 4. विश्व कप 2025 का फाइनल मैच कहाँ आयोजित किया गया था?
a) गुवाहाटी
b) कोलंबो
c) बेंगलुरु
d) नवी मुंबई

S4. उत्तर (d)

प्रश्न 5. उद्घाटन समारोह में आधिकारिक गान “ब्रिंग इट होम” किसने गाया?
a) श्रेया घोषाल
b) अरिजीत सिंह
c) नेहा कक्कड़
d) सुनिधि चौहान

S5. उत्तर (a)

प्रश्न 6. 2025 में ICC महिला क्रिकेट विश्व कप का कौन सा संस्करण आयोजित किया गया था?
a) 10वां
b) 11वां
c) 12वां
d) 13वां

S6. उत्तर (d)

प्रश्न 7. महिला विश्व कप 2025 का उद्घाटन समारोह कहाँ आयोजित किया गया था?
a) वानखेड़े स्टेडियम
b) डीवाई पाटिल स्टेडियम
c) असम क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम, गुवाहाटी
d) एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम

S7. उत्तर (c)

प्रश्न 8. टूर्नामेंट के दौरान कौन सी भारतीय क्रिकेटर कप्तान थी?
a) स्मृति मंधाना
b) हरमनप्रीत कौर
c) जेमिमा रोड्रिग्स
d) मिताली राज

S8. उत्तर (b)

प्रश्न 9. 2025 के बाद भारत के पास कुल कितने महिला विश्व कप खिताब होंगे?
a) एक
b) दो
c) तीन
d) चार

S9. उत्तर: (a)

प्रश्न: 10. 2025 ICC महिला क्रिकेट विश्व कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट किसे चुना गया?
a) हरमनप्रीत कौर
b) स्मृति मंधाना
c) दीप्ति शर्मा
d) जेमिमा रोड्रिग्स

S10. उत्तर: (c)

ट्रम्प ने संकेत दिया कि कज़ाख़स्तान अब्राहम समझौते में शामिल होगा

कज़ाख़स्तान (Kazakhstan) अब्राहम समझौते (Abraham Accords) में शामिल होने जा रहा है — यह अमेरिका की मध्यस्थता में तैयार एक ढांचा है, जिसका उद्देश्य इज़राइल और मुस्लिम-बहुल देशों के बीच संबंधों का सामान्यीकरण करना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 नवम्बर 2025 को इस घोषणा के साथ कज़ाख़स्तान को इस रणनीतिक साझेदारी में शामिल होने वाला नवीनतम देश बताया, जिसने 2020 से मध्य पूर्व की कूटनीति को नया रूप दिया है।

अब्राहम समझौता क्या है?

  • अब्राहम समझौते की शुरुआत 2020 में ट्रम्प प्रशासन के दौरान हुई थी।

  • इसके प्रारंभिक हस्ताक्षरकर्ता देश थे — संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, मोरक्को और सूडान।

  • इन समझौतों ने अरब–इज़राइल संबंधों में एक ऐतिहासिक बदलाव लाया, जहाँ पुराने राजनीतिक टकरावों की जगह कूटनीतिक, व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग ने ले ली।

  • अब कज़ाख़स्तान की भागीदारी से यह समझौता अरब दुनिया से आगे बढ़कर मध्य एशिया में प्रवेश कर रहा है, जो भू-राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

कज़ाख़स्तान की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है

  • यद्यपि कज़ाख़स्तान के पहले से ही इज़राइल के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन अब्राहम समझौते में शामिल होना एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक कदम है।

  • इससे कज़ाख़स्तान अमेरिका समर्थित क्षेत्रीय पहल के और निकट आ जाएगा और मौजूदा सदस्य देशों के साथ बहुपक्षीय सहयोग बढ़ेगा।

  • कज़ाख़ सरकार ने कहा कि यह कदम उसके संवाद, पारस्परिक सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित विदेश नीति का “स्वाभाविक विस्तार” है।

  • अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसे “केवल कूटनीति से परे एक उन्नत साझेदारी” बताया, जो आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा सहयोग को नए स्तर पर ले जाएगी।

अमेरिका की रणनीति और क्षेत्रीय प्रभाव

  • राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह घोषणा C5+1 समूह (कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान) के नेताओं की व्हाइट हाउस में बैठक के बाद की।

  • यह अमेरिका की मध्य एशिया के देशों से बढ़ते जुड़ाव की रणनीति का हिस्सा है, जहाँ अब तक रूस और चीन का प्रभाव प्रमुख रहा है।

  • यह निर्णय ऐसे समय आया है जब गाज़ा संघर्ष के कारण अब्राहम समझौते का विस्तार ठहरा हुआ था।

  • कज़ाख़स्तान की भागीदारी से इस पहल को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है, और अमेरिका अब उज़्बेकिस्तान व अज़रबैजान जैसे अन्य मुस्लिम-बहुल देशों से भी संपर्क बढ़ाने की योजना बना रहा है।

व्यापक भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  • अब्राहम समझौते का विस्तार इस बात का प्रतीक है कि मुस्लिम-बहुल देशों की कूटनीति में नया युग शुरू हो रहा है, जहाँ आर्थिक विकास, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद-रोधी सहयोग अब फलस्तीनी मुद्दे से जुड़ी पारंपरिक आपत्तियों पर भारी पड़ रहे हैं।

  • हालांकि, सऊदी अरब जैसे बड़े खिलाड़ी अब भी सतर्क हैं। उसने स्पष्ट किया है कि जब तक फलस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का ठोस मार्ग नहीं बनता, वह सामान्यीकरण पर सहमत नहीं होगा।

  • बताया गया है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) 18 नवम्बर को वॉशिंगटन की यात्रा पर जाएंगे, जिससे यह अटकलें बढ़ गई हैं कि क्या अब्राहम समझौते का और विस्तार संभव है।

एमएसडीई और ऑटोडेस्क ने व्यावसायिक कौशल में क्रांति लाने के लिए समझौता किया

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने अपनी प्रशिक्षण इकाई महानिदेशालय प्रशिक्षण (DGT) के माध्यम से अमेरिकी बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनी ऑटोडेस्क इंक. (Autodesk Inc.) के साथ एक रणनीतिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

6 नवम्बर 2025 को घोषित इस साझेदारी का उद्देश्य भारत की व्यावसायिक कार्यबल की “डिज़ाइन एंड मेक” (Design and Make) क्षमता को उन्नत डिजिटल उपकरणों और पाठ्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाना है। इसके तहत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITIs) और राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (NSTIs) में आधुनिक तकनीक को जोड़ा जाएगा।

पारंपरिक प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक का समन्वय

भारत की व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली, विशेषकर महानिदेशालय प्रशिक्षण (DGT) के माध्यम से, 14,500 से अधिक ITI और 33 NSTI का संचालन करती है, जो हर वर्ष लाखों युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

हालाँकि, उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण सामग्री और उपकरणों के आधुनिकीकरण की ज़रूरत बढ़ी है। ऑटोडेस्क के साथ यह सहयोग एक दूरदर्शी पहल है, जो भारत की कौशल प्रणाली में पेशेवर सॉफ्टवेयर, उन्नत पाठ्यक्रम और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ लाने का कार्य करेगा।

डिजिटल पाठ्यक्रम और उपकरण

  • ऑटोडेस्क अपने उद्योग-स्तरीय डिज़ाइन सॉफ्टवेयर तक पहुँच उपलब्ध कराएगा।

  • यह वास्तविक जीवन-आधारित प्रशिक्षण सामग्री के सह-निर्माण में सहयोग करेगा।

  • नए पाठ्यक्रमों में प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण, व्यावहारिक अनुभव,
    और डिजिटल प्रोटोटाइपिंग, CAD तथा एआई-सक्षम डिज़ाइन सिस्टम जैसी तकनीकों को शामिल किया जाएगा।

प्रशिक्षकों का क्षमता निर्माण

  • इस साझेदारी का प्रमुख तत्व प्रशिक्षकों का डिजिटल कौशल उन्नयन (Upskilling) है।

  • ITI और NSTI के प्रशिक्षकों को ऑटोडेस्क उपकरणों पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे नई तकनीकों को प्रभावी और आत्मविश्वासपूर्वक सिखा सकें।

उद्योग-तैयार कौशल

  • प्रशिक्षण का केंद्र उन क्षेत्रों पर रहेगा जहाँ डिज़ाइन और डिजिटल निर्माण (Fabrication) की भूमिका प्रमुख है — जैसे आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग, निर्माण (Construction) और उन्नत विनिर्माण (Advanced Manufacturing)।

  • इससे प्रशिक्षित युवाओं के पास रोज़गार-उन्मुख और उद्योग-संगत कौशल होंगे, जो वर्तमान और भविष्य की बाज़ार आवश्यकताओं के अनुरूप होंगे।

एआई और नवाचार के लिए तैयारी

  • ऑटोडेस्क के आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार, भारत की 50% से अधिक कंपनियाँ अब एआई-संबंधित कौशल वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही हैं।

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण मार्गों में इन कौशलों को शामिल कर भारत एक ऐसी कार्यबल तैयार कर रहा है जो तकनीकी रूप से दक्ष और नवाचार के लिए तैयार (Innovation-ready) हो।

छत्तीसगढ़ से पापुआ न्यू गिनी को फोर्टिफाइड चावल कर्नेल का पहला निर्यात

भारत के कृषि-निर्यात और पोषण मिशनों को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देते हुए, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने छत्तीसगढ़ से पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) को 20 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल (Fortified Rice) के निर्यात को सफलतापूर्वक सक्षम बनाया है।

यह पहल इस बात को रेखांकित करती है कि भारत अब उच्च गुणवत्ता वाले, मूल्य-वर्धित (Value-added) और पोषण-केंद्रित खाद्य उत्पादों की आपूर्ति करने में वैश्विक स्तर पर सक्षम बनता जा रहा है। यह भारत के उस व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसके तहत देश वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा (Global Food and Nutritional Security) में योगदान देना चाहता है।

क्या है फोर्टिफाइड चावल?

फोर्टिफाइड चावल साधारण चावल नहीं होता, बल्कि इसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) के साथ समृद्ध किया जाता है, जैसे —

  • लौह (Iron)

  • फोलिक एसिड (Folic Acid)

  • विटामिन B12 (Vitamin B12)

इन पोषक तत्वों को एक्सट्रूज़न प्रक्रिया (Extrusion Process) के माध्यम से चावल के आटे में मिलाया जाता है और प्राकृतिक दानों जैसे आकार में ढाला जाता है।
बाद में इन फोर्टिफाइड दानों को सामान्य चावल में निर्धारित अनुपात में मिलाया जाता है, जिससे उसके पोषण मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

यह तकनीक विशेष रूप से कुपोषण से लड़ने (Combating Malnutrition) में सहायक है, खासकर कमजोर और गरीब आबादी के बीच।

निर्यात पहल की मुख्य विशेषताएँ

विवरण जानकारी
निर्यातक (Exporter) एम/एस स्पंज एंटरप्राइज़ेज प्रा. लि., रायपुर
निर्यात मात्रा (Export Volume) 20 मीट्रिक टन
गंतव्य (Destination) पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea)
समन्वय (Coordinated by) एपीडा (APEDA), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत
सहयोग (Supported by) छत्तीसगढ़ सरकार और राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ (TREA-CG)

यह निर्यात भारत की पोषण-उन्मुख कृषि-उत्पादों (Nutrition-driven Agri-exports) में बढ़ती भूमिका और फोर्टिफाइड खाद्य समाधान (Fortified Food Solutions) के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरते स्थान को दर्शाता है।

क्षेत्रीय प्रभाव – छत्तीसगढ़

  • छत्तीसगढ़ को फोर्टिफाइड चावल और खाद्य उत्पादों के निर्यात का प्रमुख केंद्र (Key Export Hub) बनने की दिशा में स्थापित करता है।

  • राज्य के किसानों, मिलर्स और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता है।

  • कृषि-औद्योगिक क्षमता (Agro-industrial Capacity) और वैश्विक व्यापार में पहचान (Global Trade Visibility) को मजबूत करता है।

यह पहल भारत के “संपूर्ण पोषण, सशक्त किसान” के लक्ष्य को समर्थन देती है और यह दर्शाती है कि देश कृषि से पोषण तक (Farm to Nutrition) के समग्र दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर साकार कर रहा है।

पारादीप फॉस्फेट्स ने राहुल द्रविड़ को ब्रांड एंबेसडर बनाया

भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ी राहुल द्रविड़ को पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (Paradeep Phosphates Ltd – PPL) का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है। यह घोषणा 5 नवम्बर 2025 को की गई, जिसके तहत कंपनी और द्रविड़ मिलकर भारतभर में सतत कृषि (Sustainable Farming), संतुलित उर्वरक उपयोग और किसान शिक्षा को बढ़ावा देंगे।

यह साझेदारी क्यों महत्वपूर्ण है

यह सहयोग इस बढ़ते रुझान को दर्शाता है जिसमें विश्वसनीय सार्वजनिक हस्तियों को कृषि जागरूकता के लिए जोड़ा जा रहा है, विशेष रूप से नई कृषि तकनीकों और उर्वरकों के प्रचार हेतु।

  • पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (PPL) — जो भारत की प्रमुख फॉस्फेटिक, NPK और जैविक उर्वरक उत्पादक कंपनियों में से एक है — किसानों से अपने संबंध को और मजबूत बनाना चाहती है।

  • राहुल द्रविड़, जिन्हें उनकी ईमानदारी, अनुशासन और विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है, कंपनी के संदेश को किसानों तक अधिक प्रभावशाली ढंग से पहुँचाने में मदद करेंगे।

  • यह पहल भारत सरकार के लक्ष्यों से भी मेल खाती है — सतत कृषि को बढ़ावा देना, मृदा स्वास्थ्य सुधारना और रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग को कम करना, खासकर यूरिया के।

राहुल द्रविड़ के साथ शुरू किए गए दो राष्ट्रीय अभियान

“खेती का गेम चेंजर”

  • मुख्य फोकस: Jai Kisaan Navratna Nano Shakti Nano DAP — नई पीढ़ी का नैनो उर्वरक।

  • संदेश: जैसे सही रणनीति क्रिकेट का खेल बदल देती है, वैसे ही सही उर्वरक उपयोग खेती के नतीजों को बदल सकता है।

  • उद्देश्य: किसानों को उन्नत और संतुलित उर्वरक उपयोग के लाभों से जोड़ना।

“NPK और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर्स की विनिंग टीम”

  • मुख्य फोकस: PPL के NPK और जैविक उर्वरकों के संयुक्त उपयोग को बढ़ावा देना।

  • संकल्पना: क्रिकेट की टीम भावना के समान — खेती में भी संतुलित पोषक तत्वों का मिश्रण सफलता की कुंजी है।

  • उद्देश्य: किसानों को यह समझाना कि जैसे एक अच्छी टीम में हर खिलाड़ी का योगदान जरूरी है, वैसे ही खेत में हर पोषक तत्व का अपना महत्व है।

भारतीय कृषि के लिए महत्व

  • संतुलित उर्वरक उपयोग को प्रोत्साहन: किसानों को केवल नाइट्रोजन (यूरिया) पर निर्भर रहने के बजाय संतुलित पोषण अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

  • सतत कृषि को समर्थन: मृदा स्वास्थ्य में सुधार, बेहतर पैदावार और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान।

  • किसान सशक्तिकरण: जनमाध्यमों और क्रिकेट से जुड़े प्रतीकों के माध्यम से तकनीकी कृषि सलाह को सरल और समझने योग्य बनाना।

सरकारी योजनाओं से सामंजस्य

यह पहल भारत सरकार के कार्यक्रमों के साथ जुड़ी है, जैसे —

  • राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)

  • पीएम-प्रणाम (PM-PRANAM)

देश के टॉप 1% अमीरों की दौलत में 62% का इजाफा

दक्षिण अफ्रीकी जी20 अध्यक्षता द्वारा जारी एक ऐतिहासिक “असमानता रिपोर्ट” (G20 Inequality Report) ने खुलासा किया है कि भारत में शीर्ष 1% अमीर वर्ग की राष्ट्रीय संपत्ति में हिस्सेदारी 2000 से 2023 के बीच 62% तक बढ़ गई। यह वृद्धि भारत को उन देशों में शामिल करती है जहाँ धन की सर्वाधिक केंद्रितता (Wealth Concentration) दर्ज की गई है — जो वैश्विक स्तर पर बढ़ती आर्थिक असमानता की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाती है।

रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि चरम असमानता “अनिवार्य नहीं”, बल्कि नीति-निर्णयों का परिणाम है, और इसे दूर करने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • भारत के शीर्ष 1% लोगों की संपत्ति-हिस्सेदारी में 62% की वृद्धि, जो बाकी जनसंख्या की तुलना में कहीं अधिक तेज़ है।

  • शीर्ष 1% अब देश की कुल संपत्ति का लगभग 27% नियंत्रित करते हैं — जो निचले 50% से लगभग 7 गुना अधिक है।

  • तुलना में, चीन के शीर्ष 1% ने अपनी संपत्ति हिस्सेदारी में 54% की वृद्धि की, जो अब 30.2% पर पहुँच गई है।

  • G20 के आधे से अधिक देशों में इसी तरह की बढ़ती असमानता दर्ज की गई।

रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यह बढ़ती खाई आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास (Inclusive Growth) दोनों के लिए खतरा है — खासकर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में।

भारत में असमानता की स्थिति

भारत में बढ़ती आर्थिक विषमता निम्न कारकों से पहचानी जाती है —

  • निचले 50% लोगों की आय में ठहराव, जबकि अमीर तबका लगातार संपत्ति बढ़ा रहा है।

  • पूंजी और परिसंपत्तियों (Assets) में तेज़ वृद्धि, जिससे केवल अमीर वर्ग को लाभ मिल रहा है।

  • शहरी-ग्रामीण असमानता और वंशानुगत संपत्ति हस्तांतरण से सीमित वर्ग के हाथों में संसाधनों का संकेंद्रण।

  • कर-प्रणाली में कमजोर प्रगतिशीलता और संपत्ति पुनर्वितरण (Wealth Redistribution) के सीमित उपाय।

यह प्रवृत्ति भारत के गरीबी उन्मूलन, सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक न्याय जैसे लक्ष्यों के लिए गंभीर चुनौती मानी जा रही है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और नीति सिफारिशें

रिपोर्ट ने चेताया है कि अगर यह रुझान जारी रहा तो सामाजिक विभाजन (Social Divisions) और लोकतांत्रिक अस्थिरता (Democratic Instability) बढ़ सकती है।

इसके समाधान हेतु प्रमुख प्रस्ताव दिए गए हैं —

  • अंतरराष्ट्रीय असमानता पैनल (International Panel on Inequality) की स्थापना — जैसे जलवायु परिवर्तन के लिए IPCC है।
  • प्रगतिशील कर सुधार (Progressive Taxation Reforms) — संपत्ति, विरासत (Inheritance) और अप्रत्याशित लाभ (Windfall) पर कर।
  • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा तंत्र (Universal Social Protection Floors) — सभी के लिए न्यूनतम आय, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा।
  • वैश्विक पूंजी प्रवाह पर नियंत्रण — टैक्स हेवन और ऑफशोर संपत्ति भंडारण पर कड़े नियम।
  • समावेशी हरित और डिजिटल संक्रमण में निवेश — जिससे रोजगार और समान अवसर बढ़ें।

इन सिफारिशों का उद्देश्य एक न्यायसंगत वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाना है, जो सभी के लिए सतत विकास सुनिश्चित करे।

मुख्य तथ्य 

बिंदु विवरण
रिपोर्ट जारीकर्ता दक्षिण अफ्रीकी जी20 अध्यक्षता (2025)
भारत आँकड़ा शीर्ष 1% की संपत्ति हिस्सेदारी में 62% वृद्धि (2000–2023)
चीन आँकड़ा शीर्ष 1% की हिस्सेदारी में 54% वृद्धि (अब 30.2%)
वैश्विक औसत शीर्ष 1% के पास 27% संपत्ति — निचले 50% से 7 गुना अधिक
मुख्य प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय असमानता पैनल
प्रमुख नीति उपकरण प्रगतिशील कर, सार्वभौमिक कल्याण योजनाएँ, वित्तीय विनियमन
निहितार्थ लोकतंत्र, समान विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए चुनौती

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