COP30 स्पॉटलाइट: जलवायु अनुकूलन के माध्यम से एक लचीले भविष्य का निर्माण

ब्राज़ील के बेलेम में आगामी COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन, जलवायु अनुकूलन को चर्चा के केंद्र में रखकर वैश्विक जलवायु प्राथमिकताओं को नया रूप देने के लिए तैयार है। शमन से आगे बढ़ते हुए, दुनिया अब पहले से ही सामने आ रहे प्रभावों—बाढ़, सूखा, बढ़ते समुद्र स्तर और चरम मौसम की घटनाओं—के अनुकूल ढलने की तत्काल आवश्यकता का सामना कर रही है। भारत सहित 35 से अधिक देशों द्वारा 1.3 ट्रिलियन डॉलर के वार्षिक अनुकूलन वित्त रोडमैप का समर्थन किए जाने के साथ, COP30 को “अनुकूलन के COP” के रूप में याद किए जाने की उम्मीद है।

जलवायु अनुकूलन को समझना

जलवायु अनुकूलन का तात्पर्य प्राकृतिक और मानवीय प्रणालियों को जलवायु परिवर्तन के परिणामों से होने वाली संवेदनशीलता को कम करने और नुकसान को न्यूनतम करने के लिए समायोजित करना है। शमन के विपरीत, जिसका लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाना है, अनुकूलन यह स्वीकार करता है कि कुछ जलवायु प्रभाव अपरिहार्य हैं और लचीलापन बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।

अनुकूलन के वास्तविक उदाहरणों में शामिल हैं,

  • तटीय क्षेत्रों में बाढ़-रोधी घरों का निर्माण
  • भारत के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में सूखा-सहिष्णु फसल किस्मों को बढ़ावा देना
  • तूफ़ानी लहरों से तटरेखाओं की सुरक्षा के लिए मैंग्रोव वनों का विस्तार करना

COP30 में अनुकूलन क्यों केंद्रीय है

एक मानवीय और आर्थिक अनिवार्यता

संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील के अनुसार, COP30 को इतिहास में उस महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए जहाँ अनुकूलन को एक आवश्यकता के रूप में देखा गया, न कि एक बाद की बात के रूप में। विकासशील देशों, विशेष रूप से अल्प विकसित देशों (LDC) और लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) के लिए, अनुकूलन अब एक विकल्प नहीं है—यह भोजन, पानी और ऊर्जा सुरक्षा के बारे में है।

तात्कालिक वैश्विक वास्तविकताएँ

  • जलवायु वित्त असंतुलन: 2023 में, जलवायु वित्त का 43% हिस्सा शमन के लिए आवंटित किया गया था, लेकिन केवल 23% ने अनुकूलन का समर्थन किया।
  • अनुमानित वित्तीय आवश्यकता: विकासशील देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2030 तक सालाना 2.4 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।
  • एकजुटता चुनौती: अनुकूलन जलवायु न्याय के मुद्दे पर प्रकाश डालता है, यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कमजोर समुदाय पीछे न छूटे।

1.3 ट्रिलियन डॉलर का जलवायु वित्त रोडमैप

भारत सहित 35 देशों के वित्त मंत्री “1.3 ट्रिलियन डॉलर के लिए बाकू से बेलेम रोडमैप” का समर्थन कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य अनुकूलन वित्त की कमी को पूरा करना है। इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल हैं:

  • अनुकूलन को प्राथमिकता देने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार
  • रियायती वित्त का विस्तार—कम ब्याज दरों और लंबी चुकौती अवधि वाले ऋण
  • 2030 तक निजी निवेशकों से सालाना 65 बिलियन डॉलर जुटाना

व्यवहार में उदाहरण,

  • हरित जलवायु कोष (जीसीएफ) भारत की जलवायु-अनुकूल कृषि पहलों का समर्थन करता है।
  • बांग्लादेश की बाढ़ सुरक्षा परियोजनाओं को भी अंतर्राष्ट्रीय अनुकूलन वित्तपोषण से लाभ मिलता है।

राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाएँ (एनएपी): एक रणनीतिक उपकरण

एनएपी राष्ट्रीय विकास एजेंडा में जलवायु लचीलेपन को एकीकृत करने के लिए ब्लूप्रिंट का काम करती हैं। सितंबर 2025 तक,

  • 144 देशों ने एनएपी शुरू कर दी थीं
  • इसमें 23 अल्प विकसित देश और 14 एसआईडीएस शामिल हैं

देश-विशिष्ट उदाहरण,

  • भारत की जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) में सतत कृषि, जल संरक्षण और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण से संबंधित मिशन शामिल हैं।
  • फिजी की एनएपी अपने कमजोर द्वीप समुदायों की सुरक्षा के लिए तटीय पुनर्वास और बाढ़ सुरक्षा का समर्थन करती है।

अनुकूलन दान नहीं है—यह जीवन रक्षा है

अनुकूलन निवेश दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता, कम जलवायु जोखिम और मानव सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। यह जलवायु कार्रवाई को रोज़मर्रा के जीवन से प्रासंगिक बनाने के बारे में है। जैसा कि स्टील ने ज़ोर दिया, अनुकूलन “जलवायु कार्रवाई को हर जगह वास्तविक जीवन से जोड़ता है।”

मुख्य उदाहरण,

  • भारत का जल जीवन मिशन, जिसका उद्देश्य ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध कराना है, न केवल जन स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि जल संकट और सूखे के प्रति लचीलापन भी विकसित करता है।

COP30 से क्या अपेक्षा करें

वैश्विक समुदाय COP30 से कई परिणामों की अपेक्षा करता है जो अनुकूलन को जलवायु प्राथमिकता के रूप में संस्थागत रूप देंगे,

  • प्रगति मापने के लिए वैश्विक अनुकूलन संकेतकों पर समझौता
  • अनुकूलन वित्त के लिए एक पारदर्शी और जवाबदेह रोडमैप
  • लचीलेपन के लिए मज़बूत घरेलू नीति ढाँचे
  • अनुकूलन वित्त की कमी को पाटने पर वैश्विक सहमति

परीक्षा की तैयारी के लिए स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य

  • COP30 नवंबर 2025 में ब्राज़ील के बेलेम में आयोजित किया जाएगा
  • UNFCCC (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) वार्षिक COP शिखर सम्मेलन आयोजित करता है
  • अनुकूलन का अर्थ वर्तमान या अपेक्षित जलवायु प्रभावों के साथ समायोजन करना है, जबकि शमन उत्सर्जन में कमी से संबंधित है
  • हरित जलवायु कोष (GCF) की स्थापना 2010 में विकासशील देशों में जलवायु परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए की गई थी
  • भारत का NAPCC 2008 में शुरू किया गया था, जिसमें आठ राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं
  • SIDS निचले स्तर के द्वीपीय देश हैं जो समुद्र-स्तर में वृद्धि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं
  • LDC वे देश हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा निम्न आय और कमजोर मानव विकास सूचकांक वाले देशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है
  • बाकू से बेलेम रोडमैप 2025 में शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य अनुकूलन पर केंद्रित वार्षिक जलवायु वित्त में $1.3 ट्रिलियन जुटाना है
  • साइमन स्टील 2025 तक UNFCCC के कार्यकारी सचिव हैं

SBI ने रचा इतिहास, मार्केट कैप 100 अरब डॉलर के पार

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के शेयरों में 6 नवंबर को 1 प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज हुई और इसका बाजार पूंजीकरण 100 अरब डॉलर (लगभग 8,850 अरब रुपये) के पार पहुंच गया। शेयर 1.47 प्रतिशत बढ़कर 971.15 रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। इस उपलब्धि से SBI 100 अरब डॉलर के क्लब में शामिल होने वाली छठी भारतीय कंपनी बन गई है। इस सूची में रिलायंस, HDFC बैंक, एयरटेल, TCS और ICICI बैंक पहले से शामिल हैं।

यह उपलब्धि SBI को भारत का पहला ऐसा बैंक बनाती है जिसने इस स्तर को छुआ है, और यह भारत की उभरती हुई वित्तीय शक्ति तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग तंत्र की मजबूती का प्रतीक है। यह मील का पत्थर बैंक के वित्त वर्ष 2025–26 की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में मजबूत प्रदर्शन के साथ आया है, जिससे SBI ने वैश्विक बैंकिंग जगत में अपनी जगह और भी मज़बूत कर ली है।

SBI का $100 अरब मार्केट कैप: एक ऐतिहासिक क्षण

  • मजबूत तिमाही नतीजों के बाद SBI के शेयर मूल्य में हुई तेज़ वृद्धि के चलते बैंक $100 अरब मार्केट कैप क्लब में शामिल हो गया।
  • अब SBI उन वैश्विक बैंकों और भारतीय कंपनियों (जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और TCS) की श्रेणी में शामिल है, जिनका मार्केट कैप $100 अरब से अधिक है।
  • यह बढ़ोतरी निवेशकों के बढ़ते विश्वास, बैंक के खुदरा (Retail), लघु एवं मध्यम उद्योग (SME) तथा कॉर्पोरेट ऋण क्षेत्र में विस्तार का परिणाम है।

₹100 ट्रिलियन का कुल व्यवसाय: भारतीय बैंकिंग इतिहास में पहली बार

मार्केट कैप के साथ-साथ SBI का कुल व्यवसाय (Advances + Deposits) भी ₹100 ट्रिलियन (₹100 लाख करोड़) के आँकड़े को पार कर गया —

यह भारतीय बैंकिंग इतिहास की पहली ऐसी उपलब्धि है।

  • कुल ऋण (Total Advances): लगभग ₹44.2 लाख करोड़

  • कुल जमा (Total Deposits): लगभग ₹55.9 लाख करोड़

यह पैमाना SBI की अभूतपूर्व पहुँच, विश्वसनीयता और भारतीय वित्तीय प्रणाली की रीढ़ के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है।

SBI की वृद्धि के प्रमुख कारण

मजबूत ऋण विस्तार (Credit Expansion)

  • बैंक ने 12.7% वार्षिक ऋण वृद्धि (YoY Growth) दर्ज की।

  • खुदरा, कृषि, और SME ऋणों में वृद्धि से बैंक का कर्ज वितरण बढ़ा।

  • त्योहार सीज़न की मांग और डिजिटल लेंडिंग पहलों ने वृद्धि को गति दी।

मजबूत वित्तीय प्रदर्शन (Financial Performance)

  • Q2 FY26 में शुद्ध लाभ (Net Profit) में लगभग 10% की वृद्धि

  • संपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality) में सुधार — गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Gross NPAs) में कमी।

  • लागत नियंत्रण और डिजिटल बैंकिंग ने लाभप्रदता बनाए रखने में मदद की।

निवेशकों का बढ़ता विश्वास (Investor Confidence)

  • बेहतर रिटर्न ऑन इक्विटी, स्थिर वित्तीय दृष्टिकोण, और मार्जिन सुधार के कारण निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी।

  • परिणामस्वरूप, SBI के शेयर मूल्य और बाज़ार मूल्यांकन में निरंतर वृद्धि दर्ज हुई।

SBI: स्थिर सामान्य ज्ञान 

विवरण जानकारी
स्थापना वर्ष 1 जुलाई 1955 (Imperial Bank of India से गठित)
मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र
वर्तमान अध्यक्ष चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी
कुल शाखाएँ भारत में 22,000 से अधिक
स्थिति भारत का डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इम्पॉर्टेंट बैंक (D-SIB)

निष्कर्ष

SBI की यह दोहरी उपलब्धि — $100 अरब का मार्केट कैप और ₹100 ट्रिलियन का कुल व्यवसाय — न केवल भारतीय बैंकिंग इतिहास का स्वर्ण अध्याय है, बल्कि यह भारत की आर्थिक स्थिरता, डिजिटल नवाचार, और वित्तीय आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है।

चार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला एकमात्र भारतीय राज्य कौन सा है?

भारत का विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) पिछले कुछ वर्षों में अत्यंत तेजी से विकसित हुआ है, जिससे देश के दूरस्थ इलाक़े भी अब विश्व से जुड़ गए हैं। बढ़ती यात्रा मांग को देखते हुए कई राज्यों ने पर्यटन, व्यापार और रोज़गार को प्रोत्साहित करने के लिए कई हवाई अड्डे विकसित किए हैं। इनमें से एक भारतीय राज्य ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है — यह देश का पहला राज्य बना, जिसके पास चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं, जिससे इसकी वैश्विक संपर्कता (Global Connectivity) और पहुँच में अत्यधिक वृद्धि हुई है।

चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला भारतीय राज्य

केरल भारत का वह एकमात्र राज्य है, जिसके पास चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं —
तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram), कोच्चि (Kochi), कोझिकोड (Kozhikode) और कन्नूर (Kannur)

यह मजबूत हवाई नेटवर्क लाखों यात्रियों, पर्यटकों और प्रवासी भारतीयों को जोड़ता है और केरल की अर्थव्यवस्था को पर्यटन, व्यापार, शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय के माध्यम से सशक्त बनाता है।

केरल के चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे

तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 

  • स्थापना वर्ष: 1932 (भारत के सबसे पुराने हवाई अड्डों में से एक)

  • स्थान: राजधानी तिरुवनंतपुरम

  • महत्त्व: सरकारी अधिकारियों, पर्यटकों और पेशेवरों के लिए मुख्य केंद्र।

  • प्रमुख गंतव्य: कोवलम, वर्कला, और पोइवर जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल।

  • यह टेक्नोपार्क और इसरो (ISRO) जैसे अनुसंधान व तकनीकी केंद्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इसकी ऐतिहासिक विरासत और रणनीतिक स्थिति इसे केरल की परिवहन प्रणाली का अभिन्न अंग बनाती है।

कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 

  • उद्घाटन वर्ष: 1999

  • केरल का सबसे व्यस्त और उन्नत हवाई अड्डा

  • वैश्विक गौरव: दुनिया का पहला पूर्णतः सौर ऊर्जा से संचालित हवाई अड्डा

  • प्रमुख कनेक्शन: यूरोप, मध्य पूर्व, और दक्षिण-पूर्व एशिया।

  • यह पर्यटन और प्रवासी यात्राओं का प्रमुख केंद्र है।

  • 2018 में संयुक्त राष्ट्र का “Champion of the Earth” पुरस्कार प्राप्त कर चुका है।

कोच्चि एयरपोर्ट विश्वभर के हवाई अड्डों के लिए हरित (Green) मॉडल के रूप में उदाहरण बन चुका है।

कालीकट (कोझिकोड) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 

  • स्थान: मलाबार क्षेत्र, उत्तरी केरल

  • विशेषता: खाड़ी देशों (Gulf nations) के लिए प्रमुख यात्रा केंद्र।

  • प्रमुख उड़ान गंतव्य: दुबई, दोहा, मस्कट आदि।

  • यह निर्यात केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है, विशेषकर खाद्य और नाशवान वस्तुओं के लिए।

कोझिकोड एयरपोर्ट उत्तर केरल को वैश्विक व्यापार और प्रवासी समुदाय से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कन्नूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 

  • उद्घाटन वर्ष: 2018

  • स्थान: उत्तर केरल (कन्नूर, कासरगोड, वायनाड)

  • विशेषता: आधुनिक सुविधाएँ, लंबा रनवे और तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय मार्ग।

  • निर्माण: सार्वजनिक निवेश और प्रवासी केरलवासियों की भागीदारी से।

यह केरल की सामुदायिक विकास भावना (Community-driven Development) का प्रतीक है।

केरल में इतने हवाई अड्डे क्यों हैं?

केरल के चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे होने के कई कारण हैं:

  1. बड़ी प्रवासी आबादी: लाखों केरलवासी, विशेषकर मध्य पूर्व में कार्यरत हैं।

  2. मजबूत पर्यटन उद्योग: बैकवॉटर, समुद्रतट, पहाड़ियाँ और आयुर्वेद केंद्र इसे विश्व प्रसिद्ध बनाते हैं।

  3. संतुलित क्षेत्रीय विकास: हर क्षेत्र को समान हवाई संपर्क उपलब्ध कराया गया है।

  4. चिकित्सा और शिक्षा पर्यटन: विदेशी मरीज और छात्र केरल में उपचार व उच्च शिक्षा के लिए आते हैं।

इस समग्र योजना से राज्य के हर हिस्से को समान अवसर और वैश्विक पहुँच प्राप्त हुई है।

केरल के हवाई अड्डों से जुड़ी रोचक बातें

  • कोच्चि एयरपोर्ट दुनिया का पहला पूर्णतः सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है।

  • तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट प्रारंभ में राजकीय और सैन्य उपयोग के लिए बनाया गया था।

  • कन्नूर एयरपोर्ट का निर्माण प्रवासी केरलवासियों के निवेश से संभव हुआ।

  • कालीकट एयरपोर्ट भारत के उन हवाई अड्डों में शामिल है जहाँ से सबसे अधिक खाड़ी देशों के लिए उड़ानें संचालित होती हैं।

निष्कर्ष

केरल आज भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ हर क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय हवाई संपर्क प्राप्त है। यह उपलब्धि न केवल राज्य की भौगोलिक और सामाजिक समानता को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील, सतत और समावेशी विकास का भी उदाहरण प्रस्तुत करती है।

जलवायु वार्ता के 30 वर्ष: प्रगति, नुकसान और संकट में ग्रह

इस सप्ताह विश्व नेता ब्राज़ील के बेलें (Belém) शहर में संयुक्त राष्ट्र (U.N.) जलवायु सम्मेलन के लिए एकत्रित हुए — यह सम्मेलन जलवायु वार्ताओं की 30वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है।

तीन दशकों की बातचीत, वादों और वैश्विक शिखर बैठकों के बावजूद, 1995 से अब तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 34% की वृद्धि हुई है, जीवाश्म ईंधनों का उपयोग उच्च स्तर पर बना हुआ है, और वैश्विक तापमान खतरनाक सीमाओं को पार करने की ओर अग्रसर है

हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में कुछ प्रगति हुई है, वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि विनाशकारी जलवायु प्रभावों से बचने के लिए अभी बहुत अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

पिछले 30 वर्षों की जलवायु कूटनीति से प्रमुख निष्कर्ष

उत्सर्जन और वैश्विक तापमान

  • 1995 के बाद से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में एक-तिहाई वृद्धि हुई है — यह वृद्धि दर पहले से धीमी है, लेकिन जलवायु स्थिरता के अनुकूल नहीं।

  • वैश्विक तापमान कुछ वर्षों में 1.5°C से अधिक दर्ज किया गया है, हालांकि 30-वर्षीय औसत अभी भी पेरिस समझौते की सीमा से थोड़ा नीचे है।

  • छोटे द्वीपीय विकासशील देश (SIDS) 1.5°C से ऊपर तापमान वृद्धि के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं, जिससे उनके अस्तित्व को गंभीर खतरा है।

जीवाश्म ईंधन की मांग

  • वैश्विक आर्थिक विकास और एआई व डिजिटल ढांचे की ऊर्जा मांग के कारण जीवाश्म ईंधनों का उपयोग उच्च बना हुआ है।

  • कोयले की मांग 2027 तक रिकॉर्ड स्तरों के आसपास बनी रहने की संभावना है, विशेष रूप से चीन और भारत जैसे विकासशील देशों में।

स्वच्छ ऊर्जा में प्रगति

  • सौर और पवन ऊर्जा का वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार हुआ है।

  • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है, जिससे ऊर्जा दक्षता बढ़ी और जीवाश्म ईंधन की निर्भरता में आंशिक कमी आई।

  • वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निवेश $2.2 ट्रिलियन तक पहुँच गया है, जो कि जीवाश्म ईंधनों में निवेश ($1 ट्रिलियन) से अधिक है।

राजनीतिक और नीतिगत चुनौतियाँ

  • पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की गति को बाधित किया, जबकि चीन इस क्षेत्र में निवेश का वैश्विक नेता बनकर उभरा।

  • सीओपी (COP) सम्मेलनों की सर्वसम्मति आधारित वार्ताओं की प्रक्रिया को धीमी निर्णय-प्रक्रिया और नौकरशाही के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही है।

  • विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी मतदान आधारित प्रणाली अपनाई जा सकती है ताकि निर्णय तेजी से लिए जा सकें।

सीओपी प्रक्रिया की सफलताएँ और सीमाएँ

सफलताएँ

  • पेरिस समझौता अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसमें अधिकांश देशों ने जलवायु लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई।

  • सीओपी सम्मेलनों ने तापमान वृद्धि के संभावित स्तर को 5°C से घटाकर 3°C से नीचे लाने में मदद की है।

  • तकनीकी नवाचार और निजी क्षेत्र की भूमिका ने स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को तेज किया है, कई बार सरकारों की नीतियों से स्वतंत्र रूप से।

सीमाएँ

  • वार्षिक शिखर सम्मेलनों के बावजूद उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधनों की निर्भरता में गिरावट नहीं आई।

  • नौकरशाही प्रक्रियाएँ अक्सर ठोस कार्रवाई पर हावी रहती हैं।

  • लगभग 200 देशों की सर्वसम्मति से निर्णय लेने की प्रणाली तात्कालिक कदमों में देरी करती है।

जलवायु नेताओं के विचार

  • जुआन कार्लोस मॉन्टेरे (पनामा): पर्यावरणीय समझौतों को सरल बनाने और प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता पर बल।

  • जॉन केरी (अमेरिकी जलवायु दूत): “यदि वादे पूरे किए जाएँ तो इस लड़ाई को जीता जा सकता है,” इस पर जोर दिया।

  • क्रिस्टियाना फिगेरेस (पेरिस समझौता वास्तुकार): स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के बढ़ते योगदान को रेखांकित किया।

  • मैनुएल पुलगर विदाल (WWF): बहुपक्षीय प्रक्रिया को वैश्विक सहयोग के लिए अनिवार्य बताया।

यह सम्मेलन न केवल तीन दशकों की उपलब्धियों और कमियों की समीक्षा करता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई अब शब्दों से आगे बढ़कर तात्कालिक और सामूहिक कार्रवाई की माँग करती है।

जनजाति स्वतंत्रता सेनानियों का भारत का पहला डिजिटल संग्रहालय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवा रायपुर, अटल नगर में भारत के पहले डिजिटल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय उन जनजातीय वीरों के साहस, संघर्ष और बलिदान को समर्पित है जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध किया और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

संग्रहालय का परिचय

  • नाम: शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय

  • स्थान: नवा रायपुर, अटल नगर, छत्तीसगढ़

  • महत्त्व: भारत का पहला पूर्णतः डिजिटल संग्रहालय जो जनजातीय नायकों को समर्पित है

प्रौद्योगिकी और विशेषताएँ

  • वीएफएक्स (VFX) आधारित दृश्य और डिजिटल प्रोजेक्शन

  • इंटरएक्टिव स्क्रीन और क्यूआर-कोड आधारित कहानी प्रस्तुति

  • दर्शकों के लिए आकर्षक, सजीव और संवादात्मक अनुभव

शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि

  • परिचय: शहीद वीर नारायण सिंह (1820–1857), सोनाखान के जमींदार

  • योगदान: 1856–57 के अकाल के दौरान अंग्रेजों के अनाज भंडारण के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व

  • विरासत: किसानों और आदिवासियों को उपनिवेशी शोषण के विरुद्ध संगठित किया

  • शहादत: 1857 में अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर फाँसी दी गई

  • सम्मान: रायपुर का “वीर नारायण सिंह स्टेडियम” उनके नाम पर रखा गया है

संग्रहालय में प्रदर्शित प्रमुख जनजातीय आंदोलन

आंदोलन / विद्रोह संक्षिप्त विवरण
हल्बा विद्रोह छत्तीसगढ़ क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जनजातीय संघर्ष
पारलकोट विद्रोह औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ किसानों और जनजातियों का आंदोलन
सरगुजा विद्रोह सरगुजा क्षेत्र में स्थानीय जनजातीय नेताओं द्वारा प्रतिरोध
भुमकाल आंदोलन भूमि और कर नीतियों के खिलाफ जनजातीय विद्रोह
तरापुर व लिंगागिरी आंदोलन जमीनी स्तर पर जनजातीय विरोध और स्वतंत्रता की मांग
रानी चौराई संघर्ष महिलाओं के नेतृत्व में जनजातीय विद्रोह
झंडा और जंगल सत्याग्रह अहिंसात्मक और प्रतीकात्मक जनजातीय आंदोलन

डिजिटल संग्रहालय का महत्त्व

  • सांस्कृतिक संरक्षण: जनजातीय विरासत और स्वतंत्रता संघर्ष को आधुनिक और सुलभ रूप में प्रदर्शित करता है

  • शैक्षिक प्रभाव: संवादात्मक तकनीक से आगंतुकों को कम ज्ञात नायकों और आंदोलनों से परिचित कराता है

  • पर्यटन और जागरूकता: नवा रायपुर को डिजिटल और सांस्कृतिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करता है

  • जनजातीय पहचान को सम्मान: भारत की स्वतंत्रता में जनजातीय समुदायों की भूमिका को रेखांकित करता है

विश्व का पहला पूर्णतः सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा कौन सा है?

हवाई अड्डे दुनिया के सबसे व्यस्त और ऊर्जा-गहन स्थानों में से एक हैं — रनवे की रोशनी से लेकर टर्मिनल की बिजली तक, हर चीज़ 24 घंटे चलती रहती है। इसी कारण जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा खपत की चिंताओं के बीच कई हवाई अड्डे अब नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की ओर बढ़ रहे हैं।

कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (CIAL): सौर ऊर्जा का वैश्विक प्रतीक

केरल स्थित कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Cochin International Airport – CIAL) दुनिया का पहला ऐसा हवाई अड्डा है जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Energy) से संचालित होता है। इसका अर्थ है कि रनवे, टर्मिनल, कार्गो भवन — सभी कार्य सौर ऊर्जा से चलते हैं।

यह उपलब्धि न केवल भारत की हरित ऊर्जा क्षमता को दुनिया के सामने लायी, बल्कि यह भी साबित किया कि बड़े पैमाने की आधारभूत संरचनाएँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना स्थायी रूप से संचालित हो सकती हैं।

पूरी तरह सौर ऊर्जा आधारित कब बना?

कोचीन हवाई अड्डा 18 अगस्त 2015 को आधिकारिक रूप से पूरी तरह सौर ऊर्जा चालित (Fully Solar-Powered) बना।
इसके लिए हवाई अड्डे के कार्गो क्षेत्र के पास 45 एकड़ भूमि पर 12 मेगावाट (MWp) की विशाल सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई, जिसमें 46,000 से अधिक सौर पैनल लगाए गए।

ये पैनल सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जिससे हवाई अड्डे की पूरी बिजली की आवश्यकता पूरी हो जाती है — और अतिरिक्त ऊर्जा राज्य ग्रिड को वापस दी जाती है, जिससे यह “पावर-न्यूट्रल” बन गया है।

सौर प्रणाली कैसे काम करती है?

कोचीन हवाई अड्डे की सौर ऊर्जा प्रणाली फोटोवोल्टिक पैनलों (Photovoltaic Panels) के माध्यम से काम करती है।
दिन में उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग हवाई अड्डे के संचालन में होता है, जबकि अतिरिक्त बिजली राज्य बिजली ग्रिड में भेजी जाती है।

  • दैनिक उत्पादन: लगभग 50,000–60,000 यूनिट बिजली

  • अतिरिक्त ऊर्जा: राज्य ग्रिड को दी जाती है

  • रखरखाव: विशेषज्ञ टीम निरंतर पैनलों की निगरानी करती है ताकि अधिकतम दक्षता बनी रहे

इससे हवाई अड्डा फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) पर निर्भर हुए बिना पूरी तरह आत्मनिर्भर ऊर्जा उपयोग कर पाता है।

वैश्विक सम्मान और उपलब्धियाँ

सन् 2018 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कोचीन हवाई अड्डे को “चैंपियन ऑफ द अर्थ” (Champion of the Earth Award) से सम्मानित किया — यह विश्व का सर्वोच्च पर्यावरणीय पुरस्कार है।

यह सम्मान हवाई अड्डे के नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग और पर्यावरण-अनुकूल नवाचार को मान्यता देता है। इस पहल से प्रेरित होकर भारत और विदेश के कई हवाई अड्डों — जैसे दिल्ली, जयपुर, और कुआलालंपुर — ने भी सौर परियोजनाएँ शुरू की हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

कोचीन हवाई अड्डे की सौर परियोजना ने पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है —

  • 25 वर्षों में लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी।

  • लाखों लीटर जीवाश्म ईंधन की बचत।

  • वायु प्रदूषण में कमी और हरित विकास को प्रोत्साहन।

इस पहल से न केवल परिचालन लागत कम हुई है, बल्कि यह हवाई अड्डा विश्व स्तर पर पर्यावरण-अनुकूल अवसंरचना का आदर्श उदाहरण बन गया है।

कोचीन हवाई अड्डा क्यों है वैश्विक मॉडल?

  • लागत में बचत: सौर ऊर्जा से बिजली खर्च में भारी कमी।

  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता: बाहरी बिजली आपूर्ति पर निर्भरता समाप्त।

  • सतत विकास का उदाहरण: अन्य हवाई अड्डों को नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की प्रेरणा।

  • नवाचार केंद्र: इस मॉडल से भारत के परिवहन और सार्वजनिक क्षेत्रों में कई सौर परियोजनाएँ शुरू हुईं।

सौर ऊर्जा से जुड़े रोचक तथ्य

  1. सूर्य की शक्ति असीम है: एक घंटे में पृथ्वी पर आने वाली सौर ऊर्जा पूरे साल की वैश्विक ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकती है।

  2. सबसे तेज़ी से बढ़ता ऊर्जा स्रोत: सौर ऊर्जा आज दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता नवीकरणीय स्रोत है।

  3. बादलों में भी प्रभावी: आधुनिक सोलर पैनल बादल या धुंध वाले मौसम में भी बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।

  4. बिजली बिल में कमी: सौर ऊर्जा उपयोग करने वाले घर और व्यवसाय बिजली खर्च में बड़ी बचत करते हैं।

  5. जलवायु परिवर्तन से मुकाबला: सौर ऊर्जा ग्रीनहाउस गैसें नहीं छोड़ती, जिससे धरती को गर्म होने से बचाया जा सकता है।

पिंक सहेली कार्ड: दिल्ली की महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाने वाला मुफ्त स्मार्ट ट्रैवल पास

दिल्ली सरकार ने 2025 के अंत में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के दूरदर्शी नेतृत्व में “पिंक सहेली कार्ड” योजना की शुरुआत की, जिसने राजधानी में महिलाओं और ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए शहरी यात्रा को नई दिशा दी है। 12 वर्ष या उससे अधिक आयु के लिए जारी यह स्मार्ट ट्रैवल पास दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और क्लस्टर बसों में असीमित मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान करता है। यह पहल सुरक्षा, समानता और किफ़ायत पर आधारित एक समावेशी परिवहन व्यवस्था की ओर बड़ा कदम है।

पिंक सहेली कार्ड क्यों है गेम-चेंजर?

इस योजना का मूल उद्देश्य उन दो समूहों को सशक्त बनाना है जिन्हें सार्वजनिक परिवहन में अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है — महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति। मुफ्त यात्रा की सुविधा से दैनिक आवागमन का आर्थिक बोझ समाप्त हो जाता है, जिससे बेटियां, बहनें और माताएं बिना चिंता के सफर कर सकती हैं।

पहले के कागज़ आधारित पासों की जगह यह डिजिटल स्मार्ट कार्ड सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित करता है। इसमें धारक का नाम और फ़ोटो अंकित होता है, जिससे दुरुपयोग की संभावना कम होती है।

तकनीकी दृष्टि से, यह कार्ड नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है — यानी भविष्य में इसे दिल्ली मेट्रो और अन्य सार्वजनिक परिवहन से जोड़कर एकीकृत यात्रा अनुभव प्रदान किया जाएगा।

सरकार ने यह योजना क्यों शुरू की?

दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और सुरक्षा चिंताओं ने लंबे समय से नागरिकों की यात्रा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
पिंक सहेली योजना इन तीनों समस्याओं को एक साथ संबोधित करती है —

  • महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सार्वजनिक परिवहन की ओर आकर्षित करती है,

  • निजी वाहनों पर निर्भरता कम करती है,

  • और प्रदूषण में कमी लाती है।

साथ ही, यह योजना सुरक्षा और सम्मान के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होने वाली छेड़छाड़ और असुविधाओं के कारण जो महिलाएं यात्रा से कतराती थीं, अब वे निश्चिंत होकर बसों में सफर कर सकेंगी।

पिंक सहेली कार्ड कैसे प्राप्त करें?

इसका आवेदन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है।

  • दिल्ली की निवासी महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति (12 वर्ष या उससे अधिक आयु) ऑनलाइन सरकारी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

  • इसके अलावा, यह सुविधा चयनित DTC कार्यालयों में भी उपलब्ध है।

  • आवेदन के लिए पहचान और निवास का प्रमाण आवश्यक है। सत्यापन के बाद व्यक्तिगत फोटो और नाम वाला कार्ड जारी किया जाता है, जो सभी DTC और क्लस्टर बसों में मान्य है।

दिल्ली के भविष्य के लिए इसका क्या अर्थ है?

“पिंक सहेली कार्ड” दिल्ली के स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी शहरी विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाता है, बल्कि पर्यावरणीय और यातायात प्रबंधन के लिए भी नई राह खोलता है।

यह योजना दर्शाती है कि सार्वजनिक नीति (Public Policy) जब समानता और प्रौद्योगिकी दोनों पर आधारित हो, तो वह सामाजिक परिवर्तन की वास्तविक शक्ति बन सकती है।

भविष्य में जब यह कार्ड मेट्रो और अन्य यातायात सेवाओं से जुड़ जाएगा, तो दिल्ली के लाखों नागरिकों को सुविधा, सुरक्षा और स्वतंत्रता का नया अनुभव मिलेगा।

निष्कर्ष: सशक्तिकरण का प्रतीक

“पिंक सहेली कार्ड” केवल एक यात्रा पास नहीं — बल्कि यह एक घोषणा है कि महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति इस शहर के बराबर अधिकारों वाले नागरिक हैं। यह योजना न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत के लिए समानता, सुरक्षा और संवेदनशील शहरी विकास का एक उदाहरण बन सकती है।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025 – महत्व, इतिहास और निवारक उपाय

हर साल 7 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना, समय पर जांच करवाने के महत्व को समझाना, और जीवनशैली में सुधार के माध्यम से कैंसर के जोखिम को कम करना है।

इस दिवस की शुरुआत साल 2014 में डॉ. हर्षवर्धन (तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री) ने की थी।
यह दिन मैरी क्यूरी (Marie Curie) — नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक — की जयंती पर मनाया जाता है, जिनकी रेडियोएक्टिविटी में खोजों ने आधुनिक कैंसर उपचार (रेडिएशन थेरेपी) की नींव रखी।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?

कैंसर विश्वभर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। साल 2020 में विश्व में 1 करोड़ से अधिक लोगों की मृत्यु कैंसर से हुई, और भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं — मुख्य कारण हैं अनियमित जीवनशैली, प्रदूषण, और तंबाकू सेवन

इस दिवस को मनाने के उद्देश्य हैं:

  • आम जनता को कैंसर के लक्षणों और प्रकारों के बारे में जानकारी देना।

  • प्रारंभिक जांच और समय पर उपचार को बढ़ावा देना।

  • स्वस्थ जीवनशैली और रोकथाम के उपायों को प्रोत्साहित करना।

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में कैंसर रोकथाम को सुदृढ़ बनाना।

इस अवसर पर देशभर में सरकारी संस्थान, अस्पताल, और एनजीओ मुफ्त स्क्रीनिंग कैंप, सेमिनार, और जागरूकता रैलियाँ आयोजित करते हैं।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025 की थीम

2025 में भारत के जागरूकता प्रयास विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) की वैश्विक थीम “United by Unique” के अनुरूप हैं। यह थीम हर व्यक्ति की कैंसर से लड़ाई की विशिष्टता को सम्मान देती है और साथ ही इस रोग के खिलाफ सामूहिक एकता और साझे संकल्प को दर्शाती है।

2025 के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • व्यक्तिगत देखभाल (Personalised Care): रोगी-केंद्रित उपचार और भावनात्मक सहयोग को बढ़ावा देना।

  • सर्वाइवर कहानियाँ साझा करना: कैंसर विजेताओं की प्रेरणादायक कहानियाँ सामने लाना।

  • सामुदायिक सहभागिता: स्कूलों, अस्पतालों, और एनजीओ के माध्यम से जागरूकता अभियान।

  • शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण: रोकथाम, शुरुआती पहचान और उपचार की जानकारी फैलाना।

इतिहास

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा सितंबर 2014 में की गई थी। 7 नवंबर की तिथि मैरी क्यूरी की जयंती (1867) के सम्मान में चुनी गई, जिन्होंने रेडियोधर्मिता (Radioactivity) की खोज से कैंसर के आधुनिक उपचार में क्रांति ला दी।

भारत में कैंसर की स्थिति (GLOBCAN 2020 रिपोर्ट के अनुसार):

  • नए मामले: 13.24 लाख

  • मौतें: 8.51 लाख

  • पुरुषों में सामान्य कैंसर:

    • मुखगुहा (16.2%), फेफड़े (8%), पेट (6.3%)

  • महिलाओं में सामान्य कैंसर:

    • स्तन (26.3%), गर्भाशय ग्रीवा (18.3%), डिम्बग्रंथि (6.7%)

भारत में 20–25 लाख सक्रिय कैंसर रोगी हैं और हर साल लगभग 7 लाख नए मामले दर्ज होते हैं। दुर्भाग्यवश, दो-तिहाई मामलों में कैंसर अंतिम चरण में पहचाना जाता है, जिससे उपचार की संभावना कम हो जाती है।

कैंसर से बचाव के सरल उपाय

  1. तंबाकू से पूरी तरह बचें — चाहे धूम्रपान हो या गुटखा।

  2. शराब का सेवन सीमित करें।

  3. फल, सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज से भरपूर आहार लें।

  4. स्वस्थ वजन बनाए रखें और नियमित व्यायाम करें।

  5. सूर्य की हानिकारक किरणों (UV rays) से बचें, सनस्क्रीन का उपयोग करें।

  6. HPV और हेपेटाइटिस-B के टीके लगवाएं (गर्भाशय ग्रीवा और यकृत कैंसर से बचाव)।

  7. स्तन, मुख, गर्भाशय ग्रीवा और बड़ी आंत के कैंसर की समय-समय पर जांच कराएँ।

  8. कार्यस्थलों और वातावरण में कार्सिनोजेन्स (कैंसर पैदा करने वाले रसायन) से बचाव करें।

सरकारी और संस्थागत पहल

भारत सरकार हर वर्ष निम्न संस्थाओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय अभियान चलाती है:

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW)

  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)

  • राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, झज्जर (NCI)

  • अस्पताल एवं संगठन: AIIMS, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, PACE आदि

इनके तहत आयोजित होते हैं:

  • ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मुफ्त कैंसर स्क्रीनिंग शिविर

  • स्वस्थ जीवनशैली पर कार्यशालाएँ और व्याख्यान

  • डिजिटल एवं सोशल मीडिया जागरूकता अभियान

  • मुफ्त परामर्श एवं प्रारंभिक जांच सेवाएँ

त्वरित तथ्य 

विषय विवरण
तिथि 7 नवंबर 2025
शुरुआत डॉ. हर्षवर्धन (2014)
समर्पित मैरी क्यूरी की जयंती
उद्देश्य कैंसर की रोकथाम, पहचान और उपचार पर जन-जागरूकता
भारत का कैंसर बोझ 13.24 लाख नए मामले, 8.51 लाख मौतें
जागरूकता संदेश (2025) समय पर पहचान, जीवन की सुरक्षा” / “Early Detection Saves Lives

October 2025 Most Important One Liners & Hindu Review PDF: करेंट अफेयर्स की सबसे जरूरी PDF फ्री में डाउनलोड करें

अक्टूबर 2025 वन लाइनर्स और हिंदू रिव्यू PDF: करेंट अफेयर्स की तैयारी का पावर पैक कॉम्बो

अगर आप SBI Clerk Mains, IBPS PO, RRB, SSC, या किसी अन्य सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो करेंट अफेयर्स आपका सबसे मजबूत हथियार होना चाहिए। बैंकर्सअड्डा टीम ने अक्टूबर 2025 के सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को एक जगह समेटकर “October 2025 Most Important One Liners PDF in Hindi” तैयार किया है।

इसके साथ ही, “Hindu October September 2025 PDF” में आपको पूरे महीने के करेंट अफेयर्स का गहन विश्लेषण, वित्तीय अपडेट्स, बैंकिंग न्यूज़, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय घटनाएं और परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य मिलेंगे।

दोनों PDFs फ्री डाउनलोड करें:

क्यों जरूरी हैं ये PDFs?

  1. परीक्षा-केंद्रित सामग्री:
    दोनों PDFs में वही जानकारी दी गई है जो आगामी बैंकिंग, SSC, रेलवे, और अन्य सरकारी परीक्षाओं में सबसे अधिक पूछी जा सकती है।
  2. टाइम-सेविंग टूल:
    हर दिन न्यूज पढ़ने की जगह, आप महीने के सभी अपडेट्स एक फाइल में समरी फॉर्म में पा सकते हैं।
  3. हिन्दी में आसान समझ:
    सभी तथ्य सरल हिंदी में दिए गए हैं ताकि आप कम समय में अधिक कंटेंट याद कर सकें।
  4. रिवीजन के लिए परफेक्ट:
    परीक्षा से पहले रिवीजन के लिए यह One Liner PDF और Hindu Review PDF सबसे उपयोगी टूल हैं।

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इन PDFs में क्या मिलेगा?

October 2025 One Liners PDF में शामिल विषय:

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय, बैंकिंग और फाइनेंस, सरकार की नई योजनाएं, महत्वपूर्ण नियुक्तियां, पुरस्कार, और समझौते, स्पोर्ट्स, डिफेंस और विज्ञान-तकनीक की खबरों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

October Review September 2025 PDF में शामिल प्रमुख टॉपिक्स:

  • RBI और वित्त मंत्रालय से जुड़ी अपडेट्स
  • बैंकिंग परीक्षाओं के लिए करेंट डेटा
  • समसामयिक घटनाएं और सरकारी नीतियां
  • अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और रिपोर्ट्स

3I/ATLAS Interstellar Comet Brightening: सूरज के पास पहुंचते ही क्यों चमका यह रहस्यमयी धूमकेतु? जानें वैज्ञानिकों की राय

क्या यह पृथ्वी के लिए खतरा है 3I/ATLAS इंटरस्टेलर धूमकेतु?: क्या पृथ्वी से टकरा सकता है? जानिए वैज्ञानिकों ने क्या कहा

 

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भारतीय हॉकी के 100 साल: आज से शुरू होगा भव्य शताब्दी समारोह

भारत अपने खेल इतिहास के एक ऐतिहासिक पड़ाव का जश्न मनाने जा रहा है — भारतीय हॉकी की शताब्दी वर्षगांठ का शुभारंभ 7 नवंबर 2025 को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में होगा। यह वही तारीख है जब 7 नवंबर 1925 को इंडियन हॉकी फेडरेशन (IHF) — देश की पहली हॉकी शासी संस्था — की स्थापना हुई थी। यह आयोजन हॉकी इंडिया (HI) और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। यह उत्सव उस खेल को समर्पित है जिसने भारत की पहचान गढ़ी, पीढ़ियों को प्रेरित किया और देश को 13 ओलंपिक पदक (8 स्वर्ण सहित) दिलाए।

शुभारंभ समारोह और प्रमुख हस्तियाँ

उद्घाटन समारोह में देश के नामचीन हॉकी दिग्गज और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे —

  • दिलीप तिर्की – हॉकी इंडिया अध्यक्ष व पूर्व भारतीय कप्तान

  • जफर इकबाल, जगबीर सिंह, अशोक कुमार – ओलंपियन और वरिष्ठ खिलाड़ी

  • डॉ. मनसुख मांडविया – केंद्रीय खेल मंत्री, जिन्होंने इस पहल की आधिकारिक घोषणा की

दिलीप तिर्की ने कहा —

“भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होना हमारे लिए गर्व और भावनाओं का क्षण है। यह उत्सव हमारे गौरवशाली अतीत का सम्मान करता है और नई पीढ़ी को इस विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।”

राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव योजना

  • शताब्दी समारोह के अंतर्गत 500 जिलों में एकसाथ 1,000 से अधिक हॉकी मैच आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 36,000 से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे।
  • प्रत्येक जिले में एक पुरुष और एक महिला मैच आयोजित होगा — खेल में लैंगिक समानता और समावेशन का प्रतीक।

अन्य प्रमुख पहलें —

  • स्मारक ग्रंथ “100 Years of Indian Hockey” – भारतीय हॉकी की यात्रा और ऐतिहासिक क्षणों का दस्तावेज़।

  • फोटो प्रदर्शनी (ध्यानचंद स्टेडियम) – 1928 एम्स्टर्डम से लेकर टोक्यो 2020 तक के ओलंपिक पलों का संग्रह।

  • ट्रॉफी यात्रा (Trophy Tour)FIH जूनियर पुरुष हॉकी विश्वकप 2025 की ट्रॉफी पूरे देश में प्रदर्शित की जाएगी।
    यह टूर्नामेंट पहली बार तमिलनाडु (28 नव.–11 दिस.) में आयोजित होगा, जिसमें 24 टीमें भाग लेंगी।

भारतीय हॉकी – स्वर्ण अक्षरों में अंकित विरासत

भारत की विश्व हॉकी पर प्रभुत्व की मिसाल बेजोड़ है —

  • पहला ओलंपिक स्वर्ण: 1928 (एम्स्टर्डम)

  • कुल ओलंपिक स्वर्ण: 8

  • अंतिम ओलंपिक पदक: कांस्य (टोक्यो 2020)

  • अंतिम विश्वकप विजय: 1975 (कुआलालंपुर)

  • प्रमुख खिलाड़ी: मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर, धनराज पिल्लै, सरदार सिंह

भारत में दर्ज पहला प्रतिस्पर्धी हॉकी मैच 1905 में बंगाल में खेला गया था, जिसने आने वाले स्वर्ण युग की नींव रखी।

सरकारी समर्थन और जमीनी स्तर पर प्रोत्साहन

भारत में हॉकी को “प्राथमिक खेल” का दर्जा प्राप्त है, जिसे कई राष्ट्रीय योजनाओं से सशक्त बनाया गया है —

  • TOPS (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम)

  • TAGG (टारगेट एशियन गेम्स ग्रुप)

  • ASMITA हॉकी लीग – जूनियर और सब-जूनियर लड़कियों को इस खेल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना

खेल मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण, विदेशी दौरों और उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए नकद प्रोत्साहन की भी व्यवस्था की गई है। इस सक्रिय सरकारी सहयोग से भारत की पुरुष और महिला हॉकी दोनों टीमों ने विश्व स्तर पर नई पहचान बनाई है।

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