Oscar में स्टंट कार्य के लिए नया पुरस्कार श्रेणी जोड़ी गई

द अकैडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज़ ने ऑस्कर पुरस्कारों की संरचना में एक ऐतिहासिक और बहुप्रतीक्षित बदलाव की आधिकारिक घोषणा की है। सन् 2028 में आयोजित होने वाले 100वें ऑस्कर से एक नई श्रेणी – “सर्वश्रेष्ठ स्टंट डिज़ाइन” की शुरुआत की जाएगी, जिसका उद्देश्य फिल्मों में स्टंट कलाकारों के महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देना है। यह निर्णय सिनेमा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है, जो वर्षों से चल रहे प्रयासों और फिल्म उद्योग के कई दिग्गजों की वकालत का परिणाम है। यह नई श्रेणी उन स्टंट कलाकारों के लिए एक बड़ी जीत है, जिन्हें अब तक अकैडमी के पारंपरिक पुरस्कार ढांचे में नजरअंदाज़ किया जाता रहा था। यह बदलाव न केवल स्टंट कार्य की बढ़ती पहचान को दर्शाता है, बल्कि आने वाले समय में फिल्म उद्योग पर इसके गहरे और सकारात्मक प्रभाव पड़ने की भी संभावना है।

मुख्य बिंदु :

  • नई श्रेणी
    ऑस्कर पुरस्कारों में 2027 में रिलीज़ होने वाली फिल्मों के लिए “सर्वश्रेष्ठ स्टंट डिज़ाइन” की नई श्रेणी जोड़ी जाएगी।
    यह बदलाव ऑस्कर के 100वें संस्करण को चिह्नित करता है।

  • वकालत और समर्थन
    यह निर्णय वर्षों की वकालत के बाद आया है, जिसमें डेविड लीच (पूर्व स्टंटमैन और Deadpool 2, Bullet Train, The Fall Guy के निर्देशक) और अनुभवी स्टंट कोऑर्डिनेटर क्रिस ओ’हारा ने प्रमुख भूमिका निभाई।
    इन्होंने मिलकर यह प्रस्ताव अकादमी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सामने रखा, जिससे इसे मंजूरी मिली।

  • ऐतिहासिक महत्व
    स्टंट कार्य सिनेमा की शुरुआत से ही फिल्म निर्माण का अभिन्न हिस्सा रहा है, लेकिन अब तक इसे अकादमी द्वारा औपचारिक मान्यता नहीं दी गई थी।
    इस नई श्रेणी से यह स्पष्ट होता है कि फिल्म निर्माण एक सामूहिक प्रयास है।

  • उद्योग का समर्थन
    John Wick सीरीज़ के प्रसिद्ध निर्देशक चाड स्टाहेल्स्की ने इस बदलाव का स्वागत किया।
    उन्होंने स्टंट टीमों को मान्यता देने के अकादमी के निर्णय की सराहना की, और बताया कि यादगार एक्शन दृश्य टीम के सहयोग से ही संभव होते हैं।

  • स्टंट समुदाय पर प्रभाव
    स्टंटमैन एसोसिएशन के अध्यक्ष जेफ़ वोल्फ ने इस निर्णय को स्टंट समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया।
    इस श्रेणी से स्टंट दृश्यों में शामिल नवाचार, रचनात्मकता और परिश्रम को उचित मान्यता मिलेगी।

  • जन प्रतिक्रिया
    इस घोषणा पर अभिनेताओं, प्रशंसकों और समीक्षकों की ओर से ज़बरदस्त समर्थन देखा गया।
    इस चर्चा ने जैकी चैन जैसे महान स्टंट कलाकारों के योगदान को पहचान दिलाने की मांग को भी बल दिया है।

  • आगामी कदम
    2027 के ऑस्कर नियम पुस्तिका में इस नई श्रेणी के लिए मानदंड और मतदान नियम स्पष्ट किए जाएंगे।
    पुरस्कार प्रस्तुति का सटीक प्रारूप अभी तय नहीं किया गया है।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? 2027 में होने वाले 100वें अकादमी पुरस्कारों में “सर्वश्रेष्ठ स्टंट डिज़ाइन” श्रेणी की घोषणा।
नई श्रेणी 2028 में आयोजित होने वाले ऑस्कर में 2027 में रिलीज़ फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टंट डिज़ाइन की श्रेणी जोड़ी गई।
प्रमुख समर्थक निर्देशक और पूर्व स्टंटमैन डेविड लीच तथा स्टंट कोऑर्डिनेटर क्रिस ओ’हारा ने इस श्रेणी की स्थापना के लिए अभियान चलाया।
इस निर्णय का महत्व स्टंट डिज़ाइन फिल्म निर्माण का एक अहम लेकिन लंबे समय से अनदेखा पक्ष रहा है, जिसे अब आधिकारिक मान्यता मिली है।
उद्योग से सराहना John Wick के निर्देशक चाड स्टाहेल्स्की और स्टंटमेन एसोसिएशन के अध्यक्ष जेफ़ वोल्फ ने स्टंट टीमों को पहचान देने के लिए अकादमी की सराहना की।
जन प्रतिक्रिया प्रशंसकों और कलाकारों ने इस निर्णय का स्वागत किया; जैकी चैन के स्टंट कार्य को लेकर विशेष प्रशंसा हुई।
भविष्य की जानकारी इस श्रेणी के निर्देश, मतदान नियम और प्रस्तुति प्रारूप 2027 की अकादमी पुरस्कार नियम पुस्तिका में स्पष्ट किए जाएंगे।

हैदराबाद महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण पर STREE शिखर सम्मेलन 2025 की मेजबानी करेगा

हैदराबाद सिटी सिक्योरिटी काउंसिल (HCSC) महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से STREE समिट के दूसरे संस्करण की मेज़बानी की तैयारी कर रही है। यह महत्वपूर्ण आयोजन 15 अप्रैल 2025 को आयोजित होगा और इसमें समाज में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा के लिए पेशेवरों, अधिवक्ताओं और विशेषज्ञों सहित विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाया जाएगा। समिट का उद्देश्य साझा सीख, सहयोग और व्यावहारिक समाधान के ज़रिए महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर बनाना और लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन HCSC के अध्यक्ष और हैदराबाद पुलिस आयुक्त सी.वी. आनंद के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, और इसका लक्ष्य ऐसा मंच प्रदान करना है जहाँ रणनीतियों और अनुभवों का आदान-प्रदान हो सके, जो जमीनी स्तर पर प्रभाव डाल सकें।

मुख्य बिंदु 

कार्यक्रम का अवलोकन (Event Overview)
STREE समिट का आयोजन 15 अप्रैल 2025 को हैदराबाद सिटी सिक्योरिटी काउंसिल (HCSC) द्वारा किया जाएगा।
यह समिट का दूसरा संस्करण है, जो महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा पर केंद्रित है।

HCSC की भूमिका (HCSC’s Role)
सी. वी. आनंद के नेतृत्व में HCSC महिलाओं की सुरक्षा को नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए साझा सीख और सहयोग से व्यावहारिक समाधान विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहा है।

मुख्य फोकस क्षेत्र (Focus Areas)
समिट में लैंगिक समानता, महिलाओं के सामने सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ, और सम्मान एवं सशक्तिकरण की संस्कृति की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

सहयोगात्मक दृष्टिकोण (Collaborative Approach)
इस समिट में विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों — जैसे वकील, पत्रकार, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अन्य पेशेवरों — के सहयोग से महिलाओं की सुरक्षा में वास्तविक परिवर्तन लाने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

मुख्य गतिविधियाँ (Key Activities)
समिट में निम्नलिखित गतिविधियाँ होंगी:

  • समसामयिक विषयों पर पैनल चर्चा

  • प्रसिद्ध वक्ताओं द्वारा मुख्य संबोधन (Keynote addresses)

  • इंटरएक्टिव कार्यशालाएँ, जो व्यावहारिक जानकारी और समाधान प्रस्तुत करेंगी

दीर्घकालिक प्रतिबद्धता (Long-Term Commitment)
HCSC के महासचिव सी. शेखर रेड्डी के अनुसार, यह समिट लैंगिक समानता के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से स्थायी परिवर्तन लाने की दिशा में एक ठोस कदम है।

सारांश / स्थैतिक विवरण विवरण
समाचार में क्यों? हैदराबाद STREE समिट 2025 की मेज़बानी करेगा – महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित
कार्यक्रम का नाम STREE समिट 2025
कार्यक्रम की तिथि 15 अप्रैल 2025
आयोजक संस्था हैदराबाद सिटी सिक्योरिटी काउंसिल (HCSC)
मुख्य फोकस क्षेत्र महिलाओं की सुरक्षा, लैंगिक समानता, और सशक्तिकरण
मुख्य थीम साझा सीख, व्यावहारिक समाधान, सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा, और सहयोग
प्रतिभागी वकील, पत्रकार, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ, और उद्यमी
HCSC नेतृत्व अध्यक्ष: सी. वी. आनंद (हैदराबाद पुलिस आयुक्त), महासचिव: सी. शेखर रेड्डी

नीलगिरि तहर जनगणना 2025 के लिए केरल और तमिलनाडु एकजुट

एक प्रमुख संयुक्त संरक्षण प्रयास के तहत, केरल और तमिलनाडु राज्य 24 से 27 अप्रैल 2025 के बीच समानांतर नीलगिरी तहर गणना (Synchronised Nilgiri Tahr Census) आयोजित करने जा रहे हैं। यह संयुक्त अभियान एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया जा रहा है, जो नीलगिरी तहर की सबसे बड़ी ज्ञात आबादी का घर है। नीलगिरी तहर पश्चिमी घाटों की संकटग्रस्त (vulnerable) और स्थानिक (endemic) प्रजाति है।

इस व्यापक गणना अभियान में:

  • 265 से अधिक जनगणना ब्लॉक्स शामिल होंगे

  • 1,300 से अधिक टीम सदस्य भाग लेंगे

  • वैज्ञानिक तरीके जैसे:

    • कैमरा ट्रैप्स (Camera Traps)

    • मल के नमूनों का विश्लेषण (Pellet Sample Analysis)

    • बाउंडेड काउंट तकनीक (Bounded Count Technique)
      का उपयोग कर तहर की आबादी का सटीक अनुमान लगाया जाएगा।

यह पहल न केवल तहर के संरक्षण में सहायक सिद्ध होगी, बल्कि पश्चिमी घाट की जैव विविधता की सुरक्षा में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।

मुख्य विशेषताएं — नीलगिरी तहर जनगणना 2025

संयुक्त गणना की तिथियाँ: 24 से 27 अप्रैल 2025
सहयोगी राज्य: केरल और तमिलनाडु

उद्देश्य

  • एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान की 50वीं वर्षगांठ का स्मरण।

  • नीलगिरी तहर की जनसंख्या और वितरण की निगरानी व अनुमान।

जनगणना कवरेज

  • केरल: तिरुवनंतपुरम से वायनाड तक फैले 20 वन मंडलों में 89 जनगणना ब्लॉक

  • तमिलनाडु: नीलगिरी तहर के आवास क्षेत्रों में 176 जनगणना ब्लॉक

  • भागीदार: लगभग 1,300 सदस्य, जिनमें शामिल हैं —

    • प्रशिक्षित वन अधिकारी

    • वन्यजीव स्वयंसेवक

वैज्ञानिक उपकरण व विधियाँ

  • कैमरा ट्रैप्स – प्रत्यक्ष फोटोग्राफिक साक्ष्य के लिए

  • मल नमूना संग्रहण – आनुवंशिक और आहार अध्ययन हेतु

  • बाउंडेड काउंट पद्धति – जनसंख्या अनुमान के लिए

प्रमुख अधिकारी

  • प्रमोद पी.पी., फील्ड डायरेक्टर, पेरियार टाइगर रिज़र्व – केरल में संचालन समन्वयक

प्रजाति की जानकारी

  • नीलगिरी तहर: एक संकटग्रस्त (वुल्नरेबल) पर्वतीय खुरधारी प्रजाति

  • स्थानिकता: केवल पश्चिमी घाट में पाई जाती है

  • प्रमुख आवास: एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (मुन्नार के पास)

पारिस्थितिक महत्व

  • नीलगिरी तहर उच्च ऊंचाई के पारिस्थितिकी तंत्र की स्वास्थ्य संकेतक प्रजाति है।

  • इसका संरक्षण पर्वतीय जैव विविधता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सारांश / स्थैतिक विवरण विवरण
समाचार में क्यों? केरल और तमिलनाडु ने नीलगिरि तहर जनगणना 2025 के लिए हाथ मिलाया है
घटना संयुक्त नीलगिरि तहर जनगणना
संबंधित राज्य केरल और तमिलनाडु
जनगणना खंड केरल में 89, तमिलनाडु में 176
अवसर एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान की 50वीं वर्षगांठ
नोडल अधिकारी (केरल) प्रमोद पी.पी., फील्ड डायरेक्टर, पेरियार टाइगर रिज़र्व
कुल प्रतिभागी लगभग 1,300 (वन अधिकारी + वन्यजीव स्वयंसेवक)
उपयोग की गई विधियाँ कैमरा ट्रैप, पेलेट सैंपलिंग, बाउंडेड काउंट विधि
केरल में कवरेज 20 वन मंडल (तिरुवनंतपुरम से वायनाड तक)
महत्व नीलगिरि तहर की आबादी की निगरानी, संरक्षण प्रयासों को मजबूत करना
उल्लेखनीय प्रजाति नीलगिरि तहर (संवेदनशील, पश्चिमी घाट में स्थानिक)
मुख्य आवास एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान, मुन्नार

राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) की शुरूआत

भारत की हरित ऊर्जा महत्वाकांक्षाएं काफी हद तक उन महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता पर निर्भर करती हैं, जो सौर पैनल, पवन टर्बाइन, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी भंडारण जैसी तकनीकों के लिए अनिवार्य हैं। इन आवश्यक संसाधनों को सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने 2025 में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (National Critical Mineral Mission – NCMM) की शुरुआत की है। यह मिशन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के नेतृत्व में और खनन मंत्रालय के समन्वय में संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना, घरेलू क्षमताओं को सुदृढ़ करना, और महत्वपूर्ण खनिजों के खोज, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण के माध्यम से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल करना है।

राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) की मुख्य विशेषताएँ

मिशन के उद्देश्य

  • महत्वपूर्ण खनिजों की दीर्घकालिक उपलब्धता सुनिश्चित करना

  • घरेलू खोज (exploration) को सक्षम बनाना और आयात पर निर्भरता कम करना

  • विदेशी संपत्तियों के अधिग्रहण हेतु रणनीतिक साझेदारियाँ बनाना

  • खनन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण के लिए मूल्य श्रृंखला (value chain) विकसित करना

  • नवाचार, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और कौशल विकास को बढ़ावा देना

पहचाने गए महत्वपूर्ण खनिजों की सूची

  • वर्ष 2022 में गठित समिति ने 30 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की

  • इनमें से 24 खनिजों को खनिज और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की अनुसूची I के भाग D में शामिल किया गया

  • इससे केंद्र सरकार को इन खनिजों की विशेष नीलामी अधिकार प्राप्त हुए

  • प्रमुख खनिज:
    लिथियम, कोबाल्ट, रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs), निकल, टंगस्टन, टेल्यूरियम, सिलिकॉन आदि

महत्वपूर्ण खनिजों के उपयोग

सौर ऊर्जा

  • आवश्यक खनिज: सिलिकॉन, टेल्यूरियम, इंडियम, गैलियम

  • वर्तमान उत्पादन क्षमता: 64 GW

  • पीवी (Photovoltaic) सेल निर्माण में आवश्यक

पवन ऊर्जा

  • आवश्यक खनिज: डिस्प्रोसियम, नियोडिमियम (REEs)

  • लक्ष्य: 2030 तक 140 GW (वर्तमान ~42 GW)

इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)

  • आवश्यक खनिज: लिथियम, निकल, कोबाल्ट

  • लक्ष्य: 6–7 मिलियन EVs का उपयोग (NEMMP लक्ष्य के अंतर्गत)

ऊर्जा भंडारण

  • आवश्यक खनिज: लिथियम, कोबाल्ट, निकल

  • उपयोग: ग्रिड स्केल लिथियम-आयन बैटरी में

रणनीतिक खनिज भंडारण

  • 5 प्रमुख खनिजों के लिए रणनीतिक भंडार की स्थापना की जा रही है

मिशन के रणनीतिक घटक

खोज अभियान (Exploration Drive)

  • 2024-25 में 195 नई परियोजनाएँ, जिनमें से 35 राजस्थान में

  • 100+ महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक्स की नीलामी प्रस्तावित

  • समुद्री क्षेत्रों में बहु-धात्विक नोड्यूल्स (Co, Ni, Mn, REEs) की खोज

  • UNFC वर्गीकरण और MEMC नियम, 2015 का उपयोग

त्वरित सुधार (Fast-track Reforms)

  • निजी कंपनियों के लिए एक्सप्लोरेशन लाइसेंस (EL) की शुरुआत

  • द्वितीयक स्रोतों (जैसे फ्लाई ऐश, रेड मड) से पुनर्प्राप्ति के लिए प्रोत्साहन व रियायतें

वैश्विक संपत्ति अधिग्रहण (Global Asset Acquisition)

  • KABIL (खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड) के माध्यम से:

    • अर्जेंटीना की CAMYEN SE के साथ समझौता: 15,703 हेक्टेयर लिथियम ब्लॉक

    • ऑस्ट्रेलिया के क्रिटिकल मिनरल्स ऑफिस के साथ समझौता ज्ञापन (MoU)

  • विदेश मंत्रालय (MEA) के सहयोग से रणनीतिक कूटनीति

  • निजी और सार्वजनिक कंपनियों को वित्तपोषण और दिशानिर्देश प्रदान करना

घरेलू उद्योग को बढ़ावा (Domestic Industry Boost)

  • IREL (इंडिया) लिमिटेड:

    • इल्मेनाइट, ज़िरकोन, गार्नेट और रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उत्पादन

    • ओडिशा में रेयर अर्थ निष्कर्षण संयंत्र, केरल में रिफाइनिंग यूनिट

    • ₹1,462.5 करोड़ का कारोबार (FY 2021–22)

जापान ने रिकॉर्ड समय में दुनिया का पहला 3डी-प्रिंटेड ट्रेन स्टेशन बनाया

एक उल्लेखनीय इंजीनियरिंग उपलब्धि के तहत, वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (JR वेस्ट) ने दुनिया का पहला 3D प्रिंटेड रेलवे स्टेशन बनाया है, जिसे वाकायामा प्रीफेक्चर के अरिदा सिटी में मात्र छह घंटे से भी कम समय में स्थापित किया गया। इस स्टेशन का नाम हात्सुशिमा स्टेशन है और यह 1948 से सेवा दे रहे एक पुराने लकड़ी के स्टेशन की जगह लेता है। यह परियोजना सार्वजनिक अवसंरचना में 3D प्रिंटिंग की क्रांतिकारी संभावनाओं को दर्शाती है। इस स्टेशन का निर्माण जापान की निर्माण प्रौद्योगिकी कंपनी Serendix द्वारा बनाए गए पूर्वनिर्मित घटकों से किया गया, जिससे निर्माण का समय महीनों से घटकर कुछ घंटों में आ गया। यह परियोजना लागत-कटौती, श्रम की बचत और सेवाओं में न्यूनतम विघटन जैसे लाभ भी प्रदान करती है। जापान में बढ़ती बुजुर्ग आबादी और श्रमिकों की कमी को देखते हुए, ऐसी नवाचारी पहलें ग्रामीण अवसंरचना विकास को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

3D प्रिंटेड स्टेशन परियोजना की प्रमुख विशेषताएं 

परियोजना का अवलोकन 

  • स्थान: अरिदा सिटी, वाकायामा प्रीफेक्चर, जापान

  • स्टेशन का नाम: हात्सुशिमा स्टेशन

  • निर्माता: वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (JR वेस्ट)

  • निर्माण साझेदार: सेरेन्डिक्स (Serendix), एक 3D कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी फर्म

निर्माण की प्रमुख उपलब्धियाँ 

  • पूरा स्टेशन 6 घंटे से कम समय में असेंबल किया गया।

  • निर्माण का कार्य रात 11:57 बजे आखिरी ट्रेन के बाद शुरू हुआ और सुबह 5:45 बजे पहली ट्रेन से पहले पूरा हो गया।

  • पूर्वनिर्मित घटकों को कुमामोटो प्रीफेक्चर की फैक्ट्री में 7 दिनों तक 3D प्रिंट कर कंक्रीट से मजबूत किया गया।

परिवहन और असेंबली 

  • सभी घटकों को क्यूशू द्वीप से 804 किमी सड़क मार्ग द्वारा अरिदा तक पहुंचाया गया।

  • क्रेन की मदद से रातभर में सटीक तरीके से सभी हिस्सों को जोड़ा गया।

  • पूरे ढांचे का क्षेत्रफल 100 वर्ग फुट से थोड़ा अधिक है।

स्टेशन का इतिहास 

  • पुराना स्टेशन भवन 1948 में बना था।

  • 2018 से स्टेशन स्वचालित है और लगभग 530 यात्री प्रतिदिन इसका उपयोग करते हैं।

  • लाइन पर प्रति घंटे 1 से 3 बार ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं।

चल रहे कार्य 

  • संरचनात्मक असेंबली पूरी हो चुकी है, पर टिकट मशीनों और IC कार्ड रीडरों की अंतिम स्थापना जारी है।

  • स्टेशन के जुलाई 2025 में चालू होने की योजना है।

नवाचार और प्रभाव 

  • पारंपरिक निर्माण में 2 महीने से अधिक का समय और दोगुनी लागत लगती।

  • ट्रेन सेवाओं में बाधा नहीं डालते हुए रातों-रात निर्माण संभव हुआ।

  • श्रम और स्टाफिंग की आवश्यकता कम—जापान की बुजुर्ग होती आबादी और कमी होती कार्यबल को ध्यान में रखते हुए।

  • ग्रामीण अवसंरचना में 3D प्रिंटिंग के भविष्य की संभावनाएं उजागर।

जनता की प्रतिक्रिया 

  • निर्माण देखने के लिए दर्जनों स्थानीय लोग जमा हुए।

  • इस तकनीकी नवाचार और गति के लिए परियोजना को मीडिया में व्यापक सराहना मिली।

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? जापान ने रिकॉर्ड समय में दुनिया का पहला 3D प्रिंटेड ट्रेन स्टेशन बनाया
परियोजना विश्व का पहला 3D प्रिंटेड ट्रेन स्टेशन
स्थान हात्सुशिमा स्टेशन, अरिदा सिटी, वाकायामा प्रीफेक्चर, जापान
निर्माता वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (JR वेस्ट)
निर्माण साझेदार सेरेन्डिक्स (Serendix)
ऑन-साइट निर्माण समय 6 घंटे से कम
ऑफ-साइट कार्य कुमामोटो में 7 दिनों में घटकों का प्रिंटिंग और मजबूतीकरण
घटकों की परिवहन दूरी लगभग 804 किलोमीटर
असेंबली समय रात 11:57 बजे (आखिरी ट्रेन के बाद) से सुबह 5:45 बजे (पहली ट्रेन से पहले)
दैनिक यात्री संख्या लगभग 530 यात्री प्रतिदिन
संरचना का आकार 100 वर्ग फीट से थोड़ा अधिक
महत्त्व श्रमिकों की कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुशल और स्केलेबल मॉडल

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को स्लोवाकिया में मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को स्लोवाकिया और पुर्तगाल की चार दिवसीय राजकीय यात्रा के अंतिम दिन स्लोवाकिया के नित्रा शहर स्थित कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें उनके उल्लेखनीय सार्वजनिक सेवा कार्य, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता, तथा शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के समर्थन के लिए प्रदान किया गया। यह सम्मान भारत की वैश्विक नेतृत्व में बढ़ती प्रतिष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों एवं समावेशी शासन के प्रतिनिधित्व में राष्ट्रपति मुर्मू की अद्वितीय भूमिका को दर्शाता है।

कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ 

सम्मान प्रदान करने वाला संस्थान:
कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी, नित्रा, स्लोवाकिया

अवसर:
राष्ट्रपति मुर्मू की स्लोवाकिया और पुर्तगाल की चार दिवसीय राजकीय यात्रा का अंतिम दिन

प्रदान किया गया सम्मान:
मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate)

सम्मान दिए जाने का कारण

  • सार्वजनिक सेवा और शासन में विशिष्ट करियर

  • सामाजिक न्याय और समावेशन के लिए समर्थन

  • शिक्षा और महिला सशक्तिकरण में योगदान

  • सांस्कृतिक और भाषायी विविधता (विशेष रूप से संथाली भाषा की मान्यता) की दिशा में कार्य

राष्ट्रपति मुर्मू के भाषण की मुख्य बातें

  • उन्होंने यह सम्मान भारत के 1.4 अरब नागरिकों को समर्पित किया

  • यह सम्मान संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय से प्राप्त कर विशेष कृतज्ञता व्यक्त की

  • भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को संरक्षित करने की दिशा में अपने आजीवन कार्य को रेखांकित किया

  • शिक्षा के व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास में महत्व को उजागर किया

कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी के बारे में

  • विश्वविद्यालय का नाम संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल पर रखा गया है, जो स्लोवाक इतिहास और स्लाव सांस्कृतिक विरासत के प्रमुख व्यक्ति थे

  • स्थित: नित्रा, स्लोवाकिया का एक प्राचीन शहर (~870 ईस्वी में स्थापित)

  • इसमें 5 संकाय (faculties) और कुल 7,029 छात्र हैं, जिनमें 400 अंतरराष्ट्रीय छात्र भी शामिल हैं

  • यह विश्वविद्यालय उन लोगों को मानद डिग्रियाँ प्रदान करता है जिन्होंने:

    • शिक्षा, विज्ञान या संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो

    • लोकतंत्र, मानवतावाद और अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ावा दिया हो

पूर्व में सम्मानित हस्ती:
ब्राज़ील के पूर्व राष्ट्रपति फ़र्नांडो हेनरिक कार्डोसो (2002)

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को स्लोवाकिया में मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया
सम्मान मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate)
सम्मान प्राप्तकर्ता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
सम्मान प्रदान करने वाला संस्थान कॉन्स्टैंटाइन द फिलॉसॉफर यूनिवर्सिटी, नित्रा, स्लोवाकिया
अवसर स्लोवाकिया और पुर्तगाल की राजकीय यात्रा का अंतिम दिन
सम्मान का कारण सार्वजनिक सेवा, शासन, सामाजिक न्याय, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण
संस्कृतिक योगदान संथाली भाषा और भारत की सांस्कृतिक-भाषायी विविधता का समर्थन
विश्वविद्यालय की विरासत संत कॉन्स्टैंटाइन सिरिल के नाम पर; मानवतावाद को बढ़ावा देने वाले को सम्मानित करता है
मुर्मू के भाषण की मुख्य बातें शिक्षा को सशक्तिकरण का माध्यम बताया, नई शिक्षा नीति (NEP) का उल्लेख, वैश्विक सहयोग का आह्वान, भारत को समर्पण
पूर्व सम्मानित व्यक्ति फर्नांडो हेनरिक कार्डोसो (2002)
शहर की जानकारी नित्रा: “स्लोवाक शहरों की जननी”, स्थापना ~870 ईस्वी

पहली पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) रिपोर्ट जारी

स्थानीय शासन को मूल्यांकित करने और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत, पंचायती राज मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2022–23 के लिए पहली बार पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) की बेसलाइन रिपोर्ट जारी की है। यह इंडेक्स 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक डेटा-आधारित रूपरेखा प्रदान करता है, जो स्थानीयकृत सतत विकास लक्ष्यों (LSDG) के नौ विषयों पर आधारित है। यह अग्रणी कदम पंचायत स्तर पर तथ्यों पर आधारित योजना निर्माण और विकासात्मक जवाबदेही को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। गुजरात और तेलंगाना ने सबसे अधिक “फ्रंट रनर” पंचायतों के साथ नेतृत्व किया है, जो मजबूत ग्रामीण शासन और प्रगति का संकेत है।

PAI का उद्देश्य

  • ग्राम पंचायतों के विकासात्मक प्रदर्शन को मापना

  • जमीनी स्तर पर डेटा आधारित योजना और निर्णय प्रक्रिया को बढ़ावा देना

  • प्रतिस्पर्धात्मक और समावेशी ग्रामीण शासन को प्रोत्साहित करना

आवरण और डेटा सत्यापन

  • कुल ग्राम पंचायतें: 2,55,699

  • सत्यापित डेटा वाली पंचायतें: 2,16,285

  • डेटा सत्यापन: संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा

  • बिना सत्यापन वाले राज्य/UT: मेघालय, नागालैंड, गोवा, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल

प्रदर्शन वर्गीकरण (सत्यापित डेटा के आधार पर)

  • फ्रंट रनर: 699 पंचायतें (0.3%)

  • परफ़ॉर्मर: 77,298 पंचायतें (35.8%)

  • आस्पिरेंट: 1,32,392 पंचायतें (61.2%)

  • बिगिनर्स: 5,896 पंचायतें (2.7%)

  • अचीवर्स: 0 (पहले राउंड में कोई भी पंचायत इस स्तर पर नहीं पहुँची)

शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य (फ्रंट रनर पंचायतें)

  • गुजरात: 346 पंचायतें

  • तेलंगाना: 270 पंचायतें

  • अन्य: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश

अधिकतर ‘आस्पिरेंट’ पंचायतें वाले राज्य

  • बिहार

  • छत्तीसगढ़

  • आंध्र प्रदेश

मूल्यांकन रूपरेखा

  • 9 LSDG थीम्स पर आधारित

  • 435 प्रदर्शन संकेतक, राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (NIF) से लिए गए — विकसित: MoSPI (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय)

9 LSDG थीम्स

  1. गरीबी मुक्त और आजीविका युक्त पंचायत

  2. स्वस्थ पंचायत

  3. बाल-मित्र पंचायत

  4. जल-पर्याप्त पंचायत

  5. स्वच्छ और हरित पंचायत

  6. आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा

  7. सामाजिक सुरक्षा वाली पंचायत

  8. सुशासित पंचायत

  9. महिला-मित्र पंचायत

डेटा संग्रह की प्रक्रिया

  • बहुभाषी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से: www.pai.gov.in

PAI का महत्व

  • पंचायत स्तर पर विकास की खामियों की पहचान

  • रणनीतिक विकास योजना (SDP) बनाने में सहायक

  • पंचायतों में प्रतिस्पर्धी भावना को बढ़ावा

  • राज्य और राष्ट्रीय नीति-निर्धारण में सहयोग

ADB ने वित्त वर्ष 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.7% की वृद्धि का अनुमान लगाया

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद लचीलेपन के साथ वृद्धि दर्ज कर रही है। एशियाई विकास आउटलुक (ADO) अप्रैल 2025 के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान है, जिसका मुख्य कारण घरेलू मांग में वृद्धि, ग्रामीण आय में सुधार, और मुद्रास्फीति में नरमी है। एशियाई विकास बैंक (ADB) का मानना है कि यह वृद्धि की गति वित्त वर्ष 2026 में भी बनी रहेगी, और GDP वृद्धि दर 6.8% रहने की संभावना है। इसका समर्थन अनुकूल राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों से होगा। हालाँकि, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वैश्विक व्यापार चुनौतियों और नीतिगत अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए अपना अनुमान थोड़ा घटाकर 6.5% कर दिया है।

मुख्य बिंदु और विश्लेषण

1. आर्थिक पूर्वानुमान

  • एडीबी (ADB) का अनुमान:

    • वित्त वर्ष 2025 में GDP वृद्धि: 6.7%

    • वित्त वर्ष 2026 में GDP वृद्धि: 6.8%

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का संशोधित अनुमान:

    • FY25 के लिए GDP वृद्धि: 6.7% से घटाकर 6.5%

2. वृद्धि के प्रमुख कारक

  • घरेलू मांग

    • ग्रामीण आय में वृद्धि के कारण उपभोग में तेजी

    • शहरी मध्यम वर्ग और समृद्ध परिवारों द्वारा अधिक खर्च

  • मुद्रास्फीति

    • FY26 में 4.3% तक घटने की संभावना

    • FY27 तक और गिरकर 4% पर आने की उम्मीद

    • उपभोक्ता भावना और विश्वास को मिलेगा बल

  • नीतिगत उपाय

    • मध्यम वर्ग के लिए आयकर दरों में कटौती

    • रेपो दर में 50 आधार अंक की कटौती (अब 6%)

3. क्षेत्रीय दृष्टिकोण (सेक्टोरल आउटलुक)

  • सेवा क्षेत्र (Services Sector)

    • वृद्धि का मुख्य इंजन बना रहेगा

    • व्यापार सेवाओं के निर्यात, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से बढ़त

  • कृषि क्षेत्र

    • FY25 में मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद

    • रबी फसल (गेहूं, दालें) की बुआई से समर्थन

  • उद्योग / विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing)

    • FY24–25 में धीमे प्रदर्शन के बाद सुधार की संभावना

    • नियामक सुधारों से मजबूती मिलेगी

4. निवेश और बुनियादी ढाँचा

  • शहरी बुनियादी ढाँचा

    • ₹10,000 करोड़ (USD 1.17 बिलियन) के नए सरकारी फंड द्वारा समर्थित

  • निजी निवेश

    • अल्पकालिक चुनौतियाँ: वैश्विक अनिश्चितताएँ

    • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: उधार दरों में गिरावट और सुधारों से सकारात्मक रुख

5. जोखिम के कारक

  • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ

    • अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मंदी

    • अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर नए टैरिफ

    • वस्तुओं की कीमतों में संभावित वृद्धि

  • नरमी के उपाय (Mitigating Factors)

    • भारत की मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक नींव

    • आगे मौद्रिक नीति में राहत की संभावना

ADB द्वारा अस्वीकरण 

  • पूर्वानुमान 2 अप्रैल से पहले तैयार किए गए थे

  • नए अमेरिकी टैरिफ को इसमें शामिल नहीं किया गया

  • ADO अप्रैल 2025 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर टैरिफ के प्रभाव का क्षेत्रीय विश्लेषण शामिल है

सारांश/स्थैतिक विवरण विवरण (हिंदी में)
समाचार में क्यों? एडीबी ने FY2025 में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.7% की वृद्धि का अनुमान लगाया है
GDP पूर्वानुमान (ADB) 6.7% (FY25), 6.8% (FY26)
GDP पूर्वानुमान (RBI) FY25 के लिए 6.7% से घटाकर 6.5% किया गया
मुद्रास्फीति दर FY26 में 4.3%, FY27 में गिरकर 4% होने का अनुमान
वृद्धि के प्रमुख कारक घरेलू मांग, ग्रामीण आय में वृद्धि, कर राहत, मुद्रास्फीति में नरमी
नीतिगत उपाय आयकर में कटौती, रेपो दर घटाकर 6%
रेपो दर में कटौती दो बैठकों में कुल 50 आधार अंक (bps) की कटौती (हाल में 25 bps कटौती)
वृद्धि के लिए प्रमुख क्षेत्र सेवा क्षेत्र (निर्यात, शिक्षा, स्वास्थ्य), कृषि, विनिर्माण
बुनियादी ढांचे में निवेश शहरी विकास के लिए ₹10,000 करोड़ का विशेष कोष
पहचाने गए जोखिम अमेरिका द्वारा टैरिफ, वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, वैश्विक अनिश्चितताएँ
नरमी के उपाय मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति, नीतिगत लचीलापन
पूर्वानुमान अस्वीकरण ये अनुमान 2 अप्रैल से पहले बनाए गए हैं; अमेरिका द्वारा हाल के टैरिफ शामिल नहीं

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2025: तिथि, थीम, महत्व और चुनौतियाँ

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस हर वर्ष 11 अप्रैल को भारत में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व स्वास्थ्य सेवा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है।

यह दिन कस्तूरबा गांधी की जयंती को चिन्हित करता है, जो महात्मा गांधी की पत्नी थीं। यह उनके सम्मान में मनाया जाता है और यह दर्शाता है कि हर महिला को सम्मानपूर्वक, समुचित और समय पर स्वास्थ्य सेवा मिलनी चाहिए।

हालाँकि भारत ने मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) को कम करने में काफी प्रगति की है, फिर भी ग्रामीण, जनजातीय और वंचित समुदायों की कई महिलाएँ आज भी गुणवत्तापूर्ण और समय पर देखभाल से वंचित हैं

इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है:

  • नीति-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए

  • सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए

  • और सुरक्षित मातृत्व की आवश्यकता को समाज के हर हिस्से तक पहुँचाने के लिए।

यह दिन सुरक्षित मातृत्व को एक अधिकार के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में एक सशक्त पहल है।

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस

मुख्य उद्देश्य 

  • मातृत्व स्वास्थ्य, अधिकारों और प्रजनन देखभाल के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना

  • गर्भावस्था से लेकर प्रसव और प्रसवोत्तर तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना

  • सुरक्षित प्रसव और हस्तक्षेप के ज़रिए मातृ मृत्यु दर को रोकना

  • कुपोषण से लड़ना, जो गर्भवती महिलाओं और भ्रूण विकास को प्रभावित करता है

  • स्वास्थ्य साक्षरता और प्रजनन निर्णय क्षमता के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना

  • हर प्रसव में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की उपस्थिति को बढ़ावा देना

2025 की थीम 

“स्वस्थ शुरुआतें, आशावान भविष्य”
उद्देश्य: गर्भावस्था की शुरुआत से ही सुलभ और गुणवत्तापूर्ण मातृत्व देखभाल को बढ़ावा देना ताकि माँ और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित किए जा सकें।

इतिहास 

  • 2003 में व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (WRAI) द्वारा शुरू किया गया

  • कस्तूरबा गांधी की 90वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है

  • कस्तूरबा गांधी ने महिलाओं और बच्चों के जीवन सुधार के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी

  • इसका उद्देश्य है मातृ मृत्यु दर को कम करना और महिलाओं के प्रजनन अधिकारों की वकालत करना

सुरक्षित मातृत्व के 5 स्तंभ 

  1. परिवार नियोजन – योजनाबद्ध गर्भधारण और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच

  2. गर्भावस्था देखभाल – माँ और भ्रूण की नियमित स्वास्थ्य जांच

  3. प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की उपस्थिति – प्रत्येक प्रसव में कुशल चिकित्सकीय निगरानी

  4. आपातकालीन देखभाल – प्रसव के समय जटिलताओं में तुरंत चिकित्सा सहायता

  5. प्रसवोत्तर देखभाल – प्रसव के बाद माँ और नवजात के स्वास्थ्य का ध्यान रखना

भारत में सुरक्षित मातृत्व की चुनौतियाँ 

  • ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं

  • प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी, जिससे प्रसव में जटिलताएँ बढ़ती हैं

  • गरीबी और कुपोषण, जो गर्भावस्था को जोखिम में डालते हैं

  • सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाएं, जो स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में अड़चन बनती हैं

  • स्वास्थ्य जागरूकता की कमी, खासकर मातृत्व और बाल देखभाल में

  • आपातकालीन प्रसूति देखभाल की अनुपलब्धता

  • प्रसवोत्तर उपेक्षा, जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और संक्रमण

सरकारी पहल 

  • जननी सुरक्षा योजना (JSY) – संस्थागत प्रसव के लिए आर्थिक सहायता

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) – निःशुल्क गर्भावस्था जांच

  • पोशन अभियान – मातृ और बाल पोषण पर ध्यान

  • लक्ष्य (LaQshya) – प्रसव कक्षों और मातृत्व ऑपरेशन थिएटरों की गुणवत्ता सुधार

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) – ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना

  • मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (MCTS) – गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की निगरानी

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का महत्व 

  • मातृत्व स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में स्थापित करता है

  • सरकार, नागरिक समाज और समुदायों के सहयोग की माँग करता है

  • महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों में निवेश को प्रोत्साहित करता है

  • स्थायी विकास को बढ़ावा देता है – स्वस्थ माँ, स्वस्थ राष्ट्र

आगे का रास्ता – समग्र दृष्टिकोण 

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) को मजबूत बनाना

  • गुणवत्ता आश्वासन – सम्मानजनक और वैज्ञानिक-आधारित देखभाल

  • मानसिक स्वास्थ्य का समावेश, विशेषकर प्रसवोत्तर अवसाद के लिए

  • सामुदायिक सहभागिता – परिवारों और स्थानीय नेताओं की भूमिका

  • तकनीक का प्रयोग – टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य सेवाएं

  • किशोरियों पर ध्यान – यौन व प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा

  • डाटा-आधारित नीतियाँ – योजनाओं और सेवाओं को प्रभावी बनाना

मातृत्व स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अंतरविभागीय कारक 

  • जाति और जातीयता – वंचित महिलाएं भेदभाव का सामना करती हैं

  • भौगोलिक असमानताएं – ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन व सुविधाएं नहीं

  • कम साक्षरता दर – जागरूकता और निर्णय क्षमता प्रभावित होती है

  • आर्थिक सीमाएं – गरीब महिलाओं के लिए पोषण व देखभाल कठिन

  • लैंगिक भेदभाव – निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं

  • जलवायु परिवर्तन – प्राकृतिक आपदाएं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बाधित करती हैं

सारांश / स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2025: तिथि, थीम, महत्व, चुनौतियाँ
तिथि 11 अप्रैल (हर वर्ष)
महत्व कस्तूरबा गांधी की जयंती; मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना
आरंभकर्ता व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (WRAI), वर्ष 2003 में
2025 की थीम “स्वस्थ शुरुआतें, आशावान भविष्य”
थीम का फोकस गर्भावस्था की शुरुआत से सुलभ और गुणवत्तापूर्ण मातृत्व देखभाल सुनिश्चित करना
मुख्य उद्देश्य जागरूकता, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच, मातृ मृत्यु दर की रोकथाम, कुपोषण से लड़ना, महिलाओं को सशक्त बनाना, प्रशिक्षित प्रसव सहायता को बढ़ावा देना
सुरक्षित मातृत्व के 5 स्तंभ परिवार नियोजन, प्रसवपूर्व देखभाल, पेशेवर प्रसव सहायता, आपातकालीन देखभाल, प्रसवोत्तर देखभाल
चुनौतियाँ सीमित पहुँच, प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, गरीबी, कुपोषण, सामाजिक बाधाएँ, कम जागरूकता, आपातकालीन/प्रसवोत्तर देखभाल की कमी
सरकारी पहल जननी सुरक्षा योजना (JSY), प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA), पोषण अभियान, लक्ष्य (LaQshya), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (MCTS)
महत्त्व मातृत्व स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में प्रस्तुत करता है, सहयोग को प्रोत्साहित करता है, स्वास्थ्य में निवेश को बढ़ावा देता है, सतत विकास से जुड़ा हुआ है

 

World Parkinson Day 2025: क्यों मनाया जाता है विश्व पार्किंसन दिवस?

हर वर्ष 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसन दिवस (World Parkinson’s Day) मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य पार्किंसन रोग, एक प्रगतिशील तंत्रिका-अपक्षयी विकार (progressive neurodegenerative disorder), के बारे में जागरूकता फैलाना है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।

इस दिवस की शुरुआत 1997 में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर पार्किंसन डिज़ीज़ (European Association for Parkinson’s Disease) द्वारा की गई थी। यह दिन डॉ. जेम्स पार्किंसन को समर्पित है, जिन्होंने 1817 में सबसे पहले इस रोग का वर्णन किया था

विश्व पार्किंसन दिवस 2025 के अवसर पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

  • रोग के लक्षणों, चरणों, उपचार विकल्पों के बारे में लोगों को शिक्षित करने पर

  • जल्दी निदान (early diagnosis) और जीवनशैली प्रबंधन (lifestyle management) के महत्व पर

इस दिन का एक प्रमुख प्रतीक—लाल ट्यूलिप का फूल (Red Tulip)आशा, एकता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक पार्किंसन समुदाय के साहस और सहयोग का प्रतीक है।

पार्किंसन रोग से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ 

पार्किंसन रोग क्या है?

एक प्रगतिशील तंत्रिका संबंधी विकार (Progressive Neurological Disorder) जो हिलना-डुलना, स्मृति, नींद और मूड को प्रभावित करता है।

कारण:

मस्तिष्क में डोपामिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है, विशेषकर सब्सटैंशिया नाइग्रा (Substantia Nigra) क्षेत्र में।

वैश्विक प्रभाव

  • दुनिया भर में 10 मिलियन (1 करोड़ से अधिक) लोग प्रभावित

  • भारत में लगभग 10 लाख रोगी

किसे प्रभावित करता है?

  • सबसे आम रूप से 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में

  • लगभग 10–15% मामले 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में

11 अप्रैल – इतिहास और प्रतीकवाद

ऐतिहासिक महत्व:

  • 11 अप्रैल, डॉ. जेम्स पार्किंसन की जयंती

  • 1997 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और पार्किंसन यूरोप द्वारा इसे विश्व पार्किंसन दिवस घोषित किया गया

प्रतीक:

  • लाल ट्यूलिप का फूल – पार्किंसन रोग का आधिकारिक वैश्विक प्रतीक

  • इसकी पहचान लिज़ी ग्राहम (Lizzie Graham) के प्रयासों से मिली, जो Parkinson’s Europe की सह-संस्थापक थीं

पार्किंसन रोग के लक्षण

मोटर (गतिशीलता से जुड़े) लक्षण:

  • कंपन (हाथ या अंगों का हिलना)

  • मांसपेशियों की कठोरता (Rigidity)

  • धीमी गति से चलना (Bradykinesia)

  • संतुलन की समस्या, अस्थिर मुद्रा

  • धीरे-धीरे चलना, चलने में कठिनाई

गैर-मोटर लक्षण:

  • उदासी, चिंता, चिड़चिड़ापन

  • कब्ज, मूत्र संबंधी समस्या

  • नींद की गड़बड़ी

  • संज्ञानात्मक गिरावट, स्मृति हानि

  • स्वाद और गंध की कमी

  • थकान और दर्द

पार्किंसन के चरण 

  1. प्रथम चरण – हल्के लक्षण, शरीर के एक ओर; दैनिक क्रियाएं सामान्य

  2. द्वितीय चरण – दोनों ओर प्रभाव; मुद्रा और हावभाव में बदलाव

  3. तृतीय चरण – मध्यम स्तर; संतुलन समस्याएँ, पर स्वतंत्रता बनी रहती है

  4. चतुर्थ चरण – गंभीर लक्षण; दैनिक कार्यों में सहायता आवश्यक

  5. पंचम चरण – बहुत गंभीर; व्हीलचेयर या बिस्तर पर; 24×7 देखभाल की आवश्यकता

निदान 

  • कोई एकमात्र परीक्षण नहीं

  • चिकित्सीय इतिहास, तंत्रिका जांच, लक्षणों की प्रगति पर आधारित

  • इमेजिंग परीक्षण:

    • MRI – अन्य विकारों को बाहर करने हेतु

    • DaTscan – डोपामिन गतिविधि देखने के लिए

उपचार एवं प्रबंधन

कोई पूर्ण इलाज नहीं, पर लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

सामान्य उपचार:

  • लेवोडोपा-कार्बिडोपा – सबसे प्रभावी दवा

  • डोपामिन एगोनिस्ट्स

  • MAO-B इनहिबिटर्स

  • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) – उन्नत मामलों में

जीवनशैली सहायता:

  • नियमित व्यायाम

  • संतुलित आहार

  • भौतिक और भाषण चिकित्सा

  • भावनात्मक और सामाजिक सहयोग

पार्किंसन के साथ जीवन

  • रोग प्रगतिशील होता है, लेकिन हर व्यक्ति का अनुभव अलग होता है

  • जल्दी निदान और व्यक्तिगत देखभाल योजनाओं से सार्थक जीवन संभव

  • समूह समर्थन, थैरेपी और अनुकूलन रणनीतियाँ लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं

जागरूकता बढ़ाना

विश्व पार्किंसन दिवस का उद्देश्य है:

  • सही जानकारी फैलाना

  • कलंक को समाप्त करना

  • जल्दी पहचान को प्रोत्साहित करना

  • अनुसंधान को बढ़ावा देना

  • पार्किंसन से जी रहे लोगों के साहस को सम्मान देना

2025 में Parkinson’s Europe का विशेष ज़ोर है:
“व्यायाम और गतिविधि” के महत्व पर।

विवरण जानकारी 
समाचार में क्यों? विश्व पार्किंसन दिवस 2025 – तिथि, इतिहास, लक्षणों पर जागरूकता
तिथि 11 अप्रैल 2025
स्थापना 1997 में पार्किंसन यूरोप और WHO द्वारा
किसके नाम पर? डॉ. जेम्स पार्किंसन, जिन्होंने 1817 में इस रोग का पहली बार वर्णन किया
वैश्विक प्रतीक लाल ट्यूलिप का फूल
कारण मस्तिष्क में डोपामिन उत्पन्न करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की हानि
प्रभावित जनसंख्या दुनिया में 1 करोड़+, भारत में लगभग 10 लाख लोग प्रभावित
आम आयु वर्ग 60 वर्ष से अधिक, लेकिन 10–15% मामले 50 वर्ष से कम आयु में भी
मोटर लक्षण कंपन, कठोरता, धीमी गति, मुद्रा संबंधी समस्याएँ
गैर-मोटर लक्षण स्मृति हानि, कब्ज, नींद की समस्या, मूड विकार
उपचार विकल्प दवाइयाँ (जैसे लेवोडोपा), डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS), व्यायाम, थेरेपी

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