वित्त वर्ष 2025 में भारत का फार्मा निर्यात 30 अरब डॉलर के पार

भारत की फार्मास्युटिकल उद्योग ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जहां दवा और फार्मा निर्यात पहली बार $30 अरब के पार पहुंच गया है। मार्च 2025 में 31% की वार्षिक वृद्धि ने इस लक्ष्य को पार करने में अहम भूमिका निभाई, जिससे $29.38 अरब के वार्षिक लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया गया। यह उल्लेखनीय वृद्धि वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और संभावित अमेरिकी टैरिफ जैसी चुनौतियों के बीच भी संभव हो पाई, जो सौभाग्यवश फार्मा निर्यात को प्रभावित नहीं कर सकीं। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना रहा, जबकि यूके, ब्राज़ील और फ्रांस जैसे अन्य प्रमुख बाजारों ने भी सीमित लेकिन स्थिर योगदान दिया। इस वृद्धि में ड्रग फॉर्मुलेशन्स और बायोलॉजिकल उत्पाद प्रमुख श्रेणियों के रूप में उभरे, जबकि अफ्रीका और उत्तर-पूर्वी एशिया जैसे कुछ क्षेत्रों में मामूली गिरावट दर्ज की गई।

मुख्य बिंदु

FY25 में कुल फार्मा निर्यात

  • कुल निर्यात: $30.47 अरब, जो FY24 के $27.85 अरब की तुलना में 9.39% की वृद्धि है।

  • यह FY25 के $29.38 अरब लक्ष्य से अधिक है।

मार्च 2025 की तेज़ वृद्धि

  • मार्च 2025 में निर्यात 31.21% YoY बढ़कर $3.68 अरब पहुंच गया।

  • यह पूरे वित्त वर्ष के सबसे मज़बूत महीनों में से एक रहा।

प्रमुख प्रदर्शन वाले महीने

  • जनवरी 2025: 21.47% वृद्धि

  • मई 2024: 10.63% वृद्धि

  • फरवरी 2025: इकलौता महीना जिसमें गिरावट रही (-1.52%)

उत्पाद श्रेणियां (अप्रैल–फरवरी FY25)

  • ड्रग फॉर्मुलेशंस और बायोलॉजिकल्स: $20.12 अरब (कुल का 75%+, 9% वृद्धि)

  • बल्क ड्रग्स और इंटरमीडिएट्स: $4.31 अरब (1.40% वृद्धि)

  • वैक्सीन: $1.04 अरब (4.20% की गिरावट)

  • सर्जिकल उत्पाद: $683.47 मिलियन (5.16% वृद्धि)

  • आयुष व हर्बल उत्पाद: $620.97 मिलियन (6.17% वृद्धि)

प्रमुख निर्यात बाजार

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: $8.95 अरब (14.29% वृद्धि, कुल निर्यात का लगभग 1/3 हिस्सा)

  • अन्य बाजार: यूके, ब्राज़ील, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका (साझा योगदान <10.5%)

निर्यात में गिरावट वाले बाजार

  • यूएई (-17.7%), तुर्की (-16%), श्रीलंका (-14.6%)

  • नीदरलैंड (-13.79%), चीन (-10.6%), बेल्जियम (-7.37%)

क्षेत्रीय निर्यात हिस्सेदारी

  • NAFTA (यू.एस. सहित): 36.6% हिस्सा, $9.8 अरब तक 14.06% की वृद्धि

  • यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका: प्रमुख योगदानकर्ता

  • अफ्रीका में 1.74% की गिरावट, उत्तर-पूर्व एशिया में भी गिरावट दर्ज

अमेरिकी टैरिफ की आशंका

  • ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित 26% टैरिफ की खबरों ने निर्यात को तेज़ किया

  • फार्मा उत्पादों को टैरिफ सूची से बाहर रखा गया

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों है खबरों में? FY25 में भारत का फार्मा निर्यात $30 अरब के पार पहुंचा
FY25 में कुल फार्मा निर्यात $30.47 अरब
FY24 में कुल फार्मा निर्यात $27.85 अरब
वर्ष-दर-वर्ष (YoY) वृद्धि 9.39%
FY25 का लक्ष्य $29.38 अरब
मार्च 2025 का निर्यात $3.68 अरब
मार्च 2025 में YoY वृद्धि 31.21%
शीर्ष निर्यात गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.)
अमेरिका को FY25 निर्यात $8.95 अरब
अमेरिका को निर्यात में YoY वृद्धि 14.29%
ड्रग फॉर्मुलेशंस व बायोलॉजिकल्स $20.12 अरब (+9%)
बल्क ड्रग्स व इंटरमीडिएट्स $4.31 अरब (+1.40%)
वैक्सीन निर्यात $1.04 अरब (−4.20%)
सर्जिकल उत्पादों का निर्यात $683.47 मिलियन (+5.16%)
आयुष व हर्बल उत्पादों का निर्यात $620.97 मिलियन (+6.17%)
सबसे अधिक हिस्सेदारी वाला क्षेत्र NAFTA (36.6%)
NAFTA को कुल निर्यात $9.80 अरब (+14.06%)
घटती हिस्सेदारी वाले क्षेत्र अफ्रीका (−1.74%), उत्तर-पूर्व एशिया
घटते निर्यात वाले देश UAE, तुर्की, श्रीलंका, चीन आदि
अमेरिकी टैरिफ का असर फार्मा उत्पाद 26% टैरिफ से मुक्त
टैरिफ की स्थिति 90 दिनों के लिए होल्ड पर

2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा: केंद्र सरकार

सरकार ने साफ किया है कि 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी नहीं लगेगा। वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बाद दिया है जिनमें कहा गया था कि सरकार इस पर विचार कर रही है। मंत्रालय ने कहा कि ये खबरें गलत हैं और सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के सामने नहीं है। दरअसल, कुछ दिनों से खबरें आ रही थीं कि सरकार 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की सोच रही है। इन खबरों के बाद लोगों में कंफ्यूजन फैल गया था। लोगों को लग रहा था कि अब यूपीआई से पेमेंट करना महंगा हो जाएगा।

मुख्य बिंदु 

₹2,000 से अधिक की UPI लेनदेन पर कोई GST नहीं
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ₹2,000 से अधिक की UPI लेनदेन पर GST लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

गलत रिपोर्टें
मीडिया में चल रही ऐसी खबरें पूरी तरह से निराधार और भ्रामक हैं।

P2M UPI लेनदेन पर कोई MDR नहीं
जनवरी 2020 से व्यक्ति से व्यापारी (P2M) UPI लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) समाप्त कर दिया गया है।

जहाँ MDR नहीं, वहाँ GST नहीं
GST केवल तब लागू होता है जब किसी सेवा पर शुल्क (जैसे MDR) लिया जाए; इसलिए UPI लेनदेन पर कोई GST लागू नहीं होता।

UPI का तेज़ विकास

  • वित्त वर्ष 2019–20: ₹21.3 लाख करोड़
  • वित्त वर्ष 2024–25 (मार्च तक): ₹260.56 लाख करोड़
  • सरकारी प्रतिबद्धता: डिजिटल भुगतान अवसंरचना को विस्तार देने की दिशा में सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

UPI प्रोत्साहन योजना

  • शुरुआत: वित्त वर्ष 2021–22 में
  • उद्देश्य: छोटे मूल्य के P2M UPI लेनदेन को बढ़ावा देना
  • लाभ: छोटे व्यापारियों को ट्रांजेक्शन लागत के बोझ से राहत

सरकार द्वारा प्रोत्साहन भुगतान

  • वित्त वर्ष 2022–23: ₹2,210 करोड़
  • वित्त वर्ष 2023–24: ₹3,631 करोड़
  • फोकस: यह योजना छोटे व्यापारियों, वित्तीय समावेशन और डिजिटल नवाचार को जमीनी स्तर पर समर्थन देती है।

प्रधानमंत्री मोदी विझिनजाम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई 2025 को केरल के तिरुवनंतपुरम के पास स्थित विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करेंगे। यह भारत के समुद्री अवसंरचना क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, क्योंकि यह देश का पहला सेमी-ऑटोमेटेड और वास्तविक डीप-वॉटर अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट होगा। यह परियोजना केरल सरकार, केंद्र सरकार और अडानी पोर्ट्स के बीच एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) के तहत विकसित की गई है। अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के निकट स्थित इस बंदरगाह से भारत की व्यापारिक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है और यह केरल को एक प्रमुख समुद्री केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।

मुख्य बिंदु 

  • उद्घाटन तिथि: 2 मई 2025
  • उद्घाटनकर्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • स्थान: विझिंजम, तिरुवनंतपुरम के पास, केरल
  • स्थिति: भारत का पहला सेमी-ऑटोमेटेड डीप-वॉटर अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट
  • अब तक का संचालन: अब तक 265 जहाज और 5.48 लाख TEUs (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) का संचालन
  • प्रमुख उपलब्धि: जुलाई 2024 में पहला “मदर शिप” MV San Fernando डॉक किया गया

परियोजना विवरण 

  • विकास मॉडल: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)
  • साझेदार: केरल सरकार + अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (AVPPL)
  • कंसेशन समझौते का वर्ष: 2015
  • कुल निवेश: ₹18,000 करोड़ से अधिक
  • महत्व: भारत में किसी राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई पहली ग्रीनफील्ड पोर्ट परियोजना

रणनीतिक महत्व 

  • अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट्स के करीब होने से जहाजों का ट्रांजिट समय घटेगा
  • प्राकृतिक गहराई वाला पोर्ट – बड़े कार्गो/कंटेनर जहाजों की आसान डॉकिंग
  • दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के साथ क्षेत्रीय व्यापार में बढ़ोतरी
  • केरल के लिए रोजगार सृजन और आर्थिक विकास
  • भारत के “मेक इन इंडिया” अभियान को बुनियादी ढांचे के माध्यम से समर्थन

अडानी समूह की भूमिका 

  • पश्चिमी तट पर संचालन: मुंद्रा, हजीरा, विझिंजम सहित कुल 7 बंदरगाह
  • पूर्वी तट पर संचालन: धामरा, कृष्णपट्टनम सहित 8 बंदरगाह
  • अंतरराष्ट्रीय संचालन: हाइफ़ा पोर्ट (इज़राइल), डार एस सलाम (तंजानिया), और कोलंबो पोर्ट (श्रीलंका)
  • भारत के कुल पोर्ट वॉल्यूम का 27% संभालता है
सारांश/श्रेणी विवरण
समाचार में क्यों? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन करेंगे।
उद्घाटन तिथि 2 मई 2025
उद्घाटनकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्थान विझिंजम, केरल (तिरुवनंतपुरम के पास)
महत्त्व भारत का पहला सेमी-ऑटोमेटेड डीप-वॉटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट
TEUs का संचालन 5.48 लाख TEUs
जहाजों का संचालन 265 जहाज
पहला मदर शिप आगमन जुलाई 2024 (MV San Fernando)
विकास मॉडल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) – केरल सरकार और अडानी विझिंजम पोर्ट प्रा. लि.
कुल निवेश ₹18,000+ करोड़
रणनीतिक भूमिका दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका को जोड़ने वाला व्यापारिक केंद्र
ऑपरेटर अडानी पोर्ट्स एंड SEZ (APSEZ)

‘एएनपीआर-FASTag आधारित बैरियर-लेस टोलिंग सिस्टम’ होंगे लागू

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि 1 मई 2025 से मौजूदा फास्टैग आधारित टोल संग्रह प्रणाली को हटाकर उपग्रह आधारित टोल प्रणाली शुरू की जाएगी। इन दावों को खारिज करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार ने इसके विपरीत, कुछ चयनित टोल प्लाज़ाओं पर एक उन्नत एएनपीआर-फास्टैग आधारित बिना बाधा वाली टोलिंग प्रणाली (Barrier-Less Tolling System) के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत करने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु 

उपग्रह आधारित टोलिंग की देशव्यापी शुरुआत नहीं
सड़क परिवहन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि 1 मई 2025 से फास्टैग को हटाकर सैटेलाइट टोलिंग शुरू करने की कोई योजना नहीं है।

क्या नया शुरू किया जा रहा है?
एक नई प्रणाली जिसे ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) और मौजूदा फास्टैग (RFID) तकनीक के साथ जोड़ा गया है, को चुनिंदा स्थानों पर पायलट आधार पर लागू किया जाएगा।

बाधारहित टोल संग्रह 
इस नई प्रणाली के माध्यम से वाहन बिना टोल प्लाज़ा पर रुके, निर्बाध यात्रा कर सकेंगे। कैमरे और रीडर अपने आप वाहन की पहचान कर टोल की कटौती कर देंगे।

प्रयुक्त तकनीक

  • ANPR कैमरे: नंबर प्लेट की पहचान करके वाहन को चिन्हित करते हैं।

  • FASTag रीडर: RFID तकनीक से जुड़े खातों से टोल की राशि काटते हैं।

नियम उल्लंघन पर ई-नोटिस
यदि कोई वाहन टोल बचाता है या उसके पास वैध फास्टैग नहीं है, तो उसे ई-नोटिस भेजा जाएगा।
इसके तहत फास्टैग सस्पेंशन या वाहन पंजीकरण (VAHAN) से संबंधित प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं।

पायलट परियोजना
NHAI ने चयनित टोल प्लाज़ाओं पर इस प्रणाली को लागू करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। सिस्टम की प्रभावशीलता और उपभोक्ता अनुभव के आधार पर भविष्य में इसे देशभर में लागू करने पर निर्णय लिया जाएगा।

अप्रैल 2025 तक की स्थिति
फिलहाल केवल ANPR-FASTag तकनीक को पायलट आधार पर लागू किया जा रहा है। सैटेलाइट आधारित टोलिंग प्रणाली अभी लागू नहीं हुई है।

सारांश/श्रेणी विवरण
समाचार में क्यों? सरकार ने ANPR-FASTag आधारित बाधारहित टोलिंग प्रणाली के पायलट प्रोग्राम की घोषणा की है।
अफवाह स्पष्ट की गई 1 मई 2025 से सैटेलाइट आधारित टोलिंग शुरू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
वास्तविक क्रियान्वयन ANPR-FASTag आधारित बाधारहित टोलिंग प्रणाली।
प्रयुक्त तकनीक ANPR कैमरे + RFID आधारित फास्टैग रीडर।
उद्देश्य निर्बाध टोल संग्रह, यात्रा समय में कमी, टोल प्लाज़ा पर रुकावट हटाना।
नियम उल्लंघन ई-नोटिस, फास्टैग सस्पेंशन, वाहन (VAHAN) पंजीकरण से जुड़े प्रतिबंध।
वर्तमान क्रियान्वयन केवल चयनित टोल प्लाज़ाओं तक सीमित।
देशव्यापी विस्तार? पायलट परिणामों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) का आईआईटी-बॉम्बे के साथ वाहन-से-ग्रिड (वी2जी) सहयोग

केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) राज्य की विद्युत प्रणाली में “व्हीकल-टू-ग्रिड” (Vehicle-to-Grid – V2G) तकनीक को शामिल करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल कर रहा है। यह नवोन्मेषी कदम विशेष रूप से सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों के बढ़ते एकीकरण के संदर्भ में लिया गया है। KSEB इस परियोजना के लिए IIT बॉम्बे के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट पर सहयोग कर रहा है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को विकेन्द्रीकृत ऊर्जा भंडारण प्रणाली के रूप में उपयोग करके राज्य की ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता को बढ़ाना है। यह पायलट प्रोजेक्ट न केवल पीक समय में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

मुख्य पहलू

V2G तकनीक क्या है?

  • V2G (व्हीकल-टू-ग्रिड) सिस्टम इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों को नेटवर्क से पावर खींचने और उसे नेटवर्क में वापस भेजने की अनुमति देते हैं।
  • यह विकेन्द्रीकृत ऊर्जा भंडारण के रूप में काम करता है, जहां EVs गतिशील ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं, उच्च मांग के दौरान बिजली प्रदान करते हैं।
  • जब ग्रिड पर दबाव या उच्च मांग होती है, तो EV बैटरियां संचित बिजली को ग्रिड में वापस भेज सकती हैं, जिससे सिस्टम की स्थिरता बनी रहती है।

पायलट प्रोजेक्ट का अवलोकन

  • सहयोग: केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) IIT बॉम्बे के साथ मिलकर V2G तकनीक का परीक्षण और एकीकरण करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
  • MoU: KSEB और IIT बॉम्बे के बीच V2G अध्ययन और तकनीक को लागू करने के लिए एक MoU साइन किया जाएगा।
  • परियोजना का दायरा: यह परियोजना पहले एक व्यवहार्यता अध्ययन से शुरू होगी, इसके बाद पायलट डिप्लॉयमेंट और अंततः ग्रिड सेवा एकीकरण किया जाएगा, जो केरल की ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक स्केलेबल मॉडल बनेगा।

V2G तकनीक क्यों?

  • नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण: केरल की ऊर्जा क्षेत्र में सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों का तेजी से एकीकरण हो रहा है। V2G सौर ऊर्जा के अधिशेष को कुशलतापूर्वक संग्रहित और प्रबंधित करने के समाधान प्रदान कर सकता है।
  • ग्रिड स्थिरता: यह तकनीक आपूर्ति और मांग के संतुलन में मदद करेगी, विशेष रूप से पीक घंटों के दौरान।
  • उत्सर्जन में कमी: EVs का उपयोग ऊर्जा भंडारण के लिए प्रोत्साहित करना केरल की कार्बन उत्सर्जन में कमी और स्थिरता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।

V2G के लिए वित्तीय प्रोत्साहन

  • प्रोत्साहन कार्यक्रम: केरल राज्य विद्युत नियामक आयोग (KSERC) ने बताया है कि वित्तीय प्रोत्साहन वाहन मालिकों को V2G कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  • प्रीमियम टैरिफ: EV मालिकों को पीक मांग के दौरान ऊर्जा वापस ग्रिड में भेजने के लिए प्रीमियम टैरिफ के तहत मुआवजा दिया जा सकता है।
  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी: यह कार्यक्रम कार्यालयों और आवासीय परिसरों को सौर-ऊर्जा चालित EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे दिन के समय में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सके और EVs में ऊर्जा संग्रहित कर पीक घंटों के दौरान उसे ग्रिड में वापस भेजा जा सके।

कार्यक्रम की कार्यान्वयन चुनौतियां

  • इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यकताएं: V2G को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए स्मार्ट बाय-डायरेक्शनल चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करनी होगी।
  • सार्वजनिक जागरूकता: V2G सिस्टम के लाभ और कार्यप्रणाली के बारे में जनता और वाहन मालिकों को शिक्षित करना अपनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सरकारी समर्थन: एक सफल कार्यान्वयन रणनीति के लिए सक्रिय सरकारी समर्थन और एक सुव्यवस्थित नियामक ढांचे की आवश्यकता होगी।

जेम्स वेब टेलीस्कोप ने एक्सोप्लैनेट K2-18b पर संभावित जीवन पाया

एक क्रांतिकारी खोज में, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अब तक का सबसे आशाजनक प्रमाण पाया है कि पृथ्वी से परे जीवन मौजूद हो सकता है। उनके अनुसंधान में, नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से, एक दूरस्थ एक्सोप्लैनेट K2-18b के वातावरण में जीवन-संबंधी अणु जैसे डायमेथाइल सल्फाइड (DMS) और डायमेथाइल डिसल्फाइड (DMDS) की पहचान की गई। हालाँकि ये निष्कर्ष अब तक उच्चतम वैज्ञानिक पुष्टि स्तर तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन ये जीवन की खोज में एक निर्णायक कदम माने जा रहे हैं और एस्ट्रोबायोलॉजी (खगोल-जीवविज्ञान) के नए आयाम खोलते हैं।

मुख्य बिंदु

K2-18b क्या है?

  • यह पृथ्वी से 124 प्रकाश वर्ष दूर सिंह (Leo) नक्षत्र में स्थित एक एक्सोप्लैनेट है।

  • इसका आकार पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा है और यह एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है।

खोज का महत्व

  • वैज्ञानिकों ने K2-18b के वातावरण में संभावित बायोसिग्नेचर (जीवन से जुड़े संकेत) पाए हैं।

  • इनमें शामिल हैं: DMS और DMDS — ये गैसें पृथ्वी पर मुख्यतः समुद्री प्लवक (phytoplankton) और बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होती हैं।

उपकरण

  • खोज जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से की गई।

  • JWST ग्रहों के वातावरण से गुजरने वाली तारों की रोशनी का विश्लेषण कर रासायनिक संकेतों का पता लगाता है।

पुष्टि का स्तर

  • वर्तमान खोज तीन सिग्मा (3σ) यानी 99.7% निश्चितता पर आधारित है।

  • वैज्ञानिक पुष्टि के लिए पाँच सिग्मा (5σ) यानी 99.9999% की आवश्यकता होती है।

क्यों महत्वपूर्ण है?

  • DMS और DMDS की उपस्थिति संभावित रूप से समुद्री-प्रकार के सूक्ष्मजीवी जीवन की ओर इशारा करती है।

  • यदि पुष्टि हो जाती है, तो यह पृथ्वी के बाहर जीवन का पहला प्रमाण होगा और यह सिद्धांत मजबूत करेगा कि जीवन ब्रह्मांड में सामान्य हो सकता है

वैज्ञानिक प्रभाव

  • यह खोज एस्ट्रोबायोलॉजी के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकती है।

  • यदि पुष्टि होती है, तो यह हमारे ब्रह्मांड में जीवन की समझ को पूरी तरह बदल सकती है।

प्रकाशन

  • यह अध्ययन The Astrophysical Journal Letters में प्रकाशित हुआ है।

सारांश/स्थिर विवरण
क्यों चर्चा में है? जेम्स वेब टेलीस्कोप ने एक्सोप्लैनेट K2-18b पर संभावित जीवन के संकेत खोजे
ग्रह का नाम K2-18b
स्थिति सिंह (Leo) नक्षत्र में, पृथ्वी से 124 प्रकाश-वर्ष दूर
आकार पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा
कक्षा एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है
पाए गए अणु DMS (डायमेथाइल सल्फाइड), DMDS (डायमेथाइल डिसल्फाइड)
पता लगाने की विधि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST)
संभावित जैविक स्रोत समुद्री प्लवक (फाइटोप्लांकटन) और बैक्टीरिया (पृथ्वी पर पाए जाने वाले)
प्रकाशन द एस्ट्रोफिज़िकल जर्नल लेटर्स

 

ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी, 2025 तक पूरा मूल्यांकन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से आग्रह किया है कि कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) की अब तक की पहली थर्ड-पार्टी मूल्यांकन प्रक्रिया वर्ष 2025 के अंत तक पूरी कर ली जाए। समिति ने यह भी जोर दिया कि नवंबर 1995 में शुरू हुई इस योजना के तहत दी जा रही न्यूनतम पेंशन राशि ₹1,000 को अब महंगाई में आई तीव्र वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अवश्य संशोधित किया जाना चाहिए।

मुख्य बिंदु

1995 के बाद पहली बार थर्ड-पार्टी मूल्यांकन
नवंबर 1995 में शुरू हुई कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) का अब तक कभी स्वतंत्र मूल्यांकन नहीं हुआ था। लगभग 30 वर्षों में यह पहला ऐसा प्रयास है।

मूल्यांकन प्रक्रिया प्रगति पर
श्रम मंत्रालय ने रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (RFP) प्रक्रिया के माध्यम से मूल्यांकन का अनुबंध प्रदान किया है और यह प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है।

समयसीमा तय: 2025 के अंत तक
संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि मूल्यांकन कार्य दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूरा हो, जिससे जरूरी सुधारों के लिए ठोस जानकारी मिल सके।

न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की मांग
समिति ने सरकार से अनुरोध किया कि मौजूदा ₹1,000 की न्यूनतम पेंशन को तत्काल पुनर्विचार कर बढ़ाया जाए, क्योंकि यह बढ़ती महंगाई के अनुरूप नहीं है।

EPFO द्वारा प्रशासित योजना
कर्मचारी पेंशन योजना का संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) करता है, जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन लाभ देता है।

पहले कोई मूल्यांकन नहीं हुआ
मंत्रालय के अधिकारियों ने पुष्टि की कि योजना शुरू होने के बाद से अब तक कोई औपचारिक मूल्यांकन नहीं हुआ था, जो नीति की समीक्षा में एक बड़ी कमी दर्शाता है।

श्रेणी विवरण
खबर में क्यों? EPS के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की सिफारिश, 2025 तक मूल्यांकन पूरा करने का निर्देश
योजना का नाम कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)
संचालनकर्ता संस्था कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO)
मूल्यांकन की स्थिति पहली बार थर्ड-पार्टी मूल्यांकन प्रगति पर
मूल्यांकन पूर्ण करने की समयसीमा 2025 के अंत तक (संसदीय समिति की सिफारिश)
वर्तमान न्यूनतम पेंशन ₹1,000
समिति की सिफारिश न्यूनतम पेंशन तत्काल बढ़ाई जाए और मूल्यांकन समय पर पूरा हो
समिति अध्यक्ष भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई

केंद्रीय मंत्री ने एथलीट पासपोर्ट प्रबंधन इकाई (एपीएमयू) का उद्घाटन किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने नई दिल्ली स्थित नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेटरी (NDTL) में एथलीट पासपोर्ट मैनेजमेंट यूनिट (APMU) का उद्घाटन किया। यह पहल भारत के एंटी-डोपिंग प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती है, जिससे देश अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होता है और निष्पक्ष, स्वच्छ और नैतिक खेलों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

APMU के माध्यम से एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट (ABP) प्रणाली के तहत खिलाड़ियों के जैविक संकेतकों की दीर्घकालिक निगरानी संभव होगी, जिससे प्रतिबंधित पदार्थों की प्रत्यक्ष पहचान के बिना भी डोपिंग के पैटर्न को पकड़ा जा सकेगा। यह पहल भारत को वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए एक सहायक और अग्रणी राष्ट्र के रूप में भी स्थापित करती है, जो पड़ोसी देशों को विशेषज्ञता और संसाधन उपलब्ध कराएगा।

मुख्य बिंदु 

उद्घाटन विवरण

  • उद्घाटनकर्ता: डॉ. मनसुख मंडाविया, केंद्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्री, श्रम एवं रोजगार मंत्री

  • तारीख: 17 अप्रैल 2025

  • स्थान: नेशनल डोप टेस्टिंग लैबोरेटरी (NDTL), नई दिल्ली

  • उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:

    • श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी (सचिव, खेल मंत्रालय)

    • श्री कुनाल (संयुक्त सचिव)

    • प्रो. पी.एल. साहू (सीईओ, NDTL)

    • प्रमुख वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ

एथलीट पासपोर्ट मैनेजमेंट यूनिट (APMU) क्या है?

  • यह एक विशेषीकृत इकाई है जो एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट (ABP) का प्रबंधन और निगरानी करती है।

  • यह विश्व की 17वीं और भारत की पहली APMU है।

  • एथलीट के जैविक संकेतकों (जैसे रक्त मान, हार्मोन स्तर आदि) को समय के साथ ट्रैक करती है।

  • डोपिंग की अप्रत्यक्ष पहचान में सहायक, जहाँ प्रतिबंधित पदार्थों की सीधे जांच नहीं की जाती।

भारत और ग्लोबल साउथ के लिए महत्व

  • भारत की एंटी-डोपिंग क्षमता को WADA मानकों के अनुसार मजबूत बनाता है।

  • भारत पड़ोसी देशों को उपकरण, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

  • APMU को “ग्लोबल साउथ के लिए सहारे की किरण” बताया गया है।

  • खेलों में वैश्विक एकजुटता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।

एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट (ABP) – क्या है?

  • एथलीट के जैविक संकेतकों का इलेक्ट्रॉनिक प्रोफाइल, जो समय के साथ एकत्र किया जाता है।

  • डोपिंग पैटर्न की पहचान करने में मदद करता है, बिना किसी प्रतिबंधित पदार्थ की सीधी जांच के।

  • इसमें रक्त मान, स्टेरॉयड स्तर आदि शामिल होते हैं।

  • यह प्रणाली वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान के आधार पर विकसित हुई और WADA द्वारा परिष्कृत की गई है।

APMU के उद्देश्य

  • खेलों में निष्पक्षता और अखंडता सुनिश्चित करना।

  • गैर-आक्रामक तरीकों से अनैतिक प्रथाओं की पहचान करना।

  • स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में एंटी-डोपिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

  • खेल महासंघों, शैक्षणिक संस्थानों और वैज्ञानिकों को जागरूकता अभियानों में शामिल करना।

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? केंद्रीय मंत्री ने एथलीट पासपोर्ट प्रबंधन इकाई (APMU) का उद्घाटन किया
स्थान नेशनल डोप टेस्टिंग लेबोरेटरी (NDTL), नई दिल्ली
इकाई का नाम एथलीट पासपोर्ट प्रबंधन इकाई (APMU)
उद्देश्य एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट का प्रबंधन और निगरानी करना
वैश्विक महत्व विश्व की 17वीं APMU, भारत की पहली
निगरानी प्रणाली जैविक संकेतकों (रक्त, हार्मोन आदि) की ट्रैकिंग
अनुरूपता वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) के दिशानिर्देशों के अनुरूप
ग्लोबल साउथ के लिए भूमिका ज्ञान-साझाकरण और क्षमता निर्माण में योगदान
दीर्घकालिक दृष्टिकोण स्वच्छ, नैतिक खेलों को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना

भारत में स्थापित होगा इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस का मुख्यालय

वन्यजीव संरक्षण में भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को सशक्त करते हुए, भारत सरकार ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत IBCA का मुख्यालय और सचिवालय भारत में स्थापित किया जाएगा। यह समझौता दुनिया की सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों — बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा — के संरक्षण के प्रति भारत की गहन प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की स्वर्ण जयंती के अवसर पर शुरू किया गया IBCA, इन संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण, अनुसंधान और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने का कार्य करेगा।

मुख्य बिंदु

IBCA की शुरुआत

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ पर लॉन्च किया गया।

  • उद्देश्य: सात बड़ी बिल्लियों — बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता — का वैश्विक संरक्षण।

मुख्यालय समझौता

  • भारत ने IBCA के साथ समझौता किया है, जिसके तहत इसका मुख्यालय और सचिवालय भारत में स्थापित होगा।

  • यह भारत की स्थायी मेजबान के रूप में भूमिका को दर्शाता है।

भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता

  • कुल ₹150 करोड़ का कोष प्रदान किया गया है।

  • अवधि: 2023-24 से 2028-29 तक।

  • खर्च: आधारभूत संरचना, संचालन और नियमित व्यय।

कानूनी स्थिति

  • 2024 में यह एक संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन बना।

  • पांच देशों द्वारा अनुमोदन के बाद प्रभावी हुआ: भारत, लाइबेरिया, इस्वातिनी, सोमालिया और निकारागुआ।

समझौते के प्रावधान

  • वीज़ा सुविधा, IBCA कर्मियों और परिसरों के लिए विशेषाधिकार व छूट।

  • संचालन, प्रशासन और सहायक समझौतों के दिशा-निर्देश शामिल हैं।

प्रमुख अधिकारी

  • पी. कुमारन (सचिव – पूर्व, विदेश मंत्रालय) – भारत की ओर से हस्ताक्षरकर्ता।

  • एस. पी. यादव (महानिदेशक, IBCA) – एलायंस की ओर से हस्ताक्षरकर्ता।

 

भारत का रक्षा उत्पादन लक्ष्य 2029 तक 3 लाख करोड़ तक पहुंचना

भारत रक्षा उत्पादन क्षमताओं को तेजी से सशक्त बना रहा है, जिसकी अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं। रक्षा सम्मेलन 2025 – “Force of the Future” में बोलते हुए उन्होंने बताया कि भारत का लक्ष्य 2029 तक ₹3 लाख करोड़ के रक्षा उत्पादन तक पहुंचना है, जबकि 2025 में यह आंकड़ा ₹1.60 लाख करोड़ रहने की संभावना है। यह महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना, स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देना और रक्षा निर्यात को सशक्त बनाना है। बदलते युद्ध के स्वरूप, नई सुरक्षा चुनौतियों और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में लचीलापन भारत के भविष्य-उन्मुख रक्षा रोडमैप को आकार दे रहे हैं।

मुख्य बिंदु 

उत्पादन और निर्यात लक्ष्य

  • वर्ष 2025 में रक्षा उत्पादन ₹1.60 लाख करोड़ से अधिक रहने की संभावना।

  • 2029 तक रक्षा उत्पादन को ₹3 लाख करोड़ तक पहुँचाने का लक्ष्य।

  • रक्षा निर्यात लक्ष्य:

    • 2025: ₹30,000 करोड़

    • 2029: ₹50,000 करोड़

रणनीतिक दृष्टिकोण

  • रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत का प्रमुख उद्देश्य।

  • आयात पर निर्भरता कम करने और एक मजबूत घरेलू औद्योगिक तंत्र बनाने का लक्ष्य।

  • रक्षा निर्माण को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में मजबूती प्रदान करने वाला क्षेत्र माना जा रहा है।

नवाचार और आधुनिकीकरण

  • ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा।

  • नए युद्धक्षेत्रों की पहचान की गई है: साइबर, अंतरिक्ष और नैरेटिव वॉरफेयर।

  • समग्र क्षमता निर्माण और निरंतर सुधारों पर विशेष ध्यान।

संस्थागत सुधार

  • 200 वर्षों से अधिक पुराने ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण कर उन्हें लाभकारी इकाइयों में बदला गया।

  • सरकार ने इसे 21वीं सदी का ऐतिहासिक सुधार करार दिया।

बजटीय प्राथमिकता

  • रक्षा खरीद बजट का 75% हिस्सा अब घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित किया गया है।

सारांश/स्थैतिक विवरण
क्यों चर्चा में? 2029 तक भारत का रक्षा उत्पादन लक्ष्य ₹3 लाख करोड़
वर्तमान रक्षा उत्पादन (2025) ₹1.60 लाख करोड़
लक्ष्य रक्षा उत्पादन (2029) ₹3 लाख करोड़
रक्षा निर्यात लक्ष्य (2025) ₹30,000 करोड़
रक्षा निर्यात लक्ष्य (2029) ₹50,000 करोड़
स्वदेशी वस्तुएं (सशस्त्र बलों हेतु) 509 वस्तुएं
स्वदेशी वस्तुएं (रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा) 5,012 वस्तुएं
घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित रक्षा बजट 75%

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