भारत ने तोड़े पाकिस्तान से राजनयिक संबंध

भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) को समाप्त कर एक अभूतपूर्व कदम उठाया है, जो हालिया वर्षों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर राजनयिक टूट को दर्शाता है। संधि की समाप्ति के साथ-साथ अटारी-वाघा सीमा को सील कर दिया गया है, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं, और दोनों देशों के रक्षा सलाहकारों को भी वापस बुला लिया गया है। ये सभी कदम भारत की अपनी पश्चिमी पड़ोसी के प्रति विदेश नीति में एक निर्णायक रणनीतिक बदलाव को दर्शाते हैं।

पृष्ठभूमि: सिंधु जल संधि और उसका महत्व
विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे लंबे समय तक चलने वाले समझौतों में से एक थी, जिसने कई युद्धों और राजनीतिक संकटों के बावजूद अपनी स्थिरता बनाए रखी। यह संधि भारत को पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) प्रदान करती है, जिसमें विवाद निपटान और सहयोग की विस्तृत व्यवस्था थी।

इस संधि का निरस्तीकरण ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण के एक प्रमुख तंत्र को समाप्त करता है और एक ऐसे क्षेत्र में जल सहयोग के एक अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त प्रतीक को समाप्त कर देता है, जहाँ संघर्ष की संभावना हमेशा बनी रहती है।

वर्तमान समय में निर्णय क्यों? रणनीतिक और सुरक्षा परिप्रेक्ष्य
भारत द्वारा हालिया कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में निरंतर गिरावट के बाद उठाए गए हैं, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, घुसपैठ के प्रयास और कूटनीतिक टकराव शामिल हैं। संधि समाप्त करने और प्रमुख राजनयिक व सैन्य संवाद माध्यमों को तोड़ने का निर्णय व्यापक रणनीतिक पुनर्संरचना का संकेत देता है।

भू-राजनीतिक दृष्टि से यह कदम भारत की जल-स्वायत्तता की घोषणा के रूप में देखा जा सकता है और यह संदेश देता है कि वर्तमान सहयोगी ढांचे तभी टिकाऊ हो सकते हैं जब वे आपसी सम्मान और उत्तरदायित्व पर आधारित हों।

सीमा बंद और वीज़ा निलंबन: प्रभाव
अटारी-वाघा सीमा का बंद होना न केवल राजनयिक संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि आम लोगों के बीच संपर्क, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सीमित व्यापार संबंधों को भी ठप कर देता है। इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सभी प्रकार की वीज़ा सेवाओं को निलंबित करना नागरिक स्तर के संवाद को पूरी तरह जमींदोज़ कर देता है।

नीतिगत दृष्टिकोण से यह इंगित करता है कि भारत अब गैर-सैन्य, लेकिन दबाव बनाने वाले कूटनीतिक साधनों का प्रयोग कर रहा है, जो लगातार मिल रही धमकियों और उकसावे की प्रतिक्रियास्वरूप है।

सैन्य और रक्षा कूटनीति समाप्त
पाकिस्तानी रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को निष्कासित कर और अपने समकक्षों को इस्लामाबाद से वापस बुलाकर भारत ने सैन्य कूटनीतिक चैनल को पूरी तरह बंद कर दिया है, जो परंपरागत रूप से संकट काल और संघर्ष विराम वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता था।

इन सलाहकारों को हटाना इस बात का संकेत है कि अब संवाद को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है, खासकर शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों में, और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

भारत, पाकिस्तान और क्षेत्र के लिए प्रभाव

  1. जल प्रबंधन में रणनीतिक स्वायत्तता
    भारत की इस संधि से वापसी उसके हिस्से के सिंधु बेसिन पर पूर्ण नियंत्रण की ओर बढ़ने का संकेत है, जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांध निर्माण और जल मोड़ परियोजनाएं तेज हो सकती हैं।

  2. पाकिस्तान की जल असुरक्षा
    पश्चिमी नदियाँ पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। संधि के समाप्त होने से पंजाब और सिंध जैसे प्रांतों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।

  3. वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया
    यह कदम चीन, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय हितधारकों का ध्यान आकर्षित कर सकता है और दक्षिण एशिया में जल कूटनीति को प्रभावित कर सकता है।

  4. दक्षिण एशिया की स्थिरता पर असर
    इस स्तर का राजनयिक अलगाव शांतिपूर्ण संवाद की संभावनाओं को कम कर सकता है और सीमा पर गलतफहमी या टकराव की आशंका को बढ़ा सकता है, विशेषकर उस क्षेत्र में जहाँ संघर्षों का इतिहास रहा है।

जानें सिंधु जल संधि क्या है? इसके रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा

एक नाटकीय बदलाव के तहत, भारत ने 1960 में लागू हुई सिंधु जल संधि (इंडस वॉटर ट्रीटी) को पहली बार निलंबित कर दिया है, जिसके दूरगामी भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद उठाया गया, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की जान ले ली। यह हमला मुंबई 26/11 के बाद सबसे भीषण नागरिक हमला माना जा रहा है।

इस निर्णय के तहत भारत ने कूटनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी कई अहम कार्रवाइयां की हैं, जिनमें अटारी-वाघा सीमा को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं रद्द करना, और भारत में तैनात पाकिस्तानी सैन्य व राजनयिक कर्मियों को निष्कासित करना शामिल है।

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) क्या है?

एक ऐतिहासिक समझौता – 1960 में हस्ताक्षरित

सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता और गारंटी में हस्ताक्षर हुए थे। यह संधि सिंधु नदी प्रणाली की जल-साझेदारी के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करती है, जिसमें छह प्रमुख नदियाँ शामिल हैं: सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज।

नदियों का विभाजन

  • पूर्वी नदियाँ: सतलुज, ब्यास, रावी – भारत को पूर्ण उपयोग का अधिकार प्राप्त है।

  • पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम, चिनाब – पाकिस्तान को आवंटित, परंतु भारत को सीमित गैर-उपभोग उद्देश्यों (जैसे जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई, नौवहन) हेतु प्रयोग की अनुमति है।

यह संधि 12 अनुच्छेद और 8 परिशिष्ट (A से H) में विभाजित है, जिनमें जल उपयोग अधिकार, तकनीकी मानक और विवाद समाधान प्रक्रिया शामिल हैं।

भारत द्वारा निलंबन का वर्तमान महत्व

भारत द्वारा सिंधु जल संधि का निलंबन इसे सिंधु बेसिन के जल संसाधनों के प्रबंधन में अधिक रणनीतिक लचीलापन देता है। हालांकि इससे पाकिस्तान को जाने वाले जल का प्रवाह तुरंत नहीं रुकता, परंतु यह भारत को पाकिस्तान के निरीक्षण और पहुंच को सीमित करने की अनुमति देता है, खासकर निम्नलिखित परियोजनाओं पर:

  • किशनगंगा जलविद्युत परियोजना (झेलम की सहायक नदी पर)

  • रैटल जलविद्युत परियोजना (चिनाब नदी पर)

विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में भारत के पास जल प्रवाह को पूरी तरह रोकने की अधोसंरचना नहीं है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक नीति बदलाव का संकेत है।

कानूनी और कूटनीतिक जटिलताएँ

संधि में कोई एकतरफा बाहर निकलने का प्रावधान नहीं

  • संधि की कोई समाप्ति तिथि नहीं है।

  • इसमें संशोधन केवल दोनों देशों की सहमति से ही संभव है।

  • भारत ने पूर्व में अनुच्छेद XII(3) का हवाला दिया है, जो नई संधि के माध्यम से संशोधन की अनुमति देता है।

विवाद समाधान प्रक्रिया

अनुच्छेद IX के तहत तीन-स्तरीय विवाद निपटान प्रक्रिया:

  1. स्थायी सिंधु आयोग के माध्यम से द्विपक्षीय बातचीत

  2. न्यूट्रल एक्सपर्ट के पास संदर्भ

  3. अंतरराष्ट्रीय पंचाट (कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन) के माध्यम से समाधान

हालाँकि पाकिस्तान इस प्रक्रिया को सक्रिय कर सकता है, लेकिन यदि भारत सहयोग नहीं करता तो न्यायिक निर्णय की वैधता संदिग्ध हो सकती है।

परियोजनाओं पर जारी विवाद

  • किशनगंगा और रैटल परियोजनाओं को लेकर पाकिस्तान का आरोप है कि इनके डिज़ाइन संधि का उल्लंघन करते हैं।

  • भारत का तर्क है कि ये “रन-ऑफ-द-रिवर” परियोजनाएं हैं, जो जल प्रवाह को नहीं रोकतीं और संधि के अनुरूप हैं।

भारत ने जनवरी 2023 और फिर सितंबर 2024 में संधि संशोधन के लिए औपचारिक नोटिस भेजे थे।

न्यूट्रल एक्सपर्ट की भूमिका

2022 में विश्व बैंक ने मिशेल लीनो को न्यूट्रल एक्सपर्ट नियुक्त किया।
तीन दौर की बातचीत के बाद:

  • पाकिस्तान ने कहा कि मामले एक्सपर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।

  • भारत ने कहा कि ये तकनीकी मुद्दे संधि में स्पष्ट रूप से शामिल हैं।
    जनवरी 2025 में, लीनो ने स्वयं को निर्णय देने के लिए सक्षम घोषित किया — जो विवाद के समाधान की दिशा में एक अहम कदम है।

निलंबन के परिणाम

  1. भारत को रणनीतिक बढ़त – अब भारत को जल परियोजनाओं पर पाकिस्तान को सूचित करने या सहयोग करने की बाध्यता नहीं रहेगी।

  2. पाकिस्तान के लिए जल सुरक्षा संकट – पाकिस्तान की कृषि का 80% से अधिक सिंधु जल पर निर्भर है, इसलिए किसी भी बाधा से भारी आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं।

  3. क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका – यह संधि दशकों तक सहयोग का प्रतीक रही है। इसका निलंबन तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर यदि पाकिस्तान प्रतिशोध या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की राह अपनाता है।

मार्च 2025 तक बिजली की मांग के कारण कोर सेक्टर का उत्पादन 3.8% बढ़ेगा

मार्च 2025 में भारत के कोर सेक्टर (मूलभूत क्षेत्र) के उत्पादन में वर्ष-दर-वर्ष 3.8% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसका प्रमुख कारण बढ़ते तापमान और समय से पहले शुरू हुई गर्मी की लहरों के कारण बिजली उत्पादन में इज़ाफा रहा। यह प्रदर्शन फरवरी 2025 की 3.4% वृद्धि की तुलना में थोड़ा बेहतर है, लेकिन मार्च 2024 में दर्ज की गई 6.3% की वृद्धि से कम है। देश की आठ प्रमुख आधारभूत उद्योगें — कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली — औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 40.27% का योगदान करती हैं। इस बार की वृद्धि में बिजली, इस्पात और सीमेंट प्रमुख योगदानकर्ता रहे, जबकि प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल का प्रदर्शन कमजोर रहा, जिसका मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर कम कीमतें और घरेलू उत्पादन के स्थान पर आयात में वृद्धि रहा। यह आँकड़े बताते हैं कि भारत का बुनियादी ढांचा क्षेत्र धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रहा है, लेकिन ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए अभी भी ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

कोर सेक्टर ग्रोथ – मार्च 2025 की प्रमुख झलकियां 

कुल प्रदर्शन

  • मार्च 2025 में कोर सेक्टर की वृद्धि दर 3.8% रही

  • फरवरी 2025 में यह वृद्धि 3.4% थी

  • मार्च 2024 में यह वृद्धि 6.3% थी

  • यह आंकड़े वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक (अनंतिम) आँकड़े हैं

बिजली क्षेत्र

  • मार्च 2025 में बिजली उत्पादन में 6.2% की वृद्धि (फरवरी में 3.6%)

  • कारण: समय से पहले गर्मी की शुरुआत और हीटवेव के कारण बिजली की मांग में वृद्धि

  • हालांकि मार्च 2024 में यह वृद्धि और अधिक थी – 8.2%

इस्पात और सीमेंट

  • इस्पात उत्पादन में वृद्धि: 7.1% (फरवरी में 6.9%)

  • सीमेंट उत्पादन में वृद्धि: 11.6% (फरवरी में 10.8%)

  • कारण:

    • सरकारी बुनियादी ढांचा खर्च में तेजी

    • FY 2024-25 की चौथी तिमाही में निजी क्षेत्र के निवेश में उछाल

तेल और गैस क्षेत्र

  • प्राकृतिक गैस उत्पादन में 12.7% की गिरावट – लगातार नौवें महीने गिरावट

    • कारण: आयात पर निर्भरता और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट

  • कच्चे तेल का उत्पादन: 1.9% की गिरावट, जबकि पिछले तीन महीनों से वृद्धि दर्ज हो रही थी

  • रिफाइनरी उत्पाद: मात्र 0.2% की मामूली वृद्धि

    • कारण: निर्यात मांग में कमी और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट

अन्य क्षेत्र

  • कोयला और उर्वरक: फरवरी की तुलना में वृद्धि दर में कुछ नरमी

  • उर्वरक और रिफाइनरी उत्पादों में वर्ष-दर-वर्ष गिरावट देखी गई

निष्कर्ष
मार्च 2025 में कोर सेक्टर की ग्रोथ में सुधार देखने को मिला है, लेकिन तेल और गैस जैसे क्षेत्रों में कमजोरी के कारण रिकवरी असमान (patchy) बनी हुई है। बुनियादी ढांचे और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों ने मजबूती दिखाई है, जो भविष्य की आर्थिक संभावनाओं के लिए सकारात्मक संकेत है।

Virat Kohli ने रचा इतिहास, बन गए IPL में सबसे ज्यादा 50+ स्कोर बनाने वाले बल्लेबाज

विराट कोहली ने आईपीएल इतिहास में एक और शानदार कीर्तिमान स्थापित करते हुए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेविड वॉर्नर को पीछे छोड़ सबसे ज़्यादा फिफ्टी-प्लस स्कोर (50 से अधिक रन की पारियाँ) बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। यह उपलब्धि कोहली ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की पंजाब किंग्स (PBKS) के खिलाफ मुल्लांपुर में खेले गए रोमांचक मुकाबले में हासिल की। कोहली ने 54 गेंदों में नाबाद 73 रन की ज़िम्मेदार पारी खेली, जिससे RCB ने 158 रनों का लक्ष्य 7 विकेट से हासिल कर लिया। यह विराट कोहली का आईपीएल में 67वां फिफ्टी-प्लस स्कोर है, जो उनकी निरंतरता और टी20 क्रिकेट में अद्वितीय कौशल का प्रमाण है। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने कोहली को लीग के सबसे प्रभावशाली और भरोसेमंद खिलाड़ियों में और भी मजबूत स्थान दिलाया है।

मुख्य बिंदु 

विराट कोहली की उपलब्धि

  • विराट कोहली ने आईपीएल इतिहास में सबसे अधिक फिफ्टी-प्लस स्कोर (50+ रन की पारियाँ) बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
  • उन्होंने डेविड वॉर्नर (66) को पीछे छोड़ते हुए 67वां फिफ्टी-प्लस स्कोर PBKS के खिलाफ मैच में बनाया।
  • इस पारी में कोहली ने 54 गेंदों में नाबाद 73 रन बनाए, जिसमें 7 चौके और 1 छक्का शामिल था। उनका स्ट्राइक रेट 135.19 रहा।
  • इन 67 स्कोरों में कोहली के 8 शतक भी शामिल हैं, जो उनकी वर्षों से चली आ रही निरंतरता और श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।

मैच प्रदर्शन

  • इस पारी के साथ कोहली ने इस सीजन में अब तक 8 पारियों में 322 रन बनाए हैं।
  • उनका औसत 64.40 और स्ट्राइक रेट 140.00 है।
  • यह कोहली का इस सीजन का चौथा अर्धशतक था, जो उनके शानदार फॉर्म को दर्शाता है।

विराट कोहली के आईपीएल आँकड़े

  • कुल रन: 8,326 रन

  • कुल मैच: 190

  • औसत: 39.27

  • स्ट्राइक रेट: 132.26

  • सर्वश्रेष्ठ स्कोर: 113 रन*

  • PBKS के खिलाफ: 34 पारियों में 1,104 रन, जिसमें 1 शतक और 6 अर्धशतक शामिल हैं।

भारत का सबसे बड़ा क्रूज़ टर्मिनल – मुंबई इंटरनेशनल क्रूज़ टर्मिनल (एमआईसीटी) का परिचालन शुरू

भारत का सबसे बड़ा क्रूज़ टर्मिनल — मुंबई इंटरनेशनल क्रूज़ टर्मिनल (MICT) — ने आधिकारिक रूप से संचालन शुरू कर दिया है। इसका उद्घाटन केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया। यह टर्मिनल भारत के क्रूज़ पर्यटन और समुद्री अवसंरचना को एक नई ऊंचाई देने वाला महत्वपूर्ण कदम है। लगभग ₹556 करोड़ की लागत से निर्मित यह अत्याधुनिक टर्मिनल हर साल 1 मिलियन यात्रियों और एक साथ 5 क्रूज़ जहाज़ों को संभालने की क्षमता रखता है। यह भारत को वैश्विक समुद्री हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है। इसके अतिरिक्त, वाधावन पोर्ट के लिए ₹5,700 करोड़ से अधिक के बुनियादी ढांचा निवेश समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें कंटेनर, बल्क और लिक्विड कार्गो टर्मिनल शामिल हैं। ये पहलें भारत की व्यापारिक क्षमता, समुद्री संपर्क और पर्यटन को व्यापक रूप से सुदृढ़ करेंगी।

मुख्य बिंदु 

उद्घाटन और संचालन
– मुंबई इंटरनेशनल क्रूज़ टर्मिनल (MICT) का संचालन 21 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ।
– उद्घाटन केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा किया गया।

टर्मिनल की क्षमता और विशेषताएँ
– प्रति वर्ष 1 मिलियन यात्रियों (लगभग 10,000 यात्री/दिन) को संभालने की क्षमता।
– एक साथ 5 क्रूज़ जहाज़ों को संभाल सकता है।
– 11 मीटर का ड्राफ्ट और 300 मीटर तक लंबे जहाज़ों के लिए उपयुक्त।

MICT में निवेश
– कुल परियोजना निवेश: ₹556 करोड़
– उद्देश्य: क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देना और बंदरगाह अवसंरचना का आधुनिकीकरण।

वाधावन पोर्ट समझौते
– महाराष्ट्र के वाधावन पोर्ट में बुनियादी ढांचा विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर।
– कुल निवेश: ₹5,700 करोड़ से अधिक

वाधावन विकास परियोजनाएँ
– कंटेनर, बल्क और लिक्विड कार्गो टर्मिनल: ₹4,200 करोड़।
– समर्पित बल्क और लिक्विड टर्मिनल: ₹1,000 करोड़।
– उद्देश्य: औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को समर्थन देना और व्यापारिक संपर्क को मजबूत करना।

रणनीतिक महत्व
– MICT और वाधावन परियोजनाएँ सरकार की ‘सागरमाला योजना’ के तहत आती हैं।
– भारत को वैश्विक क्रूज़ पर्यटन और समुद्री व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभारने की दिशा में अहम कदम।

ऑस्कर पियास्त्री ने 2025 सऊदी अरब ग्रैंड प्रिक्स जीता

ऑस्ट्रेलियाई ड्राइवर ऑस्कर पियास्त्री ने 20 अप्रैल 2025 को जेद्दा कॉर्नीश सर्किट पर आयोजित 2025 सऊदी अरब ग्रां प्री में शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की। यह उनकी इस सीज़न की तीसरी जीत रही और इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा चैंपियन मैक्स वेरस्टैपेन को ड्राइवर्स चैंपियनशिप में पीछे छोड़ दिया।

मुख्य आकर्षण: 2025 सऊदी अरब ग्रां प्री

रेस की जानकारी

  • तारीख: 20 अप्रैल 2025

  • स्थान: जेद्दा कॉर्नीश सर्किट, सऊदी अरब

  • तेज़ गति वाला स्ट्रीट सर्किट, जिसमें टाइट कॉर्नर्स और हाई-स्पीड सेक्शन होते हैं।

विजेता

  • ऑस्कर पियास्त्री (मैकलारेन)

  • समय: 1:21:06.758

  • अब ड्राइवर्स चैंपियनशिप में पहले स्थान पर।

पोडियम फिनिशर्स

  • दूसरा स्थान: मैक्स वेरस्टैपेन (रेड बुल) – +2.843 सेकंड पीछे

    • टर्न 1 पर शॉर्टकट लेने के कारण 5 सेकंड की पेनल्टी लगी।

  • तीसरा स्थान: चार्ल्स लेक्लर (फेरारी) – +8.104 सेकंड

    • इस सीज़न का पहला पोडियम।

प्रमुख घटनाएं और रणनीतियां

  • वेरस्टैपेन बनाम पियास्त्री: शुरुआत में आक्रामक ओवरटेकिंग और संपर्क; वेरस्टैपेन को पेनल्टी मिली, जिससे रेस लीड गंवानी पड़ी।

  • लैंडो नॉरिस (मैकलारेन):

    • P10 से शुरुआत, हार्ड टायर्स पर लंबा स्टिंट चलाया।

    • कुछ समय के लिए रेस में लीड ली, अंततः चौथे स्थान पर।

  • जॉर्ज रसेल (मर्सिडीज) और रूकी किमी एंटोनेली ने क्रमशः P5 और P6 पर रेस पूरी की।

  • लुईस हैमिल्टन, जो अब फेरारी के लिए ड्राइव कर रहे हैं, सातवें स्थान पर रहे।

यह रेस रोमांच से भरपूर रही, जिसमें रणनीति, पेनल्टी और रेस क्राफ्ट ने निर्णायक भूमिका निभाई। पियास्त्री की जीत ने 2025 सीज़न को और भी दिलचस्प बना दिया है।

₹10 लाख से अधिक मूल्य के लक्जरी सामान पर 1% टीसीएस (22 अप्रैल, 2025 से प्रभावी)

आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 206C के तहत एक नया नियम लागू किया है, जिसके अनुसार अब ₹10 लाख से अधिक कीमत वाले लक्ज़री सामान की बिक्री पर 1% टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स (TCS) लिया जाएगा। यह नियम 22 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गया है और इसका उद्देश्य उच्च-मूल्य की खरीदारी पर निगरानी रखना तथा कर अनुपालन को बढ़ावा देना है।

मुख्य बिंदु:

  • लागू तिथि: 22 अप्रैल 2025

  • कानूनी आधार: आयकर अधिनियम की धारा 206C

  • घोषणा: वित्त अधिनियम, केंद्रीय बजट में

  • उद्देश्य: लक्ज़री उत्पादों पर खर्च की पारदर्शिता और टैक्स ट्रेल सुनिश्चित करना

किन वस्तुओं पर 1% TCS लगेगा (₹10 लाख से अधिक मूल्य पर):

  • लक्ज़री घड़ियाँ

  • महंगे हैंडबैग और सनग्लासेस

  • डिज़ाइनर फुटवियर और प्रीमियम स्पोर्ट्सवियर

  • पेंटिंग्स, मूर्तियां, प्राचीन वस्तुएं

  • दुर्लभ सिक्के व डाक टिकट जैसी कलेक्टिबल्स

  • प्राइवेट यॉट्स और हेलीकॉप्टर

  • अत्याधुनिक होम थियेटर सिस्टम

  • रेसिंग या पोलो के लिए घोड़े

उदाहरण:

अगर आप ₹30 लाख का लक्ज़री आइटम खरीदते हैं:
TCS = 1% × ₹30,00,000 = ₹30,000
यह राशि विक्रेता आपके PAN के तहत टैक्स विभाग में जमा करेगा।

ITR भरते समय TCS का दावा कैसे करें?

  • यह राशि फॉर्म 26AS में दिखाई देगी (PAN से लिंक्ड)।

  • ITR फाइल करते समय इसे टैक्स क्रेडिट के रूप में क्लेम कर सकते हैं।

  • यदि आपकी कुल टैक्स देनदारी इससे कम है, तो आपको रिफंड मिल सकता है (जैसे TDS का क्लेम होता है)।

विक्रेताओं के लिए अनुपालन:

  • लागू बिक्री पर 1% TCS एकत्र करें।

  • समय पर इसे ग्राहक के PAN के तहत जमा करें।

  • पूरी बिक्री का रिकॉर्ड रखें (ऑडिट के लिए)।

खरीदारों के लिए निर्देश:

  • सही KYC (PAN) विवरण सुनिश्चित करें।

  • बिल और चालान सुरक्षित रखें।

  • ITR फाइल करते समय TCS का क्लेम करें।

पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन को नवाचार श्रेणी में उत्कृष्टता के लिए मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2024

महिला और बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) द्वारा विकसित पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन को प्रधानमंत्री लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान 21 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस के अवसर पर नवाचार (केंद्र) श्रेणी में प्रदान किया गया। मंत्रालय की ओर से यह पुरस्कार श्री अनिल मलिक, सचिव, MoWCD द्वारा प्राप्त किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • अवसर: 17वां सिविल सेवा दिवस

  • तारीख: 21 अप्रैल 2025

  • पुरस्कार: प्रधानमंत्री लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कार 2024

  • श्रेणी: नवाचार (केंद्र)

  • प्राप्तकर्ता एप्लिकेशन: पोषण ट्रैकर

  • विकासकर्ता: महिला और बाल विकास मंत्रालय

  • पुरस्कार प्राप्तकर्ता: श्री अनिल मलिक, सचिव, MoWCD

ब्रेकअवे सत्र – “महिला एवं बाल पोषण को बढ़ावा”

  • तिथि एवं समय: 21 अप्रैल 2025, दोपहर 3:30 से 5:00 बजे तक

  • अध्यक्षता: श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री

मुख्य फोकस क्षेत्र:

  • पोषण रणनीतियों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन

  • विभागीय समन्वय द्वारा सेवा डिलीवरी

  • टेक्नोलॉजी आधारित समाधान द्वारा निगरानी

  • लाभार्थी मॉड्यूल के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी और सशक्तिकरण

प्रमुख वक्तव्य:

  • श्री अनिल मलिक: पोषण के राष्ट्रीय मील के पत्थर और रणनीतिक रोडमैप प्रस्तुत किया

  • डॉ. भारती कुलकर्णी: स्थानीय स्तर पर अनुकूलित, साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों पर बल दिया

  • श्रीमती लीना जोहरी (उत्तर प्रदेश) एवं श्रीमती रश्मि अरुण शमी (मध्यप्रदेश): POSHAN 2.0 के तहत राज्य स्तरीय नवाचार साझा किए

  • श्रीमती अन्नपूर्णा देवी: समन्वय, डिजिटल नवाचार और नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण पर बल दिया

यह पुरस्कार पोषण ट्रैकर के माध्यम से तकनीक और डेटा-आधारित सुशासन को मान्यता देता है, जो मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के तहत पोषण परिणामों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अरुणाचल प्रदेश में 3,097 मेगावाट की एटालिन जलविद्युत परियोजना के लिए 269.97 करोड़ रुपये का भूमि मुआवजा जारी

पूर्वोत्तर भारत में जलविद्युत क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास के तहत, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई एसजेवीएन लिमिटेड (SJVN Ltd) ने अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी में 3,097 मेगावाट की एतालिन जलविद्युत परियोजना के लिए ₹269.97 करोड़ की भूमि मुआवजा राशि जारी की है। यह भुगतान 26 मार्च 2025 को दिबांग घाटी के उपायुक्त (DC) और ज़िला भूमि राजस्व एवं निपटान अधिकारी (DLRSO) के संयुक्त खाते में किया गया। यह पहल न केवल नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की योजना को गति प्रदान करती है, बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के अधोसंरचनात्मक विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है।

मुख्य विशेषताएँ 

परियोजना विवरण 

  • संगठन: एसजेवीएन लिमिटेड (सतलुज जल विद्युत निगम)

  • जारी मुआवज़ा राशि: ₹269.97 करोड़

  • स्थान: दिबांग घाटी, अरुणाचल प्रदेश

  • परियोजना का नाम: एतालिन जलविद्युत परियोजना

  • शक्ति क्षमता: 3,097 मेगावाट

परियोजना से जुड़ी जानकारियाँ

  • एतालिन परियोजना में दो बाँधों का निर्माण शामिल है:

    • ड्रि नदी पर

    • तालो (तांगोन) नदी पर

  • परियोजना में एक भूमिगत पावरहाउस कॉम्प्लेक्स भी शामिल है।

  • परियोजना का कमीशनिंग दिसंबर 2033 तक निर्धारित है।

सरकारी एवं संस्थागत सहयोग

  • मुख्यमंत्री पेमा खांडू

    • एसजेवीएन के सहयोगात्मक दृष्टिकोण की सराहना की।

    • सभी आवश्यक स्वीकृतियों के लिए राज्य सरकार का पूर्ण समर्थन सुनिश्चित किया।

  • राज कुमार चौधरी, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन

    • कहा कि एसजेवीएन समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

    • ज़ोर दिया कि मुआवज़ा स्थानीय समुदायों के अधिकारों का सम्मान करता है और साथ ही राष्ट्रीय अधोसंरचना को भी बढ़ावा देता है।

पृष्ठभूमि एवं समझौता

  • समझौता ज्ञापन 

    • एसजेवीएन और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच अगस्त 2023 में हस्ताक्षरित।

    • इस समझौते में शामिल:

      • एतालिन परियोजना (3,097 मेगावाट)

      • चार अतिरिक्त जलविद्युत परियोजनाएँ

    • कुल क्षमता: 5,097 मेगावाट

    • अनुमानित संयुक्त निवेश: ₹60,000 करोड़

आर्यभट्ट उपग्रह के 50 वर्ष: भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक मील का पत्थर

भारत ने अपने पहले स्वदेशी रूप से विकसित उपग्रह “आर्यभट” की स्वर्ण जयंती मनाई, जिसे 19 अप्रैल 1975 को प्रक्षेपित किया गया था। प्राचीन भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट के नाम पर रखे गए इस उपग्रह ने भारत की वैज्ञानिक यात्रा में ऐतिहासिक छलांग का प्रतीक बनते हुए, इसरो (ISRO) को एक वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में उभरने की राह दिखाई। शीत युद्ध काल के दौरान तकनीकी संसाधनों और अवसंरचनात्मक सीमाओं के बावजूद, आर्यभट की सफलता ने भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों की नींव रखी और आज भी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की पीढ़ियों को प्रेरित करती है।

मुख्य बिंदु: आर्यभट उपग्रह

आर्यभट क्या है?

  • भारत का पहला प्रायोगिक उपग्रह, जिसे पूरी तरह से इसरो (ISRO) ने विकसित किया।

  • नाम रखा गया महान 5वीं शताब्दी के गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट के सम्मान में।

  • यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक और औपचारिक प्रवेश को दर्शाता है।

प्रक्षेपण विवरण

  • प्रक्षेपण तिथि: 19 अप्रैल, 1975

  • प्रक्षेपण यान: सोवियत कोसमोस-3एम रॉकेट

  • प्रक्षेपण स्थल: कापुस्टिन यार, रूस

  • उस समय भारत के पास खुद का प्रक्षेपण यान नहीं था, इसलिए यह सोवियत संघ के सहयोग से लॉन्च किया गया।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • नेतृत्व में थे डॉ. विक्रम साराभाई और प्रो. यू. आर. राव

  • केवल 25 इसरो इंजीनियरों की एक छोटी टीम द्वारा निर्मित।

  • शीत युद्ध काल और सीमित संसाधनों के बावजूद यह एक स्वदेशी तकनीकी उपलब्धि रही।

आर्यभट की प्रमुख विशेषताएँ

  • आकार: 26 समतल सतहों वाला अर्ध-गोलाकार (क्वासी-स्फेरिकल)

  • आयाम: चौड़ाई 1.59 मीटर, ऊँचाई 1.19 मीटर

  • सौर पैनल: 36,800 वर्ग सेमी क्षेत्रफल से 46 वॉट बिजली उत्पादन

  • वैज्ञानिक उद्देश्य:

    • एक्स-रे खगोलशास्त्र

    • सौर भौतिकी

    • आयनोस्फ़ियर अध्ययन

मिशन टाइमलाइन व संचालन

  • मिशन अवधि: 5 दिन (बिजली विफलता के कारण संपर्क समाप्त)

  • बावजूद इसके, आर्यभट कई वर्षों तक कक्षा में रहा और ऑर्बिटल डेटा प्रदान करता रहा।

महत्व और विरासत

  • अभिनव क्षण: भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत।

  • सीख का प्लेटफॉर्म:

    • उपग्रह निर्माण

    • सिस्टम इंजीनियरिंग

    • ग्राउंड कम्युनिकेशन

  • राष्ट्रीय गर्व: भारत के 2 रुपये के नोट पर भी चित्रित।

  • भविष्य की राह: आगे के मिशनों की नींव रखी, जैसे:

    • चंद्रयान

    • मंगलयान

    • आदित्य-L1

  • प्रेरणा का स्रोत: भारतीय नवाचार, संकल्प और आत्मनिर्भरता का प्रतीक।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? आर्यभट उपग्रह के 50 वर्ष: भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर
नाम आर्यभट
प्रक्षेपण तिथि 19 अप्रैल, 1975
प्रक्षेपण यान सोवियत कोसमोस-3एम (Kosmos-3M)
प्रक्षेपण स्थल कापुस्टिन यार, रूस
विकसित किया गया इसरो (ISRO) द्वारा
टीम का आकार लगभग 25 इंजीनियर
आकार अर्ध-गोलाकार (26 समतल सतहों सहित)
आयाम चौड़ाई: 1.59 मीटर × ऊंचाई: 1.19 मीटर
ऊर्जा उत्पादन 36,800 वर्ग सेमी सौर पैनलों से 46 वॉट
वैज्ञानिक उद्देश्य एक्स-रे खगोलशास्त्र, सौर भौतिकी, आयनोस्फ़ेर अध्ययन
संचार अवधि 5 दिन (बिजली विफलता के कारण संपर्क टूट गया)
कक्षा में स्थिति कई वर्षों तक कक्षा में बना रहा

 

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