प्रसिद्ध निवेशक और अरबपति परोपकारी वॉरेन बफेट, जो बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ हैं, ने 27 जून 2025 को कंपनी के स्टॉक्स के रूप में पाँच परोपकारी संस्थाओं को 6 अरब डॉलर का बड़ा दान देने की घोषणा की। यह उनका अब तक का सबसे बड़ा परोपकारी कदमों में से एक है, जिससे 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग 60 अरब डॉलर तक पहुँच गई है। इस बार का अधिकांश दान बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट को मिलेगा, साथ ही उनके परिवार से जुड़ी अन्य प्रमुख संस्थाओं को भी लाभ होगा। बफेट की यह उदारता समाज में संपत्ति के पुनर्वितरण और परोपकार के प्रति उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
समाचार में क्यों?
वॉरेन बफेट ने 27 जून 2025 को घोषणा की कि वे Berkshire Hathaway की क्लास B शेयर्स के रूप में $6 बिलियन (लगभग ₹50,000 करोड़) का दान पांच प्रमुख फाउंडेशनों को करेंगे। इस उदार योगदान से 2006 से अब तक उनके कुल दान की राशि लगभग $60 बिलियन हो गई है। इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर धन के पुनर्वितरण, उत्तराधिकार में परोपकार और अरबपतियों की सामाजिक जिम्मेदारी पर बहस को फिर से प्रासंगिक बना दिया है।
दान से संबंधित प्रमुख तथ्य
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कुल दान: 12.4 मिलियन क्लास B शेयर (प्रति शेयर मूल्य: $485.68)
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दान की कुल राशि: लगभग $6 अरब
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शेयर ट्रांसफर की तारीख: 30 जून 2025
जिन संस्थानों को दान मिला:
फाउंडेशन का नाम | प्राप्त शेयरों की संख्या |
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बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ट्रस्ट | 94 लाख शेयर |
सुसान थॉम्पसन बफेट फाउंडेशन | 9.43 लाख शेयर |
शेरवुड फाउंडेशन | 6.60 लाख शेयर |
हॉवर्ड जी. बफेट फाउंडेशन | 6.60 लाख शेयर |
नोवो फाउंडेशन | 6.60 लाख शेयर |
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वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना
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बफेट की प्रतिज्ञा को आगे बढ़ाना कि वे अपनी संपत्ति का 99.5% दान में देंगे
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उनके बच्चों को भविष्य में शेष संपत्ति को सार्वजनिक भलाई हेतु संचालित करने की जिम्मेदारी देना
पृष्ठभूमि और दर्शन
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वॉरेन बफेट ने 2006 में अपनी संपत्ति दान करने की शुरुआत की थी।
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वे 2021 में गेट्स फाउंडेशन के ट्रस्टी पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन अब भी नियमित दानदाता हैं।
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उनका परोपकार “सरल निर्णय, दीर्घकालिक निवेश और चक्रवृद्धि प्रभाव” के सिद्धांत पर आधारित है।
महत्त्व
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यह दान विश्व में सबसे बड़े व्यक्तिगत दान में से एक है।
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यह अरबपतियों के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व की एक मिसाल कायम करता है।
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बफेट की यह पहल परोपकार को उत्तराधिकार की संस्कृति का हिस्सा बनाती है।