नीति आयोग ने “भारत में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने” पर रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (IFC) के सहयोग से “भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना” शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के MSME क्षेत्र का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक सुव्यवस्थित सुधार योजना सुझाई गई है। रिपोर्ट में वित्तपोषण, नवाचार, कौशल विकास और बाज़ार तक पहुँच जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि MSMEs न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक बाज़ारों में भी सफलतापूर्वक कार्य कर सकें।

क्यों चर्चा में है?

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत अपने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को मजबूत करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। MSMEs न केवल रोज़गार प्रदान करने में बल्कि GDP में योगदान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र की चुनौतियों को दूर करना स्थायी आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। NITI आयोग की यह रिपोर्ट वित्तपोषण, कौशल विकास और तकनीकी अपनाने जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संगठित सुधारों के माध्यम से MSMEs की क्षमता को सशक्त करने की दिशा में एक रोडमैप प्रस्तुत करती है।

उद्देश्य और लक्ष्य

इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य भारत के MSME क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है, जिसके लिए निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियों को दूर करने की सिफारिश की गई है:

  • सीमित ऋण सुविधा

  • कुशल श्रम की कमी

  • तकनीक को अपनाने में बाधाएँ

  • बाज़ार में एकीकरण की कमी

रिपोर्ट MSMEs को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर एकीकरण और आर्थिक वृद्धि में अधिक योगदान देने के लिए सक्षम बनाने हेतु कार्यान्वयन योग्य सुझाव प्रदान करती है।

प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशें

1. ऋण की उपलब्धता

  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए औपचारिक ऋण की पहुँच 2020 से 2024 के बीच 14% से बढ़कर 20% हुई है।

  • मध्यम उद्यमों के लिए यह आंकड़ा 4% से 9% हुआ है।

  • इसके बावजूद, MSMEs की कुल ऋण मांग का केवल 19% ही पूरा हो पा रहा है।

  • सिफारिश: CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट) को सुदृढ़ कर समावेशी और मापनीय वित्तपोषण को सक्षम बनाना।

2. कौशल विकास

  • MSME कार्यबल में प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी कमी है।

  • सिफारिश: R&D और नवाचार जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।

3. तकनीकी अपनाना और नवाचार

  • MSMEs को आधुनिक तकनीक अपनाने में समस्याएं आती हैं, जैसे:

    • अनियमित बिजली आपूर्ति

    • कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी

    • उच्च लागत

  • सिफारिश: राज्य सरकारें डिजिटल टूल्स और आधुनिक तकनीक तक पहुँच को बढ़ावा दें।

  • R&D और गुणवत्ता सुधार में निवेश की भी आवश्यकता।

4. बाज़ार पहुँच और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

  • MSMEs की वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच को बढ़ाने के लिए सिफारिशें:

    • डिजिटल मार्केटिंग का प्रशिक्षण

    • लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं के साथ साझेदारी

    • प्रत्यक्ष बाज़ार संपर्क के लिए प्लेटफॉर्म बनाना

  • पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत जैसे उच्च संभावनाओं वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान।

नीति ढांचा

  • रिपोर्ट राज्य स्तर पर एक मजबूत, अनुकूलनशील और क्लस्टर आधारित नीति ढांचे की आवश्यकता पर बल देती है।

  • यह ढांचा MSMEs को नवाचार, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक परिवर्तन में भागीदारी के लिए सशक्त करेगा।

फोर्ब्स डब्ल्यू-पावर लिस्ट 2025 में भारत की अग्रणी महिला अचीवर्स को मान्यता दी गई

एक ऐसे समय में जब दुनिया महिला नेतृत्व की शक्ति और क्षमता को तेजी से पहचान रही है, फोर्ब्स इंडिया ने अपनी बहुप्रतीक्षित W-पावर सूची 2025 (W-Power List 2025) जारी की है। यह सूची उन प्रभावशाली और स्वनिर्मित भारतीय महिलाओं को सम्मानित करती है जो व्यवसाय, विज्ञान, खेल, कला, और उद्यमिता जैसे विविध क्षेत्रों से ताल्लुक रखती हैं और अपने-अपने क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर रही हैं।

क्यों है यह ख़बर में?

फोर्ब्स इंडिया ने हाल ही में W-पावर 2025 सूची प्रकाशित की है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रभाव डालने वाली स्वनिर्मित महिलाओं को शामिल किया गया है। ये महिलाएं पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देकर भारत और विश्व में सफलता की नई परिभाषा गढ़ रही हैं।

W-पावर सूची 2025 के बारे में

  • वार्षिक पहल, जिसमें भारत की अग्रणी, स्वनिर्मित महिलाओं को पहचान दी जाती है।

  • उद्देश्य: उन महिलाओं को सामने लाना जो नेतृत्व कर रही हैं — चाहे वह व्यवसाय, राजनीति, विज्ञान, कला, या खेल हो।

  • प्रेरणा स्रोत: अगली पीढ़ी की महिलाओं को प्रेरित करना, उन्हें सशक्त बनाना।

मुख्य विशेषताएं

  • व्यवसायों की विविधता: सूची में CEO, वैज्ञानिक, खिलाड़ी, फिल्म निर्माता, कलाकार, निवेशक शामिल हैं।

  • स्वनिर्मित सफलता पर ज़ोर: इनमें से अधिकांश महिलाओं ने अपनी सफलता प्रतिभा, दृढ़ता, और नवाचार के दम पर अर्जित की है।

प्रमुख नाम 

  • गीता गोपीनाथ – प्रथम उप प्रबंध निदेशक, IMF

  • लीना नायर – वैश्विक CEO, Chanel

  • स्मृति मंधाना, पीवी सिंधु, मनु भाकर – अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

  • पायल कपाड़िया – पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता

  • डॉ. प्रतिमा मूर्ति – निदेशक, NIMHANS

  • रोहिणी अय्यर – पीआर और मार्केटिंग उद्यमी

  • शेफाली गोराडिया – चेयरपर्सन, डेलॉयट साउथ एशिया

  • विशाखा मुल्ये – CEO, आदित्य बिड़ला कैपिटल लिमिटेड

महत्वपूर्ण आँकड़े

  • 5 महिलाएं अंतरराष्ट्रीय संगठनों में कार्यरत

  • 3 शीर्ष खिलाड़ी

  • 4 फिल्म व कला क्षेत्र से

  • 4 प्रमुख निर्णायक मंडल सदस्य

उद्देश्य और महत्व

  • महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व का उत्सव

  • पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में लैंगिक समावेशन को प्रोत्साहन

  • युवा परिवर्तनकर्ताओं और उद्यमियों को प्रेरित करने के लिए आदर्श प्रस्तुत करना

लक्कुंडी स्मारक समूह को यूनेस्को की अंतरिम सूची में शामिल करने का प्रस्ताव

भारत की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में, कर्नाटक के लक्कुंडी और उसके आसपास स्थित प्राचीन मंदिरों एवं स्मारकों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची (Tentative List) में शामिल किए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ये मंदिर कल्याण चालुक्य काल (10वीं–12वीं शताब्दी ईस्वी) के दौरान निर्मित किए गए थे और स्थापत्य कला की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध माने जाते हैं।

क्यों है यह ख़बर में?

कर्नाटक सरकार ने इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की सहायता से लक्कुंडी स्मारकों और चालुक्य कालीन मंदिरों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल कराने हेतु प्रस्ताव तैयार किया है। ये स्मारक यूनेस्को के सांस्कृतिक मानकों को पूर्ण करते हैं।

स्थान और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • स्थिति: गडग ज़िला, कर्नाटक

  • निर्माण काल: 10वीं से 12वीं शताब्दी, कल्याण चालुक्य वंश के शासन में

  • महत्व: चालुक्य युग की स्थापत्य तकनीकों और सांस्कृतिक उत्कर्ष के अद्वितीय उदाहरण

यूनेस्को मानदंड जिनको पूरा किया गया है

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: नागर, द्रविड़ और भूमिजा शैलियों के सम्मिलन से बनी वेसर शैली का उत्कर्ष

  • ऐतिहासिक महत्व: मंदिर वास्तुकला और तकनीकी उन्नति का प्रतीक — जैसे कि बावड़ियाँ (स्टेपवेल्स)

प्रस्ताव में शामिल प्रमुख संरचनाएँ

लक्कुंडी में:

  • काशी विश्वेश्वर मंदिर

  • मणिकेश्वर मंदिर

  • नन्नेश्वर मंदिर

  • ब्रह्मा जिनालय (1007 ई.)

  • मुसुकिना बावि

आसपास के मंदिर:

  • डोड्डबासप्पा मंदिर (डांबळ)

  • जापडा बावि

  • त्रिकुटेश्वर मंदिर (गडग)

  • महादेव मंदिर (इटागी)

  • श्री मल्लिकार्जुन मंदिर (कुरुवट्टी)

  • सोमेश्वर मंदिर (लक्ष्मेश्वर)

  • तारकेश्वर मंदिर (हंगल)

स्थापत्य महत्व

  • वेसर शैली का अनूठा समन्वय

  • मंदिर परिसरों में शामिल बावड़ियाँ, कई बार मंदिरों से भी बड़ी और अधिक सजावटी

  • वास्तुकला, जल संरचना, और सामाजिक उपयोगिता का अद्भुत समावेश

प्रक्रिया और आगे के कदम

  • प्रस्ताव की समीक्षा INTACH और पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ कर रहे हैं

  • अस्थायी सूची में शामिल होने के 1 वर्ष बाद पूर्ण नामांकन डोज़ियर (dossier) प्रस्तुत किया जाएगा

  • कर्नाटक के अन्य अस्थायी सूची वाले स्थल:

    • बादामी

    • ऐहोले

    • श्रीरंगपट्टन

    • हीरे बेनकल

    • डेक्कन सल्तनत स्मारक

भारत ने ITER के लिए प्रमुख मैग्नेट प्रणाली को पूरा करने में मदद की

भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वैश्विक उपलब्धि में अहम भूमिका निभाई है — आईटीईआर (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर) परियोजना के मुख्य चुंबक प्रणाली (Magnet System) के निर्माण को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी न्यूक्लियर फ्यूजन परियोजना है, जिसका उद्देश्य सूर्य की ऊर्जा प्रक्रिया को पृथ्वी पर दोहराकर स्वच्छ और कार्बन-मुक्त ऊर्जा उत्पन्न करना है। इस परियोजना में भारत ने क्रायोस्टैट चैम्बर के डिजाइन और निर्माण से लेकर, ठंडा करने और गर्म करने की अत्याधुनिक प्रणालियों को विकसित करने तक में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

क्यों है यह ख़बर में?

आईटीईआर परियोजना पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने इसके सेंट्रल सोलोनॉयड (Central Solenoid) — यानी मुख्य चुंबकीय प्रणाली — को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारत, इस बहुपक्षीय परियोजना के संस्थापक सदस्य देशों में से एक है और इसकी अवसंरचना में भारत की भागीदारी ऊर्जा अनुसंधान में भारत की वैश्विक भूमिका को रेखांकित करती है

आईटीईआर परियोजना: एक परिचय

  • पूरा नाम: अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर

  • उद्देश्य: औद्योगिक स्तर पर फ्यूजन ऊर्जा की व्यवहार्यता को साबित करना

  • सदस्य देश: भारत, चीन, अमेरिका, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, और यूरोपीय संघ (आयोजक)

  • स्थान: कैडाराश (Cadarache), दक्षिण फ्रांस

  • ऊर्जा लक्ष्य: 50 मेगावाट इनपुट से 500 मेगावाट फ्यूजन ऊर्जा (10 गुना ऊर्जा लाभ)

भारत का योगदान

  • क्रायोस्टैट का डिजाइन और निर्माण

    • आकार: 30 मीटर ऊँचा और चौड़ा

    • कार्य: टोकामक को समाहित करता है और अल्ट्रा-कोल्ड वातावरण बनाए रखता है

  • क्रायोलाइन्स (Cryolines)

    • द्रव हीलियम को −269°C तक पहुँचाकर सुपरकंडक्टिंग चुंबकों को ठंडा करता है

  • इन-वॉल शील्डिंग व कूलिंग सिस्टम

    • विकिरण से सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिरता बनाए रखता है

  • हीटिंग सिस्टम

    • प्लाज्मा को 15 करोड़ °C तक गर्म करने में सक्षम — सूर्य से भी अधिक तापमान

हालिया उपलब्धि – चुंबकीय प्रणाली

  • सेंट्रल सोलोनॉयड का छठा मॉड्यूल (अमेरिका में निर्मित) पूरा हुआ

  • यह “इलेक्ट्रोमैग्नेटिक दिल” है जो अत्यधिक गर्म प्लाज़्मा को नियंत्रित करता है

  • इसकी चुंबकीय ताकत इतनी है कि यह एक एयरक्राफ्ट कैरियर को उठा सकती है

वैश्विक सहयोग की विशेषताएँ

  • निर्माण लागत: यूरोपीय संघ 45% वहन करता है, बाकी सभी देश ~9% के अनुपात में

  • अनुसंधान लाभ: सभी भागीदारों को डेटा, पेटेंट, और परिणामों तक समान पहुंच

  • उपकरण निर्माण: 30+ देशों, 100+ फैक्ट्रियों, 3 महाद्वीपों से पुर्जे आए

  • 2025 की उपलब्धि: पहला वैक्यूम वेसल मॉड्यूल तय समय से पहले स्थापित

भविष्य की दिशा

  • आईटीईआर बिजली नहीं बनाएगा, यह सिर्फ परीक्षण के लिए है

  • लक्ष्य: बर्निंग प्लाज़्मा प्राप्त करना — यानी स्वयं-संचालित फ्यूजन प्रक्रिया

  • इस परियोजना से प्राप्त डेटा वाणिज्यिक फ्यूजन रिएक्टरों के विकास में मदद करेगा

  • निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ रही है, जिससे नवाचार को बल मिलेगा

भारत ने पाकिस्तान से सभी आयात पर प्रतिबंध क्यों लगाया?

22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने एक कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान से सभी प्रकार के माल के आयात और पारगमन (Transit) पर प्रतिबंध लगा दिया है, चाहे वह किसी तीसरे देश के माध्यम से ही क्यों न आ रहा हो। यह निर्णय भारत-पाकिस्तान के बिगड़ते संबंधों, सीमा पर बढ़ती सुरक्षा और सीमा पार आतंकवाद की फंडिंग को रोकने की नीति के तहत लिया गया है।

तत्काल व्यापार प्रतिबंध घोषित

2 मई 2025 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर पाकिस्तान से सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन को प्रतिबंधित कर दिया। यह प्रतिबंध यूएई, सिंगापुर और कोलंबो जैसे ट्रांजिट हब के माध्यम से आने वाले सामानों पर भी लागू होगा, जिन्हें अब तक प्रत्यक्ष व्यापार प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए प्रयोग किया जा रहा था।

सरकार ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकनीति के हित में आवश्यक” बताते हुए कहा कि किसी भी अपवाद के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी।

पिछले दरवाज़ों से हो रहे व्यापार पर रोक

हालांकि अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को पिछले महीने बंद कर दिया गया था, फिर भी पाकिस्तान से सामान तीसरे देशों के माध्यम से भारत पहुंच रहा था। खासतौर पर यूएई से खजूर, सूखे मेवे आदि का आयात हो रहा था, क्योंकि भारत-यूएई के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, करीब $10 अरब के भारतीय उत्पाद पाकिस्तान तक इन वैकल्पिक मार्गों से पहुंचते हैं। नया आदेश इन सभी रास्तों को पूर्ण रूप से बंद कर देता है।

व्यापार आंकड़े और आर्थिक प्रभाव

2019 के पुलवामा हमले के बाद से भारत-पाक व्यापारिक संबंध लगातार घटते रहे हैं:

  • 2018–19: ₹4,370.78 करोड़

  • 2022–23: ₹2,257.55 करोड़

  • 2023–24: ₹3,886.53 करोड़ (पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक)

भारत से पाकिस्तान को प्रमुख निर्यात:

  • सोया बीन

  • मुर्गी चारा

  • लाल मिर्च

  • सब्ज़ियां

  • प्लास्टिक ग्रैन्यूल व यार्न

पाकिस्तान से आयातित वस्तुएं:

  • खजूर, सूखे मेवे

  • सीमेंट व जिप्सम

  • काँच, जड़ी-बूटियाँ, सेंधा नमक

GTRI प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने कहा:

“भारत को पाकिस्तानी सामान पर निर्भरता नहीं है, इसलिए इसका आर्थिक प्रभाव न्यूनतम है। लेकिन पाकिस्तान को भारतीय उत्पादों की आवश्यकता बनी रहेगी, भले ही वह तीसरे देशों के रास्ते पहुंचे।”

लंबी अवधि के व्यापारिक अवसर समाप्त

विश्व बैंक के अनुसार, भारत-पाक व्यापार की संभावना $37 अरब तक थी, लेकिन वास्तविक व्यापार $2 अरब सालाना तक सीमित रहा।

  • भारत का कुल वस्तु व्यापार: $430 अरब

  • पाकिस्तान का कुल व्यापार: $100 अरब

  • 2018–19 में 49,102 कार्गो खेपें थीं, जो 2022–23 में घटकर 3,827 रह गईं

व्यापार से आगे की कूटनीति: MDBs को अलर्ट

भारत ने विश्व बैंक, IMF और एशियाई विकास बैंक (ADB) जैसे बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से पाकिस्तान को ऋण और सहायता देने पर विरोध जताने का निर्णय लिया है। यह रणनीति आतंकी फंडिंग के स्रोतों को रोकने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।

पहलगाम हमले के बाद उठाए गए अन्य कदम

  • सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया

  • अटारी-वाघा सीमा बंद, प्रत्यक्ष व्यापार रुका

  • राजनयिक संबंधों को घटाया

  • सीमाओं और संवेदनशील क्षेत्रों पर सुरक्षा बढ़ाई गई

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025: इतिहास और महत्व

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) 3 मई 2025 को मनाया जा रहा है — यह दिन लोकतांत्रिक समाज में स्वतंत्र, निष्पक्ष और बहुलवादी मीडिया की अहम भूमिका को सम्मान देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अवसर है। यह दिवस हर वर्ष 1993 से मनाया जा रहा है और इसका उद्देश्य है पत्रकारों को सेंसरशिप, हिंसा और उत्पीड़न जैसी चुनौतियों से बचाना और प्रेस की स्वतंत्रता को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में स्थापित करना। यह दिन सही जानकारी तक जनता की पहुंच और पारदर्शिता, जवाबदेही तथा लोकतंत्र को बनाए रखने में पत्रकारों की भूमिका को रेखांकित करता है।

क्यों है चर्चा में?

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 को 3 मई को वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है, जिसमें पत्रकारों को बढ़ते खतरों से बचाने की अपील की गई है और डिजिटल निगरानी व गलत सूचना (disinformation) के दौर में स्वतंत्र पत्रकारिता की अहमियत को दोहराया गया है।

पृष्ठभूमि

  • स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1993 में

  • प्रेरणा स्रोत: विंडहोक घोषणा (Windhoek Declaration), 1991, नामीबिया

  • आयोजनकर्ता: प्रतिवर्ष यूनेस्को (UNESCO)

  • प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है: 3 मई

उद्देश्य

  • प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना

  • खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे पत्रकारों को सम्मान देना

  • उत्पीड़न, कारावास और हिंसा जैसी चुनौतियों के प्रति जागरूकता फैलाना

  • नैतिक पत्रकारिता और सार्वजनिक मीडिया साक्षरता को प्रोत्साहित करना

2025 में प्रासंगिकता

  • पारदर्शी शासन और जागरूक नागरिकता की आवश्यकता को मजबूत करता है

  • डिजिटल दुष्प्रचार और AI-जनित सामग्री से उत्पन्न नई चुनौतियों को उजागर करता है

  • समाज में मीडिया साक्षरता (media literacy) के महत्व को रेखांकित करता है

  • कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने अपने कार्य के दौरान जान गंवाई

  • सरकारों, नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है ताकि मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके

PM मोदी ने 8,800 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित विझिनजाम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह राष्ट्र को समर्पित किया

भारत के समुद्री अवसंरचना को नया आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 मई 2025 को केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित विझिंजम अंतरराष्ट्रीय गहरे पानी का बहुउद्देश्यीय बंदरगाह का उद्घाटन किया। ₹8,800 करोड़ की लागत से विकसित यह अत्याधुनिक बंदरगाह अब भारत का एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब बनने जा रहा है, जो दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक जहाजों को संभालने में सक्षम है और भारत की विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता को कम करेगा। इसका उद्घाटन आदि शंकराचार्य की जयंती पर हुआ, जिससे इस आर्थिक उपलब्धि को एक आध्यात्मिक महत्व भी मिला।

क्यों है चर्चा में?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 मई 2025 को इस बंदरगाह को राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह उस समय आया है जब सरकार सागरमाला, पीएम-गति शक्ति, और मैरिटाइम अमृत काल विजन जैसी पहलों के अंतर्गत तटीय विकास और भारत को एक वैश्विक व्यापार और लॉजिस्टिक्स हब बनाने पर जोर दे रही है।

विझिंजम बंदरगाह की प्रमुख विशेषताएं:

  • कुल लागत: ₹8,800 करोड़

  • भारत का पहला गहरे पानी वाला, बहुउद्देश्यीय, ट्रांसशिपमेंट पोर्ट

  • 20,000 TEU से अधिक क्षमता वाले विश्व के सबसे बड़े कार्गो जहाजों को समायोजित करने में सक्षम

  • अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से मात्र 10 नॉटिकल मील की दूरी पर स्थित

  • पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत अडाणी पोर्ट्स द्वारा संचालित

उद्देश्य और लक्ष्य:

  • ट्रांसशिपमेंट के लिए भारत की विदेशी बंदरगाहों पर 75% निर्भरता को कम करना

  • वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाना

  • केरल जैसे तटीय राज्यों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना

  • बंदरगाह आधारित औद्योगिक विकास के माध्यम से रोजगार के अवसर सृजित करना

रणनीतिक महत्व:

  • इंडो-पैसिफिक समुद्री व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र बनने की स्थिति

  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) से जुड़ेगा

  • मैरिटाइम अमृत काल विजन 2047 में भारत की भूमिका को मजबूती

  • केरल भारत की लॉजिस्टिक्स और निर्यात अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाएगा

नीति समर्थन:

  • सागरमाला परियोजना: बंदरगाह अवसंरचना और कनेक्टिविटी का आधुनिकीकरण

  • पीएम-गति शक्ति: सड़क, रेल, हवाई और समुद्री क्षेत्रों की एकीकृत योजना

  • सीफेयरर नीति सुधार: भारतीय नाविकों की संख्या 2014 में 1.25 लाख से बढ़ाकर 2024 में 3.25 लाख

  • बजट 2025: स्वदेशी जहाज निर्माण और बड़े जहाजों के निर्माण को बढ़ावा

केरल के लिए महत्व:

  • केरल की ऐतिहासिक समुद्री व्यापार विरासत को सशक्त बनाना

  • हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसरों का सृजन

  • MSME, पर्यटन, मत्स्य पालन और जहाजरानी उद्योग को बढ़ावा

  • कोच्चि के उभरते जहाज निर्माण और मरम्मत क्लस्टर को सहयोग

अन्य संबंधित विकास:

  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य बंदरगाहों का आधुनिकीकरण

  • आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास: वंदे भारत ट्रेनें, राजमार्ग, बायपास

  • जल जीवन मिशन, उज्ज्वला योजना, और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का निर्यात रिकॉर्ड 824.9 बिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगा: आरबीआई डेटा

भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश का कुल निर्यात अब तक के सर्वोच्च स्तर यानी 824.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। यह आंकड़ा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नवीनतम सेवाओं व्यापार रिपोर्ट में सामने आया है। यह निर्यात पिछले वर्ष के 778.1 अरब डॉलर की तुलना में 6.01% की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। इस उछाल में सेवाओं के निर्यात की विशेष भूमिका रही, जिसमें दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। यह भारत की आईटी, परामर्श, वित्त और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में बढ़ती दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को उजागर करता है।

क्यों है समाचारों में?

भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश का कुल निर्यात अब तक के सबसे ऊँचे स्तर यानी 824.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 2 मई 2025 को जारी नवीनतम सेवाओं व्यापार रिपोर्ट में सामने आई है। यह पिछले वर्ष (2023–24) के 778.1 अरब डॉलर के आंकड़े की तुलना में 6.01% की वृद्धि दर्शाता है।

इस वृद्धि में सेवाओं के निर्यात की बड़ी भूमिका रही, जिसमें दोहरे अंकों की वृद्धि हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब आईटी, परामर्श, वित्त और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन रहा है।

वित्त वर्ष 2024–25 में निर्यात प्रदर्शन

श्रेणी आंकड़ा (अरब डॉलर में) वृद्धि (%)
कुल निर्यात 824.9 6.01%
सेवाओं का निर्यात 387.5 13.6%
माल निर्यात (पेट्रोलियम छोड़कर) 374.1 6.0%

मार्च 2025 का त्वरित विवरण

  • सेवाओं का निर्यात (मार्च 2025): 35.6 अरब डॉलर

  • मार्च 2024 की तुलना में वृद्धि: 18.6%

  • सेवाओं का निर्यात (मार्च 2024): 30.0 अरब डॉलर

उद्देश्य और महत्व

  • विविधीकृत निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

  • पेट्रोलियम-आधारित उत्पादों पर निर्भरता कम करना

  • आईटी, वित्त, अनुसंधान व विकास (R&D), और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना

  • मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, और स्टार्टअप इंडिया अभियानों को समर्थन

  • वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की लचीलापन और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना

पृष्ठभूमि और नीतिगत संदर्भ

  • विदेश व्यापार नीति 2023 का लक्ष्य है कि 2030 तक कुल निर्यात को $2 ट्रिलियन तक पहुँचाया जाए — जिसमें नवाचार, डिजिटलीकरण और नए व्यापार बाजारों पर जोर है।

  • सरकार द्वारा उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, व्यापारिक बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • यह निर्यात वृद्धि भू-राजनीतिक तनावों और मुद्रास्फीति जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद दर्ज की गई है।

सुनील भारती मित्तल रोजगार सृजन को बढ़ावा देने हेतु विश्व बैंक की निवेश प्रयोगशाला में शामिल हुए

भारती एंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल विश्व बैंक की उच्च स्तरीय पहल ‘प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट लैब’ (PSIL) से जुड़े हैं, जिसका उद्देश्य उभरते हुए बाजारों में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए निजी क्षेत्र द्वारा संचालित समाधानों को तेज़ी से बढ़ावा देना है। इस पहल के नवीनतम चरण में ऊर्जा, अवसंरचना और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली निवेश रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के शीर्ष वैश्विक नेताओं को शामिल किया गया है। सुनील भारती मित्तल की भागीदारी भारत की वैश्विक निवेश नीति निर्माण में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।

समाचार में क्यों?

विश्व बैंक समूह ने 24 अप्रैल, 2025 को प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट लैब (PSIL) के अगले चरण की शुरुआत की, जिसमें विकास के मुख्य घटक के रूप में रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सुनील भारती मित्तल का इस पहल में शामिल होना, वैश्विक निवेश रणनीतियों और निजी क्षेत्र के विकास में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

PSIL के उद्देश्य और फोकस क्षेत्र:

  • विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना

  • उच्च-जोखिम वाले बाजारों में नियामक और वित्तीय बाधाओं को दूर करना

  • रोज़गार सृजन को विकास की केंद्रीय प्राथमिकता बनाना

  • अवसंरचना, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि आदि क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना

मुख्य बिंदु:

  • सुनील भारती मित्तल के साथ अन्य वैश्विक नेता भी इस पहल में शामिल हुए हैं, जैसे:

    • अलिको डांगोटे (डांगोटे समूह)

    • मार्क होपलामेज़ियन (हयात होटल्स)

    • बिल एंडरसन (बेयर एजी)

  • PSIL के पाँच प्रमुख फोकस क्षेत्र:

    1. नियामक और नीतिगत स्पष्टता

    2. राजनीतिक जोखिम बीमा

    3. स्थानीय मुद्रा में वित्तपोषण

    4. जूनियर इक्विटी पूंजी

    5. सेक्यूरिटाइज़ेशन

महत्त्व:

  • पूंजी प्रवाह में जोखिम को कम करके विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करता है

  • निजी पूंजी को विश्व बैंक की विकास रूपरेखा में एकीकृत करता है

  • नियामक सुधारों के माध्यम से 30 करोड़ अफ्रीकी नागरिकों को बिजली से जोड़ने का लक्ष्य

  • फ्रंटियर ऑपर्च्युनिटी फंड की शुरुआत, प्रारंभिक चरण के निवेशों को समर्थन देने के लिए

  • 2030 तक गारंटी के उपयोग को तीन गुना करने का लक्ष्य

पृष्ठभूमि:

  • PSIL की स्थापना 2023 में विश्व बैंक द्वारा की गई थी, ताकि उभरते बाज़ारों में निजी निवेश की चुनौतियों को हल किया जा सके

  • इसकी अध्यक्षता शृती वाडेरा कर रही हैं, जो प्रूडेंशियल पीएलसी की चेयरपर्सन हैं

  • संस्थापक सदस्यों में ब्लैकरॉक, HSBC, टाटा संस, टेमासेक आदि शामिल हैं

सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में? सुनील भारती मित्तल ने विश्व बैंक की इन्वेस्टमेंट लैब में भागीदारी की, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने हेतु
पहल प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट लैब (PSIL)
संगठन वर्ल्ड बैंक समूह
नए सदस्य सुनील भारती मित्तल, अध्यक्ष, भारती एंटरप्राइज़ेज़
प्रमुख क्षेत्र विनियमन, जोखिम बीमा, स्थानीय वित्तपोषण, जूनियर इक्विटी, सेक्योरिटाइज़ेशन
मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में निजी निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना
PSIL की अध्यक्ष श्रुति वडे़रा (प्रुडेंशियल पीएलसी)
उदाहरण परियोजना 30 करोड़ अफ्रीकी लोगों को बिजली से जोड़ना

SBI भारत भर में 26 भूमि बंदरगाहों पर बैंकिंग सेवाएं शुरू करेगा

भारत की सीमा व्यापार और यात्री आवाजाही ढांचे को मज़बूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (LPAI) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह रणनीतिक साझेदारी भारत के नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों से जुड़ने वाले 26 लैंड पोर्ट्स पर बैंकिंग सेवाएं स्थापित और उन्नत करने का लक्ष्य रखती है।

समाचार में क्यों?
29 अप्रैल 2025 को SBI और LPAI के बीच यह MoU साइन हुआ, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विदेशी मुद्रा लेनदेन और वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा देना है। यह भारत के “विकसित भारत 2047” दृष्टिकोण के अनुरूप है।

उद्देश्य और लक्ष्य:

  • सीमावर्ती बंदरगाहों पर विदेशी मुद्रा, बीमा और डिजिटल बैंकिंग सहित व्यापक बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना।

  • सीमा पार व्यापार और यात्री आवागमन को सरल बनाना।

  • व्यापार क्षमता को ₹80,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹2 लाख करोड़ तक करना (2030 तक)।

मुख्य बिंदु:

  • कुल कवर किए गए पोर्ट्स: 8 सीमावर्ती राज्यों में 26 लैंड पोर्ट्स।

  • वर्तमान संचालन:

    • 15 परिचालन लैंड पोर्ट्स

    • 11 नए स्वीकृत पोर्ट्स (जैसे यूपी, बिहार, मिज़ोरम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल में)

  • 2023-24 का व्यापार और यातायात डेटा:

    • ₹70,952 करोड़ का व्यापार

    • 30.46 लाख यात्री आवाजाही

  • 10 वर्षों में वृद्धि:

    • व्यापार में 15 गुना वृद्धि

    • यात्री यातायात में 18 गुना वृद्धि

SBI द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं:

  • विदेशी मुद्रा लेनदेन (फॉरेक्स)

  • थोक कार्गो बीमा

  • कॉर्पोरेट वेतन पैकेज (LPAI कर्मचारियों को दुर्घटना बीमा और लॉकर छूट सहित)

  • डिजिटल बैंकिंग उत्पाद

  • व्यक्तिगत व व्यावसायिक बैंकिंग सहायता

महत्त्व:

  • भारत की सीमाओं पर वित्तीय समावेशन और व्यापार सुगमता को बढ़ावा।

  • भारत को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाने की दिशा में समर्थन।

  • सीमावर्ती राज्यों की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और रोजगार सृजन करना।

सारांश / स्थैतिक तथ्य विवरण
समाचार में क्यों? SBI भारत के 26 लैंड पोर्ट्स पर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेगा
समझौता पक्ष भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (LPAI)
लैंड पोर्ट्स की संख्या कुल 26 (15 चालू, 11 प्रस्तावित)
व्यापार मात्रा (2023-24) ₹70,952 करोड़
यात्री आवाजाही प्रति वर्ष 30.46 लाख
SBI का लक्ष्य 2030 तक व्यापार को ₹2 लाख करोड़ तक पहुँचाना
प्रमुख सेवाएं विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स), बीमा, डिजिटल बैंकिंग, वेतन पैकेज आदि

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