विश्व एथलेटिक्स दिवस 2025: इतिहास और महत्व

वर्ल्ड एथलेटिक्स डे 2025 को 7 मई को विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है। यह दिन युवाओं में एथलेटिक्स की भागीदारी को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य-सचेत जीवनशैली को प्रोत्साहित करने की परंपरा को जारी रखता है। इस वार्षिक आयोजन की शुरुआत इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन (IAAF)—जो अब “वर्ल्ड एथलेटिक्स” के नाम से जाना जाता है—द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य स्कूलों, कॉलेजों और स्थानीय समुदायों में ट्रैक और फील्ड प्रतियोगिताओं का आयोजन कराना और अनुशासन, टीमवर्क तथा निरंतरता जैसे मूल्यों को विकसित करना है।

क्यों है समाचारों में?

वर्ल्ड एथलेटिक्स डे 2025 आज, 7 मई को मनाया जा रहा है, जो इस वैश्विक आयोजन का 29वां संस्करण है। यह दिन युवाओं में निष्क्रियता, मोटापे और नियमित शारीरिक गतिविधियों के मानसिक लाभों को लेकर बढ़ती चिंता के बीच विशेष महत्व प्राप्त कर रहा है। इस वर्ष की थीम अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन वर्ल्ड एथलेटिक्स द्वारा समावेशिता, स्थायित्व और सशक्तिकरण पर केंद्रित अभियान की अपेक्षा की जा रही है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • युवा प्रतिभागिता को जमीनी स्तर पर एथलेटिक्स में प्रोत्साहित करना

  • शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देना

  • ओलंपिक मूल्यों जैसे निष्पक्ष खेल, ईमानदारी और टीमवर्क को बढ़ावा देना

  • नई प्रतिभाओं की खोज करना जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर सकें

  • लिंग समानता को खेलों में सुनिश्चित करना

  • सक्रिय जीवनशैली के दीर्घकालिक फायदों के प्रति जागरूकता फैलाना

पृष्ठभूमि और इतिहास

  • 1996: IAAF अध्यक्ष प्रीमो नेबिओलो के नेतृत्व में पहला वर्ल्ड एथलेटिक्स डे मनाया गया

  • 1912: IAAF की स्थापना स्टॉकहोम ओलंपिक के बाद हुई

  • 2001: IAAF का नाम बदलकर इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशंस किया गया

  • 2019: संगठन को अधिक आधुनिक पहचान देने हेतु नाम बदलकर World Athletics किया गया

इस दिन का महत्व

  • ट्रैक और फील्ड जैसे खेलों को पुनर्जीवित करता है, जो अक्सर उपेक्षित हो जाते हैं

  • स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाता है और निष्क्रिय जीवनशैली के खिलाफ संदेश देता है

  • युवाओं में अनुशासन, आत्मविश्वास और खेलभावना का विकास करता है

  • खेलों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करता है

  • सतत विकास लक्ष्य 3 (SDG 3): स्वस्थ जीवन और कल्याण के अनुरूप है

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों है समाचारों में? युवाओं के फिटनेस को बढ़ावा देने हेतु विश्व स्तर पर वर्ल्ड एथलेटिक्स डे 2025 मनाया गया
आयोजन तिथि 7 मई 2025
शुरुआत करने वाला संगठन अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन (IAAF)
वर्तमान नाम वर्ल्ड एथलेटिक्स
उद्देश्य युवाओं की फिटनेस और एथलेटिक्स में भागीदारी को प्रोत्साहित करना
थीम (2025) अभी घोषित नहीं हुई
महत्व शारीरिक गतिविधि, खेल संस्कृति और समावेशिता को बढ़ावा देना

इंटरनेशनल नो डाइट डे 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 6 मई को इंटरनेशनल नो डायट डे (International No Diet Day) मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य शरीर की सकारात्मकता (body positivity), आत्म-स्वीकृति (self-acceptance) को बढ़ावा देना और हानिकारक डायट कल्चर को अस्वीकार करना है। 1992 में शुरू हुए इस आंदोलन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, शरीर की विविधता को स्वीकार करना और अत्यधिक डाइटिंग व वजन आधारित भेदभाव के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना है।

क्यों है समाचारों में?

6 मई 2025 को इंटरनेशनल नो डायट डे मनाया गया। इस अवसर पर फैटफोबिया (fatphobia) को समाप्त करने, सौंदर्य के सामाजिक मानकों को चुनौती देने और समावेशी स्वास्थ्य पद्धतियों के महत्त्व को उजागर करने की अपील की गई। इस वर्ष विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य, “इंट्युटिव ईटिंग” (सहज भोजन) और बिना डाइटिंग के समर हेल्थ टिप्स पर ध्यान दिया गया।

इंटरनेशनल नो डायट डे के मुख्य उद्देश्य

  • डायटिंग और बॉडी शेमिंग के हानिकारक प्रभावों को चुनौती देना।

  • शरीर की विविधता को बढ़ावा देना और यह समझाना कि स्वास्थ्य हर आकार और आकार में संभव है।

  • विशेष रूप से युवाओं में खाने से संबंधित विकारों (Eating Disorders) के प्रति जागरूकता फैलाना।

  • सख्त डाइटिंग की जगह स्वस्थ और टिकाऊ जीवनशैली अपनाने को प्रोत्साहन देना।

  • फैटफोबिया, वजन आधारित भेदभाव और अवास्तविक सौंदर्य मानकों का विरोध करना।

पृष्ठभूमि

  • इसकी शुरुआत 1992 में ब्रिटिश नारीवादी और “डायट ब्रेकर्स” की संस्थापक मैरी इवांस यंग ने की थी।

  • उन्होंने स्वयं एनोरेक्सिया से जूझने के बाद इस आंदोलन की शुरुआत की ताकि लोग अपने शरीर को सम्मान और स्वीकृति दे सकें।

  • पहले यह केवल यूके में मनाया जाता था, लेकिन अब यह एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन बन चुका है।

महत्त्व

  • डाइटिंग के मानसिक और शारीरिक खतरों के बारे में जागरूकता फैलाता है।

  • आत्म-दया, सकारात्मक शरीर छवि और मीडिया साक्षरता को प्रोत्साहित करता है।

  • मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण आंदोलनों से जुड़ता है।

  • लोगों को ऊर्जा और आनंद के लिए स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करता है, न कि केवल रूप-रंग के लिए।

बिना डाइटिंग के फिट रहने के सुझाव

  • संतुलित आहार लें: फल, सब्ज़ियाँ, अनाज, प्रोटीन और अच्छे वसा को शामिल करें।

  • माइंडफुल ईटिंग अपनाएं: भूख लगने पर खाएं, पेट भरने पर रुकें, खाने के समय ध्यान न भटकाएं।

  • हाइड्रेटेड रहें: विशेष रूप से गर्मियों में पर्याप्त पानी पीना ज़रूरी है।

  • पौष्टिक स्नैक्स चुनें: दही, मेवे, फल—प्रोसेस्ड फूड की जगह।

  • नियमित व्यायाम करें: ऐसा व्यायाम चुनें जो आनंददायक और बनाए रखने योग्य हो।

गर्मियों के लिए बेहतरीन खाद्य पदार्थ

  • खीरा, तरबूज, बेरीज़: पानी की मात्रा अधिक, एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर।

  • दही: पाचन स्वास्थ्य में सहायक और ठंडक प्रदान करता है।

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ: आसानी से पचने योग्य और पोषक तत्वों से भरपूर।

तमिलनाडु 5 मई को व्यापारी दिवस घोषित करेगा: सीएम स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने घोषणा की है कि राज्य सरकार जल्द ही 5 मई को आधिकारिक रूप से “व्यापारी दिवस” के रूप में घोषित करेगी। यह निर्णय व्यापार समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चेन्नई में आयोजित एक व्यापारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने समावेशी द्रविड़ीय मॉडल के तहत व्यापारियों के कल्याण को मजबूत करने की राज्य की प्रतिबद्धता को दोहराया। इस प्रतीकात्मक संकेत के साथ-साथ, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) को समर्थन देने के लिए कई प्रमुख वित्तीय एवं विनियामक सुधारों की भी घोषणा की गई।

क्यों है समाचारों में?

5 मई 2025 को चेन्नई में आयोजित एक व्यापारियों की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने यह घोषणा की कि अब 5 मई को “व्यापारी दिवस” के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर व्यापारियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और व्यापार में सुविधा प्रदान करने वाले कई नीतिगत बदलावों की घोषणा की गई। व्यापारी दिवस की घोषणा तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था में व्यापार समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका को औपचारिक रूप से मान्यता देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रमुख घोषणाएं और सुधार

  • 5 मई को व्यापारी दिवस के रूप में घोषित करने के लिए सरकारी आदेश (G.O.) जारी किया जाएगा।

  • तमिलनाडु व्यापारी कल्याण बोर्ड के स्थायी सदस्यों के लिए वित्तीय सहायता ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई।

  • मुफ्त सदस्यता नामांकन की समय-सीमा छह महीने और बढ़ाई गई।

  • 500 वर्ग फुट से छोटे खाद्य व्यवसायों के लिए स्वयं मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई।

  • ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और अन्य नगरीय निकायों के अंतर्गत शिकायत निवारण समितियां गठित की जाएंगी।

  • 9 वर्ग मीटर से छोटे साइनबोर्ड के लिए नाम पट्टिका शुल्क में छूट जारी रहेगी।

  • व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को 24×7 संचालन की अनुमति अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ाई गई।

  • तमिल भाषा पर बल: व्यापारियों को अपने व्यवसायों का नाम तमिल में रखने या अंग्रेज़ी के साथ तमिल संकेतक जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

पृष्ठभूमि और महत्त्व

तमिलनाडु व्यापारी कल्याण बोर्ड राज्य सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य विशाल व्यापारिक समुदाय का कल्याण सुनिश्चित करना है। तमिलनाडु में एक बड़ा लघु और मध्यम उद्यम (SME) क्षेत्र है, जिसमें लाखों असंगठित व्यापारी आपूर्ति श्रृंखला और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाते हैं। यह मान्यता और नीतिगत समर्थन व्यापारिक नियामक बोझ को कम करने, वित्तीय सहायता प्रदान करने और तमिल भाषा एवं सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने की दिशा में एक ठोस कदम है। व्यापारी दिवस की घोषणा राज्य की आर्थिक संरचना में व्यापारियों के योगदान को सम्मानित करती है।

स्टेलिनग्राद युद्ध में योगदान के लिए दिल्ली में बीजू पटनायक स्मारक का अनावरण किया गया

रूस ने महान भारतीय नेता और विमान चालक बिजू पटनायक को सम्मानित करते हुए नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में एक स्मारक पट्टिका का उद्घाटन किया। यह सम्मान उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के स्टालिनग्राद युद्ध के दौरान उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए दिया गया है। इस अवसर पर ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव उपस्थित थे। हालाँकि बिजू पटनायक को अक्सर उनके राजनीतिक योगदान के लिए जाना जाता है, लेकिन युद्धकालीन पायलट के रूप में उन्होंने घिरे हुए रेड आर्मी के लिए आपूर्ति पहुँचाने का जो साहसिक कार्य किया था, उसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान और ऐतिहासिक पहचान दिलाई है।

समाचार में क्यों?

7 मई, 2025 को नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में बिजू पटनायक के योगदान को सम्मानित करते हुए एक स्मारक पट्टिका का अनावरण किया गया। यह कार्यक्रम भारत-रूस के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है और द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय भागीदारी की स्मृति को पुनर्जीवित करता है। यह सम्मान विशेष रूप से स्टालिनग्राद के ऐतिहासिक युद्ध के दौरान सोवियत बलों को आपूर्ति पहुँचाने में बिजू पटनायक की विमानन सेवा को श्रद्धांजलि स्वरूप दिया गया।

द्वितीय विश्व युद्ध में बिजू पटनायक की भूमिका

  • 1936 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हुए।

  • मुख्य रूप से डगलस C-47 डकोटा विमान उड़ाते थे।

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्टालिनग्राद में रेड आर्मी के लिए आपूर्ति मिशनों को अंजाम दिया।

वे इन अभियानों में भी शामिल रहे:

  • रंगून (बर्मा) से निकासी मिशन

  • जापानी आक्रमण के खिलाफ चीन के च्यांग काई शेक को सहायता

  • इंडोनेशिया के स्वतंत्रता आंदोलन में मदद

स्टालिनग्राद युद्ध: प्रमुख बिंदु

  • समय: 23 अगस्त 1942 – 2 फरवरी 1943

  • यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के निर्णायक मोड़ों में से एक था।

  • सोवियत सेना द्वारा ऑपरेशन यूरानस के तहत जर्मन 6वीं सेना को घेरकर पराजित किया गया।

  • लगभग 3 लाख धुरी राष्ट्र के सैनिक फँसे हुए थे।

  • दोनों पक्षों के लिए सुप्लाई अत्यंत आवश्यक थी; बिजू पटनायक ने जर्मन हवाई सुरक्षा को पार करते हुए सहायता पहुँचाई

सम्मान और महत्व

  • मृत्यु के बाद भारत, इंडोनेशिया और रूस—तीनों देशों के झंडों में लिपटा गया उनका पार्थिव शरीर।

  • 1995 में रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 50वीं वर्षगाँठ पर उन्हें पहले ही सम्मानित किया था।

  • रूस का यह वर्तमान सम्मान इस बात पर प्रकाश डालता है:

    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंतरराष्ट्रीय सहयोग

    • स्वतंत्रता से पूर्व भी भारत की वैश्विक भूमिका

    • फासीवाद विरोधी वैश्विक प्रयासों में भारतीय व्यक्तियों के योगदान की अंतरराष्ट्रीय मान्यता

जापान की सुमितोमो मित्सुई यस बैंक के 51% अधिग्रहण के लिए बातचीत

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास के तहत, जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) कथित रूप से यस बैंक में 51% बहुमत हिस्सेदारी खरीदने के लिए उन्नत बातचीत कर रहा है। यदि यह सौदा अंतिम रूप लेता है, तो यह एक निजी भारतीय बैंक में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की एक बड़ी घटना होगी, विशेष रूप से ऐसे बैंक में जो हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से उबर रहा है। यह अधिग्रहण प्रक्रिया भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित प्रमुख शेयरधारकों के साथ बातचीत के जरिए हो रही है, जो वर्तमान में यस बैंक में 24% हिस्सेदारी रखता है।

समाचार में क्यों?

इस संभावित अधिग्रहण ने वित्तीय बाजार में हलचल मचा दी है क्योंकि यह यस बैंक की मालिकाना संरचना और भविष्य की दिशा को प्रभावित कर सकता है। यस बैंक के शेयरों में पहले 10% की तेजी आई, फिर बैंक द्वारा अधिग्रहण से इनकार के बाद केवल 1% पर आ गए — जो बाजार की तत्काल संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक जापानी बैंक द्वारा 51% हिस्सेदारी अधिग्रहण भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक ऐतिहासिक FDI कदम माना जा रहा है।

यस बैंक का पृष्ठभूमि

  • स्थापना: यस बैंक एक प्रमुख भारतीय निजी क्षेत्र का बैंक है।

  • संकट: 2020 में बैंक गलत प्रबंधन और जोखिमपूर्ण ऋण देने की वजह से लगभग ढह गया था।

  • पुनर्गठन: भारत सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और अन्य बैंकों के सहयोग से यस बैंक को स्थिर करने के लिए पुनर्गठन योजना लागू की।

  • SBI की भूमिका: इस योजना के अंतर्गत SBI सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया और उसने 24% हिस्सेदारी अपने पास रखी।

प्रस्तावित अधिग्रहण योजना
सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) की योजना है कि वह –

  • एसबीआई सहित मौजूदा शेयरधारकों से 25% हिस्सेदारी खरीदे।

  • SEBI के नियमों के तहत अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर शुरू करे।

  • SMBC ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से अनुमोदन के लिए आवेदन किया है, जो अभी लंबित है।

  • यस बैंक ने इन अधिग्रहण चर्चाओं से इनकार करते हुए मीडिया रिपोर्ट्स को अनुमान और अटकलें बताया है।

मुख्य हितधारक 

  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI): 24% हिस्सेदारी

  • भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और अन्य बैंक: लगभग 11% हिस्सेदारी

  • सार्वजनिक शेयरधारक (Public Shareholders): शेष बहुमत हिस्सेदारी

रणनीतिक महत्त्व 

SMBC की भागीदारी –

  • यस बैंक को दीर्घकालिक स्थिरता और विश्वसनीयता प्रदान कर सकती है।

  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएं और पूंजी निवेश ला सकती है।

  • यह जापानी कंपनियों की भारतीय वित्तीय बाजारों में बढ़ती रुचि को दर्शाती है।

पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले भारतीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

बढ़ते सीमा-पार तनाव और ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया सैन्य प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में, भारत की पाकिस्तान से लगने वाली सीमा के भू-रणनीतिक महत्व को दोबारा समझना अत्यंत आवश्यक हो गया है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा न केवल रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत-पाकिस्तान सीमा, जिसे आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा (International Border – IB) कहा जाता है, उत्तर में जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैली हुई है। यह सीमा 3,323 किलोमीटर लंबी है और इसे दुनिया की सबसे संवेदनशील और सख्ती से संरक्षित सीमाओं में से एक माना जाता है।

परिचय 

1947 से भारत और पाकिस्तान के बीच एक अशांत सीमा रही है, जिसे युद्धों, घुसपैठ के प्रयासों और लगातार सुरक्षा संबंधी चिंताओं ने चिह्नित किया है। कई भारतीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सीधे तौर पर पाकिस्तान के साथ स्थलीय सीमा साझा करते हैं। ये क्षेत्र रणनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

भारत-पाकिस्तान सीमा को रात में अंतरिक्ष से दिखाई देने वाली सीमाओं में से एक माना जाता है, क्योंकि यहां लगभग 50,000 खंभों पर 1.5 लाख से अधिक फ्लडलाइट्स लगाई गई हैं। यह इसे दुनिया की सबसे अधिक रोशनी वाली सीमाओं में से एक बनाती है।

मुख्य तथ्य: भारत-पाकिस्तान सीमा का सारांश 

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सीमा की लंबाई (किमी में)
जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) 1,222 किमी
राजस्थान 1,170 किमी
गुजरात 506 किमी
पंजाब 425 किमी
कुल 3,323 किमी

पाकिस्तान से सीमा साझा करने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश:

1. जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश)

  • स्थिति: भारत के उत्तर में, कराकोरम और पश्चिमी हिमालय में स्थित

  • सीमाएं: दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान से सीमा; उत्तर-पूर्व और पूर्व में चीन से सीमावर्ती

  • क्षेत्रफल: 2,22,236 वर्ग किमी

  • साक्षरता दर: 68.74%

  • राजधानी: श्रीनगर (ग्रीष्मकालीन), जम्मू (शीतकालीन)

  • बोली जाने वाली भाषाएं: उर्दू, डोगरी, कश्मीरी, पहाड़ी, लद्दाखी, गोजरी, बाल्ती

  • महत्व: यह क्षेत्र सबसे अधिक संघर्ष-प्रवण और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1947 से अब तक कई संघर्षों का केंद्र रहा है और अक्सर सुरक्षा कारणों से समाचारों में बना रहता है।

भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जानकारी 

राजस्थान

  • स्थिति: भारत के उत्तर-पश्चिम में

  • सीमाएं: पश्चिम और उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों से सीमावर्ती

  • क्षेत्रफल: 3,42,239 वर्ग किमी (क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य)

  • साक्षरता दर: 66.11%

  • राजधानी: जयपुर (जिसे “गुलाबी नगरी” भी कहा जाता है)

  • बोली जाने वाली भाषाएं: हिंदी, मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाड़ी, मालवी

  • जलवायु: शुष्क से लेकर अर्ध-आर्द्र तक

  • महत्त्व: यह क्षेत्र थार मरुस्थल का घर है और सीमा अक्सर निगरानी में रहती है, क्योंकि अतीत में यहां घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं हो चुकी हैं।

गुजरात

  • स्थिति: भारत के पश्चिमी तट पर, अरब सागर के किनारे

  • सीमाएं: उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जुड़ी

  • क्षेत्रफल: 1,96,024 वर्ग किमी

  • साक्षरता दर: 79.31%

  • राजधानी: गांधीनगर

  • बोली जाने वाली भाषाएं: गुजराती, हिंदी, अंग्रेज़ी

  • विशेषता: कच्छ का रण इस राज्य में स्थित एक अनोखा नमकीन दलदल है, जो पाकिस्तान के निकट होने के कारण अक्सर निगरानी में रहता है।

  • ऐतिहासिक संदर्भ: 1960 में बॉम्बे राज्य के विभाजन के बाद गुजरात का गठन हुआ।

पंजाब

  • स्थिति: भारत के उत्तर-पश्चिम में

  • सीमाएं: पश्चिम में पाकिस्तान से जुड़ी

  • क्षेत्रफल: 50,362 वर्ग किमी

  • साक्षरता दर: 75.84%

  • राजधानी: चंडीगढ़ (हरियाणा के साथ साझा)

  • बोली जाने वाली भाषाएं: पंजाबी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी

  • महत्त्व: अमृतसर के पास स्थित वाघा बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे प्रतीकात्मक और औपचारिक सीमा पार बिंदु है। राज्य को क्षेत्रीय रूप से माज्हा, दोआबा और मालवा में विभाजित किया गया है।

  • नाम की उत्पत्ति: “पंज-आब” से, जिसका अर्थ है “पांच नदियों की भूमि” — ब्यास, चेनाब, झेलम, रावी, सतलुज

लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश)

  • स्थिति: भारत का सबसे उत्तरी क्षेत्र, ऊपरी सिंधु नदी घाटी में स्थित

  • सीमाएं:

    • पश्चिम: पाकिस्तान

    • पूर्व और उत्तर-पूर्व: चीन

    • दक्षिण: हिमाचल प्रदेश

  • क्षेत्रफल: लगभग 59,000 वर्ग किमी

  • राजधानी: लेह (लेह ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय), कारगिल (कारगिल ज़िले का मुख्यालय)

  • ऐतिहासिक संदर्भ: 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू और कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बना

  • साक्षरता दर: 97% से अधिक (ULLAS कार्यक्रम के अंतर्गत भारत का पहला “कार्यात्मक रूप से साक्षर” घोषित क्षेत्र)

  • महत्त्व: इसकी ऊँचाई और कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ इसे भारत की रक्षा रणनीति में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं।

NMCG ने 62वीं कार्यकारी समिति की बैठक में गंगा संरक्षण के लिए प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की 62वीं कार्यकारी समिति (EC) की बैठक में गंगा नदी बेसिन के पुनर्जीवन और सतत प्रबंधन को लेकर कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से जुड़ी पहलों को अपनाने पर जोर दिया गया, जिनमें वेटलैंड संरक्षण (आर्द्रभूमि) और गंदे पानी के पुनः उपयोग जैसे उपाय शामिल हैं। यह निर्णय नमामि गंगे मिशन के प्रमुख उद्देश्यों के अनुरूप है और एक स्वच्छ और टिकाऊ गंगा पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में अहम कदम है, जिससे पर्यावरण और जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार होगा।

समाचार में क्यों?

  • यह मंजूरी ऐसे समय में आई है जब नमामि गंगे कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर नदी बेसिन पुनर्जीवन के प्रभावी प्रयासों के रूप में सराहा जा रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र के दशक (UN Decade) ने इस कार्यक्रम को दुनिया की “शीर्ष 10 पारिस्थितिकी बहाली प्रमुख पहलों” (Top TEN World Restoration Flagship Initiatives) में शामिल किया है।
  • यह मान्यता यह दर्शाती है कि इस प्रकार की परियोजनाएँ पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने और जल गुणवत्ता सुधारने में कितना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • NMCG का उद्देश्य एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ गंगा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।

  • जैव विविधता संरक्षण (biodiversity conservation) को शामिल करना और पूरे गंगा बेसिन में प्रभावी जल प्रबंधन को बढ़ावा देना।

  • आर्द्रभूमि बहाली (wetland restoration) और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग (wastewater reuse) जैसी समाधान-आधारित रणनीतियाँ अपनाना, ताकि पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाई जा सके।

स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएं

आर्द्रभूमि संरक्षण परियोजनाएं

  • बिहार के भोजपुर जिले में स्थित नाथमलपुर भगद वेटलैंड के सतत प्रबंधन के लिए ₹3.51 करोड़ की मंजूरी दी गई है।

  • यह नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत स्वीकृत पांचवां वेटलैंड प्रोजेक्ट है, जो उत्तर प्रदेश और झारखंड में पहले से चल रही परियोजनाओं के पूरक के रूप में कार्य करेगा।

  • मुख्य गतिविधियाँ:

    • वेटलैंड की स्पष्ट सीमांकन (delineation)

    • प्रजातियों का संरक्षण (species conservation)

    • जोखिम मूल्यांकन (risk evaluation)
      इनसे दीर्घकालिक पारिस्थितिकी स्वास्थ्य सुनिश्चित होगा।

गंदे पानी के पुनः उपयोग की पहल

  • उत्तर प्रदेश के आगरा और प्रयागराज में जल पुनः उपयोग के लिए सिटी प्लान तैयार करने और प्रशिक्षण आयोजित करने हेतु ₹34.50 लाख की परियोजना को मंजूरी मिली।

  • यह परियोजना “उपचारित जल के सुरक्षित पुनः उपयोग के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा” (SRTW) के अनुरूप कार्य करेगी और सतत जल उपयोग को बढ़ावा देगी।

पृष्ठभूमि और महत्व

  • नमामि गंगे कार्यक्रम, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसने अब तक गंगा की जल गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र में उल्लेखनीय सुधार किए हैं — जिसमें नदी तटों का विकास, अपशिष्ट जल उपचार, और संरक्षण प्रयास शामिल हैं।

  • संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक (UN Decade of Ecosystem Restoration) ने इस कार्यक्रम को विश्व के प्रमुख नदी बेसिन पुनर्जीवन प्रयासों में शामिल किया है, जिससे भारत सरकार को अपने पर्यावरणीय प्रयासों को और बढ़ावा देने की प्रेरणा मिली है।

नदी बेसिन और पारिस्थितिकी पर प्रभाव

  • ये परियोजनाएँ गंगा और इसकी सहायक नदियों के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य में सीधे सुधार लाएँगी, जिससे विविध प्रजातियों को समर्थन मिलेगा और महत्वपूर्ण वेटलैंड बहाल होंगे।

  • जल पुनः उपयोग रणनीतियों के समावेश से जल संकट को प्रबंधित करने और नदी प्रदूषण में कमी लाने में मदद मिलेगी।

  • दीर्घकालिक सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी, क्षमता निर्माण, और निगरानी तंत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

सारांश/स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? “गंगा पुनर्जीवन के लिए प्रमुख परियोजनाओं को NMCG की 62वीं कार्यकारी समिति बैठक में स्वीकृति”
कार्यक्रम का नाम नमामि गंगे कार्यक्रम
मुख्य उद्देश्य गंगा बेसिन में नदी और पारिस्थितिकी तंत्र का सतत पुनर्जीवन
स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएं आर्द्रभूमि (वेटलैंड) संरक्षण, गंदे पानी का पुनः उपयोग, क्षमता निर्माण
आवंटित वित्तपोषण ₹3.51 करोड़ वेटलैंड परियोजनाओं के लिए; ₹34.50 लाख जल पुनः उपयोग योजनाओं के लिए
प्रमुख परियोजना नाथमलपुर भगद वेटलैंड (बिहार), आगरा व प्रयागराज जल पुनः उपयोग योजना
मान्यता संयुक्त राष्ट्र दशक द्वारा “शीर्ष 10 वैश्विक पुनर्स्थापना प्रमुख पहल” में शामिल

मानव विकास सूचकांक में भारत की छलांग, 193 देशों में 130वां स्थान

भारत ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी 2025 मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) में मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में सुधार करते हुए 193 देशों में से 130वां स्थान हासिल किया है। यह रैंकिंग 2022 में 133 थी, जो अब तीन स्थान ऊपर चढ़ गई है। बता दें कि भारत का एचडीआई स्कोर 0.676 से बढ़कर 0.685 हो गया है, जो मध्यम मानव विकास श्रेणी में आता है। वहीं उच्च मानव विकास (HDI ≥ 0.700) के करीब है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि असमानता के कारण भारत की एचडीआई में 30.7% की कमी आती है, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है।

समाचार में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 6 मई 2025 को जारी नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report – HDR) के अनुसार, भारत ने मानव विकास सूचकांक (HDI) में उल्लेखनीय सुधार किया है। महामारी से उबरने के दौरान जीवन प्रत्याशा और शिक्षा में सुधार देखने को मिला है, हालांकि आय असमानता और लैंगिक विषमता जैसे गंभीर मुद्दे अब भी बने हुए हैं।

मुख्य निष्कर्ष

एचडीआई रैंकिंग और मूल्य

  • भारत की एचडीआई रैंकिंग वर्ष 2022 में 133वें स्थान से सुधरकर वर्ष 2023 में 130वें स्थान पर पहुंच गई है। यह रैंकिंग 193 देशों में दी गई है।

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) का मूल्य भी 0.676 (2022) से बढ़कर 0.685 (2023) हो गया है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में समग्र प्रगति को दर्शाता है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित है:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) भारत के भविष्य के विकास पथ को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

  • महामारी के बाद भारत की पुनर्प्राप्ति को रिपोर्ट ने “प्रभावशाली” बताया है।

स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा

  • भारत में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1990 में 58.6 वर्ष थी, जो 2023 में बढ़कर 72 वर्ष हो गई है — यह अब तक की सबसे उच्चतम स्तर है।
  • इस प्रगति का श्रेय आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और पोशन अभियान जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जाता है।

शिक्षा और साक्षरता

  • बच्चों की औसतन स्कूली शिक्षा के वर्ष 1990 में 8.2 वर्ष से बढ़कर 2023 में 13 वर्ष हो गए हैं।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसे प्रयासों ने इस सुधार में योगदान दिया है, हालांकि शिक्षा की गुणवत्ता और सीखने के परिणामों में अब भी चुनौतियाँ हैं।

आय में वृद्धि

  • भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income – GNI) 1990 में $2167.22 से बढ़कर 2023 में $9046.76 हो गई है — यानी चार गुना से अधिक वृद्धि
  • 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीयों ने बहुआयामी गरीबी (multidimensional poverty) से बाहर निकलने में सफलता पाई है।

असमानता के मुद्दे

  • इन उपलब्धियों के बावजूद, भारत का HDI 30.7% तक घट जाता है, जिसका मुख्य कारण असमानता है — यह क्षेत्र में सबसे अधिक में से एक है।
  • लैंगिक असमानता, महिलाओं की श्रमबल में कम भागीदारी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी अब भी समग्र विकास में बाधा बनी हुई हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और भारत की भूमिका

  • भारत AI कौशलों की क्षेत्र में सबसे अधिक पैठ वाला देश बनकर उभरा है।
  • 20% भारतीय AI शोधकर्ता अब भारत में ही कार्यरत हैं — जबकि 2019 में यह संख्या लगभग शून्य थी।
  • यह प्रवृत्ति भारत को AI महाशक्ति बनाने की ओर अग्रसर कर रही है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

  • रिपोर्ट के अनुसार, मानव विकास की वैश्विक गति 1990 के बाद से सबसे धीमी हो गई है।
  • हालांकि भारत में सुधार उल्लेखनीय है, यह व्यापक वैश्विक ठहराव की प्रवृत्ति के अनुरूप ही है।

2025 मानव विकास रिपोर्ट (HDR) का महत्व

  • रिपोर्ट यह रेखांकित करती है कि भारत की HDI में वृद्धि के बावजूद देश आय और लैंगिक असमानता जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • AI की भूमिका भविष्य के विकास में केन्द्रबिंदु बनती जा रही है, और भारत के पास तकनीकी प्रगति का लाभ उठाकर आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देने का अवसर है।
  • भारत की स्वास्थ्य और शिक्षा में उपलब्धियाँ एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं, लेकिन इन असमानताओं को दूर करने के लिए लगातार और लक्षित प्रयासों की आवश्यकता है।

मॉक ड्रिल क्या है? भारत में स्थान और समय

भारत में हाल ही में बढ़ते खतरे और पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा पहल के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई 2025 (बुधवार) को देशव्यापी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है। यह पहल 1971 के बाद पहली बार इतने व्यापक पैमाने पर की जा रही है, जिसका उद्देश्य संभावित बाहरी हमलों के खिलाफ भारत की निष्क्रिय रक्षा (passive defence) तैयारियों की जांच और उन्हें सुदृढ़ करना है।

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है?

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक प्रकार का आपातकालीन पूर्वाभ्यास है, जिसे यह जांचने के लिए आयोजित किया जाता है कि नागरिक और सिविल डिफेंस एजेंसियाँ संकट की स्थिति — जैसे दुश्मन का हवाई हमला, आतंकवादी हमला या प्राकृतिक आपदा — के दौरान कितनी कुशलता से प्रतिक्रिया देती हैं।

इन ड्रिल्स के माध्यम से:

  • नागरिकों को शांत और प्रभावी प्रतिक्रिया देना सिखाया जाता है।

  • विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की क्षमता की जांच होती है।

  • तैयारियों में मौजूद कमियों की पहचान कर उन्हें बेहतर किया जा सकता है।

  • सुरक्षा, सतर्कता और लचीलापन की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।

इस परिप्रेक्ष्य में, 7 मई को आयोजित यह मॉक ड्रिल देश के 244 चिन्हित जिलों में आयोजित की जा रही है, जिन्हें खतरे के स्तर के अनुसार उच्च से निम्न श्रेणी में विभाजित किया गया है।

अब क्यों? मॉक ड्रिल की वजह
22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके जवाब में सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित नौ आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई।

सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ अब केंद्र सरकार ने आंतरिक तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नागरिक सुरक्षा (Civil Defence) व्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में कदम उठाया है। इसका फोकस आम नागरिकों में जागरूकता और आपसी समन्वय बढ़ाना है, विशेषकर उन इलाकों में जो दुश्मन के हमलों या तोड़फोड़ की चपेट में आ सकते हैं।


7 मई, 2025 को मॉक ड्रिल के लिए चुने गए 244 नागरिक सुरक्षा ज़िलों की सूची

सारांश

  • श्रेणी I (उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र): 13 जिले

  • श्रेणी II (मध्यम प्राथमिकता वाले क्षेत्र): 201 जिले

  • श्रेणी III (निम्न प्राथमिकता वाले क्षेत्र): 45 जिले


श्रेणी I – उच्च प्राथमिकता वाले जिले (13 जिले)

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश – जिले:

  • अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह: पोर्ट ब्लेयर

  • आंध्र प्रदेश: हैदराबाद, विशाखापट्टनम

  • अरुणाचल प्रदेश: आलो (पश्चिम सियांग), ईटानगर, तवांग

  • असम: हैयुलिंग, बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, धुबरी, गोलपाड़ा, जोरहाट, सिबसागर, तिनसुकिया, तेजपुर, डिगबोई, डुलियाजन, गुवाहाटी (दिसपुर), रंगिया, नामरूप, नजीरा, नॉर्थ लखीमपुर, नुमालिगढ़

  • बिहार: बरौनी, कटिहार, पटना, पूर्णिया, बेगूसराय

  • चंडीगढ़: चंडीगढ़

  • छत्तीसगढ़: दुर्ग (भिलाई)

  • दादरा और नगर हवेली: सिलवासा

  • दमन और दीव: दमन

  • दिल्ली: दिल्ली (नई दिल्ली और कैंटोनमेंट सहित)

  • गोवा: उत्तर गोवा (पणजी), दक्षिण गोवा (मर्मुगाओ, वास्को, डाबोलिम)

  • गुजरात: अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, काकरापार, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, कांडला, नालिया, अंकलेश्वर, ओखा, वाडी नार

  • हरियाणा: अंबाला, फरीदाबाद, गुड़गांव, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर

  • हिमाचल प्रदेश: शिमला

  • जम्मू-कश्मीर (लद्दाख सहित): अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम, बारामूला, डोडा, जम्मू, करगिल, कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, अखनूर, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी, अवंतीपुर

  • झारखंड: बोकारो, गोमिया, जमशेदपुर, रांची

  • कर्नाटक: बेंगलुरु (शहरी), मल्लेश्वरम, रायचूर

  • केरल: कोच्चि, तिरुवनंतपुरम

  • लक्षद्वीप: कवरत्ती

  • मध्य प्रदेश: भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, कटनी

  • महाराष्ट्र: मुंबई, उरण, तारापुर, ठाणे, पुणे, नासिक, रोहन-धाटाव-नागोठणे, मोंमाड, सिन्नर, थाल-वाशोट, पिंपरी-चिंचवड़

  • मणिपुर: इंफाल, चुराचांदपुर, उखरुल, मोरेह, निंगथौखोंग

  • मेघालय: शिलांग (ईस्ट खासी हिल्स), जवाई (जैंतिया हिल्स), तुरा (वेस्ट गारो हिल्स)

  • मिजोरम: आइजोल

  • नागालैंड: दीमापुर, कोहिमा, मोकोकचुंग, मोन, फेक, तुएनसांग, वोखा, जुन्हेबोटो, किफिरे, पेरेन

  • ओडिशा: तालचेर, हीराकुंड, पारादीप, राउरकेला, बालासोर, कोरापुट, भुवनेश्वर, गोपालपुर

  • पुडुचेरी: पुडुचेरी

  • पंजाब: अमृतसर, भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, रोपड़, संगरूर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, आदमपुर, बरनाला, भाखड़ा-नंगल, हलवारा, कोटकपूरा, बटाला, मोहाली (एसएएस नगर), अबोहर, फरीदपुर

  • राजस्थान: अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, फुलेरा (जयपुर), नागौर (मेड़ता रोड), जालोर, ब्यावर, हनुमानगढ़, जयपुर, लालगढ़, जैसलमेर, सवाई माधोपुर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नल, सूरतगढ़, आबू रोड, नसीराबाद, भिवाड़ी, पाली, भीलवाड़ा, कोटा, रावतभाटा

  • सिक्किम: गंगटोक

  • तमिलनाडु: चेन्नई, कलपक्कम

  • तेलंगाना: हैदराबाद

  • त्रिपुरा: अगरतला

  • उत्तर प्रदेश: बुलंदशहर (नरोरा), आगरा, प्रयागराज, बरेली, गाज़ियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, मुगलसराय, सरसावा, बागपत, मुजफ्फरनगर

  • उत्तराखंड: देहरादून

  • पश्चिम बंगाल: कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, मालदा, सिलीगुड़ी, ग्रेटर कोलकाता, दुर्गापुर, हल्दिया, हाशीमारा, खड़गपुर, बर्नपुर-आसनसोल, फरक्का-खेजुरीघाट, चित्तरंजन, बालुरघाट, अलीपुरद्वार, रायगंज, इस्लामपुर, दिनहाटा, मखलीगंज, माथाभांगा, कालिमपोंग, जलढाका, कुरसियांग, कोलाघाट, बर्दवान, बीरभूम, पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर, हावड़ा, हुगली, मुर्शिदाबाद

श्रेणी II – मध्यम प्राथमिकता वाले जिले (201 जिले में से कुछ उदाहरण)

राज्य / केंद्रशासित प्रदेश जिले
असम दरांग, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग, कोकराझार
गुजरात भरूच, डांग, कच्छ, मेहसाणा, नर्मदा, नवसारी
हरियाणा झज्जर
झारखंड गोड्डा, साहेबगंज
महाराष्ट्र औरंगाबाद, भुसावल, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग
ओडिशा भद्रक, ढेंकनाल, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा
राज्य / केंद्रशासित प्रदेश जिला
अरुणाचल प्रदेश बोंडिला

(गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित)

  1. वायु हमला चेतावनी सायरन की प्रभावशीलता की जांच करना।

  2. शहरी और संवेदनशील क्षेत्रों में ब्लैकआउट अभ्यास लागू करना।

  3. नागरिकों और छात्रों को हमले के समय सुरक्षा उपायों का प्रशिक्षण देना।

  4. निकासी योजनाओं का पूर्वाभ्यास और कंट्रोल रूम की तत्परता सुनिश्चित करना।

  5. भारतीय वायुसेना (IAF) के साथ संचार तंत्र को सक्रिय करना।

  6. महत्वपूर्ण ढांचे की छलावरण (कैमोफ्लाजिंग) तकनीकों को लागू करना।

  7. वार्डन, बचाव और अग्निशमन सेवाओं की सतर्कता का मूल्यांकन करना।

  8. NCC, NSS, NYKS और नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के बीच समन्वय स्थापित करना।

  9. शैडो कंट्रोल रूम संचालन और आपदा प्रबंधन समन्वय की समीक्षा करना।

राष्ट्रीय समन्वय और निगरानी

वीडियो कॉन्फ्रेंस – केंद्रीय गृह सचिव द्वारा
ड्रिल के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन 6 मई 2025 को राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करेंगे। इसका उद्देश्य अंतिम परिचालन दिशा-निर्देश देना और विभिन्न राज्यों में कार्यक्रम के एकरूप निष्पादन को सुनिश्चित करना है।

स्थान और श्रेणियाँ: जिला-वार कवरेज

कुल 244 जिलों की पहचान की गई है, जिन्हें रणनीतिक महत्व और खतरे के स्तर के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

श्रेणी I: उच्च प्राथमिकता वाले स्थान (13 जिले)

ये जिले उच्च जोखिम वाले क्षेत्र हैं, जहाँ अक्सर महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा, सैन्य अड्डे, सीमा क्षेत्र या बड़े शहरी केंद्र स्थित होते हैं।

उदाहरण:

  • दिल्ली (कैंटोनमेंट सहित)

  • मुंबई, उरण, तारापुर (महाराष्ट्र)

  • अहमदाबाद, सूरत, जामनगर (गुजरात)

  • अनंतनाग, पुलवामा, बारामुला, जम्मू (जम्मू-कश्मीर)

  • पोर्ट ब्लेयर (अंडमान व निकोबार द्वीप समूह)

  • कोच्चि, तिरुवनंतपुरम (केरल)

  • चेन्नई, कल्पक्कम (तमिलनाडु)

  • हैदराबाद (तेलंगाना और आंध्र प्रदेश)

इन जिलों में ब्लैकआउट, सायरन परीक्षण, सामूहिक निकासी, और नागरिक प्रतिक्रिया अभ्यास जैसे गहन अभ्यास होंगे।

श्रेणी II: मध्यम प्राथमिकता वाले स्थान (201 जिले)

इन जिलों में मध्यम खतरा होता है या ये महत्वपूर्ण सार्वजनिक सुविधाओं और परिवहन केंद्रों को समेटे होते हैं। यहाँ पर समन्वय परीक्षण, संचार अभ्यास, और आंशिक निकासी रणनीतियों पर ध्यान दिया जाएगा।

उदाहरण:

  • भरूच, मेहसाणा, कच्छ (गुजरात)

  • औरंगाबाद, भुसावल (महाराष्ट्र)

  • गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग (असम)

  • जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा (ओडिशा)

श्रेणी III: निम्न प्राथमिकता वाले स्थान (45 जिले)

हालाँकि ये जिले कम जोखिम वाले माने जाते हैं, फिर भी इन स्थानों पर जनजागरूकता अभियानों और मूलभूत तैयारी अभ्यासों का आयोजन किया जाएगा।

उदाहरण:

  • बोंडिला (अरुणाचल प्रदेश)

  • नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के दूरस्थ जिले

भागीदार एजेंसियाँ और सहायता तंत्र

संपूर्ण राष्ट्रव्यापी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कई सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाएं इस अभ्यास में शामिल होंगी:

  • राज्य और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMAs/DDMAs)

  • अग्निशमन एवं बचाव सेवाएं

  • पुलिस और ट्रैफिक विभाग

  • अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग

  • नगरपालिका एवं पंचायत निकाय

  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)

  • नागरिक सुरक्षा, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस के स्वयंसेवक

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1971 के बाद पहली ऐसी ड्रिल

7 मई 2025 की यह सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली व्यापक राष्ट्रव्यापी अभ्यास मानी जा रही है। यह लंबे अंतराल को दर्शाता है और मौजूदा बाहरी खतरों और विकसित होते युद्ध पैटर्न के बीच आंतरिक सुरक्षा तैयारी की तात्कालिकता को रेखांकित करता है।

 

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान गुजरात के GIFT सिटी में ऑफ-कैंपस केंद्र खोलेगा

भारत में व्यापार शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, शिक्षा मंत्रालय ने भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT), नई दिल्ली के एक ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह नया केंद्र गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT City), गांधीनगर में स्थित होगा। यह रणनीतिक निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों का समर्थन करता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में बहु-विषयक शिक्षा और क्षमताविकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।

क्यों है ख़बरों में?

शिक्षा मंत्रालय ने 6 मई 2025 को IIFT को GIFT सिटी, गुजरात में अपना ऑफ-कैंपस केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी। यह निर्णय उच्च स्तरीय व्यापार शिक्षा के विकेंद्रीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है और NEP 2020 के नवाचार, वैश्वीकरण और बहु-विषयक विकास के दृष्टिकोण से मेल खाता है।

मुख्य बिंदु

  • नया परिसर GIFT टॉवर 2 की 16वीं और 17वीं मंजिल पर स्थित होगा।

  • यहां MBA (अंतरराष्ट्रीय व्यापार) और लघु अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।

  • यह मंजूरी UGC अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत दी गई है, जनवरी 2025 में जारी लेटर ऑफ इंटेंट की शर्तों को IIFT द्वारा पूरा किए जाने के बाद।

  • यह संस्थान UGC (Institutions Deemed to be Universities) नियमावली, 2023 का हिस्सा होगा।

  • यह केंद्र NEP 2020 के लक्ष्यों जैसे कि बहु-विषयक शिक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेगा।

  • केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने इस पहल की सराहना की और इसे भारत की वैश्विक व्यापार महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने वाला कदम बताया।

GIFT सिटी केंद्र के उद्देश्य 

  • उच्च गुणवत्ता वाली व्यापार एवं प्रबंधन शिक्षा को अधिक लोगों तक पहुँचाना।

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निर्यात प्रबंधन में दक्ष प्रतिभा का विकास करना।

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, जिससे नवाचार और नीतिगत समझ विकसित हो सके।

  • भारत को वैश्विक निर्यात महाशक्ति बनाने के दृष्टिकोण को सशक्त करना।

IIFT की पृष्ठभूमि 

  • IIFT की स्थापना 1963 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन की गई थी।

  • इसे 2002 में ‘मान्य विश्वविद्यालय’ (Deemed to be University) का दर्जा प्राप्त हुआ।

  • IIFT को NAAC द्वारा A+ ग्रेड तथा AACSB से मान्यता प्राप्त है — जो इसे विश्व के प्रमुख व्यापार स्कूलों में शामिल करता है।

  • यह संस्थान अपने MBA (अंतरराष्ट्रीय व्यापार) और कार्यकारी कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।

स्थैतिक तथ्य 

  • GIFT सिटी भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) है।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का उद्देश्य लचीली, बहु-विषयी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा युक्त शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना है।

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों समाचार में? भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) द्वारा GIFT सिटी, गुजरात में ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना
मंज़ूर संस्थान भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT), नई दिल्ली
स्थान GIFT टॉवर 2, GIFT सिटी, गांधीनगर, गुजरात
प्रस्तावित कार्यक्रम MBA (अंतरराष्ट्रीय व्यापार), लघुकालिक व्यापार प्रशिक्षण, अनुसंधान
मंजूरी देने वाली संस्था शिक्षा मंत्रालय, UGC अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत
नीति से मेल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
IIFT की स्थापना 1963 (2002 में ‘मान्य विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्राप्त)
मान्यता A+ (NAAC), AACSB (अंतरराष्ट्रीय)

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