भुवन रिभु विश्व कानून कांग्रेस सम्मान पाने वाले पहले भारतीय वकील बने

भारत की बाल न्याय के लिए लड़ाई को ऐतिहासिक वैश्विक मान्यता मिली है, जब प्रसिद्ध वकील और बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन रिभु को विश्व विधि संघ (World Jurist Association) द्वारा मेडल ऑफ ऑनर” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें डोमिनिकन गणराज्य में आयोजित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस 2025 के दौरान प्रदान किया गया। भुवन रिभु यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय वकील बन गए हैं।

यह सम्मान उनके दो दशकों के कानूनी संघर्ष, अदालती हस्तक्षेपों और सक्रियता के माध्यम से बाल शोषण को समाप्त करने के कार्य के लिए दिया गया है। उन्होंने बाल संरक्षण को एक कल्याण के विषय से उठाकर आपराधिक न्याय के क्षेत्र में बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

क्यों है यह खबर चर्चा में?

5 मई 2025 को भुवन ऋभु को वर्ल्ड जुरिस्ट एसोसिएशन का “मेडल ऑफ ऑनर” प्रदान किया गया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय वकील को यह वैश्विक स्तर का प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। यह पुरस्कार बाल श्रम, तस्करी, बाल विवाह और यौन शोषण के विरुद्ध उनके जीवनपर्यंत कानूनी संघर्ष की सराहना करता है और भारत के बाल संरक्षण कानूनों में उनके सुधारात्मक प्रयासों को मान्यता देता है।

पृष्ठभूमि और करियर की मुख्य बातें:

  • भुवन रिभु एक वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने 20 वर्षों से अधिक समय तक बच्चों को शोषण से बचाने के लिए कार्य किया।

  • उन्होंने Just Rights for Children (JRC) की स्थापना की, जो भारत, नेपाल, केन्या और अमेरिका में 250 से अधिक साझेदार संगठनों वाला एक वैश्विक कानूनी नेटवर्क है।

  • उन्होंने 60 से अधिक जनहित याचिकाएं (PILs) भारतीय न्यायालयों में दाखिल कीं, जो बच्चों के अधिकारों से संबंधित थीं।

प्रमुख कानूनी उपलब्धियाँ:

  • सुप्रीम कोर्ट में मानव तस्करी को संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल के अनुसार परिभाषित करवाया।

  • तस्करी को भारतीय कानून में आपराधिक अपराध के रूप में मान्यता दिलाई।

  • गुमशुदा बच्चों के मामलों में अनिवार्य प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने की व्यवस्था लागू करवाई।

  • खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लागू करवाया।

उनके कार्यों का प्रभाव:

  • लाखों बच्चों और महिलाओं को शोषण से बचाया गया।

  • नीतियों और कानूनों में दीर्घकालिक सुधार हुए।

  • बाल न्याय के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रेरित किया।

पुरस्कार और वैश्विक मान्यता:

  • विश्व जुरिस्ट एसोसिएशन का “मेडल ऑफ ऑनर” दुनिया भर के कानूनी पेशेवरों के लिए सबसे उच्च मान्यता में से एक है।

  • यह सम्मान एसोसिएशन के अध्यक्ष जेवियर क्रेमेडेस (Javier Cremades) द्वारा प्रदान किया गया।

  • यह सम्मान भारत की बाल संरक्षण और कानूनी सुधारों में बढ़ती वैश्विक भूमिका को भी दर्शाता है।

एंट ग्रुप बल्क डील के जरिए पेटीएम में 4% हिस्सेदारी ₹2,066 करोड़ में बेचेगा

चीन की वित्तीय सेवा कंपनी एंट ग्रुप ने अपनी सहयोगी कंपनी Antfin (Netherlands) Holding BV के माध्यम से भारतीय फिनटेक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (Paytm की मूल कंपनी) में अपनी 4% हिस्सेदारी बेचने की योजना की घोषणा की है। यह बिक्री भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर बल्क डील के माध्यम से की जाएगी। बिक्री की न्यूनतम कीमत ₹809.75 प्रति शेयर तय की गई है, जो कि एनएसई पर पेटीएम के पिछले बंद मूल्य ₹866.05 से लगभग 6.5% कम है।

क्यों है यह खबर चर्चा में?

यह कदम एंट ग्रुप द्वारा भारतीय फिनटेक क्षेत्र से धीरे-धीरे निकलने की दिशा में एक बड़ा संकेत है, खासतौर पर भूराजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव और वैश्विक निवेशकों द्वारा पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन को देखते हुए। यह सौदा हाल के समय में सबसे बड़े सेकेंडरी मार्केट डील्स में से एक है।

सौदे के मुख्य बिंदु:

विवरण जानकारी
विक्रेता एंट ग्रुप (Antfin Netherlands Holding BV के माध्यम से)
लक्ष्य कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (Paytm)
बिक्री का प्रकार बल्क डील (BSE और NSE पर)
बेची गई हिस्सेदारी 4% (लगभग 2.55 करोड़ शेयर)
अनुमानित सौदा मूल्य 2,066 करोड़
न्यूनतम शेयर मूल्य 809.75
पिछला बंद मूल्य (NSE) 866.05
छूट ~6.5%

सौदे में शामिल निवेश बैंकर्स:

  • गोल्डमैन सैक्स (इंडिया) सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड

  • सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

पृष्ठभूमि और संदर्भ:

  • एंट ग्रुप, अलीबाबा समूह की सहयोगी कंपनी है, जो पहले एंट फाइनेंशियल के नाम से जानी जाती थी।

  • एंट और अलीबाबा ने मिलकर 2015 से अब तक पेटीएम में लगभग 851 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।

  • पेटीएम, नोएडा स्थित एक अग्रणी भारतीय फिनटेक कंपनी है जो मोबाइल पेमेंट्स, डिजिटल वॉलेट, यूपीआई और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती है।

हिस्सेदारी बिक्री के उद्देश्य:

  • एंट ग्रुप द्वारा पोर्टफोलियो में संतुलन बनाना।

  • भारतीय स्टार्टअप में लंबे समय से किए गए निवेश का मुद्रीकरण।

  • विदेशी निवेशों से धीरे-धीरे बाहर निकलना, विशेष रूप से चीन में कड़े विनियमन के चलते।

  • भारतीय फिनटेक बाजार में घरेलू और संस्थागत निवेशकों के लिए अवसर पैदा करना।

महत्व:

  • यह भारतीय टेक कंपनियों से विदेशी निवेशकों के बाहर निकलने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

  • भारत के पब्लिक मार्केट की परिपक्वता को प्रदर्शित करता है जो इतने बड़े सेकेंडरी लेनदेन को संभाल सकता है।

  • इससे पेटीएम के शेयरों में अल्पकालिक अस्थिरता सकती है, लेकिन यह बाजार में तरलता भी प्रदान करेगा।

  • यह दिखाता है कि भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में वैश्विक निवेश की भावना किस दिशा में बदल रही है।

पिपरहवा अवशेष चर्चा में क्यों?

भारत इस समय एक राजनयिक और कानूनी प्रयास में जुटा है, जिसका उद्देश्य प्राचीन बौद्ध अवशेषों की नीलामी को रोकना है। ये अवशेष ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लगभग 2,500 वर्ष पुराने ये अवशेष ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान खुदाई में प्राप्त हुए थे और अब दुनिया की प्रमुख नीलामी कंपनियों में से एक Sotheby’s द्वारा बिक्री के लिए रखे जा रहे हैं। भारत सरकार ने इस बिक्री को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है और इसे पवित्र बौद्ध विरासत का अपमान करार दिया है।

पिपरहवा स्तूप पर अवशेषों की खोज

ये अवशेष 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे, एक ब्रिटिश जमींदार और अभियंता द्वारा खोजे गए थे, जब वे अपने उत्तर प्रदेश स्थित निजी क्षेत्र पिपरहवा में खुदाई कर रहे थे। यह स्थान लुंबिनी के दक्षिण में स्थित है, जिसे भगवान बुद्ध का जन्मस्थल माना जाता है।

इस खुदाई के दौरान उन्हें एक विशाल स्तूप और उसके भीतर एक बड़ा पत्थर का संदूक मिला, जिसमें निम्नलिखित वस्तुएं थीं:

  • हड्डियों के टुकड़े, जिन्हें भगवान बुद्ध की अस्थियाँ माना जाता है

  • मूल्यवान रत्न जैसे माणिक, मोती, टोपाज़ और नीलम

  • स्वर्ण आभूषण और सजावटी पत्तियाँ

  • साबुन पत्थर और क्रिस्टल के रीलिक्वरी (पवित्र अवशेष रखने के पात्र)

इन वस्तुओं को सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध बनने से पहले) के शारीरिक अवशेषों के साथ दफनाया गया माना जाता है, जिससे यह खोज बौद्ध इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक बन जाती है।

पिपरहवा और कपिलवस्तु का ऐतिहासिक महत्व

इतिहासकारों और पुरातत्वविदों द्वारा पिपरहवा को प्राचीन कपिलवस्तु का स्थल माना गया है, जो 5वीं–6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में शाक्य गणराज्य की राजधानी थी। यही वह स्थान था जहाँ राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष बिताए थे, इससे पहले कि वे सांसारिक जीवन त्यागकर आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े।

यह खोज केवल धार्मिक महत्व की है, बल्कि यह भारत की प्राचीन सभ्यता की विरासत का भी अभिन्न हिस्सा है।

अवशेषों का बँटवारा

ब्रिटिश कालीन भारतीय खजाना अधिनियम, 1878 के तहत, ब्रिटिश सरकार ने इन अवशेषों पर अधिकार जताया। अधिकतर अवशेष — जिनमें अस्थियाँ और रत्न शामिल थे — आज के भारतीय संग्रहालय, कोलकाता भेज दिए गए। लेकिन कुल खोज का एक-पाँचवाँ हिस्सा विलियम पेप्पे को “मुख्य संग्रह की प्रतिलिपि” के रूप में दे दिया गया।

इन्हीं पेप्पे परिवार द्वारा निजी रूप से रखे गए अवशेषों को अब Sotheby’s द्वारा नीलामी में रखा जा रहा है, जिस पर भारत सरकार और वैश्विक बौद्ध समुदाय ने कड़ी आपत्ति जताई है।

भारत की कानूनी और सांस्कृतिक आपत्तियाँ

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने Sotheby’s और क्रिस पेप्पे (विलियम पेप्पे के परपोते) को एक आधिकारिक नोटिस भेजा है जिसमें कहा गया है कि ये अवशेष:

  • भारत और वैश्विक बौद्ध समुदाय की अविभाज्य धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतहैं।

  • ये भारत के विभिन्न कानूनों के अंतर्गत संरक्षित हैं, जैसे कि:

    • प्राचीन वस्तुएँ और कला खजाना अधिनियम (1972)

    • प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम (1958)

    • भारतीय खजाना अधिनियम (1878)

सरकार का तर्क है कि क्रिस पेप्पे को इन अवशेषों को बेचने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और इनका व्यवसायीकरण कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, जिनमें सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा से जुड़े यूनेस्को कन्वेंशन भी शामिल हैं।

वैश्विक बौद्ध समुदाय की चिंता

इस नीलामी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता और विरोध उत्पन्न किया है, विशेष रूप से बौद्ध विद्वानों और मठाधीशों के बीच। उनके अनुसार ये अवशेष पवित्र और पूजनीय हैं, कि बिक्री योग्य वस्तुएँ।

Sotheby’s की प्रतिक्रिया: “असाधारण खोज”

इन सभी आपत्तियों के बावजूद, Sotheby’s ने नीलामी की तैयारी जारी रखी है। उसने इस संग्रह को “अब तक की सबसे असाधारण पुरातात्विक खोजों में से एक” बताया है। नीलामी में शामिल वस्तुओं में हैं:

  • हड्डियों के अवशेष

  • साबुन पत्थर और क्रिस्टल की रीलिक्वरी (पात्र)

  • बलुआ पत्थर का संदूक

  • स्वर्ण आभूषण और रत्न

इन वस्तुओं को इस तरह प्रचारित किया गया है जैसे कि वे “ऐतिहासिक बुद्ध के शारीरिक अवशेषों के साथ दफन की गई पवित्र वस्तुएँ” हों — जिससे इनका बाज़ारी मूल्य तो बढ़ गया, लेकिन इसके साथ ही नैतिक और कानूनी सवाल भी उठ खड़े हुए हैं।

सांस्कृतिक और नैतिक चिंता

पिपरहवा अवशेषों का मामला औपनिवेशिक विरासत और सांस्कृतिक अपहरण से जुड़ी व्यापक चिंता को उजागर करता है। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से अनेकों कलाकृतियाँ विदेशों में ले जाई गईं, जो आज भी यूरोप और अमेरिका के संग्रहालयों या निजी संग्रहों में मौजूद हैं।

हाल के वर्षों में भारत ने अपने चोरी गए सांस्कृतिक धरोहरों की वापसी के प्रयास तेज किए हैं और कई कलाकृतियाँ यूके, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से वापस लाई गई हैं। पिपरहवा के बौद्ध अवशेषों की नीलामी को इस क्रम में एक और दुखद स्मृति के रूप में देखा जा रहा है — और इस बात की याद दिलाती है कि अभी भी बहुत कुछ वापस लाना बाकी है।

भूटान पर्यटन में क्रिप्टो भुगतान को एकीकृत करने वाला पहला देश बन गया

भूटान की रॉयल सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में डिजिटल नवाचार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मई 2025 में Binance Pay और DK Bank के साथ साझेदारी में एक क्रिप्टोकरेंसी-आधारित भुगतान प्रणाली शुरू की है। इस पहल के साथ भूटान पहला संप्रभु देश बन गया है जिसने आधिकारिक रूप से अपनी राष्ट्रीय पर्यटन नीति में क्रिप्टो भुगतान को शामिल किया है। यह प्रणाली वैश्विक पर्यटकों को एक सहज, नकद-मुक्त अनुभव प्रदान करती है और ग्रामीण भूटान में वित्तीय समावेशन को भी प्रोत्साहित करती है।

क्यों है खबरों में?

यह पहल ऐतिहासिक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि यह किसी संप्रभु राष्ट्र द्वारा सार्वजनिक पर्यटन सेवाओं के लिए क्रिप्टो भुगतान को अपनाने का पहला उदाहरण है। 100 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार करके भूटान ब्लॉकचेन और ट्रैवल उद्योगों में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।

क्रिप्टो पर्यटन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं

  • शुरुआत: मई 2025

  • साझेदार: Binance Pay और DK Bank

  • सेवाएँ जिनके लिए क्रिप्टो भुगतान संभव है:

    • फ्लाइट टिकट

    • होटल बुकिंग

    • वीज़ा और सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस (SDF)

    • ऐतिहासिक स्थलों की एंट्री

    • स्थानीय खरीदारी

  • भुगतान प्रणाली: QR कोड (स्थैतिक और गतिशील), कार्ड मशीन की आवश्यकता नहीं

उद्देश्य

  • विदेशी पर्यटकों के लिए नकद-मुक्त यात्रा को बढ़ावा देना

  • ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन

  • विदेशी मुद्रा विनिमय की जटिलताओं और लागत को कम करना

  • भूटान को स्मार्ट और टिकाऊ पर्यटन में तकनीकी नेतृत्व प्रदान करना

पृष्ठभूमि और स्थैतिक जानकारी

  • मुद्रा: भूटानी नगुलट्रम (BTN)

  • क्रिप्टो ऑटो-कन्वर्ज़न: सभी क्रिप्टो भुगतान तुरंत BTN में बदल जाते हैं

  • क्रिप्टो खनन: भूटान के पास पहले से 12,062 बिटकॉइन (~$1.17 बिलियन) हैं

  • 100+ व्यवसाय जुड़े: जिनमें कई ग्रामीण व्यवसाय शामिल हैं

इस पहल का महत्व

  • राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन में क्रिप्टो का पहला प्रयोग

  • पर्यटन को अधिक सुलभ, कुशल और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना

  • नवाचार, समावेशन और आर्थिक विविधता की दिशा में भूटान की प्रतिबद्धता

  • $3 ट्रिलियन वैश्विक क्रिप्टो बाजार का लाभ उठाना

भारत की कुल प्रजनन दर 2.0 पर बनी हुई है: 2021 एसआरएस रिपोर्ट

भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) वर्ष 2021 में 2.0 रही, जो कि 2020 के समान है। यह जानकारी भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) रिपोर्ट 2021 में दी गई है। यह रिपोर्ट देश की बदलती जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों जैसे कि प्रजनन दर, वृद्ध होती जनसंख्या और विवाह रुझानों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने सबसे अधिक TFR 3.0 दर्ज की, जबकि दिल्ली और पश्चिम बंगाल में सबसे कम TFR 1.4 दर्ज की गई।

क्यों चर्चा में है?

भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR) वर्ष 2021 में 2.0 रही, जो कि 2020 के समान है। यह जानकारी भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा 7 मई 2025 को जारी की गई सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) रिपोर्ट 2021 में सामने आई है। यह रिपोर्ट जनसंख्या वृद्धि, वृद्धावस्था, और विवाह रुझानों जैसी प्रमुख जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों की जानकारी देती है — विशेष रूप से तब जब 2021 की जनगणना अब तक नहीं हुई है।

प्रमुख बिंदु: SRS 2021 रिपोर्ट के अनुसार

कुल प्रजनन दर (TFR)

  • राष्ट्रीय औसत: 2.0 (2020 के समान)

  • सबसे अधिक TFR: बिहार – 3.0

  • सबसे कम TFR: दिल्ली पश्चिम बंगाल – 1.4

TFR प्रतिस्थापन स्तर (2.1) से कम:
  • तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक आदि

TFR प्रतिस्थापन स्तर या अधिक:
  • असम (2.1), गुजरात (2.0), हरियाणा (2.0)

आयु संरचना में बदलाव

  • 0–14 वर्ष की आबादी में गिरावट:
    1971 में 41.2% से घटकर 2021 में 24.8%

  • 15–59 वर्ष (कार्यशील आयु वर्ग) में वृद्धि:
    53.4% से बढ़कर 66.2%

  • 60+ वर्ष की वृद्ध आबादी:
    6% से बढ़कर 9%

  • 65+ वर्ष: 5.3% से बढ़कर 5.9%

वृद्ध आबादी राज्यों में:

  • सबसे अधिक वृद्धजन प्रतिशत:

    • केरल: 14.4%

    • तमिलनाडु: 12.9%

    • हिमाचल प्रदेश: 12.3%

  • सबसे कम वृद्धजन प्रतिशत:

    • बिहार: 6.9%

    • असम: 7%

    • दिल्ली: 7.1%

विवाह प्रवृत्तियाँ

  • महिलाओं की औसत विवाह आयु:

    • 1990 में 19.3 वर्ष से बढ़कर 2021 में 22.5 वर्ष

SRS सर्वेक्षण के बारे में

  • कौन करता है: भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा संचालित

  • जनगणना के बाद सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण

  • कवरेज: 8,842 सैंपल इकाइयाँ

  • नमूना जनसंख्या: लगभग 84 लाख लोग

निष्कर्ष:
SRS 2021 रिपोर्ट भारत की जनसांख्यिकीय संक्रमण (Demographic Transition) की दिशा को दर्शाती है, जिसमें प्रजनन दर में गिरावट, वृद्धावस्था में वृद्धि और विवाह आयु में बदलाव जैसे महत्वपूर्ण संकेत शामिल हैं। यह नीति निर्धारण और जनसंख्या से जुड़ी योजनाओं के लिए अहम दस्तावेज है।

सारांश/स्थायी तथ्य विवरण
क्यों चर्चा में? भारत की कुल प्रजनन दर 2.0 पर स्थिर रही: SRS 2021 रिपोर्ट
कुल प्रजनन दर (TFR) 2.0 (2020 के समान)
सर्वाधिक TFR (बिहार) 3.0
न्यूनतम TFR (दिल्ली, प. बंगाल) 1.4
प्रतिस्थापन स्तर से कम TFR वाले राज्य तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब आदि
वरिष्ठ नागरिक जनसंख्या (60+) केरल सर्वाधिक (14.4%), बिहार न्यूनतम (6.9%)
विवाह की औसत आयु (महिलाएं) बढ़कर 22.5 वर्ष हुई
जनसंख्या वृद्धावस्था 60+ आयु वर्ग की जनसंख्या 6% से बढ़कर 9% हुई
सर्वेक्षण एजेंसी भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI)
सर्वेक्षण आकार 8,842 इकाइयाँ, 84 लाख लोगों को कवर करता है

IPL 2025: 17 मई से फिर शुरू होगा आईपीएल 2025

धर्मशाला में 8 मई 2025 को पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच चल रहे मैच के दौरान सुरक्षा कारणों से IPL 2025 को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया था। अब, BCCI ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के साथ विचार-विमर्श के बाद टूर्नामेंट के पुनः आरंभ की घोषणा की है।

टूर्नामेंट फिर से कब शुरू होगा?

  • आरंभ तिथि: 17 मई 2025

  • समाप्ति तिथि (फाइनल): 3 जून 2025, शाम 7:30 बजे IST

कुल शेष मैच:

  • 12 लीग मैच

  • 5 प्लेऑफ़ मैच (Qualifier 1, Eliminator, Qualifier 2, Final)

नए आयोजन स्थल (6 प्रमुख शहर):

  1. बेंगलुरु

  2. जयपुर

  3. दिल्ली

  4. लखनऊ

  5. मुंबई

  6. अहमदाबाद

(प्लेऑफ़ मैचों के स्थल अभी घोषित नहीं हुए हैं)

डबल हेडर मुकाबले (एक दिन में दो मैच):

  • 18 मई 2025 (रविवार)

  • 25 मई 2025 (रविवार)

यह कदम समय की कमी को पूरा करने और प्रशंसकों के लिए रोमांच बरकरार रखने हेतु उठाया गया है।

IPL 2025 संशोधित कार्यक्रम – नई तिथियाँ

Date Day Time Team 1 Team 2 Venue
17-May-25 Saturday 7:30 PM Royal Challengers Bengaluru Kolkata Knight Riders Bengaluru
18-May-25 Sunday 3:30 PM Rajasthan Royals Punjab Kings Jaipur
18-May-25 Sunday 7:30 PM Delhi Capitals Gujarat Titans Delhi
19-May-25 Monday 7:30 PM Lucknow Super Giants Sunrisers Hyderabad Lucknow
20-May-25 Tuesday 7:30 PM Chennai Super Kings Rajasthan Royals Delhi
21-May-25 Wednesday 7:30 PM Mumbai Indians Delhi Capitals Mumbai
22-May-25 Thursday 7:30 PM Gujarat Titans Lucknow Super Giants Ahmedabad
23-May-25 Friday 7:30 PM Royal Challengers Bengaluru Sunrisers Hyderabad Bengaluru
24-May-25 Saturday 7:30 PM Punjab Kings Delhi Capitals Jaipur
25-May-25 Sunday 3:30 PM Gujarat Titans Chennai Super Kings Ahmedabad
25-May-25 Sunday 7:30 PM Sunrisers Hyderabad Kolkata Knight Riders Delhi
26-May-25 Monday 7:30 PM Punjab Kings Mumbai Indians Jaipur
27-May-25 Tuesday 7:30 PM Lucknow Super Giants Royal Challengers Bengaluru Lucknow
28-May-25 Wednesday
29-May-25 Thursday 7:30 PM Qualifier 1 TBC TBC
30-May-25 Friday 7:30 PM Eliminator TBC TBC
31-May-25 Saturday
01-Jun-25 Sunday 7:30 PM Qualifier 2 TBC TBC
02-Jun-25 Monday
03-Jun-25 Tuesday 7:30 PM Final TBC TBC

सुरक्षा पहले: IPL 2025 के लिए सख्त उपाय लागू

IPL 2025 सीज़न के लिए संशोधित योजना को अंतिम रूप केवल तभी दिया गया जब कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के साथ गहन समन्वय किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में खिलाड़ियों, अधिकारियों, दर्शकों और सभी संबंधित लोगों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। स्टेडियम में मैच देखने आने वाले प्रशंसकों को अब कड़े सुरक्षा जांच, सीमित प्रवेश क्षेत्र और नियंत्रित स्टेडियम पहुंच जैसी व्यवस्थाओं का सामना करना पड़ेगा, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके और टूर्नामेंट निर्विघ्न संपन्न हो सके।

ई-पासपोर्ट क्या है और यह भारत में कैसे काम करता है?

भारत ने यात्रा दस्तावेजों को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है—चिप आधारित ई-पासपोर्ट की शुरुआत। यह पहल 1 अप्रैल 2024 को पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (PSP) वर्शन 2.0 के तहत शुरू हुई और 22 मार्च 2025 तक केवल तमिलनाडु में ही 20,000 से अधिक ई-पासपोर्ट जारी किए जा चुके हैं।

ई-पासपोर्ट क्या है और यह कैसे काम करता है?

ई-पासपोर्ट एक बायोमेट्रिक पासपोर्ट है जिसमें RFID चिप और एंटीना पासपोर्ट के पिछले कवर में लगे होते हैं। इसमें पासपोर्ट धारक की व्यक्तिगत जानकारी और बायोमेट्रिक डाटा (उंगलियों के निशान डिजिटल फोटो) संग्रहीत होती है।

ई-पासपोर्ट को इसके गोल्डन चिप चिन्ह से पहचाना जा सकता है।

ई-पासपोर्ट बनाम सामान्य पासपोर्ट (तुलना)

विशेषता सामान्य पासपोर्ट ई-पासपोर्ट
डेटा संग्रह केवल प्रिंटेड RFID चिप में संग्रहीत
सुरक्षा सीमित PKI द्वारा एन्क्रिप्टेड
बायोमेट्रिक डाटा नहीं हाँ (फोटो और फिंगरप्रिंट)
छेड़छाड़ की संभावना अधिक छेड़छाड़-रोधी
प्रक्रिया गति मैनुअल सत्यापन ऑटोमेटेड सिस्टम से तेज

कौन ले सकता है ई-पासपोर्ट?

वर्तमान में, नए पासपोर्ट या नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले नागरिक चयनित शहरों में ई-पासपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। पात्रता वही है जो सामान्य पासपोर्ट के लिए होती है:

  • भारतीय नागरिकता का प्रमाण

  • पहचान और पते के दस्तावेज

  • आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए

ई-पासपोर्ट के लाभ

  • बेहतर सुरक्षा: PKI तकनीक से डाटा एन्क्रिप्ट

  • तेज इमिग्रेशन प्रक्रिया: ऑटोमेटेड ई-गेट्स से तेजी

  • वैश्विक मान्यता: ICAO मानकों का पालन

  • फ्रॉड की संभावना कम: डुप्लिकेशन लगभग असंभव

  • सुविधाजनक सत्यापन: तुरंत जानकारी मिलती है

कैसे करें आवेदन?

  1. वेबसाइट पर जाएं: https://www.passportindia.gov.in

  2. लॉगिन करें / नया रजिस्ट्रेशन करें

  3. आवेदन फॉर्म भरें (नया या नवीनीकरण)

  4. नजदीकी पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) में अपॉइंटमेंट लें

  5. आवश्यक दस्तावेज और बायोमेट्रिक विवरण जमा करें

  6. आवेदन की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक करें

नोट: अभी ई-पासपोर्ट केवल चुनिंदा शहरों में जारी किए जा रहे हैं।

ई-पासपोर्ट कहां जारी हो रहे हैं? (मार्च 2025 तक)

  • चेन्नई

  • नागपुर

  • भुवनेश्वर

  • जम्मू

  • गोवा

  • शिमला

  • रायपुर

  • अमृतसर

  • जयपुर

  • हैदराबाद

  • सूरत

  • रांची

पूरे देश में लागू होने की संभावना: 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक

ई-पासपोर्ट की तकनीक

  • RFID चिप: संपर्क रहित डेटा ट्रांसफर

  • बायोमेट्रिक सत्यापन: चेहरा फिंगरप्रिंट

  • PKI तकनीक: डाटा की सुरक्षा और प्रमाणीकरण

  • ICAO मानक: वैश्विक स्वीकृति सुनिश्चित

क्या ई-पासपोर्ट सुरक्षित है?

हाँ। डेटा केवल अधिकृत इमिग्रेशन सिस्टम द्वारा पढ़ा जा सकता है। PKI एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि:

  • डाटा में बदलाव तुरंत पता चल जाएगा

  • पहचान सत्यापन बायोमेट्रिक से होता है

  • डुप्लिकेट बनाना लगभग असंभव है

एयरपोर्ट पर सुरक्षा में कैसे मददगार है?

  • ई-गेट से स्वचालित क्लीयरेंस

  • फिंगरप्रिंट चेहरा स्कैन द्वारा त्वरित सत्यापन

  • प्रोसेसिंग समय कम

  • मैनुअल एरर की संभावना घटती है

विदेश यात्रा करने वाले भारतीय क्या जानें?

ई-पासपोर्ट धारक:

  • उन देशों में ई-गेट का लाभ ले सकते हैं जहाँ ICAO मानक लागू हैं

  • पहचान चोरी से बचाव मिलता है

  • यात्रा दस्तावेज की तेज़ जांच संभव होती है

परंतु ध्यान रखें:

  • चिप को क्षतिग्रस्त करें

  • RFID ब्लॉकिंग कवर का उपयोग करें (यदि आवश्यक लगे)

  • वीज़ा नियम देश अनुसार जाँचें

उत्तर प्रदेश ने 12 नए उत्पादों के साथ ओडीओपी योजना का विस्तार किया

स्थानीय शिल्प और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी प्रमुख योजना “एक जनपद एक उत्पाद (ODOP)के तहत 12 नए उत्पादों को शामिल किया है, जिससे अब राज्य के 75 जिलों में कुल 74 उत्पाद सूचीबद्ध हो गए हैं। यह विस्तार कारीगरों को सशक्त बनाने, निर्यात को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को $1 ट्रिलियन के लक्ष्य की ओर ले जाने की सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

क्यों चर्चा में है?

2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई ODOP योजना को हाल ही में 12 नए उत्पादों को शामिल करते हुए अपडेट किया गया है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय उद्योगों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराना और रोजगार सृजन करना है। यह कदम उत्तर प्रदेश की पारंपरिक और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

मई 2025 में शामिल किए गए 12 नए उत्पाद:

जिला नया ODOP उत्पाद
बागपत कृषि उपकरण और सहायक सामग्री
सहारनपुर होजरी उत्पाद (Hosiery Products)
फिरोजाबाद खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing)
गाजियाबाद धातु उत्पाद और वस्त्र/परिधान उत्पाद
अमरोहा धातु एवं लकड़ी के हस्तशिल्प
आगरा पेठा उद्योग और सभी प्रकार के फुटवियर
हमीरपुर धातु उत्पाद
बरेली लकड़ी के उत्पाद
एटा चिकोरी उत्पाद (Chicory Products)
प्रतापगढ़ खाद्य प्रसंस्करण
बिजनौर मुंज संबंधित उत्पाद
बलिया सत्तू उत्पाद

ODOP योजना के बारे में:

  • शुभारंभ: 24 जनवरी 2018

  • प्रारंभकर्ता: उत्तर प्रदेश सरकार

उद्देश्य:

  • प्रत्येक जिले के पारंपरिक और विशेष उत्पादों को बढ़ावा देना

  • स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करना

  • स्थानीय उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहन देना

  • 2029 तक उत्तर प्रदेश को $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान

प्रमुख विशेषताएं:

  • हर जिले के लिए एक विशिष्ट उत्पाद पर केंद्रित योजना

  • वित्तीय सहायता, विपणन समर्थन और कौशल विकास के माध्यम से सहयोग

  • उत्पादों का GI टैग कराने के लिए प्रोत्साहन

  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार और ब्रांडिंग

योजना का महत्व:

  • स्थानीय कारीगरों और लघु उद्योगों को आगे बढ़ने का अवसर

  • आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को बढ़ावा

  • जिला स्तरीय निर्यात में वृद्धि

  • स्थानीय उत्पादों की ब्रांड पहचान का निर्माण

  • ग्रामीण और कारीगरी आधारित आजीविका को सशक्त बनाना

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों चर्चा में है? उत्तर प्रदेश ने ODOP योजना में 12 नए उत्पाद शामिल किए
योजना का नाम एक जनपद एक उत्पाद (ODOP) योजना
शुभारंभ 24 जनवरी 2018
नवीनतम अपडेट (मई 2025) 12 नए उत्पाद शामिल; अब कुल 74 उत्पाद
योजना का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों, रोजगार और निर्यात को बढ़ावा देना
लक्ष्यित आर्थिक लक्ष्य 2029 तक $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था
मुख्य विशेषताएं वित्तीय सहायता, GI टैगिंग, राष्ट्रीय/वैश्विक स्तर पर प्रचार

SBI और सात निजी बैंक Yes Bank की 20% हिस्सेदारी 13,482 करोड़ रुपये में जापान की SMBC को बेचेंगे

भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी सीमा-पार डील के रूप में, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और सात निजी बैंकों ने मिलकर यस बैंक में अपनी 20% हिस्सेदारी जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) को 13,482 करोड़ में बेच दी है। यह रणनीतिक लेनदेन केवल भारतीय बैंकिंग में वैश्विक रुचि को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि 2020 के संकट के बाद से यस बैंक ने मजबूत पुनरुत्थान किया है।

क्यों चर्चा में है?

यह हिस्सेदारी बिक्री इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे SMBC जैसी जापान की एक प्रमुख बैंकिंग समूह की भारत के एक निजी बैंक में बड़ी भागीदारी हुई है। यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र के वैश्वीकरण और विदेशी निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। यह डील भारत में बैंकिंग क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण है।

लेनदेन के मुख्य बिंदु:

  • बिक्री गई हिस्सेदारी: 20% (यस बैंक में)

  • डील का मूल्य:13,482 करोड़ (लगभग $1.62 बिलियन)

  • प्रति शेयर मूल्य:21.50 (मार्केट प्राइस से 18% प्रीमियम)

  • यस बैंक का मूल्यांकन: $7.9 बिलियन

हिस्सेदारी बेचने वाले:

  • SBI: 13.19% हिस्सेदारी, ₹8,889 करोड़ में

  • 7 निजी बैंक (HDFC, ICICI, Axis, Kotak Mahindra, Federal, IDFC First, Bandhan): 6.81% हिस्सेदारी, ₹4,594 करोड़ में

डील के बाद शेयरहोल्डिंग:

  • SBI: 10.78%

  • अन्य 7 बैंक: 2.93%

  • SMBC: 20%

पृष्ठभूमि:

  • 2020 में यस बैंक गंभीर संकट में था; RBI ने बोर्ड को भंग कर प्रशासक नियुक्त किया था।

  • SBI ने ₹7,250 करोड़ निवेश कर पुनरुद्धार की अगुवाई की।

  • अन्य निजी बैंकों ने भी सहयोग किया।

  • पुनर्गठन के बाद SBI की हिस्सेदारी 49% थी।

SMBC का प्रोफाइल:

  • SMFG (सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप) की सहायक कंपनी

  • जापान का दूसरा सबसे बड़ा बैंकिंग समूह

  • SMFG के पास $2 ट्रिलियन की संपत्ति (दिसंबर 2024 तक)

  • भारत में SMBC की NBFC शाखा “SMFG इंडिया क्रेडिट” भी संचालित

नियामक प्रावधान:

  • भारत में विदेशी निवेश के लिए RBI की मंजूरी आवश्यक

  • हिस्सेदारी को 26% से नीचे रखा गया, जिससे SEBI के ओपन ऑफर नियम से बचा जा सके

रणनीतिक महत्व:

  • SMBC की भागीदारी से यस बैंक की वैश्विक साख और संचालन क्षमता में बढ़ोतरी होगी

  • यह डील भारतीय बैंकिंग सुधारों में अंतरराष्ट्रीय विश्वास का संकेत है

  • इससे गवर्नेंस, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और लाभप्रदता में सुधार की उम्मीद

RBI ने डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स पर शिकंजा कसा: 13 मई से रिपोर्टिंग अनिवार्य

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और उधारकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025 के तहत सभी विनियमित संस्थाओं (REs) को अपने डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLAs) का विवरण RBI के नए केंद्रीय सूचना प्रबंधन प्रणाली (CIMS) पोर्टल पर 13 मई 2025 से अपलोड करना अनिवार्य होगा। इस कदम का उद्देश्य अधिक भरोसेमंद उधारी वातावरण बनाना और अनियमित ऐप्स अनुचित व्यवहार से जुड़े जोखिमों को कम करना है।

क्यों चर्चा में है?

RBI ने एक केंद्रीकृत पोर्टल — CIMS लॉन्च किया है, जिसमें सभी विनियमित उधारदाताओं को 15 जून 2025 तक अपने डिजिटल ऋण प्लेटफार्मों की जानकारी अपलोड करनी होगी।
1 जुलाई 2025 से एक सार्वजनिक डायरेक्टरी जारी की जाएगी, जिससे उधारकर्ता किसी भी लेंडिंग ऐप की वैधता की जांच कर सकेंगे। यह कदम अवैध डिजिटल उधारदाताओं, डेटा गोपनीयता उल्लंघनों और शोषणकारी ऋण प्रथाओं को रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025 की प्रमुख बातें:

1. REs के लिए रिपोर्टिंग अनिवार्यता

  • सभी RBI द्वारा विनियमित संस्थाएं अपने DLAs की जानकारी CIMS पोर्टल पर देंगी।

  • पोर्टल लाइव हुआ: 13 मई 2025

  • रिपोर्टिंग की अंतिम तिथि: 15 जून 2025

2. DLAs की सार्वजनिक डायरेक्टरी

  • 1 जुलाई 2025 को RBI की वेबसाइट पर सभी स्वीकृत DLAs की सूची प्रकाशित की जाएगी।

  • यह सूची उधारकर्ताओं के लिए सत्यापन उपकरण के रूप में काम करेगी।

  • RBI इन प्रविष्टियों की पुष्टि नहीं करेगा – यह “as is” डाटा होगा जो REs द्वारा अपलोड किया गया है।

3. ऋण एकत्रीकरण में पारदर्शिता

  • यदि कोई Lending Service Provider (LSP) एक से अधिक उधारदाताओं के साथ कार्य करता है, तो सभी ऋण प्रस्ताव डिजिटल रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे।

  • ऐप्स को मेल खाते और खाते उधारदाताओं की सूची दिखानी होगी।

4. तीसरे पक्ष के भागीदारों के लिए कड़ी जांच

REs को अपने LSPs का मूल्यांकन निम्नलिखित आधार पर करना होगा:

  • तकनीकी क्षमता

  • डेटा सुरक्षा

  • गोपनीयता अनुपालन

इस कदम के उद्देश्य

  • उधारकर्ताओं के डेटा के दुरुपयोग को रोकना

  • छिपे शुल्क, आक्रामक वसूली और नकली ऐप्स से संबंधित शिकायतों का समाधान

  • उधारकर्ताओं की सुरक्षा और डिजिटल वित्त में भरोसे को बढ़ाना

  • फिनटेक क्षेत्र में जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा देना

स्थैतिक पृष्ठभूमि जानकारी

  • भारत में डिजिटल लेंडिंग 2020 के बाद तेज़ी से बढ़ा है, विशेष रूप से मोबाइल ऐप्स के ज़रिए।

  • RBI ने सितंबर 2022 में प्रारंभिक दिशानिर्देश जारी किए थे, जो बैंक खातों के माध्यम से सीधी ऋण वितरण और चुकौती पर केंद्रित थे।

  • 2025 के नए दिशानिर्देश इन्हीं नियमों पर आधारित हैं लेकिन अधिक केंद्रीकृत निगरानी और उधारकर्ता जागरूकता को केंद्र में रखते हैं।

महत्त्व

  • सुरक्षित उधारी प्रथाओं और उपभोक्ता अधिकारों को सुनिश्चित करता है।

  • डिजिटल वित्त में मौजूद खामियों का फायदा उठाने वाले “फ्लाई-बाय-नाइट” ऑपरेटरों पर अंकुश लगाता है।

  • RBI के पारदर्शी, जवाबदेह और विनियमित डिजिटल क्रेडिट इकोसिस्टम की दृष्टि को साकार करता है।

सारांश / स्थैतिक तत्व विवरण
क्यों चर्चा में है? RBI ने डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर सख्ती की: 13 मई से अनिवार्य रिपोर्टिंग शुरू
CIMS पोर्टल की लॉन्च तिथि 13 मई 2025
डेटा जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून 2025
सार्वजनिक डायरेक्टरी जारी होने की तिथि 1 जुलाई 2025
कौन पालन करेगा? सभी RBI-विनियमित संस्थाएं जिनके पास डिजिटल लेंडिंग ऐप्स हैं
मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता, उधारकर्ता सुरक्षा, डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म का विनियमन
निगरानी निकाय भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
संदर्भ दस्तावेज़ RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025

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