भारत-यूके विज़न 2035 का विश्लेषण: भविष्य के लिए अरबों डॉलर की रूपरेखा!

लंदन में 24 जुलाई 2025 को एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और यूनाइटेड किंगडम ने भारत-यूके विज़न 2035 का अनावरण किया। यह रूपरेखा द्विपक्षीय सहयोग को व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा, शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में गहराई और विविधता प्रदान करने के लिए एक परिवर्तनकारी एजेंडा प्रस्तुत करती है। यह दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है और बदलती वैश्विक चुनौतियों के बीच एक सुरक्षित, सतत और समृद्ध विश्व के निर्माण के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पृष्ठभूमि

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हैं, जो अब एक व्यापक द्विपक्षीय साझेदारी में परिवर्तित हो चुके हैं। 2021 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) के स्तर तक उन्नत किया, जिसके बाद से व्यापार, स्वास्थ्य, जलवायु और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग हुआ है। भारत-यूके विज़न 2035 इन्हीं प्रयासों की निरंतरता और विस्तार है, जो भविष्य के रिश्तों को दिशा देने के लिए एक सुव्यवस्थित और समयबद्ध ढांचा प्रस्तुत करता है।

महत्त्व

  • वैश्विक नेतृत्व: यह विज़न दोनों देशों को नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और बहुपक्षीय सुधारों के अग्रदूत के रूप में स्थापित करता है।

  • आर्थिक प्रभाव: भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) तथा प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) जैसी पहलों के माध्यम से व्यापार, रोज़गार और निवेश में वृद्धि होगी।

  • रणनीतिक स्वायत्तता: रक्षा और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ेगा, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।

  • जलवायु और ऊर्जा संक्रमण: यह संयुक्त जलवायु नेतृत्व और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को गति देगा।

  • जनकेंद्रित विकास: शिक्षा, युवा आवाजाही और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मज़बूती देकर नागरिकों को सीधा लाभ पहुँचाएगा।

भारत-यूके विज़न 2035 के उद्देश्य

  • द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को गतिशील आर्थिक संवादों के माध्यम से विस्तार देना।

  • रक्षा सहयोग और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में संयुक्त क्षमताओं को सुदृढ़ करना।

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जैव-प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर सहित तकनीकी और डिजिटल नवाचार में नेतृत्व स्थापित करना।

  • सतत विकास और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देना।

  • शिक्षा और सांस्कृतिक साझेदारियों के माध्यम से जन-से-जन संपर्क को सशक्त बनाना।

प्रमुख विशेषताएँ

1. वृद्धि और रोज़गार

  • CETA के कार्यान्वयन से वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में तेज़ी।

  • पूंजी बाज़ारों की कनेक्टिविटी, विधिक सेवाओं और अवसंरचना वित्त को बढ़ावा।

  • JETCO, EFD और FMD जैसे मंचों के माध्यम से आर्थिक सहयोग को दिशा देना।

2. प्रौद्योगिकी और नवाचार

  • यूके-भारत अनुसंधान एवं नवाचार कॉरिडोर के तहत R&D ईकोसिस्टम का एकीकरण।

  • संयुक्त AI केंद्र और कनेक्टिविटी नवाचार केंद्र की स्थापना।

  • क्रिटिकल मिनरल्स, बायोटेक्नोलॉजी, अंतरिक्ष अनुसंधान और क्वांटम तकनीक पर विशेष ध्यान।

3. रक्षा और सुरक्षा

  • 10 वर्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप की शुरुआत।

  • इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन, जेट इंजन तकनीक और साइबर सुरक्षा में सहयोग।

  • आतंकवाद, साइबर अपराध और अवैध वित्त के विरुद्ध संयुक्त प्रयास।

4. जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा

  • ग्रीन फाइनेंस, ऑफशोर विंड, SMRs और हाइड्रोजन पर संयुक्त पहल।

  • कार्बन क्रेडिट मार्केट, ऊर्जा भंडारण और पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सहयोग।

  • ISA, CDRI और OSOWOG जैसे वैश्विक गठबंधनों को सशक्त बनाना।

5. शिक्षा और संस्कृति

  • भारत में यूके विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना और सीमापार शिक्षा का विस्तार।

  • भारत-यूके ग्रीन स्किल्स साझेदारी की शुरुआत।

  • यंग प्रोफेशनल्स स्कीम और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को जोड़ना।

ग्लोबल फाइनेंस मैगज़ीन द्वारा SBI को 2025 का विश्व का सर्वश्रेष्ठ उपभोक्ता बैंक घोषित किया गया

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को प्रतिष्ठित ग्लोबल फाइनेंस मैगज़ीन द्वारा वर्ष 2025 का “विश्व का सर्वश्रेष्ठ उपभोक्ता बैंक” घोषित किया गया है। यह सम्मान बैंक की ग्राहक-केंद्रित नवाचारों और उसकी मज़बूत डिजिटल उपस्थिति को मान्यता देता है। यह वैश्विक पहचान SBI की समावेशी और आधुनिक बैंकिंग के प्रति प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करती है।

पृष्ठभूमि
SBI, जो भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है, ने खुदरा बैंकिंग को तकनीकी नवाचारों, ग्रामीण पहुँच और ग्राहक सुविधा के ज़रिए लगातार रूपांतरित करने की दिशा में कार्य किया है। वर्षों से यह बैंक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और कम बैंकिंग सुविधा वाले क्षेत्रों में बैंकिंग पहुँच का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

महत्त्व
ग्लोबल फाइनेंस द्वारा दिया गया यह पुरस्कार, गहन शोध और अंतरराष्ट्रीय वित्त विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। यह ग्राहक सेवा, नवाचार और पहुंच जैसे प्रमुख मानकों पर SBI की उपभोक्ता बैंकिंग में उत्कृष्टता को दर्शाता है। इसके साथ ही यह भारत के बैंकिंग क्षेत्र को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है।

उद्देश्य और रणनीति
SBI का मुख्य लक्ष्य ग्राहकों को सरल और बेहतर बैंकिंग अनुभव प्रदान करना है, जिसमें डिजिटल परिवर्तन की प्रमुख भूमिका है। बैंक के अध्यक्ष सी. एस. सेटी के अनुसार, SBI ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में वॉइस बैंकिंग, 24×7 डिजिटल सहायता और एआई-आधारित व्यक्तिगत सेवाओं पर विशेष ध्यान दे रहा है।

मुख्य विशेषताएँ

  • सभी प्लेटफार्मों पर निर्बाध सेवा के लिए ओमनी-चैनल जुड़ाव

  • अत्यधिक व्यक्तिगत सेवाओं के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग

  • आसान खाता खोलने की प्रक्रिया और उपयोगकर्ता अनुकूल डिजिटल इंटरफेस

  • बैंकिंग सेवाओं में क्षेत्रीय भाषाओं की बेहतर उपलब्धता के लिए प्रयास

प्रभाव
यह मान्यता SBI के पारंपरिक बैंकिंग और डिजिटल नवाचार को एक साथ जोड़ने के प्रयासों की पुष्टि करती है, विशेषकर उभरते उपभोक्ता वर्गों के लिए। इससे बैंक की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ती है और भारत के डिजिटल बैंकिंग लक्ष्यों को भी बल मिलता है। यह अन्य बैंकों को भी समावेशी और तकनीक-आधारित विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस – 25 जुलाई

प्रत्येक वर्ष 25 जुलाई को अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसकी मान्यता मार्च 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दी गई थी। यह दिवस न्यायाधीशों और दंडाधिकारियों के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक कल्याण के महत्व को रेखांकित करता है — एक ऐसा पहलू जो अक्सर अनदेखा रह जाता है, जबकि ये अधिकारी भारी दबाव के बीच कानून के शासन को बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस उद्देश्य के लिए एक वैश्विक दिवस समर्पित करके, संयुक्त राष्ट्र यह संदेश देता है कि न्यायिक ईमानदारी और प्रभावी न्याय प्रणाली न्यायिक अधिकारियों के समग्र कल्याण से सीधे जुड़ी हुई हैं।

पृष्ठभूमि
यह आंदोलन 25 जुलाई 2024 को न्यायिक कल्याण पर नौरू घोषणा को अपनाने के साथ शुरू हुआ — जो न्यायाधीशों के स्वास्थ्य और कल्याण पर केंद्रित पहला संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त वैश्विक प्रयास था। एक समर्पित अंतरराष्ट्रीय दिवस का विचार नौरू की कोर्ट ऑफ अपील के अध्यक्ष जस्टिस रंगजीव विमलसेना द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिन्होंने महसूस किया कि न्यायिक कल्याण पर ध्यान केवल प्रतीकात्मक घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। यह प्रस्ताव तेजी से लोकप्रिय हुआ और नौरू की कैबिनेट से आधिकारिक समर्थन प्राप्त हुआ।

न्यायिक कल्याण का महत्व
न्यायाधीश एक विशिष्ट प्रकार के मानसिक और भावनात्मक दबाव में कार्य करते हैं—लंबे कार्य घंटे, सार्वजनिक निगरानी, भावनात्मक तनाव, और सार्वजनिक जीवन से अलगाव। फिर भी, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा अक्सर उपेक्षित या वर्जित विषय मानी जाती है। यह दिवस:

  • न्यायपालिका में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को खत्म करने की दिशा में एक कदम है।

  • न्यायिक जिम्मेदारियों के मानवीय पक्ष को उजागर करता है।

  • यह मान्यता देता है कि न्याय की गुणवत्ता सीधे तौर पर न्यायाधीशों के कल्याण से जुड़ी होती है।

  • वैश्विक स्तर पर कानूनी संस्थानों और संस्कृति में सकारात्मक परिवर्तन को प्रोत्साहित करता है।

अंतरराष्ट्रीय दिवस के उद्देश्य
इस दिवस को मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं:

  • न्यायिक कल्याण से जुड़ी जागरूकता को बढ़ाना और इससे जुड़े कलंक को हटाना।

  • न्यायिक संस्थानों के भीतर वेलनेस नीतियों को प्रोत्साहित करना।

  • न्यायिक सहायता प्रणालियों को लेकर विभिन्न देशों के बीच सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर संवाद को प्रेरित करना।

  • यह स्वीकार करना कि स्वस्थ न्यायाधीश बेहतर और निष्पक्ष न्याय प्रदान करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और वैश्विक समर्थन
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 मार्च 2025 को प्रस्ताव संख्या A/RES/79/266 पारित कर 25 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय न्यायिक कल्याण दिवस’ घोषित किया। इस प्रस्ताव में:

  • 160 देशों ने समर्थन में मतदान किया

  • 1 देश (संयुक्त राज्य अमेरिका) ने विरोध में

  • 3 देशों (हैती, मेडागास्कर, सीरिया) ने तटस्थता (Abstain) रखी

  • 70 सह-प्रायोजक देशों में भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, नाइजीरिया और श्रीलंका शामिल थे

इस प्रस्ताव के मसौदे और लॉबिंग का नेतृत्व जस्टिस रंगजीव विमलसेना ने किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (UNODC), नौरू के स्थायी मिशन, और प्रथम सचिव जोसी ऐनी जैकब की प्रमुख भूमिका रही, जिन्होंने वैश्विक समर्थन जुटाने में कूटनीतिक प्रयास किए।

आयोजन और भागीदारी
यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों, न्यायालयों, विधि विश्वविद्यालयों, बार एसोसिएशनों और नागरिक समाज को आमंत्रित करता है कि वे इस दिवस को निम्न माध्यमों से मनाएं:

  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान

  • न्यायिक कल्याण पर केंद्रित वेलनेस कार्यक्रम

  • पैनल चर्चाएं और अनुसंधान मंच

  • शैक्षणिक कार्यक्रम

  • औपचारिक (ceremonial) आयोजन

इन आयोजनों को मौजूदा संसाधनों या स्वैच्छिक योगदानों के माध्यम से किया जा सकता है, पर विशेष ज़ोर संस्थागत समर्थन पर रहेगा।

आयकर दिवस 2025

हर साल 24 जुलाई को मनाया जाने वाला आयकर दिवस भारत में 1860 में आयकर की ऐतिहासिक शुरुआत की याद दिलाता है, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान सर जेम्स विल्सन ने शुरू किया था। समय के साथ यह दिन केवल कर लगाए जाने की तारीख भर नहीं रहा, बल्कि यह अब भारत की राजकोषीय प्रगति, स्वैच्छिक अनुपालन और डिजिटल परिवर्तन का प्रतीक बन गया है। एक समय में केवल राजस्व वसूली का साधन माना जाने वाला आयकर अब आर्थिक आत्मनिर्भरता, पारदर्शिता और राष्ट्र निर्माण का प्रतीक बन गया है। सिविल सेवा और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए, आयकर दिवस का महत्व और इसका विकास भारत की कर प्रणाली, नीति सुधारों और डिजिटल शासन की समझ प्रदान करता है।

पृष्ठभूमि: उपनिवेश काल से आधुनिक कर प्रशासन तक

भारत में आयकर की शुरुआत 24 जुलाई 1860 को हुई, जब सर जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश शासन के दौरान युद्ध खर्चों को पूरा करने के लिए यह व्यवस्था लागू की। इस प्रारंभिक कर प्रणाली ने भविष्य के कई सुधारों की नींव रखी। 1922 में आयकर अधिनियम लागू हुआ, जिसने कर ढांचे को औपचारिक रूप दिया और आयकर अधिकारियों की स्थापना की। इसके बाद 1924 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू अधिनियम के तहत एक वैधानिक निकाय की स्थापना की गई। 1981 में कंप्यूटरीकरण की शुरुआत ने भारत को डिजिटल शासन की ओर अग्रसर किया। वर्ष 2009 में शुरू हुआ केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (CPC) एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग को अधिक कुशल, तेज और क्षेत्राधिकार-मुक्त बना दिया। यह यात्रा भारत की कर व्यवस्था में निरंतर विकास, टेक्नोलॉजिकल एकीकरण और करदाताओं के साथ सहभागिता को दर्शाती है।

राष्ट्र निर्माण में आयकर का महत्व
आयकर किसी भी आधुनिक राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ होता है। भारत में इसका उपयोग:

  • शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी आवश्यक सेवाओं के वित्तपोषण में

  • संपत्ति के पुनर्वितरण में, जिससे आर्थिक असमानता घटती है

  • नागरिकों और सरकार के बीच विश्वास और उत्तरदायित्व बढ़ाने में

  • सार्वजनिक निवेश, रोज़गार सृजन और सामाजिक योजनाओं के समर्थन में

इस प्रकार, आयकर लोकतंत्र को मजबूत करने और समाज के हर कोने तक विकास पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है।

करदाता आधार और अनुपालन में वृद्धि
पिछले पाँच वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 36% की वृद्धि देखी गई है।
वित्त वर्ष 2020–21 में लगभग 6.72 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे, जो 2024–25 में बढ़कर 9.19 करोड़ से अधिक हो गए। यह वृद्धि दर्शाती है:

  • करदाता आधार का विस्तार

  • कर जागरूकता में वृद्धि

  • स्वैच्छिक अनुपालन की प्रवृत्ति में मजबूती

पारदर्शिता और सरलता से युक्त कर प्रणाली के चलते यह जनविश्वास का संकेत है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि
भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले पाँच वर्षों में दोगुना से भी अधिक हो गया:

  • ₹12.31 लाख करोड़ (2020–21)

  • ₹16.34 लाख करोड़ (2021–22)

  • ₹19.72 लाख करोड़ (2022–23)

  • ₹23.38 लाख करोड़ (2023–24)

  • ₹27.02 लाख करोड़ (2024–25, अनंतिम आंकड़ा)

यह वृद्धि मजबूत अर्थव्यवस्था, कोविड के बाद पुनरुद्धार, और बेहतर संग्रह दक्षता को दर्शाती है।

डिजिटल परिवर्तन: सहज कर प्रणाली की ओर
आयकर विभाग की डिजिटल क्रांति शासन में एक उदाहरण बन चुकी है:

  • PAN (1972), कंप्यूटरीकरण (1981), CPC (2009), TRACES (2012)

  • TIN 2.0, जिसमें कई भुगतान विकल्प और रीयल-टाइम प्रोसेसिंग

  • AIS, TIS, और प्री-फिल्ड रिटर्न से त्रुटिरहित और सरल रिटर्न दाखिल करना संभव

  • Project Insight, जो डेटा एनालिटिक्स से 360° करदाता प्रोफाइल बनाता है

  • फेसलेस मूल्यांकन, जो मानवीय पक्षपात को खत्म कर दक्षता बढ़ाता है

  • e-वेरिफिकेशन और फीडबैक मैकेनिज्म, जो विश्वास आधारित अनुपालन को बढ़ावा देते हैं

NUDGE सिद्धांत: डेटा से व्यवहार में बदलाव
NUDGE (Non-Intrusive Usage of Data to Guide and Enable Taxpayers) सिद्धांत के तहत, करदाताओं को सौम्य ढंग से प्रेरित किया जाता है कि वे:

  • अपने रिटर्न की समीक्षा और अद्यतन करें

  • गड़बड़ियों का उत्तर दें

  • ईमानदारी से घोषणा करें

आयकर विभाग डेटा एनालिटिक्स और ज़मीनी खुफिया सूचनाओं से चोरी का पता लगाता है, लेकिन पहले विश्वास, बाद में जांच की नीति अपनाता है।

हालिया सुधार: बजट 2025–26 की मुख्य बातें

  • ₹12 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं (नई कर व्यवस्था)

  • मानक कटौती ₹75,000 कर दी गई

  • TDS और TCS की सीमा बढ़ाई गई

  • अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 2 से बढ़ाकर 4 साल

इन कदमों का उद्देश्य मध्यम वर्ग की खपत बढ़ाना, अनुपालन को प्रोत्साहित करना, और प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।

आयकर दिवस का उत्सव: राष्ट्रीय आत्मचिंतन
आयकर दिवस केवल कर कानूनों की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह उत्सव है:

  • भारत की कर प्रणाली के विकास का

  • प्रौद्योगिकी के एकीकरण का

  • कर अधिकारियों, नीति निर्माताओं और ईमानदार नागरिकों के योगदान का

यह दर्शाता है कि भारत ने पारदर्शी, समावेशी, और डिजिटली सक्षम कर व्यवस्था की दिशा में कितनी लंबी यात्रा तय की है।

यूके-भारत मुक्त व्यापार समझौता: किसे लाभ, क्या हुआ सस्ता, और आप पर क्या असर पड़ेगा!

हाल ही में 24 जुलाई 2025 को हस्ताक्षरित भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में एक परिवर्तनकारी क्षण को दर्शाता है। इस समझौते के तहत कई उत्पादों पर शुल्क कम या समाप्त कर दिए जाएंगे, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए कई आयातित वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, वहीं भारतीय निर्यात को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा। प्रमुख वस्तुओं जैसे स्कॉच व्हिस्की, ब्रिटिश लग्ज़री कारें, चॉकलेट और कॉस्मेटिक्स की कीमतों में समय के साथ उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिलेगी। यह समझौता दोनों देशों के उपभोक्ताओं, उद्योगों और रोजगार के क्षेत्र के लिए लाभकारी साबित होने की उम्मीद है।

एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) को लेकर वार्ताएं जनवरी 2022 में शुरू हुई थीं, और तीन वर्षों से अधिक चली चर्चाओं और कई दौर की कूटनीतिक बैठकों के बाद इसे जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के दौरान आधिकारिक रूप से हस्ताक्षरित किया गया। इस एफटीए को भारत का अब तक का सबसे व्यापक व्यापार समझौता और ब्रेक्ज़िट के बाद यूके का सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता माना जा रहा है।

समझौते का महत्व
यह समझौता यूके को होने वाले 99% भारतीय निर्यातों पर शुल्क समाप्त कर देता है।
भारतीय उपभोक्ताओं के लिए स्कॉच व्हिस्की, लग्ज़री कारें, चॉकलेट और मेडिकल उपकरण जैसी उच्च श्रेणी की आयातित वस्तुएं अधिक सुलभ हो जाएंगी।
अनुमान के अनुसार, यह समझौता यूके की जीडीपी में सालाना £4.8 बिलियन ($6.5 बिलियन) का इजाफा करेगा।
इसका उद्देश्य 2030 तक भारत से यूके को होने वाले निर्यात को दोगुना करना है।

उद्देश्य
इस समझौते के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • वस्तुओं और सेवाओं तक सुलभ और किफायती पहुंच को बढ़ावा देना।

  • निवेश और नवाचार को प्रोत्साहित करना।

  • दोनों देशों के एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) और निर्यातकों को समर्थन देना।

  • कुशल पेशेवरों की अस्थायी आवाजाही को सुगम बनाना।

  • गैर-शुल्क बाधाओं को कम करना और बाजार तक पहुंच में सुधार करना।

भारतीयों के लिए क्या होगा सस्ता?

  1. स्कॉच व्हिस्की और जिन

    • स्कॉच व्हिस्की और जिन पर वर्तमान 150% आयात शुल्क को घटाकर पहले चरण में 75% किया जाएगा और अगले 10 वर्षों में इसे 40% तक लाया जाएगा।

    • इससे डियाजियो जैसे प्रीमियम ब्रांड्स को बड़ा लाभ मिलेगा।

  2. ब्रिटिश लग्ज़री कारें

    • यूके में बनी कारों पर वर्तमान में 100% से अधिक आयात शुल्क है, जिसे कोटा आधारित प्रणाली के तहत घटाकर 10% किया जाएगा।

    • जगुआर लैंड रोवर और एस्टन मार्टिन जैसे निर्माताओं को सीधा लाभ होगा।

  3. चॉकलेट, बिस्किट और सैल्मन मछली

    • ब्रिटिश निर्मित चॉकलेट, बिस्किट और सैल्मन पर शुल्क में कमी से ये उत्पाद भारतीय सुपरमार्केट्स में सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगे।

  4. कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर उत्पाद

    • ब्रिटिश ब्रांड्स से आने वाले सौंदर्य प्रसाधन और स्किनकेयर उत्पादों पर शुल्क में कटौती की जाएगी, जिससे इनकी कीमतें घटेंगी।

  5. चिकित्सा उपकरण

    • यूके में निर्मित चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक उपकरणों तक सस्ता और आसान पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।

भारत में किसे मिलेगा लाभ?

  1. वस्त्र एवं चमड़ा निर्यातक

    • परिधान, होम टेक्सटाइल और चमड़े के सामानों पर यूके द्वारा लगाए गए शुल्क (जो कि 12% तक थे) हटाए जाने से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और रोज़गार के नए अवसर बनेंगे।

  2. रत्न एवं आभूषण क्षेत्र

    • सोना, हीरे और आभूषणों पर शून्य शुल्क से भारतीय निर्यातकों को लाभ मिलेगा और भारतीय कारीगरी को वैश्विक मंच पर बढ़ावा मिलेगा।

  3. कृषि, फार्मा एवं प्रोसेस्ड फूड

    • चावल, मसाले, झींगा, चाय और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर शुल्क में कटौती से इन क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।

    • भारतीय फार्मा कंपनियों को यूके बाज़ार में प्रवेश और आसान होगा।

  4. इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन

    • ईवी और हाइब्रिड वाहन निर्माताओं को कोटा आधारित प्रणाली के तहत प्राथमिकता मिलेगी।

    • टाटा मोटर्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों को इससे सीधा लाभ होगा।

  5. पेशेवर एवं कुशल कार्यकर्ता

    • भारतीय पेशेवरों (जैसे शेफ, योग प्रशिक्षक, संगीतकार आदि) के लिए वीज़ा और वर्क परमिट प्रक्रियाएं सरल होंगी।

    • यूके में काम करने वाले भारतीयों को तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी से छूट मिलेगी, जिससे हर साल लगभग ₹4,000 करोड़ की बचत होगी।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने ₹1.62 लाख करोड़ के 1,629 मामलों को चिन्हित किया

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने 31 मार्च 2025 तक कुल 1,629 कॉर्पोरेट इकाइयों को जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले (विलफुल डिफॉल्टर) के रूप में चिन्हित किया है, जिन पर कुल ₹1.62 लाख करोड़ की बकाया राशि है। यह जानकारी संसद में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत की गई, जो देश में बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) की चिंता और पारदर्शिता व ऋण अनुशासन को सुदृढ़ करने के लिए जारी प्रणालीगत प्रयासों को दर्शाती है।

पृष्ठभूमि
विलफुल डिफॉल्टर वे उधारकर्ता होते हैं जिनके पास ऋण चुकाने की क्षमता होते हुए भी वे जानबूझकर भुगतान नहीं करते। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर इस श्रेणी का निर्धारण किया जाता है। बड़े ऋणों पर सूचना का केन्द्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) ऐसे खातों पर नज़र रखता है, तथा ऋणदाताओं और नियामकों को सचेत करने के लिए डेटा को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।

सरकारी उपाय और कानूनी ढांचा
वित्त मंत्रालय ने बताया है कि जानबूझकर किए गए ऋण डिफॉल्ट को रोकने और बकाया राशि की वसूली के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें सरफेसी अधिनियम (SARFAESI Act), ऋण वसूली अधिकरण (DRTs), दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत कार्रवाई करना, और आवश्यकतानुसार आपराधिक मामले दर्ज करना शामिल है। साथ ही, ऐसे डिफॉल्टर्स को भविष्य में ऋण लेने और कंपनियों में निदेशक बनने से प्रतिबंधित किया जाता है।

पारदर्शिता और सार्वजनिक प्रकटीकरण
उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए, जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों की सूची सार्वजनिक की जाती है। यह जानकारी CIBIL, Equifax, Experian और CRIF High Mark जैसी क्रेडिट ब्यूरो के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। ये एजेंसियां बैंकों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर हर माह अपने डेटाबेस को अपडेट करती हैं (विदेशी ऋणकर्ताओं को छोड़कर), जिससे वित्तीय प्रणाली में उचित परिश्रम (due diligence) को बल मिलता है।

बैंकिंग क्षेत्र के लिए महत्त्व
जानबूझकर डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों से बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता को खतरा पैदा हो रहा है, खासकर तब जब जमा राशि की वृद्धि ऋण विस्तार की तुलना में धीमी बनी हुई है। ऐसे डिफॉल्टर्स की पहचान करना और उन्हें दंडित करना जमा कर्ताओं के धन की सुरक्षा, ऋण अनुशासन बनाए रखने और करदाताओं पर खराब ऋणों (bad loans) का बोझ कम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

वसूली में चुनौतियां
हालांकि कई उपाय किए गए हैं, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रियाएं, संपत्ति की पहचान करना और अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्राधिकार (jurisdiction) जैसी जटिलताएं वसूली प्रक्रिया में बाधा बनती हैं। साथ ही, यह आलोचना भी होती है कि बड़े डिफॉल्टर अक्सर कानूनी खामियों या पुनर्संरचना योजनाओं का उपयोग कर भुगतान टालने में सफल हो जाते हैं।

विश्व डूबने से बचाव का दिवस 2025

विश्व ड्राउनिंग प्रिवेन्शन दिवस (World Drowning Prevention Day) हर साल 25 जुलाई 2024 को मनाया जाता है। अप्रैल 2021 संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प (UN General Assembly Resolution) “वैश्विक डूबने की रोकथाम” के माध्यम से घोषित किया गया, प्रतिवर्ष 25 जुलाई को आयोजित किया जाता है। यह वैश्विक वकालत कार्यक्रम परिवारों और समुदायों पर डूबने के दुखद और गहन प्रभाव को उजागर करने और इसे रोकने के लिए जीवन रक्षक समाधान पेश करने के अवसर के रूप में कार्य करता है।

संयुक्त राष्ट्र के डेटा के अनुसार हर साल 236,000 लोग डूब जाते हैं। पीड़ित परिवारों और समुदायों पर डूबने के दुखद व गहन प्रभाव को उजागर करना आवश्यक है। साथ ही इसे रोकने के लिए जीवन रक्षक समाधान पेश करने का अवसर प्रदान करने की जरूरत है।

मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण

अनुमान है कि हर साल 236,000 लोग डूब जाते हैं, जिससे दुनिया भर में डूबना एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है। 1-24 वर्ष की आयु के बच्चों और युवाओं के लिए डूबना वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। डूबना अनजाने में चोट लगने से होने वाली मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है, जो चोट से संबंधित सभी मौतों का 7 फीसदी है।

विश्व ड्राउनिंग प्रिवेन्शन दिवस का इतिहास

25 जुलाई 2021 को पहली बार डूबने से बचाव के विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष, यह अंतर्राष्ट्रीय वकालत कार्यक्रम परिवारों और समुदायों पर डूबने के विनाशकारी प्रभावों को उजागर करने के साथ-साथ इसकी रोकथाम के लिए सुझाव प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। विश्व डूबने से बचाव दिवस पर सभी हितधारकों को सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र, शिक्षाविदों और व्यक्तियों को इससे निपटने के जरूरी उपायों की चर्चा करते हुए आमंत्रित किया जाता है, ताकि ये उपाय अपनाकर ऐसी मौतों को कम किया जा सके।

महत्त्व

डूबना वैश्विक स्तर पर आकस्मिक चोटों से होने वाली मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है, जो सभी ऐसी मौतों में लगभग 7% का योगदान देता है। यह विशेष रूप से 1 से 24 वर्ष की उम्र के बच्चों और युवाओं के लिए घातक है। इन मौतों में से 90% से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार:

  • दुनिया में आधे से अधिक डूबने की घटनाएं WHO के वेस्टर्न पैसिफिक और साउथ-ईस्ट एशिया क्षेत्र में होती हैं।

  • इन क्षेत्रों में डूबने की दरें यूके या जर्मनी जैसे उच्च-आय वाले देशों की तुलना में 27 से 32 गुना अधिक हैं।

इन चौंकाने वाले आँकड़ों के बावजूद, डूबने की समस्या को वैश्विक स्तर पर वह ध्यान नहीं मिला है जिसकी आवश्यकता है। यही कारण है कि यह अंतरराष्ट्रीय दिवस जागरूकता और वकालत (advocacy) के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

इस दिवस के उद्देश्य

विश्व डूबने से बचाव दिवस (World Drowning Prevention Day) का उद्देश्य है:

  • दुनिया भर में समुदायों पर डूबने की विनाशकारी प्रभाव को उजागर करना।

  • जीवन बचाने वाली सिद्ध और किफायती रोकथाम रणनीतियों को बढ़ावा देना।

  • सरकारों, नागरिक समाज, शैक्षणिक संस्थानों और आम नागरिकों सहित बहु-क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।

  • समुदायों को डूबने के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधनों से सशक्त बनाना।

RBI ने वॉरबर्ग पिंकस के IDFC फर्स्ट बैंक में निवेश को दी मंज़ूरी

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वैश्विक प्राइवेट इक्विटी फर्म वॉरबर्ग पिंकस को IDFC फर्स्ट बैंक में 9.99% तक की हिस्सेदारी हासिल करने की मंज़ूरी दे दी है। यह ₹4,876 करोड़ का निवेश बैंक की पूंजी आधार को मजबूत करेगा और इसके विकास लक्ष्यों को समर्थन देगा।

पृष्ठभूमि
इस निवेश प्रस्ताव की घोषणा पहली बार अप्रैल 2025 में की गई थी, और इसके बाद 3 जून 2025 को इसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से भी मंज़ूरी मिल गई थी। यह निवेश वारबर्ग पिंकस की सहयोगी कंपनी करंट सी इन्वेस्टमेंट्स बी.वी. के माध्यम से किया जा रहा है।

प्रमुख निवेश विशेषताएँ
वॉरबर्ग पिंकस लगभग 81.27 करोड़ कंपल्सरिली कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स (CCPS) ₹60 प्रति शेयर की दर से खरीदेगा। इन शेयरों को कन्वर्ट करने पर कंपनी को IDFC फर्स्ट बैंक में अधिकतम 9.99% इक्विटी हिस्सेदारी प्राप्त होगी, जो RBI द्वारा अतिरिक्त विनियामक अनुमति के बिना अनुमत अधिकतम सीमा है।

इस कदम का महत्व
यह निवेश IDFC फर्स्ट बैंक में एक प्रतिष्ठित वैश्विक निवेशक का विश्वास दर्शाता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत का निजी बैंकिंग क्षेत्र निवेश के लिहाज़ से कितना आकर्षक है और बैंक के पास भविष्य में बढ़ने की पर्याप्त क्षमता है।

IDFC फर्स्ट बैंक पर प्रभाव
नई पूंजी के आगमन से बैंक की बैलेंस शीट मजबूत होगी, ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी और रणनीतिक विस्तार योजनाओं को बल मिलेगा। इसके साथ ही बैंक खुद को खुदरा (रेटेल) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (SME) ऋण क्षेत्र में मज़बूती से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में ला पाएगा।

भारतीय तटरक्षक बल को मिला नया प्रदूषण नियंत्रण पोत

रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक इकाई गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय तटरक्षक बल के लिए अपने दूसरे स्वदेशी डिजाइन वाले प्रदूषण नियंत्रण पोत (पीसीवी) ‘समुद्र प्रचेत’ का जलावतरण किया। जीएसएल अधिकारी के अनुसार पोत में दो भुजाएं हैं जो चलते समय तेल रिसाव को एकत्रित करने में सक्षम हैं और तेल के धब्बों का पता लगाने के लिए एक रडार भी है। यह पोत भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) में तेल रिसाव की स्थिति से निपटने की क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही, यह रणनीतिक समुद्री संसाधनों के स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी सशक्त बनाएगा।

भारतीय महासागर क्षेत्र में बढ़ते समुद्री यातायात और औद्योगिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय चिंताओं के मद्देनज़र विशेष प्रदूषण नियंत्रण पोतों (PCVs) की आवश्यकता महसूस की गई। इस संदर्भ में, रक्षा मंत्रालय ने भारत सरकार के प्रमुख रक्षा सार्वजनिक उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) को दो पीसीवी निर्माण की स्वीकृति दी। पहला पीसीवी अगस्त 2024 में जलावतरण हुआ था, जबकि दूसरा — ‘समुद्र प्रचेत’ — इस रणनीतिक पहल की पूर्णता को दर्शाता है।

महत्व

‘समुद्र प्रचेत’ का सम्मिलन भारत की समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से तेल रिसाव, से निपटने की तैयारियों को काफी मज़बूत करता है। भारतीय महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की रणनीतिक और पर्यावरणीय सुरक्षा काफी हद तक समुद्री आपात स्थितियों से त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता पर निर्भर है। यह पोत भारतीय तटरक्षक बल की Maritime Zones of India Act, 1981 के तहत वैधानिक भूमिका और MARPOL (Marine Pollution) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत दायित्वों को निभाने में सहायक सिद्ध होगा।

उद्देश्य

‘समुद्र प्रचेत’ जैसे प्रदूषण नियंत्रण पोतों की तैनाती के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • भारत के समुद्री क्षेत्रों में तेल रिसाव से निपटने की क्षमताओं को बढ़ाना

  • तटीय और समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को समर्थन देना

  • समुद्री आपात स्थितियों में विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को सुदृढ़ करना

  • स्वदेशी जहाज निर्माण के माध्यम से समुद्री अवसंरचना में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना

‘समुद्र प्रचेत’ की विशेषताएं

  • लंबाई: 114.5 मीटर

  • चौड़ाई: 16.5 मीटर

  • विस्थापन (Displacement): 4,170 टन

  • निर्माण: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा पूर्णतः स्वदेशी रूप से

  • उपकरण: अत्याधुनिक प्रदूषण प्रतिक्रिया प्रणालियों से सुसज्जित

  • सक्रिय क्षेत्र: भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता

  • प्रक्षेपण: भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक परमेश शिवमणि और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में

इन विशेषताओं के चलते यह पोत समुद्री प्रदूषण नियंत्रण अभियानों के लिए पूरी तरह तैयार है और भारतीय तटरक्षक बल की हरित समुद्री रणनीति (Green Maritime Strategy) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।

फिनो पेमेंट्स बैंक ने बंगाल में UPI को बढ़ावा देने के लिए “गति” बचत खाता लॉन्च किया

फिनो पेमेंट्स बैंक ने एक नया डिजिटल बचत खाता “गति” लॉन्च किया है — जो कई भारतीय भाषाओं में “Speed” (गति) का प्रतीक है। इस पहल का उद्देश्य पश्चिम बंगाल के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में UPI लेनदेन की पहुंच को और गहराई देना है। यह शून्य बैलेंस वाला खाता त्वरित लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है और विशेष रूप से उन ग्राहकों को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं लेकिन डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने के इच्छुक हैं।

पृष्ठभूमि
फिनो पेमेंट्स बैंक ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक बैंकिंग सुविधाएं सीमित हैं, एक मर्चेंट-आधारित बैंकिंग मॉडल के माध्यम से अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई है। पश्चिम बंगाल में इसके 40,000 से अधिक मर्चेंट प्वाइंट हैं, जो डिजिटल वित्तीय प्रणाली में आसान प्रवेश सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच और सरकार की “डिजिटल इंडिया” पहल ने ऐसे बैंकिंग उत्पादों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है जो तेज़, सरल और समावेशी हों।

महत्व
“GATI” सेविंग्स अकाउंट विशेष रूप से भारत में बढ़ते UPI उपयोग को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। अधिकांश वित्तीय लेनदेन अब ऑनलाइन हो रहे हैं, ऐसे में एक ऐसा खाता जिसमें तुरंत UPI सक्रिय किया जा सके, अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। फिनो की यह पहल युवाओं, महिलाओं, पेंशनभोगियों और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों जैसे वर्गों को ध्यान में रखकर की गई है, जिन्हें अक्सर औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई होती है। बिना किसी भौतिक ढांचे की आवश्यकता के और eKYC आधारित त्वरित ऑनबोर्डिंग सुविधा के साथ, “GATI” जमीनी स्तर पर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है।

मुख्य उद्देश्य

  • नए उपयोगकर्ताओं को तुरंत डिजिटल बैंकिंग सुविधा प्रदान करना।

  • ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में UPI आधारित लेन-देन को बढ़ावा देना।

  • बुनियादी वित्तीय आवश्यकताओं वाले ग्राहकों के लिए किफायती और सुविधाजनक बैंकिंग विकल्प उपलब्ध कराना।

  • मोबाइल-आधारित बैंकिंग को वृद्धजन, महिलाएं और निम्न आय वर्ग के लिए सुलभ बनाकर डिजिटल खाई को पाटना।

“GATI” सेविंग्स अकाउंट की प्रमुख विशेषताएं

  • तत्काल खाता खोलना: पश्चिम बंगाल में फिनो के 40,301 मर्चेंट प्वाइंट्स पर eKYC सत्यापन के माध्यम से।

  • किफायती शुरुआत: एकमुश्त ₹100 खाता खोलने का शुल्क, ₹50 त्रैमासिक मेंटेनेंस शुल्क (कोई वार्षिक शुल्क नहीं)।

  • शून्य बैलेंस खाता: न्यूनतम शेष राशि की कोई अनिवार्यता नहीं।

  • तुरंत UPI सुविधा: फिनोपे ऐप के माध्यम से स्वतः जनरेटेड UPI आईडी।

  • सुलभता: 18 वर्ष से ऊपर, 12वीं पास, वेतनभोगी/स्वरोज़गार वाले स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त।

  • अतिरिक्त सेवाएं: ऐप के माध्यम से बीमा, डिजिटल गोल्ड खरीदने और रेफरल आधारित ऋण के लिए आवेदन करने की सुविधा।

रणनीतिक उद्देश्य
फिनो का लक्ष्य ग्राहकों को “फिजिटल” (भौतिक + डिजिटल) से पूरी तरह डिजिटल बैंकिंग की ओर ले जाना है, ताकि खाता खुलते ही वे लेन-देन के लिए तैयार हो सकें। फिनो के नेशनल हेड (चैनल सेल्स) दरपन आनंद के अनुसार, यह पहल ग्रामीण आबादी को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दीर्घकालिक रणनीति के अनुरूप है—खासकर उन वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए जो अब तेजी से स्मार्टफोन का उपयोग करने लगे हैं।

Recent Posts

about | - Part 181_12.1