गुजरात के लोथल में बनाया जा रहा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

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भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से गुजरात के ऐतिहासिक सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्र लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय के मुताबिक परियोजना को विभिन्न चरणों में पूरा किया जाएगा। भारतीय नौसेना द्वारा चरण एक में उपयोग की जाने वाली पांच दीर्घाओं और एक नौसेना गैलरी के साथ संग्रहालय भवन परिसर शामिल हैं।

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मुख्य बिंदु

  • 35 एकड़ में होने वाले इस निर्माण पर करीब 774.23 करोड़ रुपये खर्च होंगे। चरण एक-बी में संग्रहालय में शेष गैलरी, लाइट हाउस, फाइव-डी गुंबद थियेटर, बगीचा परिसर और अन्य बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा।
  • इसी तरह चरण दो में राज्य मंडप, लोथल शहर, समुद्री संस्थान सहित छात्रावास, इको रिसार्ट, समुद्री और नेवल थीम पार्क, क्लाइमेट चेंज थीम पार्क और एडवेंचर एम्यूजमेंट पार्क आदि बनाए जाएंगे।
  • यह सागरमाला योजना की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। नवीनतम तकनीक का उपयोग करके समुद्री विरासत को पेश किया जाएगा। लोगों में जागरूकता लाई जाएगी।
  • इस परियोजना पर कुल साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस परिसर में कई मंडप भी शामिल होंगे, जहां भारत के विभिन्न तटीय राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की कलाकृतियों और समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
  • भारत में अपनी तरह का पहला परिसर, यह केंद्र भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगा।
  • इस परियोजना में गुजरात सरकार अहम भूमिका निभा रही है। यह बाहरी बुनियादी ढांचे को विकसित करके परियोजना का समर्थन कर रहा है।

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First mountain warfare training school established in NE by ITBP_80.1

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन

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द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का निधन हो गया है। 99 साल की उम्र में स्वामी स्वरूपानंद ने आखिरी सांस ली। उनका निधन मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित गोटेगांव के पास बने झोतेश्वर धाम में हुआ है। हाल ही में उनका जन्मदिवस मनाया गया था।

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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के पास बद्री आश्रम और द्वारकापीठ की जिम्मेदारी थी। उनका जब निधन हुआ तब वह अपने आश्रम में ही थे। बताया जाता है कि स्वामी स्वरूपानंद पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका नरसिंहपुर जिले में स्थित झोतेश्वर आश्रम में ही इलाज चल रहा था।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती

  • मध्य प्रदेश से सिवनी जिले में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती 1982 में गुजरात में द्वारका, शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे। उनका बचपन का नाम पोथीराम रखा गया था।
  • बीते दिनों  स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे।
  • स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से सन्यास दंड की दीक्षा ली थी और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।
  • उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया।  उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली।  उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।

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Renowned Ghazal Singer Bhupinder Singh passes away_90.1

बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने बांड के जरिए जुटाए 710 करोड़ रुपये

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सरकार के स्वामित्व वाले बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) ने कंपनी के विस्तार को वित्तपोषित करने के लिए बांड के माध्यम से 710 करोड़ रुपये जुटाने की सूचना दी। बैंक के एक बयान के अनुसार, बेसल III के अनुरूप अतिरिक्त टियर 1 (एटी 1) बांड के माध्यम से 8.74 प्रतिशत की कूपन दर पर 710 करोड़ रुपये (ग्रीन शू विकल्प के लिए 610 करोड़ रुपये सहित) के लिए धन जुटाया गया था।

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प्रमुख बिंदु

  • इस इश्यू को 100 करोड़ रुपये के बेस इश्यू साइज के मुकाबले 10 गुना सब्सक्रिप्शन के साथ निवेशकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
  • AT1 बांड के माध्यम से जुटाई गई पूंजी बैंक के व्यवसाय के विकास का समर्थन करेगी।
  • AT1 इंस्ट्रूमेंट में पांच साल का कॉल विकल्प है।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बारे में:

बैंक ऑफ महाराष्ट्र का स्वामित्व भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पास है। मार्च 2022 तक, बैंक की देश भर में 2022 शाखाएँ और 29 मिलियन ग्राहक थे। महाराष्ट्र राज्य में, यह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखाओं का व्यापक नेटवर्क समेटे हुए है। 31 दिसंबर, 2021 को कारोबार की समाप्ति पर बैंक का कुल राजस्व 3,15,620 लाख करोड़ से अधिक हो गया।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र: महत्वपूर्ण तथ्य

  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक: श्री एस. मुहनोटी

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एचडीएफसी बैंक ने भारत की पहली इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी जारी की

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भारत में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक एचडीएफसी नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विसेज लिमिटेड (एनईएसएल) के साथ साझेदारी में इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी (ई-बीजी) जारी करने वाला देश का पहला बैंक बन गया है। इसके पहले यह व्यवस्था कागज आधारित थी जिसे जारी करने में अत्यधिक समय लगता था। इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी जैसी नई व्यवस्था आने से कागज आधारित प्रक्रिया को अब समाप्त कर दिया गया है जिस कारण से अब नई इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी बेहद तेजी के साथ सत्यापित करने के साथ ही और भी ज्यादा सुरक्षा के साथ तुरंत वितरित की जा सकती है। यह बैंकिंग प्रणाली में एक बहुत बड़ा परिवर्तन होगा और बैंक अपने सभी ग्राहकों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें ई-बीजी में माइग्रेट करेगा।

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मुख्य बिंदु

  • इसके पहले बैंक गारंटी कागज आधारित थी जिसे पहले लाभार्थी को कुरियर से भेजना पड़ता था, उसके बाद उसे वापस लेने के पश्चात उस पर मुहर लगानी होती थी और उसे फिर से सत्यापित करने की प्रक्रिया शुरू की जाती थी। इस पूरी प्रक्रिया में 3 से 5 दिन लगते थे।
  • इसके अलावा अभी तक बैंक गारंटी के लिए कोई भी सेंट्रल रिपोजिटरी उपलब्ध नहीं थी। इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी काफी समय बचा लेती है और साथी ग्राहक को बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी प्राप्त होती है।
  • अब फिजिकल स्टांपिंग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और इसे अब ई-स्टाम्पिंग के साथ बदल दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी के कारण अब आवेदनकर्ता तुरंत एनईएसएल पोर्टल पर बैंक गारंटी देख सकते हैं।

ई-बीजी के बारे में:

ई-बीजी को प्रक्रिया को सरल बनाने और धोखाधड़ी और हेरफेर की संभावना को खत्म करने के लिए एनईएसएल, सीवीसी-सीबीआई समिति और आईबीए के परामर्श से विकसित किया गया है। ई-बीजी एनईएसएल पोर्टल पर एपीआई आधारित डिजिटल वर्कफ़्लो के माध्यम से जारी किया जाएगा। एचडीएफसी बैंक डिजिटल फैक्ट्री, एंटरप्राइज फैक्ट्री और एंटरप्राइज आईटी के माध्यम से बैंक को चलाने और बनाने के लिए नई दक्षताओं का निर्माण कर रहा है। नई दक्षताओं का निर्माण बैंक की डिजिटल रणनीति का एक प्रमुख स्तंभ है।

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • एचडीएफसी बैंक के सीईओ: शशिधर जगदीशन;
  • एचडीएफसी बैंक मुख्यालय: मुंबई;
  • एचडीएफसी बैंक की स्थापना: अगस्त 1994, मुंबई।

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दिग्गज एक्टर कृष्णम राजू का निधन

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मशहूर तेलुगु स्टार उप्पलपति कृष्णम राजू का हैदराबाद में निधन हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे थे। कृष्णम राजू को ‘रिबेल स्टार’ के नाम से जाना जाता था। कृष्णम राजू बाहुबली फिल्म के सुपरस्टार प्रभास के चाचा लगते थे।

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कृष्णम राजू  के बारे में

दिग्गज अभिनेता ने अपने करियर में 180 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। जिनमें जीवन तरंगलू, मन वूरी पांडवुलु, अंतिमा थीरपू, अमरा दीपम, तंद्रा पपरायुडु और पलनती पौरुषम जैसी सफल फिल्में शामिल हैं। उन्हें आखिरी बार अपने भतीजे प्रभास के साथ इस साल की शुरुआत में रिलीज हुई रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘राधे श्याम’ में देखा गया था।

कृष्णम राजू ने फिल्म चिलका गोरिंका से तेलुगु सिनेमा में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। कृष्णम राजू ने सामाजिक, पारिवारिक, रोमांटिक, थ्रिलर फिल्मों से लेकर ऐतिहासिक और पौराणिक फिल्मों में काम किया है। उनकी हिट फिल्मों में ‘अमारा दीपम’, ‘सीता रामुलु’, ‘कटकताला रुद्रैया’ और कई अन्य शामिल हैं।

कृष्णम राजू को दो बार आंध्र प्रदेश सरकार के नंदी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साल 1986 में उन्होंने ‘तंद्रा पपरायुडु’ के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता था। इसके अलावा उन्हें साल 2006 में फिल्मफेयर साउथ ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किये थे।

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किंग चार्ल्स ने विलियम और केट को वेल्स के प्रिंस और प्रिंसेस के रूप में नामित किया

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ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की निधन (Queen Elizabeth II) के बाद ब्रिटेन के शाही परिवार के महत्वपूर्ण पदों पर नए सिरे से ताजपोशी की गई है। महारानी एलिबाजेथ के बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स अब नए किंग बन गए हैं। वहीं, किंग के स्थान पर उनके पुत्र विलियम को प्रिंस ऑफ वेल्स और विलियम की पत्नी कैथरीन को प्रिंसेस ऑफ वेल्स बनाया गया है।

प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी कैथरीन को किंग चार्ल्स III ने वेल्स का नया राजकुमार और राजकुमारी नामित किया है। बता दें कि, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के गुरुवार को निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स नए राजा बन गए हैं। अब उन्हें किंग चार्ल्स-तृतीय के नाम से जाना जाएगा। नए राजा का पहला फैसला यही रहा कि उन्हें चार्ल्स-तृतीय कहा जाए।

जल शक्ति मंत्रालय ने ‘वाटर हीरोज: शेयर योर स्टोरीज कॉन्टेस्ट’ के विजेताओं की घोषणा की

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जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने ‘वॉटर हीरोज़ः शेयर यूअर स्टोरीज़ कंटेस्ट’ (जल नायकः सफलता की अपनी कहानी साझा करें) प्रतियोगिता का आरंभ किया है। उल्लेखनीय है कि तीसरी प्रतियोगिता को माय-गव पोर्टल पर एक दिसंबर, 2021 को शुरू किया गया था, जिसका समापन 30 नवंबर, 2022 को होगा। इसके पूर्व दूसरी प्रतियोगिता 19 सितंबर, 2020 से शुरू होकर 31 अगस्त, 2021 को समाप्त हो गई थी।

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प्रतियोगिता का लक्ष्य आमतौर पर जल के मूल्य को प्रोत्साहित करना तथा जल संरक्षण और जल स्रोतों के सतत विकास के लिए किए जाने वाले देशव्यापी प्रयासों का समर्थन करना है। प्रतियोगिता का उद्देश्य जल नायकों के अनुभवों को साझा करके और जल सम्बंधी ज्ञान को बढ़ाकर जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। माह अगस्त 2022 के लिये छह विजेता चुने गए हैं। इन्हें 10 हजार रुपए नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र दिया जाएगा।

विजेताओं की सूची

दिव्यांश टंडन: वह “पानी पंचायत” नामक अभियान से जुड़े हैं, जिसके तहत आप सभी विभिन्न गांवों, सड़कों, कस्बों, स्कूलों, मुहल्लों में जाकर लोगों को जागरूक करते हैं। दिव्यांश टंडन (मेरठ छावनी) सारथी सामाजिक कल्याण सोसयटी के उपाध्यक्ष हैं।

विनय विश्वनाथ गावस: विनय विश्वनाथ गावस गोवा के परियोजना निदेशक हैं और केलावाड़े गांव, केरी सत्तारी, गोआ में घरों की छतों पर वर्षाजल संरक्षण तथा बोरवेल के पानी को बहाल करने के बारे में अभियान चलाते हैं। यह परियोजना टीईआरआई के सहयोग से तैयार की गई बताई जाती है।

अमित: अमित मलकपुरा, जालौन, उत्तरप्रदेश के ग्राम प्रधान हैं तथा दिल्ली में पत्रकार रह चुके हैं। आपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में पोषक भोजन उपलब्ध कराने, पौधारोपण, पर्यावरण सुरक्षा और तलछट की सफाई के जरिए जल शोधन जैसी विभिन्न विकास गतिविधियों में हिस्सा लिया है।

बबिता राजपूत घुवारा: बबिता राजपूत घुवारा का सम्बंध छतरपुर, मध्यप्रदेश से है। आप चार छोटे बांधों और दो जल निकासियों के निर्माण कार्य से जुड़ी रहीं तथा आपने बोरी बांधों का निर्माण किया।

अनुराग पटेल: अनुराग पटेल बांदा के जिला मजिस्ट्रेट हैं। उन्होंने जल संरक्षण के उल्लेखनीय प्रयास किए हैं तथा दो महत्त्वपूर्ण अभियान चलाए हैं – ‘जल संचय, जीवन संचय’ और ‘जल कुंभी हटाओ-तालाब बचाओ अभियान।’ अनुराग पटेल 126 तालाबों से जलकुंभियों को हटाने की पहल की। अनुराग पटेल ने मरम्मत करने के उद्देश्य से कुछ मीलों तक की अतिरिक्त खुदाई करके चंद्रावल नदी को दोबारा जीवित करने के प्रयासों में हिस्सा लिया।

स्नेहलता शर्मा: स्नेहलता शर्मा शिवपुरी जिले के बदरवास ब्लॉक के पिपरोधा गांव की हैं। वे पिछले एक वर्ष से जल संरक्षण तथा जल प्रबंधन के क्षेत्र में उल्लेखनीय व प्रशंसनीय कार्य कर रही हैं। पानी और उसके संरक्षण के लिए आसपास के गांवों में जागरूकता पैदा करने के लिये आपने महिलाओं को नेतृत्व सौंपा।

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Australia Tennis star Lleyton Hewitt inducted into Hall of Fame_90.1

भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 17 ए के तीसरे स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ को किया लॉन्च

भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17ए (Indian Navy’s Project 17A) के तीसरे स्टील्थ युद्धपोत ‘तारागिरी’ को मुंबई में लॉन्च किया गया। यह जानकारी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने दी।  एक बयान में कहा गया कि यह जहाज एक एकीकृत निर्माण पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है जिसमें विभिन्न भौगोलिक स्थानों में हल ब्लॉक निर्माण और एमडीएल में स्लिपवे पर एकीकरण और निर्माण शामिल है।

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युद्धपोत ‘तारागिरी’ की खासियत

युद्धपोत ‘तारागिरी’ 3510 टन वजनी है। तारागिरी को भारतीय नौसेना के इन-हाउस ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन की ओर से डिजाइन किया गया है। 149 मीटर लंबा और 17.8 मीटर चौड़ा ये जहाज दो गैस टर्बाइन और दो मुख्य डीजल इंजनों के संयोजन से संचालित होगा। इसकी गति 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी प्रति घंटे) से अधिक होगी।

मुख्य बिंदु

  • पोत का नाम नौसेना पत्नी कल्याण संघ (पश्चिमी क्षेत्र) के अध्यक्ष चारु सिंह, वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह, एफओसी-इन-सी पश्चिमी नौसेना कमान की पत्नी, जो मुख्य अतिथि थे, ने रखा था।
  • पोत को 3,510 टन के अनुमानित प्रक्षेपण भार के साथ लॉन्च किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि प्रोजेक्ट 17ए का कुल मूल्य लगभग 25,700 करोड़ रुपये है।
  • बयान में कहा गया है कि ‘तारागिरी’ जहाज की डिलीवरी अगस्त 2025 तक होने की उम्मीद है।

प्रोजेक्ट 17A का पहला जहाज

प्रोजेक्ट 17A का पहला जहाज, ‘नीलगिरी’, 28 सितंबर, 2019 को लॉन्च किया गया था। परियोजना के तहत ‘उदयगिरी’ श्रेणी के दूसरे जहाज को इसी साल 17 मई को लॉन्च किया गया था। इसके 2024 की दूसरी छमाही के दौरान समुद्री परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है।

 

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सौम्या सक्सेना की पुस्तक ‘डिवोर्स एंड डेमोक्रेसी: ए हिस्ट्री ऑफ पर्सनल लॉ इन पोस्ट-इंडिपेंडेंस इंडिया’

उपनिवेशवाद के बाद के युग में तलाक कानूनों और विभिन्न धर्मों पर एक नई किताब का इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में विमोचन किया गया। ‘डिवोर्स एंड डेमोक्रेसी: ए हिस्ट्री ऑफ पर्सनल लॉ इन पोस्ट-इंडिपेंडेंस इंडिया’ पुस्तक भारत में पारिवारिक कानून, धर्म और लिंग राजनीति के बारे में बात करती है। पुस्तक कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के इतिहास संकाय में एक ब्रिटिश अकादमी फेलो सौम्या सक्सेना द्वारा लिखी गई है, यह पुस्तक तलाक के साथ भारतीय राज्य के कठिन संवाद के बारे में बात करती है, जो बड़े पैमाने पर धर्म के माध्यम से मेल खाता है।

पुस्तक का सार:

यह पुस्तक भारतीय राज्य के तलाक के साथ कठिन संवाद को दर्शाती है, जिसकी मुख्य रूप से धर्म के माध्यम से मध्यस्थता की जाती है। उत्तर-औपनिवेशिक भारत में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदायों के विवाह और तलाक कानूनों के प्रक्षेपवक्र का मानचित्रण करके, यह भारतीय राजनीति में कानून, धर्म, परिवार, अल्पसंख्यक अधिकारों और लिंग के बीच गतिशील परस्पर क्रिया की पड़ताल करता है। पुस्तक भारतीय राजनीति में कानून, धर्म, परिवार, अल्पसंख्यक अधिकारों और लिंग के बीच एक गतिशील अंतःक्रिया को दर्शाती है। पुस्तक में पुरुषों और महिलाओं दोनों की मांगों को शामिल किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केएन सिंह का निधन

सबसे कम समय के लिए देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रहे जस्टिस कमल नारायण सिंह का निधन हो गया है। वे लगभग 96 वर्ष के थे। उनकी तबीयत दो दिनों से खराब थी और वह अस्पताल में भर्ती थे। जस्टिस कमल नारायण सिंह देश में सबसे कम कार्यकाल वाले चीफ जस्टिस रहे। केवल 17 दिनों तक मुख्य न्यायाधीश के पद की कुर्सी संभाली। 25 नवंबर 1991 से 12 दिसंबर 1991 तक मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल रहा था।

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न्यायमूर्ति कमल नारायण सिंह का जन्म 13 दिसंबर 1926 को मेजा के चकडीहा गांव के एक जमींदार परिवार में हुआ था। वे औपचारिक रूप से पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने वाले मांडा वंश में पहले व्यक्ति थे। उन्होंने एलआरएलए स्कूल, सिरसा से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इलाहाबाद में इविंग क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ पर 15 से अधिक सालों तक बैठने के बाद उन्हें 10 मार्च 1986 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

उन्होंने 25 नवंबर 1991 को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण किया। वे 13 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए।  उन्होंने बाद में 1991 में 13वें विधि आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और 1994 में सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने वाराणसी, उत्तर प्रदेश की उदय प्रताप कॉलेज एजुकेशनल सोसाइटी की प्रबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाली।

 

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