RBI ने बैंकिंग को आसान बनाने के लिए किए 3 बड़े ऐलान

बैंकिंग सेवाओं को अधिक सुलभ, पारदर्शी और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने व्यक्तिगत ग्राहकों के लिए तीन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह घोषणा बुधवार को केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद की गई, जिसमें आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जोर देकर कहा कि ये पहलें ग्राहक सुविधा और व्यापक वित्तीय समावेशन पर केंद्रित हैं।

ये कदम तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संबोधित करते हैं—

  1. डोरस्टेप पुनः-केवाईसी और वित्तीय सेवाएं

  2. मृत ग्राहकों के लिए सरल दावा प्रक्रिया

  3. रिटेल डायरेक्ट प्लेटफ़ॉर्म पर उन्नत सुविधाएं

डोरस्टेप पुनः-केवाईसी और विस्तारित बैंकिंग सेवाएं
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के दस वर्ष पूरे होने के साथ, बड़ी संख्या में बैंक खातों का पुनः-केवाईसी (ग्राहक की जानकारी का अद्यतन) होना अब आवश्यक है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पंचायत स्तर पर विशेष शिविरों का आयोजन करें।

इन शिविरों के माध्यम से न केवल खाताधारकों को अपनी केवाईसी जानकारी अपडेट करने में मदद मिलेगी, बल्कि—

  • सूक्ष्म बीमा योजनाओं की जानकारी दी जाएगी।

  • ग्रामीण ग्राहकों के लिए पेंशन योजनाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।

  • मौके पर ही शिकायत निवारण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

मृत ग्राहकों के खातों के लिए सरल दावा प्रक्रिया
मृत खाताधारकों के परिवारों को बड़ी राहत देते हुए, आरबीआई दावा निपटान प्रक्रिया को मानकीकृत और सरल बनाएगा। इस नए दृष्टिकोण से—

  • कानूनी उत्तराधिकारी या नामांकित व्यक्ति को बैंक खातों में मौजूद धन तक आसान पहुंच मिलेगी।

  • लॉकर और अन्य संरक्षित व्यवस्थाओं की सामग्री प्राप्त करने की प्रक्रियाएं सरल होंगी।

सरकारी प्रतिभूतियों के लिए उन्नत रिटेल डायरेक्ट प्लेटफ़ॉर्म
आरबीआई का रिटेल डायरेक्ट प्लेटफ़ॉर्म—जो व्यक्तिगत निवेशकों को सीधे सरकारी प्रतिभूतियां (जी-सेक) खरीदने की सुविधा देता है—बड़े उन्नयन से गुजरेगा। इन सुधारों में शामिल होंगे—

  • निवेश योजना बनाने के लिए नए उपकरण।

  • खुदरा निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो प्रबंधन को आसान बनाना।

  • निवेश योजनाएं बनाने और प्रबंधित करने में अधिक लचीलापन।

उपायों का महत्व
ये तीन पहलें बैंकिंग प्रणाली में रुकावटों को कम करने और शहरी व ग्रामीण भारत में वित्तीय पहुंच का विस्तार करने के प्रति आरबीआई की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। डिजिटल उन्नयन, प्रक्रियाओं के सरलीकरण और डोरस्टेप सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करके, केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वित्तीय सेवाएं—

  • आम नागरिक के लिए अधिक सुलभ हों।

  • निवेशकों और ग्राहकों के लिए अधिक पारदर्शी हों।

  • पिछड़े समुदायों के लिए अधिक समावेशी हों।

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2025: इतिहास और महत्व

किसी भी राष्ट्र की युवा पीढ़ी प्रगति की मशाल थामने वाली वह शक्ति है, जिसकी उम्मीद की किरणें समाज के सबसे दूरस्थ कोनों तक रोशनी फैलाती हैं। उनके अपार सामर्थ्य को पहचानते हुए, विश्व के विभिन्न देश युवाओं पर केंद्रित नीतियों, शिक्षा और अवसरों में निवेश करते हैं। हर वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक मंच प्रदान करता है और उन्हें एक सतत भविष्य के निर्माण में सक्रिय भागीदार के रूप में सम्मानित करता है।

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास

  • 1991 – अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का विचार संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के विश्व युवा मंच के पहले सत्र के दौरान वियना, ऑस्ट्रिया में उभरा।
    इस मंच ने संयुक्त राष्ट्र युवा कोष के समर्थन में धन संग्रह और प्रचार गतिविधियों के लिए एक विशेष दिवस का प्रस्ताव रखा, जिसे युवा संगठनों के सहयोग से मनाया जाए।

  • 1998 – पुर्तगाल द्वारा, संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से आयोजित युवाओं के लिए जिम्मेदार मंत्रियों के विश्व सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें 12 अगस्त को आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया गया।

  • इसके बाद से यह दिवस एक वैश्विक आयोजन बन गया है, जिसे दुनियाभर की सरकारें, गैर-सरकारी संगठन और समुदाय मान्यता देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस, युवाओं के कल्याण को प्राथमिकता देने की याद दिलाता है, जिसमें उनकी कौशल, अवसरों और भविष्य को आकार देने वाली नीतियों, कार्यक्रमों और निवेशों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

इस दिवस के प्रमुख उद्देश्य:

  • शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, मानसिक स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी युवाओं से जुड़ी चुनौतियों को उजागर करना।

  • संस्कृति, अर्थव्यवस्था, शासन और नवाचार में युवाओं के योगदान का सम्मान करना।

  • युवाओं के विकास संबंधी पहलों में सुधार के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करना।

  • युवाओं को निर्णय-निर्माण प्रक्रियाओं में शामिल करके सतत विकास को बढ़ावा देना।

पिछले वर्ष के विषय:

  • 2023: ग्रीन स्किल्स फॉर यूथ: टुवर्ड्स ए सस्टेनेबल फ्यूचर – हरित अर्थव्यवस्था से जुड़े कौशलों पर केंद्रित।

  • 2024: फ्रॉम क्लिक्स टू प्रोग्रेस: यूथ डिजिटल पाथवेज फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट – सतत विकास के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर।

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस 2025 का विषय

  • विषय: स्थानीय युवा कार्रवाइयाँ: एसडीजी और उससे आगे (Local Youth Actions for the SDGs and Beyond)

  • फोकस: सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के 65% से अधिक लक्ष्य स्थानीय शासन से जुड़े हैं। यह विषय स्थानीय योजना, शासन और नीतिनिर्माण में युवाओं की भागीदारी के महत्व पर जोर देता है।

  • प्रासंगिकता: जलवायु कार्रवाई से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक, एसडीजी हासिल करने में युवा प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उनकी स्थानीय भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि नीतियां समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप हों और साथ ही वैश्विक लक्ष्यों में योगदान दें।

  • 2025 में विशेष महत्व: इस वर्ष विश्व युवा कार्य कार्यक्रम (World Programme of Action for Youth – WPAY) की 30वीं वर्षगांठ भी है, जो संयुक्त राष्ट्र का वह ढांचा है जो युवाओं की प्राथमिकताओं को संबोधित करने में देशों का मार्गदर्शन करता है।

दुनियाभर के युवाओं के सामने चुनौतियाँ
प्रगति के बावजूद, विश्वभर के युवा कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं—

  • बेरोजगारी – विशेषकर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में।

  • शिक्षा में असमानताएँ – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में अंतर।

  • मानसिक स्वास्थ्य संकट – तनाव, चिंता और अवसाद की बढ़ती दरें।

  • डिजिटल विभाजन – इंटरनेट और तकनीक तक सीमित पहुँच।

  • जलवायु संवेदनशीलता – पर्यावरणीय क्षरण से युवा अनुपातहीन रूप से प्रभावित होते हैं।

आगे की राह
युवाओं को परिवर्तन के एजेंट के रूप में सशक्त बनाने के लिए देशों को चाहिए कि वे—

  • युवाओं की स्थानीय शासन में भूमिका बढ़ाएँ।

  • हरित और डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़े कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार करें।

  • स्कूलों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता को मजबूत करें।

  • डिजिटल विभाजन को दूर करें ताकि ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में समान भागीदारी सुनिश्चित हो।

  • समावेशी निर्णय-निर्माण के लिए पीढ़ीगत संवाद को बढ़ावा दें।

विश्व हाथी दिवस 2025: जानें क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

विश्व हाथी दिवस हर साल 12 अगस्त को हाथियों के संरक्षण, सुरक्षा और कल्याण के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन उनके प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित रखने और शिकार व आवास विनाश जैसी खतरों से निपटने पर भी केंद्रित होता है। इसका उद्देश्य हाथियों के संरक्षण, सुरक्षा और उनके आवासीय क्षेत्रों की रक्षा के लिए वैश्विक जागरूकता फैलाना है।

साल 2025 का विषय है “हाथियों की मदद के लिए दुनिया को एकजुट करना”, जो इन भव्य जीवों की रक्षा के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।

विश्व हाथी दिवस का इतिहास

  • स्थापना वर्ष: 2012

  • संस्थापक: कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रिशिया सिम्स और थाईलैंड की एलीफेंट रीइंट्रोडक्शन फाउंडेशन

  • यह पहल पेट्रिशिया सिम्स की डॉक्यूमेंट्री “रिटर्न टू द फॉरेस्ट” से शुरू हुई, जिसमें थाईलैंड में हाथियों के पुनर्वास को दर्शाया गया था।

  • पहला आयोजन: 12 अगस्त 2012

  • उद्देश्य: हाथियों के सामने आने वाली समस्याओं पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना और उनके अस्तित्व के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करना।

विश्व हाथी दिवस के उद्देश्य
यह दिन केवल प्रतीकात्मक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसके मुख्य लक्ष्य हैं—

  • हाथियों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना ताकि वे जंगल में जीवित रह सकें।

  • हाथीदांत के अवैध शिकार और हत्या को रोकना।

  • कैद में रह रहे हाथियों के कल्याण में सुधार करना।

  • जनता में जागरूकता बढ़ाना और हाथियों के प्रति संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करना।

  • दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कानूनों और नीतियों को मजबूत करना।

हाथियों के प्रकार

1. अफ्रीकी हाथी

  • दुनिया का सबसे बड़ा स्थलीय जीव।

  • बड़े कान, जिनका आकार अफ्रीकी महाद्वीप जैसा होता है।

  • मुड़े हुए दांत और अपेक्षाकृत बड़ा शरीर।

  • उप-सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं।

2. एशियाई हाथी

  • आकार में अफ्रीकी हाथियों से छोटे।

  • छोटे, गोल आकार के कान।

  • भारत, श्रीलंका, थाईलैंड और नेपाल जैसे देशों में पाए जाते हैं।

  • भारत में इसका उपप्रजाति नाम Elephas maximus indicus है।

भारत में हाथियों की स्थिति

  • वैज्ञानिक नाम: Elephas maximus indicus

  • आईयूसीएन रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)

  • कानूनी संरक्षण: भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध।

  • राष्ट्रीय मान्यता: भारत का राष्ट्रीय धरोहर पशु घोषित।

मुख्य पहलें:

  • प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992): हाथियों और उनके आवास के संरक्षण के लिए समर्पित।

  • देशभर में एलीफेंट रिज़र्व की स्थापना।

हाथियों के सामने प्रमुख खतरे
भारत और दुनिया भर में हाथी कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं—

  • हाथीदांत के लिए शिकार: अवैध रूप से दांत निकालने के लिए हाथियों की हत्या, जिनका उपयोग आभूषण और नक्काशी में होता है।

  • आवास विनाश: कृषि विस्तार, शहरीकरण, खनन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से।

  • मानव-हाथी संघर्ष: जब हाथी बस्तियों में घुस आते हैं तो दुर्घटनाएं, फसल नुकसान और प्रतिशोध में हत्या।

  • अवैध वन्यजीव व्यापार: हाथियों के अंगों का अवैध व्यापार।

  • जलवायु परिवर्तन: सूखा और पानी की कमी, जिससे भोजन की उपलब्धता प्रभावित होती है।

संरक्षण प्रयास

प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992)
भारत सरकार की एक पहल, जिसका उद्देश्य हाथियों, उनके आवास और प्रवासी गलियारों का संरक्षण करना है। यह मानव-हाथी संघर्ष को कम करने पर भी कार्य करती है।

एमआईकेई (MIKE) कार्यक्रम
साइट्स (CITES) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी करना और उसे रोकना है।

गज यात्रा
हाथी संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान।

हाथी गलियारा विकास
हाथियों के प्राकृतिक प्रवास मार्गों को सुरक्षित करने के प्रयास, जिससे संघर्ष कम हो और उनका सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित हो सके।

Indian Navy आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को सेवा में शामिल करेगी

भारतीय नौसेना के बेड़े में 26 अगस्त को एक साथ दो बेहद आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स (रडार को चकमा देने वाले युद्धपोत) उदयगिरि (एफ35) और हिमगिरि (एफ34) शामिल होंगे। यह पहली बार होगा। जब देश के दो बड़े शिपयार्ड में बने इस तरह के युद्धपोत एक साथ नौसेना में शामिल किए जाएंगे। यह अभूतपूर्व घटना भारत के तेजी से हो रहे नौसैनिक आधुनिकीकरण और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को दर्शाती है।

दो जहाज़, दो शिपयार्ड
यह दोहरा कमीशनिंग इसलिए खास है क्योंकि ये जहाज़ भारत के दो प्रतिष्ठित शिपयार्ड में बने हैं—

  • आईएनएस उदयगिरि – प्रोजेक्ट 17A स्टील्थ फ्रिगेट श्रृंखला का दूसरा जहाज़, जिसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई में हुआ।

  • आईएनएस हिमगिरि – प्रोजेक्ट 17A का पहला फ्रिगेट, जिसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में हुआ।

विशेष महत्व यह भी है कि आईएनएस उदयगिरि नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिजाइन किया गया 100वां युद्धपोत है, जो स्वदेशी नौसैनिक डिजाइन में एक अहम उपलब्धि है।

उन्नत डिजाइन और स्टील्थ क्षमताएं
प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स, पहले के शिवालिक-श्रेणी के जहाज़ों से एक पीढ़ी आगे हैं। ये—

  • 6,700 टन विस्थापन क्षमता वाले हैं, जो शिवालिक-श्रेणी से लगभग 5% बड़े हैं।

  • स्टील्थ-अनुकूलित ढांचे के साथ बने हैं, जिनका राडार सिग्नेचर कम है।

  • CODOG (कम्बाइंड डीज़ल ऑर गैस) प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हैं, जिसमें क्रूज़िंग के लिए डीज़ल इंजन और गति के लिए गैस टरबाइन लगे हैं।

  • एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) से नियंत्रित होते हैं, जिससे संचालन निर्बाध होता है।

शक्तिशाली युद्ध क्षमता
ये फ्रिगेट्स बहुउद्देश्यीय युद्धपोत हैं, जिनमें—

  • सुपरसोनिक सतह-से-सतह मिसाइलें, लंबी दूरी की सटीक मार के लिए।

  • मध्यम दूरी की सतह-से-आकाश मिसाइलें, हवाई रक्षा के लिए।

  • 76 मिमी मुख्य तोप, नौसैनिक युद्ध के लिए।

  • क्लोज-इन वेपन सिस्टम (30 मिमी और 12.7 मिमी) अंतिम सुरक्षा के लिए।

  • अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी प्रणाली, जिसमें टॉरपीडो और सोनार शामिल हैं।

उद्योग और रोजगार को बढ़ावा
ये जहाज़ एक विशाल औद्योगिक नेटवर्क की उपज हैं—

  • 200+ एमएसएमई से प्राप्त सामग्रियों का उपयोग।

  • लगभग 4,000 प्रत्यक्ष और 10,000+ अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित।

  • रक्षा विनिर्माण में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सफलता की मिसाल।

कठोर परीक्षण से सिद्ध तैयारी
कमीशनिंग से पहले दोनों फ्रिगेट्स ने व्यापक समुद्री परीक्षण पास किए, जिनमें—

  • ढांचे की मजबूती और प्रणोदन क्षमता।

  • नौवहन और संचार प्रणालियों की जाँच।

  • अग्निशमन और क्षति नियंत्रण तैयारी शामिल थी।

इन परीक्षणों ने कठिन समुद्री परिस्थितियों में संचालन के लिए उनकी पूर्ण तत्परता सिद्ध की।

2025 के नौसैनिक आधुनिकीकरण अभियान का हिस्सा
उदयगिरि और हिमगिरि की कमीशनिंग 2025 में कई स्वदेशी जहाज़ों के शामिल होने के बाद हो रही है, जिनमें—

  • विध्वंसक आईएनएस सूरत

  • फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि

  • पनडुब्बी आईएनएस वाघशीअर

  • एएसडब्ल्यू शैलो वॉटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला

  • डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार शामिल हैं।

BSNL ने भारत में 5जी, एआई और डिजिटल कौशल को बढ़ावा देने हेतु वैश्विक टेक दिग्गजों के साथ समझौते किए

उद्योग-तैयार कुशल जनशक्ति तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने चार वैश्विक प्रौद्योगिकी अग्रणी कंपनियों—एरिक्सन इंडिया प्रा. लि., क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज इंक., सिस्को सिस्टम्स और नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया प्रा. लि.—के साथ समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

इन समझौतों का उद्देश्य भारत के डिजिटल परिवर्तन को तेज़ करना है, जिसके तहत 5जी, एआई/एमएल, नेटवर्किंग और अन्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों में उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम बीएसएनएल के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान, भारत रत्न भीमराव अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग (बीआरबीआरएआईटीटी), जबलपुर में संचालित किए जाएंगे।

पृष्ठभूमि: टीआईआरटीसी (TIRTC) की दृष्टि
यह पहल दूरसंचार विभाग (DoT) की योजना का हिस्सा है, जिसके तहत जबलपुर स्थित बीआरबीआरएआईटीटी (BRBRAITT) में टेलीकॉम इनोवेशन, रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (TIRTC) की स्थापना की जाएगी।

उद्देश्य: टेलीकॉम क्षेत्र-विशिष्ट अनुसंधान एवं विकास (R&D) प्रतिभा और भविष्य-तैयार कार्यबल विकसित करने के लिए उद्योग-नेतृत्व वाला राष्ट्रीय केंद्र तैयार करना।

दीर्घकालिक लक्ष्य: उत्पाद नवाचार, प्रोटोटाइप निर्माण और टेलीकॉम उद्यमिता को समर्थन देना।

संरेखण: माननीय प्रधानमंत्री के स्किल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों के अनुरूप।

सहयोग के विवरण

1. एरिक्सन इंडिया

  • बीआरबीआरएआईटीटी में 5जी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना।

  • Ericsson Educate Program के माध्यम से व्यावहारिक 5जी प्रशिक्षण और ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल प्रदान करना।

  • वार्षिक लक्ष्य: 2,000+ छात्र।

  • बीएसएनएल की ओर से अवसंरचना सहयोग और एरिक्सन के वैश्विक पाठ्यक्रम व लैब सुविधाओं तक पहुंच।

2. क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज इंक.

  • 5जी और एआई प्रशिक्षण के लिए Qualcomm Institute की स्थापना।

  • प्रीमियम ऑनलाइन सामग्री, लाइव सत्र और इंटर्नशिप शामिल।

  • उद्घाटन वर्ष में पहले 100 प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण प्रायोजित।

  • लक्ष्य: बीआरबीआरएआईटीटी को उन्नत और बड़े पैमाने पर डिजिटल कौशल विकास का केंद्र बनाना।

3. सिस्को सिस्टम्स

  • Cisco Networking Academy Program का लाभ उठाना।

  • फोकस: नेटवर्किंग, साइबर सुरक्षा और आईटी अवसंरचना कौशल।

  • गैर-लाभकारी शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए निःशुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रम और टूल्स की सुविधा।

  • उद्देश्य: डिजिटल रूप से सक्षम, रोजगार-तैयार कार्यबल तैयार करना।

4. नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया

  • बीआरबीआरएआईटीटी में 5जी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और एआई/एमएल लैब की स्थापना।

  • वार्षिक 300 छात्रों को 5जी रेडियो, कोर नेटवर्क और एआई/एमएल अनुप्रयोगों में प्रशिक्षण।

  • Telecom Sector Skill Council के सहयोग से संयुक्त नोकिया–बीआरबीआरएआईटीटी प्रमाणन।

समर्थित राष्ट्रीय अभियान

ये सहयोग सीधे योगदान देते हैं:

  • डिजिटल इंडिया – प्रौद्योगिकी पहुंच और साक्षरता का विस्तार।

  • स्किल इंडिया – उन्नत कौशल के माध्यम से रोजगार क्षमता बढ़ाना।

  • मेक इन इंडिया – घरेलू विनिर्माण क्षमता को सुदृढ़ करना।

  • स्टार्टअप इंडिया – टेलीकॉम उद्यमिता को सक्षम बनाना।

  • आत्मनिर्भर भारत – विदेशी विशेषज्ञता पर निर्भरता कम करना।

प्रभाव और आगे की राह

  • कौशल विकास: भविष्य-तैयार टेलीकॉम तकनीकों में हर साल हजारों को प्रशिक्षित करना।

  • क्षेत्रीय विकास: जबलपुर को एक प्रमुख राष्ट्रीय तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करना।

  • उद्योग एकीकरण: अकादमिक शिक्षा और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटना।

  • नवाचार समर्थन: टेलीकॉम में अनुसंधान एवं विकास, उत्पाद नवाचार और प्रोटोटाइप को प्रोत्साहित करना।

भविष्य की संभावनाएं:
यह पहल आने वाले दशकों तक उन्नत टेलीकॉम क्षेत्रों में प्रशिक्षण, नवाचार और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय और वैश्विक हितधारकों के व्यापक संघ (consortium) के रूप में विकसित होने की संभावना रखती है।

नागासाकी दिवस 2025: महत्व, इतिहास और वैश्विक प्रासंगिकता

नागासाकी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है ताकि 1945 में हुए परमाणु बम हमले के भयावह परिणामों को याद किया जा सके। इस दिन जापान के नागासाकी शहर को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक परमाणु बम से तबाह कर दिया गया था। वर्ष 2025 इस त्रासदी की 80वीं वर्षगांठ है, जो परमाणु युद्ध के खतरों, पीड़ितों (जिन्हें हिबाकुशा कहा जाता है) की तकलीफों, और शांति तथा वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण की तत्काल आवश्यकता पर फिर से ध्यान केंद्रित करता है। यह दिन केवल एक ऐतिहासिक स्मरण नहीं है, बल्कि ऐसी भयंकर त्रासदी के पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विश्वव्यापी अपील भी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जलती हुई एक शहर
संयुक्त राज्य अमेरिका ने नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को सुबह 11:02 बजे परमाणु बम “फैट मैन” गिराया, जो हिरोशिमा बमबारी के सिर्फ तीन दिन बाद था। इस बम ने तत्काल ही शहर के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया और लगभग 74,000 से अधिक लोगों की जान ले ली। इसके बाद आने वाले वर्षों में कई लोग गंभीर चोटों और विकिरण से संबंधित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा बैठे। इस हमले ने नागासाकी को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और जापान के आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ।

बचे हुए लोग, जिन्हें हिबाकुशा कहा जाता है, ने जीवनभर शारीरिक और मानसिक आघात सहा। इस बमबारी ने परमाणु हथियारों की भयंकर विनाशकारी क्षमता के बारे में जागरूकता पैदा की और परमाणु युग का एक प्रतीकात्मक क्षण बन गई, जिससे मानवता की नैतिक जिम्मेदारियों पर सवाल उठे।

परिणाम और लंबे समय तक चलने वाले घाव
नागासाकी की भौतिक तबाही तो शुरुआत थी। हजारों बचे हुए लोग गंभीर जलने, विकिरण बीमारी, ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर से जूझते रहे। उन्हें सामाजिक भेदभाव, अलगाव और मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ा। शहर की आधारभूत संरचना पूरी तरह से नष्ट हो गई और पुनर्निर्माण में वर्षों लगे।

यह मानसिक आघात पीढ़ियों तक फैला, जिससे बचे हुए लोगों के बच्चों और पूरे जापान के राष्ट्रीय चेतना पर गहरा प्रभाव पड़ा। विश्व स्तर पर, नागासाकी एक नैतिक स्थलीय चिन्ह बन गया—परमाणु युद्ध के भयानक परिणामों के खिलाफ चेतावनी। इसने वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण, शांति संधियों और परमाणु-विरोधी अभियानों को भी प्रोत्साहित किया।

विरासत और महत्व: नागासाकी दिवस क्यों आवश्यक है
नागासाकी दिवस केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं है, बल्कि परमाणु युग में मानवता की जिम्मेदारियों का एक सशक्त नैतिक संदेश है। इस दिन की याददाश्त शांति आंदोलनों, अंतरराष्ट्रीय अभियानों और युद्ध तथा विज्ञान के नैतिक पहलुओं को समझाने के प्रयासों को प्रेरित करती है।

हिबाकुशा यानी बचे हुए लोग शांति के अंतरराष्ट्रीय मुखर स्वर बन चुके हैं, जो स्कूलों, वैश्विक मंचों और संयुक्त राष्ट्र के प्लेटफार्मों पर अपने अनुभव साझा करते हैं। नागासाकी दिवस वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है—यह राष्ट्रों से मानव गरिमा बनाए रखने, कूटनीति को अपनाने और सैन्यवाद का विरोध करने का आह्वान करता है।

2025 में स्मारक कार्यक्रम और आयोजन
2025 में नागासाकी पर बम गिराए जाने की 80वीं वर्षगांठ पर व्यापक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की उम्मीद है। मुख्य समारोह नागासाकी पीस पार्क में आयोजित होगा, जिसमें शामिल हैं—

  • सुबह 11:02 बजे मौन धारण

  • नागासाकी के महापौर द्वारा शांति घोषणा

  • पुष्पांजलि अर्पित करना

  • प्यास और जलने से मरने वाले शहीदों के लिए जल अर्पण

वैश्विक प्रासंगिकता: शांति के लिए सार्वभौमिक आह्वान
नागासाकी दिवस का संदेश जापान से कहीं आगे तक गूंजता है। एक ऐसे युग में जब भू-राजनीतिक तनाव और परमाणु हथियारों की होड़ जारी है, यह दिवस वैश्विक समुदाय से परमाणु अप्रसार, नैतिक शासन और मानवीय कूटनीति के लिए पुनः प्रतिबद्ध होने का आह्वान करता है।

देश को मिली सबसे लंबी दूरी तय करने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की सबसे लंबी रूट वाली वंदे भारत ट्रेन, नागपुर-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस, के साथ-साथ दो अन्य नई ट्रेन सेवाओं का उद्घाटन किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। नागपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हुए इस उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे।

लंबे समय से चली आ रही मांग का समाधान
विदर्भ से पुणे की ओर बड़ी संख्या में यात्री यात्रा करते हैं, लेकिन प्रत्यक्ष, आरामदायक और समय-कुशल ट्रेन सेवा के अभाव में अधिकांश यात्री निजी वाहनों या महंगे विकल्पों पर निर्भर रहते थे।

महाराष्ट्र सरकार ने रेलवे मंत्रालय से इस कमी को दूर करने का अनुरोध किया था, जिसके परिणामस्वरूप नागपुर–पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत हुई।

भारत का सबसे लंबा वंदे भारत मार्ग
नई शुरू की गई यह ट्रेन देश में किसी भी वंदे भारत एक्सप्रेस द्वारा तय की जाने वाली सबसे लंबी दूरी का रिकॉर्ड रखती है।

  • यात्रा समय: नागपुर से पुणे तक लगभग 12 घंटे

  • मार्ग: नागपुर (अजनी) – वर्धा – बदनेरा – अकोला – भुसावल – जळगांव – मनमाड – कोपरगांव – अहिल्यानगर – दौंड – पुणे (दौंड कॉर्ड लाइन के माध्यम से)

इस विस्तारित कवरेज से यात्रियों की सुविधा में वृद्धि, क्षेत्रीय संपर्क में सुधार और विदर्भ व पश्चिम महाराष्ट्र के बीच व्यापार एवं शैक्षणिक यात्रा को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

महाराष्ट्र के रेल बुनियादी ढांचे को बढ़ावा
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस विकास का स्वागत करते हुए कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस श्रृंखला भारतीय रेल के आधुनिकीकरण का प्रतीक है—जो यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और अधिक आरामदायक यात्रा प्रदान करती है।

यह सेवा न केवल नियमित यात्रियों को लाभ पहुंचाएगी बल्कि पर्यटकों और व्यावसायिक यात्रियों को भी आकर्षित करेगी, जिससे राज्य के भीतर आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे।

डब्ल्यूएमओ ने दी चेतावनी: भीषण गर्मी से विश्वभर में करोड़ों प्रभावित

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने कड़ी चेतावनी जारी की है कि अत्यधिक गर्मी दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है, बढ़ते तापमान, लंबे समय तक चलने वाली लू और बिगड़ती वायु गुणवत्ता के कारण गंभीर जन स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहे हैं। संगठन देशों से इस बढ़ते जलवायु खतरे के प्रभावों को कम करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ और ताप-स्वास्थ्य कार्य योजनाएँ लागू करने का आग्रह कर रहा है।

वैश्विक हीटवेव संकट

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के आंकड़ों के अनुसार, हीटवेव अब अधिक बार, अधिक तीव्र और लंबी अवधि के लिए हो रही हैं, और कई क्षेत्रों में रिकॉर्ड तोड़ तापमान दर्ज किए गए हैं।

क्षेत्रवार स्थिति

  • यूरोप: स्वीडन और फ़िनलैंड में जुलाई में असामान्य रूप से लंबे समय तक तापमान 30°C से ऊपर रहा।

  • पश्चिम एशिया और मध्य एशिया: कई देशों में अधिकतम तापमान 42°C से ऊपर चला गया।

  • उत्तर अफ्रीका और दक्षिणी पाकिस्तान: लंबे समय तक भीषण गर्मी का प्रकोप रहा।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में खतरनाक स्तर की गर्मी पड़ी।

  • ईरान और इराक: दक्षिण-पश्चिमी ईरान और पूर्वी इराक में इस वर्ष विश्व के सबसे अधिक तापमानों में से कुछ दर्ज हुए।

गर्मी से परे प्रभाव
डब्ल्यूएमओ ने बताया कि औसत वैश्विक समुद्री सतह का तापमान रिकॉर्ड में तीसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे मौसम पैटर्न में बदलाव और हीटवेव की तीव्रता बढ़ी।

भीषण गर्मी ने—

  • विनाशकारी जंगल की आग को जन्म दिया, जिससे जन और संपत्ति की हानि हुई।

  • वायु गुणवत्ता को और खराब किया, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा।

  • जल और बिजली की आपूर्ति पर दबाव बढ़ाया, खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में।

तैयारी की तात्कालिक आवश्यकता
डब्ल्यूएमओ ने जोर दिया कि हीटवेव अब मौसम से संबंधित सबसे घातक आपदाओं में से एक हैं, लेकिन जनहानि के संदर्भ में ये अनुमानित और रोकी जा सकती हैं। प्रभावी शुरुआती चेतावनी प्रणालियाँ और हीट-हेल्थ एक्शन प्लान बुजुर्गों, बच्चों, बाहरी श्रमिकों और पहले से बीमार लोगों जैसे संवेदनशील समूहों की सुरक्षा कर सकते हैं।

डब्ल्यूएमओ के महासचिव डॉ. पेटेरी तालस ने पहले कहा है कि जलवायु परिवर्तन अत्यधिक मौसम की घटनाओं की तीव्रता बढ़ा रहा है, जिससे तैयारी और लचीलापन पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

महाराष्ट्र ने बौद्धिक विकलांगता वाले छात्रों की समान शिक्षा हेतु ‘दिशा अभियान’ शुरू किया

महाराष्ट्र ने समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी कदम उठाते हुए सफलतापूर्वक ‘दिशा अभियान’ लागू किया है, जो बौद्धिक विकलांगता वाले छात्रों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इस पहल की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि इसे राज्य के 453 विशेष विद्यालयों में पहले ही लागू किया जा चुका है।

भारत में अपनी तरह की पहली पहल
महाराष्ट्र बौद्धिक विकलांगता वाले छात्रों के लिए राज्यव्यापी, मानकीकृत पाठ्यक्रम अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। यह पाठ्यक्रम जय वकील फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया है और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विथ इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज (NIEPID) द्वारा अनुमोदित है। इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि सभी विशेष विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को एक समान, शोध-आधारित शिक्षा मिले।

80 वर्षों के अनुभव पर आधारित पाठ्यक्रम
1944 में स्थापित जय वकील फाउंडेशन को विशेष शिक्षा के क्षेत्र में दशकों का अनुभव है। ‘दिशा अभियान’ के लिए पाठ्यक्रम को निम्न आधारों पर तैयार किया गया है—

  • विशेष शिक्षा में वैश्विक श्रेष्ठ मानक

  • शोध-आधारित शिक्षण पद्धतियां

  • बौद्धिक क्षमता के विभिन्न स्तरों के अनुसार अनुकूलन

  • स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए जीवन कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण मॉड्यूल
    NIEPID का प्रमाणन इस कार्यक्रम की गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देता है।

‘विकसित भारत 2047’ दृष्टि के अनुरूप
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘दिशा अभियान’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समावेशी और आत्मनिर्भर समाज बनाने की दृष्टि के अनुरूप है, जो विकसित भारत 2047 के रोडमैप का हिस्सा है। यह पहल विशेष जरूरतों वाले छात्रों को प्राथमिकता देती है, ताकि वे देश की विकास यात्रा में पीछे न छूटें।

प्रभाव और भविष्य के लक्ष्य
एक समान पाठ्यक्रम लागू करने से महाराष्ट्र का लक्ष्य है—

  • विशेष विद्यालयों में शिक्षण गुणवत्ता की असमानता को समाप्त करना

  • बौद्धिक विकलांग बच्चों के शैक्षणिक परिणामों में सुधार

  • छात्रों को क्रियात्मक शिक्षा, सामाजिक कौशल और रोजगार योग्य क्षमताओं से लैस करना

  • जागरूकता और स्वीकृति के माध्यम से मुख्यधारा समाज में समावेशिता को बढ़ावा देना

ICICI बैंक ने न्यूनतम शेष राशि की अनिवार्यता में भारी वृद्धि की

आईसीआईसीआई बैंक, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा निजी ऋणदाता है, ने अपने मेट्रो, शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण शाखाओं में न्यूनतम औसत शेष राशि (Minimum Average Balance – MAB) की आवश्यकताओं को काफी बढ़ा दिया है। यह बदलाव अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। इसके साथ ही, बैंक ने कड़े दंड प्रावधान और संशोधित लेनदेन नियम भी लागू किए हैं, जो लाखों खाताधारकों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।

इस कदम से आईसीआईसीआई बैंक ऐसा करने वाला पहला निजी बैंक बन गया है, जिसने इतनी बड़ी वृद्धि लागू की है। इससे आम ग्राहकों पर बैंकिंग लागत का बोझ बढ़ने को लेकर चिंताएं और बहस छिड़ गई हैं।

सभी स्थानों पर न्यूनतम औसत शेष (MAB) में बड़ी बढ़ोतरी

आईसीआईसीआई बैंक ने विभिन्न श्रेणियों के स्थानों के लिए MAB में भारी वृद्धि की है—

  • मेट्रो व शहरी शाखाएं: ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000

  • अर्ध-शहरी शाखाएं: ₹5,000 से बढ़ाकर ₹25,000

  • ग्रामीण शाखाएं: ₹2,500 से बढ़ाकर ₹10,000

यह बदलाव अगस्त 2025 से खोले गए सभी नए खातों पर लागू होगा। कई मामलों में यह वृद्धि पाँच गुना तक है, जो उद्योग मानकों से कहीं अधिक है।

MAB न रखने पर जुर्माना

जरूरी शेष राशि न रखने पर अब यह जुर्माना लगेगा—

  • कमी की राशि का 6%
    या

  • ₹500, जो भी कम हो

यह जुर्माना ढांचा कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) से सख्त है, जिनमें से कुछ ने इस तरह के दंड पूरी तरह खत्म कर दिए हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) से तुलना

जहां आईसीआईसीआई बैंक MAB नियम कड़े कर रहा है, वहीं कई पीएसबी ने उल्टा कदम उठाया है—

  • केनरा बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक और एसबीआई जैसे बैंकों ने MAB न रखने पर जुर्माना घटाया या समाप्त कर दिया है।

  • वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि 2020 से 2025 के बीच पीएसबी ने ₹8,932.98 करोड़ MAB जुर्माने के रूप में वसूले, जिसके बाद जनदबाव और नीतिगत बदलाव हुए।

नकद लेनदेन के नियम बदले

MAB बढ़ोतरी के साथ, आईसीआईसीआई बैंक ने नकद लेनदेन की नई सीमाएं भी लागू की हैं—

  • प्रति माह 3 मुफ्त नकद जमा

  • इसके बाद प्रत्येक लेनदेन पर ₹150 शुल्क

  • मुफ्त जमा सीमा: ₹1 लाख प्रति माह

  • ₹1 लाख से ऊपर: ₹3.5 प्रति ₹1,000 या ₹150, जो भी अधिक हो

  • अगर संख्या और राशि दोनों की सीमा पार हो जाए, तो ऊँचा शुल्क लागू होगा।

ग्राहकों पर असर

  • MAB में यह बढ़ोतरी खासकर शहरी क्षेत्रों के निम्न और मध्यम आय वर्ग के खाताधारकों पर असर डालेगी, जहां ₹50,000 न्यूनतम राशि रखना कई लोगों के लिए मुश्किल होगा।

  • जुर्माना और लेनदेन शुल्क से कुल बैंकिंग लागत बढ़ सकती है।

  • ग्राहक ऐसे पीएसबी की ओर रुख कर सकते हैं, जिनमें न्यूनतम शेष और जुर्माने के नियम ज्यादा आसान हैं।

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