केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान ने बेंगलुरु में पशु संगरोध प्रमाणन सेवाओं का उद्घाटन किया

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केंद्रीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, डॉ संजीव कुमार बाल्यान ने राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह 2022 के हिस्से के रूप में हेसरघाटा, बेंगलुरु में पशु संगरोध प्रमाणन सेवा (एक्यूसीएस) का उद्घाटन किया। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के तहत देशों में छह एक्यूसीएस हैं। ये छह एक्यूसीएस नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद शहर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के पास हैं।

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संगरोध स्टेशनों की स्थापना का उद्देश्य और दायरा आयातित पशुधन और पशुधन उत्पादों के माध्यम से देश में खतरनाक विदेशी बीमारियों को फैलने से रोकना है। पशुधन के कई संक्रामक रोग हैं जो अन्य देशों में प्रचलित हैं लेकिन भारत में मौजूद नहीं हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि ऐसी विदेशी बीमारियाँ हमारे देश में सीमाओं के पार से पशुधन और पशुधन उत्पाद के माध्यम से प्रवेश न करें।

 

इस प्रकार कुत्तों और बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों सहित आयातित जानवरों की जांच करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे ऐसे खतरनाक रोगजनकों के वाहक न हों । इसलिए क्वारंटाइन स्टेशन बनाए गए हैं जहां भारत में रिहा होने से पहले उनकी जांच की जा सके ।

 

इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-70) के दौरान “पशु संगरोध और प्रमाणन सेवा” (एक्यूसीएस) नाम से एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की थी ।

 

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भारतीय सेना को मिलेंगे प्रशिक्षित चील

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भारतीय सेना के जवान सीमा रेखा (Border) पर दुश्मनों की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। इसी कड़ी में अब भारतीय सेना प्रशिक्षित चीलों (Trained Kites) का भी इस्तेमाल कर रही है। भारतीय सेना के ये चील दुश्मनों के ड्रोनों पर खास नजर रख रहे हैं। इन प्रशिक्षित चीलों का सेना अपनी तरह का पहला प्रयोग कर रही है। उत्तराखंड के औली में भारतीय सेना युद्ध अभ्यास कर रही है। इस दौरान भारतीय सेना ने आतंकविरोधी अभियानों के लिए हमलावर कुत्तों के साथ भी प्रदर्शन किया।

सेना के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना सैन्य अभियानों के लिए कुत्तों के साथ-साथ प्रशिक्षित चीलों का भी इस्तेमाल कर रही है। ऐसी क्षमता सुरक्षा बलों को सीमा पार से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारतीय क्षेत्रों में आने वाले ड्रोन के खतरे से निपटने में मदद कर सकती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ड्रग्स, बंदूकें और रुपयों की खेप गिराई गईं।

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन का निधन

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टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष विक्रम एस किर्लोस्कर का निधन हो गया है। वह 64 वर्ष के थे। कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। विक्रम किर्लोस्कर के परिवार में उनकी पत्नी गीतांजलि और बेटी मानसी किर्लोस्कर हैं। कंपनी की ओर से जारी की गई आधिकारिक सूचना के में कहा गया कि वाइस चेयरमैन विक्रम एस किर्लोस्कर का असामयिक निधन हो गया।

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भारत के ऑटोमोटिव उद्योग के अग्रणी विक्रम किर्लोस्कर ने 1990 के दशक के अंत में जापान की टोयोटा मोटर कॉर्प को भारत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएस से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। 1888 में शुरू हुए किर्लोस्कर समूह के चौथी पीढ़ी के सदस्य, किर्लोस्कर सिस्टम्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष थे। किर्लोस्कर समूह ज्यादातर अन्य संबंधित उत्पादों के साथ पंप, इंजन और कंप्रेशर्स का निर्माण करता है।

 

प्रारंभिक जीवन:

 

विक्रम एस किर्लोस्कर एमआईटी में कई पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल हैं। विक्रम ने बाद में रोड आइलैंड स्कूल ऑफ़ डिज़ाइन के न्यासी बोर्ड में कार्य किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में कई प्रक्रियाओं और मशीन टूल्स को डिजाइन और विकसित किया। वह 1980 के दशक के अंत में मशीन टूल्स के लिए सरकार की विकास परिषद में सेवा करते हुए पूंजीगत उपकरणों के लिए आयात लाइसेंस खोलने में शामिल थे।

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FSSAI ने हिमालयी याक को Food Animal के रूप में दी मंजूरी

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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हिमालयी याक (Himalayan Yak) को ‘Food Animal’ के रूप में मंजूरी दे दी है। FSSAI द्वारी इसकी मंजूरी मिलने के बाद अत्यधिक ऊंचाई पर रहने वाले जानवरों की आबादी में तेजी से हो रही गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (NRC) याक के निदेशक डा मिहिर सरकार ने कहा कि देश में याक की आबादी पिछले कुछ वर्षों में खतरनाक दर से घटी है।

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मालूम हो कि हिमालयी याक का प्रयोग पारंपरिक रूप से दुध और मांस के लिए किया जाता है। राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र याक ने खाद्य पशु के रूप में मानने के लिए साल 2021 में ही FSSAI को एक प्रस्ताव दिया था। हालांकि FSSAI ने पशुपालन और डेयरी विभाग की सिफारिशों के बाद इसकी आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। मालूम हो कि Food Animals वह पशु होते हैं, जिन्हें मनुष्यों द्वारा खाद्य उत्पादन या सेवन के लिए पाला और उपयोग किया जाता है।

 

ये पशु हिमालयी इलाकों के उच्च स्थानों पर रहने वाले लोगों के लिए बहुआयामी सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक भूमिका निभाते हैं। वहां के लोग कृषि गतिविधियों में शामिल करने के साथ-साथ याक को अपनी पोषण और आजीविका सुरक्षा अर्जित करने के लिए भी पालते हैं। डाक्टर सरकार ने कहा कि खाद्य उत्पादक पशु के रूप में याक की FSSAI की मान्यता से किसानों को पशु पालन के लिए आर्थिक रूप से लाभान्वित होने में भी मदद मिलेगी।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:

 

  • FSSAI की स्थापना: 5 सितंबर 2008;
  • FSSAI मुख्यालय: नई दिल्ली;
  • FSSAI अध्यक्ष: रीता तेवतिया।

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ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा

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संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने 29 नवंबर, 2022 को सिफारिश की ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को विश्व विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए जो “खतरे में” है। दुनिया का सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन और महासागरों के गर्म होने से काफी प्रभावित हुआ है।

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बार-बार ब्लीचिंग की घटनाएं और ला नीना रीफ को खतरे में डाल रहे हैं। ब्लीचिंग तब होता है जब पानी बहुत अधिक गर्म हो जाता है, जिससे कोरल अपने ऊतकों में रहने वाले रंगीन शैवाल को बाहर निकाल देते हैं और सफेद हो जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया की हाल ही में चुनी गई सरकार ने रीफ की रक्षा के लिए आने वाले वर्षों में $1.2 बिलियन ($800 मिलियन) खर्च करने का संकल्प लिया है।

 

प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे जैविक रूप से विविध समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं। ये समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और समुद्र में वनस्पतियों और जीवों के आवासों का समर्थन करती हैं। प्रत्येक कोरल को पॉलीप कहा जाता है और ऐसे हजारों पॉलीप्स एक कॉलोनी बनाने के लिए एक साथ रहते हैं।

 

यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में 1400 मील तक फैला हुआ है जो विश्व का सबसे व्यापक और समृद्ध प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है। यह 2,900 से अधिक भित्तियों और 900 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है। यह जीवों द्वारा बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है। इस चट्टान को 1981 में विश्व विरासत स्थल के रूप में चुना गया था।

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भारत बायोटेक ने लॉन्च की दुनिया की पहली नेजल कोविड-19 वैक्सीन

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हैदराबाद की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी भारत बायोटेक ने दुनिया की पहली नेजल कोविड-19 वैक्सीन लॉन्च की है। सोमवार शाम को भारत बायोटेक द्वारा किए गए एक ट्वीट के अनुसार, iNCOVACC को हाल ही में आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के तहत 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बूस्टर खुराक के लिए मंजूरी मिली है। इस बयान के अनुसार iNCOVACC कोविड के लिए दुनिया का पहला इंट्रानेजल वैक्सीन है, जिसे प्राइमरी 2-डोज शेड्यूल और हेट्रोलॉगस बूस्टर डोज के लिए मंजूरी मिली है।

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DBT के सचिव और BIRAC के चेयरपर्सन राजेश एस गोखले ने कहा, “DCGI द्वारा भारत बायोटेक के इंट्रानेजल वैक्सीन iNCOVACC (BBV154) को वर्तमान में उपलब्ध COVID-19 वैक्सीन के खिलाफ बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल करने की मंजूरी हमारे लिए बहुत गर्व का क्षण है। यह कदम महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूत करेगा और वैक्सीन कवरेज को व्यापक करेगा।

 

इस टीके का सफल परिणामों के साथ चरण I, II और III नैदानिक ​​​​परीक्षणों में मूल्यांकन किया गया था और विशेष रूप से नाक की बूंदों के माध्यम से इंट्रानेजल डिलीवरी की अनुमति देने के लिए तैयार किया गया है।iNCOVACC को पहले प्राथमिक 2-खुराक अनुसूची के लिए 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लिए आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के तहत अनुमोदन प्राप्त हुआ था।

 

देश भर में 14 साइटों पर 3100 विषयों में सुरक्षा, प्रतिरक्षण क्षमता के लिए तीसरे चरण के परीक्षण किए गए। BBV154 इंट्रानेजल वैक्सीन के साथ 875 विषयों में विषम बूस्टर खुराक अध्ययन आयोजित किए गए थे, जिन्हें आमतौर पर प्रशासित कोविड-19 टीकों की दो खुराक के बाद प्रोसेस किया गया था। 9 जगहों पर ट्रायल किया गया।

 

iNCOVACC एक पूर्व-संलयन स्थिर SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन के साथ एडेनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन है।भारत बायोटेक ने कहा कि नेजल डिलीवरी सिस्टम को कम और मध्यम आय वाले देशों में लागत प्रभावी बनाने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है।

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नासा के आर्टेमिस-1 ने बनाया नया रिकॉर्ड

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नासा के आर्टेमिस-1 ने नया रिकॉर्ड बनाया है। पृथ्वी से 4 लाख किलोमीटर दूर पहुंच कर इतिहास बनाया है। अपोलो 13 को पछाड़ अर्टेमिस-1 मून मिशन का नया हीरो बन गया है। पांच दिनों की लंबी यात्रा और अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर का सफर, नासा के आर्टेमिस वन ने इस मुश्किल सफर को आसानी से तय कर लिया और आखिरी अपोलो मिशन के बाद, चांद की सतह में दाखिल होने वाला ये पहला अंतरिक्ष यान बन गया।

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नासा के मुताबिक, अर्टेमिस 1 का ओरियन कैप्सूल पृथ्वी से करीब 4 लाख 19 हजार 378 किलोमीटर दूर पहुंच गया है। इससे पहले साल 1972 में अपोलो-13 पृथ्वी से 2 लाख 48 हजार 655 मील यानी 4,00,171 किमी दूर पहुंचा था। नासा के मुताबिक अर्टेमिस 1 का ओरियन कैप्सूल लगभग 6 दिन तक चांद की कक्षा में चक्कर लगाएगा। जिसके बाद 11 दिसंबर को प्रशांत महासागर में इसकी लैंडिंग होगी।

 

स्पेस एजेंसी के मुताबिक, इस मिशन की सफलता 2024 में आर्टेमिस 2 मिशन का भविष्य तय करेगी, नासा ने 53 साल बाद अपने मून मिशन आर्टिमिस के जरिये इंसानों को दोबारा चांद पर भेजने की योजना बनाई है। नासा के मिशन के मुताबिक इंसान 2025 में ना सिर्फ चांद पर कदम रख सकता है, बल्कि 1972 के अपोलो मिशन के यात्रियों से ज्यादा समय तक वहां समय भी गुजार सकता है।

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‘मरिएम वेबस्टर’ ने वर्ष 2022 के लिए शब्द ‘गैसलाइटिंग’ को वर्ड ऑफ ऑफ द ईयर घोषित किया

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दुनिया के जाने माने प्रकाशक ‘मरिएम वेबस्टर’ ने वर्ष 2022 के लिए एक शब्द ‘गैसलाइटिंग’ (Gaslighting) को वर्ड ऑफ ऑफ द ईयर घोषित किया है। शब्दकोश में इस शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया गया है: “विशेष रूप से अपने स्वयं के लाभ के लिए किसी को व्यापक रूप से गुमराह करने का कार्य या अभ्यास।”

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गैसलाइटिंग का अर्थ किसी के साथ मनोवैज्ञानिक स्तर पर लंबे समय तक खेलने से है, ताकि पीड़ित व्यक्ति स्वयं के विचारों की वैधता और स्वयं के वास्तविक बोध पर संदेह करने लगे। गैसलाइटिंग एक काॅरपोरेट चालबाजी भी हो सकती है ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके। आसान भाषा में गैसलाइटिंग, किसी के साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर धोखा करना है।

 

किसी व्यक्ति के साथ छल करते हुए या उसपर हावी होते हुए वास्तविकता पर सवाल करने को मनोवैज्ञानिक गैसलाइटिंग कहते हैं। मनोवैज्ञानिक तरीके से किसी से बात करते हुए उसके अस्तित्व पर, उसकी सच्चाई पर, उसके फैसलों या फिर उसकी यादों पर सवाल खड़ा करना गैसलाइटिंग के दायरे में आता है।

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Monkey Pox का नाम बदलकर हुआ एमपॉक्स: WHO

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा है कि मंकीपॉक्स बीमारी को अब एमपॉक्स (mpox) के नाम से जाना जाएगा। वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सिलसिलेवार विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, एक साल तक दोनों नामों को इस्तेमाल में लाया जाता रहेगा। उसके बाद मंकीपॉक्स नाम को इस्तेमाल करने पर पूर्ण विराम लगा दिया जाएगा।

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि दोनों नामों के इस्तेमाल के जरिए वैश्विक महामारी के प्रकोप के दौरान नाम बदलने से उत्पन्न होने वाले भ्रम को दूर करने में मदद मिलेगी। एमपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है। इसका संक्रमण मध्य व पश्चिमी अफ्रीका के वर्षा वन वाले इलाकों में सामने आए हैं।

बता दें, मई 2022 की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामले कई देशों में सामने आए हैं। अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार देश में लगभग 30,000 केस दर्ज किए हैं। अमेरिका में मंकीपॉक्स वायरस के अधिकांश केस पश्चिमी या मध्य अफ्रीकी देशों की बजाए यूरोप व उत्तर अमेरिका की यात्रा करने वालों में मिले हैं। अफ्रीकी देशों में यह वायरस स्थानीय स्तर पर फैल रहा है।

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इंदौर ने सोलर प्लांट के लिए भारत के पहले रिटेल म्युनिसिपल ग्रीन बॉन्ड की योजना बनाई

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इंदौर एक मजबूत पर्यावरण रिकॉर्ड के साथ देश का पहला स्थानीय सरकार बांड जारी करने की योजना बना रहा है, जो व्यक्तिगत निवेशकों को लक्षित करता है, जिसमें सौर ऊर्जा परियोजना को निधि देने के लिए आय का उपयोग किया जाता है।

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इंदौर स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिव्यांक सिंह के अनुसार, इंदौर नगर निगम अगले महीने 10 साल की बॉन्ड बिक्री के माध्यम से 2.6 अरब रुपये (31.8 मिलियन डॉलर) जुटाने की योजना बना रहा है, जो पेशकश को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ काम कर रहे हैं। इंदौर, जो कि मध्य प्रदेश राज्य में है, की पेशकश खुदरा निवेशकों के लिए डिज़ाइन किया गया देश का पहला म्यूनिसिपल ग्रीन बॉन्ड भी है।

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