Pakistan में आसिम मुनीर बने पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस

पाकिस्तान की सैन्य कमान में एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने 5 दिसंबर 2025 को मंज़ूर की। यह कदम देश के रक्षा ढांचे में एक बड़े पुनर्गठन का संकेत है, जिसमें मुनीर अब सेना, नौसेना और वायुसेना—तीनों बलों के सर्वोच्च कमांडर होंगे, जबकि वे चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ (COAS) के पद पर भी बने रहेंगे।

पृष्ठभूमि: संवैधानिक बदलाव और बढ़ती सैन्य शक्ति

नवंबर 2025 में पारित 27वां संवैधानिक संशोधन पाकिस्तान की सैन्य कमान को पुनर्परिभाषित करने वाला ऐतिहासिक कदम था। इस संशोधन ने संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव करते हुए CDF के पद को आधिकारिक मान्यता दी और शीर्ष सैन्य नेतृत्व को एकीकृत कमान के अंतर्गत ला दिया। यह बदलाव उस समय आया जब इसी वर्ष आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया, जिससे वे जनरल अयूब खान के बाद पाकिस्तान के इतिहास में केवल दूसरे पंचतारा (five-star) अधिकारी बन गए।

यह बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है?

यह निर्णय पाकिस्तान में पहली बार तीनों सैन्य सेवाओं को एकीकृत कमान के अधीन लाता है। इससे पहले, चीफ़ ऑफ़ जॉइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ कमेटी (CJCSC) का पद इस कार्य के लिए मौजूद था, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर CDF को पूर्ण ऑपरेशनल और रणनीतिक अधिकार सौंपे गए हैं।

चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेन्स फ़ोर्सेज के अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ

नया CDF पद व्यापक शक्तियों से लैस है, जिनमें शामिल हैं:

  • सेना, नौसेना और वायुसेना पर केंद्रीकृत कमान

  • सामरिक परिसंपत्तियों और परमाणु कमांड की प्रत्यक्ष निगरानी

  • ऑपरेशनल प्लानिंग, इंटर-सर्विस कोऑर्डिनेशन और रक्षा नीति कार्यान्वयन

  • राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों और संकटों के दौरान सर्वोच्च सामरिक नेतृत्व

यह पुनर्गठन निर्णय-प्रक्रिया को तेज़ करने, बलों के बीच टकराव को कम करने और रणनीतिक तत्परता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और निर्णय की चुनौतियाँ

इस नियुक्ति का रास्ता आसान नहीं था। शुरुआत में प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने अधिसूचना में देरी की, जिससे यह कयास लगने लगे कि वे सैन्य नेतृत्व को और अधिक शक्तिशाली बनाने से राजनीतिक रूप से बचना चाहते हैं। इस देरी ने नागरिक-सैन्य संतुलन को लेकर बहस को हवा दी।

बाद में दबाव बढ़ने पर सरकार ने नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ाई और राष्ट्रपति ज़रदारी ने आधिकारिक अनुमोदन जारी किया। इसके साथ ही एयर चीफ़ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्धू को भी मार्च 2026 से दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया।

रणनीतिक और क्षेत्रीय महत्व

फील्ड मार्शल मुनीर के नेतृत्व में शक्तिशाली CDF पद की स्थापना के कई असर हैं:

  • यह पाकिस्तान की सत्ता संरचना में सैन्य प्रभुत्व को और मजबूत करता है

  • आलोचकों के अनुसार, इससे शासन और नीतिनिर्माण में सेना का दखल बढ़ सकता है

  • क्षेत्रीय स्तर पर, भारत के रक्षा विश्लेषक इस बदलाव को बारीकी से देख रहे हैं, क्योंकि यह दक्षिण एशिया की सैन्य रणनीतियों, संकट प्रबंधन और प्रतिक्रिया क्षमता को प्रभावित कर सकता है

मुख्य तथ्य संक्षेप में

  • नियुक्ति की तारीख: 5 दिसंबर 2025

  • नया पद: चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF)

  • संवैधानिक आधार: पाकिस्तान का 27वां संवैधानिक संशोधन

  • महत्व: सेना, नौसेना और वायुसेना पर एकीकृत कमान

  • समानांतर पद: चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ (COAS) का पद बरकरार

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी 2026 तक गुरुग्राम में अपना पहला भारतीय कैंपस खोलेगी

भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी (VU) ने दिल्ली-एनसीआर स्थित गुरुग्राम में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय कैंपस स्थापित करने की घोषणा की है। यह पहल भारत की नई शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत उन शुरुआती विदेशी विश्वविद्यालयों में से एक बनाती है, जिन्हें भारत सरकार द्वारा आधिकारिक लाइसेंस प्रदान किया गया है। यह कैंपस 2026 के मध्य तक संचालित होने की उम्मीद है और भारतीय छात्रों को विक्टोरिया यूनिवर्सिटी का वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम, विशेष रूप से इसका प्रसिद्ध ब्लॉक मॉडल ऑफ टीचिंग, भारत में ही उपलब्ध कराएगा।

कैंपस में क्या मिलेगा?

विक्टोरिया यूनिवर्सिटी का यह नया कैंपस शुरू में निम्न क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम पेश करेगा—

  • बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन

  • इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी)

  • रिसर्च एवं इनोवेशन कार्यक्रम

यह कैंपस मेलबर्न स्थित VU के सिटी टॉवर कैंपस की तरह ही आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा, जिससे छात्रों को विदेश जाने के खर्च और रहने की अतिरिक्त लागत से राहत मिलेगी।

इस पहल का महत्व

भारत में विक्टोरिया यूनिवर्सिटी का प्रवेश केवल विस्तार नहीं, बल्कि वैश्विक शिक्षा परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है। भारत की नई शिक्षा नीति 2020 के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में कैंपस खोलने का मार्ग प्रशस्त किया गया है।

मुख्य लाभ:

  • भारतीय छात्रों के लिए सुलभ और किफायती वैश्विक शिक्षा

  • बिना विदेश गए ऑस्ट्रेलियाई डिग्री प्राप्त करने का अवसर

  • उद्योग से जुड़े, कौशल-आधारित पाठ्यक्रम

  • भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में वैश्विक मानकों का समावेश

भारत में आ रहा है VU Block Model

VU का अनोखा ब्लॉक मॉडल छात्रों को एक समय में केवल एक विषय को चार सप्ताह के गहन ब्लॉक में पढ़ने की सुविधा देता है। यह पारंपरिक सेमेस्टर मॉडल की तुलना में अधिक प्रभावी माना जाता है।

भारत में इस मॉडल से—

  • बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन

  • अधिक लचीला सीखने का माहौल

  • सहायक एवं समावेशी अकादमिक वातावरण
    को बढ़ावा मिलेगा।

VU के उच्च अधिकारियों— चांसलर स्टीव ब्रैक्स और वाइस-चांसलर प्रो. एडम शोमेकर—ने कहा कि यह कैंपस भारतीय छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षण और वैश्विक अवसरों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

औपचारिक लॉन्च एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग

गुरुग्राम कैंपस के लिए भूमि-पूजन समारोह भारत और ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। प्रमुख उपस्थित लोग:

  • जूलियन हिल, ऑस्ट्रेलिया के फेडरल असिस्टेंट मिनिस्टर

  • स्टीव ब्रैक्स, चांसलर, विक्टोरिया यूनिवर्सिटी

  • भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी

कार्यक्रम में पारंपरिक दीप प्रज्वलन, आम का पौधा रोपण और परियोजना का औपचारिक अनावरण शामिल था — जो दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक शैक्षणिक सहयोग की शुरुआत का प्रतीक है।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • विश्वविद्यालय: विक्टोरिया यूनिवर्सिटी (VU), ऑस्ट्रेलिया

  • स्थान: गुरुग्राम, दिल्ली-एनसीआर

  • कैंपस शुरू होने की तिथि: मध्य 2026

  • पहला विदेशी कैंपस: भारत की NEP नीति के तहत

  • पाठ्यक्रम: बिज़नेस, आईटी और रिसर्च में UG और PG कार्यक्रम

जानें कैसे 29 साल की लड़की बनी दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड महिला अरबपति

सिर्फ 29 साल की उम्र में लुवाना लोप्स लारा (Luana Lopes Lara) ने दुनिया की सबसे कम उम्र की सेल्फ-मेड महिला बिलियनेयर बनकर इतिहास रच दिया है। बैले डांसर से फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी की शीर्ष नेतृत्व पंक्ति तक उनका सफ़र जितना तेज़ रहा है, उतना ही प्रेरणादायक भी है। उनकी कंपनी Kalshi—जो एक नवाचारी प्रेडिक्शन मार्केट प्लेटफ़ॉर्म है—हाल ही में 11 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर पहुँची। इसने उन्हें स्केल एआई की लूसी गुओ से आगे और यहाँ तक कि फोर्ब्स सूची में टेलर स्विफ्ट जैसी सांस्कृतिक हस्तियों से भी ऊपर पहुँचा दिया। यह उपलब्धि केवल तेज़ नहीं, बल्कि क्रांतिकारी है।

प्रारंभिक जीवन: बोल्शोई बैले से मैथ ओलंपियाड तक

ब्राज़ील में जन्मीं लुवाना का शुरुआती जीवन कला और अकादमिक दोनों से गहराई से जुड़ा था। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध Bolshoi Theatre School में बैले का प्रशिक्षण लिया और इसकी अनुशासन-व्यवस्था को “MIT से भी अधिक कठोर” बताया। ऑस्ट्रिया में पेशेवर प्रस्तुति देने के बाद उन्होंने शिक्षा की ओर रुख किया।

उनकी माँ गणित शिक्षिका और पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे—जिसने उनकी विश्लेषणात्मक सोच को और मजबूत किया।
उन्होंने विज्ञान और गणित ओलंपियाड में कई स्वर्ण और कांस्य पदक जीते। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता ने उन्हें MIT तक पहुँचाया, जहाँ उन्होंने कंप्यूटर साइंस और गणित में दोहरी डिग्री हासिल की।

Kalshi: वाल स्ट्रीट इंटर्नशिप से जन्मा अरबों डॉलर का विज़न

  • ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स, सिटाडेल और फ़ाइव रिंग्स कैपिटल जैसी शीर्ष वित्तीय कंपनियों में इंटर्नशिप के दौरान लारा और उनके MIT साथी तारिक मंसूर ने एक अहम बाज़ार-रिक्तता पहचानी—ऐसा कोई विनियमित प्लेटफ़ॉर्म नहीं था जहाँ वास्तविक घटनाओं (जैसे चुनाव, महंगाई, नौकरियों के आँकड़े) पर कानूनी रूप से ट्रेडिंग हो सके। यहीं से 2018 में Kalshi का जन्म हुआ।
  • उनका लक्ष्य था—एक फेडरल रेगुलेटेड प्रेडिक्शन मार्केट बनाना। लेकिन रास्ता आसान नहीं था। उन्हें CFTC (Commodity Futures Trading Commission) से वर्षों की कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
  • सितंबर 2024 में Kalshi ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जिससे यूएस इलेक्शन ट्रेडिंग को मंजूरी मिली। यह निर्णय कंपनी के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ और इसके बाज़ार की संभावनाएँ खुल गईं।

Kalshi का तेज़ उभार और लारा की अरबपति स्थिति

  • जून 2025 में 2 अरब डॉलर का मूल्यांकन रखने वाली कंपनी दिसंबर तक बढ़कर 11 अरब डॉलर पर पहुँच गई।
  • 1 अरब डॉलर के नए निवेश दौर ने दुनिया भर के बड़े निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया।
  • इस तीव्र वृद्धि के साथ लुआना लोपेस लारा और तारिक मंसूर दोनों अरबपतियों की सूची में शामिल हो गए।
  • लगभग 12% हिस्सेदारी के साथ लारा की कुल संपत्ति लगभग 1.3 अरब डॉलर आँकी जा रही है—जिससे वे दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड वुमन बिलियनेयर बन गई हैं।

मुख्य बातें 

  • लुवाना लोप्स लारा (29 वर्ष) दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड महिला अरबपति हैं (नेट वर्थ ~1.3 अरब डॉलर)।

  • 2018 में Kalshi की सह-स्थापना की—एक विनियमित प्रेडिक्शन मार्केट प्लेटफ़ॉर्म।

  • 2024 में CFTC के साथ ऐतिहासिक मुकदमा जीतकर वैध चुनाव ट्रेडिंग का रास्ता खोला।

  • 2025 में Kalshi का मूल्यांकन 2 अरब से 11 अरब डॉलर पहुँच गया।

  • लारा के पास कंपनी में 12% इक्विटी है।

  • बैकग्राउंड: बोल्शोई बैले ट्रेनिंग, MIT डिग्रियाँ, टॉप वॉल स्ट्रीट इंटर्नशिप।

RELOS समझौता और भारत-रूस संबंध: उद्देश्य, महत्व और नवीनतम घटनाक्रम

बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के बीच भारत–रूस संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 2025 की भारत यात्रा से पहले रूस ने रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) समझौते को मंज़ूरी दे दी है, जो द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में एक बड़ा मील का पत्थर है।

यह कदम उस समय आया है जब भारत इंडो-पैसिफिक से लेकर यूरेशिया तक रणनीतिक लचीलेपन की तलाश में है, वहीं रूस बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में एशियाई साझेदारियों को मज़बूत कर रहा है।

RELOS समझौता क्या है?

रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) भारत और रूस के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य लॉजिस्टिक्स समझौता है।

इससे दोनों देशों की सशस्त्र सेनाएँ एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं का उपयोग कर सकती हैं:

  • एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों तक पहुँच

  • रीफ्यूलिंग, मरम्मत, आपूर्ति, बर्थिंग और रखरखाव

  • संयुक्त सैन्य अभियानों का सुचारू संचालन

  • लंबी दूरी की तैनाती को कम लागत और कम समय में पूरा करना

RELOS के तहत भारत को रूस के 40 से अधिक नौसैनिक और हवाई अड्डों तक पहुँच मिलेगी, जिनमें आर्कटिक और प्रशांत क्षेत्र के महत्वपूर्ण ठिकाने भी शामिल हैं। इससे भारत की संचालन क्षमता में बड़ा विस्तार होगा।

RELOS समझौते के उद्देश्य

1. सैन्य स्थलों तक पारस्परिक पहुँच

पोर्ट, एयरफ़ील्ड और आपूर्ति सुविधाओं तक मरम्मत, रीफ्यूलिंग और रखरखाव के लिए पहुँच उपलब्ध कराना।

2. रक्षा सहयोग को मज़बूत करना

संयुक्त युद्धाभ्यास और सैन्य अभियानों के दौरान लॉजिस्टिक्स को सुगम बनाकर तैयारियों को बेहतर बनाना।

3. परिचालन क्षमता में सुधार

विशेष रूप से लंबी दूरी के नौसैनिक अभियानों में समय और लागत को कम करना।

4. आपदा राहत सहयोग

मानवीय और आपदा राहत (HADR) अभियानों को तेज़ी और दक्षता से संभव बनाना।

भारत–रूस संबंधों के लिए RELOS क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत और रूस दशकों से गहरे रक्षा सहयोग से जुड़े हैं। RELOS इस साझेदारी में एक नया संस्थागत ढांचा जोड़ता है।

1. महासागरों से परे रणनीतिक पहुँच

इस समझौते से भारत रूस के प्रमुख बंदरगाहों—
व्लादिवोस्तोक, मुरमान्स्क, पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की
—से संचालित हो सकेगा, जिससे:

  • आर्कटिक उपस्थिति

  • प्रशांत निगरानी

  • समुद्री मार्गों पर नज़र

और अधिक प्रभावी होंगी। ये क्षेत्र भारत के समुद्री व्यापार के 70% मार्गों को कवर करते हैं।

2. इंटरऑपेरिबिलिटी को बढ़ावा

INDRA जैसे त्रि-सेवा अभ्यासों के साथ यह समझौता सक्षम करेगा:

  • 20+ नौसैनिक जहाजों का संयुक्त संचालन

  • परस्पर सैन्य सहायता और रखरखाव

  • वास्तविक-समय में समन्वित अभियान

3. रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करना

भारत के कई प्रमुख सैन्य प्लेटफॉर्म— Su-30MKI, T-90 टैंक, MiG/Sukhoi बेड़े, S-400—रूस पर निर्भर हैं। RELOS से:

  • लॉजिस्टिक्स देरी कम होगी

  • स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता बढ़ेगी

  • मरम्मत और रखरखाव तेज़ होंगे

4. रणनीतिक विश्वास को और गहरा करना

यह समझौता लंबे समय से चल रहे कार्यक्रमों को मज़बूत करता है:

  • ब्रह्मोस मिसाइल

  • पनडुब्बी सहयोग

  • 13 बिलियन डॉलर से अधिक का रक्षा व्यापार

भारत के अन्य लॉजिस्टिक्स समझौतों से RELOS की तुलना

भारत अमेरिका और उसके साझेदार देशों के साथ कई रणनीतिक समझौते कर चुका है।

LEMOA (भारत–अमेरिका)

  • परस्पर सैन्य ठिकानों तक पहुँच

  • इंडो-पैसिफिक फोकस

  • नौसेना एवं वायु सहयोग को मज़बूत करता है

COMCASA (भारत–अमेरिका)

  • सुरक्षित एन्क्रिप्टेड संचार

  • अमेरिकी सैन्य नेटवर्क से सिस्टम इंटीग्रेशन

  • रियल-टाइम ऑपरेशनल समन्वय

BECA (भारत–अमेरिका)

  • उपग्रह एवं जियोस्पैशियल डेटा

  • लक्ष्य भेदन की सटीकता बढ़ाता है

  • उन्नत निगरानी और टोही में मदद करता है

RELOS कैसे अलग है?

अमेरिका के साथ समझौतों के विपरीत, RELOS:

  • भारत की पहुँच को यूरेशिया और आर्कटिक तक बढ़ाता है

  • रूसी सैन्य उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला का समर्थन करता है

  • पाँच दशकों से अधिक की रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है

इस प्रकार, RELOS पश्चिमी समझौतों का विकल्प नहीं है— बल्कि यह भारत की रणनीतिक साझेदारियों में विविधता लाता है।

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल की भाषा में मिट्टी कहते हैं। भारत और मिट्टी का नाता एक अलग तरह की भावना को प्रदर्शित करता है। क्षरण, प्रदूषण और अस्वीकार्य खेती-प्रथाओं की वजह से आज विश्व की लगभग 33% मिट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। बढ़ती आबादी, असंतुलित खेती, रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग और प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग, मिट्टी की गुणवत्ता पर भारी असर डाल रहे हैं। इस कारण मृदा संरक्षण और इसके टिकाऊ प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है।

मृदा दिवस मनाने का उद्देश्य मिट्टी के क्षरण के बारे में लोगों को बताना है। मृदा प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसमें मिट्टी की स्थिति में गिरावट आती है। मिट्टी इंसानों और सभी तरह के जीवों के लिए एक उन्नत स्त्रोत है। लेकिन उद्योगों के लिए पर्यावरण मानकों के प्रति लापरवाही और कृषि भूमि के कुप्रबंधन से मिट्टी की स्थिति खराब होती है।

मृदा दिवस 2025 की थीम

हर साल मृदा दिवस की एक खास थीम होती है। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस 2025 की थीम है, ‘Healthy Soils For Healthy Cities’ यानी ‘स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी’। यह विषय जीवन को सहारा देने, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करने और लचीले शहरों के निर्माण के लिए स्वस्थ शहरी मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डालता है, साथ ही मिट्टी की सीलिंग और शहरीकरण के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाता है।

विश्व मृदा दिवस का इतिहास

  • 2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ सॉइल साइंसेज़ (IUSS) द्वारा पहली बार प्रस्तावित

  • थाईलैंड द्वारा समर्थित और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के ग्लोबल सॉइल पार्टनरशिप द्वारा बढ़ावा दिया गया

  • 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक मान्यता

  • पहली बार 5 दिसंबर 2014 को मनाया गया

कार्रवाई का आह्वान: नीचे से ऊपर तक शहरों का निर्माण

विश्व मृदा दिवस 2025 में निम्नलिखित की अपील की गई है—

  • नीति-निर्माता मिट्टी-अनुकूल शहरी नियोजन को अपनाएँ

  • शहरों के निवासी हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दें

  • शिक्षक और समुदाय शहरी स्थिरता में मिट्टी की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाएँ

FAO के World Soil Day प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध संसाधन, पोस्टर और कार्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक अभियान में शामिल हुआ जा सकता है।

मिट्टी का महत्व: जितना आप सोचते हैं, उससे कहीं अधिक

मिट्टी न केवल कृषि के लिए बल्कि शहरी स्थिरता, जलवायु कार्रवाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है—

  • जीवन का आधार: विश्व के 95% खाद्य उत्पादन स्वस्थ मिट्टियों पर निर्भर करता है। पौधों के लिए आवश्यक 18 में से 15 रासायनिक तत्व मिट्टी ही प्रदान करती है।

  • पर्यावरण नियंत्रक: स्वस्थ मिट्टी जल अवशोषण बढ़ाती है, पानी का भंडारण करती है, कटाव कम करती है और सूक्ष्मजीवों के लिए स्थिर वातावरण उपलब्ध कराती है।

  • जलवायु परिवर्तन से लड़ाई: कार्बन अवशोषण द्वारा मिट्टी कार्बन डाइऑक्साइड को कैद और संग्रहित करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होते हैं।

  • खाद्य गुणवत्ता बनाए रखती है: खराब मिट्टी फसलों में पोषक तत्वों और विटामिन को कम कर देती है, जिससे मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

शहरी मिट्टी: अनदेखा जीवन-रेखा

अक्सर मिट्टी का उल्लेख ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ा जाता है, लेकिन शहरी मिट्टी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है—

  • शहरी सहनशीलता: पौधों से युक्त और जल-अवशोषी शहरी मिट्टी वर्षा जल को सोखती है, बाढ़ जोखिम कम करती है, तापमान नियंत्रित करती है और वायु गुणवत्ता सुधारती है।

  • कंक्रीट की छिपी कीमत: सड़कों और इमारतों के नीचे मिट्टी के सील होने से उसके प्राकृतिक कार्य खत्म हो जाते हैं, जिससे शहरी बाढ़, हीटवेव और प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।

  • मिट्टी की बहाली: शहर ग्रीन स्पेस, शहरी खेती और जल-अवशोषी (परमेएबल) ढांचे अपनाकर शहरी मिट्टी को पुनर्जीवित कर सकते हैं।

सतत मृदा प्रबंधन: वैश्विक आवश्यकता

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सतत मिट्टी प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम—

  • कटाव और प्रदूषण की रोकथाम

  • जल-संग्रहण और जैव विविधता को बढ़ावा देना

  • उर्वरता और खाद्य सुरक्षा में सुधार

  • कार्बन भंडारण और जलवायु सहनशीलता में वृद्धि

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “हर योगदान मायने रखता है” (Every Contribution Matters) विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसी दिन टिकाऊ विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक वर्ष (IVY 2026) का वैश्विक शुभारंभ भी हो रहा है।

अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025 क्यों ऐतिहासिक है?

इस वर्ष का आयोजन संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव A/RES/78/127 के तहत एक वर्ष-भर चलने वाली वैश्विक पहल की शुरुआत करता है, जिसके तहत:

  • 2026 को ‘टिकाऊ विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक वर्ष’ (IVY 2026) घोषित किया गया है।

  • स्वयंसेवा को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण माना गया है।

  • स्वयंसेवा को राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में शामिल करने के लिए वैश्विक आंदोलन को प्रोत्साहित किया गया है।

थीम पर फोकस: “हर योगदान मायने रखता है”

2025 की थीम इस तथ्य को रेखांकित करती है कि:

  • स्वयंसेवा हर किसी के लिए है — उम्र, पृष्ठभूमि या कौशल चाहे कुछ भी हो; हर सेवा मूल्यवान है।

  • स्वयंसेवक पीढ़ियों के बीच सहयोग को मजबूत करते हैं, जो टिकाऊ विकास के लिए आवश्यक है।

  • योगदान औपचारिक या अनौपचारिक, स्थानीय या वैश्विक— किसी भी रूप में क्यों न हो, परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।

  • स्वयंसेवा की भावना सामाजिक एकता, सहानुभूति और सामुदायिक लचीलापन बढ़ाती है।

मुख्य वैश्विक आयोजन व अभियान

IVY 2026 का वैश्विक शुभारंभ (5 दिसंबर, न्यूयॉर्क, संयुक्त राष्ट्र महासभा भवन)

  • सदस्य राष्ट्र स्वयंसेवा को अपनी राष्ट्रीय विकास नीतियों में शामिल करने का संकल्प लेंगे।

  • विभिन्न देशों को स्वयंसेवा-उन्मुख राष्ट्रीय अभियानों की शुरुआत के लिए प्रेरित किया जाएगा।

  • कार्यक्रम का सीधा प्रसारण UN WebTV पर उपलब्ध रहेगा।

राष्ट्रीय स्तर पर शुभारंभ

कई देश अपने-अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्वयंसेवकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए विशेष कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

सोशल मीडिया अभियान

विश्वभर में स्वयंसेवकों को सम्मानित करने के लिए ये हैशटैग उपयोग किए जाएंगे:
#IVD2025 | #IVY2026 | #VolunteerYear

ऑनलाइन स्वयंसेवा के अवसर

संयुक्त राष्ट्र सभी को आमंत्रित करता है कि वे ऑनलाइन स्वयंसेवक बनकर दूरस्थ रूप से अपनी प्रतिभा और कौशल का योगदान दें।

अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस का पृष्ठभूमि

  • इसकी स्थापना 1985 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।

  • यह दिन निम्न उद्देश्यों को समर्पित है:

    • स्वयंसेवकों और उनके योगदान का सम्मान

    • सीमाओं और समुदायों के पार स्वयंसेवा को बढ़ावा

    • स्थानीय और वैश्विक चुनौतियों के जन-नेतृत्व वाले समाधानों को प्रेरित करना

  • इसका वार्षिक आयोजन UN Volunteers (UNV) और विभिन्न साझेदार संगठनों द्वारा किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: मुख्य निकाय, कोष, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियां

यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम के नाम से जाना जाता है। इस नेटवर्क में खुद UN के साथ-साथ कई फंड, प्रोग्राम, स्पेशलाइज़्ड एजेंसियां, संबंधित संस्थाएं और ऑटोनॉमस इंस्टीट्यूशन शामिल हैं, जिनमें से हर एक का अपना मैंडेट, लीडरशिप और बजट होता है।

फंड और प्रोग्राम मुख्यतः स्वैच्छिक योगदान से संचालित होते हैं, जबकि विशिष्ट एजेंसियों को आकलित (assessed) और स्वैच्छिक दोनों वित्तीय सहायता मिलती है। संयुक्त राष्ट्र शांति, विकास, मानवीय सहायता, मानवाधिकार, पर्यावरण और वैश्विक शासन से जुड़े कार्यों में इन सभी संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करता है।

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: पूर्ण नाम, मुख्यालय और प्रमुख कार्य

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली वैश्विक संगठनों का एक नेटवर्क है जो शांति, विकास, मानवाधिकार, स्वास्थ्य, पर्यावरण और मानवीय सहायता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ कार्य करता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के अलावा विशिष्ट एजेंसियाँ, निधियाँ, कार्यक्रम और संबद्ध निकाय शामिल हैं — प्रत्येक का अपना मुख्यालय, उद्देश्य और संचालन संरचना होती है, लेकिन सभी का लक्ष्य वैश्विक सहयोग और विकास को बढ़ावा देना है।

तालिका: संयुक्त राष्ट्र प्रणाली — संगठन, मुख्यालय और कार्य 

श्रेणी संगठन का पूर्ण नाम मुख्यालय मुख्य कार्य / उद्देश्य
यूएन फंड और कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) न्यूयॉर्क, अमेरिका लगभग 170 देशों में गरीबी कम करना, असमानता घटाना और SDGs का क्रियान्वयन।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) नैरोबी, केन्या वैश्विक पर्यावरण संरक्षण और सतत संसाधन उपयोग का नेतृत्व।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) न्यूयॉर्क, अमेरिका प्रजनन स्वास्थ्य, सुरक्षित प्रसव और युवा विकास पर कार्य।
संयुक्त राष्ट्र मानव बस्तियाँ कार्यक्रम (UN-Habitat) नैरोबी, केन्या सतत शहरी विकास और सभी के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करना।
यूनिसेफ (UNICEF) न्यूयॉर्क, अमेरिका बच्चों के अधिकार, शिक्षा, पोषण और विकास को बढ़ावा।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) रोम, इटली वैश्विक स्तर पर भूख और कुपोषण समाप्त करने के लिए मानवीय सहायता।
विशिष्ट एजेंसियाँ (UN Specialized Agencies) खाद्य और कृषि संगठन (FAO) रोम, इटली भूख से लड़ना और वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) मॉन्ट्रियल, कनाडा विमानन सुरक्षा नियम बनाना और सदस्य देशों की सहायता।
अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) रोम, इटली ग्रामीण गरीबी कम करना और कृषि विकास को बढ़ावा देना।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड श्रम मानक निर्धारित करना, सम्मानजनक कार्य और श्रमिक अधिकार।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका वैश्विक वित्तीय स्थिरता, ऋण सहायता और आर्थिक निगरानी।
अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) लंदन, यूके शिपिंग सुरक्षा, सुरक्षा और पर्यावरण मानकों का नियमन।
अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड वैश्विक संचार व दूरसंचार सहयोग को बढ़ावा देना।
यूनेस्को (UNESCO) पेरिस, फ्रांस शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और विश्व धरोहर संरक्षण।
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) वियना, ऑस्ट्रिया औद्योगिक विकास, समावेशी वृद्धि और सतत विकास प्रोत्साहन।
विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) मैड्रिड, स्पेन पर्यटन नीति और सतत पर्यटन को बढ़ावा।
सार्वभौमिक डाक संघ (UPU) बर्न, स्विट्ज़रलैंड अंतरराष्ट्रीय डाक सहयोग और मानक तय करना।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य मानक और रोग नियंत्रण।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड बौद्धिक संपदा अधिकारों पर वैश्विक सहयोग।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड वैश्विक मौसम, जलवायु और वातावरण संबंधी डेटा का समन्वय।
विश्व बैंक समूह (World Bank Group) वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका विकास ऋण, अनुदान और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम।
अन्य यूएन संस्थाएँ संयुक्त राष्ट्र एचआईवी/एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड 2030 तक एड्स समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड शरणार्थियों की सुरक्षा, पुनर्वास और राहत सेवाएँ।
यूएन निशस्त्रीकरण अनुसंधान संस्थान (UNIDIR) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड निशस्त्रीकरण और वैश्विक शांति पर अनुसंधान।
यूएन प्रशिक्षण व अनुसंधान संस्थान (UNITAR) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड शासन, कूटनीति और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण।
यूएन परियोजना सेवाएँ कार्यालय (UNOPS) कोपेनहेगन, डेनमार्क विकास परियोजनाओं और अवसंरचना सेवाओं का क्रियान्वयन।
यूएनआरडब्ल्यूए (UNRWA) अम्मान, जॉर्डन फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और राहत।
यूनाइटेड नेशंस सिस्टम स्टाफ कॉलेज (UNSSC) ट्यूरिन, इटली UN कर्मचारियों के लिए नेतृत्व व प्रबंधन प्रशिक्षण।
संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय (UNU) टोक्यो, जापान वैश्विक अनुसंधान और नीति सहयोग।
यूएन वीमेन (UN Women) न्यूयॉर्क, अमेरिका लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा।
संबंधित अंतरराष्ट्रीय संगठन समग्र परमाणु-परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन की तैयारी आयोग (CTBTO PrepCom) वियना, ऑस्ट्रिया परमाणु-परीक्षण प्रतिबंध संधि के कार्यान्वयन की तैयारी और सत्यापन।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) वियना, ऑस्ट्रिया परमाणु तकनीक का सुरक्षित और शांतिपूर्ण उपयोग।
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) हेग, नीदरलैंड्स नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता विरोधी अपराधों का मुकदमा।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड प्रवासन संबंधी वैश्विक सहयोग और मानवीय सहायता।
रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) हेग, नीदरलैंड्स रासायनिक हथियार निषेध कन्वेंशन का क्रियान्वयन।
यूएनएफसीसीसी सचिवालय (UNFCCC) बॉन, जर्मनी पेरिस समझौते सहित वैश्विक जलवायु वार्ताओं का समन्वय।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड व्यापार नियमों पर वार्ता और विवाद समाधान।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र (ITC) जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड SMEs के अंतरराष्ट्रीयकरण को समर्थन (UN-WTO संयुक्त एजेंसी)।

मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का 73 वर्ष की उम्र में निधन

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह दिवंगत भाजपा नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति और नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज के पिता थे। उनका जाना भारतीय सार्वजनिक जीवन के एक उल्लेखनीय अध्याय का अंत है—एक ऐसा जीवन जो कानूनी प्रतिभा, राजनीतिक दूरदर्शिता और राष्ट्र के प्रति समर्पण से परिभाषित होता है।

अचानक निधन

जानकारी के अनुसार, उन्हें दोपहर में सीने में दर्द हुआ और तुरंत नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा।

दिल्ली भाजपा ने एक आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की और इस अप्रत्याशित घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया।

स्वराज कौशल का जीवन और योगदान

स्वराज कौशल का सार्वजनिक जीवन कई दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने कानून, राजनीति और शासन—तीनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1990 से 1993 तक उन्होंने मिज़ोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। यह वह समय था जब 1986 के मिज़ोरम शांति समझौते के बाद राज्य राजनीतिक स्थिरता की ओर बढ़ रहा था। उनकी भूमिका संवाद को आगे बढ़ाने और भारत के इस संवेदनशील सीमा प्रदेश में एकीकरण को मजबूत करने के लिए याद की जाती है।

राजनीतिक पदों के अलावा, वह एक प्रतिष्ठित विधि विशेषज्ञ थे। वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और संवैधानिक कानून तथा नागरिक अधिकारों पर उनकी गहरी पकड़ के लिए जाने जाते थे। कानूनी समुदाय में उनकी ईमानदार व सिद्धांतनिष्ठ वकालत को व्यापक सम्मान प्राप्त था।

लोक सेवा में रची-बसी परिवार परंपरा

स्वराज कौशल का विवाह प्रमुख भाजपा नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से हुआ था, जिनका निधन 2019 में हुआ। यह दंपत्ति राष्ट्रसेवा के मूल्यों, विचारों और समर्पण का प्रतीक माना जाता था।

उनकी बेटी बंसुरी स्वराज वर्तमान में नई दिल्ली से भाजपा सांसद हैं और परिवार की सार्वजनिक सेवा की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

मुख्य बातें 

  • स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73 वर्ष की आयु में निधन।

  • 1990–1993 के बीच मिज़ोरम के राज्यपाल रहे।

  • सुषमा स्वराज के पति और सांसद बंसुरी स्वराज के पिता।

  • सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता।

  • मिज़ोरम शांति प्रक्रिया के बाद राज्य को स्थिरता और एकीकरण की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम: भारत में बाघ, डॉल्फ़िन, हाथी, भालू, मगरमच्छ आदि के संरक्षण हेतु प्रमुख पहलें

भारत विश्व की कुल जैव विविधता का लगभग 8% हिस्सा अपने भीतर समेटे हुए है। पारिस्थितिक संतुलन और प्राकृतिक विरासत को बचाने के लिए संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने कई प्रमुख संरक्षण कार्यक्रम शुरू किए। ये कार्यक्रम पर्यावरण, वर्तमान घटनाओं और सामान्य अध्ययन से जुड़े प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते हैं।

राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम — तालिका

परियोजना / कार्यक्रम शुरुआत वर्ष लक्ष्य प्रजाति मुख्य क्षेत्र / राज्य मुख्य उद्देश्य / विशेषताएँ
प्रोजेक्ट टाइगर 1973 बंगाल टाइगर पूरे भारत में (50+ टाइगर रिज़र्व) आवास संरक्षण, शिकार-रोधी उपाय, एनटीसीए द्वारा आबादी बढ़ाना
प्रोजेक्ट एलीफैंट 1992 एशियाई हाथी असम, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा कॉरिडोर सुरक्षा, मानव–हाथी संघर्ष कम करना, जनगणना एवं निगरानी
एशियाई शेर संरक्षण कार्यक्रम 1972 से आगे एशियाई शेर गिर वन, गुजरात आवास विस्तार, जेनेटिक जोखिम कम करना, मानव–वन्यजीव संघर्ष में कमी
प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन 2020 गंगा डॉल्फ़िन व हिंद महासागर डॉल्फ़िन गंगा, ब्रह्मपुत्र व तटीय क्षेत्र नदी संरक्षण, पानी की गुणवत्ता सुधार, शोध और जागरूकता
प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल 1975 घड़ियाल, मगर व खारे पानी का मगर चंबल, ओडिशा, गुजरात कैप्टिव ब्रीडिंग, पुनर्वास, वेटलैंड संरक्षण
प्रोजेक्ट घड़ियाल 2008 घड़ियाल चंबल, सोन, गंडक नदी प्रजाति पुनर्स्थापन, प्रजनन व निगरानी
प्रोजेक्ट हिम तेंदुआ 2009 स्नो लेपर्ड हिमालयी राज्य (J&K, HP, उत्तराखंड, अरुणाचल, सिक्किम) जलवायु-संवेदनशील संरक्षण, समुदाय सहभागिता
प्रोजेक्ट हंगुल कश्मीर स्टैग (हंगुल) जम्मू-कश्मीर (दाचीगाम) केंद्रित संरक्षण प्रयास
प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर 2009–10 भालू MP, ओडिशा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात संघर्ष कम करना, कॉरिडोर सुरक्षा, निगरानी
प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गोडावण पक्षी राजस्थान, गुजरात ब्रीडिंग केंद्र, घासभूमि संरक्षण
प्रोजेक्ट रेड पांडा लाल पांडा सिक्किम, अरुणाचल आवास सुधार, निगरानी, प्रजनन
प्रोजेक्ट काला हिरण काला हिरण गुजरात, राजस्थान, ओडिशा घासभूमि प्रबंधन, पुनर्वास
प्रोजेक्ट वल्चर 2006–07 भारतीय गिद्ध UP, हरियाणा, असम, MP डाइक्लोफेनाक पर प्रतिबंध, ब्रीडिंग केंद्र
राइनो विजन 2020 / असम राइनो प्रोग्राम 2005 एक-सींग वाला गैंडा काज़ीरंगा, पोबितोरा, ओरंग स्थानांतरण, शिकार-रोधी उपाय

1. प्रोजेक्ट टाइगर (1973)

1973 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट टाइगर भारत का सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रम है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा संचालित

  • आवास सुधार, शिकार-रोधी कदम और वैज्ञानिक निगरानी

  • भारत में अब 3,000+ बाघ — दुनिया में सबसे अधिक

  • 50 से अधिक टाइगर रिज़र्व पूरे देश में फैले हुए

2. प्रोजेक्ट एलीफैंट (1992)

1992 में शुरू किया गया यह कार्यक्रम एशियाई हाथियों की सुरक्षा के लिए समर्पित है। हाथी भारत का राष्ट्रीय धरोहर पशु है।

उद्देश्य:

  • हाथी कॉरिडोर को सुरक्षित करना

  • मानव–हाथी संघर्ष में कमी

  • दांतों के लिए शिकार रोकना

  • वैज्ञानिक ट्रैकिंग और जनगणना

मुख्य आवास: असम, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा

3. प्रोजेक्ट लायन / एशियाटिक लॉयन संरक्षण (1972 से आगे)

हालाँकि इसे आधिकारिक तौर पर “प्रोजेक्ट लायन” नहीं कहा जाता, लेकिन एशियाटिक शेर संरक्षण कार्यक्रम गुजरात के गिर क्षेत्र पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु

  • भारत दुनिया में एशियाटिक शेरों की एकमात्र जंगली आबादी का घर है।

  • लक्ष्य: आवास (हैबिटेट) का विस्तार, शिकार की रोकथाम और आनुवंशिक (genetic) जोखिम को कम करना।

  • “लायन लैंडस्केप डेवलपमेंट प्रोजेक्ट” इस संरक्षण को और मज़बूत बना रहा है।

4. प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन (2020)

यह हालिया पहल 2020 में शुरू की गई थी।

कवरेज/लक्षित प्रजातियाँ

  • गंगा नदी डॉल्फ़िन

  • इंडियन ओशियन हंपबैक डॉल्फ़िन

मुख्य उद्देश्य

  • स्वच्छ नदियों को बढ़ावा देना

  • अवैध शिकार पर रोक

  • समुदाय की भागीदारी

  • नदी और समुद्री तंत्र का पुनरुद्धार

5. प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल (1975)

1975 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट भारत की तीन प्रमुख मगरमच्छ प्रजातियों के संरक्षण के लिए है:

  • घड़ियाल

  • मगगर

  • खारे पानी का मगरमच्छ

मुख्य उपाय

  • कैप्टिव ब्रीडिंग और रिहाई

  • राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना

  • वेटलैंड संरक्षण

6. प्रोजेक्ट घड़ियाल (2008)

यह प्रोजेक्ट विशेष रूप से गंभीर रूप से संकटग्रस्त घड़ियाल को बचाने के लिए शुरू किया गया।

फोकस क्षेत्र

  • घोंसलों और नदी किनारों की निगरानी

  • प्रजनन (ब्रीडिंग) कार्यक्रम

  • चंबल, सोन, गंडक और गिरवा नदियों में पुनर्वास/रिहाई

7. प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (2009)

हिमालयी राज्यों में हिम तेंदुए की सुरक्षा के लिए 2009 में शुरू किया गया:

  • जम्मू-कश्मीर

  • हिमाचल प्रदेश

  • उत्तराखंड

  • अरुणाचल प्रदेश

  • सिक्किम

मुख्य विशेषताएँ

  • समुदाय आधारित संरक्षण

  • जलवायु-संवेदनशील अनुसंधान और प्रबंधन

8. प्रोजेक्ट हंगुल (कश्मीर हिरण संरक्षण)

कश्मीर घाटी की संकटग्रस्त हंगुल हिरण प्रजाति को बचाने पर केंद्रित।

मुख्य चिंताएँ

  • आवास हानि

  • शिकारी जानवरों का खतरा

  • बहुत छोटी आबादी

डाचीगाम नेशनल पार्क इसका मुख्य संरक्षण क्षेत्र है।

9. प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर

लगभग 2009–10 में शुरू हुआ।

उद्देश्य

  • सुस्त भालू (Sloth Bear) के आवासों की सुरक्षा

  • मानव–भालू संघर्ष कम करना

  • एमपी, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात में निगरानी व संरक्षण

10. प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

भारत के गंभीर रूप से संकटग्रस्त घासभूमि पक्षी महाभारतीय तीतर के लिए चलाया जा रहा प्रोजेक्ट।

मुख्य गतिविधियाँ

  • कैद में प्रजनन केंद्र (Rajasthan)

  • घासभूमि पुनर्स्थापन

  • विद्युत लाइनों से होने वाली मौतों की रोकथाम

11. प्रोजेक्ट रेड पांडा

हिमालयी क्षेत्रों—सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश—में चलाया जा रहा कार्यक्रम।

मुख्य बिंदु

  • आवास सुधार

  • प्रजनन केंद्र

  • निरंतर निगरानी व अध्ययन

12. प्रोजेक्ट ब्लैकबक

मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान और ओडिशा में लागू।

प्रयास

  • सुरक्षित घासभूमि

  • प्रजाति स्थानांतरण

  • गश्त और मॉनिटरिंग

13. प्रोजेक्ट वल्चर (2006–07)

दिक्लोफेनाक दवा से हुई गिद्धों की भारी मौतों के बाद शुरू।

मुख्य कदम

  • पशु चिकित्सा दिक्लोफेनाक पर प्रतिबंध

  • प्रजनन (ब्रीडिंग) केंद्र

  • ग्रामीण समुदायों में जागरूकता

14. प्रोजेक्ट राइनो (असम राइनो विज़न 2020)

एक-सींग वाले भारतीय गैंडे की सुरक्षा पर केंद्रित।

उपाय

  • काज़ीरंगा, पोबितोरा और ओरंग में कठोर सुरक्षा

  • नए क्षेत्रों में पुनर्वास/स्थानांतरण

  • एंटी-पोजिंग यूनिट्स

इन परियोजनाओं का महत्व

ये सभी संरक्षण पहलें:

  • संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाती हैं

  • पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखती हैं

  • इको-टूरिज़्म से स्थानीय आजीविका बढ़ाती हैं

  • भारत की वैश्विक संरक्षण नेतृत्व क्षमता को मजबूत बनाती हैं

Aadhaar प्रमाणीकरण लेनदेन नवंबर में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 231 करोड़ हुए

भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार संख्या रखने वाले नागरिकों ने 231 करोड़ प्रमाणीकरण लेन-देन पूरे किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.5% वृद्धि दर्शाता है। यह बढ़ोतरी बताती है कि देशभर में सेवाओं, कल्याण योजनाओं और डिजिटल गतिविधियों में आधार कितनी व्यापक भूमिका निभा रहा है।

रिकॉर्ड तोड़ प्रमाणीकरण आंकड़े

नवंबर 2025 इस वित्त वर्ष का वह महीना रहा जिसमें आधार प्रमाणीकरण की संख्या सबसे अधिक रही। अक्टूबर में 219.51 करोड़ लेन-देन हुए थे, जिसके मुकाबले नवंबर में स्थिर और उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार की योजनाओं से लेकर निजी क्षेत्र की सेवाओं तक, आधार एक महत्वपूर्ण पहचान और सत्यापन उपकरण बन चुका है।

आधार फेस ऑथेंटिकेशन की लोकप्रियता बढ़ी

आधार फेस ऑथेंटिकेशन प्रणाली भी तेज गति से लोकप्रिय हो रही है। नवंबर 2025 में लगभग 60% पेंशनभोगियों ने अपने डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग किया। यह AI आधारित सुविधा एंड्रॉयड और iOS दोनों पर आसानी से चलती है, जिससे उपयोगकर्ता मात्र एक फेस स्कैन से अपनी पहचान सत्यापित कर सकते हैं। यह सुविधा सुविधाजनक होने के साथ सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।

नवंबर 2025 में कुल 28.29 करोड़ फेस ऑथेंटिकेशन लेन-देन दर्ज किए गए, जबकि नवंबर 2024 में यह संख्या 12.04 करोड़ थी — यानी बेहद तेज़ अपनाने की रफ्तार।

e-KYC लेन-देन में तेज उछाल

आधार-आधारित e-KYC सेवाओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। नवंबर 2025 में देश में 47.19 करोड़ e-KYC लेन-देन हुए, जो नवंबर 2024 की तुलना में 24% से अधिक है।

आधार e-KYC प्रणाली बैंकों, NBFCs और अन्य सेवा प्रदाताओं को ग्राहकों का सत्यापन तेज़ी से करने में मदद करती है। इससे ग्राहक अनुभव बेहतर होता है और व्यापार प्रक्रियाएँ सरल व तेज बनती हैं।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती

प्रमाणीकरण, फेस रिकग्निशन और e-KYC में मजबूत वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में आधार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

विभिन्न क्षेत्रों में आधार के बढ़ते उपयोग से कल्याण योजनाओं का कुशल वितरण, आसान पहचान सत्यापन और सुरक्षित ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ावा मिल रहा है — जिससे लाखों लोगों को लाभ हो रहा है।

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