भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ओडिशा के 10 जिलों में डिजिटलीकरण केंद्रों का उद्घाटन किया

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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने 12 दिसंबर 2022 को आभाषी रूप से ओडिशा के 10 जिलों में जिला न्यायालय डिजिटाइजेशन हब (DCDH) का उद्घाटन किया। अंगुल, भद्रक, झारसुगुड़ा, कालाहांडी, क्योंझर, कोरापुट, मल्कानगिरी, मयूरभंज, नयागढ़ और सोनपुर में हब राज्य के सभी 30 जिलों के डिजिटलीकरण के काम का ध्यान रखेंगे।प्रत्येक डीसीडीएच को आसपास के जिलों के डिजिटलीकरण का काम सौंपा जाएगा।

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हब का उद्देश्य आस-पास के असाइन किए गए जिलों के निपटाए गए केस रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करना होगा। आसपास के जिलों के कागज रहित न्यायालयों के लिए स्कैनिंग का काम संबंधित डीसीडीएच में भी किया जाएगा। प्रारंभ में, 30 अप्रैल 2021 को कटक, गंजम, संबलपुर और बालासोर जिलों में पायलट आधार पर चार जिला न्यायालय डिजिटलीकरण केंद्र (DCDC) स्थापित किए गए थे।

 

डिजिटलीकरण केंद्रों का महत्व

 

  • उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा किया गया डिजिटलीकरण कार्य देश के सभी उच्च न्यायालयों के लिए एक आदर्श के रूप में उभरा है।
  • डिजिटलीकरण अधिकृत व्यक्तियों के लिए अभिलेखों तक पहुंच को आसान बनाता है और व्यवस्थित जानकारी रखने, दस्तावेजों और अभिलेखों की सुरक्षा और दस्तावेजों को खोजने में लगने वाले समय में कमी को भी सुनिश्चित करता है।
  • न्यायपालिका, विशेष रूप से निचली अदालतों के आधुनिकीकरण को सुनिश्चित करने की दिशा में डिजिटलीकरण सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

 

अदालतों में ई-फाइलिंग

 

सीजेआई ने इस बात पर भी जोर दिया कि डिजिटलीकरण के साथ ई-फाइलिंग भी होनी चाहिए अन्यथा लंबे समय में भौतिक रूप में दायर की गई हर चीज का डिजिटलीकरण करना मुश्किल होगा। ई-फाइलिंग की सुविधा अब राज्य के दूर-दराज के इलाकों में भी वकील या वादी के लिए उपलब्ध है। उच्च न्यायालय ने कागज रहित कार्य सुनिश्चित करने के लिए राज्य के प्रत्येक न्यायिक अधिकारी को टच स्क्रीन लैपटॉप प्रदान करने का निर्णय लिया है।

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पीएम ने श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में पुडुचेरी के कंबन कलई संगम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से श्री अरबिंदो के 150वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के अवसर के महत्व को रेखांकित किया जिसे पूरे वर्ष बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता रहेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्र एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी करके श्री अरबिंदो को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो का जीवन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतिबिंब है क्योंकि उनका जन्म बंगाल में हुआ था और वे गुजराती, बंगाली, मराठी, हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं को जानते थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन गुजरात एवं पुडुचेरी में व्यतीत किया और जहां भी गए उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी।

 

श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त 1872 को हुआ था। वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान दिया। आजादी का अमृत महोत्सव- आजादी के 75 वर्षों के अवसर पर भारत के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने का एक प्रयास है, जिसके अंतर्गत देश भर में वर्ष भर की गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करके श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती मनायी जा रही है।

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SBI ने चार साल में 1.65 लाख करोड़ रुपये का कर्ज राइट-ऑफ किया

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देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने पिछले चार वित्त वर्षों में 1.65 लाख करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का स्थान आता है, जिसने 59,807 करोड़ रुपये को लोन को राइट-ऑफ किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को 12 दिसंबर 2022 को यह जानकारी दी। SBI ने वित्त वर्ष 2021-2022 में 19,666 करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है।

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सरकारी बैंक ने 2020-21 में 34,402 करोड़ रुपये और 1998-1999 में 58905 करोड़ रुपये के कर्ज को राइट ऑफ किया था। वित्त मंत्रालय द्वारा सब्मिट किए गए डेटा से यह जानकारी मिली है। बैंक आम तौर पर उन लोन को राइट ऑफ करते हैं, जहां रिकवरी की कोई संभावना नहीं होती है। बैंकों को ऐसे लोन से संभावित नुकसान को कवर करने के लिए पैसे अलग से रखने की जरूरत है। इससे बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ता है।

 

राइट ऑफ हो चुके लोन की कर्जधारकों पर लायबिलिटी रहती है और राइट ऑफ हो चुके लोन अकाउंट्स में कर्जदाता से बकाये की रिकवरी जारी रहती है। बैंक अलग-अलग रिकवरी के तरीकों के जरिए राइट ऑफ हो चुके अकाउंट्स की रिकवरी को लेकर कार्रवाई जारी रखते हैं।

 

मंत्री द्वारा सब्मिट किए गए डेटा के अनुसार, PNB ने पिछले चार वित्त वर्षों में 59,807 करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है। इसके बाद IDBI बैंक का स्थान आता है, जिसने 33,135 करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है। ICICI बैंक ने 42,164 करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ किया है। जबकि, HDFC बैंक ने 31,516 करोड़ रुपये के लोन को 31,516 करोड़ रुपये के कर्ज को राइट-ऑफ किया।

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पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सार्वजनिक नेतृत्व के लिए SIES पुरस्कार से सम्मानित किया गया

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पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सार्वजनिक नेतृत्व के लिए एसआईईएस राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।विभिन्न श्रेणियों में अन्य पुरस्कार विजेताओं में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ मार्तंड वर्मा शंकरन वलियानाथन, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद और प्रसिद्ध हरिकथा कलाकार विशाखा हरि शामिल थे।

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इस अवसर पर, नायडू ने कहा कि श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की आध्यात्मिक यात्रा ने मानवता के लिए एक नए आदर्श के आगमन की शुरुआत की है और आध्यात्मिक प्रगति के एक नए युग की शुरुआत की है। एक समारोह में सार्वजनिक नेतृत्व के लिए 25वां एसआईईएस (साउथ इंडियन एजुकेशन सोसाइटी) ‘श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवार्ड 2022’ प्राप्त करते हुए नायडू ने कहा कि उनकी शिक्षा लोगों के जीवन में व्याप्त है और उनके विचारों और कार्यों में उनका मार्गदर्शन करती है।

 

वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017 से 11 अगस्त 2022 तक भारत के 13वें उपराष्ट्रपति रहे। एसआईईएस की स्थापना 1932 में एम.वी. वेंकटेश्वरन ने मुंबई में की थी। एसआईईएस पुरस्कार हर साल सार्वजनिक श्रेष्ठता, सामुदायिक नेतृत्व, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक विचारकों और अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी के क्षेत्र में दिया जाता है।

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प्रधान मंत्री ने महाराष्ट्र में 75,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र में 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इसमें 1500 करोड़ से अधिक की राष्ट्रीय रेल परियोजनाएं, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वन हेल्थ (एनआईओ), नागपुर और नाग नदी प्रदूषण उपशमन परियोजना, नागपुर शामिल हैं। इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), चंद्रपुर’ को राष्ट्र को समर्पित किया और ‘सेंटर फॉर रिसर्च, मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथिस, चंद्रपुर’ का उद्घाटन किया।

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प्रधान मंत्री कार्यालय के अनुसार, पीएम मोदी ने हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के पहले चरण का उद्घाटन किया, जो 520 किलोमीटर की दूरी को कवर करता है और नागपुर और शिरडी को जोड़ता है। प्रधानमंत्री ने 1575 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किए जा रहे एम्स नागपुर को भी राष्ट्र को समर्पित किया, यह अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल है, जिसमें ओपीडी, आईपीडी, डायग्नोस्टिक सेवाएं, ऑपरेशन थिएटर और चिकित्सा विज्ञान के सभी प्रमुख विशेषता और सुपर स्पेशियलिटी विषयों को कवर करने वाले विभाग सहित 38 सुविधाएं उपलब्ध हैं।

 

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने नागपुर से बिलासपुर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को झंडी दिखाकर रवाना किया, ‘नागपुर मेट्रो के पहले चरण’ को राष्ट्र को समर्पित किया और ‘नागपुर मेट्रो के दूसरे चरण’ की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने नागपुर और शिरडी को जोड़ने वाले 520 किलोमीटर लंबे हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के पहले चरण का भी उद्घाटन किया।

 

अन्य परियोजनाएं

 

  • प्रधानमंत्री ने नागपुर में नाग नदी के प्रदूषण उपशमन परियोजना की आधारशिला रखी। राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत यह परियोजना 1925 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से संचालित की जाएगी।
  • विदर्भ क्षेत्र में सिकल सेल रोग का प्रसार, विशेष रूप से जनजातीय जनसंख्या में तुलनात्मक रूप से अधिक है। अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी जैसे थैलेसीमिया और एचबीई के साथ रोग होना, देश में रोगियों की संख्या में काफी वृद्धि होने का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, प्रधानमंत्री ने फरवरी, 2019 में ‘सेंटर फॉर रिसर्च, मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथिस, चंद्रपुर’ की आधारशिला रखी थी।
  • इसे देश में हीमोग्लोबिनोपैथी के क्षेत्र में नवीन अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, मानव संसाधन विकास के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में परिकल्पना की गई है।
  • प्रधानमंत्री ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), चंद्रपुर को भी राष्ट्र को समर्पित किया। संस्थान का उद्देश्य पॉलिमर और संबद्ध उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुशल मानव संसाधन विकसित करना है।

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नवंबर में, खुदरा मुद्रास्फीति 2022 में पहली बार 6% से नीचे आ गई

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर आ गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के जारी आंकड़ों के अनुसार 11 महीनों में यह पहली बार है कि खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर की सीमा में आई है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2022 में 6.77 प्रतिशत और पिछले साल नवंबर में 4.91 प्रतिशत रही थी।

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एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने खाद्य पदार्थों की महंगाई दर घटकर 4.67 प्रतिशत पर आ गई जो इससे पिछले महीने में 7.01 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर जनवरी से केंद्रीय बैंक की छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई थी। अब यह 11 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। दिसंबर, 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.66 प्रतिशत रही थी। आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये पिछले सप्ताह प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था।

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कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए हाई कोर्ट के 5 जजों के नामों की सिफारिश की

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जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करने वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए हाई कोर्ट के 5 जजों के नाम केंद्र सरकार को भेजे हैं। इनमें राजस्थान, मणिपुर, इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक-एक जज और पटना हाईकोर्ट के दो जज शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जिन नामों की सिफारिश की है उनमें जस्टिस पंकज मित्तल, संजय करोल, पीवी संजय कुमार, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और मनोज मिश्रा के नाम हैं।

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जस्टिस पंकज मित्तल राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं, जस्टिस संजय करोल पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं, जस्टिस पीवी संजय कुमार मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, पटना हाई कोर्ट के जज हैं और जस्टिस मनोज मिश्रा इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज हैं।

 

12 दिसंबर 2022 को जस्टिस दत्ता के शपथ ग्रहण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 28 हो गई है, जहां अब 6 पद खाली हैं। शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों के 34 स्वीकृत पद हैं और 4 जनवरी को न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की सेवानिवृत्ति के साथ यह संख्या घटकर फिर से 27 हो जाएगी। वर्तमान में 28 न्यायाधीशों में से 9 न्यायाधीश 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

 

कई नामों पर हुआ विचार विमर्श

 

रिपोर्ट के अनुसार कॉलेजियम में आमतौर पर प्रधान न्यायाधीश और 4 वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं, लेकिन इसमें बदलाव आया है और अब इसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को जगह मिलने के साथ 6 सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत परिसर में करीब दो घंटे तक चली कॉलेजियम की बैठक में कई नामों पर विचार-विमर्श किया गया।

अगले साल जनवरी में न्यायमूर्ति नज़ीर के सेवानिवृत्त होने के साथ ही न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी छह सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा बन जाएंगे। न्यायमूर्ति खन्ना 11 नवंबर, 2024 को प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की जगह लेने के लिए कतार में हैं।

 

 

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National Energy Conservation Day 2022: जानें इस दिन का महत्व

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भारत में हर साल 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation day) मनाया जाता है। यह अवसर साल 1991 से मनाया जा रहा है जब बिजली मंत्रालय का नेतृत्व किया जाता है। यह दिन ऊर्जा के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है क्योंकि यह हरित और उज्जवल भविष्य का सबसे अच्छा तरीका है।

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ऊर्जा संरक्षण का उद्देश्य

 

ऊर्जा संरक्षण दिवस (National Energy Conservation Day 2022) को मनाने का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग एवं भविष्य की जरुरतो को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा का उपयोग करना है। ऊर्जा संरक्षण दिवस के माध्यम से नागरिकों को ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूक किया जाता है एवं ऊर्जा की भविष्य की आवश्यकता के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।

 

इस दिन का महत्व

 

ऊर्जा संरक्षण (National Energy Conservation Day) एक बड़ी आवश्यकता है जो हमारे भविष्य की भलाई के लिए आवश्यक है। यह एक प्रथा है कि सभी को अपनी धरती के भविष्य को और बेहतर बनाने हेतु इसमें शामिल होना चाहिए। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का एजेंडा ऊर्जा और संसाधन संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

 

इस दिन का इतिहास

 

साल 2001 में, भारतीय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने भारतीय ऊर्जा संरक्षण अधिनियम को लागू किया जो ऊर्जा संरक्षण के संबंध में नीतियां तैयार करने पर केंद्रित था। तब से हर 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण (National Energy Conservation Day) के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु विभिन्न चर्चाओं, सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। ये कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित किए जाते हैं।

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तीन हिमालयी औषधीय पौधे IUCN रेड लिस्ट में शामिल हुए

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हिमालय में पाए जाने वाली तीन औषधीय पादप प्रजातियों (मेइज़ोट्रोपिस पेलिटा, फ्रिटिलारिया सिरोहोसा, डैक्टाइलोरिज़ा हैटागिरिया) को हाल ही में हुए मूल्यांकन के बाद संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में शामिल किया गया है। हिमालयी क्षेत्र में किया गया आकलन दर्शाता है कि वनोन्मूलन , निवास स्थान का नुकसान, वनाग्नि, अवैध व्यापार और जलवायु परिवर्तन कई प्रजातियों के लिये एक गंभीर खतरा हैं। नवीनतम आँकड़ों से इस क्षेत्र में संरक्षण संबंधी प्रयास किये जाने की उम्मीद है।

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क्या है इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल

आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल मीज़ोट्रोपिस पेलिटा, फ्रिटिलोरिया सिरोहोसा और डैक्टाइलोरिज़ा हैटागिरिया मीज़ोट्रोपिस पेलिटा को औषधीय गुणों से भरपूर मानते हैं. यहां जानिए इनके क्या फायदे हैं।

 

तीन प्रजातियों के बारे में

 

मीज़ोट्रोपिस पेलिटा: यह आमतौर पर पटवा के रूप में जाना जाता है, यह एक बारहमासी झाड़ी है जो उत्तराखंड के लिए स्थानिक है। इस प्रजाति को वनों की कटाई, आवास विखंडन और जंगल की आग से खतरा है। इसकी पत्तियों से निकाले गए तेल में मजबूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और यह दवा उद्योगों में सिंथेटिक एंटीऑक्सिडेंट का प्राकृतिक विकल्प हो सकता है।

 

फ्रिटिलारिया सिरोसा: यह एक बारहमासी बल्बनुमा जड़ी बूटी है। अध्ययन के अनुसार, मूल्यांकन अवधि (22 से 26 वर्ष) के दौरान इसकी संख्या में 30% की गिरावट आई है। इस प्रजाति को गिरावट की दर, लंबाई, खराब अंकुरण क्षमता, उच्च व्यापार मूल्य, व्यापक कटाई दबाव और अवैध व्यापार को ध्यान में रखते हुए ‘कमजोर’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

 

डैक्टाइलोरिजा हटागिरिया: इस प्रजाति को सलामपंजा भी कहा जाता है, को निवास स्थान के नुकसान, पशुधन चराई, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन से खतरा है। पेचिश, जठरशोथ, जीर्ण ज्वर, खांसी और पेट दर्द को ठीक करने के लिए आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक प्रणालियों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

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उत्तराखंड ने अपनी स्वदेशी बद्री गाय के आनुवंशिक विकास की योजना बनाई

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हिमालय की औषधीय जड़ी-बूटियों पर चरने वाली देसी बद्री गाय की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तराखंड अब इसकी आनुवंशिक विकास की योजना बना रहा है। राज्य के पशुपालन विभाग ने छोटे बद्री मवेशियों के स्टॉक में सुधार के लिए सेक्स-सॉर्टेड वीर्य तकनीक का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है। अधिकारियों ने उच्च आनुवंशिक स्टॉक के अधिक मवेशी पैदा करने के लिए भ्रूण स्थानांतरण विधि का विकल्प चुनने का प्रस्ताव दिया।

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अधिकारियों ने मल्टीपल ओव्यूलेशन एम्ब्रियो ट्रांसफर (एमओईटी) का विकल्प चुनने का फैसला किया, जो एक पारंपरिक भ्रूण फ्लश है, जो उन्नत पशु प्रजनन में उपयोग की जाने वाली सबसे आम प्रक्रिया है। ओवम पिक-अप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) दूसरी तकनीक है जिसका इस्तेमाल दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

 

बद्री गाय के बारे में

 

  • बद्री देसी गाय उत्तराखंड की एक देशी गाय की प्रजाति है।
  • यह गाय हिमालय में देशी जड़ी बूटियों और झाड़ियों पर चरती है और इसलिए इसके दूध का उच्च औषधीय महत्व है।
  • ये मवेशी पहाड़ी इलाकों और उत्तराखंड की जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं।
  • यह मजबूत और रोग प्रतिरोधी नस्ल उत्तराखंड के अल्मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल जिलों के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता इस नस्ल की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विशेषता है क्योंकि इसे शायद ही कभी कोई बीमारी होती है।
  • बद्री गाय के दूध में लगभग 90% A2 बीटा-कैसीन प्रोटीन होता है जो कि किसी भी स्वदेशी किस्मों में सबसे अधिक है।
  • बद्री गाय के घी में ब्यूटिरिक एसिड आंत में टी-सेल उत्पादन को बढ़ाकर प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करता है तथा एलर्जी से लड़ने में मदद करता है।

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