हिंदुस्तान शिपयार्ड ने रक्षा मंत्रालय के साथ ₹19,000 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

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रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए पांच बेड़ा सहायक पोत (एफएसएस) हासिल करने के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) के साथ 19,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। नौसेना की सामरिक ताकत में बढ़ोतरी के साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए पांच फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस) स्वदेश में ही बनाने का फैसला किया है।

 

एचएसएल के साथ करार

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में इसलिए भी यह एक बड़ा प्रोत्साहन होगा क्योंकि इन जहाजों का निर्माण स्वदेशी डिजाइन के आधार पर किया जाएगा। कैबिनेट की सुरक्षा मामलों (सीसीएस) की समिति ने 16 अगस्त को इन जहाजों के खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

 

नौसेना की समुद्री क्षमता में काफी वृद्धि

एफएसएस को नौसेना के समुद्र में तैनात जहाजों में ईंधन, पानी, गोला-बारूद और अन्य चीजें फिर से भरने के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इससे भारतीय नौसेना के बेड़ों को बंदरगाह पर लौटै बिना लंबे समय तक संचालित करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। साथ ही ये जहाज बेड़े की रणनीतिक पहुंच और गतिशीलता को बढ़ाएंगे। इन जहाजों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमता में काफी वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इन जहाजों को लोगों को निकालने, मानव सहायता और आपदा राहत कार्यों के लिए भी तैनात किया जा सकता है।

 

भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को एक नया आयाम

44,000 टन के फ्लीट स्पोर्ट शिप हिंदुस्तान शिपयार्ड द्वारा भारत में निर्मित होने वाले अपनी तरह के पहले जहाज होंगे। पांचों जहाजों के निर्माण की यह परियोजना आठ वर्षों में पूरी होगी जिसमें लगभग 168.8 लाख मानव दिवसों का रोजगार सृजन होगा। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन जहाजों का निर्माण भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को एक नया आयाम प्रदान करेगा और एमएसएमई सहित संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। इसके अधिकांश उपकरण और प्रणालियां स्वदेशी निर्माताओं से हासिल की जाएंगी और ये जहाज सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप ‘आत्मनिर्भर भारत’ के गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।

 

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के अध्यक्ष: हेमंत खत्री

 

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शिक्षा मंत्रालय ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन की शुरूआत की

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शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नवोन्मेष प्रकोष्ठ ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) के छठे संस्करण की शुरूआत की है। इसके तहत सीनियर एसआईएच में हिस्सा लेने के लिए नवोन्मेषी विचार 30 सितंबर तक और जूनियर एसआईएच के लिए 30 अक्टूबर तक प्रस्तुत किये जा सकते हैं।

 

22 अफ्रीकी देशों ने हिस्सा लिया

मंत्रालय के बयान के अनुसार, एआईसीटीई के नवोन्मेष प्रकोष्ठ ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2023 की शुरूआत की घोषणा की जो इसका छठा संस्करण है। इस अवसर पर उच्च शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति ने कहा कि इस वर्ष जी20 समूह की भारत की अध्यक्षता के दौरान हमने यूनेस्को भारत-अफ्रीका हैकाथॉन की मेजबानी की जिसमें 22 अफ्रीकी देशों ने हिस्सा लिया और भारतीय छात्रों को उनके साथ टीम के रूप में अफ्रीकी देशों की समस्याओं से जुड़े विषय पर काम करने का मौका मिला।

 

गैर पारंपरिक समाधन ढूंढने की प्रेरणा

एआईसीटीई के अध्यक्ष टी जी सीताराम ने भविष्य को आकार प्रदान करने में नवाचार की भूमिका के रेखांकित करते हुए कहा कि भविष्य का निर्माण नवाचार पर आधारित होता है और 7500 नवोन्मेषी संस्थानों के नेटवर्क के साथ स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में हिस्सा लेने वालों को समस्याओं पर काम करने का महत्वपूर्ण अवसर मिलता है और उन्हें समस्याओं का गैर पारंपरिक समाधन ढूंढने की प्रेरणा मिलती है।

 

सीनियर एसआईएच में हिस्सा

इसमें कहा गया है कि स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के तहत सीनियर एसआईएच में हिस्सा लेने के लिए नवोन्मेषी विचार 30 सितंबर तक और जूनियर एसआईएच के लिए 30 अक्टूबर तक प्रस्तुत किये जा सकते हैं। इसमें समस्याओं से संबंधित 239 विषय शामिल हैं जिसमें 182 सॉफ्टवेयर संबंधी और 57 हार्डवेयर से जुड़े विषय हैं। एसआईएच में 26 केंद्रीय मंत्रालय, छह राज्य मंत्रालय और चार उद्योग सहयोगी जुड़े हैं।

 

एसआईएच के विषय

एसआईएच के विषयों में कृषि, ब्लाक चेन, साइबर सुरक्षा, खाद्य प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास, स्वच्छ एवं हरित प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन, खेल, धरोहर एवं संस्कृति, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय एवं टिकाऊ ऊर्जा, स्मार्ट शिक्षा, स्मार्ट वाहन, परिवहन, यात्रा, पर्यटन, खिलौने आदि शामिल हैं।

 

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष: टी जी सीतारम

 

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जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से अगला चांद मिशन पूरा करेगा इसरो

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अगले चंद्र मिशन को संभवत: अपने जापानी समकक्ष के साथ साझेदारी में अंजाम देगा। इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) और इसरो ने अगले चंद्र मिशन ‘लूनर पोलर एक्सप्लोरेश मिशन’ (LUPEX) के लिए साझेदारी की है। जक्सा और इसरो क्रमश: रोवर और लैंडर का विकास कर रहे हैं।

बता दें, रोवर अपने साथ न केवल इसरो और जाक्सा के उपकरणों को चांद तक ले जाएगा बल्कि अमेरिकी एजेंसी नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के उपकरण भी उसके साथ होंगे। जापान की राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति पर कैबिनेट समिति के उपाध्यक्ष, जापान की राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला के महानिदेशक साकू त्सुनेता इस महीने के शुरुआत में बेंगलुरु स्थित इसरो के मुख्यालय आए थे और उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख सोमनाथ एस. के साथ हुई बैठक में लुपेक्स मिशन की प्रगति पर चर्चा की।

 

लुपेक्स मिशन का लक्ष्य

जाक्सा के मुताबिक, लुपेक्स मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर स्थायी गतिविधियों के लिए आधार बनाने के उद्देश्य से उसके अनुकूल ध्रुवीय इलाके की खोज की संभावना का पता लगाना, चंद्रमा की सतह पर मौजूद जल संसाधन की उपलब्धता को लेकर जानकारी हासिल करना और चंद्रमा एवं वाहन (अंतरिक्ष यान) के पहुंचाने और वहां रात भर रहने जैसी ग्रहीय सतह अन्वेषण प्रौद्योगियों का प्रदर्शन करना है।

 

लुपेक्स के लिए कई उपकरण

अंतरिक्ष विभाग के अहमदाबाद स्थित स्वायत्त संस्थान भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) ने लुपेक्स के लिए कई उपकरणों का प्रस्ताव किया है जिनमें प्रमुख रूप से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में हमेशा में छाया में रहने वाली सतह या उपसतह को मापने वाले यंत्र शामिल हैं। इसरो अधिकारी के मुताबिक, लुपेक्स मिशन को 2025 में भेजने की योजना है।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बातें:

 

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) की स्थापना: 1 अक्टूबर 2003;

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) मुख्यालय: चोफू, टोक्यो, जापान

 

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National Smart City Awards 2022: सर्वश्रेष्ठ शहर की रेस में इंदौर को मिला पहला स्थान

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देश की बेस्ट स्मार्ट सिटी का पुरस्कार इंदौर ने जीता है। केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सबसे बेहतर काम करने के लिए इंदौर को बेस्ट स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है। इंदौर के साथ भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सागर की झोली में आए पुरस्कारों के दम पर प्रदेश के हिस्से में सबसे ज्यादा पुरस्कार आए। नतीजा देश में मप्र को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बेस्ट स्टेट का पुरस्कार भी दिया जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर में इंदौर को लगातार छठी बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर चुना गया था।

 

केंद्र शासित प्रदेशों में पहला स्थान

चंडीगढ़ ने केंद्र शासित प्रदेशों में पहला स्थान हासिल किया है। सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में तमिलनाडु दूसरे और राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे। इंदौर सर्वश्रेष्ठ शहर की श्रेणी में सूरत और आगरा को पीछे छोड़कर विजेता बना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 27 सितंबर को इंदौर में आयोजित किए जा रहे समारोह में ये पुरस्कार वितरित करेंगी।

 

शीर्ष शहर और राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त:

  • सर्वश्रेष्ठ शहर का पुरस्कार: इंडिया स्मार्ट सिटीज़ अवार्ड्स 2022 में इंदौर को सर्वश्रेष्ठ शहर का खिताब दिया गया है। शहर का एक उल्लेखनीय ट्रैक रिकॉर्ड है, जो लगातार छह वर्षों तक स्वच्छ भारत मिशन में सबसे स्वच्छ शहर के रूप में स्थान पर रहा है।
  • सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार: स्मार्ट सिटी मिशन में मध्य प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य के रूप में मान्यता दी गई है। राज्य ने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से बहु-क्षेत्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से शहरी विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता दिखाई है।

 

राज्य रैंकिंग:

दूसरा सर्वश्रेष्ठ राज्य: शहरी विकास और टिकाऊ परियोजनाओं में इसकी प्रगति को दर्शाते हुए, तमिलनाडु को राज्यों में दूसरे स्थान पर रखा गया।

संयुक्त रूप से तीसरा सर्वश्रेष्ठ राज्य: स्मार्ट सिटी मिशन में योगदान के लिए राजस्थान और उत्तर प्रदेश संयुक्त रूप से राज्यों में तीसरे स्थान पर हैं।

 

पुरस्कार श्रेणियाँ और विजेता परियोजनाएँ:

  • निर्मित पर्यावरण श्रेणी: कोयंबटूर की मॉडल सड़कों और झीलों की बहाली परियोजना को इस श्रेणी में शीर्ष परियोजना के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • अर्थव्यवस्था श्रेणी: जबलपुर के ऊष्मायन केंद्र परियोजना को इसके आर्थिक प्रभाव के लिए शीर्ष स्थान से सम्मानित किया गया।
  • गतिशीलता श्रेणी: चंडीगढ़ की सार्वजनिक बाइक-शेयरिंग पहल गतिशीलता श्रेणी में अग्रणी रही।
  • गवर्नेंस श्रेणी: चंडीगढ़ ने गवर्नेंस श्रेणी में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस सेवाओं में।
  • केंद्र शासित प्रदेश श्रेणी: चंडीगढ़ को भारत स्मार्ट सिटी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ केंद्र शासित प्रदेश होने का समग्र पुरस्कार मिला।

 

स्मार्ट सिटी मिशन: एक नजर में

केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ को लॉन्च किया था। इसका लक्ष्य नागरिकों को शहरों में जरूरी ढांचा, साफ-सुथरा और टिकाऊ वातावरण, क्वालिटी लाइफ प्रदान करना है। देश में शहरी विकास की कार्यप्रणाली में बदलावा लाने को लेकर इस परियोजना के तहत 100 शहरों को शामिल किया गया। स्मार्ट सिटी मिशन में कुल परियोजनाओं में से 1,10,635 करोड़ रुपये की 6,041 (76%) परियोजनाएं को पूरी किया जा चुका है। करीब 60,095 करोड़ रुपये की अन्य 1,894 परियोजनाएं 30 जून 2024 तक पूरी होने की संभावना है।

 

66 शहरों को पुरस्कार के लिए चुना गया

स्मार्ट सिटी अवार्ड कांटेस्ट 2022 की अलग-अलग श्रेणियों में देश के विभिन्न शहरों की कुल 845 प्रविष्टियां केंद्र के पास पहुंची थीं। इनमें से 66 शहरों को पुरस्कार के लिए चुना गया है। स्मार्ट सिटी के इस मुकाबले में अन्य छह श्रेणियों में भी पुरस्कार पाकर इंदौर सबसे ज्यादा पुरस्कार जीतने वाला सितारा शहर बनकर उभरा है।

 

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रिलायंस रिटेल ने लॉन्च किया ‘यूस्टा’ फैशन स्टोर

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भारतीय मिलियनेयर मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल शाखा, रिलायंस रिटेल ने युवाओं के फैशन को महत्वपूर्ण बनाते हुए अपने नए ब्रांड, युस्ता (Yousta), की शुरुआत की है। ब्रांड की शुरुआत हैदराबाद के सारथ सिटी मॉल में अपने प्रमुख स्टोर के उद्घाटन के साथ हुई थी। यह कदम युवा की फैशन आवश्यकताओं को पूरा करके खुदरा बाजार में क्रांति लाने के लिए तैयार है।

युस्ता को एक यंग-सेंट्रिक फैशन रिटेल फॉर्मेट के रूप में स्थापित किया गया है, जो समकालीन प्रवृत्तियों को अपनाता है और उन्हें किफायती मूल्यों पर प्रस्तुत करता है। यह ब्रांड युवा उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति और पसंदों को मानता है, जिसका लक्ष्य उन्हें हाई फैशन ऑप्शन्स  प्रदान करना है जो उनकी जेब को नहीं खलेगा। इसी दिशा में, युस्ता की सारी उत्पादों की मूल्य रेंज रुपये 999 से कम है, और इनमें से अधिकांश उत्पाद रुपये 499 से कम में उपलब्ध हैं। 

यूस्टा ब्रांड भारत के युवाओं के साथ लगातार खुद को शामिल करने के लिए समर्पित है, उनकी बदलती फैशन इच्छाओं को समझता है। ब्रांड युवा व्यक्तियों को सशक्त बनाने और उन्हें आवाज देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे उन्हें खुले तौर पर अपनी विशिष्टता व्यक्त करने की स्वतंत्रता मिलती है।

यूस्टा के रिटेल आउटलेट्स को फैशन को तकनीक के साथ मूल रूप से विलय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। स्टोर में विभिन्न तकनीकी-स्पर्श बिंदु शामिल हैं जो खरीदारी के अनुभव को बढ़ाते हैं। इनमें क्यूआर-सक्षम स्क्रीन शामिल हैं जो सूचना साझा करने की सुविधा प्रदान करते हैं, सुविधाजनक लेनदेन के लिए सेल्फ-चेकआउट काउंटर और ग्राहकों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। प्रौद्योगिकी का यह एकीकरण आज के युवाओं की डिजिटल आदतों और अपेक्षाओं के साथ संरेखित है, जिससे एक आकर्षक और कुशल खरीदारी का माहौल बनता है।

युस्ता के लॉन्च के साथ ही, रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) ने कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) से एक बड़े निवेश को सुरक्षित किया है। QIA की पूरी संपत्ति में से एक सहायक सहमति, जो QIA की पूरी संपत्ति में से एक सहायक सहमति है, 8278 करोड़ रुपये (10 बिलियन डॉलर) के निवेश से RRVL में 1 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करेगा। QIA का निवेश रिलायंस रिटेल की विकास और संभावनाओं में आंतरराष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास और रुचि को पुनः प्रमोट करता है।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • रिलायंस रिटेल में फैशन एंड लाइफस्टाइल के अध्यक्ष और सीईओ: अखिलेश प्रसाद

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पीएम मोदी को ग्रीस के ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से किया गया सम्मानित

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्रीक राष्ट्रपति कटेरीना एन. सकेलारोपुलू ने एथेंस में सम्मान के अधिकार के रूप में ऑर्डर ऑफ हॉनर की महान क्रॉस से सम्मानित किया। यह पुरस्कार विदेशी सरकार के मुख्यमंत्री को ग्रीस द्वारा दिया जा सकने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। पुरस्कृति के लिए उद्घाटन में कहा गया कि यह पीएम मोदी को “ग्रीस और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान” के लिए दिया जा रहा है। इसमें उनके “राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच गहराई में रिश्तों को मजबूत करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता” की भी प्रशंसा की गई। प्रधानमंत्री मोदी उनमें से पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्हें ऑर्डर ऑफ हॉनर की महान क्रॉस से सम्मानित किया गया है। यह भी पहली बार है कि 2017 के बाद किसी विदेशी मुख्यमंत्री को इस सम्मान से नवाजा गया है।

यह पुरस्कार भारत और ग्रीस के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों की एक महत्वपूर्ण मान्यता है। दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है, और यह पुरस्कार इस संबंध के बढ़ते महत्व का प्रमाण है।

ऑर्डर ऑफ ऑनर के ग्रैंड क्रॉस के बारे में

ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ हॉनर का ग्रीस के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्रियों और “महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के लिए जिन्होंने अपने विशिष्ट स्थिति के कारण, ग्रीस की मर्यादा को बढ़ावा देने में योगदान किया है”, के द्वारा दिया जाता है। ऑर्डर ऑफ़ हॉनर को 1975 में स्थापित किया गया था। ग्रैंड क्रॉस का बैज एक सुनी तारा सजीव होता है जिसमें केंद्र में एक लाल एनामेलड मेडेलियन होती है। मेडेलियन पर ग्रीक देवी अथेना की छवि और शब्द “Only the Righteous Should be Honoured” होते हैं। बैज को नीले और सफेद रिबन पर गले में पहना जाता है।

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CCI ने भारती एयरटेल पर लगाया जुर्माना : जानें क्या है पूरा मामला

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कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने भारती एयरटेल पर नियमों के पालन न करने के एक मामले में फैसला देते हुए 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है जो कि 2002 के प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 6(2) में निर्दिष्ट शर्तों का पालन नहीं करने के संदर्भ में है। ये मामला भारती एयरटेल के द्वारा भारती टेलीमीडिया में Lion Meadow के हिस्से को खरीदने से जुड़ा है।

सीसीआई के आदेश के अनुसार एक करोड़ रुपये का जुर्माना प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 43ए के दायरे में लगाया गया है। भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारती एयरटेल ने 23 अगस्त, 2023 को एक नियामक फाइलिंग में सीसीआई की कार्रवाई को स्वीकार किया।

यह घटना प्रतिस्पर्धा कानूनों और विनियमों के अनुपालन के महत्व को प्रकाश में लाती है, उन दायित्वों को रेखांकित करती है जिन्हें कंपनियों को अधिग्रहण और व्यावसायिक लेनदेन का पीछा करते समय बनाए रखना चाहिए।

जुर्माने के पीछे की स्थिति मार्च 2021 की है जब भारती एयरटेल ने भारती टेलीमीडिया, अपनी डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सब्सिडियरी, में 20% हिस्सा खरीदा। इस लेनदेन का मूल्य 3,126 करोड़ रुपये था, और यह भारती एयरटेल का एक रणनीतिक कदम था जिसका उद्देश्य था उसके विभिन्न ग्राहक-केंद्रित उत्पादों, सेवाओं, और व्यापारों की स्वामित्व संरचना को मजबूत करना। भारती एयरटेल ने भारती टेलीमीडिया पर पूरी नियंत्रण प्राप्त करके अपने ग्राहकों को एकीकृत और विशेष उपायोग प्रदान करने का इरादा किया, जो उसकी “वन होम” रणनीति के साथ मेल खाता है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) भारत के भीतर प्रतिस्पर्धा मामलों की देखरेख करने वाले प्राथमिक राष्ट्रीय नियामक निकाय के रूप में कार्य करता है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत एक वैधानिक इकाई के रूप में काम करते हुए, इसकी मुख्य जिम्मेदारी प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रवर्तन में निहित है। इसका उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उन गतिविधियों को रोकना है जो भारत के भीतर प्रतिस्पर्धा को काफी कमजोर कर सकती हैं।

इसके अलावा, सीसीआई अधिनियम द्वारा परिभाषित संयोजनों को मंजूरी देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि जब दो संस्थाएं विलय के माध्यम से एक साथ आती हैं, तो उनका संयुक्त प्रभाव अनावश्यक रूप से बाजार पर हावी नहीं होता है, जिससे प्रतिस्पर्धी गतिशीलता को संरक्षित किया जाता है।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का गठन: 14 अक्टूबर, 2003
  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की अध्यक्ष: रवनीत कौर।

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RBI की बड़ी घोषणा, अब 500 रुपये तक कर सकेंगे ऑफलाइन डिजिटल पेमेंट

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इंटरनेट से वंचित या कमजोर सिग्नल वाले इलाकों में यूपीआई-लाइट वॉलेट के जरिये ऑफलाइन भुगतान की अधिकतम राशि को 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दी। इंटरनेट से वंचित या कमजोर सिग्नल वाले इलाकों में भी लोग अब यूपीआई लाइट वॉलेट के जरिये 500 रुपये तक ऑफलाइन भुगतान कर सकेंगे। हालांकि, किसी भुगतान मंच पर इस सुविधा के जरिये अब भी कुल 2,000 रुपये तक ही लेनदेन किया जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने ऑफलाइन माध्यम से छोटी राशि वाले डिजिटल भुगतान की सीमा बढ़ाने संबंधी परिपत्र में कहा, छोटे मूल्य के लेनदेन को बढ़ाने के लिए ऑफलाइन भुगतान की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। यूपीआई लाइट वॉलेट कुछ समय में ही बेसिक मोबाइल फोनधारकों के बीच खासा लोकप्रिय हो गया। वर्तमान में इस भुगतान मंच के जरिये महीनेभर में एक करोड़ से भी अधिक लेनदेन होने लगे हैं।

 

पिन सत्यापन की जरूरत नहीं

यूपीआई लाइट का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए आरबीआई ने अगस्त की शुरुआत में एनएफसी प्रौद्योगिकी से ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा देने का प्रस्ताव रखा था। एनएफसी से लेनदेन किए जाने पर पिन सत्यापन की जरूरत नहीं रहती है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक, यह सुविधा न सिर्फ खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम बनाएगी बल्कि रफ्तार भी सुनिश्चित करेगी।

 

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भारत में आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम

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भारत में, आनंद विवाह (सिख विवाह) अधिनियम सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह एक ऐसा कानून है जो विशेष रूप से सिख विवाहों से संबंधित विवाह समारोहों और कानूनी पहलुओं को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम सिख विवाहों को कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था, जिससे सिख जोड़ों को अपने धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार अपने विवाह को संपन्न करने की अनुमति मिलती है, जबकि यह सुनिश्चित होता है कि विवाह कानूनी रूप से वैध हैं।

 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

Sikhs to have own law for registering marriages – Anand Karaj Act – Sikh Sangat News

  • आनंद विवाह अधिनियम 1909 में भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान लागू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य मौजूदा हिंदू विवाह कानूनों के तहत अपने विवाह की वैधता के बारे में सिख समुदाय द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करना था।

 

कानूनी मान्यता:

  • यह अधिनियम सिख विवाहों को कानूनी मान्यता प्रदान करता है, उन्हें कानून के तहत मान्य करता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी विवाह के ढांचे के भीतर सिख जोड़ों के अधिकार और जिम्मेदारियां सुरक्षित हैं।

 

औपचारिक पहलू:

  • अधिनियम आनंद कारज समारोह को पारंपरिक सिख विवाह अनुष्ठान के रूप में मान्यता देता है।
  • यह आनंद कारज में शामिल धार्मिक रीति-रिवाजों, प्रार्थनाओं और भजनों को विवाह के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार करता है।

 

पंजीकरण:

  • अधिनियम समारोह के बाद एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर सिख विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य करता है।
  • पंजीकरण विवाह का कानूनी प्रमाण प्रदान करता है और विवाह प्रमाण पत्र जैसे कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

 

पात्रता:

  • यह अधिनियम सिख कानून के तहत शादी करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए पात्रता मानदंड की रूपरेखा तैयार करता है।
  • यह निर्दिष्ट करता है कि सिख धार्मिक परिभाषाओं के अनुसार दोनों पक्षों को सिख होना चाहिए।

 

सहमति और आयु आवश्यकताएँ:

  • अधिनियम वैध विवाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति के महत्व पर जोर देता है।
  • यह भारतीय कानूनों के अनुरूप, विवाह के लिए न्यूनतम आयु आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।

 

विवाह अधिकारी:

  • अधिनियम सिख धार्मिक नेताओं (ग्रंथी) को सिख विवाह संपन्न कराने के लिए अधिकृत विवाह अधिकारी के रूप में नामित करता है।
  • यह सिविल अधिकारियों को सिख विवाहों के लिए विवाह रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करने की भी अनुमति देता है।

 

कानूनी निहितार्थ:

  • यह अधिनियम विरासत, तलाक, गुजारा भत्ता और सिख विवाह के अन्य कानूनी पहलुओं से संबंधित मुद्दों को नियंत्रित करता है।
  • यह सिख जोड़ों को कानूनी सुरक्षा उपाय और अधिकार प्रदान करता है जो अन्य व्यक्तिगत कानूनों के तहत शादी करने वाले व्यक्तियों को प्राप्त होते हैं।

 

संशोधन और विवाद:

  • वर्षों से, उभरते सामाजिक मानदंडों और चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संभावित संशोधनों के बारे में चर्चा होती रही है।
  • अंतरधार्मिक विवाह और अधिनियम के तहत पात्रता मानदंड के संबंध में कुछ विवाद सामने आए हैं।

 

सांस्कृतिक महत्व:

  • यह अधिनियम सिख समुदाय के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह उनकी विशिष्ट विवाह परंपराओं और प्रथाओं को कायम रखता है।
  • यह देश के कानूनी ढांचे के भीतर सिख पहचान और मूल्यों को संरक्षित करने के प्रयासों को दर्शाता है।

 

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यूपी कैबिनेट ने 1,250 करोड़ रुपये की लागत से 18 अटल आवासीय विद्यालयों को दी मंजूरी

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उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 1,250 करोड़ रुपये की लागत से केंद्र संचालित नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर 18 अटल आवासीय विद्यालयों को विकसित करने की मंजूरी दे दी है. कोरोना काल में निराश्रित हुए बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रदेश में बनाए जा रहे 18 अटल आवासीय विद्यालय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह कार्य करेंगे। राज्य सरकार द्वारा इन विद्यालयों की स्थापना शिक्षा और सामाजिक न्याय के उद्देश्य से की जा रही है। इनका क्रियान्वयन एवं प्रबंधन अटल आवासीस विद्यालय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसकी नियमावली तैयार की जा चुकी है।

कैबिनेट ने अटल आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव के मुताबिक विद्यालयों का संचालन उप्र भवन एवं अन्य सन्निमार्ण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इनका निर्माण राज्य सरकार के बजट की धनराशि से कराया जा रहा है। इनमें प्रवेश लेने वाले बच्चों की शिक्षा पर होने वाला व्यय भी राज्य सरकार के बजट से होगा। वहीं संचालन में होने वाला व्यय उप्र भवन एवं अन्य सन्निमार्ण कर्मकार कल्याण बोर्ड को वहन करना होगा।

 

कैबिनेट बैठक के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

अटल आवासीय विद्यालय: कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में 18 ‘अटल आवासीय विद्यालयों’ की स्थापना के लिए 1,250 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण बजट आवंटित किया है। ये स्कूल नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर बनाए गए हैं और इनका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है। प्रत्येक स्कूल की क्षमता 1,000 छात्रों की होगी, जिसमें 500 लड़कियां और 500 लड़के शामिल होंगे। इन विद्यालयों में कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा प्रदान की जाएगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि ये स्कूल उन छात्रों को भी शिक्षा प्रदान करेंगे जिनकी शिक्षा कोविड-19 महामारी के कारण बाधित हो गई थी। इन स्कूलों को शिक्षा में उत्कृष्टता का केंद्र बनाने का लक्ष्य है।

स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तिकरण योजना: इस योजना के तहत सरकार छात्रों को 25 लाख स्मार्टफोन मुफ्त में बांटने की योजना बना रही है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को डिजिटल संसाधनों और कनेक्टिविटी तक पहुंच के साथ सशक्त बनाना है, जिससे वे अपने सीखने के अनुभवों को बढ़ा सकें और तकनीकी प्रगति के साथ अपडेट रह सकें।

मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना: 10 लाख व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने वाली योजना मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी गई है। योजना में भाग लेने वालों को प्रशिक्षण अवधि के दौरान 9,000 रुपये का वजीफा मिलेगा। यह कदम कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर देता है, जो युवाओं को रोजगार योग्य कौशल से लैस करने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।

डेयरी संयंत्रों को पट्टे पर देना: एक आर्थिक कदम में, कैबिनेट ने प्रदेश सहकारी डेयरी फेडरेशन के स्वामित्व वाले छह डेयरी संयंत्रों को पट्टे पर देने को मंजूरी दे दी है। गोरखपुर, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज, आज़मगढ़ और मोरादाबाद में स्थित इन संयंत्रों को 10 साल की अवधि के लिए पट्टे पर दिया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य संभवतः डेयरी क्षेत्र में संसाधन आवंटन और दक्षता को अनुकूलित करना है।

बायोडीजल उत्पादन और विपणन विनियम: कैबिनेट ने बायोडीजल उत्पादन और विपणन से संबंधित नियमों को भी मंजूरी दे दी है। हालाँकि पाठ में इन विनियमों के बारे में विशिष्ट विवरण प्रदान नहीं किए गए हैं, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार ऊर्जा क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है।

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