असम में विकेन्द्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम: चार नए जिलों का निर्माण और प्रशासनिक सुधार

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शासन के विकेंद्रीकरण को बढ़ाने और संबंधित विभागों के अभिसरण में सुधार करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम में, असम मंत्रिमंडल ने चार नए जिलों का निर्माण करके एक साहसिक कदम उठाया है, जिन्हें पहले दिसंबर में समाप्त कर दिया गया था।

यह निर्णय चुनाव आयोग (EC) के निर्णय के साथ मेल खाता है जिसने असम में संसदीय और विधायिका संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को RP एक्ट, 1950 की धारा 8A के अनुसार परिभाषित करने का निर्णय लिया है। नए जिले होजई, बिश्वनाथ, तामुलपुर और बजाली हैं।

डेलिमिटेशन एक प्रक्रिया होती है जिसका उद्देश्य एक राष्ट्र या प्रांत में एक विधायिका संघ को बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं की स्थापना करना होता है।

इस नए ढांचे के तहत, होजाई जिले की स्थापना की गई है, जिसमें बिन्नाकांडी, लुमडिंग और होजाई विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (एलएसी) शामिल हैं। जिले का मुख्यालय शंकरदेव नगर में स्थित होगा। इसी तरह, बिश्वनाथ जिले में बिश्वनाथ, गोहपुर और बेहाली विधानसभा क्षेत्र शामिल होंगे।

तामुलपुर और गोरेश्वर एलएसी के विलय के साथ रणनीतिक पुनर्गठन जारी है, जिसके परिणामस्वरूप नए तामुलपुर जिले का गठन हुआ। इसके अतिरिक्त, बजाली और भवानीपुर-सोरभोग एलएसी नए बाजली जिले का गठन करने के लिए एक साथ आएंगे। प्रशासनिक प्रभागों का यह पुनर्गठन कुशल शासन और बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ावा देना चाहता है।

इस निर्णय का एक महत्वपूर्ण पहलू प्रशासनिक ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन है। मुख्यमंत्री सरमा ने 24 नागरिक उप-डिवीजनों को समाप्त करने की घोषणा की, जिससे एक नए युग की शुरुआत हुई, जहां उप-डिवीजनों को प्रत्येक जिले के भीतर सर्कल और उप-जिलों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। इन उप-जिलों का नेतृत्व अतिरिक्त जिला आयुक्तों द्वारा किया जाएगा और सभी प्रासंगिक सरकारी विभागों को रखा जाएगा।

इस परिवर्तन से विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा मिलने और शासन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की उम्मीद है। उप-प्रभागों से उप-जिलों में बदलाव एक अधिक विकेन्द्रीकृत और उत्तरदायी प्रशासनिक ढांचा बनाने के सरकार के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।

जबकि नए उप-जिले 1 जनवरी, 2024 से चालू होने वाले हैं, मुख्यमंत्री सरमा ने घोषणा की कि उनके निर्माण के बारे में आधिकारिक अधिसूचना आने वाले दिनों में जारी की जाएगी। यह सक्रिय दृष्टिकोण समय पर कार्यान्वयन और सुचारू संक्रमण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रतियोगी परीक्षाओं की मुख्य बातें

  • असम के मुख्यमंत्री: हिमंत बिस्वा सरमा

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जिम्बाब्वे के दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए एमर्सन मंगाग्वा

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जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मंगाग्वा (Zimbabwe President Emmerson Mnangagwa) को 26 अगस्त 2023 को दूसरे और अंतिम कार्यकाल के लिए फिर से चुन लिया गया है। एमर्सन मंगाग्वा ने राष्ट्रपति चुनाव में नेल्सन चामिसा को हराया है, जो उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे। मंगाग्वा की इस जीत ने जिम्बाब्वे की सत्ता पर ZANY-PF की पकड़ मजबूत कर दी। जिम्बाब्वे चुनाव आयोग ने राजधानी हरारे में देर रात घोषणा की कि मंगागवा को 52.6 प्रतिशत, जबकि मुख्य विपक्षी नेता नेल्सन चामीसा को 44 प्रतिशत मत मिले हैं।

दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मंगाग्वा के सामने कई चुनौतियां हैं। जिम्बाव्वे पिछले दो दशकों से विनाशकारी आर्थिक नीतियों का सामना कर रहा है, जिसके चलते देश में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ गई है। देश में दवाओं और उपकरणों की भी कमी है। मंगाग्वा के जीतने के बाद अब जिम्बाब्वे का पश्चिमी देशों से तनाव बढ़ सकता है, जिन्होंने 18 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज से निपटने में मदद करने के बदले में देश में बेहतर लोकतंत्र और मानवाधिकारों के सम्मान की मांग की है।

 

जिम्बाब्वे की आबादी 16 मिलियन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिम्बाब्वे की आबादी 16 मिलियन (एक करोड़ 60 लाख) है। यह अफ्रीका महाद्वीप में स्थित हैं। यहां चुनाव में अनियमितताओं का इतिहास रहा है, जिसकी बदौलत रॉबर्ट मुगाबे, जो एक मुक्तिवादी नेता से निरंकुश बन गए थे, को लगभग चार दशकों तक सत्ता बनाए रखने में मदद मिली।

मुगाबे को 2017 में मंगाग्वा और उसके सहयोगियों द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया। अगले वर्ष, मंगाग्वा ने चुनाव में चामिसा को हराकर जीत हासिल की। उन्हें 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। इस साल 23 अगस्त को हुए मतदान में कुछ मतदान स्थानों पर दस घंटे से अधिक की देरी हुई, क्योंकि देश का चुनाव आयोग समय पर मतपत्र वितरित करने में विफल रहा।

 

एमर्सन मंगाग्वा को जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित किया गया है और उन्होंने देश के नेता के रूप में दूसरा कार्यकाल हासिल किया है। जिम्बाब्वे चुनाव आयोग (जेडईसी) ने 52.6% वोट के साथ मनांगाग्वा को विजेता घोषित किया, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, सिटीजन्स कोएलिशन फॉर चेंज (सीसीसी) के नेल्सन चामिसा 44% से पीछे रहे।

 

आर्थिक संघर्ष और लंबे समय से चली आ रही खाद्य असुरक्षा

दूसरा कार्यकाल हासिल करने के बावजूद, मनांगाग्वा के राष्ट्रपति पद पर जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था को संभालने को लेकर आलोचना हुई है। देश में बेरोजगारी और गरीबी का उच्च स्तर कायम है, जिसे कभी दक्षिणी अफ्रीका की रोटी की टोकरी माना जाता था। अच्छी फसल के दावों के बावजूद, ज़िम्बाब्वे में लगभग 3.8 मिलियन लोगों को इस वर्ष खाद्य असुरक्षा का अनुभव होने की आशंका है।

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जीका वायरस चर्चा में क्यों?

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मुंबई में एक 79 वर्षीय व्यक्ति को जीका वायरस से संक्रमित पाया गया है। इस मामले के सामने आने के बाद से लोग सर्तक हो गए हैं। यह भी मच्छर से होने वाली के जरिए फैलने वाला एक वायरस है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। बरसात के मौसम में अक्सर मच्छरों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां लोगों को अपना शिकार बनाती है, जीका वायरस इन्हीं में से एक है।

Zika Virus in Maharashtra: Maharashtra reports its first Zika virus case in 50-year-old Pune woman | Mumbai News - Times of India

जीका वायरस एक ऐसी हल्की बीमारी है जो संक्रमित एडीज मच्छरों से फैलती है, जो डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाते हैं। जीका वायरस से पीड़ित मरीजों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं।

 

क्या है जीका वायरस

जीका एक मच्छर जनित यानी मॉस्किटो बॉर्न वायरस है, जो डेंगू बुखार, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस के समान है। यह संक्रमण माइक्रोसेफली नामक बर्थ डिफेक्ट से जुड़ा है, जो गर्भवती होने पर जीका से संक्रमित होने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों को प्रभावित कर सकता है। जीका एक संक्रामक रोग है, जो वायरस से होता है। यह वायरस संक्रमित मच्छरों द्वारा फैलता है, जिनमें एडीज़ एजिप्टी और एडीज़ एल्बोपिक्टस प्रजातियां शामिल हैं। जीका वायरस आमतौर पर हल्का होता है और अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, इस वायरस का असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशु पर देखा गया है।

 

7 दशक पुराना है जीका वायरस

मच्छरजनित जीका वायरस लापरवाही के कारण खतरनाक भी हो सकता है। यहां बता दें कि साल 1947 में युगांडा में सबसे पहले जीका वायरस की पहचान की गई थी। यह छोटे बच्चों के लिए कभी-कभार खतरनाक हो जाता है।

 

जीका वायरस के लक्षण-

  • बुखार
  • शरीर में दाने, लाल धब्बे जो चपटे, उभरे हुए या दोनों हो सकते हैं
  • आर्थ्राल्जिया (जोड़ों का दर्द)
  • कंजंक्टिवाइटिस (लाल, सूजी हुई आंखें)
  • सिरदर्द

 

जीका वायरस से बचाव

जीका वायरस से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका उन देशों की यात्रा न करना है, जहां जीका के मामले सामने आ रहे हों। मच्छरों को काटने से रोकने के लिए लंबी बाजू वाली शर्ट और लंबी पैंट पहनें। जितना संभव हो घर के अंदर ही रहें और वातानुकूलित कमरों में रहें। मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। गर्भवती महिलाएं डीईईटी या पिकार्डिन वाले बग स्प्रे के इस्तेमाल से खुद को सुरक्षित रख सकती हैं।

 

जीका वायरस का इलाज

जीका वायरस संक्रमण का इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है, जो ज्यादातर लोगों में हल्के होते हैं। ऐसे में इसके इलाज के तौर पर डॉक्टर आपको आराम करने, खूब सारे तरल पदार्थ पीने और बुखार के लिए एसिटामिनोफेन लेने की सलाह दे सकते हैं।

 

WHO की प्रतिक्रिया

डब्ल्यूएचओ प्रकोप की पुष्टि करने वाले देशों का समर्थन करता है, मच्छर जनित बीमारियों के प्रबंधन पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है, उपकरण और रणनीति विकसित करता है, प्रशिक्षण प्रदान करता है, और जीका वायरस की निगरानी, निदान और नियंत्रण बढ़ाने के लिए सदस्य राज्यों के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित करता है।

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National Film Awards 2023: 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के विजेताओं की पूरी सूची

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69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं की सूची 24 अगस्त, 2023 को जारी की गई। भारत में सिनेमा जगत के कलाकारों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। 69वें नेशनल फिल्म पुरस्कार (69th National Film Festival) के विनर्स की घोषणा नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में की गई। भारत में सिनेमा जगत की हस्तियों को उनकी शानदार परफॉर्मेंस के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। वहीं बीते दिन अलग-अलग कैटेगिरीज में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा की गई। जहां इस बार बेस्ट एक्ट्रेस के लिए आलिया भट्ट और कृति सेनन ने बाजी मारी तो बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड पुष्पा यानी अल्लू अर्जुन ने जीता।

भारत में प्रसिद्ध राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वर्ष साल 1954 में शुरू किया गया था। इस पुरस्कार सम्मान समारोह को भारत सरकार के फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा आयोजित किया जाता है। आपको बता दें कि इस समारोह में कैलेंडर वर्ष 2021 में विभिन्न भाषाओं में निर्मित सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्मों की विभिन्न कैटेगोरी में विजेताओं की घोषणा की गई। 69वें राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड्स 2023 के लिए इस बार की ज्यूरी में यतेंद्र मिश्रा, केतन मेहता, नीरज शेखर, बसंत साईं और नानू भसीन शामिल हैं।

 

69वें नेशनल अवॉर्ड्स विनर्स की कंप्लीट लिस्ट

  • बेस्ट फीचर फिल्म: रॉकेट्री
  • बेस्ट निर्देशक: निखिल महाजन, गोदावरी
  • बेस्ट पॉपुलर फिल्म प्रोवाइडिंग होलसम एंटरटेनमेंट: आरआरआर
  • राष्ट्रीय एकता पर बेस्ट फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त पुरस्कार: द कश्मीर फाइल्स
  • बेस्ट एक्टर: अल्लू अर्जुन (पुष्पा)
  • बेस्ट एक्ट्रेस: आलिया भट्ट( गंगूबाई काठियावाड़ी) और कृति सेनन ( मिमी)
  • बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर: पंकज त्रिपाठी ( मिमी)
  • बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस: पल्लवी जोशी ( द कश्मीर फाइल्स)
  • बेस्ट चाइल्ट आर्टिस्ट: भाविन रबारी ( छैलो शो)
  • बेस्ट स्क्रीनप्ले (ओरिजनल): शाही कबीर ( नयट्टू)
  • बेस्ट स्क्रीनप्ले (एडेप्टेड): संजय लीला भंसाली और उत्कर्षिनी वशिष्ठ (गंगूबाई काठियावाड़ी)
  • बेस्ट डायलॉग राइटर: उत्कर्षिनी वशिष्ठ और प्रकाश कपाड़िया (गंगूबाई काठियावाड़ी)
  • बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर (स़ॉन्गस): देवी श्री प्रसाद ( पुष्पा)
  • बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (बैकग्राउंड म्यूजिक): एमएम कीरावनी (आरआरआर)
  • बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर: काला भैरव ( आरआरआर)
  • बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर: श्रेया घोषाल, इराविन निज़ल
  • बेस्ट लिरिक्स: चंद्रबोस, कोंडा पोलम का धम धम धम
  • बेस्ट हिंदी फिल्म: सरदार उधम
  • बेस्ट कन्नड़ फिल्म: 777 चार्ली
  • बेस्ट मलयालम फिल्म: होम
  • बेस्ट गुजराती फिल्म: छैलो शो
  • बेस्ट तमिल फिल्म: कदैसी विवासयी
  • बेस्ट तेलुगु फिल्म: उप्पेना
  • बेस्ट मैथिली फिल्म: समानान्तर
  • बेस्ट मिशिंग फिल्म: बूम्बा राइड
  • बेस्ट मराठी फिल्म: एकदा काय जाला
  • बेस्ट बंगाली फिल्म: कल्कोक्खो
  • बेस्ट असमिया फिल्म: अनुर
  • बेस्ट मेइतिलोन फिल्म: इखोइगी यम
  • बेस्ट उड़िया फिल्म: प्रत्यक्षा
  • इंदिरा गांधी अवॉर्ड फॉर बेस्ड डेब्यू फिल्म ऑफ डायरेक्टर: मेप्पडियन, विष्णु मोहन
  • सामाजिक मुद्दों पर बेस्ट फिल्म: अनुनाद – द रेज़ोनेंस
  • बेस्ट फिल्म ऑन एनवायरमेंट कंजर्वेशन/प्रिजर्वेशन: आवासव्यूहम
  • बेस्ट बाल फिल्म: गांधी एंड कंपनी
  • बेस्ट ऑडियोग्राफी (लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट): अरुण असोक और सोनू केपी, चविट्टू
  • बेस्ट ऑडियोग्राफी (साउंड डिजाइनर): अनीश बसु, झिल्ली
  • बेस्ट ऑडियोग्राफी (री-रिकॉर्डिस्ट ऑफ द फाइनल मिक्स्ड ट्रैक): सिनॉय जोसेफ, सरदार उधम
  • बेस्ट कोरियोग्राफी: प्रेम रक्षित, आरआरआर
  • बेस्ट सिनेमाटोग्राफी: अविक मुखोपाध्याय, सरदार उधम
  • बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनर: वीरा कपूर हां, सरदार उधम
  • बेस्ट स्पेशल इफेक्ट्स: श्रीनिवास मोहन, आरआरआर
  • बेस्ट प्रोडक्शन डिज़ाइन: दिमित्री मलिक और मानसी ध्रुव मेहता, सरदार उधम
  • बेस्ट एडीटिंग: संजय लीला भंसाली, गंगूबाई काठियावाड़ी
  • बेस्ट मेकअप: प्रीतिशील सिंह, गंगूबाई काठियावाड़ी
  • बेस्ट स्टंट कोरियोग्राफी: किंग सोलोमन, आरआरआर
  • स्पेशल जूरी पुरस्कार: शेरशाह, विष्णुवर्धन
  • स्पेशल मेंशन: 1. स्वर्गीय श्री नल्लंदी, कदैसी विवासयी 2. अरन्या गुप्ता और बिथन बिस्वास, झिल्ली 3. इंद्रांस, होम 4. जहांआरा बेगम, अनुर
  • बेस्ट नॉनफीचर फिल्म: एक था गांव
  • बेस्ट डायरेक्शन (नॉन-फीचर फिल्म): बकुल मटियानी, स्माइल प्लीज़
  • बेस्ट डेब्यू नॉन फीचर फिल्म ऑफ ए डायरेक्टर: पांचिका, अंकित कोठारी
  • बेस्ट एंथ्रोपोलॉजिकल फिल्म: फायर ऑन एज
  • बेस्ट बायोग्राफिकल फिल्म: 1. रुखु मतिर दुखु माझी, 2. बियॉन्ड ब्लास्ट
  • बेस्ट आर्ट्स फ़िल्में: टी.एन. कृष्णन बो स्ट्रिंग्स टू डिवाइन
  • सबेस्ट साइंड एंड टेक्नोलॉजी फ़िल्में: एथोस ऑफ़ डार्कनेस
  • बेस्ट प्रमोशनल फिल्म: लुप्तप्राय विरासत ‘वर्ली आर्ट’
  • बेस्ट पर्यावरण फिल्म (नॉन-फीचर फिल्म): मुन्नम वलावु
  • सामाजिक मुद्दों पर बेस्ट फिल्म (नॉन-फीचर फिल्म): 1. मिट्ठू दी, 2. थ्री टू वन
  • बेस्ट इंवेस्टिगेटिव फिल्म: लुकिंग फॉर चालान
  • बेस्ट एक्सप्लोरेशन फिल्म: आयुष्मान
  • बेस्ट एजुकेशनल फिल्म: सिरपिगलिन सिरपंगल
  • बेस्ट शॉर्ट फिक्शन फिल्म: दाल भात
  • बेस्ट एनिमेशन फिल्म: कंदित्तुंडु
  • बेस्ट फिल्म ऑफ फैमिली वैल्यूज: चांद सांसे
  • बेस्ट सिनेमैटोग्राफी (नॉन-फीचर फिल्म): बिट्टू रावत, पाताल
  • बेस्ट ऑडियोग्राफी (री-रिकॉर्डिस्ट ऑफ द फाइनल मिक्स्ड ट्रैक) (नॉन-फीचर फिल्म): उन्नी कृष्णन, एक था गांव
  • बेस्ट प्रोडक्शन साउंड रिकॉर्डिस्ट (लोकेशन/सिंक साउंड) (नॉन-फीचर फिल्म): सुरुचि शर्मा, मीन राग
  • बेस्ट एडीटिंग (नॉन-फीचर फिल्म): अभ्रो बनर्जी, इफ मेमोरी सर्व्स मी राइट
  • बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (नॉन-फीचर फिल्म): ईशान दिवेचा, सक्सेलेंट
  • बेस्ट नैरेशन/वॉयस ओवर नॉन-फीचर फिल्म): कुलदा कुमार भट्टाचार्जी, हाथीबंधु
  • स्पेशल मेंशन (नॉन-फीचर फिल्म): 1. अनिरुद्ध जटकर, बाले बंगारा, 2. श्रीकांत देवा, करुवराई, 3. स्वेता कुमार दास, द हीलिंग टच, 4. राम कमल मुखर्जी, एक दुआ
  • स्पेशल जूरी पुरस्कार (नॉन-फीचर फिल्म): शेखर बापू रणखंबे, रेखा
  • सिनेमा पर बेस्ट पुस्तक: म्यूजिक बाय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल: द इनक्रेडिबली मेलोडियस जर्नी बाय राजीव विजयकर
  • बेस्ट फ़िल्म क्रिटिक: पुरूषोत्तम चार्युलु
  • बेस्ट फ़िल्म क्रिटिक (स्पेशल मेंशन): सुब्रमण्य बंडूर

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Ratan Tata conferred with Maharashtra govt.'s 'Udyog Ratna' award_110.1

कोलकाता शहर ने अपनाया एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूज़)

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कोलकाता शहर ने महत्वपूर्ण कदम उठाकर भारतीय ट्रॉपिकल मीटरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (आईआईटीएम), पुणे द्वारा विकसित एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूज़) को अपनाया है। यह सिस्टम वास्तविक समय में वायु प्रदूषण डेटा और पूर्वानुमान दोनों प्रदान करता है, शहर के अधिक बढ़ते वायु प्रदूषण स्तरों के साथ निपटने के उपायों को बढ़ावा देने और सुरक्षित रहने की क्षमता को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है।

कोलकाता में एक्यूज़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की निगरानी करने के लिए एक जटिल सेंसर नेटवर्क से लैस है। यह एक्यूआई एक मानकीकृत माप है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर की मूल्यांकन के लिए उपयोग होता है, जिसमें मूल्य 0 से 500 तक की रेंज में होते हैं। उच्च एक्यूआई अधिक प्रदूषित वायु और बढ़ी हुई स्वास्थ्य समस्या को दर्शाता है।

एक्यूज़ इस डेटा को प्रदान करता है जो प्रदूषकों की घनत्व का विश्लेषण करके प्राप्त होता है, जैसे कि PM2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे आकार के पर्टिकल मैटर), जिसे गहरे फेफड़ों में प्रवेश करने की क्षमता के कारण स्वास्थ्य समस्याओं के मुख्य कारक के रूप में पहचाना गया है।

कोलकाता शहर का मुख्य दुष्प्रदूषक पीएम2.5 आदि के कारण गंभीर स्तर के वायु प्रदूषण का सामना कर रहा है। एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूज़) के अनुसार, हाल की मापनों में शहर ने 74 के एक्यूआई का दर्ज किया है, और यह 30 अगस्त तक 170 से अधिक होने की पूर्वानुमान है। ऐसे पूर्वानुमान ने कोलकाता में वायु प्रदूषण को समस्या के रूप में देखने की तत्परता को और प्रभावी हस्तक्षेपों की दिशा में सुचना सिस्टमों की भूमिका को उजागर किया है।

एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूज़) राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता नेटवर्क से डेटा और उपग्रह स्रोतों से डेटा का उपयोग सटीक पूर्वानुमान उत्पन्न करने के लिए करता है। सिस्टम की सटीकता का प्रयोग उसके प्रायोगिक चरण में किया गया, जिसकी शुरुआत सितंबर 2022 में हुई थी। 420 वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशनों से डेटा को सम्मिलित करने से एक्यूज़ पूरी और समग्र दृष्टिकोण से वायु गुणवत्ता मूल्यांकन की सुनिश्चितता होती है।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री: भूपेंद्र यादव

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पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना ने ई-गवर्नेंस 2023 के लिए जीता राष्ट्रीय पुरस्कार

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पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रारंभ की गई स्वामित्व (सर्वे ऑफ विलेज आबादी एंड मैपिंग विथ इम्प्रूव्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरियास) योजना को 2023 में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार (स्वर्ण) से सम्मानित किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य नवाचारी तकनीकों का प्रयोग करके नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्रदान करना है।

यह सम्मान भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और सार्वजनिक शिकायतों विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा आयोजित की गई मध्य प्रदेश के इंदौर में 26वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन (एनसीजी) के दौरान प्रस्तुत किया गया था।

The SVAMITVA honored with the prestigious National Award for e-Governance 2023.
The SVAMITVA honored with the prestigious National Award for e-Governance 2023.

ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन का महत्व

दो-दिन की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन (एनसीजी) का आयोजन संचालन सुधार और सार्वजनिक शिकायतों विभाग (डीएआरपीजी) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मीटीवाईटी) ने मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया था।

इस आयोजन का थीम “Viksit Bharat, Empowering Citizens,” था और इसका उद्देश्य उच्चतम स्तर की तकनीकों, प्रभावी ई-गवर्नेंस रणनीतियों और विभिन्न हितधारकों के बीच ज्ञान साझा करने का था। इंदौर, मध्य प्रदेश में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस सम्मेलन ने नवाचारी तकनीकों पर आलोचना करने और ई-गवर्नेंस पहलुओं को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मंच का कार्य किया।

संघीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, साथ ही भारत सरकार और राज्य सरकारों के प्रमुख महत्वपूर्ण व्यक्तित्व और वरिष्ठ अधिकारी, सक्रिय रूप से 26वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में भाग लिए। इस आयोजन में पांच विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कारों की प्रस्तुति शामिल थी:

  • डिजिटल परिवर्तन के लिए सरकारी प्रक्रिया फिर से तैयार
  • नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग
  • ई-गवर्नेंस के लिए जिला स्तरीय पहल
  • शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा नागरिक-केंद्रित सेवाओं पर अनुसंधान
  • स्टार्ट-अप द्वारा ई-गवर्नेंस में उभरती प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग

सम्मेलन ने ई-गवर्नेंस में नवीनतम तकनीकी प्रगति पर चर्चा को प्रभावी ढंग से बढ़ावा दिया, जो सीखने और सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है।

स्वामित्व योजना के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना

स्वामित्व योजना, पंचायती राज मंत्रालय की उपज है, जो गांव में बसे व्यक्तियों को संपत्ति मालिकी के अधिकार प्रदान करने का एक क्रांतिकारी पहलू है। नवाचारी ड्रोन और भूगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) तकनीकों का उपयोग करके, यह योजना संपत्ति कार्ड की सृजना को सुविधाजनक बनाती है, जिससे ग्रामीण संपत्ति मालिक अपने आवासीय संपत्ति की संभावनाओं को खोल सकते हैं। ये संपत्ति कार्ड बैंक ऋण और अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त करने में महत्वपूर्ण हैं, साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले, 5 सेमी की संकल्पना वाले मानचित्रों के उत्पादन के माध्यम से भूमि संबंधित विवादों के समाधान में योगदान करते हैं।

यह योजना प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन भागीदार के रूप में भारतीय सर्वेक्षण, राज्य राजस्व और पंचायती राज विभागों और एनआईसी-जीआईएस को शामिल करते हुए सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से निष्पादित की जाती है।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के मंत्री: श्री गिरिराज सिंह

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विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले बने पहले भारतीय नीरज चोपड़ा

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नीरज चोपड़ा ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए, जो भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नीरज के असाधारण प्रदर्शन को उनके दूसरे प्रयास के दौरान 88.17 मीटर के उल्लेखनीय थ्रो से उजागर किया गया था।इस उत्कृष्ट उपलब्धि ने इस आयोजन में उनके कौशल और प्रभुत्व का प्रदर्शन किया, जिससे वैश्विक दावेदार के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई।

पाकिस्तान के अरशद नदीम, वर्तमान में कॉमनवेल्थ गेम्स के चैम्पियन, ने 87.82 मीटर के सीजन के सर्वश्रेष्ठ परिणाम के साथ रजत पदक जीता, जबकि चेक गणराज्य के जैकुब वडलेज्च ने 86.67 मीटर के साथ कांस्य पदक जीता। बुदापेस्ट में आयोजित 12-मेन जैवलिन थ्रो फाइनल में दूसरे दो भारतीय खिलाड़ियों ने भी प्रभावशाली परिणाम हासिल किए। किशोर जेना ने 84.77 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ पांचवां स्थान और डीपी मनु 84.14 मीटर के साथ छठवे स्थान पर रहे।

नीरज ने मुश्किल मुकाबला का सामना किया, खासकर पाकिस्तान के अरशद नदीम से, जिन्होंने 87.82 मीटर की प्रशंसानीय फेंक के साथ रजत पदक प्राप्त किया। दोनों के बीच का मुकाबला इस प्रतियोगिता की तीव्रता को प्रदर्शित करता है।

नीरज का स्वर्ण पदक ने उनके व्यक्तिगत रिकॉर्ड में सिर्फ माननीय उपलब्धि नहीं जोड़ी, बल्कि भारत की विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में मेडल तालिका में भी योगदान किया। यह उनकी दूसरी मेडल जीत थी, उनके पास पहले एक रजत पदक भी था।

विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 पुरुष भाला फेंक फाइनल रिजल्ट

Position Athlete Distance
1 Neeraj Chopra (IND) 88.17m
2 Arshad Nadeem (PAK) 87.82m
3 Jakub Vadlejch (CZE) 86.67m
4 Julian Weber (GER) 85.79m
5 Kishore Jena (IND) 84.77m
6 Manu DP (IND) 84.14m
7 Oliver Helander (FIN) 83.38m
8 Edis Matusevicius (LTU) 82.29m
9 Dawid Wegner (POL) 80.75m
10 Ihab Abdelrahman (EGY) 80.64m
11 Andrian Mardare (MDE) 79.66m
12 Timothy Herman (BEL) 74.56m

 

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Neeraj Chopra Makes History as First Indian to Secure Gold at World Athletics Championships_100.1

अमृत माथुर की आत्मकथा ‘पिचसाइड: माई लाइफ इन इंडियन क्रिकेट’

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लंबे समय तक क्रिकेट प्रशासक रहे अमृत माथुर की किताब ‘पिचसाइड : माई लाइफ इन इंडियन क्रिकेट’ में, मिस्टर मथुर ने भारतीय क्रिकेट के कुछ सबसे यादगार पलों के अंदरूनी पहलू को जीवंत किया है। किस्से, घटनाएँ और मैच एक ऐसे अंदरूनी दृष्टिकोण से वर्णित किए गए हैं, जिन्होंने तीन दशकों से ज्यादा का समय गेम और खिलाड़ियों के करीब से देखा है। एक अनुभवी क्रिकेट प्रशासक, मिस्टर मथुर 1992 में भारत टीम के प्रबंधक थे, जब वे दक्षिण अफ्रीका की ऐतिहासिक यात्रा पर गए थे। बाद में, उन्होंने 1996 क्रिकेट विश्व कप के लिए PILCOM, संगठन समिति का हिस्सा बना, उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और बीसीसीआई के महाप्रबंधक के रूप में भी काम किया।

मिस्टर मथुर की “Pitchside: My Life in Cricket” पुस्तक पाठकों को टीम के आंतरिक कार्यप्रणाली की अद्वितीय झलक प्रदान करती है, जहां उन्होंने दिलचस्प बातचीतों, ड्रेसिंग रूम की माहौल, टीम मीटिंगों की चर्चाएँ, और पिच के अंदर-बाहर के क्षणों के बारे में बताया है। यहाँ से शुरू होकर 1992 में दक्षिण अफ्रीका में फ्रेंडशिप टूर से लेकर 2002 में इंग्लैंड में नैटवेस्ट सीरीज जीत तक, ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप 2003 में दक्षिण अफ्रीका, 2004 में पाकिस्तान की इंडिया यात्रा से लेकर 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत तक की प्रमुख क्षणों की विवरणित कहानी प्रस्तुत की है।

‘पिचसाइड: माई लाइफ इन इंडियन क्रिकेट’ के बारे में

1992 में, जब बीसीसीआई के अध्यक्ष माधवराव सिंधिया ने अमृत मथुर को दक्षिण अफ्रीका की ऐतिहासिक यात्रा पर भारतीय टीम के प्रबंधक के रूप में चुना, तो उन्होंने उस स्थिति को संभालने वालों में से एक बन गए, और उन्होंने इस दौरान एक अत्यंत कम उम्र में इस पद को संभाला। उन तीन दशकों के बाद, मथुर एक अनुभवी क्रिकेट प्रशासक बन गए, जो बीसीसीआई के अध्यक्षों और राज्य क्रिकेट संघों के साथ नजदीकी संवाद में काम कर रहे थे। उन्होंने आईपीएल के लिए प्रारंभिक योजनाओं को आकार देने में भी भाग लिया और दिल्ली डेयरडेविल्स में महत्वपूर्ण पद को संभाला।

भारत और विदेश में कई यात्राओं और क्रिकेट सीजनों के दौरान, मथुर ने एक डायरी और दिन के खेल के साथ साथ पिच के बाहर की बातचीतों और घटनाओं के विस्तृत नोट्स बनाए रखे। वे इनके आधार पर हमें दिखाते हैं कि परदे के पीछे क्या हुआ, जिससे हमें मैदान पर खेलने के उत्साह के साथ-साथ ड्रेसिंग रूम की बातचीत, टीम की बैठकों और चर्चाओं का अनुभव करने की अनुमति मिलती है।

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PS Sreedharan Pillai Released Three New Books on Nature, Trees, and Geopolitics_110.1

दिग्गज मराठी अभिनेत्री सीमा देव का 81 साल की उम्र में निधन

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प्रमुख अभिनेत्री सीमा देव, जिन्हें उनकी भूमिकाओं के लिए ‘आनंद’ और ‘कोरा कागज़’ में याद किया जाता है, मुंबई में आयु-संबंधित बीमारियों के कारण निधन हो गया, उनकी आयु 81 वर्ष थी। सीमा देव ने करियर के छह दशकों से अधिक समय के लिए भारतीय फिल्म उद्योग के काले-सफेद दौर से लेकर रंगीन युग तक करीब 90 हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें उनकी प्रमुख भूमिका के लिए ‘आनंद’ में, उनके पति रमेश के साथ, और अमिताभ बच्चन सहित अन्य अभिनेताओं के साथ म्यूजिकल ब्लॉकबस्टर ‘आनंद’ में बड़े पैमाने पर याद किया जाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध मराठी फिल्में ‘जगच्या पाठीवर’, ‘वर्दक्षिणा’, और बहुत सी अन्य हैं। उन्होंने 2021 में रिलीज़ हुई ‘जीवन संध्या’ में अपने अंतिम अभिनय का किया था।

सीमा देव के करियर के बारे में :

  • वह 27 मार्च 1942 को गिरगांव, मुंबई में नलिनी सराफ के नाम से पैदा हुई थी।
  • उन्होंने 1962 में मराठी फिल्म “जगच्या पाठीवर” में अपने फिल्म का आगमन किया।
  • उन्होंने 90 से अधिक हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें “आनंद” (1971), “कोरा कागज़” (1974), “अपराध” (1975), “जानकी” (1977), “बेजुबान” (1980), “कोशिश” (1982), और “संसार” (1987) शामिल हैं।
  • उन्होंने 1966 से 2021 तक अभिनेता रमेश देव से विवाह किया था। उनके दो बेटे है, अभिनेता अजिंक्य देव और निर्देशक अभिनय देव।
  • उन्हें 2022 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सीमा देव एक ऐतिहासिक अभिनेत्री थी जो विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं को निभा सकती थी। उन्हें उनकी मधुर और सुंदर व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था, और वे अक्सर प्यारी बहन, बहू या माँ की भूमिका निभाती थीं। हालांकि, वे मजबूत और परिकल्पनाशील पात्रों को भी निभा सकती थीं, जैसा कि “आनंद” में उनकी प्रस्तुति से साबित होता है।

वह एक समर्पित और मेहनती अभिनेत्री थीं जो अपने कला में उत्सुक थीं। वह एक प्रतिभाशाली और साहसी अभिनेत्री के रूप में याद की जाएंगी, जिन्होंने हिंदी और मराठी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

यहाँ उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं:

  • जगाच्या पाथिवर (1962)
  • आनंद (1971)
  • कोरा कागज़ (1974)
  • अप्रध (1975)
  • जानकी (1977)
  • बेज़ुबान (1980)
  • कोशिश (1982)
  • संसार (1987)
  • जीवन संध्या (2021)

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Veteran Marathi actress Seema Deo passes away at 81_100.1

पीएम मोदी ने ग्रीस यात्रा के दौरान अज्ञात सैनिक की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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ग्रीस की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथेंस में ‘अज्ञात सैनिकों के मकबरे’ को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह इशारा उनके यूरोपीय दौरे के दौरान राजनयिक गतिविधियों की एक श्रृंखला के बीच हुआ, जिसमें वैश्विक साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया।

ग्रीस की अपनी यात्रा से पहले, प्रधान मंत्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन ने विभिन्न विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया, जिससे इन देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंधों को मजबूती मिली। इसके बाद, मोदी की यात्रा उन्हें ग्रीस ले गई, जहां उन्होंने राजनयिक व्यस्तताओं से भरे कार्यक्रम की शुरुआत की।

एथेंस के सिंटाग्मा स्क्वायर में स्थित ‘अज्ञात सैनिक का मकबरा’ ग्रीक सैनिकों के लिए एक मार्मिक श्रद्धांजलि के रूप में खड़ा है, जिन्होंने विभिन्न संघर्षों में अपने जीवन का बलिदान दिया। ओल्ड रॉयल पैलेस के सामने स्थित, यह स्मारक गहरा ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह अनाम सैनिकों की वीरता और बलिदान को याद करता है जिन्होंने विभिन्न युद्धों के दौरान अपने राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन दिया।

श्रद्धांजलि के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी की एथेंस यात्रा के दौरान कई राजनयिक बातचीत भी हुई। उन्होंने ग्रीस की राष्ट्रपति कैटरीना सकेलारोपोलू से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया। इसके अतिरिक्त, प्रधान मंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस के साथ बातचीत का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग और समझ को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री मोदी की ग्रीस यात्रा आधिकारिक बैठकों से परे थी। उन्होंने आर्थिक साझेदारी की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए दोनों देशों के व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की। इसके अलावा, ग्रीस में भारतीय समुदाय के साथ उनकी बातचीत ने दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।

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