जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने भारत की वृद्धि संभावनाओं को लेकर नीति निर्माताओं के अनुमानों को गलत बताते हुए कहा है कि 2023-24 में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह जाएगी। इसके पीछे नोमुरा ने तर्क दिया है कि भारत के नीति निर्माता वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभावों को कम आंक रहे हैं। नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ने नीति-निर्माताओं, कॉरपोरेट क्षेत्र के लोगों, वाणिज्यिक बैंकों और राजनीतिक विशेषज्ञों के साथ सप्ताह भर तक चली बैठकों के बाद कहा कि 2022-23 के लिए उनका वृद्धि अनुमान सात फीसदी है (जो आरबीआई के अनुमान के अनुरूप है) लेकिन 2023-24 वृद्धि दर बड़ी गिरावट के साथ 5.2 प्रतिशत रहेगी।
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नोमुरा के अर्थशास्त्री का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के लिए हमारा अनुमान आरबीआई के विकास दर के अनुमान के अनुरूप ही है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रहे धीमेपन के चलते अगले वित्त वर्ष की विकास दर का अनुमान गलत साबित हो सकता है। नोमुरा का कहना है चालू वित्त वर्ष में औसत महंगाई की दर 6.8 प्रतिशत रह सकती है, यह आरबीआई की ओर से लगाए गए महंगाई दर के अनुमान 6.7 प्रतिशत से 0.1 प्रतिशत अधिक है। हालांकि अगले वित्त वर्ष में यह घटकर 5.4 प्रतिशत रह जाएगी।
नोमुरा का मानना है कि अगली मॉनिटरी पॉलिसी में महंगाई को काबू करने हेतु आरबीआई एक बार फिर से ब्याज दर में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। इसके साथ ही फरवरी में भी ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत का वृद्धि किया जा सकता है। बता दें, इससे पहले बीते पांच महीनों में आरबीआइ ब्याज दर में 1.90 प्रतिशत का वृद्धि कर चुका है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- आरबीआई गवर्नर: शक्तिकांत दास
- केंद्रीय वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण