लुईस कैफरेली को 2023 का एबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार गणित में नॉनलीनियर पार्शियल इक्वेशंंस और फ्री-बाउंड्री प्रॉब्लम को लेकर दिए गए योगदान के लिए दिया गया है। गणित के इस सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार को नोबेल प्राइज के बराबर माना जाता है। पहली बार यह अवॉर्ड 2003 में जिएन पियरे को गणित के कई हिस्सों को आधुनिक बनाने हेतु दिया गया था।
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जानें एबेल को गणित का नोबेल क्यों कहते हैं ?
एबेल पुरस्कार की शुरुआत जाने-माने गणितज्ञ नील्स हेरनिक के सम्म्मान में हुई। नार्वे की सरकार ने 2001 में इस पुरस्कार की शुरुआत की और 2003 में पहला पुरस्कार जिएन पियरे को दिया गया। पुरस्कार पाने वाले विजेता को मेडल के साथ 4 करोड़ 72 लाख रुपए की नकद धनराशि दी जाती है। एबेल को गणित को नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। इसकी दो वजह हैं, पहली यह कि गणित में नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता। दूसरा, एबेल दुनियाभर में गणित का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। हर साल एक या इससे अधिक लोगों को गणित में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। यही वजह है कि इसे गणित का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।
एबेल पुरस्कार के विजेता का चुनाव
एबेल पुरस्कार के विजेता का चुनाव गणित के विशेषज्ञों की एक टीम करती है। इन्हें अंतरराष्ट्रीय गणितीय संघ (IMU) और यूरोपीय गणितीय सोसायटी (EMS) की सलाह के तहत नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा नियुक्त किया जाता है।
लुईस कैफरेली के बारे में
र्जेंटीना के पले-बढ़े लुईस साउथ अफ्रीका से एबेल पुरस्कार पाने वाले पहले विजेता बन गए हैं। लुईस टेक्सास यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। उनकी शादी अर्जेंटीना की गणितज्ञ इरेन गैम्बा से हुई और वो टेक्सास यूनि वर्सिटी में पढ़ती हैं। 1948 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे लुइस कैफरेली ने देश में पीएचडी करने के बाद अमेरिका का रुख किया। 1973 में उन्होंने प्रिंसटन, न्यू जर्सी समेत कई एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में काम किया। इसके बाद टेक्सास यूनिवर्सिटी जॉइन की।