भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने 55वें स्थापना दिवस पर 15 अगस्त 2024 को पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-08 (ईओएस -08) प्रक्षेपित करेगा। इसरो का गठन 15 अगस्त 1969 को भारत सरकार की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में किया गया था।
ईओएस -08 उपग्रह को इसरो के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी)-डी3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। यहाँ, डी का अर्थ विकासात्मक है।उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से प्रक्षेपित किया जाएगा।
पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-08 (ईओएस -08) के बारे में
- ईओएस -08 एक रिमोट-सेंसिंग माइक्रो सैटेलाइट है जिसका द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम है। इसे 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर सर्कुलर लो-अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में स्थापित किया जाएगा। उपग्रह का जीवन लगभग 1 वर्ष होगा ।
- इस उपग्रह में उपग्रह-आधारित आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाने,औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन जैसे अनुप्रयोगों के लिए मिड-वेव और लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड बैंड में दिन और रात दोनों के दौरान छवियों को लेने की क्षमता है।
- उपग्रह समुद्र की सतह की हवा का विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालय क्षेत्र पर क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाने और अंतर्देशीय जल निकाय का पता लगाने में मदद करेगा।
ईओएस-08 मिशन का मुख्य उद्देश्य
ईओएस-08 मिशन का मुख्य उद्देश्य एक सूक्ष्म उपग्रह की रूपरेखा बनाकर इसे तैयार करना है। इसके अलावा, इस मिशन उद्देश्य सूक्ष्म उपग्रह बस के साथ मेल खाने वाले पेलोड बनाना और भविष्य में संचालित होने वाले उपग्रह कार्यक्रमों के लिए नई तकनीक को तैयार करना है।
ईओएस-08 में रखे गए हैं तीन पेलोड
- ईओएस-08 को सूक्ष्म उपग्रह बस आईएमएस-1 पर तैयार किया गया है और इनमें तीन पेलोड रखे गए हैं। पहला पेलोड को इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड (आईओआईआर) पेलोड है। जबकि दूसरा वैश्विक मार्गदर्शन उपग्रह प्रणाली- परावर्तक (Global Navigation Satellite System-Reflectometry) जीएनएसएस-आर पेलोड है।
- तीसरे पेलोड को एसआईसी यूवी डोसीमीटर नाम दिया गया है। आईओआईआर पेलोड को तस्वीरें खींचने के लिए तैयार किया गया है। यह पेलोड लंबी और मध्यम इन्फ्रारेड तरंगदैर्घ्य में दिन और रात के समय तस्वीरें खींच सकता है।
- इसके अलावा जीएनएसएस-आर पेलोड, समुद्र की सतह की हवा का विश्लेषण करने, मिट्टी की नमी का आकलन करने और बाढ़ का पता लगाने का काम करेगा। वहीं, एसआईसी यूवी डोसीमीटर गगनयान मिशन में पराबैंगनी विकिरण की निगरानी करेगा।