भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 1 अगस्त, 2025 को लद्दाख में 10-दिवसीय उच्च-ऊंचाई वाले आइसोलेशन प्रयोग का शुभारंभ किया। 14,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित यह मिशन, चंद्रमा या मंगल ग्रह पर लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों के सामने आने वाली चरम स्थितियों का अनुकरण करता है। यह पहल भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और भविष्य के अंतरग्रहीय अन्वेषण की तैयारियों का एक हिस्सा है।
होप: भारत की अंतरिक्ष समरूप अनुसंधान सुविधा
लद्दाख के त्सो कर के पास स्थित Himalayan Outpost for Planetary Exploration (HOPE) मिशन को इसरो ने गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन का अभ्यास करने हेतु शुरू किया है। इसे बेंगलुरु स्थित स्पेस टेक्नोलॉजी फर्म Protoplanet ने बनाया है और इसका उद्घाटन इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने मिशन शुरू होने से एक दिन पहले किया।
क्यों चुना गया HOPE?
इस स्थान की चंद्रमा-सदृश चट्टानी सतह, ठंडी मरुस्थलीय जलवायु और कम ऑक्सीजन स्तर, इसे अंतरिक्ष जैसे तनावपूर्ण वातावरण का आदर्श स्थल बनाते हैं। रात के समय तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है, जिससे चुनौती और बढ़ जाती है।
दो सदस्यीय क्रू
135 आवेदकों में से चुने गए:
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राहुल मोगलापल्ली – पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (PhD उम्मीदवार)
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यमन अकोट – यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन से ग्रह विज्ञान स्नातक
चयन मापदंड:
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चिकित्सकीय फिटनेस
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मानसिक सहनशक्ति
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सीमित वातावरण में अनुभव
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15 दिनों का ऊंचाई पर अनुकूलन प्रशिक्षण भी लिया गया
मिशन के उद्देश्य
मिशन का लक्ष्य उच्च ऊंचाई, पृथकता और कठोर परिस्थितियों में मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर प्रभावों का अध्ययन करना है:
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शारीरिक स्वास्थ्य निगरानी – रक्त, मूत्र, मल के नमूने लेकर तनाव पर जैविक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण
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मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन – मूड, नींद, स्मृति और सामाजिक व्यवहार का अवलोकन
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ऑपरेशनल रेडीनेस – अंतरिक्ष यात्री जैसी दिनचर्या का अभ्यास: कार्य अनुसूचियां, व्यायाम, मिशन कंट्रोल संवाद
यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसी दिनचर्या को प्रतिबिंबित करता है और गगनयान के साथ-साथ चंद्र और मंगल अभियानों की योजना में मदद करेगा।
दुनिया के अन्य स्पेस एनालॉग मिशन
| मिशन | देश | विशेषता |
|---|---|---|
| Mars Desert Research Station | अमेरिका | रेगिस्तानी वातावरण में अभ्यास |
| Flashline Mars Arctic Station | कनाडा | आर्कटिक क्षेत्र का अध्ययन |
| HI-SEAS | हवाई | मनोवैज्ञानिक अध्ययन |
| SIRIUS | रूस | 340 दिन तक पृथकता प्रयोग |
| ESA CAVES | इटली | भूमिगत प्रशिक्षण |
HOPE की विशेषता यह है कि यह उच्च ऊंचाई + ठंडी मरुभूमि + चंद्र-जैसा भूभाग — तीनों तत्व एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है।
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा में HOPE का योगदान
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गगनयान और भविष्य के चंद्र/मंगल अभियानों के लिए आवश्यक मानव प्रदर्शन आंकड़े प्रदान करेगा।
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भारत अब उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो वास्तविक ग्रह-समरूप सतह पर मिशन सिमुलेशन करते हैं।
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HOPE की स्थापना से ISRO को देश में ही क्रू, उपकरण और संचालन रणनीतियों का परीक्षण करने की क्षमता मिली है — विदेशी सहयोग पर निर्भरता कम होगी।


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