Home   »   सिंधु जल संधि: विश्व बैंक ने...

सिंधु जल संधि: विश्व बैंक ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के अध्यक्ष की नियुक्ति की

सिंधु जल संधि: विश्व बैंक ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के अध्यक्ष की नियुक्ति की |_3.1

विश्व बैंक ने 1960 की सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच असहमति और मतभेदों को देखते हुए किशनगंगा और रातले जलविद्युत संयंत्रों के संबंध में मध्यस्थता न्यायालय के एक अध्यक्ष और एक ‘तटस्थ विशेषज्ञ’ को नियुक्त किया है। विश्व बैंक ने नियुक्तियों की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि उसे भरोसा है कि तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय के सदस्यों के रूप में नियुक्त अत्यधिक योग्य विशेषज्ञ संधि के तहत मिले अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले आदेश पर निष्पक्ष और सावधानीपूर्वक विचार करेंगे।

Bank Maha Pack includes Live Batches, Test Series, Video Lectures & eBooks

विश्व बैंक ने एक बयान में बताया कि माइकल लिनो को तटस्थ विशेषज्ञ और सियान मर्फी को मध्यस्थता अदालत का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है । बयान के अनुसार, वे विषय के विशेषज्ञों के रूप में अपनी व्यक्तिगत क्षमता और स्वतंत्र रूप से उन्हें मिलने वाली किसी भी अन्य नियुक्तियों के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। सिंधु जल संधि के तहत पूर्वी नदियों-सतलुज, व्यास, रावी के पूरे जल का भारत बेरोक टोक इस्तेमाल कर सकता है और पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चेनाब का जल मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित किया गया है।

भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की वार्ता के बाद 1960 में संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस पर विश्व बैंक ने भी हस्ताक्षर किए थे। यह संधि नदियों के इस्तेमाल के संबंध में दोनों देशों के बीच सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान का तंत्र स्थापित करती है। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान ने विश्व बैंक से दो जलविद्युत ऊर्जा परियोजनाओं के डिजाइन को लेकर उसकी चिंताओं पर विचार के लिए मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना करने का अनुरोध किया था, जबकि भारत ने दो परियोजनाओं को लेकर इसी प्रकार की चिंताओं के मद्देनजर एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए कहा था।

 

Find More International News

All About United Nations: UNGA, UNSC_70.1

 

सिंधु जल संधि: विश्व बैंक ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के अध्यक्ष की नियुक्ति की |_5.1