भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वित्त वर्ष 2025 में 73 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश के कारण है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा 2030 तक 3.5 गुना बढ़कर 257.9 अरब डॉलर होने का अनुमान है। यह 3.5 गुना वृद्धि भारत को एशिया के अग्रणी InvIT और REIT बाजारों में शामिल करेगी। इस उछाल के पीछे बढ़ता हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और निवेशकों की सक्रिय भागीदारी मुख्य कारण हैं।
InvITs क्या हैं और क्यों महत्वपूर्ण हैं?
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InvITs ऐसे निवेश साधन हैं जो लंबी अवधि की पूँजी को आकर्षित करने के लिए बनाए गए हैं।
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इनका उपयोग हाईवे, पावर ट्रांसमिशन, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे बड़े बुनियादी ढाँचा प्रोजेक्ट्स में होता है।
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खुदरा और संस्थागत निवेशक इसमें निवेश करके नियमित रिटर्न कमा सकते हैं।
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भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग गैप को पाटने और घरेलू व विदेशी पूँजी प्रवाह बढ़ाने में ये बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।
भारत के InvIT बाज़ार की वृद्धि के प्रमुख कारक
नाइट फ्रैंक के अनुसार, भारत में InvITs की तेज़ी से बढ़ती AUM के पीछे कई कारण हैं:
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संस्थागत निवेश में वृद्धि – विदेशी सॉवरेन वेल्थ फंड्स और वैश्विक पेंशन फंड्स की भागीदारी बढ़ रही है।
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घरेलू योगदान का विस्तार – बीमा और पेंशन फंड्स की हिस्सेदारी अभी 3–5% है, जो आगे और बढ़ने वाली है।
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सार्वजनिक और निजी क्षेत्र से अधिक पूँजी – खासतौर पर परिवहन, लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा में।
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खुदरा निवेशकों में जागरूकता – InvITs अब मुख्यधारा की संपत्ति श्रेणी के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं।
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नीतिगत प्रोत्साहन – सरकार और नियामकों द्वारा पारदर्शिता और स्थिर रिटर्न को बढ़ावा देने वाले सुधार।
सरकार का बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च: मज़बूत नींव
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केंद्र सरकार का कैपेक्स (पूँजीगत व्यय) FY2015 में 12 अरब डॉलर से बढ़कर FY2025 में 75 अरब डॉलर हो गया है (6.2 गुना वृद्धि)।
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जीडीपी में इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च का हिस्सा 0.6% से बढ़कर 2.0% हो गया है।
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यह दिखाता है कि सरकार की रणनीति इंफ्रास्ट्रक्चर-आधारित विकास पर केंद्रित है।
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बड़े सार्वजनिक परियोजनाओं की फंडिंग के लिए अब निजी और संस्थागत पूँजी पर अधिक निर्भरता है, जिससे InvITs का महत्व और बढ़ गया है।
InvITs और भारत की 7 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
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भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने।
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इसके लिए 2.2 ट्रिलियन डॉलर का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश आवश्यक होगा।
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InvITs को इस लक्ष्य की रीढ़ माना जा रहा है, क्योंकि ये घरेलू और वैश्विक दोनों तरह की दीर्घकालिक पूँजी आकर्षित करने में सक्षम हैं।
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इस तरह, InvITs भारत की विकास गाथा में अनिवार्य साधन बनते जा रहे हैं।


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