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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय गिरावट

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो देश की मौजूदा आर्थिक चुनौतियों को दर्शाती है। 10 जनवरी 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 625.87 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले सप्ताह के 634.59 अरब डॉलर से घटा है।

भंडार में गिरावट के कारण क्या हैं?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रुपये को स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे भंडार में कमी आई है। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन ने भी इन हस्तक्षेपों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।

पिछले स्तरों की तुलना में यह स्थिति कैसी है?

सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.89 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर था। हालांकि, इसके बाद लगातार गिरावट जारी है, और कुछ ही महीनों में भंडार लगभग 79 अरब डॉलर घट चुका है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से RBI की मुद्रा स्थिरता बनाए रखने और बाहरी आर्थिक झटकों से निपटने की क्षमता प्रभावित होती है। साथ ही, निवेशक विश्वास पर असर पड़ सकता है और भारत के चालू खाता घाटे (CAD) के वित्तपोषण की क्षमता प्रभावित हो सकती है। RBI ने संकेत दिया है कि मौजूदा भंडार का सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाएगा ताकि आर्थिक चुनौतियों का प्रभावी रूप से सामना किया जा सके।

मुख्य बिंदु विवरण
क्यों खबर में? 10 जनवरी 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 625.87 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले सप्ताह के 634.59 अरब डॉलर से कम है। यह गिरावट रुपये को स्थिर रखने के लिए RBI के हस्तक्षेप और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के कारण हुई है।
सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार (2024) 704.89 अरब डॉलर (सितंबर 2024)
अब तक की कुल गिरावट 79 अरब डॉलर
गिरावट के मुख्य कारण RBI का हस्तक्षेप, रुपये का अवमूल्यन, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता
आर्थिक प्रभाव RBI की मुद्रा स्थिरता बनाए रखने और चालू खाता घाटे (CAD) के वित्तपोषण की क्षमता प्रभावित
नियामक संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
भारत का चालू खाता घाटा व्यापार असंतुलन बढ़ने के कारण और खराब हुआ
पिछले वर्षों की तुलना कोविड-19 के निम्न स्तर (600 अरब डॉलर से कम) से अधिक, लेकिन 2024 के शिखर स्तर से कम
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