कामिकाज़े ड्रोन, जिन्हें लूटिंग म्यूनिशन (Loitering Munitions) या सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार के मानव रहित हवाई वाहन (UAV) हैं, जिन्हें केवल एक बार उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये ड्रोन अपने लक्ष्य से टकराकर विस्फोट करते हैं, जिससे उन्हें पारंपरिक मिसाइलों और पुनःप्रयुक्त ड्रोन से अलग बनाता है।
ये ड्रोन निगरानी UAV की मंडराने (loitering) की क्षमता और निर्देशित मिसाइलों की सटीक हमले की शक्ति का संयोजन करते हैं, जिससे ये आधुनिक युद्धों में अत्यंत प्रभावी साबित होते हैं, विशेष रूप से उच्च-मूल्य और चलायमान लक्ष्यों के विरुद्ध।
शब्द की उत्पत्ति और अवधारणा
“कामिकाज़े” शब्द जापानी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “दिव्य वायु”। यह शब्द मूलतः 13वीं शताब्दी में मंगोल आक्रमणों को रोकने वाले तूफानों के लिए प्रयुक्त हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध में यह शब्द प्रसिद्ध हुआ जब जापानी पायलट अपने विमानों को दुश्मन के जहाजों से टकराकर आत्मघाती हमले करते थे।
आज के संदर्भ में, कामिकाज़े ड्रोन भी एकतरफा मिशन की इसी अवधारणा पर आधारित हैं—लौटने का कोई इरादा नहीं, केवल लक्ष्य पर अधिकतम क्षति पहुँचाना।
मुख्य विशेषताएं
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एकल उपयोग: एक ही मिशन में उपयोग, लक्ष्य से टकराकर विस्फोट करते हैं।
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मंडराने की क्षमता: लक्ष्य की प्रतीक्षा में क्षेत्र के ऊपर देर तक मंडरा सकते हैं।
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सटीक निशाना: कैमरा, सेंसर और GPS से लैस।
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रिमोट या स्वचालित संचालन: मानव संचालक या AI आधारित प्रणाली द्वारा नियंत्रित।
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कम पहचान: आकार छोटा होता है और रडार पर पकड़ना कठिन होता है।
कैसे काम करता है कामिकाज़े ड्रोन
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लॉन्च: जमीन से, वाहनों या हाथ से छोड़ा जाता है।
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मंडराना: तय क्षेत्र में जाकर लक्ष्य की खोज करता है।
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लक्ष्य निर्धारण: वीडियो फीड या AI द्वारा लक्ष्य की पहचान।
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हमला: लक्ष्य तय होते ही ड्रोन तेजी से उस पर गिरता है।
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विनाश: ड्रोन स्वयं विस्फोटक के साथ नष्ट हो जाता है।
रणनीतिक लाभ
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कम लागत: मानवयुक्त विमानों या मिसाइलों की तुलना में सस्ते।
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सटीकता: न्यूनतम साइड क्षति (collateral damage)।
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पायलट की सुरक्षा: मानव जान का जोखिम नहीं।
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लचीलापन: शहरी, रेगिस्तानी, समुद्री, पहाड़ी इलाकों में उपयोग संभव।
वैश्विक वेरिएंट्स और विशिष्टताएं
ड्रोन वेरिएंट | गति | रेंज | वारहेड | मार्गदर्शन प्रणाली | देश |
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Shahed-136 | 185 किमी/घं | 1000–2500 किमी | 30–50 किग्रा HE | जड़त्वीय + GPS | ईरान / रूस |
Switchblade | ~100 किमी/घं | 11 किमी तक | समायोज्य | रियल-टाइम वीडियो, GPS | अमेरिका |
LMS Kamikaze | 80 किमी/घं | लघु दूरी | 23 किग्रा | रिमोट संचालन | भारत |
Harop | गोपनीय | 1000+ किमी | ~15 किग्रा | EO/IR सेंसर + AI | इज़राइल |
भारत ने “आत्मनिर्भर भारत” के तहत आत्मघाती ड्रोन निर्माण को बढ़ावा दिया है:
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नागस्त्र-1
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विकासकर्ता: सोलर इंडस्ट्रीज़
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वारहेड: 1 किग्रा
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सटीकता: 2 मीटर (GPS आधारित)
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स्थिति: 120 वितरित; कुल 420 का ऑर्डर
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विशेषता: हल्का, सीमित पुनः उपयोग योग्य
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देशी FPV कामिकाज़े ड्रोन
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विकास: इंडियन आर्मी + DRDO
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वारहेड: 400 ग्राम (टैंक-भेदी)
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लागत: ₹1.4 लाख प्रति यूनिट
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स्थिति: 100+ निर्माणाधीन
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शेषनाग स्वार्म ड्रोन
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विकासकर्ता: NewSpace Research
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वारहेड: 25–40 किग्रा
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उपयोग: नौसेना और जमीनी युद्ध
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स्थिति: प्रोटोटाइप (Aero India 2025 में प्रदर्शित)
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खड़गा ड्रोन
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विकास: सेना अधिकारी की पहल
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लागत: ₹30,000 प्रति यूनिट
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सामग्री: कार्डबोर्ड जैसे सस्ते पदार्थ
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उपयोग: टोही और स्ट्राइक मिशन
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भारतीय ड्रोन की लागत सारणी
ड्रोन वेरिएंट | लागत (प्रति यूनिट) | विशिष्टता |
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खड़गा | ₹30,000 | अत्यंत सस्ता, ISR और हमले दोनों में सक्षम |
FPV कामिकाज़े | ₹1,40,000 | टैंक-भेदी, सामरिक स्ट्राइक |
नागस्त्र-1 | ₹4,70,000 | GPS-निर्देशित, पुनः उपयोग योग्य |
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की पहली लड़ाकू तैनाती
7 मई, 2025 को, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत PoK व पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया।
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उपयोग किया गया ड्रोन: SkyStriker
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विकासकर्ता: इज़राइल की Elbit Systems + भारत की Adani Group की Alpha Design
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परिणाम: उच्च जोखिम क्षेत्र में सटीकता से हमले, सीमित नुकसान
भविष्य की संभावनाएँ
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विश्व स्तर पर: रूस, अमेरिका, ईरान, चीन, इज़राइल जैसे देशों ने इन ड्रोन को व्यापक रूप से अपनाया है।
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यूक्रेन युद्ध: दिखाया कि ये ड्रोन बड़े पैमाने पर युद्धों में भी प्रभावी हैं—कुछ क्षेत्रों में प्रति माह 2 लाख ड्रोन तक बन रहे हैं।
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प्रमुख भूमिका: भविष्य के युद्धों में शहरी लड़ाई, टैंक-भेदी हमलों और असममित युद्धों में अहम भूमिका निभाएंगे।