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भारत का डेटा सेंटर उद्योग 2027 तक 100 बिलियन डॉलर के पार

भारत का डेटा सेंटर बाजार महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जहाँ 2027 तक निवेश $100 अरब से अधिक होने की उम्मीद है, जो 2019 से 2024 के बीच $60 अरब के निवेश की तुलना में एक विशाल छलांग है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु डेटा सेंटर विकास के मुख्य केंद्र बनकर उभरे हैं, जबकि मुंबई, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु उद्योग में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इस बढ़ती माँग को BFSI, प्रौद्योगिकी, फिनटेक, मीडिया और तेजी से बढ़ते जनरेटिव AI उद्योग जैसे क्षेत्रों से बल मिल रहा है, जिससे भारत वैश्विक डिजिटल अवसंरचना के क्षेत्र में एक प्रमुख नेता के रूप में उभर रहा है।

मुख्य निवेश गंतव्य

महाराष्ट्र और तमिलनाडु भारत के डेटा सेंटर विकास में अग्रणी हैं, जो मजबूत बुनियादी ढाँचे और सरकारी समर्थन के कारण बड़े निवेश आकर्षित कर रहे हैं। मुंबई लगभग 49% डेटा सेंटर क्षमता के साथ अग्रणी है। इसके साथ चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु मिलकर देश के 90% डेटा सेंटर स्टॉक का हिस्सा हैं, जो इन शहरों की डिजिटल इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

डेटा सेंटर क्षमता में वृद्धि

सितंबर 2024 तक, भारत का डेटा सेंटर स्टॉक लगभग 1,255 MW (~19 मिलियन वर्ग फुट) था, और वर्ष के अंत तक इसके 1,600 MW (~24 मिलियन वर्ग फुट) तक बढ़ने का अनुमान है। 2025 में, विशेष रूप से मुंबई और चेन्नई में 475 MW क्षमता जुड़ने की संभावना है, जो डिजिटल बुनियादी ढाँचे के विस्तार की ओर इशारा करता है।

माँग के कारक और ऑक्यूपेंसी दर

भारत के डेटा सेंटर उद्योग की ऑक्यूपेंसी दर 75-80% है, जो बैंकिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, मीडिया और सार्वजनिक क्षेत्र में डिजिटल भंडारण की बढ़ती माँग से प्रेरित है। जनरेटिव AI, जो 2023 से 2030 तक 28% वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है, एक प्रमुख कारक है। इस क्षेत्र से 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में $400 अरब का योगदान होने का अनुमान है।

सरकारी समर्थन और प्रोत्साहन

महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों की नीतियाँ, जो डेटा सेंटर को “आवश्यक सेवाएँ” मानती हैं, निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये नीतियाँ बुनियादी ढाँचे से जुड़े लाभ प्रदान करती हैं, जिससे भारत वैश्विक और घरेलू निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत का डेटा सेंटर उद्योग तीव्र विकास के लिए तैयार है, जिसमें 2027 तक $100 अरब से अधिक का निवेश होने की संभावना है। सरकार की सहायक नीतियाँ और जनरेटिव AI जैसे क्षेत्रों का विकास, भारत की डिजिटल अवसंरचना को आगे बढ़ाएगा और भारत को वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में एक अग्रणी स्थान पर बनाए रखेगा।

खबर में क्यों मुख्य बिंदु
भारत का डेटा सेंटर उद्योग – 2027 तक निवेश $100 अरब से अधिक होने का अनुमान।
– महाराष्ट्र और तमिलनाडु प्रमुख निवेश स्थल हैं।
– मुंबई भारत की कुल डेटा सेंटर क्षमता का 49% रखता है।
– सितंबर 2024 तक भारत की कुल डेटा सेंटर क्षमता 1,255 MW (~19 मिलियन वर्ग फुट) थी।
– 2025 तक मुंबई और चेन्नई में डेटा सेंटर क्षमता विस्तार की संभावना।
जनरेटिव AI का प्रभाव – जनरेटिव AI का 2023 से 2030 तक 28% CAGR से बढ़ने का अनुमान।
– 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था में $400 अरब का योगदान होने की संभावना।
राज्य-स्तरीय नीतियाँ – महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना ने डेटा सेंटर को “आवश्यक सेवाएँ” के रूप में परिभाषित किया है और बुनियादी ढाँचे का समर्थन प्रदान किया है।
निवेश सांख्यिकी – 2019 से 2024 तक भारत में $60 अरब का डेटा सेंटर निवेश हुआ है।
– 2025 के लिए 475 MW अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है।
डेटा सेंटर विकास के प्रमुख शहर – मुंबई, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु भारत के 90% डेटा सेंटर स्टॉक का हिस्सा हैं।
ऑक्यूपेंसी दर – वर्तमान में डेटा सेंटर की ऑक्यूपेंसी दर 75-80% है।
बुनियादी ढाँचे का समर्थन – मुंबई और चेन्नई में केबल लैंडिंग स्टेशन कनेक्टिविटी को बढ़ाते हैं, जो बैंकिंग, क्लाउड और मीडिया जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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