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भारत में 2035 तक 9.5 ट्रिलियन डॉलर का वित्तीय प्रवाह होगा: गोल्डमैन सैक्स

भारत की घरेलू वित्तीय बचत को लेकर गोल्डमैन सैक्स ने एक बड़ा अनुमान जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दस वर्षों (2025–2035) में घरेलू वित्तीय बचत से 9.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि वित्तीय परिसंपत्तियों में प्रवाहित होगी। यह बदलाव भारत की अर्थव्यवस्था में भौतिक संपत्तियों (जैसे सोना और रियल एस्टेट) से वित्तीय साधनों की ओर झुकाव को दर्शाता है और वित्तीयकरण (financialization) एवं पूंजी बाज़ार की गहराई (capital market deepening) के एक अहम चरण को इंगित करता है।

गोल्डमैन सैक्स रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

1. जीडीपी में वित्तीय बचत की हिस्सेदारी में वृद्धि

  • अगले दशक में भारत की घरेलू वित्तीय बचत औसतन जीडीपी का 13% रहने का अनुमान है।

  • पिछले 10 वर्षों का औसत मात्र 11.6% रहा था।

  • इस वृद्धि का कारण है: बढ़ती आय, वित्तीय साक्षरता में सुधार और वित्तीय बाज़ारों तक बेहतर पहुँच।

2. अनुमानित प्रवाह (Inflows) का विभाजन

  • दीर्घकालिक बचत उत्पाद (बीमा, पेंशन, सेवानिवृत्ति निधि): 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक

  • बैंक जमा: 3.5 ट्रिलियन डॉलर

  • इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स: 0.8 ट्रिलियन डॉलर
    यह पुनर्वितरण दर्शाता है कि लोग भौतिक संपत्तियों से हटकर संगठित वित्तीय उत्पादों और बाज़ारों पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

1. कॉर्पोरेट विकास के लिए मज़बूत पूंजी

  • कंपनियों को घरेलू बचत से स्थिर फंडिंग उपलब्ध होगी।

  • पूंजीगत व्यय (capex) चक्र को गति मिलेगी।

  • विदेशी ऋण पर निर्भरता और चालू खाते के घाटे पर दबाव घटेगा।

2. दीर्घकालिक बॉन्ड बाज़ार का विकास

  • घरेलू वित्तीय बचत से सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड बाज़ार को मज़बूती मिलेगी।

  • ब्याज दरें समय के साथ कम होंगी।

  • अवसंरचना विकास के लिए लंबे कार्यकाल वाले बॉन्ड को समर्थन मिलेगा।

3. खुदरा निवेश और वेल्थ मैनेजमेंट को बढ़ावा

  • अधिक खुदरा निवेशक पूंजी बाज़ार में भाग लेंगे।

  • वेल्थ मैनेजमेंट सेवाओं और वित्तीय सलाहकारों की माँग बढ़ेगी।

  • निवेश पैटर्न में वित्तीय समावेशन और परिपक्वता आएगी।

भौतिक से वित्तीय परिसंपत्तियों की ओर बदलाव

गोल्डमैन सैक्स ने ज़ोर देकर कहा कि भारत में भी वही रुझान उभर रहा है जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं में देखा गया था—

  • लोग धीरे-धीरे सोना और रियल एस्टेट जैसी पारंपरिक बचत से हटकर पेंशन फंड, बीमा और इक्विटी बाज़ार जैसे वित्तीय उत्पादों की ओर बढ़ रहे हैं।

  • इस बदलाव के पीछे कारण हैं:

    • वित्तीय बाज़ारों तक अधिक पहुँच

    • महँगाई दरों में गिरावट

    • डिजिटल अवसंरचना में सुधार

    • अधिक पारदर्शी निवेश विकल्प

भारत की यह दिशा वैश्विक रुझानों से मेल खाती है और आने वाले वर्षों में देश की वित्तीय प्रणाली और भी परिपक्व होने की संभावना है।

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