प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह दिवस 1975 के आपातकाल के कठिन दौर का सामना करने वाले लोगों के विशाल बलिदानों और योगदानों को स्मरण करने के उद्देश्य से मनाया जाएगा।
उद्देश्य और महत्व
केंद्रीय गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय दोहरे उद्देश्य को पूरा करता है:
- लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोगों की भावना का सम्मान करने के लिए
- आपातकाल की अवधि के दौरान एक दमनकारी सरकार के हाथों नागरिकों द्वारा झेली गई अकल्पनीय यातनाओं को स्वीकार करने के लिए
संविधान हत्या दिवस का पालन प्रत्येक भारतीय नागरिक में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की शाश्वत ज्योति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। ऐसा करके, इसका उद्देश्य किसी भी तानाशाही शक्ति को अतीत के भयावहता को दोहराने से रोकना है।
आपातकाल: भारतीय लोकतंत्र में एक काला अध्याय
आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक के 21 महीने की अवधि को दर्शाता है। इस समय के दौरान, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान में विशेष प्रावधानों का उपयोग करके देश पर व्यापक कार्यकारी और विधायी उपाय लागू किए।
प्रमुख घटनाएं और परिणाम
- नागरिक स्वतंत्रता का निलंबन: सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित मौलिक अधिकारों को सीमित कर दिया।
- प्रेस सेंसरशिप: आपातकाल के दौरान प्रेस पर पूर्व सेंसरशिप लागू की गई, जिससे सूचना का स्वतंत्र प्रवाह गंभीर रूप से सीमित हो गया।
- सामूहिक गिरफ्तारी: लगभग सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जिससे असहमति की आवाज़ों को प्रभावी रूप से दबा दिया गया।
- चुनावी व्यवधान: सरकार ने निर्धारित चुनावों को रद्द कर दिया, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हो गई।
- डिक्री द्वारा शासन: लोकतंत्र के सामान्य कामकाज को कार्यकारी आदेशों के माध्यम से सत्तावादी शासन द्वारा बदल दिया गया।
मौलिक अधिकारों पर प्रभाव
आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों में भारी कटौती देखी गई। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, किसी भी लोकतांत्रिक समाज की आधारशिला, विशेष रूप से लक्षित थी। इसके कारण:
- प्रेस पर पूर्व-सेंसरशिप
- सार्वजनिक सभाओं और विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध
- व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं पर सीमाएँ
25 जून 2024 का महत्व
यह वर्ष एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि भारत आपातकाल लागू होने के बाद से पचासवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष से प्रतिवर्ष संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय इस वर्षगांठ के प्रकाश में विशेष महत्व रखता है।