भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को नई दिशा देते हुए भारतीय नौसेना (IN) और दक्षिण कोरिया की नौसेना (Republic of Korea Navy – RoKN) ने अपनी पहली द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास श्रृंखला “IN–RoKN” की शुरुआत 13 अक्टूबर 2025 को बुसान नौसैनिक अड्डे (Busan Naval Base), दक्षिण कोरिया में की। यह ऐतिहासिक अभ्यास दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हुए समुद्री पारस्परिकता (interoperability), विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अभ्यास की संरचना: दो चरणों में विभाजित
1. हार्बर फेज़ (Harbour Phase)
इस आरंभिक चरण का उद्देश्य पेशेवर आपसी समझ और मित्रता को बढ़ाना है। प्रमुख गतिविधियाँ —
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भारतीय और कोरियाई जहाजों के बीच क्रॉस-डेक विज़िट्स (Cross-deck visits)
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प्रोफेशनल एक्सचेंज और सर्वोत्तम अभ्यासों की साझेदारी
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क्रॉस-ट्रेनिंग सत्र — जहाज संचालन और सुरक्षा प्रक्रियाओं पर
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खेल प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक मेल-मिलाप
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INS सह्याद्री के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा वरिष्ठ कोरियाई अधिकारियों और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों से औपचारिक मुलाक़ातें
इन गतिविधियों का उद्देश्य संयुक्त अभियानों के दौरान सामरिक तालमेल और संचार चैनलों को सशक्त बनाना है।
2. सी फेज़ (Sea Phase)
यह चरण उच्च स्तरीय संयुक्त नौसैनिक अभियानों पर केंद्रित है, जिनमें शामिल हैं —
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जटिल समुद्री युद्धाभ्यास (Maritime Manoeuvres)
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सामरिक समन्वय (Tactical Coordination) पर ऑपरेशनल अभ्यास
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INS सह्याद्री और ROKS ग्योंगनाम (Gyeongnam) के बीच रीयल-टाइम इंटरऑपरेबिलिटी ड्रिल्स
ये अभ्यास आपदा राहत, मानवीय सहायता या भारत-प्रशांत सुरक्षा मिशनों के दौरान दोनों नौसेनाओं की संयुक्त कार्यक्षमता सुनिश्चित करने में सहायक हैं।
भारतीय नौसेना का योगदान: INS सह्याद्री
भारत की ओर से इस अभ्यास में INS सह्याद्री भाग ले रही है —
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यह एक शिवालिक-श्रेणी की स्टील्थ फ्रिगेट (Shivalik-class stealth frigate) है, जिसका 2012 में कमीशन हुआ था।
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जहाज पूर्वी नौसैनिक कमान (Eastern Naval Command), विशाखापत्तनम के अधीन है।
मुख्य विशेषताएँ:
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पूरी तरह स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित — ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का प्रतीक
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आधुनिक स्टील्थ तकनीक, उन्नत हथियार प्रणाली और सेंसरों से लैस
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हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा प्रदाता (Security Provider) की भूमिका को सुदृढ़ करता है
IN–RoKN अभ्यास का रणनीतिक महत्व
भारत-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र वैश्विक व्यापार और सुरक्षा का केंद्र बनता जा रहा है। ऐसे में IN–RoKN जैसे साझेदारी अभ्यास —
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भारत–दक्षिण कोरिया संबंधों को नई रणनीतिक गहराई प्रदान करते हैं
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नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था (Rules-Based Maritime Order) के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता दर्शाते हैं
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क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे (Regional Security Architecture) को मजबूत करते हैं
दोनों राष्ट्र शांति, नौवहन की स्वतंत्रता (Freedom of Navigation) और अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान जैसे साझा मूल्यों का समर्थन करते हैं — विशेषकर बढ़ती इंडो-पैसिफिक तनावों और ग्रे-ज़ोन खतरों के बीच।
मुख्य तथ्य
| तथ्य | विवरण |
|---|---|
| अभ्यास का नाम | IN–RoKN |
| आरंभ तिथि | 13 अक्टूबर 2025 |
| स्थान | बुसान नौसैनिक अड्डा, दक्षिण कोरिया |
| भारतीय जहाज | INS सह्याद्री (शिवालिक-श्रेणी फ्रिगेट) |
| कोरियाई जहाज | ROKS ग्योंगनाम |
| अभ्यास संरचना | हार्बर फेज़ + सी फेज़ |


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