जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए नए सिरे से प्रयास करने और इसे अधिक कुशल और आज की दुनिया का प्रतिनिधि बनाने का आह्वान किया। इन देशों ने अंतर-सरकारी वार्ता में सार्थक प्रगति में आने वाली निरंतर कमी पर चिंता व्यक्त की। जी-4 मंत्रियों ने दोहराया कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थाई और गैर-स्थाई दोनो श्रेणियों में विस्तार निकाय को अधिक प्रतिनिधि,वैध और प्रभावी बनाना अत्यंत आवश्यक है।
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विदेश मंत्री जयशंकर ने भी जापान के विदेश मंत्री योशिमाशा, जर्मनी की एनालिना बाएरबॉख, ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रांका से मुलाकात के बाद ट्वीट किया, हमने साझा बयान में बहुस्तरीय सुधारों के लिए वार्ताओं को गति देने का इरादा जताया। इस उद्देश्य को हासिल करने तक हम कोशिशें जारी रखेंगे। भारत सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और उसका कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है। जी-4 ने अफ्रीकी देशों को भी प्रतिनिधित्व देने का समर्थन किया। जी4 ने कहा, यूएन की निर्णय लेने वाली संस्थाओं में तत्काल सुधार की जरूरत है। वैश्विक मुद्दे जटिल होते जा रहे हैं और एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनसे निपटने के लिए यूएनएससी की अक्षमता से सुधार की तत्काल जरूरत दिखती है।
क्या है जी-4?
सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग के लिये जापान, जर्मनी, भारत और ब्राज़ील ने G-4 के नाम से एक गुट बनाया जो स्थायी सदस्यता के मामले में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। G-4 देश लगातार बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही UNSC की संरचना में सुधार की मांग कर रहे हैं। G-4 देश 21वीं शताब्दी की समकालीन ज़रूरतों के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्वीकार्यता हेतु सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हैं।