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भारत में पांच वर्ष तक के बच्चों की शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट: रिपोर्ट

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नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत की 5 वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर 2019 में 35 प्रति 1,000 जीवित जन्मों से घटकर 2020 में 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई है। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। भारत के महापंजीयक द्वारा गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2014 से शिशु मृत्यु दर (IMR), 5 साल से कम आयु में मृत्यु दर (U5MR) और नव-मृत्यु दर (NMR) में उत्तरोत्तर कमी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि साल 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) का लक्ष्य है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि एसआरएस 2020 ने 2014 से शिशु मृत्यु दर में लगातार गिरावट दिखाई है। भारत केन्द्रित कार्यक्रमों, मजबूत केंद्र-राज्य साझेदारी तथा सभी स्वास्थ्यकर्मियों के समर्पण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शिशु मृत्यु दर के 2030 एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार है। देश में पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर (यू5एमआर) में 2019 से तीन अंकों की (वार्षिक कमी दर 8.6 प्रतिशत) देखी गई है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर 2019 में प्रति 1,000 जीवित शिशुओं में से 35 के मुकाबले 2020 में घटकर 32 रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में भी 2019 में प्रति 1000 जीवित शिशुओं में से 30 के मुकाबले 2020 में प्रति 1000 जीवित शिशुओं में से 28 के साथ दो अंकों की गिरावट दर्ज की गई है और वार्षिक गिरावट दर 6.7 प्रतिशत रही।

 

रिपोर्ट के अनुसार अधिकतम आईएमआर मध्य प्रदेश (43) और न्यूनतम केरल (6) में देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में आईएमआर 2020 में घटकर 28 हो गया है, जो 2015 में 37 था। पिछले पांच वर्षों में नौ अंकों की गिरावट और लगभग 1.8 अंकों की वार्षिक औसत गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार देश में जन्म के समय लिंग अनुपात 2017-19 में 904 के मुकाबले 2018-20 में तीन अंक बढ़कर 907 हो गया है। केरल में जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात (974) है जबकि उत्तराखंड में सबसे कम (844) है।

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