भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास और नासा जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी (जेपीएल) के शोधार्थियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर सूक्ष्म जीवों के बीच परस्पर क्रिया का अध्ययन किया है। शैक्षणिक संस्थान ने यह जानकारी दी। अध्ययन में आईएसएस पर मौजूद सूक्ष्म जीव को कई अन्य सूक्ष्म जीवों के लिए फायदेमंद पाया गया, लेकिन इसने कवक की वृद्धि को नुकसान पहुंचाया।
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यह अध्ययन अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर सूक्ष्म जीवों के संभावित प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए रणनीतियां तैयार करने में मदद करेगा। आईआईटी-मद्रास ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्री की प्रतिरक्षा में बदलाव आ सकता है और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो सकती है। इसलिए, अंतरिक्ष स्टेशन में मौजूद सूक्ष्म जीवों का अध्ययन करना अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर लघु अवधि और दीर्घ काल की अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े जोखिम को समझने में महत्वपूर्ण हो गया है।
मौजूदा अध्ययन, आईएसएस की सतह पर प्रमुखता से पाये जाने वाले जीवाणु, क्लेब्सेला निमोनियाई, के अवलोकन से प्रेरित है। इस जीवाणु के कारण निमोनिया और अन्य संक्रमण होते हैं। शोधार्थियों ने यह पता लगाने में रूचि प्रदर्शित की कि यह जीवाणु आसपास के वातावरण में अन्य जीवाणुओं की वृद्धि को किस तरह से प्रभावित करता है इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
शोधार्थियों ने आईएसएस पर सात स्थानों से तीन अंतरिक्ष यान से लिये गये जीवाणुओं के नमूनों का विश्लेषण किया। अध्ययन में आईआईटी मद्रास के भुपत एंड ज्योति मेहता स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के सहायक प्राध्यापक डॉ कार्तिक रमण ने जेपीएल के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक डॉ कस्तूरी वेंकेटेश्वरन के साथ समन्वय किया। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल माइक्रोबायोम में प्रकाशित हुआ है।