मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने जलविद्युत, हाईड्रोजन और सौर ऊर्जा का दोहन करने और हिमाचल को वर्ष 2025 तक देश का पहला हरित राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे औद्योगिक उत्पाद को हरित उत्पादों के रूप में बेहतर मूल्य एवं निर्यात में प्राथमिकता मिलेगी। उन्होंने राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, हिमऊर्जा, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करने और आवश्यकतानुसार नीति में बदलाव करने के निर्देश दिए। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की।
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सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करेगी। वर्ष 2023-24 के दौरान प्रदेश में 500 मेगावाट की सौर परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) की ओर से स्थापित की जाएंगी। इसके दृष्टिगत 70 मेगावाट क्षमता के लिए भूमि चिह्नित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि 150 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं निजी भागीदारी से हिम ऊर्जा की ओर से स्थापित की जाएंगी। इन परियोजनाओं की क्षमता की श्रेणी 250 किलोवाट से एक मेगावाट होगी। सीएम ने हिम ऊर्जा को पांच मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में दस फीसदी हिस्सा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग द्वितीय और तृतीय, शॉंग टांग व कड़छम आदि निर्माणाधीन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने इन परियोजनाओं को 2025 तक पूरा करने को कहा है। एचपीपीसीएल को सौर परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए दस दिन में सलाहकार नियुक्त करने तथा एक माह में रिपोर्ट देने को कहा। बैठक में सीएम ने 660 मेगावाट क्षमता की किशाऊ बांध परियोजना की प्रगति की समीक्षा भी की। इसमें जल घटक भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से 90 और 10 फीसदी अनुपात में वित्तपोषित व ऊर्जा घटक हिमाचल और उत्तराखंड राज्य की ओर से 50-50 फीसदी अनुपात में साझा किया जाएगा।