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सरकार भारत की पहली आतंकवाद विरोधी नीति लाने की तैयारी में

भारत अपनी पहली व्यापक आतंकवाद-रोधी (एंटी-टेरर) नीति को लागू करने की दिशा में अग्रसर है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह नीति इस समय अंतिम चरण में है और इसके माध्यम से केंद्र व राज्यों को आतंकवाद की रोकथाम, जांच और प्रतिक्रिया के लिए एक एकीकृत ढांचा प्रदान किए जाने की उम्मीद है। यह पहल भारत के बदलते सुरक्षा परिदृश्य—जैसे ऑनलाइन कट्टरपंथ, सीमा-पार खतरे और खुफिया व कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता—को दर्शाती है।

नीति के प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • नई नीति में उभरते और गैर-पारंपरिक आतंकवादी खतरों पर विशेष जोर दिया गया है।
  • डिजिटल कट्टरपंथ (Digital Radicalisation): चरमपंथी संगठन सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से, विशेषकर युवाओं को, भर्ती और वैचारिक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
  • खुले सीमावर्ती क्षेत्र: विशेष रूप से नेपाल सीमा के दुरुपयोग को रोकना, जिसका इस्तेमाल आतंकी मॉड्यूल आवागमन और लॉजिस्टिक्स के लिए करते रहे हैं।
  • विदेशी फंडिंग से जुड़े धर्मांतरण और कट्टरपंथी नेटवर्क: जो आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए जोखिम पैदा करते हैं।

तैयारी और अंतर-एजेंसी परामर्श

  • नीति को अंतिम रूप देने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का एक बड़ा सम्मेलन 26–27 दिसंबर को नई दिल्ली में प्रस्तावित है।
  • इसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य स्तरीय आतंकवाद-रोधी इकाइयां नीति के ढांचे और संचालन पहलुओं पर चर्चा करेंगी।
  • NIA महानिदेशक सदानंद दाते और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) प्रमुख ब्रिघु श्रीनिवासन पहले ही राज्य पुलिस प्रमुखों के साथ बदलते आतंकी रुझानों और प्रतिक्रिया तंत्र पर विचार-विमर्श कर चुके हैं।

नीति को आकार देने वाले केस स्टडी

  • हाल की आतंकी घटनाओं ने नीति की दिशा को प्रभावित किया है।
  • 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला—इसने नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) के माध्यम से सुरक्षित डेटा पहुंच को बेहतर बनाने पर चर्चा को तेज किया।
  • 10 नवंबर को लाल किले के पास आत्मघाती हमले के आरोपियों से पूछताछ में ऑनलाइन कट्टरपंथ की भूमिका सामने आई, जिससे साइबर निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता रेखांकित हुई।

पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे की आवश्यकता

  • हालांकि भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए कई कानून, एजेंसियां और परिचालन तंत्र मौजूद हैं, लेकिन एक समग्र राष्ट्रीय नीति के अभाव में कई बार प्रतिक्रियाएं बिखरी हुई रही हैं।
  • प्रस्तावित नीति का उद्देश्य खुफिया साझा करना, निवारक रणनीतियां और परिचालन प्रतिक्रिया—इन सभी को एक साझा रणनीतिक दृष्टि के तहत एकीकृत करना है।
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति एवं रणनीति लाने की घोषणा कर चुके हैं, जो दीर्घकालिक और संरचित काउंटर-टेरर योजना की ओर संकेत करती है।

भारत के लिए महत्व

  • भारत की पहली आतंकवाद-रोधी नीति प्रतिक्रियात्मक (Reactive) काउंटर-टेररिज़्म से सक्रिय, खुफिया-आधारित रोकथाम की ओर बदलाव को दर्शाती है।
  • केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को संस्थागत बनाकर यह नीति तैयारी बढ़ाने, प्रतिक्रिया समय घटाने और आतंकवाद से निपटने के लिए एक समान राष्ट्रीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखती है।

मुख्य बिंदु 

  • भारत अपनी पहली व्यापक आतंकवाद-रोधी नीति जारी करने की तैयारी में है।
  • नीति का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के लिए एकीकृत ढांचा प्रदान करना है।
  • प्रमुख फोकस: डिजिटल कट्टरपंथ, खुली सीमाएं, विदेशी-प्रायोजित नेटवर्क।
  • NIA सम्मेलन (26–27 दिसंबर, नई दिल्ली) में नीति के ढांचे पर चर्चा होगी।
  • NATGRID, NIA, NSG, IB और राज्य पुलिस बलों की अहम भूमिका।
  • प्रशिक्षण, खुफिया साझा करना और निवारक कार्रवाई पर विशेष जोर।
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