40वां एशियन वॉटरबर्ड सेंसस (AWC) तथा 60वां अंतरराष्ट्रीय वॉटरबर्ड सेंसस (IWC) का आयोजन 10–11 जनवरी 2026 को किया जाएगा। यह जनगणना गोदावरी मुहाना, जिसमें आंध्र प्रदेश का जैव विविधता से समृद्ध कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य भी शामिल है, में संपन्न होगी। यह व्यापक जैव विविधता अभ्यास आर्द्रभूमि संरक्षण, प्रवासी पक्षी निगरानी और वैश्विक पारिस्थितिक अनुसंधान में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है।
यह सेंसस विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गोदावरी मुहाना भारत के उन दुर्लभ स्थलों में से एक है, जहां वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त दो प्रवासी पक्षी—इंडियन स्किमर और ग्रेट नॉट—एक साथ देखे जा सकते हैं, जिससे यह क्षेत्र पक्षी संरक्षण के लिए अत्यंत प्राथमिक परिदृश्य बन जाता है।
आयोजन संस्थान और सहयोग
गोदावरी मुहाने में यह जनगणना संयुक्त रूप से आयोजित की जाएगी—
- आंध्र प्रदेश वन विभाग
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS)
- वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII)
- वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF)
यह बहु-संस्थागत सहयोग वैज्ञानिक सटीकता, वैश्विक स्तर पर तुलनीय आंकड़ों और सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित करता है। स्थानीय पक्षीप्रेमियों और स्वयंसेवकों को भी इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
एशियन वॉटरबर्ड सेंसस के बारे में
एशियन वॉटरबर्ड सेंसस एक दीर्घकालिक नागरिक विज्ञान एवं वैज्ञानिक निगरानी कार्यक्रम है, जो एशिया भर में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और वैश्विक अंतरराष्ट्रीय वॉटरबर्ड सेंसस का हिस्सा है।
- यह हर वर्ष जनवरी में आयोजित होता है।
- इसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों में प्रवासी और स्थानीय जलपक्षियों की संख्या, वितरण और प्रवृत्तियों का आकलन करना है।
- वर्ष 2026 का संस्करण 40वां एशियन और 60वां अंतरराष्ट्रीय वॉटरबर्ड सेंसस होगा, जो छह दशकों से जारी वैश्विक पारिस्थितिक निगरानी को दर्शाता है।
- कोरिंगा में यह 10वीं बार आयोजित किया जाएगा, जो इस क्षेत्र के दीर्घकालिक महत्व को दर्शाता है।
प्रमुख प्रजातियां (फोकस स्पीशीज़)
2026 की जनगणना में विशेष रूप से चार प्रवासी जलपक्षी प्रजातियों पर ध्यान दिया जाएगा—
- इंडियन स्किमर (Rynchops albicollis)
- IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered)।
- पानी की सतह पर निचली लंबी चोंच से भोजन पकड़ने की अनूठी शैली।
- शांत रेत-टीलों और मुहाना आवासों पर निर्भर।
- इसकी वैश्विक आबादी का बड़ा हिस्सा भारत में पाया जाता है।
ग्रेट नॉट (Calidris tenuirostris)
- IUCN के अनुसार संकटग्रस्त।
- आर्कटिक प्रजनन क्षेत्रों से एशिया और ऑस्ट्रेलिया के तटीय आर्द्रभूमियों तक प्रवास।
- इंटरटाइडल आवासों के नुकसान के कारण संख्या में तेज गिरावट।
यूरेशियन कर्ल्यू (Numenius arquata)
- IUCN स्थिति: निकट संकटग्रस्त (Near Threatened)।
- विश्व का सबसे बड़ा वाडर पक्षी।
- आर्द्रभूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित।
यूरेशियन ऑयस्टरकैचर (Haematopus ostralegus)
- तटीय क्षेत्रों का आकर्षक पक्षी।
- शंख-समृद्ध इंटरटाइडल क्षेत्रों पर निर्भर।
- इसकी संख्या तटीय पारिस्थितिकी की उत्पादकता का संकेतक मानी जाती है।
गोदावरी मुहाने का महत्व
भारत के पूर्वी तट पर स्थित गोदावरी मुहाना मैंग्रोव, कीचड़ वाले मैदान, नालों और रेत-टीलों का जटिल तंत्र है। कोरिंगा मैंग्रोव, सुंदरबन के बाद, भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारितंत्र है।
यह क्षेत्र प्रदान करता है—
- प्रवासी पक्षियों के लिए समृद्ध भोजन क्षेत्र
- शिकारियों और प्रतिकूल मौसम से सुरक्षा
- मछलियों और क्रस्टेशियनों के लिए प्रजनन एवं नर्सरी आवास
वैज्ञानिक और संरक्षण महत्व
जलपक्षी जैव-सूचक (Bio-indicators) माने जाते हैं, अर्थात उनकी संख्या आर्द्रभूमियों के स्वास्थ्य को दर्शाती है। एशियन वॉटरबर्ड सेंसस के आंकड़ों का उपयोग—
- आर्द्रभूमि स्वास्थ्य के आकलन
- दीर्घकालिक जनसंख्या प्रवृत्तियों की निगरानी
- प्राथमिक संरक्षण स्थलों की पहचान
- रामसर स्थलों के प्रबंधन और नीतिगत निर्णयों में किया जाता है।
भारत के लिए यह डेटा रामसर कन्वेंशन और प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (CMS) जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को मजबूत करता है।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
- 40वां AWC और 60वां IWC: 10–11 जनवरी 2026
- स्थान: गोदावरी मुहाना, कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य (आंध्र प्रदेश)
- फोकस प्रजातियां: इंडियन स्किमर (संकटग्रस्त), ग्रेट नॉट (संकटग्रस्त), यूरेशियन कर्ल्यू (निकट संकटग्रस्त), यूरेशियन ऑयस्टरकैचर
- विशेष महत्व: इंडियन स्किमर और ग्रेट नॉट का सह-अस्तित्व
- आयोजक: AP वन विभाग, BNHS, WII, WWF
- महत्व: आर्द्रभूमि संरक्षण, प्रवासी पक्षी निगरानी और जैव विविधता नीति


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