पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार (10 अगस्त) की रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 95 साल के थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कुछ हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे।
नटवर सिंह 2004-05 के दौरान UPA-I सरकार में भारत के विदेश मंत्री थे। तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। नटवर सिंह ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी काम किया और 1966 से 1971 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे।
नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1929 को राजस्थान के भरतपुर जिले में एक जाट हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने मेयो कॉलेज, अजमेर और सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। बाद में उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में पढ़ाई की। वे कुछ समय के लिए चीन के पेकिंग यूनिवर्सिटी में विजिटिंग स्कॉलर भी रहे।
नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हो गए। राजनयिक के तौर पर नटवर सिंह का करियर 31 साल लंबा रहा। वे पाकिस्तान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत रहे। 1966 से 1971 तक वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे और उनके विशेष सहायक के रूप में काम किया।
1984 में नटवर सिंह कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और राजस्थान के भरतपुर से सांसद चुने गए। 2004 में, उन्हें UPA-I सरकार में भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया।हालांकि 2005 में ‘ऑयल फॉर फूड’ घोटाले में उनका नाम आने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
उन्हें साल 1984 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। नटवर सिंह ने कई पुस्तकें और संस्मरण लिखे हैं। उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ काफी पॉपुलर है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन और राजनीतिक अनुभवों के बारे में विस्तार से लिखा है।
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