केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर पूरे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 25.3 फीसदी पहुंच गया। 2022-23 की समान तिमाही में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 21.2 फीसदी रहा था। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून अंत में राजकोषीय घाटा वास्तविक संदर्भ में 4,51,370 करोड़ रुपये रहा। सरकारी राजस्व एवं खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसे 2023-24 के बजट में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 6.4 फीसदी रहा था।
आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में सरकार का शुद्ध कर राजस्व 4,33,620 करोड़ रुपये रहा। यह बजट अनुमान का 18.6 फीसदी है। 2022-23 की समान तिमाही में शुद्ध कर संग्रह 26.1 फीसदी रहा था। अप्रैल-जून तिमाही में केंद्र का कुल खर्च बजट अनुमान का 23.3 फीसदी या 10.5 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 24 फीसदी रहा था। कुल खर्च में 7.72 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते से हुआ, जबकि 2.78 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खाते से गए। कुल राजस्व खर्च में से 2,43,705 करोड़ रुपये ब्याज चुकाने में और 87,035 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी पर खर्च हुए।
राजकोषीय घाटे की परिभाषा और महत्व:
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह इंगित करता है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए किस हद तक उधार लेने की आवश्यकता है। उच्च राजकोषीय घाटे का मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और समग्र आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है।
वर्तमान राजकोषीय घाटे की स्थिति:
पहली तिमाही (जून 2023) के अंत में, राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 25.3% था। कुल मिलाकर यह राशि 4,51,370 करोड़ रुपये थी। घाटे का यह स्तर पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि की तुलना में काफी अधिक है, जहां यह बजट अनुमान (बीई) का 21.2% था।
शुद्ध कर राजस्व संग्रह:
2023-24 के पहले तीन महीनों के दौरान सरकार द्वारा एकत्र किया गया शुद्ध कर राजस्व 4,33,620 करोड़ रुपये था, जो चालू वित्त वर्ष के बीई का 18.6% था। इसकी तुलना में, जून 2022 के अंत में, शुद्ध कर राजस्व संग्रह 26.1% अधिक था।