भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश का कुल निर्यात अब तक के सर्वोच्च स्तर यानी 824.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। यह आंकड़ा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नवीनतम सेवाओं व्यापार रिपोर्ट में सामने आया है। यह निर्यात पिछले वर्ष के 778.1 अरब डॉलर की तुलना में 6.01% की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। इस उछाल में सेवाओं के निर्यात की विशेष भूमिका रही, जिसमें दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। यह भारत की आईटी, परामर्श, वित्त और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में बढ़ती दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को उजागर करता है।
क्यों है समाचारों में?
भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश का कुल निर्यात अब तक के सबसे ऊँचे स्तर यानी 824.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 2 मई 2025 को जारी नवीनतम सेवाओं व्यापार रिपोर्ट में सामने आई है। यह पिछले वर्ष (2023–24) के 778.1 अरब डॉलर के आंकड़े की तुलना में 6.01% की वृद्धि दर्शाता है।
इस वृद्धि में सेवाओं के निर्यात की बड़ी भूमिका रही, जिसमें दोहरे अंकों की वृद्धि हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब आईटी, परामर्श, वित्त और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन रहा है।
वित्त वर्ष 2024–25 में निर्यात प्रदर्शन
श्रेणी | आंकड़ा (अरब डॉलर में) | वृद्धि (%) |
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कुल निर्यात | 824.9 | 6.01% |
सेवाओं का निर्यात | 387.5 | 13.6% |
माल निर्यात (पेट्रोलियम छोड़कर) | 374.1 | 6.0% |
मार्च 2025 का त्वरित विवरण
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सेवाओं का निर्यात (मार्च 2025): 35.6 अरब डॉलर
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मार्च 2024 की तुलना में वृद्धि: 18.6%
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सेवाओं का निर्यात (मार्च 2024): 30.0 अरब डॉलर
उद्देश्य और महत्व
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विविधीकृत निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
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पेट्रोलियम-आधारित उत्पादों पर निर्भरता कम करना
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आईटी, वित्त, अनुसंधान व विकास (R&D), और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना
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मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, और स्टार्टअप इंडिया अभियानों को समर्थन
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वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की लचीलापन और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना
पृष्ठभूमि और नीतिगत संदर्भ
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विदेश व्यापार नीति 2023 का लक्ष्य है कि 2030 तक कुल निर्यात को $2 ट्रिलियन तक पहुँचाया जाए — जिसमें नवाचार, डिजिटलीकरण और नए व्यापार बाजारों पर जोर है।
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सरकार द्वारा उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, व्यापारिक बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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यह निर्यात वृद्धि भू-राजनीतिक तनावों और मुद्रास्फीति जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद दर्ज की गई है।