सामाजिक सुरक्षा के दायरे को व्यापक बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने ‘कर्मचारी नामांकन योजना – 2025 (Employees’ Enrolment Scheme – 2025)’ की शुरुआत की है। इस योजना की घोषणा केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 1 नवम्बर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित ईपीएफओ के 73वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान की।
यह योजना 6 माह की अवधि (1 नवम्बर 2025 से 30 अप्रैल 2026) तक लागू रहेगी, जिसके तहत नियोक्ता स्वेच्छा से उन कर्मचारियों की घोषणा कर सकते हैं जो 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच ईपीएफ कवरेज से वंचित रह गए थे। यह पहल “सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा (Social Security for All)” के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो स्वैच्छिक अनुपालन (voluntary compliance) को बढ़ावा देते हुए दंड माफी और सरलीकृत प्रक्रियाएँ प्रदान करती है।
कर्मचारी नामांकन योजना – 2025 क्या है?
इस योजना के अंतर्गत नियोक्ताओं को अवसर दिया गया है कि वे उन पात्र कर्मचारियों का नामांकन नियमित करें जिन्हें पहले ईपीएफ में शामिल नहीं किया गया था।
यदि कर्मचारियों का अंशदान पहले नहीं काटा गया था, तो उसका भुगतान करने से छूट (waiver) दी जाएगी।
मुख्य विशेषताएँ
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| पात्रता अवधि (Eligibility Period) | 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 तक नियुक्त कर्मचारी |
| योजना अवधि (Scheme Window) | 1 नवम्बर 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक (6 माह) |
| कौन आवेदन कर सकता है | सभी प्रतिष्ठान (EPF पंजीकृत या अप्रतिष्ठित), EPFO पोर्टल के माध्यम से घोषणा कर सकते हैं |
| माफी (Waivers) | यदि कर्मचारी अंशदान पहले नहीं काटा गया, तो वह माफ; नियोक्ता को केवल अपना हिस्सा + ब्याज (धारा 7Q), प्रशासनिक शुल्क और ₹100 का नाममात्र जुर्माना देना होगा |
| सरलीकृत अनुपालन (Simplified Compliance) | ₹100 की एकमुश्त राशि सभी तीनों ईपीएफ योजनाओं पर क्षतिपूर्ति के रूप में लागू |
| जांचाधीन प्रतिष्ठान (Under Inquiry) | धारा 7A, पैराग्राफ 26B या पैराग्राफ 8 (EPS-1995) के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठान भी पात्र होंगे |
| सुरक्षा प्रावधान | इस अवधि में EPFO किसी भी नियोक्ता के विरुद्ध स्वतः कार्रवाई (suo motu action) प्रारंभ नहीं करेगा |
योजना का महत्व क्यों है?
कर्मचारी नामांकन योजना – 2025 भारत के अनौपचारिक कार्यबल (informal workforce) को संगठित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कई पात्र कर्मचारी, विशेषकर छोटे या अपंजीकृत प्रतिष्ठानों में कार्यरत, पहले ईपीएफ से वंचित रह गए थे।
यह योजना —
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नियोक्ताओं पर आर्थिक बोझ घटाती है (penalty waivers के माध्यम से),
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पारदर्शिता और स्वैच्छिक सुधार को प्रोत्साहित करती है,
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ईपीएफ की सार्वभौमिक कवरेज के लक्ष्य को सशक्त बनाती है,
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श्रम सुधारों के तहत औपचारिककरण (formalisation) को बढ़ावा देती है,
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कर्मचारियों को दीर्घकालिक बचत, बीमा लाभ और पेंशन अधिकारों तक पहुंच प्रदान करती है।
स्थिर तथ्य
| विषय | विवरण |
|---|---|
| योजना का नाम | कर्मचारी नामांकन योजना – 2025 (Employees’ Enrolment Scheme – 2025) |
| घोषणा की गई द्वारा | डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री |
| घोषणा तिथि | 1 नवम्बर 2025 |
| प्रभावी अवधि | 1 नवम्बर 2025 – 30 अप्रैल 2026 |
| पात्रता अवधि (कर्मचारियों के लिए) | 1 जुलाई 2017 – 31 अक्टूबर 2025 |
| कर्मचारी अंशदान | यदि पहले नहीं काटा गया तो माफ |
| नियोक्ता अंशदान | ब्याज सहित + प्रशासनिक शुल्क + ₹100 जुर्माना के साथ जमा |
| जुर्माना (Penalty) | ₹100 प्रति प्रतिष्ठान (एकमुश्त) |


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