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झारखंड में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुरू किया है। अभियान का लक्ष्य 17 केंद्र सरकार के मंत्रालयों और भारत सरकार के विभाग द्वारा कार्यान्वित 25 हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करना है।

योजना का कुल परिव्यय 79,150 करोड़ रुपये है। यह अभियान 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों और 2,740 ब्लॉकों के लगभग 63,000 गांवों को कवर करेगा।
इससे लक्षित क्षेत्रों में 5 करोड़ से अधिक आदिवासी लोगों को लाभ होने की उम्मीद है।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)

  • प्रधान मंत्री मोदी ने 40 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) का भी उद्घाटन किया और 2,800 करोड़ रुपये से अधिक राशि की नई 25 ईएमआरएस की आधारशिला भी रखी।
  • दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा 1997-98 में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) शुरू किया गया था।
  • 2022 से, 50% से अधिक अनुसूचित जनजातियों और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों की आबादी वाले प्रत्येक ब्लॉक में ईएमआरएस स्थापित किया जाएगा । प्रत्येक स्कूल की क्षमता 480 छात्रों की है, जो कक्षा VI से XII तक के छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है।

पीएम-जनमन योजना की पहली वर्षगांठ

  • प्रधान मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि 15 नवंबर 2024 को जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर, भारत प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) योजना की पहली वर्षगांठ मनाया जाएगा ।
  • 2021 से,हर साल आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में 15 नवंबर को देश भर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है।
  • प्रधानमंत्री ने पीएम-जनमन योजना के तहत 1360 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें 1380 किमी से अधिक सड़कों, 120 आंगनबाड़ियों, 250 बहुउद्देश्यीय केंद्र और 10 स्कूल छात्रावासों का निर्माण शामिल है।
  • प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर 2023 को झारखंड के खूंटी में जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर की थी।
  • योजना की अवधि तीन वर्ष है, और कुल परिव्यय 24,104 करोड़ रुपये है (केंद्रीय हिस्सा: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा: 8,768 करोड़ रुपये)
    इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के घरों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनजातीय आबादी 10.45 करोड़ है, जिसमें से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित 75 समुदायों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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