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पंजाब बनाम हरियाणा: भाखड़ा जल तनाव के पीछे क्या है?

पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा जल विवाद 2025 में एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। यह मुद्दा तब शुरू हुआ जब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने का आदेश दिया।

चर्चा में क्यों?

पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा जल विवाद 2025 में एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यह मुद्दा तब शुरू हुआ जब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी छोड़ने का आदेश दिया। पंजाब ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि उसके बांधों में पानी का स्तर पहले से ही बहुत कम है और हरियाणा पहले ही अपने हिस्से से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल कर चुका है।

भाखड़ा-नांगल परियोजना क्या है?

भाखड़ा -नांगल परियोजना सतलुज नदी पर बनी एक प्रमुख जल प्रणाली है । इसमें दो महत्वपूर्ण बांध शामिल हैं: हिमाचल प्रदेश में भाखड़ा बांध और पंजाब में नांगल बांध। ये बांध सिंचाई, पीने और बिजली उत्पादन के लिए पानी का भंडारण और आपूर्ति करते हैं। 1966 में पंजाब के विभाजन के बाद, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच पानी के प्रबंधन और वितरण के लिए बीबीएमबी का गठन किया गया था।

जल का बंटवारा कैसे होता है?

  • हर साल बीबीएमबी तय करता है कि किस राज्य को कितना पानी मिलेगा। इस साल पंजाब को 5.512 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी दिया गया, हरियाणा को 2.987 एमएएफ और राजस्थान को 3.318 एमएएफ पानी मिला।
  • हाल ही में हरियाणा ने 8,500 क्यूसेक पानी मांगा था , जो उसे वर्तमान में मिल रहे पानी से 4,500 क्यूसेक अधिक है। पंजाब ने यह कहते हुए इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि वह इस समय और पानी नहीं दे सकता।

पंजाब का रुख

पंजाब का कहना है कि हरियाणा ने अपने वार्षिक जल कोटे का 104 प्रतिशत पहले ही ले लिया है। इसने यह भी बताया कि भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर जैसे प्रमुख बांधों में वर्तमान जल स्तर पिछले साल की तुलना में बहुत कम है। पंजाब का तर्क है कि वह अधिक पानी साझा करने का जोखिम नहीं उठा सकता, खासकर मानसून के मौसम से पहले, जब पानी पहले से ही कम है। पंजाब के सभी राजनीतिक दल बीबीएमबी के आदेश के विरोध में एकजुट हो गए हैं।

हरियाणा का तर्क

हरियाणा ने पंजाब पर पानी को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि राज्य के कई हिस्से, खास तौर पर हिसार, सिरसा और फतेहाबाद, पीने के पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। हरियाणा का तर्क है कि पीने के पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और उसका कहना है कि उसे उसका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है।

पर्यावरण संबंधी चुनौतियाँ

यह जल संकट जलवायु परिवर्तन से भी जुड़ा हुआ है। इस सर्दी में हिमालय में कम बर्फबारी के कारण बांधों में पानी का स्तर कम हो गया है। तीनों प्रमुख बांधों में पिछले साल की तुलना में कम पानी है। चूंकि यह विवाद मानसून से ठीक पहले हो रहा है, इसलिए पानी की कमी सामान्य से भी ज्यादा है।

BBMB ने क्या निर्णय लिया?

  • हाल ही में हुई बैठक में हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली ने अतिरिक्त पानी छोड़ने के पक्ष में मतदान किया। पंजाब ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि हिमाचल प्रदेश ने मतदान नहीं किया। बीबीएमबी ने पानी छोड़ने के फैसले पर आगे बढ़ गया।
  • हालांकि, पंजाब ने नांगल डैम के ज़रूरी गेट खोलने से इनकार कर दिया, जिससे पानी हरियाणा में जा सके। नतीजतन, हरियाणा ने घोषणा की है कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाएगा। पंजाब बीबीएमबी के फ़ैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।
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