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बैंकों ने ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना के तहत 2.75 लाख लाभार्थियों को ₹62,791 करोड़ की स्वीकृति दी

अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2016 में शुरू की गई स्टैंड-अप इंडिया योजना ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा संसद में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, अगस्त 2025 तक, बैंकों ने 2,75,291 लाभार्थियों को ₹62,791 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए हैं।

स्टैंड-अप इंडिया योजना के बारे में
5 अप्रैल 2016 को शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसके तहत हरे-भरे (ग्रीनफील्ड) उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

मुख्य विशेषताएँ

  • पात्रता: प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक शाखा में कम से कम एक SC/ST और एक महिला उद्यमी।

  • ऋण राशि: ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक।

  • क्षेत्र: व्यापार, निर्माण, सेवा और कृषि से संबद्ध गतिविधियाँ।

अब तक की उपलब्धियाँ

  • ऋण स्वीकृत: ₹62,791 करोड़।

  • कुल लाभार्थी: 2,75,291 खाते (SC/ST एवं महिला उद्यमी)।

  • प्रभाव: अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के प्रथम-पीढ़ी उद्यमियों को औपचारिक ऋण उपलब्ध हुआ, जिससे व्यवसाय और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला।

संशोधित ब्याज अनुदान योजना (MISS) – फसल ऋण हेतु

  • FY 2024–25 में कुल ₹17,811.72 करोड़ का वितरण।

  • इसमें ब्याज अनुदान और शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (PRI) शामिल।

  • किसानों पर ब्याज का बोझ कम हुआ और सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध हुआ।

महत्व

  • समावेशी उद्यमिता: महिलाओं और SC/ST समुदायों को पूंजी तक पहुंच।

  • कृषि ऋण समर्थन: किसानों की वित्तीय चुनौतियों में कमी।

  • डिजिटल ऋण नियमन: सुरक्षित और नवोन्मेषी फिनटेक वातावरण।

ये पहलें समावेशी विकास, ग्रामीण प्रगति और वित्तीय स्थिरता की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

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