भारत ने बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन में एक बड़ा कदम उठाया है। एम्स दिल्ली में ‘सृजनम्’ (Srjanam) के रूप में देश की पहली स्वचालित बायोमेडिकल कचरा परिवर्तक प्रणाली शुरू की गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 10 फरवरी 2025 को इस स्वदेशी नवाचार का उद्घाटन किया। इसे सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, तिरुवनंतपुरम ने विकसित किया है। ‘सृजनम्’ पारंपरिक विधियों की तुलना में पर्यावरण के अनुकूल और किफायती समाधान प्रदान करता है।
भारत में प्रतिदिन लगभग 743 टन बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न होता है, जो अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। परंपरागत निस्तारण विधियां, विशेषकर दहन (incineration), प्रदूषण और पर्यावरणीय जोखिम बढ़ाती हैं। ‘सृजनम्’ इन खतरों को कम करते हुए खून, मूत्र, बलगम और लैब डिस्पोजेबल्स जैसे अपशिष्ट पदार्थों को निष्क्रिय करता है, वह भी बिना किसी ऊर्जा-गहन प्रक्रिया के।
एम्स दिल्ली भारत का पहला अस्पताल बन गया है, जहां इस अत्याधुनिक तकनीक को लागू किया गया है। यह प्रणाली गंध नियंत्रण के साथ स्वचालित रूप से कचरे को संसाधित करती है, जिससे इसका संचालन अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पहल को “विकसित भारत 2047” दृष्टि के अनुरूप बताया। सरकार पर्यावरण-अनुकूल नवाचारों का समर्थन कर रही है, जिससे अस्पतालों की बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन क्षमता में सुधार होगा।
एम्स दिल्ली में ‘सृजनम्’ की सफलता से इसे देशभर के अस्पतालों में लागू किया जा सकता है। उचित अनुमोदन और वित्त पोषण के साथ, यह प्रणाली सुरक्षित और टिकाऊ बायोमेडिकल कचरा निस्तारण के लिए एक नया मानक स्थापित कर सकती है।
इस पहल से अस्पतालों की सुरक्षा और स्वच्छता मानकों में वृद्धि होगी और भारत में स्वच्छ व पर्यावरण-संवेदनशील चिकित्सा अपशिष्ट निपटान प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
| श्रेणी | विवरण |
| क्यों चर्चा में है? | एम्स दिल्ली ने 10 फरवरी 2025 को ‘सृजनम्’ (Srjanam) लॉन्च किया, जो भारत की पहली स्वचालित बायोमेडिकल कचरा परिवर्तक प्रणाली है। इसे डॉ. जितेंद्र सिंह ने उद्घाटित किया और सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित किया गया। यह प्रणाली दहन (incineration) के बिना खतरनाक कचरे को निष्क्रिय करती है। |
| विकसित किया गया | सीएसआईआर-एनआईआईएसटी (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय अंतर्विषयक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान), तिरुवनंतपुरम |
| उद्घाटन किया | डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री |
| स्थापित किया गया | एम्स दिल्ली (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) |
| उद्देश्य | बायोमेडिकल कचरे को गैर-खतरनाक सामग्री में बदलना, बिना दहन तकनीक का उपयोग किए |
| प्रसंस्करण क्षमता | वर्तमान में: 10 किग्रा/दिन; भविष्य में: 400 किग्रा/दिन (अनुमोदन के बाद) |
| विशेष विशेषताएँ | गंध नियंत्रण तकनीक, ऊर्जा-कुशल कचरा उपचार प्रणाली |
| भारत में बायोमेडिकल कचरा उत्पादन | 743 टन प्रति दिन |
| एम्स दिल्ली – स्थिर तथ्य | स्थापना: 1956; स्थान: नई दिल्ली |
| सीएसआईआर – स्थिर तथ्य | स्थापना: 1942; मुख्यालय: नई दिल्ली |
| विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री | डॉ. जितेंद्र सिंह |
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