पितृ दिवस 2024: तारीख, इतिहास और महत्व

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पितृ दिवस एक प्यारा अवसर है जिसे हर साल मनाया जाता है ताकि पिता और उनके बच्चों के बीच विशेष बंधन का सम्मान किया जा सके। जबकि पिता का प्रेम और समर्पण किसी एक दिन तक सीमित नहीं होता, यह उत्सव उन सभी सुपर पिताओं को मान्यता और सराहना देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है जो अपने बच्चों की खुशी को सबसे ऊपर रखते हैं।

पितृ दिवस 2024 – तारीख

फादर्स डे 2024 रविवार, 16 जून को मनाया जाएगा। यह दिन हर साल जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है, जिससे परिवार एकत्रित होकर अपने जीवन में पितृ पुरुषों का सम्मान और उत्सव मना सकते हैं।

पितृ दिवस का इतिहास

फादर्स डे की शुरुआत 20वीं सदी के प्रारंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई। इस विचार का पहला प्रस्ताव 1909 में वाशिंगटन के स्पोकेन की सोनारा स्मार्ट डोड ने दिया था। नव स्थापित मदर्स डे से प्रेरित होकर, डोड अपने पिता, विलियम जैक्सन स्मार्ट, जो एक गृह युद्ध के वयोवृद्ध और छह बच्चों को पालने वाले एकल अभिभावक थे, को सम्मानित करने के लिए एक दिन बनाना चाहती थीं। पहला फादर्स डे 19 जून, 1910 को स्पोकेन में मनाया गया था। वर्षों के दौरान, यह विचार लोकप्रिय हो गया, और 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने एक घोषणा पर हस्ताक्षर करके फादर्स डे को संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राष्ट्रीय अवकाश बना दिया।

पितृ दिवस 2024 – महत्व

माता-पिता के प्रेम और समर्पण को दुनिया में कोई भी व्यक्ति शब्दों में बयां नहीं कर सकता है। पिता अपने बच्चों के लिए एक ऐसे पेड़ की छावं की तरह होता है जो अपने बच्चों को धूप, बारिश जैसी हर मुसीबतों से बचाने का काम करता है। यह दिन बच्चों और अन्य परिवार के सदस्यों को अपने पिताओं या पितृ समान व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता और प्रेम व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है, उनके बच्चों का पालन-पोषण, मार्गदर्शन और समर्थन करने में उनकी भूमिका को स्वीकार करता है। यह दिन पितृ प्रभाव के महत्व पर विचार करने के लिए होता है, जो व्यक्तियों और समाज को संपूर्ण रूप से आकार देने में सहायक होता है।

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भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जक

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भारत विश्व में नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जो एक ग्रीनहाउस गैस है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वायुमंडल को कहीं अधिक गर्म करती है। वर्ष 2020 में ऐसे वैश्विक मानव निर्मित उत्सर्जनों में लगभग 11% भारत से था, तथा 16% चीन से था।12 जून को अर्थ सिस्टम साइंस डेटा जर्नल में प्रकाशित एन2ओ उत्सर्जन के वैश्विक आकलन के अनुसार, इन उत्सर्जनों का प्रमुख स्रोत उर्वरक का उपयोग है।

डेटा और रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरी सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस N2O की वायुमंडलीय सांद्रता जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) उत्सर्जन परिदृश्यों द्वारा अनुमानित की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है। 2022 में सांद्रता 336 भाग प्रति बिलियन तक पहुंच गई, जो पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 25% अधिक है जो आईपीसीसी की भविष्यवाणियों से कहीं अधिक है। जबकि मानवीय गतिविधियों (जीवाश्म ईंधन और भूमि उपयोग परिवर्तन) से होने वाला वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पिछले दशक में स्थिर रहा है, वैश्विक N2O उत्सर्जन में वृद्धि जारी है, जिसका मुख्य कारण खाद्य उत्पादन है। 2020 में मानवजनित N2O उत्सर्जन की मात्रा के हिसाब से शीर्ष पांच उत्सर्जक देश चीन (16.7%), भारत (10.9%), संयुक्त राज्य अमेरिका (5.7%), ब्राज़ील (5.3%), और रूस (4.6%) थे।

नाइट्रोजन उर्वरक सभी के लिए हानिकारक

पिछले चार दशकों में मानवीय गतिविधियों से N2O उत्सर्जन में 40% (प्रति वर्ष तीन मिलियन मीट्रिक टन N2O) की वृद्धि हुई है, 2020 और 2022 के बीच वृद्धि दर 1980 के बाद से किसी भी पिछली अवधि की तुलना में अधिक है, जब विश्वसनीय माप शुरू हुए थे। पिछले दशक में अमोनिया और पशु खाद जैसे नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग करने वाले कृषि उत्पादन ने कुल मानवजनित N2O उत्सर्जन में 74% का योगदान दिया। मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न N2O उत्सर्जन ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावी विकिरण बल के 6.4% के लिए जिम्मेदार है, तथा इसने वर्तमान वैश्विक तापमान में लगभग 0.1°C की वृद्धि की है। पिछले दशक में वायुमंडलीय N2O की सांद्रता IPCC द्वारा प्रयुक्त सबसे निराशावादी, उदाहरणात्मक भविष्य के ग्रीनहाउस गैस प्रक्षेप पथ से अधिक हो गई है, जिसके कारण इस सदी के अंत तक वैश्विक औसत तापमान 3°C से भी अधिक हो जाएगा।

नाइट्रस ऑक्साइड का प्रभाव

एक बार उत्सर्जित होने के बाद, N2O औसत मानव जीवन काल (117 वर्ष) से ​​अधिक समय तक वायुमंडल में रहता है, और इसलिए इसका जलवायु और ओजोन पर प्रभाव लंबे समय तक रहता है। N2O उत्सर्जन के अलावा, सिंथेटिक नाइट्रोजन उर्वरकों और पशु खाद के अकुशल उपयोग से भूजल, पेयजल और अंतर्देशीय और तटीय जल का प्रदूषण भी होता है।

उत्सर्जन के पीछे का कारण

मांस और डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग ने खाद उत्पादन को बढ़ावा देकर इन उत्सर्जनों को और बढ़ा दिया है। इसी तरह, पशु आहार उत्पादन में नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दिया है। जबकि कृषि से उत्सर्जन में वृद्धि जारी है, जीवाश्म ईंधन और रसायनों जैसे अन्य क्षेत्रों से उत्सर्जन वैश्विक स्तर पर स्थिर या कम हो गया है।

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ATM से पैसे निकालना पड़ेगा महंगा, ऑपरेटर्स ने की चार्ज बढ़ाने की मांग

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एटीएम कन्फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज (CATMI) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) से मांग की है कि एटीएम से पैसे निकालते समय लगने वाला इंटरचेंज शुल्क बढ़ाया जाये। CATMI ने इस शुल्क को प्रति लेनदेन अधिकतम 23 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एटीएम उद्योग परिसंघ (सीएटीएमआई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) से वर्तमान अधिकतम शुल्क को 21 रुपये से बढ़ाकर 23 रुपये प्रति लेनदेन करने के लिए औपचारिक रूप से संपर्क किया है।

इतना बढ़ाने की हो रही मांग

एटीएम ऑपरेटर्स के संगठन कंफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री यानी सीएटीएमआई का कहना है कि इस चार्ज (इंटरचेंज फी) को अधिकतम 23 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन तक बढ़ाया जाना चाहिए। एटीएम मैन्युफैक्चरर एजीएस ट्रांजेक्ट टेक्नोलॉजीज का कहना है कि उसने इंटरचेंज फी को बढ़ाकर 21 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन करने की मांग की है, लेकिन कई अन्य ऑपरेटर्स की मांग 23 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन करने की है।

3 साल पहले हुआ था बदलाव

इंटरचेंज फी को आखिरी बार 2021 में बढ़ाया गया था। उस समय इंटरचेंज फी को 15 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन से बढ़ाकर 17 रुपये किया गया था। उसके बाद से चार्ज 17 रुपये ही है। ऑपरेटर्स का कहना है कि चार्ज में पिछला बदलाल काफी अंतराल के बाद किया गया था, लेकिन इस बार देरी नहीं होगी। उनका मानना है कि अब जल्दी ही इसमें बदलाव संभव है।

क्या होता है इंटरचेंज शुल्क

इंटरचेंज चार्ज वह शुल्क होता है, जो उस बैंक को दिया जाता है जहां एटीएम का उपयोग करके नकद निकाला जाता है और यह पैसा कार्ड जारी करने वाले बैंक द्वारा दिया जाता है।

कितने लेनदेन है फ्री

बचत बैंक खाताधारकों को हर महीने कम से कम पांच निःशुल्क लेनदेन की सुविधा दी जाती है। वहीं किसी अन्य बैंक से तीन लेनदेन फ्री में किया जा सकता है। इसके बाद यदि ग्राहक एटीएम से लेनदेन करता है तो उसे चार्ज देना पड़ता है।

भारत-आईओआरए क्रूज पर्यटन सम्मेलन नई दिल्ली में संपन्न हुआ

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दो दिवसीय भारत-आईओआरए क्रूज पर्यटन सम्मेलन 14 जून को नई दिल्ली में संपन्न हुआ। सम्मेलन में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, बांग्लादेश, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मोजाम्बिक, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, सेशेल्स और तंजानिया सहित आईओआरए सदस्य देशों के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन में सभी हितधारकों को आईओआरए सदस्य देशों में क्रूज पर्यटन को विकसित करने पर चर्चा हुई। इस दौरान बुनियादी ढांचे के विकास, नियामक मुद्दों, टिकाऊ पर्यटन, रोजगार सृजन, महिलाओं को शामिल करने और व्यापार के अवसरों पर चर्चा की गयी।

IQRA के बारे में

इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) एक गतिशील अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य अपने 22 सदस्य देशों और 10 संवाद भागीदारों के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग और सतत विकास को मजबूत करना है। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी) एक बंदरगाह है जो भारत के पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र के मुंबई के प्राकृतिक गहरे पानी के बंदरगाह पर स्थित है। यह बंदरगाह 400 वर्ग किलोमीटर में फैला है और दक्षिण में अरब सागर की ओर खुलता है। मुंबई और भारत को प्रमुख क्रूज गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए एमबीपीटी ने कई पहल की हैं।

भारत-आईक्यूआरए क्रूज पर्यटन सम्मेलन का उद्देश्य

आईओआरए-भारत क्रूज पर्यटन सम्मेलन का उद्देश्य आईओआरए क्षेत्र के भीतर क्रूज, तटीय और समुद्री पर्यटन की क्षमता को अधिकतम करने के लिए सहयोग, ज्ञान साझाकरण और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना है। सम्मेलन का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र क्रूज पर्यटन क्षेत्र और संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत आईओआरए सदस्य देशों और संवाद साझेदारों के सरकारी और व्यावसायिक हितधारकों को एक साथ लाना है।

सदस्य देशों सहित

बांग्लादेश, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मोजाम्बिक, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, सेशेल्स और तंजानिया सहित हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के सदस्य देशों के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।

खीर भवानी मंदिर महोत्सव में कश्मीरी पंडितों ने लिया हिस्सा

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हजारों कश्मीरी पंडित ने 14 जून को कश्मीर घाटी के गंदरबल जिले में स्थित खीर भवानी मंदिर में जयेष्ठ अष्टमी के वार्षिकोत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर कई लोगों ने 1990 के दशक में बढ़ते आतंकवाद के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवास किया था।

खीर भवानी का मंदिर

खीर भवानी मंदिर चिनार के पेड़ों के बीच स्थित है और इसमें एक प्राकृतिक झील भी है, जिसे पंडितों द्वारा शुभ माना जाता है। समुदाय के अनुसार, 1990 के दशक में झील का पानी अशुभ रूप से काला हो गया था और आतंकवाद के समय में समुदाय को प्रवास करना पड़ा। खीर भवानी मंदिर को कश्मीर के हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी माना जाता है। मंदिर संपूर्ण क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय मुस्लिम लोग तुल्लामुल्ला शहर में कश्मीरी पंडित भक्तों के आगमन पर मिट्टी के बर्तनों में दूध चढ़ाते हैं।

भक्तों की भीड़

अनुमान लगाया गया है कि वार्षिक मेले के दौरान कश्मीरी पंडितों की लगभग 80,000 यात्रियाँ भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेशों से पांच प्रमुख मंदिरों में जाने की संभावना है। यहां ज्येष्ठा अष्टमी के शुभ अवसर पर माता खीर भवानी के मेले स्थलों जैसे तुलमुल्ला (गंदरबल), टिक्कर (कुपवाड़ा), देवसर और मंजम (कुलगाम), और लोग्रिपोरा (अनंतनाग) पर कई हजार पंडित पिछले कई दिनों से ठहरे हुए हैं।

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WPI Inflation: मई में थोक महंगाई बढ़कर 2.61 प्रतिशत

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भारत की थोक महंगाई मई में तेजी से बढ़कर 15 माह के उच्च स्तर 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि यह अप्रैल में 1.26 प्रतिशत ही थी। प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी से इजाफे के कारण थोक महंगाई बढ़ी। थोक महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के रूप में मापा जाता है।

मई में खाद्य उत्पादों की महंगाई 9.82 प्रतिशत रही, जबकि इसके एक साल पहलेे यानी मई 2023 में थोक महंगाई -3.61 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार मई में थोक महंगाई के बढ़ने में ईंधन और बिजली के अलावा अन्य कारकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और इन कारकों की महंगाई सालाना आधार पर बढ़ी या मासिक आधार पर उनकी कीमत कम गिरी।

खाद्य वस्तुओं में मुख्यत: सब्जियों (32.42 प्रतिशत), दाल (21.95 प्रतिशत), अनाज (9.01 प्रतिशत), फल (5.81 प्रतिशत) और गेहूं (6 प्रतिशत) के दाम बढ़ने का असर थोक महंगाई पर देखा गया। वैसे तो इस माह के दौरान आलू (64.05 प्रतिशत), प्याज (58.05 प्रतिशत), धान (11.79 प्रतिशत) के दामों में गिरावट आई, फिर भी उनके दाम ऊपर बने हुए हैं। दूसरी तरफ प्रोटीन युक्त उत्पादों जैसे अंडे व मांस (0.68 प्रतिशत) और दूध (3.61 प्रतिशत) ने इस माह के दौरान कुछ राहत प्रदान की।

इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि अभी तक दक्षिण पश्चिम मॉनसून के बढ़ने की गति असमान रही है। दक्षिणी क्षेत्र में अत्यधिक बारिश हुई है। गर्मी की मार झेल रहे उत्तर पश्चिम और पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में बारिश कम हुई है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में खरीफ की समय पर बोआई के लिए समय पर बारिश होनी आवश्यक होती है। बारिश से जलाशयों का स्तर भरने में भी मदद मिलती है और इससे खाद्य महंगाई पर लगाम कसने में मदद मिलती है।

इस सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का भारांश

इस सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का भारांश 64.2 प्रतिशत रहा है और यह मई में 14 महीने के अंतराल के बाद महंगाई के दायरे (0.78 प्रतिशत) में आ गया। विनिर्मित खाद्य उत्पादों (2.71 प्रतिशत), विनिर्मित बेवरिज (2.41 प्रतिशत), लकड़ी उत्पादों (2.97 प्रतिशत), चमड़ा (0.32 प्रतिशत) और दवा (1.19 प्रतिशत) ने महंगाई को बढ़ाने में भूमिका निभाई।

मई में ईंधन और बिजली (1.35 प्रतिशत) के थोक मूल्य की वृद्धि में थोड़ी गिरावट आई और हाई स्पीड डीजल के मूल्य (-1.06 प्रतिशत) में गिरावट आई। इस माह के दौरान रसोई गैस (2.48 प्रतिशत) और पेट्रोल (0.51 प्रतिशत) में बढ़ोतरी हुई।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया कि वैश्विक तेल में महंगाई के बावजूद ईंधन महंगाई में मामूली कमी आई। हालांकि वैश्विक स्तर पर धातु के दाम बढ़ने के कारण विनिर्माण क्षेत्र की महंगाई बढ़ी।

अल्पना किलावाला द्वारा लिखित “ए फ्लाई ऑन द आरबीआई वॉल” नामक पुस्तक का विमोचन

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जब अल्पना किलावाला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में शामिल हुईं, तो बैंक का संचार विभाग आकार लेना शुरू ही कर रहा था। दो दशकों से अधिक के अपने करियर में, अल्पना ने न केवल RBI की संचार रणनीतियों के विकास को देखा, बल्कि इसमें सक्रिय योगदान भी दिया। उनकी पुस्तक, ए फ्लाई ऑन द आरबीआई वॉल: एन इनसाइडर व्यू ऑफ द सेंट्रल बैंक, उनकी यात्रा और 25 वर्षों में संस्था के परिवर्तन की एक व्यावहारिक झलक प्रदान करती है।

आरबीआई में अल्पना के प्रवेश ने बैंक के संचार कार्य के लिए एक नए युग की शुरुआत को चिह्नित किया। एक पूर्व कार्यकारी निदेशक द्वारा आरबीआई के संचार के विकास के अभिन्न अंग के रूप में वर्णित, अल्पना की कहानी बैंक की सार्वजनिक छवि और आंतरिक संचार के प्रबंधन के प्रयासों के साथ जुड़ी हुई है।

अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, अल्पना ने कई चुनौतियों का सामना किया। विशेष रूप से, उन्होंने हर्षद मेहता घोटाले जैसे प्रमुख संकटों और 1990 के दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण जैसे महत्वपूर्ण सुधारों के दौरान संचार का प्रबंधन किया। इन स्थितियों से निपटने में उनकी निपुणता ने उतार-चढ़ाव के समय आरबीआई की विश्वसनीयता और जनता के विश्वास को बनाए रखने में मदद की।

“एक फ्लाई ऑन द आरबीआई वॉल” केवल एक आत्मसमर्पण नहीं है; यह उपन्यासों का संग्रह है जो उसके केंद्रीय बैंक में अनुभवों की सीधी-सीधी विवरण प्रदान करते हैं। अल्पना खुले दिल से अपनी सीमाओं के साथ-साथ संस्थान की भी बात करती हैं, जबकि जहां यह योग्यता होती है, वहां प्रशंसा भी करती हैं। यह संतुलित दृष्टिकोण आरबीआई के आंतरिक कार्यप्रणाली में एक दुर्लभ झलक प्रस्तुत करता है।

RBI का विकास

पुस्तक पिछले 25 वर्षों में आरबीआई के विकास पर प्रकाश डालती है, जिसमें महत्वपूर्ण बदलावों पर प्रकाश डाला गया है क्योंकि भारत ने आर्थिक और व्यापार सुधारों की अपनी यात्रा शुरू की है। अल्पना की कथा में बताया गया है कि आरबीआई ने इन परिवर्तनों को कैसे अनुकूलित किया, खुद को देश के आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।

नेतृत्व में अंतर्दृष्टि

पुस्तक के अनूठे पहलुओं में से एक यह है कि यह उन राज्यपालों के दिमाग में झांकता है जिनके अधीन अल्पना ने काम किया था। इन सभी प्रतिष्ठित विद्वानों ने आरबीआई की नीतियों और दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया और नेतृत्व शैली, जैसा कि अल्पना द्वारा देखा गया है, पाठकों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

संचार के छात्र ए फ्लाई ऑन द आरबीआई वॉल में मूल्यवान सबक पा सकते हैं। अल्पना के अनुभव स्पष्ट और प्रभावी संचार के महत्व को रेखांकित करते हैं, विशेष रूप से उच्च-दांव वाले वातावरण में। संकटों के प्रबंधन, सार्वजनिक विश्वास बनाने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उनकी रणनीतियां कॉर्पोरेट या संस्थागत संचार भूमिकाओं में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।

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जी-7 देशों ने यूक्रेन को 50 बिलियन डॉलर का लोन देने पर जताई सहमति

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जी7 के प्रमुख देशों के नेताओं ने यूक्रेन (Ukraine) को 50 बिलियन डॉलर का लोन देने के लिए एक रूपरेखा समझौते पर सहमति व्यक्त की है। इसमें 2022 में मॉस्को द्वारा अपने पड़ोसी पर आक्रमण करने के बाद फ्रीज की गई रूसी संपत्तियों से ब्याज का उपयोग किया जाएगा।

यह राजनीतिक समझौता दक्षिणी इटली में जी7 नेताओं के वार्षिक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दिन हुआ। इसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने लगातार दूसरे साल भाग लिया।

द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता

इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और राष्ट्रपति बिडेन ने 10 साल के सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में यूक्रेन को सैन्य और प्रशिक्षण सहायता शामिल है, लेकिन इसमें अमेरिकी सैनिकों की तैनाती शामिल नहीं है। इसका उद्देश्य यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना और उसकी आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करना है।

ज़ब्त संपत्तियों का उपयोग

G7 और EU ने लगभग 325 बिलियन डॉलर की रूसी संपत्तियां ज़ब्त कर ली हैं। इन संपत्तियों से मिलने वाला ब्याज, जो सालाना लगभग 3 बिलियन डॉलर है, यूक्रेन के लिए 50 बिलियन डॉलर के ऋण की सेवा के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह ऋण वर्ष के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद है और इससे यूक्रेन की सैन्य, बजट, मानवीय ज़रूरतों और पुनर्निर्माण में मदद मिलेगी।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

अन्य G7 नेताओं ने ऋण समझौते की प्रशंसा की, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इसे “खेल बदलने वाला” कहा। हालाँकि, यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने चेतावनी दी कि जमे हुए फंड के मूलधन का उपयोग करने से अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अस्थिर हो सकती है।

नाटो की भूमिका

महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग के नेतृत्व में नाटो यूक्रेन के लिए दीर्घकालिक सैन्य सहायता की मांग कर रहा है, जिसके लिए अनुमानित $40 बिलियन वार्षिक पैकेज है। नाटो के रक्षा मंत्रियों ने यूक्रेन के लिए सुरक्षा सहायता और प्रशिक्षण के समन्वय के लिए गठबंधन की योजना को मंजूरी दे दी है।

तत्काल आवश्यकताएँ

यूक्रेन लगातार अधिक तत्काल सैन्य सहायता, विशेष रूप से वायु रक्षा प्रणाली और F-16 लड़ाकू जेट की मांग कर रहा है। नए यू.एस.-यूक्रेन सुरक्षा समझौते से इन शिपमेंट को सुगम बनाने की उम्मीद है।

जी7 : मुख्य बिंदु

सदस्य: कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

उद्देश्य: जी7 एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक नीतियों पर चर्चा और समन्वय करना है।

वर्तमान अध्यक्ष: इटली वर्तमान वर्ष के लिए अध्यक्षता कर रहा है।

घरों की कीमतों में पूरी दुनिया में मुंबई तीसरे, दिल्ली को मिला 5वां स्थान

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इस साल जनवरी-मार्च के दौरान घर की कीमतों में बढ़ोतरी के मामले में ग्लोबल लेवल पर शीर्ष 44 शहरों में मुंबई तीसरे और दिल्ली पांचवें स्थान पर है. रियल एस्टेट एडवाइजरी कंपनी नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है. नाइट फ्रैंक की पिछले साल सामान अवधि की रिपोर्ट में मुंबई छठे और दिल्ली 17वें स्थान पर थी. मनीला घरों की कीमतों के मामले में 26.2 प्रतिशत की एनुअल ग्रोथ के साथ पहले स्थान पर है, जबकि टोक्यो 12.5 प्रतिशत की एनुअल ग्रोथ के साथ दूसरे स्थान पर है.

नाइट फ्रैंक ने अपनी रिपोर्ट ‘प्राइम ग्लोबल सिटीज इंडेक्स क्यू1, 2024’ में कहा कि, मुंबई में मार्च तिमाही में मेजर रेजिडेंशियल सेक्शंस की कीमतों में 11.5 प्रतिशत की एनुअल ग्रोथ हुई है. इस सूची में दिल्ली पिछले साल 17वें स्थान पर थी. इस साल जनवरी-मार्च तिमाही दिल्ली पांचवें स्थान पर है. हालांकि, बेंगलुरु की रैंकिंग में 2024 की पहली तिमाही में गिरावट रही और ये 17वें स्थान पर रहा.

पिछले साल समान अवधि में बेंगलुरु 16वें स्थान पर था. जनवरी-मार्च में बेंगलुरु में घरों की कीमतों में 4.8 प्रतिशत की ग्रोथ रिकॉर्ड की गई. नाइट फ्रैंक ने कहा कि, प्राइम ग्लोबल सिटीज इंडेक्स (PGCI) एक इवैल्यूएशन बेस्ड इंडेक्स है, जो अपने ग्लोबल रिसर्च नेटवर्क से आंकड़ों का उपयोग करके, दुनियाभर के 44 शहरों में मेजर रेजिडेंशियल प्राइस की चाल पर नजर रखता है.

दुनिया के इन शहरों में सबसे तेजी से बढ़ी घरों की कीमतें

घरों की कीमतों के मामले में 26.2 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी के साथ मनीला पहले स्थान पर है, जबकि टोक्यो 12.5 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी के साथ दूसरे नंबर पर आया है. नाइट फ्रैंक ने अपनी रिपोर्ट ‘प्राइम ग्लोबल सिटीज इंडेक्स क्यू1, 2024’ में कहा कि मुंबई में मार्च तिमाही में प्रमुख रेसीडेंशियल सेगमेंट की कीमतों में 11.5 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी हुई है.

बेंगलुरु एक पायदान फिसला

हालांकि, बेंगलुरु की रैंकिंग में 2024 की पहली तिमाही में गिरावट रही और यह 17वें नंबर पर रहा. पिछले साल समान अवधि में बेंगलुरु 16वें नंबर पर था. जनवरी-मार्च में बेंगलुरु में घरों की कीमतों में 4.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भोपाल से किया प्रधानमंत्री श्री पर्यटन हवाई सेवा का शुभारंभ

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 13 जून को राज्य की राजधानी भोपाल के राजा भोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक अंतर्राज्यीय हवाई सेवा का शुभारंभ किया। इसे ‘पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा’ कहा जाता है और पहली उड़ान को राजधानी भोपाल से जबलपुर के लिए हरी झंडी दिखाई गई। इस सेवा को मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड (MPTB) द्वारा दो विमानों के साथ संचालित किया जा रहा है, जो राज्य के आठ शहरों- भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, खजुराहो, उज्जैन, रीवा और सिंगरौली को जोड़ेगी।

प्रधानमंत्री श्री पर्यटन वायु सेवा

पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा के तहत, रीवा को इंदौर, जबलपुर और भोपाल से सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को जोड़ा जा रहा है। ग्वालियर को इंदौर, भोपाल और उज्जैन से सप्ताह में दो दिन मंगलवार को और भोपाल से शनिवार को जोड़ा जा रहा है। उज्जैन को इंदौर, भोपाल और ग्वालियर से सप्ताह में तीन दिन मंगलवार को, इंदौर, भोपाल और जबलपुर से बुधवार को, और इंदौर और भोपाल से रविवार को जोड़ा जा रहा है। खजुराहो को भोपाल और जबलपुर से सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को जोड़ा जा रहा है। दोहरे इंजन वाले विमान प्रत्येक में छह यात्रियों को बैठाने की क्षमता रखते हैं। सरकार प्रतिक्रिया के आधार पर उच्च क्षमता वाले विमान उड़ाने की योजना बना रही है।

जेट सर्व एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी

मध्यप्रदेश पर्यटन ने मेसर्स जेट सर्व एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी में पीपीपी मोड के तहत राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘पीएम श्री टूरिज्म एयर सर्विस’ की शुरुआत की। यह राज्य के भीतर आठ शहरों को जोड़ेगा। ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा के लिए, एक फ्लाईओला वेबसाइट विकसित की गई है और इसे मंत्रालय में आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था।

 

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