केरल को किया जाएगा ‘अत्यधिक गरीबी मुक्त’ राज्य घोषित

भारत के सामाजिक विकास इतिहास में एक मील का पत्थर स्थापित करते हुए, केरल अब आधिकारिक रूप से “अत्यंत गरीबी-मुक्त राज्य” (Free of Extreme Poverty State) घोषित होने जा रहा है। यह घोषणा मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा 1 नवम्बर 2025 को तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में एक सार्वजनिक समारोह में की जाएगी। यह उपलब्धि राज्य के समावेशी विकास (Inclusive Growth) और लक्षित कल्याण कार्यक्रमों पर निरंतर ध्यान का परिणाम है, जो अब अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।

पृष्ठभूमि: गरीबी उन्मूलन अभियान

अत्यंत गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (Extreme Poverty Eradication Programme) वर्ष 2021 में शुरू किया गया था, जब वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया।
स्थानीय स्वशासन मंत्री एम.बी. राजेश के अनुसार, यह योजना 2021 के चुनावों के बाद कैबिनेट द्वारा लिए गए शुरुआती निर्णयों में से एक थी।

कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य थे —

  • गंभीर आर्थिक संकट में जीवन बिता रहे परिवारों की पहचान और सहायता

  • आवास, भोजन, स्वास्थ्य और आय समर्थन के लिए राज्य व स्थानीय संसाधनों का एकीकरण

  • रोज़गार, शिक्षा और संपत्ति निर्माण के माध्यम से दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित करना

इस बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण (multi-sectoral approach) के तहत सरकार ने सुनिश्चित किया कि समाज के सबसे निचले पायदान पर मौजूद परिवारों को केवल सहायता ही नहीं, बल्कि गरीबी से स्थायी रूप से बाहर निकलने का मार्ग भी मिले।

‘अत्यंत गरीबी’ की परिभाषा क्या है?

भारत में वर्तमान में अत्यंत गरीबी (Extreme Poverty) की कोई आधिकारिक राष्ट्रीय परिभाषा नहीं है,
लेकिन सामान्यतः यह उन परिवारों को संदर्भित करती है जो —

  • आय, आश्रय, भोजन और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं

  • सामाजिक कल्याण योजनाओं से दस्तावेज़ीकरण या सामाजिक अलगाव के कारण बाहर रह जाते हैं

  • पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी के दुष्चक्र में फंसे रहते हैं

केरल ने गरीबी का आकलन स्थानीय सर्वेक्षणों, पंचायत-स्तरीय आंकड़ों और ग़ैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की साझेदारी से किया, जिससे ज़मीनी स्तर पर सटीक पहचान और हस्तक्षेप संभव हुआ।

सामाजिक विकास में केरल की अग्रणी भूमिका

केरल की इस सफलता का आधार उसके मानव विकास में लंबे समय से किए गए निवेश हैं।
मुख्य कारणों में शामिल हैं —

  • उच्च साक्षरता दर और सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ

  • सशक्त स्थानीय शासन व्यवस्था (Decentralised Panchayati Raj System)

  • सक्रिय नागरिक समाज और विकेंद्रीकृत योजना मॉडल

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन

इन सामाजिक ढाँचों ने राज्य को अपने सबसे कमजोर तबकों की पहचान और सहायता करने में सक्षम बनाया।

राष्ट्रीय और नीतिगत महत्व

केरल की यह उपलब्धि पूरे भारत के लिए नीतिगत दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है —

  • अन्य राज्यों के लिए मानक (Benchmark): यह दिखाता है कि लक्षित गरीबी उन्मूलन और विकेंद्रीकृत शासन का संयोजन किस तरह ठोस परिणाम दे सकता है।

  • भारत की एसडीजी प्रगति में योगदान: यह उपलब्धि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG-1)“सभी रूपों में गरीबी का अंत” — के अनुरूप है।

  • बहुआयामी गरीबी की पहचान: यह मान्यता देता है कि गरीबी केवल आय की कमी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और गरिमा तक पहुंच से भी जुड़ी है।

यह उपलब्धि इस दिशा में भी संकेत देती है कि भारत को राष्ट्रीय गरीबी के अद्यतन आंकड़े (National Poverty Data) जारी करने की आवश्यकता है, जो 2011 के बाद से सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

आगे की दिशा

1 नवम्बर की यह घोषणा केवल एक औपचारिक घोषणा नहीं होगी, बल्कि नई चरण की शुरुआत भी मानी जा रही है —
ताकि कोई परिवार दोबारा गरीबी में न फिसले।

आने वाले समय में केरल सरकार का लक्ष्य होगा —

  • कमज़ोर परिवारों की निरंतर निगरानी

  • कौशल विकास और रोज़गार से जोड़ने वाले कार्यक्रमों को सशक्त करना

  • हाशिए पर मौजूद समुदायों के लिए सुरक्षा तंत्र (Safety Nets) को और मजबूत बनाना

सारांश:
केरल की “अत्यंत गरीबी-मुक्त” घोषणा न केवल राज्य की सामाजिक नीतियों की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे भारत के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत करती है — जहाँ विकास का अर्थ केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा, समानता और सामाजिक न्याय भी है।

भाई दूज 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, इतिहास और महत्व

भाई दूज 2025 — यह भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत प्रिय और भावनात्मक पर्व है, जो भाई-बहन के स्नेह और संबंध की गहराई को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है। यह त्योहार दीवाली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसमें परिवारिक प्रेम, परंपरा और आशीर्वाद का विशेष स्थान होता है। वर्ष 2025 में भाई दूज 23 अक्टूबर (गुरुवार) को पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी। इसे विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है — महाराष्ट्र में भाऊबीज, पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा (Bhai Phonta)।

भाई दूज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (Dwitiya Tithi)

  • 2025 में आरंभ: 22 अक्टूबर, रात्रि 8:16 बजे

  • समाप्ति: 23 अक्टूबर, रात्रि 10:46 बजे

  • शुभ मुहूर्त (तिलक का समय): 23 अक्टूबर को अपराह्न 1:13 बजे से 3:28 बजे तक

इस शुभ अवधि में बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, आरती करती हैं, मिठाई खिलाती हैं और उनके दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।

पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व

भाई दूज का संबंध भगवान यमराज (मृत्यु के देवता) और उनकी बहन यमुना (नदी देवी) से जुड़ा है।
किंवदंती के अनुसार —
एक दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर आमंत्रित किया। यमराज ने उसका निमंत्रण स्वीकार किया, और जब वे पहुँचे, तो यमुना ने उनका तिलक कर आरती उतारी, उन्हें भोजन कराया और स्नेहपूर्वक सत्कार किया।

यमराज इस प्रेम और सम्मान से भावुक हो गए और बोले —

“जो भाई आज के दिन अपनी बहन से तिलक और आशीर्वाद प्राप्त करेगा, उसे दीर्घायु और समृद्धि प्राप्त होगी।”

तभी से यह परंपरा प्रारंभ हुई, जो आज भी भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है।

क्षेत्रीय परंपराएँ और रीतियाँ

भारत के विभिन्न भागों में भाई दूज अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है —

  • उत्तर भारत में: बहनें आरती करती हैं, तिलक लगाती हैं और भाइयों को विशेष भोजन कराती हैं।

  • महाराष्ट्र में: इसे भाऊबीज कहा जाता है, जहाँ बहनें भाइयों को आमंत्रित कर तिलक और उपहार देती हैं।

  • पश्चिम बंगाल में: भाई फोंटा के रूप में इसे बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। बहनें विशेष मंत्रों के साथ तिलक लगाती हैं और भाइयों के कल्याण की कामना करती हैं।

हर क्षेत्र में इस दिन का मूल भाव समान रहता है —
बहन का स्नेह, भाई की रक्षा और परिवार का स्नेहपूर्ण एकत्रीकरण।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि परिवारिक प्रेम और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
आज के तेज़-तर्रार जीवन में यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि —

  • रिश्तों में स्नेह और विश्वास कितना आवश्यक है।

  • बहन के प्रेम और आशीर्वाद में भाई के लिए दिव्य सुरक्षा निहित है।

  • भारतीय संस्कृति में परिवार, परंपरा और आस्था का संगम ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।

परीक्षा हेतु उपयोगी तथ्य 

बिंदु विवरण
पर्व का नाम भाई दूज (भाऊबीज / भाई फोंटा)
तिथि 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
तिथि अवधि 22 अक्टूबर रात 8:16 बजे से 23 अक्टूबर रात 10:46 बजे तक
शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक
पौराणिक पात्र यमराज और यमुना
प्रमुख भाव भाई-बहन का स्नेह और दीर्घायु की कामना

न्यूजीलैंड 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की योजना

किशोर मानसिक स्वास्थ्य और ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच न्यूज़ीलैंड अब ऐसा कानून पेश करने जा रहा है जो 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाएगा। यह विधेयक नेशनल पार्टी की सांसद कैथरीन वेड (Catherine Wedd) द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इसमें प्रावधान है कि तकनीकी कंपनियों को नए उपयोगकर्ताओं को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत करने से पहले उनकी आयु सत्यापन (Age Verification) अनिवार्य रूप से करनी होगी।

यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो न्यूज़ीलैंड दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल होगा जिन्होंने नाबालिगों के सोशल मीडिया उपयोग पर इतने कड़े कानून बनाए हैं।

प्रस्तावित कानून के बारे में

  • यह विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कानूनी रूप से आयु सत्यापन अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव करता है।

  • यानी Instagram, TikTok, Facebook, Snapchat, और X (पूर्व में Twitter) जैसी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि नया उपयोगकर्ता 16 वर्ष या उससे अधिक आयु का है।

  • यह पहल ऑस्ट्रेलिया के 2024 के कानून से प्रेरित है, जिसने 16 वर्ष से कम उम्र के उपयोगकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया था और पहचान सत्यापन को सख्त किया था।

  • यह विधेयक मई 2025 में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन इसे हाल ही में न्यूज़ीलैंड की “मेंबर बिल लॉटरी” प्रक्रिया के तहत चयनित किए जाने के बाद राजनीतिक गति मिली है। इस प्रक्रिया में गैर-मंत्रिस्तरीय सांसदों को निजी विधेयक लाने का अवसर मिलता है।

सरकार की चिंता: मानसिक स्वास्थ्य और ऑनलाइन खतरे

प्रधानमंत्री क्रिस्टोफ़र लकसन (Christopher Luxon) और अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया के बच्चों और किशोरों पर बढ़ते प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

मुख्य चिंताएँ:

  • किशोरों में डिप्रेशन, चिंता (Anxiety) और आत्म-सम्मान की कमी जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों का बढ़ना।

  • साइबर बुलिंग, जो बच्चों में भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक हानि का कारण बन रही है।

  • भ्रामक जानकारी (Misinformation) और हानिकारक ऑनलाइन ट्रेंड्स, जिन्हें छोटे उपयोगकर्ता आसानी से समझ नहीं पाते।

  • बॉडी इमेज प्रेशर, जो एल्गोरिद्म-आधारित कंटेंट के ज़रिए अवास्तविक सुंदरता मानकों को बढ़ावा देता है।

लकसन ने कहा कि यदि डिजिटल वातावरण को बिना नियंत्रण के छोड़ दिया गया, तो यह युवा दिमागों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

विरोध और निजता से जुड़ी चिंताएँ

इस विधेयक का नागरिक स्वतंत्रता संगठनों ने कड़ा विरोध किया है।

PILLAR संगठन ने चेतावनी दी कि —

  • अनिवार्य आयु सत्यापन से उपयोगकर्ता की निजता (Privacy) खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि व्यक्तिगत डेटा टेक कंपनियों के पास जाएगा।

  • यह कदम बच्चों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देता, क्योंकि तकनीकी रूप से सक्षम बच्चे इसके उपाय ढूंढ सकते हैं।

  • अत्यधिक विनियमन से डिजिटल स्वतंत्रता सीमित हो सकती है और ऑनलाइन सेंसरशिप का रास्ता खुल सकता है।

PILLAR के कार्यकारी निदेशक नाथन सियुली (Nathan Seiuli) ने इसे “आलसी नीति-निर्माण (lazy policymaking)” बताया और कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए शिक्षा, डिजिटल साक्षरता और अभिभावकीय भागीदारी कहीं अधिक प्रभावी उपाय हैं।

निष्कर्ष:
यह विधेयक डिजिटल सुरक्षा बनाम निजता की बहस को फिर से जीवंत कर रहा है। एक ओर यह बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा को सशक्त करने का प्रयास है, तो दूसरी ओर यह सवाल भी उठाता है कि क्या कानूनी प्रतिबंधों से तकनीकी और सामाजिक समस्याओं का वास्तविक समाधान संभव है।

सऊदी अरब ने कफ़ाला सिस्टम को समाप्त कर दिया, इसका क्या मतलब है?

सऊदी अरब ने जून 2025 में एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए, लाखों विदेशी मज़दूरों (जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय शामिल हैं) पर लागू कफ़ाला प्रणाली (Kafala System) को समाप्त कर दिया है। अक्टूबर 2025 से लागू यह निर्णय देश की विज़न 2030 (Vision 2030) योजना के तहत अर्थव्यवस्था और मानवाधिकार सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कफ़ाला प्रणाली को अक्सर “आधुनिक दासता” से तुलना की जाती थी, क्योंकि यह मज़दूरों की गतिशीलता, नौकरी बदलने की स्वतंत्रता और कानूनी सुरक्षा पर कठोर प्रतिबंध लगाती थी। अब इस बदलाव के बाद विदेशी कामगारों — विशेष रूप से भारतीय प्रवासियों — को गरिमा, स्वतंत्रता और सुरक्षा की नई उम्मीद मिली है।

कफ़ाला प्रणाली क्या थी?

कफ़ाला (Kafala) या “स्पॉन्सरशिप प्रणाली” की शुरुआत 1950 के दशक में अधिकांश गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) देशों में हुई थी।
इस व्यवस्था के तहत नियोक्ता (Kafeel) को विदेशी मज़दूरों पर लगभग पूर्ण नियंत्रण प्राप्त था, विशेष रूप से घरेलू काम, निर्माण, आतिथ्य और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में।

मुख्य प्रतिबंध:

  • नियोक्ताओं द्वारा पासपोर्ट ज़ब्त करना

  • नौकरी बदलने की अनुमति के बिना कार्य नहीं कर पाना

  • देश छोड़ने के लिए लिखित स्वीकृति की आवश्यकता

  • कानूनी और श्रम संरक्षण तक सीमित पहुंच

  • न्यूनतम वेतन या यूनियन अधिकारों की अनुपस्थिति

इन प्रावधानों के कारण मज़दूरों और नियोक्ताओं के बीच गंभीर शक्ति असंतुलन उत्पन्न हुआ, जिससे शोषण, उत्पीड़न और असुरक्षा के हालात बने।

भारतीय प्रवासी मज़दूरों पर प्रभाव

सऊदी अरब में लगभग 25 लाख से अधिक भारतीय काम करते हैं, जो देश की सबसे बड़ी प्रवासी आबादियों में से एक हैं।
पिछले दशकों में इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा —

  • पासपोर्ट ज़ब्त करना

  • वेतन न मिलना या विलंबित भुगतान

  • शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न

  • आपातकाल में भारत लौटने की असमर्थता

विशेष रूप से महिला घरेलू कर्मियों को अलग-थलग और असुरक्षित वातावरण में काम करना पड़ता था।
अब कफ़ाला प्रणाली के हटने से इन्हें मौलिक श्रम अधिकारों और मानव गरिमा की सुरक्षा का अवसर मिलेगा।

नई प्रणाली में प्रमुख सुधार

नई नीति के तहत कफ़ाला प्रणाली की जगह अनुबंध-आधारित श्रम व्यवस्था (Contract-Based Labour System) लागू की गई है।
इससे मज़दूरों को अब मिले हैं कई अधिकार —

  • नौकरी बदलने की स्वतंत्रता, बिना स्पॉन्सर की अनुमति के

  • देश छोड़ने की स्वतंत्रता, बिना एग्ज़िट वीज़ा या कफ़ील की स्वीकृति के

  • कानूनी रूप से लागू होने वाले रोजगार अनुबंध

  • श्रम न्यायालयों और शिकायत निवारण तंत्र तक पहुंच

  • बेहतर वेतन सुरक्षा और कार्य परिस्थितियाँ

यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मानकों के अनुरूप है, जिसने वर्षों से कफ़ाला प्रणाली की आलोचना की थी।

विज़न 2030 और वैश्विक दबाव

यह सुधार क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विज़न 2030 कार्यक्रम का हिस्सा है —
जिसका उद्देश्य तेल पर निर्भरता कम करना, अर्थव्यवस्था में विविधता लाना, और सऊदी अरब की वैश्विक छवि सुधारना है।

सऊदी अरब पर दबाव डालने वाले प्रमुख कारक:

  • एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी मानवाधिकार संस्थाएँ

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

  • मीडिया और सांस्कृतिक माध्यम, जैसे मलयालम फ़िल्म “आडूजीविथम (Aadujeevitham)”, जिसने प्रवासी मज़दूरों के शोषण को उजागर किया

क़तर ने भी इसी तरह 2022 फीफ़ा वर्ल्ड कप से पहले अपनी कफ़ाला प्रणाली में सुधार किए थे।

लागू करने की चुनौतियाँ

हालांकि यह नीति परिवर्तन ऐतिहासिक है, विशेषज्ञों का कहना है कि सफलता कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी।
मुख्य चुनौतियाँ हैं —

  • नियोक्ताओं को नए नियमों का पालन सुनिश्चित कराना

  • मज़दूरों को उनके नए अधिकारों के बारे में जागरूक करना

  • कफ़ाला जैसे प्रथाओं को अनौपचारिक रूप से दोबारा लागू होने से रोकना

  • श्रम न्यायालयों की त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करना

भारत और अन्य श्रम-प्रेषक देशों को सऊदी अरब के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ये सुधार कागज़ी न रहें, बल्कि ज़मीनी स्तर पर लागू हों।

सारांश:
कफ़ाला प्रणाली की समाप्ति सऊदी अरब के लिए मानवाधिकार इतिहास का मील का पत्थर है। यह निर्णय न केवल विदेशी मज़दूरों — विशेष रूप से भारतीय प्रवासियों — के लिए सम्मान और स्वतंत्रता की नई शुरुआत है, बल्कि यह विज़न 2030 के तहत एक आधुनिक, न्यायसंगत और समावेशी सऊदी समाज की दिशा में बड़ा कदम भी है।

नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में सम्मानित किया गया

नीरज चोपड़ा — भारत के प्रतिष्ठित भाला फेंक (Javelin Throw) खिलाड़ी और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता — को एक और गौरवपूर्ण सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्हें टेरेटोरियल आर्मी (Territorial Army) में मानद (Honorary) लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि प्रदान की गई है।
यह सम्मान न केवल उनके असाधारण खेल उपलब्धियों की पहचान है, बल्कि उनके अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रभक्ति की भावना का भी प्रतीक है।
यह क्षण उस सुंदर संगम को दर्शाता है, जहाँ भारतीय रक्षा परंपरा और खेल उत्कृष्टता एक साथ आती हैं।

नीरज चोपड़ा की सेना में यात्रा

नीरज चोपड़ा का भारतीय सेना से जुड़ाव अगस्त 2016 में हुआ, जब उन्हें नायब सूबेदार (Naib Subedar) के रूप में शामिल किया गया था।
इसके बाद उनके खेल और सेवा दोनों में निरंतर उत्कर्ष के परिणामस्वरूप —

  • 2021: टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्हें सूबेदार (Subedar) पद पर पदोन्नत किया गया।

  • 2022: उन्हें सूबेदार मेजर (Subedar Major) बनाया गया और साथ ही पद्म श्री एवं परम विशिष्ट सेवा पदक (PVSM) से सम्मानित किया गया — जो सेना का सर्वोच्च शांतिकालीन सम्मान है।

  • 16 अप्रैल 2025 से प्रभावी, उन्हें मानद लेफ्टिनेंट कर्नल (Honorary Lieutenant Colonel) का पद प्रदान किया गया।

इस नियुक्ति ने नीरज को खेल और सैन्य दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्रतीक (National Icon) के रूप में स्थापित किया है।

मानद पद का अर्थ

टेरेटोरियल आर्मी (Territorial Army) भारतीय सेना की एक अंशकालिक स्वैच्छिक इकाई (part-time volunteer force) है, जो नियमित सेना को सहायक सेवाएँ प्रदान करती है।
मानद पद किसी व्यक्ति को सक्रिय सैन्य कमान (active command) नहीं देता, लेकिन यह अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रतीकात्मक होता है।

यह उपाधि उन नागरिकों या गैर-सेवारत व्यक्तियों को दी जाती है जिन्होंने राष्ट्र के प्रति असाधारण योगदान दिया हो।
सम्मान प्रदान करने की पिपिंग सेरेमनी (Pipping Ceremony) नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी उपस्थित थे।

दोनों नेताओं ने नीरज की देशभक्ति, अनुशासन और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत होने की सराहना की।

राष्ट्रीय सम्मान और खेल उपलब्धियाँ

नीरज चोपड़ा की खेल यात्रा अनेक ऐतिहासिक सम्मान से सुशोभित है —

  • अर्जुन पुरस्कार (2018) — एथलेटिक्स में प्रारंभिक उत्कृष्ट योगदान के लिए

  • राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (2021) — भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान

  • ओलंपिक स्वर्ण पदक (टोक्यो 2020) — ट्रैक एंड फील्ड में भारत का पहला स्वर्ण

  • विश्व चैम्पियनशिप (World Championships) — रजत एवं स्वर्ण पदक विजेता

इन उपलब्धियों ने नीरज को एक राष्ट्रीय नायक (National Hero) बना दिया है और यह सम्मान उनके दुर्लभ और प्रेरक योगदान की आधिकारिक मान्यता है।

सम्मान का व्यापक महत्व

यह नियुक्ति केवल व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति एक साझा भावना का प्रतीक है —

  • यह दर्शाती है कि सेना जैसी संस्थाएँ नागरिक उत्कृष्टता का भी सम्मान करती हैं।

  • यह युवाओं को अनुशासन, देशप्रेम और उत्कृष्टता के आदर्श अपनाने की प्रेरणा देती है।

  • यह खेल और राष्ट्रीय सेवा के बीच पुल (bridge) बनाती है, जिससे खिलाड़ी भी राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनते हैं।

नीरज चोपड़ा अब उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं, जिन्हें भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) ने सम्मानित किया है — जिनमें एम.एस. धोनी और अभिनव बिंद्रा जैसे नाम भी शामिल हैं।

निष्कर्ष:
नीरज चोपड़ा का मानद “लेफ्टिनेंट कर्नल” पद खेल और सेवा दोनों क्षेत्रों में भारत की भावना — “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय खेल” का प्रतीक है।
वह न केवल भारत के स्वर्ण पुरुष हैं, बल्कि राष्ट्र की प्रेरक शक्ति और अनुशासन के प्रतीक भी हैं।

भारत ने तीव्र हमला अभियानों के लिए भैरव बटालियनों का गठन किया

भारतीय सेना एक साहसिक परिवर्तन से गुजर रही है, जिसमें 25 भैरव बटालियन की स्थापना की जा रही है। ये नई श्रेणी की एलीट यूनिट नियमित इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज़ के बीच कार्य करेंगी। ये “लीन और मीन” बटालियनें सपर्साइज स्ट्राइक, काउंटर‑इंसर्जेंसी, टोही और उच्च‑गतिवान मिशनों पर विशेष ध्यान देंगी, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में। इन बटालियनों का गठन तेजी से प्रतिक्रिया क्षमता और सामरिक गहराई बढ़ाने के लिए सेना के व्यापक आधुनिकीकरण अभियान का हिस्सा है।

भैरव बटालियन क्या हैं?

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जुलाई 2025 में भैरव बटालियनों की घोषणा की। यह एक हाइब्रिड युद्ध मॉडल है।

  • प्रत्येक इन्फैंट्री बटालियन में मौजूद घाटक प्लाटून (Ghatak Platoons) लगभग 20 सैनिकों के होते हैं।

  • भैरव बटालियनें लगभग 250 सैनिकों की होंगी और भू‑विशिष्ट मिशनों के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होंगी।

Lt Gen अजय कुमार के अनुसार, भैरव यूनिटों का उद्देश्य:

  • सीमा पार हमलों द्वारा शत्रु गतिविधियों को बाधित करना।

  • अचानक हमले और गहन टोही करना।

  • स्पेशल फोर्सेज़ को कम महत्वपूर्ण मिशनों से मुक्त कर बल बढ़ाना (force multiplier)।

  • इन्फैंट्री, आर्टिलरी, सिग्नल्स और एयर‑डिफेंस के सैनिकों का समेकन।

इस विविध संरचना से प्रत्येक बटालियन स्वतंत्र और जटिल परिस्थितियों में तेज़ी से तैनात होने में सक्षम होगी।

तैनाती और सामरिक महत्व

  • वर्तमान में 5 बटालियन संचालन में हैं और 4 और बटालियनों का निर्माण जारी है।

  • पूरी 25 बटालियन छह महीनों के भीतर तैयार होने की उम्मीद है।

मुख्य तैनाती क्षेत्र:

  • पाकिस्तान और चीन से सटी उत्तरी सीमाएँ

  • उत्तर‑पूर्वी विद्रोही क्षेत्र

  • पश्चिमी सेक्टर, तेज़ी से बलों की तैनाती के लिए

यह बल‑वृद्धि बढ़ते सीमावर्ती तनाव और असममित खतरों जैसे आतंकवाद और ड्रोन युद्ध के बीच आ रही है।

परिचालन कारण: ऑपरेशन सिंदूर से सीख

ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) ने दिखाया कि तेजी और रणनीतिक उद्देश्यों के बीच अंतर है। इसके आधार पर भैरव बटालियनों की जरूरत:

  • स्वतंत्र कमान के साथ उच्च‑गति संचालन

  • इंटीग्रेटेड ISR (Intelligence, Surveillance, Reconnaissance) क्षमताएँ

  • सेना की विभिन्न शाखाओं के बीच घनिष्ठ समन्वय

भैरव यूनिटें इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज़ के बीच की खाई को भरेंगी और भविष्य के हाइब्रिड युद्ध में तेज़, लचीले जवाब सुनिश्चित करेंगी।

सेना के अन्य प्रमुख परिवर्तन

भैरव बटालियनों के अलावा भारतीय सेना में कई अन्य तकनीकी और लचीले यूनिटें शामिल हैं:

  1. आश्नी (Ashni) प्लाटून

    • इन्फैंट्री बटालियन के भीतर ड्रोन‑विशेषज्ञ यूनिट।

    • कार्य: निगरानी, लॉइटरिंग म्यूनिशन (impact पर विस्फोट), आत्मघाती‑शैली ड्रोन हमले।

  2. रुद्र ब्रिगेड (Rudra Brigades)

    • संयुक्त हथियार ब्रिगेडें: इन्फैंट्री, टैंक, मैकेनाइज्ड यूनिट, आर्टिलरी, UAVs, लॉजिस्टिक्स और स्पेशल फोर्सेज़।

    • टेक‑सक्षम लचीलापन और स्वतंत्र युद्ध क्षमता।

  3. शक्तिबाण रेजिमेंट्स (Shaktibaan Regiments)

    • अनमैन युद्ध केंद्रित रेजिमेंट्स।

    • ड्रोन‑स्वार्मिंग, RPAS और लॉन्ग/मीडियम‑रेंज लॉइटरिंग म्यूनिशन द्वारा प्रिसिजन स्ट्राइक।

  4. दिव्यास्त्र बैटरियाँ (Divyastra Batteries)

    • पारंपरिक तोपखाने + ड्रोन के माध्यम से रियल‑टाइम लक्ष्य ट्रैकिंग।

    • गतिशील लक्ष्यों के खिलाफ डीप स्ट्राइक और प्रिसिजन एंगेजमेंट।

निष्कर्ष:
ये नई इकाइयाँ नेटवर्क‑केंद्रित और AI-सहायता प्राप्त युद्ध क्षमता को बढ़ावा देती हैं। भैरव बटालियनें इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज़ के बीच पुल का काम करेंगी, तेजी से तैनाती और बहुआयामी संचालन के लिए सेना को सक्षम बनाएंगी। इस तरह भारतीय सेना के लिए यह एक तकनीक-सक्षम, लचीली और आधुनिक युद्ध संरचना की ओर महत्वपूर्ण कदम है।

निंगोल चाकोबा 2025: मणिपुर में उत्सव

निंगोल चाकोबा (Ningol Chakouba) — मणिपुर का एक संवेदनशील और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व — विवाहित महिलाओं (निंगोल) और उनके भाइयों तथा पैतृक परिवारों के बीच मजबूत पारिवारिक बंधन का उत्सव है। यह त्योहार मैतेई चंद्र कैलेंडर के “हियांग्गेई” (Hiyangei) महीने के दूसरे दिन हर वर्ष मनाया जाता है। साल 2025 में निंगोल चाकौबा बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है, जब महिलाएँ पारंपरिक मणिपुरी परिधान पहनकर अपने मायके लौटती हैं, उपहार लेकर आती हैं, और स्नेहभरे मिलन तथा सामूहिक भोज में भाग लेती हैं।

सांस्कृतिक महत्व और अर्थ

“निंगोल चाकोबा” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है —

  • निंगोल: विवाहित बेटियाँ या महिलाएँ

  • चाकोबा: साथ में भोज करना

यह पर्व मणिपुरी परंपराओं में गहराई से निहित है और विवाह के बाद भी भाई-बहन के प्रेमपूर्ण संबंध तथा बेटियों के अपने पैतृक घर से अटूट जुड़ाव को दर्शाता है।
यह परंपरा परिवारों के बीच भावनात्मक संबंधों को मजबूत करती है, और समाज को यह याद दिलाती है कि बेटियाँ विवाह के बाद भी अपने परिवार की समान रूप से प्रिय सदस्य होती हैं।

यह उत्सव लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन के संदेश को भी सुदृढ़ करता है।

अनुष्ठान और उत्सव

  • पर्व के दिन विवाहित महिलाएँ अपने मायके (पैतृक घर) जाती हैं, पारंपरिक मणिपुरी पोशाक पहनकर, प्रायः अपने बच्चों के साथ।

  • वे अपने साथ फल, सब्जियाँ, मिठाइयाँ और अन्य पकवान प्रेम और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में लाती हैं।

  • ये सभी वस्तुएँ परिवार के साथ साझा की जाती हैं और फिर सामूहिक भोज (feast) आयोजित होता है, जो उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है।

  • भोज का मुख्य व्यंजन मछली की करी (Fish Curry) होती है, जो इस दिन का प्रतीकात्मक पकवान है।

  • भोज के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, जो स्नेह, आभार और मंगलकामना का प्रतीक है।

यह उपहार और प्रेम का आदान-प्रदान पारिवारिक बंधनों को और गहरा बनाता है तथा बेटियों की भूमिका को पुनः प्रतिष्ठित करता है।

वार्षिक मछली मेला और तैयारी

निंगोल चाकोबा से पहले मणिपुर मत्स्य विभाग (Department of Fisheries, Manipur) द्वारा हर वर्ष वार्षिक मछली मेला cum फिश क्रॉप प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
2025 में यह आयोजन इंफाल के हप्ता कांगजेइबुंग (Hapta Kangjeibung) में मुख्य उत्सव से एक दिन पूर्व हुआ।

इस मेले का उद्देश्य है —

  • आम जनता को सस्ती दरों पर विभिन्न प्रकार की मछलियाँ उपलब्ध कराना, ताकि पारंपरिक मछली करी हर घर की थाली तक पहुँच सके।

  • स्थानीय मछुआरों और मत्स्य उत्पादकों को प्रोत्साहन देना और उनके उत्पादों को प्रदर्शित करना।

इस प्रकार, यह मेला न केवल सांस्कृतिक उत्सव बल्कि आर्थिक और कृषि दृष्टि से भी महत्वपूर्ण आयोजन बन जाता है।

सारांश:
निंगोल चाकोबा केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं है — यह प्रेम, सम्मान और पारिवारिक एकता का प्रतीक है।
यह मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक सामंजस्य का उज्ज्वल उदाहरण है, जो हर वर्ष बेटियों के स्नेहिल आगमन के साथ परिवारों में नई ऊर्जा और आनंद का संचार करता है।

कार्तिक नारायण गूगल क्लाउड में मुख्य उत्पाद अधिकारी के रूप में शामिल हुए

एक्सेंचर (Accenture) के पूर्व मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (CTO) कार्तिक नरायण (Karthik Narain) को गूगल क्लाउड (Google Cloud) का चीफ प्रोडक्ट एंड बिजनेस ऑफिसर नियुक्त किया गया है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) ने इस नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि नरायण का नेतृत्व कंपनी की एआई (AI) और क्लाउड सेवाओं में वृद्धि को और तेज करेगा। यह रणनीतिक कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब गूगल क्लाउड वैश्विक स्तर पर अपने एंटरप्राइज समाधानों और एआई क्षमताओं को सुदृढ़ कर रहा है।

प्रतिस्पर्धी क्लाउड बाज़ार में रणनीतिक नियुक्ति

कार्तिक नरायण की नियुक्ति से थॉमस कुरियन (Thomas Kurian) की नेतृत्व टीम और मज़बूत हुई है — ऐसे समय में जब गूगल क्लाउड बाज़ार में अमेज़न वेब सर्विसेज़ (AWS) और माइक्रोसॉफ्ट एज़्योर (Microsoft Azure) से कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

सुंदर पिचाई ने नरायण को एक “मुख्य नेता (key leader)” बताया, जो उन कॉरपोरेट ग्राहकों के साथ काम करेंगे जो एआई-संचालित डिजिटल परिवर्तन (AI-driven digital transformation) के दौर से गुजर रहे हैं।

उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल होंगे:

  • क्लाउड, डेटा, डेवलपर टूल्स और अप्लाइड एआई से संबंधित प्रोडक्ट और इंजीनियरिंग टीमों का नेतृत्व

  • गूगल क्लाउड की बाज़ार रणनीति (Go-to-Market Strategy) को मज़बूत करना ताकि ग्राहक अनुभव बेहतर हो

  • गूगल पब्लिक सेक्टर डिवीजन के साथ सहयोग कर सरकारी और सार्वजनिक अवसंरचना समाधान विकसित करना

पेशेवर यात्रा: एक्सेंचर से गूगल तक

कार्तिक नरायण के पास तकनीक और परामर्श उद्योग में 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
गूगल से पहले वे एक्सेंचर के सीटीओ थे, जहां उन्होंने वैश्विक स्तर पर एआई, डेटा और क्लाउड नवाचार का नेतृत्व किया।
उन्होंने एचसीएलटेक (HCLTech) और अन्य प्रमुख टेक कंपनियों में भी वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है।

नरायण के अनुसार, गूगल क्लाउड में उनकी नई भूमिका एक “असाधारण अवसर (incredible opportunity)” है, जिसमें वे एंटरप्राइज अनुभव को गूगल की एआई और इंटेलिजेंट क्लाउड क्षमताओं के साथ जोड़ना चाहते हैं।

जेमिनी एंटरप्राइज और गूगल क्लाउड की विकास दृष्टि

यह नियुक्ति गूगल क्लाउड के हाल ही में लॉन्च हुए “जेमिनी एंटरप्राइज (Gemini Enterprise)” प्लेटफ़ॉर्म के बाद हुई है — जो एक एआई-संचालित व्यावसायिक प्लेटफ़ॉर्म है और बाज़ार में सकारात्मक प्रतिक्रिया पा रहा है।
यह प्लेटफ़ॉर्म दर्शाता है कि गूगल क्लाउड एआई-आधारित एंटरप्राइज समाधानों में अग्रणी बनने की दिशा में काम कर रहा है।

कार्तिक नरायण की नियुक्ति से गूगल यह संकेत दे रहा है कि कंपनी प्रतिबद्ध है —

  • बुद्धिमान और स्केलेबल एंटरप्राइज टूल्स विकसित करने के लिए

  • एआई नवाचार के ज़रिए ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए

  • और वैश्विक क्लाउड उपस्थिति (global cloud footprint) को उद्योग-विशिष्ट विशेषज्ञता के साथ विस्तारित करने के लिए।

सारांश:
कार्तिक नरायण का गूगल क्लाउड में आगमन केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि गूगल की एआई-चालित एंटरप्राइज रणनीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों में कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को और मज़बूत करेगा।

कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास मिलकर शुरू करेंगे सतत ऊर्जा केंद्र

एक ऐतिहासिक सहयोग के तहत कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने आईआईटी मद्रास (IIT Madras) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत एक सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी (Centre for Sustainable Energy) की स्थापना की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण (clean energy transition) को गति देना है — जिसमें लो-कार्बन तकनीक, खदानों का पुन: उपयोग (mine repurposing) और हरित नवाचार (green innovations) जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। यह समझौता दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ, जो शैक्षणिक विशेषज्ञता और औद्योगिक परिवर्तन के एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्र के उद्देश्य

आगामी सस्टेनेबल एनर्जी केंद्र नवाचार और सततता-केंद्रित अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र होगा। इसके मुख्य उद्देश्य हैं —

  • पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने हेतु लो-कार्बन तकनीकों का विकास

  • कोयला खदानों का पुन: उपयोग कर उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा और पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के लिए तैयार करना

  • भारत की ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइजेशन दोनों को साथ लेकर चलने वाले स्वदेशी समाधान तैयार करना

  • कोल इंडिया की संचालन रणनीति में स्वच्छ ऊर्जा विविधीकरण को बढ़ावा देना

यह पहल इस बात का संकेत है कि कोल इंडिया एक पारंपरिक ऊर्जा उत्पादक कंपनी से आगे बढ़कर भारत की हरित ऊर्जा यात्रा का एक प्रमुख भागीदार बनने की दिशा में अग्रसर है।

कोल इंडिया के लिए रणनीतिक महत्व

कोल इंडिया, जो विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, पारंपरिक रूप से जीवाश्म ईंधन से जुड़ी रही है।
लेकिन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और वैश्विक दबाव को देखते हुए कंपनी अब भारत के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप अपनी रणनीति को बदल रही है।

CIL के चेयरमैन पी. एम. प्रसाद ने कहा कि यह साझेदारी कोल इंडिया की स्वदेशी स्वच्छ तकनीकों के विकास में सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।
उन्होंने जोर दिया कि इस तरह के उद्योग-शैक्षणिक सहयोग ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और कम-उत्सर्जन वाले ऊर्जा तंत्र की ओर बढ़ने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

आईआईटी मद्रास की भूमिका और दृष्टि

आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटी के नेतृत्व में यह संस्थान परियोजना के लिए शैक्षणिक और तकनीकी आधार प्रदान करेगा।
संस्थान अपनी इंजीनियरिंग, ऊर्जा प्रणाली और डेटा साइंस की विशेषज्ञता का उपयोग करेगा ताकि निम्नलिखित क्षेत्रों में विस्तार योग्य समाधान (scalable solutions) विकसित किए जा सकें —

  • खनन में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण (Renewable integration)

  • स्वच्छ ईंधन और भंडारण तकनीकें (Clean fuels & storage technologies)

  • ग्रीन हाइड्रोजन मार्ग (Green hydrogen pathways)

  • उत्सर्जन कमी ढांचे (Emission reduction frameworks)

प्रो. कामकोटी ने कहा कि इस तरह के उद्योग-शैक्षणिक सहयोग (industry-academia collaboration) भारत की पेरिस समझौते (Paris Agreement) और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) के तहत जलवायु प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने में अत्यंत अहम भूमिका निभाते हैं।

मानव पूंजी और अनुसंधान केंद्रितता

इस केंद्र का एक मुख्य स्तंभ मानव पूंजी का विकास होगा। इसके तहत —

  • पीएच.डी. और पोस्टडॉक्टरल कार्यक्रम सतत ऊर्जा पर केंद्रित होंगे

  • इंजीनियरिंग और विज्ञान छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराए जाएंगे

  • युवाओं के लिए संयुक्त अनुसंधान अवसर (Collaborative research opportunities) प्रदान किए जाएंगे

यह पहल आने वाले दशकों में भारत के स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण (clean energy transformation) को आगे बढ़ाने में सक्षम कुशल कार्यबल (skilled workforce) तैयार करने में मदद करेगी।

चेन्नई वास्तविक समय बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली शुरू करने वाला पहला शहर बना

शहरी आपदा प्रबंधन को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए चेन्नई भारत का पहला शहर बन गया है जिसने पूरी तरह से रियल-टाइम फ्लड फोरकास्टिंग और स्पैटियल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (RTFF & SDSS) को लागू किया है। अक्टूबर 2025 से संचालित यह प्रणाली चेन्नई की बाढ़ पूर्वानुमान, प्रबंधन और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को नई ऊँचाई पर ले गई है। यह पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि चेन्नई अक्सर मॉनसून से होने वाली शहरी बाढ़ से प्रभावित रहता है। सटीक पूर्वानुमान जीवन बचाने, नुकसान कम करने और स्मार्ट शहरी योजना को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

RTFF & SDSS क्या है?

रियल-टाइम फ्लड फोरकास्टिंग और स्पैटियल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (RTFF & SDSS) एक उन्नत तकनीकी प्रणाली है जो रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके बाढ़ की निगरानी और पूर्वानुमान करती है।

मुख्य घटक:

  • स्वचालित वर्षा मापक यंत्र (Automatic Rain Gauges – ARGs)

  • स्वचालित मौसम स्टेशन (Automatic Weather Stations – AWS)

  • स्वचालित जल स्तर रिकॉर्डर (Automatic Water Level Recorders – AWLRs)

  • गेट सेंसर (Gate Sensors – GS)

ये सभी उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले हाइड्रो-मौसमी डेटा एकत्र करते हैं, जिससे निर्णयकर्ता और स्थानीय अधिकारी सही समय पर कदम उठा सकें।

कवरेज और भौगोलिक दायरा

यह प्रणाली 4,974 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करती है, जिसमें चेन्नई और उसके आसपास के जिले शामिल हैं। यह मुख्य रूप से निम्नलिखित नदी उप-बेसिनों पर केंद्रित है:

  • अडयार नदी

  • कूम नदी

  • कोसस्थलैयार नदी

  • कोवलम नदी

यह व्यापक कवरेज प्रशासन को संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, वर्षा प्रभाव का पूर्वानुमान, और समय पर राहत कार्यवाही करने में सक्षम बनाता है।

कार्यान्वयन और वित्तपोषण

  • यह परियोजना विश्व बैंक (World Bank) के प्रोजेक्ट डेवलपमेंट ग्रांट फंड (PDGF) के तहत वित्तपोषित की गई है।

  • इसे तमिलनाडु अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (TNUIFSL) द्वारा लागू किया गया।

  • तकनीकी विकास में निम्नलिखित संस्थाओं का सहयोग रहा:

    • SECON प्राइवेट लिमिटेड

    • JBA कंसल्टिंग (यूके)

    • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) — जिसने परियोजना की वैज्ञानिक विश्वसनीयता और तकनीकी मजबूती सुनिश्चित की।

संचालन अवसंरचना और प्रबंधन

संपूर्ण प्रणाली की निगरानी एक केंद्रीय हाइड्रो मॉडलिंग कंट्रोल रूम (HMCR) से की जाती है।
जमीनी स्तर पर बाढ़ प्रतिक्रिया के लिए क्षेत्रीय नियंत्रण और कमांड केंद्र (RCCCs) निम्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं:

  • रॉयापुरम

  • अन्ना नगर

  • अडयार

इन केंद्रों में CCTV कैमरे, बाढ़ और वर्षा सेंसर, तथा जल स्तर मीटर लगाए गए हैं, जिससे रियल-टाइम में स्थिति की निगरानी और स्थानीय स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया रणनीति संभव हो सके।

यह पहल चेन्नई को भारत में जलवायु सहनशील (climate-resilient) शहरों की अग्रणी श्रेणी में लाती है और आने वाले वर्षों में अन्य महानगरों के लिए एक मॉडल शहरी बाढ़ प्रबंधन प्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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