BCAS ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी

राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक बड़े कदम के तहत, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने मेसर्स सेलेबी और उसकी सहयोगी कंपनियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू द्वारा घोषित यह निर्णय सरकार के इस दृढ़ रुख को दर्शाता है कि सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सभी अन्य बातों से ऊपर हैं।

समाचार में क्यों?

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने M/s Celebi और इसकी संबद्ध कंपनियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते लिया गया है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने घोषणा करते हुए कहा कि जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि हैं

मुख्य बिंदु

विषय विवरण
सुरक्षा मंजूरी रद्द BCAS ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर Celebi और उसकी सहयोगी कंपनियों की सुरक्षा मंजूरी वापस ली।
मंत्री का वक्तव्य राष्ट्रीय हित और जन सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा – राम मोहन नायडू

निरंतरता सुनिश्चित करने के उपाय

  • सभी प्रभावित हवाई अड्डों को यात्रियों और माल की निरंतर और सुचारु सेवाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

  • विशेष टीमें तैनात की गई हैं ताकि संचालन प्रभावित हो।

कर्मचारियों को लेकर आश्वासन

  • Celebi के मौजूदा कर्मचारियों को संरक्षित और स्थानांतरित करने के प्रयास जारी हैं।

  • परिवर्तन को सहज और श्रमिक हितैषी तरीके से अंजाम देने की योजना।

Celebi का परिचय

  • Celebi एक तुर्की-आधारित ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी है, जो भारत के कई हवाई अड्डों पर कार्यरत है।

  • यह सामान संचालन, कार्गो लोडिंग/अनलोडिंग, विमान की सफाई और टैarmac संचालन जैसी सेवाएं देती है।

  • वर्ष 2009 से भारत में सक्रिय है और नागरिक उड्डयन क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है।

स्थैतिक तथ्य शासन व्यवस्था

संस्था भूमिका
BCAS (नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो) भारत में विमानन सुरक्षा की नियामक संस्था।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय नीतियों के क्रियान्वयन और यात्री सुरक्षा का पर्यवेक्षण करता है।
ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं विमान की शीघ्रता से सेवा और संचालन कुशलता हेतु अत्यावश्यक हैं।

इस निर्णय का महत्व

  • नागरिक उड्डयन में राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को बनाए रखना।

  • संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत विदेशी कंपनियों की गहन जांच की ओर संकेत।

  • सुरक्षा और सेवा निरंतरता के बीच संतुलन का उदाहरण।

भारत का श्रम बाजार: PLFS अप्रैल 2025 बुलेटिन से प्रमुख रुझान

भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने अप्रैल 2025 के लिए संशोधित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) का पहला मासिक बुलेटिन जारी किया है। यह नया प्रारूप भारत के श्रम डेटा पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) ढांचे के तहत उच्च आवृत्ति, ग्रामीण और शहरी रोजगार-बेरोजगारी संकेतक प्रदान करता है।

समाचार में क्यों?

15 मई 2025 को MoSPI ने परिवर्तित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के तहत पहला मासिक बुलेटिन जारी किया। जनवरी 2025 से लागू नई पद्धति के साथ यह पहली मासिक रिपोर्ट है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार-बेरोजगारी की नियमित निगरानी संभव होगी।

नई कार्यप्रणाली और ढांचा

  • जनवरी 2025 से लागू किया गया नया डिज़ाइन।

  • मासिक रोटेशनल पैनल सैंपलिंग दृष्टिकोण अपनाया गया।

  • प्रत्येक परिवार को लगातार 4 महीनों तक 4 बार सर्वेक्षण किया जाता है।

  • स्थिरता के लिए 75% नमूना इकाइयाँ हर माह पुनः प्रयुक्त की जाती हैं।

अप्रैल 2025 श्रम बाज़ार संकेतक (आयु 15 वर्ष से अधिक, CWS के अनुसार)

संकेतक कुल भारत ग्रामीण क्षेत्र शहरी क्षेत्र
1. श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 55.6% 58.0% 50.7%
पुरुष LFPR 79.0% 75.3%
महिला LFPR 38.2%
2. कार्यबल जनसंख्या अनुपात (WPR) 52.8% 55.4% 47.4%
महिला WPR 36.8% 23.5%
कुल महिला WPR 32.5%
3. बेरोज़गारी दर (UR) 5.1%
पुरुष UR 5.2%
महिला UR 5.0%

नमूना डिज़ाइन और आकार (अप्रैल 2025)

  • कुल प्राथमिक नमूना इकाइयाँ (FSUs): 7,511

    • ग्रामीण: 4,140

    • शहरी: 3,371

  • सर्वेक्षित परिवार: 89,434 (ग्रामीण: 49,323 | शहरी: 40,111)

  • सर्वेक्षित व्यक्ति: 3,80,838

महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु)

  • LFPR: जो लोग काम कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं, उनकी कुल जनसंख्या में प्रतिशत।

  • WPR: कुल जनसंख्या में कार्यरत व्यक्तियों का प्रतिशत।

  • UR: श्रम बल में बेरोज़गार व्यक्तियों का प्रतिशत।

  • CWS: पिछले 7 दिनों की गतिविधियों पर आधारित कार्य स्थिति।

महत्व

  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए समयबद्ध और सटीक डेटा प्रदान करता है।

  • महिला-पुरुष रोजगार अंतर पर नज़र रखने में सहायक।

  • नई कार्यप्रणाली से नीति निर्माण में तत्परता और सांख्यिकीय पारदर्शिता में वृद्धि होती है।

अप्रैल 2025 तक भारत का बाह्य एफडीआई बढ़कर 6.8 बिलियन डॉलर: आरबीआई

भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रतिबद्धताएं अप्रैल 2025 में बढ़कर 6.8 बिलियन डॉलर हो गईं, जो अप्रैल 2024 में दर्ज की गई राशि से लगभग दोगुनी है, जो भारतीय उद्यमों द्वारा वैश्विक विस्तार में मजबूत निवेशक विश्वास को दर्शाती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यह तीव्र वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब भारतीय कंपनियां अपनी विदेशी सहायक कंपनियों और संयुक्त उद्यमों में इक्विटी निवेश, ऋण और गारंटी के माध्यम से वैश्विक अवसरों का आक्रामक तरीके से लाभ उठा रही हैं।

समाचार में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की Outward FDI प्रतिबद्धताएँ अप्रैल 2025 में बढ़कर $6.8 अरब हो गईं, जो अप्रैल 2024 में दर्ज $3.58 अरब से लगभग दोगुनी हैं। यह वृद्धि दर्शाती है कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारतीय कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए आश्वस्त और सक्रिय हैं।

Outward FDI के प्रमुख घटक

  1. इक्विटी निवेश

    • अप्रैल 2025: $2.72 अरब

    • अप्रैल 2024: $740 मिलियन

    • कई गुना वृद्धि

  2. ऋण 

    • अप्रैल 2025: $1.16 अरब

    • अप्रैल 2024: $687.33 मिलियन

    • तीन गुना से अधिक वृद्धि

  3. गारंटी 

    • अप्रैल 2025: $2.98 अरब

    • अप्रैल 2024: $2.16 अरब

    • मार्च 2025 की तुलना में भी काफी अधिक ($1.23 अरब)

उद्देश्य और महत्व

  • भारतीय कंपनियों का वैश्विक बाजारों में भरोसा बढ़ना

  • पूंजी आवंटन का रुझान वैश्विक विस्तार, विविधता और तकनीकी नवाचार की ओर

  • सरकार की “Make in India for the Worldनीति को समर्थन

स्थैतिक तथ्य 

  • Outward FDI में शामिल हैं:

    • पूर्ण स्वामित्व वाली विदेशी शाखाएँ (Wholly owned subsidiaries)

    • संयुक्त उपक्रम (Joint ventures)

    • रणनीतिक अधिग्रहण (Strategic acquisitions)

  • नियमन: FEMA (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम), 1999 के अंतर्गत

  • प्रशासन: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) — स्वचालित और अनुमोदन मार्गों के माध्यम से

पृष्ठभूमि

  • पारंपरिक रूप से भारत FDI प्राप्त करने वाला देश रहा है

  • हाल के वर्षों में भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ तेजी से विदेशों में निवेश कर रही हैं

  • प्रमुख निवेश क्षेत्र:

    • नवीकरणीय ऊर्जा

    • आईटी सेवाएँ

    • फार्मास्यूटिकल्स

    • ऑटोमोबाइल

सारांश / स्थैतिक तथ्य विवरण
समाचार में क्यों? अप्रैल 2025 में भारत का Outward FDI $6.8 अरब तक पहुँचा: RBI
Outward FDI (अप्रैल 2025) $6.8 अरब
Outward FDI (अप्रैल 2024) $3.58 अरब
प्रमुख घटक इक्विटी ($2.72 अरब), ऋण ($1.16 अरब), गारंटी ($2.98 अरब)
प्रशासक संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
शासक कानून विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999
प्रभाव भारतीय कंपनियों के वैश्विक विस्तार में तेज़ी

DRDO ने अलवणीकरण के लिए स्वदेशी पॉलिमरिक झिल्ली विकसित की

तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कानपुर स्थित अपनी प्रयोगशाला डीएमएसआरडीई के माध्यम से समुद्री जल विलवणीकरण के लिए एक उच्च दबाव वाली नैनोपोरस बहुस्तरीय पॉलीमेरिक झिल्ली को सफलतापूर्वक विकसित किया है। यह नवाचार भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करता है और एक अपतटीय गश्ती पोत (ओपीवी) पर प्रारंभिक तकनीकी परीक्षणों को पहले ही पास कर चुका है।

समाचार में क्यों?

DRDO ने समुद्री जल को मीठा बनाने के लिए स्वदेशी उच्च-दाब नैनो-पोरस मल्टीलेयर्ड पॉलीमर मेम्ब्रेन विकसित की है, जो भारतीय तटरक्षक बल (ICG) की जरूरतों को पूरा करती है। यह प्रणाली आठ महीनों में विकसित की गई और इसे तटरक्षक के ऑफशोर पेट्रोलिंग पोत (OPV) पर सफलतापूर्वक परखा गया।

मुख्य बिंदु

बिंदु विवरण
विकासकर्ता डीएमएसआरडीई, कानपुर (DRDO की एक प्रयोगशाला)
उद्देश्य उच्च-दाब समुद्री जल शोधन
लाभार्थी भारतीय तटरक्षक बल (ICG)
मेम्ब्रेन प्रकार नैनो-पोरस बहु-स्तरीय पॉलीमर झिल्ली
विकास अवधि 8 महीने
परीक्षण स्थिति ICG के OPV पर सफल प्रारंभिक परीक्षण
अगला चरण 500 घंटे के परीक्षण के बाद अंतिम परिचालन मंजूरी की प्रतीक्षा

उद्देश्य

  • समुद्री पोतों पर प्रयोग हेतु स्थिर, कुशल स्वदेशी जलशोधन समाधान उपलब्ध कराना।

  • उच्च लवणता वाले समुद्री परिवेश के अनुरूप विशेष रूप से अनुकूलित प्रणाली तैयार करना।

पृष्ठभूमि

  • समुद्री क्षेत्रों में मीठे पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए जल विलवणीकरण (desalination) अनिवार्य है।

  • आयातित प्रणालियाँ महंगी होती हैं रखरखाव में कठिनाई होती है।

  • DRDO ने भारतीय समुद्री स्थितियों के अनुरूप क्लोराइड प्रतिरोधी मेम्ब्रेन विकसित करने का लक्ष्य रखा।

महत्त्व

  • रक्षा सामग्री तकनीक में प्रगति

  • समुद्री आत्मनिर्भरता को बल

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान को समर्थन

  • भविष्य में नागरिक तटीय क्षेत्रों में भी उपयोग की संभावना

DRDO के बारे में

  • पूर्ण नाम: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

  • मुख्यालय: नई दिल्ली

  • संस्थान: 41 प्रमुख प्रयोगशालाएँ + 5 युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ (DYSLs)

  • प्रमुख परियोजनाएँ: अग्नि, पृथ्वी, तेजस, पिनाका, आकाश, रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम्स आदि

डोंगरिया कोंध कौन हैं?

डोंगरिया कोंध भारत के संविधान द्वारा संरक्षित विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत हैं। ये मुख्य रूप से ओडिशा राज्य के कालाहांडी और रायगढ़ा जिलों में फैले नियामगिरि पहाड़ियों में निवास करते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

डोंगरिया कोंध एक बहुईश्वरवादी (polytheistic) और प्रकृति-आधारित धार्मिक विश्वास प्रणाली का पालन करते हैं। उनके लिए पहाड़, जंगल और पेड़ केवल प्राकृतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि पवित्र देवता हैं जो उनके जीवन की रक्षा और मार्गदर्शन करते हैं। उनका पूर्वजों की पूजा और प्रकृति से जुड़ा आध्यात्मिक जीवन उनके दैनिक आचरण और अनुष्ठान परंपराओं को आकार देता है।

भाषा और लिपि

पहलू विवरण
बोली जाने वाली भाषा कुई (Kui)एक मौखिक द्रविड़ भाषा, जो गोंडी से संबंधित है
मूल लिपि कुई की कोई स्वदेशी लिपि नहीं है
लिप्यंतरण कभी-कभी ओड़िया लिपि में लिखा जाता है

हालांकि कुई भाषा के पास अपनी लिखित लिपि नहीं है, लेकिन यह कथाओं, लोक गीतों और अनुष्ठानिक मंत्रों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप में जीवित है।

शारीरिक और सांस्कृतिक पहचान

डोंगरिया कोंध का पहनावा और स्वरूप उनके सांस्कृतिक गौरव और पहचान का प्रतीक है।

महिलाओं का पहनावा और रूप

  • बहुत कम वस्त्र पहनती हैं

  • धातु की नथें पहनती हैं

  • शरीर पर गोदना (टैटू) बनवाती हैं

  • कानों की पूरी रेखा में कई झुमके पहनती हैं

पुरुषों का स्वरूप

  • रंग-बिरंगी पगड़ियां और लंगोट पहनते हैं

  • उनके शरीर पर भी पारंपरिक टैटू होते हैं

  • पारंपरिक नृत्य और अनुष्ठानों में भाग लेते हैं

इनका पहनावा केवल उनके वनवासी जीवन के अनुकूल है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक शान का प्रतीक भी है।

आजीविका और कृषि

खेती का तरीका

  • डोंगरिया कोंध पोडु खेती (झूम/स्थानांतरित कृषि) करते हैं, जिसमें छोटी-छोटी वन भूमि को साफ़ करके खेती की जाती है।

मुख्य फसलें

  • कोदो-कुटकी जैसे बाजरा

  • हल्दी

  • अनानास

  • पहाड़ी इलाके के अनुरूप अन्य स्थानीय फसलें

वन आधारित अर्थव्यवस्था

इनकी आजीविका का बड़ा हिस्सा वनोपज (NTFPs) पर निर्भर है, जैसे —

  • औषधीय जड़ी‑बूटियाँ

  • वन्य फल

  • शहद

  • ईंधन‑काष्ठ

ये संसाधन केवल इनकी अर्थव्यवस्था को बनाए रखते हैं, बल्कि उस पारिस्थितिकी से भी जोड़ते हैं जिसे वे पूजा करते हैं।

सामाजिक और धार्मिक जीवन

धार्मिक विश्वास

  • एनिमिज़्म (प्रकृति‑पूजा) पर आधारित

  • प्रकृति के आत्मा, पूर्वजों तथा पवित्र पर्वत‑नदियों में आस्था

  • इनके अनुष्ठान, नृत्य और मौखिक परंपराएँ सामूहिक आध्यात्मिक जीवन का भाग हैं।

जनजातीय उप‑समूह (क्लैन)

  • कोवी (Kovi)

  • कुट्टिया (Kuttia)

  • लंगुली (Languli)

  • पेंगा (Penga)

  • झारनिया (Jharnia)

इन क्लैनों के आधार पर सामाजिक भूमिकाएँ, विवाह रीति‑रिवाज और पारंपरिक नेतृत्व निर्धारित होते हैं।

सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ

  • कथाएँ — पूर्वजों का ज्ञान संरक्षित करती हैं

  • गीत नृत्य — हर उत्सव जीवन‑सूचना में संगत

  • अनुष्ठान — भूमि, आत्मा और इतिहास से संबंध जोड़ते हैं

इन अभिव्यक्तियों के माध्यम से पहचान जिजीविषा पीढ़ी‑दर‑पीढ़ी मौखिक परंपरा में संजोई जाती है, बिना लिखित अभिलेखों के।

भावना अग्रवाल को HPE India का वरिष्ठ उपाध्यक्ष और एमडी नियुक्त किया गया

हेवलेट पैकार्ड एंटरप्राइज़ (HPE) ने 15 मई 2025 को भारत के लिए सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (SVP) और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) के रूप में भावना अग्रवाल की नियुक्ति की घोषणा की है। यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू किया गया है, जैसा कि कंपनी द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया। भावना अग्रवाल सीधे हेइको मेयर, कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य बिक्री अधिकारी, को रिपोर्ट करेंगी और भारत में HPE के व्यापारिक रणनीति और संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगी।

अनुभवी नेता से मिली विरासत

भावना अग्रवाल ने यह पद सोम सतसंगी से संभाला है, जिन्होंने HPE में 27 वर्षों से अधिक समय तक सेवा दी है। सतसंगी 2016 से HPE इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर थे और उन्होंने एंटरप्राइज़ आईटी, क्लाउड सेवाओं और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में कंपनी की मजबूत उपस्थिति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हालांकि सतसंगी अब MD पद से हट रहे हैं, वे जुलाई 2025 तक HPE के साथ बने रहेंगे ताकि नेतृत्व परिवर्तन सुचारु रूप से हो और रणनीतिक दिशा मिलती रहे।

भावना अग्रवाल: तकनीकी नेतृत्व में एक अग्रणी नाम

भावना अग्रवाल के पास डिजिटल स्टार्टअप्स, मीडिया और उपभोक्ता तकनीकी कंपनियों में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे 2019 में HPE से जुड़ीं और उन्होंने शुरुआत में Compute Business Unit और Growth Team का नेतृत्व किया। हाल के वर्षों में उनका दायरा खाता प्रबंधन और उद्योग वर्टिकल्स तक बढ़ा, जिससे राजस्व और ग्राहक जुड़ाव में उल्लेखनीय प्रगति हुई।

उनकी रणनीतिक सोच, नवाचार को बढ़ावा देने की क्षमता और मजबूत टीमें बनाने की विशेषज्ञता HPE की डिजिटल परिवर्तन की महत्वाकांक्षा के साथ मेल खाती है।

मेक इन इंडिया” की प्रतिबद्धता को मज़बूती

यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब HPE भारत में “मेक इन इंडिया” पहल के तहत अपनी भागीदारी गहरा कर रही है। इसी वर्ष, भावना अग्रवाल और सोम सतसंगी ने HPE का 6001वां ‘मेड इन इंडिया’ सर्वर केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में रोलआउट किया। यह मील का पत्थर कंपनी के स्थानीय विनिर्माण और अनुसंधान पर बढ़ते फोकस को दर्शाता है।

HPE इंडिया: एक वैश्विक प्रमुख केंद्र

टेक्सास मुख्यालय वाली और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध HPE ने भारत में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई है और यह कंपनी के अमेरिका के बाहर के सबसे बड़े संचालन केंद्रों में से एक बन गया है। क्लाउड कंप्यूटिंग, नेटवर्किंग, एआई और एंटरप्राइज डेटा सेवाओं में इसकी गहरी पकड़ है।

भावना अग्रवाल के नेतृत्व में HPE इंडिया का लक्ष्य होगा:

  • क्लाउड-नेटिव नवाचारों का विस्तार

  • स्थानीय भागीदार नेटवर्क को सुदृढ़ करना

  • विनिर्माण और अनुसंधान को स्थानीय स्तर पर आगे बढ़ाना

  • निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में डिजिटल परिवर्तन को सशक्त बनाना

भविष्य की रणनीतिक दिशा

भारत के वैश्विक डिजिटल शक्ति के रूप में उभरने के साथ, भावना अग्रवाल का नेतृत्व HPE इंडिया के लिए नवाचार, ग्राहक-केंद्रितता और समावेशी विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगा। उनका फोकस भारत के व्यवसायों को इंटेलिजेंट एज, क्लाउड और एआई-आधारित डेटा समाधानों का लाभ उठाने में सक्षम बनाना होगा।

डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के इस दौर में, भावना अग्रवाल HPE को एक नवाचार प्रेरक और भारतीय उद्योगों के लिए भरोसेमंद तकनीकी साझेदार के रूप में स्थापित करने के लिए तैयार हैं।

सीमेंट उद्योग हेतु भारत का पहला सीसीयू टेस्टबेड क्लस्टर लॉन्च

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 (11 मई) के अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार ने सीमेंट क्षेत्र के लिए देश का पहला कार्बन कैप्चर और यूटिलाइजेशन (CCU) टेस्टबेड क्लस्टर लॉन्च किया। यह पहल Public-Private Partnership (PPP) मॉडल पर आधारित है और नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य की दिशा में भारत का एक बड़ा कदम है।

क्यों है यह खबरों में?

भारत ने 5 CCU परीक्षण केंद्र लॉन्च किए हैं जो विशेष रूप से सीमेंट उद्योग पर केंद्रित हैं — एक ऐसा क्षेत्र जिसे कम कार्बन करना बेहद कठिन माना जाता है। यह पहल देशी नवाचार, उद्योग-अकादमिक साझेदारी और हरित औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई है।

पृष्ठभूमि और उद्देश्य

  • सीमेंट उद्योग, CO₂ उत्सर्जन में प्रमुख योगदानकर्ता है।

  • CCU तकनीक औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलने वाली CO₂ को पकड़कर उपयोगी उत्पादों में बदलने की क्षमता रखती है।

  • यह पहल भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) और 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।

प्रमुख उद्देश्य

  • औद्योगिक क्षेत्रों में CCU तकनीकों का विकास और तैनाती

  • अकादमिक और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।

  • सीमेंट उत्पादन में स्केलेबल डिकार्बनाइजेशन समाधान प्रदर्शित करना।

  • CO₂ कैप्चर और यूटिलाइजेशन में नवाचार को प्रोत्साहन देना।

मुख्य विशेषताएं

  • PPP मॉडल: प्रत्येक टेस्टबेड एकेडेमिक संस्थानों और सीमेंट कंपनियों के बीच साझेदारी से विकसित।

  • Translational R&D: प्रयोगशाला स्तर से औद्योगिक पैमाने पर तकनीकों का स्थानांतरण।

  • विविध तकनीकी दृष्टिकोण: जैसे कैटलिसिस, वैक्यूम स्विंग एड्सॉर्प्शन, मिनरलाइजेशन आदि।

पाँच प्रमुख CCU टेस्टबेड का संक्षिप्त विवरण

स्थान एवं साझेदार मुख्य कार्य
बल्लभगढ़, हरियाणा (JK Cement + NCCBM) ऑक्सीजन-संवर्धित कैल्सिनेशन द्वारा प्रति दिन 2 टन CO₂ कैप्चर; इसका उपयोग कंक्रीट ब्लॉक्स ओलेफिन्स बनाने में।
IIT कानपुर + JSW Cement CO₂ को ठोस खनिजों में स्थायी रूप से बंद करना (कार्बन-नकारात्मक प्रक्रिया)।
IIT बॉम्बे + डालमिया सीमेंट कैटलिस्ट आधारित CO₂ कैप्चर को सक्रिय सीमेंट संयंत्र में लागू करना।
CSIR-IIP, IIT तिरुपति, IISc + JSW Cement वैक्यूम स्विंग एड्सॉर्प्शन से CO₂ को अलग करना और पुनः उपयोग में लाना।
IIT मद्रास और BITS पिलानी गोवा + Ultratech Cement व्यापक औद्योगिक उपयोग के लिए प्रयोगात्मक कार्बन-कम समाधान।
  • औद्योगिक क्षेत्र के लिए स्केलेबल डिकार्बनाइजेशन मॉडल प्रस्तुत करता है।

  • सीमेंट उद्योग की कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है।

  • भविष्य में वाणिज्यिक विस्तार और तैनाती की संभावना बढ़ाता है।

  • हरित सीमेंट, सतत निर्माण सामग्री, और CO₂ के उन्नत उपयोग पर अनुसंधान को मजबूती देता है।

सारांश/स्थैतिक तथ्य विवरण
क्यों है खबरों में? भारत ने सीमेंट क्षेत्र में डिकार्बनाइजेशन के लिए पहला CCU टेस्टबेड क्लस्टर लॉन्च किया
पहल सीमेंट क्षेत्र में 5 CCU टेस्टबेड का शुभारंभ
आयोजक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार
मॉडल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)
उद्देश्य औद्योगिक डिकार्बनाइजेशन और नेट ज़ीरो लक्ष्य की प्राप्ति
केन्द्रित क्षेत्र सीमेंट (उच्च उत्सर्जन वाला क्षेत्र)
शुभारंभ तिथि 11 मई, 2025 (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस)
महत्त्व जलवायु कार्रवाई एवं NDC कार्यान्वयन में अग्रणी कदम

डेनमार्क में दुनिया का पहला वाणिज्यिक ई-मेथनॉल संयंत्र शुरू

डेनमार्क के कैस्सो (Kasso) में 3 मई 2025 को दुनिया का पहला वाणिज्यिक स्तर का ई-मेथनॉल उत्पादन संयंत्र उद्घाटित किया गया। यह परियोजना European Energy और जापान की Mitsui द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है। संयंत्र प्रति वर्ष 42,000 मीट्रिक टन ई-मेथनॉल का उत्पादन करेगा, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और बायोगैस संयंत्रों अपशिष्ट जलाने से प्राप्त CO₂ का उपयोग होगा।

Maersk, जो एक वैश्विक समुद्री शिपिंग दिग्गज है, इस हरित ईंधन का प्रमुख ग्राहक है और अपने ड्यूल-फ्यूल कंटेनर जहाजों को इससे संचालित करने की योजना बना रहा है।

क्यों है यह ख़बरों में?

वैश्विक समुद्री शिपिंग क्षेत्र को 2050 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने के लिए IMO (International Maritime Organization) के लक्ष्यों के अंतर्गत बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इस संयंत्र की शुरुआत शिपिंग उद्योग के लिए ईंधन के हरित विकल्पों को व्यावसायिक रूप से अपनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • वाणिज्यिक पैमाने पर ई-मेथनॉल उत्पादन के माध्यम से समुद्री परिवहन के लिए कम-कार्बन ईंधन उपलब्ध कराना।

  • पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की जगह नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विकल्पों को बढ़ावा देना।

  • IMO के 2050 तक कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य को समर्थन देना।

  • प्लास्टिक औषधि जैसे अन्य उद्योगों को भी सतत मेथनॉल की आपूर्ति।

पृष्ठभूमि

  • संयंत्र की लागत: 150 मिलियन (लगभग $167 मिलियन)

  • संयंत्र उत्पादन: 53 मिलियन लीटर (42,000 टन) ई-मेथनॉल प्रति वर्ष

  • CO₂ स्रोत: बायोगैस प्लांट वेस्ट इनसिनरेशन

  • ई-मेथनॉल: पूरी तरह कार्बन-न्यूट्रल, पारंपरिक मेथनॉल के विपरीत जो प्राकृतिक गैस/कोयले से बनता है।

स्थैतिक तथ्य

  • Maersk के पास वर्तमान में 13 ड्यूल-फ्यूल कंटेनर जहाज हैं, और 13 नए जहाजों का ऑर्डर दिया गया है।

  • संयंत्र की कुल उत्पादन क्षमता एक 16,000 कंटेनर वाले जहाज को एशिया-यूरोप मार्ग पर पूरी तरह ईंधन दे सकती है।

  • छोटा जहाज Laura Maersk प्रति वर्ष 3,600 टन ई-मेथनॉल की खपत करता है।

  • संयंत्र से उत्पन्न अतिरिक्त गर्मी स्थानीय 3,300 घरों को हीटिंग के लिए दी जाएगी।

महत्व

  • शिपिंग से होने वाले वैश्विक CO₂ उत्सर्जन (लगभग 3%) को कम करने में सहायक।

  • भारी परिवहन और उद्योगों (जैसे प्लास्टिक निर्माण) के कार्बन रहितीकरण के लिए व्यवहारिक समाधान।

  • LEGO और Novo Nordisk जैसे ग्राहक भी इस ई-मेथनॉल का उपयोग अपने उत्पादन में करेंगे।

  • European Energy इस संयंत्र का विस्तार और अन्य देशों (यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, अमेरिका) में समान संयंत्र विकसित करने की योजना बना रहा है।

  • 2035 तक ईंधन की लागत पारंपरिक मेथनॉल के बराबर होने की उम्मीद है – जो इसकी दीर्घकालिक व्यावसायिक संभाव्यता को दर्शाता है।

PNB इंडिया एसएमई एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी से बाहर निकलेगा

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने अपनी निवेश पोर्टफोलियो को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए इंडिया एसएमई एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (ISARC) में अपनी पूरी हिस्सेदारी ₹34.04 करोड़ में बेचने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बैंक की मुख्य बैंकिंग गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने और गैर-प्रमुख निवेशों से बाहर निकलने की रणनीति के अनुरूप है।

क्यों है ख़बरों में?

PNB के इस कदम को इसलिए महत्व दिया जा रहा है क्योंकि यह दर्शाता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने निवेश पोर्टफोलियो को तर्कसंगत बना रहे हैं और मुख्य वित्तीय सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैंयह सौदा Q1 FY 2025-26 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

उद्देश्य

  • गैर-मुख्य व्यवसायों से बाहर निकलकर निवेश पोर्टफोलियो को सुव्यवस्थित करना।

  • संसाधनों और प्रबंधन का ध्यान मुख्य बैंकिंग गतिविधियों पर केंद्रित करना।

  • नियामक परिवर्तनों के अनुसार बैंकिंग दक्षता बढ़ाना।

पृष्ठभूमि और विवरण

  • 13 मई 2025 को PNB ने ISARC में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए डिफिनिटिव एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए।

  • यह हिस्सेदारी 2.09 करोड़ शेयरों की है, जो 16.29 प्रति शेयर के हिसाब से कुल 34.04 करोड़ में बेची जा रही है।

  • ऑथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड खरीदार है, जिसे मार्च 2025 में RBI से ISARC का नया प्रायोजक बनने की मंजूरी मिल चुकी है।

  • ISARC एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी है जिसे SIDBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, PNB और SIDBI वेंचर कैपिटल लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित किया गया था। यह मुख्यतः SME क्षेत्र की तनावग्रस्त संपत्तियों को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है।

ISARC से संबंधित स्थैतिक तथ्य (FY24 के अनुसार)

  • पूंजी आधार:129.68 करोड़

  • कुल संपत्ति:130.11 करोड़

  • आय:18.08 करोड़

  • कर पूर्व लाभ (PBT):10.65 करोड़

  • कर पश्चात लाभ (PAT):9.37 करोड़

महत्त्व

  • यह ना तो संबंधित पक्ष लेन-देन है और ना ही विलय या स्लंप सेल

  • यह कदम PNB की रणनीतिक पुनर्संरेखण नीति का हिस्सा है जिससे ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार हो।

  • यह RBI द्वारा सार्वजनिक बैंकों को मुख्य बैंकिंग सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की नीति के अनुरूप है।

  • इस घोषणा के बाद PNB के शेयर मूल्य में 1.93% की बढ़त दर्ज की गई और यह BSE पर सकारात्मक रूप से बंद हुआ।

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों है ख़बरों में? PNB ने इंडिया SME एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी से बाहर निकलने के लिए ₹34 करोड़ में अपनी हिस्सेदारी बेची
लेनदेन का प्रकार ISARC में अपनी पूरी हिस्सेदारी की बिक्री
बेची गई हिस्सेदारी 2.09 करोड़ शेयर
बिक्री मूल्य ₹34.04 करोड़
खरीदार ऑथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
RBI की मंजूरी मार्च 2025 में प्राप्त हुई
ISARC का फोकस SME क्षेत्र की तनावग्रस्त संपत्तियों का पुनर्गठन
ISARC के वित्तीय आंकड़े (FY24) पूंजी: ₹129.68 करोड़; कर पश्चात लाभ: ₹9.37 करोड़
PNB का उद्देश्य पोर्टफोलियो का सरलीकरण करना, मुख्य बैंकिंग पर ध्यान देना
बाजार की प्रतिक्रिया BSE पर PNB के शेयर 1.93% बढ़े

भारत ने ड्रोन हमलों से निपटने हेतु स्वदेशी प्रणाली भार्गवस्त्र का सफल परीक्षण किया

भारत ने ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है, जो एक स्वदेशी विकसित उन्नत हथियार प्रणाली है, जिसे आधुनिक युद्ध में बढ़ते ड्रोन स्वार्म खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने विकसित किया है। भार्गवास्त्र में हार्ड-किल और सॉफ्ट-किल तकनीकों का संयोजन है, जिससे यह शत्रु ड्रोन झुंडों को सटीकता से पहचानकर निष्क्रिय करने में सक्षम है। यह बहु-स्तरीय प्रणाली भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी का प्रतीक है।

क्यों है ख़बरों में?

भार्गवास्त्र का परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब ड्रोन स्वार्म युद्ध रणनीतियों में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। हाल के महीनों में पाकिस्तान द्वारा संचालित ड्रोन घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ी हैं, जिससे यह परीक्षण और अधिक प्रासंगिक हो गया है। यह भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • स्वदेशी रूप से ऐसी प्रणाली का विकास करना जो दुश्मन के ड्रोन झुंडों को पहचान, ट्रैक और नष्ट कर सके।

  • हार्ड-किल सॉफ्ट-किल तकनीकों का एकीकृत उपयोग।

  • ऐसी प्रणाली प्रदान करना जो मोबाइल, अनुकूलनीय और उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात की जा सके।

  • नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं को सुदृढ़ करना जिससे एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सके।

पृष्ठभूमि

  • ड्रोन स्वार्म एक साथ संचालित कई ड्रोनों का समूह होता है, जो अक्सर AI का प्रयोग करते हैं।

  • ये एक साथ कई दिशाओं से हमला करते हैं, साथ ही डिकॉय (छलावा) ड्रोन का उपयोग कर रक्षात्मक प्रणाली को भ्रमित करते हैं।

  • पाकिस्तान ने हाल ही में तुर्की-निर्मित कामिकाज़े ड्रोन भारतीय सैन्य ठिकानों पर प्रयोग किए हैं, जिससे भारत में उन्नत प्रतिरोधी प्रणालियों की आवश्यकता महसूस हुई।

प्रमुख विशेषताएँ

  • हार्ड-किल मोड:

    • अनगाइडेड माइक्रो रॉकेट्स का प्रयोग करता है।

    • मारक दायरा: 20 मीटर

    • प्रभावी रेंज: 2.5 किलोमीटर तक

  • गाइडेड माइक्रो मिसाइलें:

    • ड्रोन झुंड के उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर सटीक प्रहार

  • सॉफ्ट-किल तकनीक:

    • जैमिंग और स्पूफिंग से दुश्मन के ड्रोन को भ्रमित करना

  • डिटेक्शन सिस्टम:

    • रडार रेंज: 6 से 10 किमी

    • EO/IR सेंसरकम रडार क्रॉस-सेक्शन वाले ड्रोनों की पहचान हेतु

  • गतिशीलता:

    • मॉड्यूलर कॉन्फ़िगरेशनकिसी भी इलाके, विशेषकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अनुकूल

    • मौजूदा नेटवर्क-केंद्रित प्रणालियों से पूर्णतः संगत

महत्त्व

  • भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक में बड़ी छलांग

  • रणनीतिक सैन्य परिसंपत्तियों और ढांचे की रक्षा को सुदृढ़ करता है

  • युद्ध क्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता और तेज़ प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार

  • उभरती ड्रोन आधारित युद्ध तकनीकों के युग में भारत की मज़बूत उपस्थिति

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