वित्त मंत्री ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत चौथे चरण में उठाए जाने वाले कदमों का किया ऐलान

about | - Part 2608_3.1
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के बीच प्रधानमंत्री द्वारा घोषित “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत आर्थिक राहत पैकेज की कड़ी में कुछ और राहत उपायों को जोड़ते हुए आज चौथे चरण के कदमों की विस्तार से जानकारी साझा की है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मुख्य उद्देश्य से की गई यह घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ही हिस्सा है, जिसका प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 12 मई को ऐलान किया गया था।

अपने संबोधन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत जारी आर्थिक राहत पैकेज के इस चौथे चरण को 8 क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधारों के लिए समर्पित बताया है: कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन (हवाई अंतरिक्ष प्रबंधन, हवाई अड्डों, रखरखाव मरम्मत और समग्र) केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण,अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा.
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए आर्थिक राहत पैकेज के चौथे चरण के तहत किए जाने वाले 8 उपायों से जुड़ी मुख्य विशेषताएं:-

1. कोयला क्षेत्र:

भारत सरकार ने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता और निजी क्षेत्र की भागीदारी शुरू करने के लिए कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन को लाने का निर्णय किया है।
  • निश्चित रुपये/टन की व्यवस्था के बजाय राजस्व साझेदारी व्यवस्था लागू होगी. इसमें कोई भी पक्ष कोयला ब्लॉक के लिए बोली लगा सकता है और खुले बाजार में बिक्री कर सकता है.
  • प्रवेश नियमों को लचीला बनाया जाएगा। तत्काल लगभग 50 ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी. पात्रता की कोई शर्त नहीं होगी, एक सीमा के साथ अग्रिम भुगतान किया जाएगा.
  • पूरी तरह अन्वेषित, कोयला ब्लॉकों की नीलामी के पिछले प्रावधान की तुलना में आंशिक रूप से अन्वेषित ब्लॉकों के लिए अन्वेषण-सह-उत्पादन व्यवस्था लागू होगी.
  • इससे निजी क्षेत्र को अन्वेषण में भाग लेने का अवसर मिलेगा.
  • निर्धारित समय से पहले उत्पादन के लिए राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा.
  • राजस्व हिस्सेदारी में छूट के माध्यम से कोयला गैसीकरण / द्रवीकरण को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके परिणामस्‍वरूप पर्यावरणीय प्रभाव काफी कम हो जाएगा और इससे भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था का रुख करने में सहायता मिलेगी.
  • भारत सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें खदानों से रेलवे साइडिंग तक कोयले के मशीनीकृत हस्तांतरण  (कन्वेयर बेल्ट) में 18,000 करोड़ रुपये मूल्‍य का निवेश शामिल होगा.
  • कोयला बेड मीथेन (सीबीएम) निष्कर्षण के अधिकारों की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल)की कोयला खानों से नीलामी की जाएगी.
  • खनन योजना सरलीकरण जैसे कारोबार करने में सुगमता जैसे उपाय किए जाएंगे। इससे वार्षिक उत्पादन में स्वत: 40 प्रतिशत वृद्धि होगी.
  • सीआईएल के उपभोक्ताओं को वाणिज्यिक शर्तों में रियायतें दी गई (5,000 करोड़ रुपये की राहत दी जाएगी).
  • गैर-बिजली उपभोक्ताओं के लिए नीलामी में आरक्षित मूल्य में कमी, ऋण की शर्तों में ढील, और उठान की अवधि को बढ़ाया जाएगा.ठाने की अवधि को बढ़ाया जाएगा।

2. खनिज क्षेत्र:

विकास, रोजगार सजृन को बढ़ावा देने और विशेष रूप से अत्याधुनिक अन्वेषण प्रौद्योगिकी लाने के लिए निम्‍नलिखित के माध्यम से संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे:-
  • खनिज क्षेत्र में निर्बाध मिश्रित खोज-खनन-उत्पादन व्यवस्था शुरु की जाएगी.
  • स्वतंत्र एवं पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्‍यम से 500 खनन खंडों की पेशकश की जाएगी.
  • एल्यूमिनीयम उद्योग की प्रतिस्पर्धिता बढ़ाने के लिये बॉक्साइट और कोयला खनिज खंडों की संयुक्त नीलामी की जायेगी, ताकि एल्यूमिनीयम उद्योग को बिजली की लागत में कमी लाने में सहायता की जा सके.
  • खनन पट्टों के हस्तांतरण तथा इस्तेमाल से अधिक बचे खनिजों की बिक्री की मंजूरी देने के लिये कैप्टिव और नॉन-कैप्टिव खदानों बीच के अंतरको समाप्त किया जाएगा, इससे खनन और उत्पादन में बेहतर दक्षता सुनिश्चित होगी.
  • खान मंत्रालय विभिन्न खनिजों के लिए एक खनिज सूचकांक विकसित करने की प्रक्रिया में है। 
  • खनन पट्टे प्रदान करते समय देय स्टाम्प शुल्‍क को तर्कसंगत बनाया जाएगा.
3. रक्षा उत्पादन:
  • रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए वर्ष वार समयसीमा के साथ आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए हथियारों / प्लेटफार्मों की एक सूची को अधिसूचित किया जाएगा.
  • आयातित पुर्जों का स्वदेशीकरण किया जाएगा और घरेलू पूंजी खरीद के लिए अलग से बजट प्रावधान किया जाएगा। इससे हमारे बड़े रक्षा आयात बिल को कम करने में मदद मिलेगी.
  • आयुध निर्माणी बोर्ड के कॉरपोरेटीकरण के माध्यम से आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार लाया जाएगा.
  • स्वचालित मार्ग के जरिए रक्षा विनिर्माण में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जाएगी.
  • अनुबंध प्रबंधन का सहयोग करने के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना की जाएगी, हथियारों / प्लेटफार्मों की सामान्य स्टाफ गुणात्मक आवश्यकताओं (जीएसक्यूआर) की यथार्थवादी स्थापना होगी और ट्रायल एवं टेस्टिंग प्रक्रियाओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा।

4. नागरिक उड्डयन क्षेत्र:


i) एयरस्पेस प्रबंधन

  • भारतीय हवाई क्षेत्र के उपयोग पर प्रतिबंधों को कम किया जाएगा ताकि नागरिक उड़ानें अधिक कुशल हों।
  • सरकार विमानन क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष कुल 1,000 करोड़ रुपये का लाभ लेकर आएगी.
  • इससे हवाई क्षेत्र का इष्टतम उपयोग होगा, ईंधन के उपयोग व समय में कमी आएगी और इसका सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी होगा.
ii) पीपीपी के माध्यम से विश्व स्तरीय हवाई अड्डे
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर परिचालन और रखरखाव के वास्ते दूसरे चरण की बोली लगाने के लिए 6 और हवाई अड्डों की पहचान की गई है। 
  • AAI को 2300 करोड़ रुपये का डाउन पेमेंट भी मिलेगा.
  • चरण 1 और 2 में निजी कंपनियों द्वारा 12 हवाई अड्डों में लगभग 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश लाने की उम्मीद है, तीसरे चरण की बोली के लिए 6 और हवाई अड्डों को उपलब्ध रखा जाएगा.

iii) विमान के रखरखाव, मरम्मत और जीर्णोद्धार (एमआरओ) के लिए भारत एक वैश्विक केंद्र बनेगा

  • भारत को रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल हब बनाने के लिए सरकार द्वारा MRO पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कर व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाया गया है.
  • अगले तीन वर्षों में विमान पुर्जों की मरम्मत और एयरफ्रेम रखरखाव पर खर्च 800 करोड़ रुपये से बढ़कर 2000 करोड़ रुपये किया जाएगा.
  • आने वाले वर्ष में दुनिया के प्रमुख इंजन निर्माताओं द्वारा भारत में इंजन मरम्मत की इकाइयां स्थापित करने की उम्मीद है.
  • बड़े दायरे की अर्थव्यवस्थाओं को बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र और सिविल एमआरओ के बीच मेल स्थापित किया जाएगा.
  • इससे विमानों के रखरखाव की लागत में कमी आएगी.
5. केंद्र शासित प्रदेशों में वितरण का निजीकरण
केंद्रशासित प्रदेशों में विद्युत वितरण कंपनियों का निजीकरण टैरिफ नीति सुधारों की क्रमानुसार किया जाएगा, जिसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। यह टैरिफ नीति तीन स्तंभों के तहत जारी की जाएगी:-
i) उपभोक्‍ता अधिकार
  • डिस्कॉम की विफलताओं के कारण उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं
  • डिस्कॉम के लिए संबद्ध सेवा और जुर्माना के मानक निर्धारित
  • डिस्कॉम को पर्याप्त बिजली सुनिश्चित करना पड़ेगा; लोड शेडिंग के लिए दंडित किया जाएगा
ii)  उद्योग को बढ़ावा
  • क्रॉस सब्सिडी में सुधारवादी कटौती
  • स्पष्ट अभिगमन के लिए समयबद्ध अनुदान
  • उत्पादन और संचरण परियोजना डेवलपरों को प्रतिस्पर्धी रूप से चुना जाएगा

iii)  क्षेत्र की स्थिरता

  • कोई नियामक संपत्ति नही
  • समय पर जेनकोस के लिए भुगतान
  • सब्सिडी और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए डीबीटी
उपरोक्त टैरिफ नीति सुधारों के अनुरूप, केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभागों/ उपादेयताओं का निजीकरण किया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेगी और वितरण के परिचालन में और वित्तीय दक्षता  में सुधार आएगा।

6. सामाजिक अवसंरचना परियोजनाए

  • सरकार ने सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं के निर्माण के लिए 8100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो कि  व्यवहार्यता अंतर वित्‍तपोषण योजना के रूप में जाएगा.
  • सरकार व्यवहार्यता अंतर वित्‍तपोषण यानी वाइब्लिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की मात्रा में 30% तक वृद्धि करेगी, वीजीएफ के रूप में केंद्र और राज्य/ वैधानिक संस्थाओं द्वारा प्रत्येक परियोजना की कुल लागत के लिए। अन्य क्षेत्रों के लिए, भारत सरकार और राज्यों/ वैधानिक संस्थाओं में से प्रत्येक के लिए वीजीएफ का मौजूदा समर्थन 20% जारी रहेगा.
  • ये परियोजनाएँ केंद्रीय मंत्रालयों/ राज्य सरकारों/ वैधानिक संस्थाओं द्वारा परियोजनाओं को प्रस्तावित.

7. अंतरिक्ष क्षेत्र:

  • सरकार ने उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में निजी कंपनियों को समान अवसर प्रदान किया जाएगा. निजी कंपनियों को आशा के अनुकूल नीति और नियामक वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा.
  • भारत सरकार ने निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार लाने के लिए इसरो सुविधाएं और अन्य प्रासंगिक परिसंपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति प्रदान की करने की घोषणा की है.
  • सरकार निजी क्षेत्र के लिए भविष्य की परियोजनाओं जैसे ग्रहों का खोज करने, अंतरिक्ष यात्रा करने के लिए विकल्प को खुला रखेगी.
  • तकनीक-उद्यमियों को रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराने के लिए लिबरल जियो-स्पेटियल डेटा पॉलिसी बनाई जाएगी.

8. परमाणु ऊर्जा:

  • केंद्र सरकार द्वारा कैंसर और अन्य बीमारियों के लिए सस्ता उपचार प्रदान करने और मानवता के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए, चिकित्सा आइसोटोप के उत्पादन के लिए पीपीपी मोड में अनुसंधान रिएक्टर की स्थापना की जाएगी.
  • इसके अलावा सरकार द्वारा खाद्य संरक्षण में विकिरण प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए पीपीपी मोड की सुविधाएं -कृषि सुधारों को पूरा करने के लिए और किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए भी इसकी स्थापना की जाएगी.
  • भारत के सुदृढ़ स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को परमाणु क्षेत्र से जोड़ा जाएगा.
  • इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अनुसंधान सुविधाएं और तकनीक-उद्यमियों के बीच तालमेल को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी विकास-सह-ऊष्मायन केंद्रों की स्थापना की जाएगी.

केंद्र सरकार और AIIB ने पश्चिम बंगाल में सिंचाई सेवाओं में सुधार के लिए एमओयू पर किए हस्ताक्षर

about | - Part 2608_5.1
भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) द्वारा 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पश्चिम बंगाल में दामोदर घाटी कमान क्षेत्र (DVCA) में सिंचाई सेवाओं और बाढ़ प्रबंधन में सुधार करना है। इसमें विवेकशील संपत्ति प्रबंधन के साथ-साथ एक आधुनिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) को शुरू करना भी शामिल होगी।
पश्चिम बंगाल प्रमुख सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन परियोजना से सतह और भूजल के उपयोग को अनुकूलित करके लगभग 2.7 मिलियन किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। यह बुनियादी ढांचे के पुनर्वास और आधुनिकीकरण के माध्यम से सिंचाई दक्षता में सुधार के द्वारा प्राप्त किया जाएगा। यह कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने के लिए बाढ़ प्रबंधन को भी मजबूत देगा। इस प्रकार, यह निवेश किसानों की आजीविका में सुधार लाने और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर बल देगा।
यह परियोजना कुल 413.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की है, जो AIIB (145 मिलियन अमेरिकी डॉलर), पश्चिम बंगाल सरकार (123.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) (145 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के बीच सह-वित्तपोषित है।

उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-
  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री: ममता बनर्जी; राज्यपाल: जगदीप धनखड़.
  • एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के अध्यक्ष: जिन लिकुन.

दिल्ली पुलिस ने कोरोना योद्धाओं के लिए लॉन्च किया “थर्मल कोरोना कॉम्बैट हेडगियर”

about | - Part 2608_7.1
दिल्ली पुलिस ने इंडियन रोबोटिक्स सॉल्यूशन (IRS) के सहयोग से “थर्मल कोरोना कॉम्बैट हेडगियर” नामक एक नया उपकरण लॉन्च किया है। इस उपकरण को COVID-19 से फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं को सुरक्षित रखने के लिए लॉन्च किया गया है। यह अनूठा उपकरण पुलिस कर्मियों को 10-15 मीटर की दूरी से ही बड़ी संख्या में लोगों के तापमान का पता लगाने में सक्षम बनाता है और सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों पालन करने में भी मदद करेगा।
“थर्मल कोरोना कॉम्बैट हेडगियर” फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को अस्पतालों, सुपरमार्केट और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों जैसे सार्वजनिक क्षेत्रों में उनके संपर्क में आए बिना लोगों को स्कैन करने में सक्षम बनाएगा। साथ ही इसमें केंद्रीकृत नियंत्रण केंद्र को सीधे लाइव इमेजरी भेजने की सुविधा भी है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने “थर्मल कोरोना कॉम्बैट ड्रोन (टीसीसीडी)” को भी लॉन्च किया है। इसमें ड्रोन में लगे day-vision camera की मदद से कर्मियों की वास्तविक छवि को देखने में मदद मिल सकती है। इसमें निर्देश देने के लिए लाउडस्पीकर भी लगा है।

IIT गांधीनगर द्वारा विकसित किया गया “MIR AHD Covid-19 Dashboard”

about | - Part 2608_9.1
आईआईटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं द्वारा “MIR AHD Covid-19 Dashboard” नामक एक इंटरैक्टिव COVID-19 डैशबोर्ड विकसित किया गया है। डैशबोर्ड का उद्देश्य इस संकट के समय अनुसंधान समर्थित निर्णय लेने के लिए हितधारकों और जनता को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना है। यह इंटरेक्टिव डैशबोर्ड कोरोनवायरस की अनुसार टेस्टिंग की योजना बनाने में प्रशासन, अस्पतालों और लोगों की सहायता करने में सक्षम है। साथ ही, यह लॉकडाउन के  बाद विभिन्न परिदृश्यों में सामुदायिक संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है।
“MIR AHD Covid-19 डैशबोर्ड” शहरी स्तर पर विभिन्न महामारी विज्ञान परिदृश्य-विशिष्ट जानकारी प्रदान करता है और जटिल सामाजिक और अत्याधुनिक महामारी फैलाने वाले मॉडल के साथ पैटर्न को जोड़ता है। यदि “drive-through testing” को लागू करने का निर्णय लिया जाता है तों यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण इलाकों की जानकारी हितधारकों के साथ साझा करने में भी सक्षम है।

इंटरनेशनल डे ऑफ लाइट: 16 मई

about | - Part 2608_11.1
हर साल 16 मई को प्रकाश के विज्ञान, संस्कृति और कला, शिक्षा, एवं सतत विकास के साथ-साथ चिकित्सा, संचार और ऊर्जा के रूप में विविध क्षेत्रों में भी आम भूमिका निभाने के लिए इंटरनेशनल डे ऑफ़ लाइट दुनिया भर मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन 1960 में भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर थियोडोर मैमन द्वारा लेजर के पहले सफल संचालन की वर्षगांठ का भी प्रतीक है।
इंटरनेशनल डे ऑफ लाइट को दुनिया भर में समाज के विभिन्न क्षेत्रों को उन गतिविधियों में शामिल होने में सक्षम बनाता है जो प्रदर्शित करता है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला और संस्कृति यूनेस्को के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं अर्थात् कैसे शांतिपूर्ण समाजों की नींव का निर्माण किया जा सकता हैं।
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-
  • यूनेस्को के महानिदेशक: ऑड्रे अज़ोले.

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने ई-लॉन्च किए NBT की कोरोना स्टडीज़ श्रृंखला के 7 नए टाईटल

about | - Part 2608_13.1
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एनबीटी इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई कोरोना स्टडीज़ सीरिज के अंतर्गत प्रिंट और ई-संस्करण शीर्षक ई-लॉन्च किए हैं। ये 7 शीर्षक “Psycho-Social impact of pandemic & lockdown and how to Cope With” पर आधारित हैं।
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया ने कोरोना स्टडीज़, कोरोना रीडरशिप की जरूरत को देखते हुए सभी आयु-समूहों के लिए प्रासंगिक पाठन सामग्री प्रदान करने के लिए श्रृंखला की अवधारणा की है। पुस्तकों की पहली श्रंखला ‘Psycho-Social Impact of Pandemic और How to Cope With’ पर केंद्रित है, जिसे एक अध्ययन समूह द्वारा बनाया गया है जिसमें एनबीटी द्वारा गठित सात मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता शामिल हैं।
पहली उप-श्रृंखला के सात शीर्षक इस प्रकार हैं:
  • Vulnerable in Autumn: Understanding the Elderly
  • The Future of Social Distancing: New Cardinals for Children, Adolescents and Youth
  • The Ordeal of Being Corona Warriors: An Approach to Medical and Essential Service Providers
  • New Frontiers At Home: An Approach to Women, Mothers and Parents
  • Caught in Corona Conflict: An Approach to the Working Population
  • Making Sense of It All: Understanding the Concerns of Persons With Disabilities
  • Alienation And Resilience: Understanding Corona Affected Families
उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
महत्वपूर्ण तथ्य-
  • नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया के अध्यक्ष: गोविंद प्रसाद शर्मा.

बांग्लादेश के प्रख्यात साहित्यकार और प्रोफेसर अनीसुज्जमान का निधन

about | - Part 2608_15.1
बांग्लादेश के प्रख्यात साहित्यकार, शिक्षाविद् और प्रोफेसर अनीसुज्जमान का निधन। वह वर्ष 2012 से बंगला अकादमी के अध्यक्ष थे। वह एक स्वंत्रता सेनानी थे और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भाषा आंदोलन में भी भाग लिया था।
प्रोफेसर अनीसुज्जमां ने अपने शानदार करियर में शिक्षाविद्, अकादमिक, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विभिन्न पुरस्कार प्राप्त किए। उन्हें 1985 में एकुशी पदक से सम्मानित किया गया था और 2014 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्य अकादमी से सम्मानित बंगाली लेखक देवेश रॉय का निधन

about | - Part 2608_17.1
लेखक के रूप में पांच दशक लिखने वाले दिग्गज बंगाली लेखक देवेश रॉय का निधन। उन्हें उनके उपन्यास ‘Teesta Parer Brittanto’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

देवेश रॉय की पहली पुस्तक जाजति (Jajati) थी, और कई बंगाली दैनिकों में उनका नियमित योगदान भी रहता था। उन्होंने विभिन्न प्रसिद्ध पुस्तकों जैसे कि Borisaler Jogen Mondal, Manush Khun Kore Keno, और Samay Asamayer Brittanto आदि का लेखन भी किया था।

“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तीसरे चरण में किए जाने वाले अहम उपाय

about | - Part 2608_19.1
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के बीच प्रधानमंत्री द्वारा घोषित “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत आर्थिक राहत पैकेज की कड़ी में कुछ और राहत उपायों को जोड़ते हुए तीसरे चरण के कदमों की विस्तार से जानकारी साझा की है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मुख्य उद्देश्य से की गई यह दूसरी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ही हिस्सा है।
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत जारी आर्थिक राहत पैकेज के तीसरे चरण को कृषि और कृषि से संबंधित गतिविधियों जैसे कि मत्स्य पालन, डेयरी और पशुपालन क्षेत्र को समर्पित किया गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्‍टरों के लिए कृषि अवसंरचना लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, क्षमता निर्माण, गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों के लिए अहम उपायों के तीसरे भाग की घोषणा की।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान, कहा कि इस तीसरे चरण के तहत 11 उपाय किए जाएंगे जिनमे 8 उपाय कृषि अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हैं और 3 उपाय प्रशासनिक एवं गवर्नेंस सुधारों के लिए हैं जिनमें कृषि उपज की बिक्री और स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध हटाना भी शामिल हैं।
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए आर्थिक राहत पैकेज के तीसरे चरण के तहत किए जाने वाले 9 उपायों से जुड़ी मुख्य विशेषताएं:-

1. किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
  • भारत सरकार फार्म-गेट से संबंधित क्षेत्र में पर्याप्त कोल्ड चेन और पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि जैसे मौजूद कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
  • इससे फार्म-गेट एंड एग्रीगेशन पॉइंट्स को किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
  • 1 लाख करोड़ रुपये के इस फंड की स्थापना तत्काल की जाएगी.

2. सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना


क्योंकि अन-ऑर्गनाइज्ड माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (MFE) इकाइयों को FSSAI खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत होती है।

  • भारत सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (MFE) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना शुरू करेगी जिससे 2 लाख MFE को लाभ मिलने की उम्मीद है.
  • यह योजना क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण पर आधारित होगी और मौजूदा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों के साथ-साथ सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया जाएगा 
  • यह योजना बेहतर स्वास्थ्य भावना के मद्देनजर अनछुए निर्यात बाजारों तक पहुंचने में मदद करने के साथ-साथ यह बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों से खुदरा बाजारों के साथ-साथ आय बढ़ाने में भी सहायक होगी.
3. मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMY)

 भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की है, जो समुद्री और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली पालन के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए शुरू की जाएगी।
  • इस 20,000 करोड़ रुपये के फंड में से, 11,000 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य और जलीय कृषि गतिविधियों के लिए किया जाएगा.
  • शेष बची 9,000 करोड़ रुपये की  राशि का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे फिशिंग हार्बर्स, कोल्ड चेन, बाजार आदि के लिए किया जाएगा.
  • इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा.
  • मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे.
  • इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा.
4. राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme)
  • खुरपका मुंहपका रोग (Foot and Mouth Disease-FMD) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया.
  • यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिए मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100 प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से शुरु किया गया.
  • अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्‍हें टीके लगाए जा चुके हैं.
5. पशुपालन क्षमता निर्माण के लिए

भारत सरकार द्वारा डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य वर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई है।
  • भारत सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश का समर्थन करना है.
  • इसके अलावा सरकार द्वारा पनीर, प्रसंस्कृत दूध, दूध पाउडर, क्रीम जैसे उत्पादों के निर्यात के लिए संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन भी किया जाएगा.

6. औषधीय अथवा हर्बल खेती को प्रोत्‍साहन


  •  भारत सरकार ने अगले दो वर्षों में हर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने के लिए 4000 करोड़ रुपये आवंटित करने का निर्णय लिया है।
  • राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plant Board) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है।
  • इससे किसानों के लिए लगभग 5000 करोड़ रुपये की आय होगी.
  • एनएमपीबी गंगा के किनारे 800 हैक्‍टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा.
  • औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
7. मधुमक्खी पालन संबंधी पहल
  • भारत सरकार ने 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की है और जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी.
  • इसे परागण के माध्यम से फसलों की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है, जो शहद और मोम जैसे अन्य मधुमक्खी उत्पाद भी प्रदान करेगा.
  • सरकार एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास के लिए एक योजना लागू करेगी.
  • इससे मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास; और क्‍वालिटी नूक्लीअस स्‍टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास भी किया जाएगा.
  • इससे महिलाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ क्षमता निर्माण भी होगा।

    8. (टमाटर, प्याज और आलू) ‘टॉप’ से ‘टोटल’ (सम्‍पूर्ण) तक

    • भारत सरकार ने “ऑपरेशन ग्रीन्स” को टमाटर, प्याज और आलू (TOP) से लेकर सभी फलों और सब्जियों (TOTAL) तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
    • यह योजना अगले 6 महीनों के लिए पायलट परियोजना के आधार पर चलाई जाएगी और जिसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जाएगा.
    • यह योजना कोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडी प्रदान करेगी
    • इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्‍पाद मिलेंगे.
    इसके अलावा अपने संबोधन के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए शासन और प्रशासनिक सुधार के लिए भी निम्नलिखित घोषणाए की

    9. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

    • आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में लागू किया गया था। भारत सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया है। यह निवेश को आकर्षित करने और कृषि क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाने के द्वारा किया जाएगा।
    • अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा.
    • असाधारण परिस्थितियों में ही स्टॉक की सीमा पर प्रतिबंध लगाई जाएगी जैसे राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में वृद्धि के साथ अकाल जैसी स्थिति के लिए। इसके अलावा, ऐसी कोई स्टॉक सीमा संसाधक या मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर लागू नहीं होगी.

    10. कृषि विपणन सुधार

    • भारत सरकार ने किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने के लिए तथा निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार, और कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए एक रूपरेखा के लिए केंद्रीय कानून बनाने का फैसला किया है.

    11. कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन

    • सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से संसाधकों, समूहकों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए, एक सुविधाजनक कानूनी संरचना तैयार का निर्णय लिया है।
    • इस कानूनी संरचना में किसानों के लिए जोखिम में कमी, सुनिश्चित रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण शामिल होंगे.

    गुजरात में “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” का हुआ शुभारंभ

    about | - Part 2608_21.1
    गुजरात सरकार द्वारा “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” का शुभारंभ किया गया। इस योजना का उद्देश्य ब्याज सब्सिडी, ऋण स्थगन सहित 1 लाख रुपये तक का गारंटी रहित ऋण प्रदान करना है। यह सभी सुविधाएं राज्य के एक लाख से अधिक छोटे व्यापारियों, सड़क विक्रेताओं और छोटे पेशेवरों के लिए शुरू की गई हैं। गुजरात सरकार ने 3 साल की अवधि के लिए ऋण लगभग 5000 करोड़ रुपये का ऋण देने का लक्ष्य है।
    “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” के तहत 8% ऋण पर मिलने वाला 2% वार्षिक ब्याज पर उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि शेष 6% ब्याज राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इसके अलावा 6 महीने की ऋण स्थगन अवधि भी लाभार्थी को प्रदान की जाएगी जिसमें उसे इस दौरान मूल राशि के ब्याज का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी, अर्थात मूलधन और ब्याज का पुन: भुगतान ऋण मंजूरी के छह महीने बाद शुरू होगा। “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” के तहत ऋण सहकारी बैंकों, जिला बैंकों और क्रेडिट सहकारी समितियों में लिखित आवेदन के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
    उपरोक्त समाचारों से आने-वाली परीक्षाओं के लिए
    महत्वपूर्ण तथ्य-
    • गुजरात के मुख्यमंत्री: विजयभाई आर। रूपानी; राज्यपाल: आचार्य देव व्रत.

    Recent Posts

    about | - Part 2608_22.1