RBI ने सरप्लस लिक्वि़डिटी से निपटने को उठाया कदम

भारत की बैंकिंग प्रणाली में गुरुवार, 4 जुलाई 2025 को सरप्लस लिक्वि़डिटी (Liquidity Surplus) ₹4 लाख करोड़ के पार पहुंच गया, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण सरकारी व्यय में तेजी और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा बड़े पैमाने पर अधिशेष ट्रांसफर रहा। इसके अलावा, आरबीआई की सात-दिवसीय वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो (VRRR) नीलामी को भी बैंकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिससे स्पष्ट होता है कि बैंक अल्पकालिक निवेश में रुचि दिखा रहे हैं। यह स्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि बैंकिंग प्रणाली में अधिक नकदी उपलब्धता का सीधा असर ऋण वितरण, ब्याज दरों और मौद्रिक नीति पर पड़ सकता है। इससे उधार लेना सस्ता हो सकता है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना भी बनती है।

बैंक लिक्विडिटी 2 साल के उच्चतम स्तर पर

बैंकिंग प्रणाली में तरलता अधिशेष—यानी बैंकों के पास भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) में जमा अतिरिक्त धनराशि—गुरुवार को ₹4.04 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो कि 19 मई 2022 के बाद से सबसे उच्च स्तर है। इस वृद्धि का मुख्य कारण सरकारी खर्च में तेजी और मई 2025 में आरबीआई द्वारा किए गए रिकॉर्ड ₹2.69 लाख करोड़ के अधिशेष ट्रांसफर को माना जा रहा है। नकदी की इस प्रचुरता के कारण बैंक अब बेहतर ब्याज दरों पर ऋण देने की स्थिति में हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है।

VRRR नीलामी में मजबूत मांग देखी गई

उसी दिन, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 7-दिवसीय वेरिएबल रेट रिवर्स रेपो (VRRR) नीलामी आयोजित की, जो बैंकिंग प्रणाली से अतिरिक्त धन निकालने का एक उपाय है। इस नीलामी में ₹1.7 लाख करोड़ की बोलियां प्राप्त हुईं, जबकि आरबीआई ने केवल ₹1 लाख करोड़ तक की राशि स्वीकार करने की घोषणा की थी। अंततः आरबीआई ने 5.47% कट-ऑफ दर पर निर्धारित राशि की बोलियां स्वीकार कीं। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक इस प्रकार के अल्पकालिक विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें अपनी तरलता को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलती है, साथ ही यह उपाय मौद्रिक नियंत्रण बनाए रखने में भी सहायक है।

सीआरआर कटौती से प्रणाली में बढ़ी नकदी

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में 0.50% की कटौती की, जिससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग ₹1.16 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी प्रवेश कर गई। सीआरआर वह अनुपात होता है जिसे बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा अनिवार्य रूप से आरबीआई के पास जमा करना होता है। जब सीआरआर घटाया जाता है, तो बैंकों के पास अधिक धनराशि ऋण देने के लिए उपलब्ध होती है।इस कदम से लोन की दरों में कमी आ सकती है, जिससे उद्यमों और आम लोगों के लिए उधार लेना सस्ता हो सकता है। इससे आने वाले महीनों में क्रेडिट ग्रोथ (ऋण वृद्धि) को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आ सकती है।

केरल का पहला स्किन बैंक तिरुवनंतपुरम में खुलेगा

केरल का पहला स्किन बैंक 15 जुलाई 2025 को तिरुवनंतपुरम सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में शुरू किया जाएगा। यह विशेष सुविधा दान की गई स्किन को संरक्षित करके झुलसने वाले रोगियों के इलाज में उपयोग करेगी। यह पहल स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने और गंभीर जलन से पीड़ित मरीजों को प्रभावी उपचार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

जलन पीड़ितों के लिए एक नई सुविधा

तिरुवनंतपुरम सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (MCH) में स्थापित किया जा रहा यह स्किन बैंक केरल में अपनी तरह की पहली सुविधा होगी। इसका उद्घाटन 15 जुलाई को किया जाएगा, जो कि विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस भी है। इस बैंक की स्थापना पर कुल ₹6.75 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस बैंक के माध्यम से लोगों से स्किन दान प्राप्त की जाएगी, जिसे बाद में गंभीर रूप से झुलसे हुए मरीजों के इलाज में उपयोग किया जाएगा। दान की गई स्किन जलन के मरीजों के लिए न केवल दर्द को कम करती है, बल्कि संक्रमण के खतरे को घटाती है और घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करती है। यह सुविधा राज्य में जलन उपचार की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगी और गंभीर मरीजों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान करेगी।

स्वीकृति और विस्तार योजनाएं

इस स्किन बैंक को केरल राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (K-SOTTO) से आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि अब कोट्टायम सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी एक और स्किन बैंक शुरू करने की योजना पर कार्य चल रहा है। यह पहल राज्य सरकार की जलन पीड़ितों की देखभाल में सुधार लाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

प्लास्टिक सर्जरी केंद्र

जलन से पीड़ित मरीजों को बेहतर सहायता देने के लिए अलाप्पुझा, कोल्लम और कन्नूर के मेडिकल कॉलेजों में बर्न केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों में विशेष बर्न्स आईसीयू बनाए गए हैं, जो गंभीर रूप से झुलसे मरीजों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करते हैं।साथ ही, इन अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जरी इकाइयाँ भी शुरू की गई हैं, ताकि जलन के बाद बेहतर उपचार और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। यह समग्र प्रयास केरल को जलन पीड़ितों के उपचार में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रख्यात पुरातत्वविद वेदाचलम को मिला तमिल विक्की सुरन पुरस्कार

प्रसिद्ध पुरातत्वविद और तमिल शिलालेख विशेषज्ञ वी. वेदाचलम को उनके क्षेत्र में 51वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में तमिल विक्की सुरन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें मदुरै (तमिलनाडु) में उनके इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे और समर्पित कार्य के लिए प्रदान किया गया। 75 वर्ष की आयु में भी वेदाचलम जी अपनी निष्ठा और लगन से अनेक लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

इतिहास की खोज को समर्पित

श्री वेदाचलम ने तमिल साहित्य में एमए और पुरातत्व व अभिलेख शास्त्र में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पूरा करने के बाद अपने करियर की शुरुआत की। उनका पहला महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट करूर में था, जो प्राचीन चेर राजवंश की राजधानी था। वहाँ उन्होंने पुराने किले की दीवार का एक हिस्सा खोजने में मदद की। यही क्षण उनके जीवन में इतिहास के प्रति गहरी रुचि और समर्पण की शुरुआत बना।

तमिल भाषा में उनकी गहरी समझ ने उन्हें एक कुशल अभिलेख विशेषज्ञ (एपिग्राफिस्ट) बनाया, जो पत्थरों और दीवारों पर खुदे प्राचीन लेखों को पढ़ने और समझने का कार्य करता है। एक बार, विक्रमंगलम में खोजबीन करते हुए, वे एक चट्टान के किनारे लेट गए और छत पर एक 2,000 साल पुराना अभिलेख देखा, जो सदियों से छिपा हुआ था। वेदाचलम कहते हैं, वह खोज उनके जीवन का ऐसा क्षण था जो शुद्ध आनंद से भर गया।

कीलाड़ी और अनवरत जुनून

श्री वेदाचलम उन पहले विद्वानों में से थे जिन्होंने कीलाड़ी पुरातात्विक स्थल के महत्व को पहचाना और उस पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई। यह स्थल बाद में संगम युग से जुड़े ऐतिहासिक प्रमाणों के लिए प्रसिद्ध हुआ। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे कीलाड़ी स्थल पर रोज़ जाते रहे, सुबह से लेकर सूर्यास्त तक वहां मौजूद रहते। मिट्टी से सच खोजने का उनका जुनून आज भी उतना ही प्रबल है, जितना अपने करियर के शुरुआती दिनों में था।

शिक्षा और जनजागरूकता

श्री वेदाचलम ने अब तक 25 पुस्तकें लिखी हैं और भारत सहित विदेशों में भी ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया है, ताकि विभिन्न सभ्यताओं और निष्कर्षों की तुलना कर सकें। 2009 से, वे और उनकी टीम ने धन फाउंडेशन की मदद से लगभग 300 गांवों का दौरा किया है। हर दूसरे रविवार को वे गांवों में जाकर लोगों को अपने क्षेत्र के इतिहास और स्मारकों को संरक्षित करने के महत्व के बारे में सिखाते हैं।

इसके अलावा, श्री वेदाचलम कॉलेजों में भी जाते हैं और छात्रों को इतिहास की जानकारी देते हैं, ताकि युवाओं में अपने अतीत के प्रति सम्मान और समझ बढ़े। उनके लिए इतिहास जाति या धर्म से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह हमारे साझा अतीत को समझने का माध्यम है जो हम सभी को जोड़ता है। वे मानते हैं कि प्राचीन स्मारकों और अभिलेखों का संरक्षण अगली पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है।

विश्व स्वाहिली भाषा दिवस 2025

हर साल 7 जुलाई को दुनिया भर में विश्व स्वाहिली भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य स्वाहिली भाषा के महत्व को सम्मान देना है, जो पूर्वी अफ्रीका में व्यापक रूप से बोली जाती है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने वर्ष 2022 में इस दिवस की घोषणा की थी, ताकि स्वाहिली को एकता, संवाद और संस्कृति का शक्तिशाली माध्यम माना जा सके। यह पहली अफ्रीकी भाषा है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस प्रकार की वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है।

स्वाहिली भाषा क्यों है महत्वपूर्ण

स्वाहिली, जिसे स्थानीय रूप से किस्वाहिली भी कहा जाता है, अफ्रीका की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, जिसे 20 करोड़ से अधिक लोग, मुख्यतः द्वितीय भाषा के रूप में उपयोग करते हैं। इसकी उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका के समुद्री तट पर एक व्यापारिक भाषा के रूप में हुई थी, खासकर केन्या, तंज़ानिया, युगांडा, और मैडागास्कर के उत्तरी हिस्सों में।

स्वाहिली भाषा में कई अरबी शब्द शामिल हैं, क्योंकि 15वीं शताब्दी से अरबी व्यापारियों का स्थानीय बंटू समुदायों से संपर्क बढ़ा। ‘Swahili’ शब्द भी अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “तटवासी” या “तट से संबंधित“।

इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव

7 जुलाई 1954 को जूलियस नायरेरे (जो बाद में तंज़ानिया के पहले राष्ट्रपति बने) ने स्वाहिली को एकता की भाषा के रूप में अपनाया, ताकि लोग उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष में संगठित हो सकें। जॉमो केन्याटा, केन्या के पहले राष्ट्रपति ने भी स्वाहिली का उपयोग लोगों को एकजुट करने के लिए किया। उनका प्रसिद्ध नारा “हरमबी (Harambee)”, जिसका अर्थ है “मिलकर खींचना”, केन्याई आज़ादी के संघर्ष का प्रतीक बना।

इन नेताओं का मानना था कि स्वाहिली भाषा विभाजन खत्म कर अफ्रीकी देशों में सामूहिकता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे सकती है।

संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक पहल

2022 में, UNESCO ने आधिकारिक रूप से 7 जुलाई को “विश्व स्वाहिली भाषा दिवस” घोषित किया। यह पहली बार था जब किसी अफ्रीकी मूल की भाषा को इस प्रकार की वैश्विक मान्यता मिली। इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र केवल अपनी छह आधिकारिक भाषाओं — अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, अरबी और चीनी — के लिए ही दिवस मनाता था।

यह घोषणा यह दर्शाती है कि अफ्रीकी भाषाओं और संस्कृतियों का भी वैश्विक महत्व है और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।

भाषा से परे: संस्कृति और पहचान का उत्सव

विश्व स्वाहिली भाषा दिवस केवल एक भाषा का उत्सव नहीं है, बल्कि यह अफ्रीकी संस्कृति, पहचान और गर्व का प्रतीक भी है। यह लोगों को स्वाहिली सीखने, बोलने और सम्मान देने के लिए प्रेरित करता है। यह दिवस एक स्मरण है कि भाषाएं केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि एक समुदाय की आत्मा होती हैं।

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले कोलंबिया और उज्बेकिस्तान एनडीबी में शामिल

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले कोलंबिया और उज्बेकिस्तान ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की सदस्यता ग्रहण की है। इस कदम से एनडीबी के कुल सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। यह घोषणा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 10वीं बैठक के बाद की गई, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकास को गति देने के उद्देश्य से हुई थी।

वैश्विक पहुंच को मज़बूती

एनडीबी की स्थापना 2015 में ब्रिक्स के मूल पांच देशोंब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—द्वारा की गई थी। इसके बाद इसमें बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और अल्जीरिया जैसे देश भी शामिल हुए। अब कोलंबिया और उज्बेकिस्तान की सदस्यता के साथ बैंक की पहुंच और भी वैश्विक बन गई है।

एनडीबी का मुख्यालय शंघाई, चीन में है और इसका मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे और सतत विकास के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

दिल्मा रूससेफ़ ने बताई भविष्य की प्राथमिकताएं

एनडीबी की वर्तमान अध्यक्ष दिल्मा रूससेफ़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैंक की आगामी योजनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि बैंक अब चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में विकासशील देशों को डिजिटल परिवर्तन और तकनीकी नवाचार से निपटने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि बैंक का ध्यान विज्ञान, नवाचार और तकनीक को बढ़ावा देने पर होगा। अभी तक एनडीबी ने 120 से अधिक परियोजनाओं को समर्थन दिया है, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वच्छ ऊर्जा

  • परिवहन

  • पर्यावरण संरक्षण

  • जल और स्वच्छता

  • डिजिटल बुनियादी ढांचा

ब्रिक्स और एनडीबी का अगला कदम

17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन शीघ्र ही आयोजित होने वाला है। कोलंबिया और उज्बेकिस्तान की सदस्यता से एनडीबी की वैश्विक स्थिति और विकासशील देशों के साथ सहयोग की क्षमता और मजबूत हुई है।

यह विस्तार पश्चिमी वित्तीय तंत्र पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, और साथ ही वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को और मज़बूती भी प्रदान करता है।

NITI Aayog ने पूर्वोत्तर जिलों के लिए दूसरा एसडीजी सूचकांक जारी किया

नीति आयोग ने 7 जुलाई 2025 को उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (MoDoNER) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ साझेदारी में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र जिला SDG सूचकांक 2023-24 का दूसरा संस्करण नई दिल्ली में जारी किया। यह सूचकांक उत्तर-पूर्व के 8 राज्यों के 121 जिलों की सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति को मापता है।

SDG सूचकांक: उद्देश्य और महत्व

यह सूचकांक यह देखने का एक प्रभावी उपकरण है कि उत्तर-पूर्व भारत के जिले स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल, भूख-मुक्ति, रोजगार और समानता जैसे प्रमुख SDG क्षेत्रों में कितनी प्रगति कर रहे हैं। इसका पहला संस्करण अगस्त 2021 में जारी किया गया था।

यह सूचकांक नीतिगत योजना, संसाधनों के बेहतर उपयोग और लक्षित विकास में मदद करता है।

2023-24 रिपोर्ट की प्रमुख बातें

  • 85% जिलों ने पिछली रिपोर्ट की तुलना में अपने कुल SDG स्कोर में सुधार किया।

  • मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों ने फ्रंट रनर (65–99 अंक) श्रेणी हासिल की।

  • हनाथियाल (मिजोरम) सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला रहा (स्कोर: 81.43)।

  • लोंगडिंग (अरुणाचल प्रदेश) सबसे कम स्कोर करने वाला जिला रहा (स्कोर: 58.71)।

  • नगालैंड के 3 जिले शीर्ष 10 प्रदर्शनकर्ताओं में शामिल रहे।

  • सिक्किम ने सबसे स्थिर और संतुलित प्रदर्शन किया — उसके सभी जिलों के स्कोर एक-दूसरे के क़रीब रहे।

जिलों को 4 श्रेणियों में बांटा गया

अचीवर (स्कोर = 100)
फ्रंट रनर (स्कोर 65-99)
परफॉर्मर (स्कोर 50-65)
आकांक्षी (स्कोर < 50)

इस वर्ष कोई भी जिला अचीवर या एस्पिरेंट श्रेणी में नहीं आया।

प्रमुख नेताओं के वक्तव्य

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र जिला SDG सूचकांक 2023-24 को नई दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जारी किया गया, जिनमें शामिल थे:

  • श्री सुमन बेरी, उपाध्यक्ष, नीति आयोग

  • श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सीईओ, नीति आयोग

  • श्री चंचल कुमार, सचिव, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (MoDoNER)

  • डॉ. एंजेला लुसीगी, भारत में UNDP की प्रतिनिधि

सुमन बेरी ने कहा कि 2030 तक SDG लक्ष्य प्राप्त करना भारत को विकसित भारत @2047 के विज़न की ओर ले जाने के लिए आवश्यक है।

बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने उत्तर-पूर्व भारत की भूमिका को “अष्ट लक्ष्मी” (भारत के आठ रत्न) के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चंचल कुमार ने कहा कि यह सूचकांक नीतिगत खामियों को पहचानने और योजनाओं में सुधार के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

डॉ. एंजेला लुसीगी ने कहा कि डेटा तभी सार्थक होगा जब वह लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाए

राज्यवार प्रदर्शन और प्रमुख अवलोकन

  • सिक्किम और त्रिपुरा ने सभी जिलों में संतुलित और उच्च स्तर का प्रदर्शन दिखाया। जिलों के स्कोर के बीच अंतर बहुत कम था।

  • मिजोरम और नगालैंड में कुछ जिलों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि कुछ जिलों के स्कोर अपेक्षाकृत कम रहे, जिससे स्कोर में अधिक विविधता देखने को मिली।

  • असम के सभी जिलों ने Zero Hunger (भूख मुक्त), स्वच्छ जल, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में सुधार किया।

राज्यवार शीर्ष और न्यूनतम प्रदर्शनकर्ता जिले (SDG सूचकांक 2023-24)

  • अरुणाचल प्रदेश

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: लोअर दिबांग वैली73.36 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: लोंगडिंग58.71 अंक

  • असम

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: डिब्रूगढ़74.29 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: साउथ सलमारा-मनकाचर59.71 अंक

  • मणिपुर

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: इम्फाल वेस्ट73.21 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: फेरजॉल59.71 अंक

  • मेघालय

    • सर्वश्रेष्ठ जिला: ईस्ट खासी हिल्स73.00 अंक

    • सबसे कम स्कोर वाला जिला: ईस्ट जयंतिया हिल्स63.00 अंक

यह सूचकांक आकांक्षी जिलों कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) जैसे प्रयासों को समर्थन देता है और आधारित तथ्यों पर आधारित योजना (Evidence-based planning) को बढ़ावा देता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी जिला विकास की दौड़ में पीछे न रह जाए। यह जिलों की वास्तविक स्थिति को दर्शाकर सरकारों और नीति निर्माताओं को लक्षित सुधार करने में मदद करता है, जिससे समावेशी और संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।

विश्व ग्रामीण विकास दिवस 2025: इतिहास और महत्व

संयुक्त राष्ट्र ने 6 जुलाई को पहली बार विश्व ग्रामीण विकास दिवस मनाया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के महत्व को उजागर करना है। यह दिवस दुनिया का ध्यान गरीबी, भूख, कमजोर बुनियादी ढांचे और डिजिटल पहुंच की कमी जैसे मुद्दों की ओर आकर्षित करता है, जिनका सामना ग्रामीण समुदायों को करना पड़ता है। साथ ही, यह अपील करता है कि दूर-दराज और उपेक्षित इलाकों में रहने वाले लोगों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए, ताकि कोई पीछे न छूटे।

यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 जुलाई को विश्व ग्रामीण विकास दिवस घोषित किया है, ताकि वह 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा सके। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों—विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और आदिवासी समुदायों—की मदद करना है, जो अक्सर गरीबी, भूख और बुनियादी सेवाओं की कमी का सबसे अधिक सामना करते हैं। यही समूह कृषि, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह घोषणा सरकारों, नागरिक समाज और वैश्विक संस्थाओं को प्रोत्साहित करती है कि वे इस दिवस को स्थानीय परियोजनाओं, जागरूकता अभियानों और नीतिगत चर्चाओं के माध्यम से सार्थक रूप से मनाएं।

ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख चुनौतियाँ

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के लगभग 80% सबसे गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से कई की दैनिक आय $2.15 से भी कम है। ग्रामीण आबादी का लगभग आधा हिस्सा उचित स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है, और जहां शहरी क्षेत्रों में 83% लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 50% से भी कम है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, खराब सड़कें, और सीमित शिक्षा सुविधाएं ग्रामीण जीवन को और भी कठिन बना देती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं कृषि कार्यबल का 43% हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें भूमि, तकनीक और ऋण जैसी सुविधाओं में समान अवसर नहीं मिलते। इन समस्याओं का समाधान करना समान और सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र की दृष्टि और प्रयास

संयुक्त राष्ट्र का ग्रामीण विकास को लेकर दृष्टिकोण आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सुधारों के संयुक्त प्रयास पर आधारित है। इसमें:

  • महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना

  • डिजिटल पहुंच को प्रोत्साहित करना

  • बेहतर सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं विकसित करना शामिल हैं।

भारत के बिहार राज्य की ‘जीविका परियोजना’ इसका एक सफल उदाहरण है, जहाँ 18 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं और उनकी घरेलू आय में 30% की वृद्धि दर्ज की गई।

हर वर्ष, यह दिवस सरकारों, विश्वविद्यालयों, NGO, निजी कंपनियों और स्थानीय समुदायों को ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने देशों से आग्रह किया है कि वे सफल परियोजनाओं की कहानियां साझा करें और सटीक योजना के लिए डाटा डैशबोर्ड तैयार करें, ताकि विकास योजनाएं अधिक प्रभावी बन सकें।

समावेशी शिक्षा को समर्थन देने के लिए सरकार ने श्री अरबिंदो सोसाइटी के साथ साझेदारी की

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) ने 7 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में श्री अरबिंदो सोसाइटी (SAS) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य शिक्षकों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान कर दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह पहल दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD), 2016 के उद्देश्यों को समर्थन देती है।

‘प्रोजेक्ट इनक्लूज़न’ के अंतर्गत समावेशी शिक्षा

यह MoU श्री अरबिंदो सोसाइटी की ‘रूपांतर’ पहल के अंतर्गत चलाए जाने वाले ‘प्रोजेक्ट इनक्लूज़न’ का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत एक मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से शिक्षकों, स्कूल काउंसलरों और शिक्षा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे दिव्यांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में बेहतर ढंग से सहयोग दे सकें।

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रतिभागियों को ई-प्रमाण पत्र (e-certificates) दिए जाएंगे और उन्हें नई शिक्षण सामग्री और उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य कक्षाओं को अधिक सहज, समावेशी और सभी बच्चों के लिए अनुकूल बनाना है।

RPwD अधिनियम, 2016 का क्रियान्वयन

यह परियोजना विशेष रूप से RPwD अधिनियम, 2016 की धारा 16, 17 और 47 के प्रावधानों को लागू करने में सहायक होगी, जो दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा प्रदान करने की बात करते हैं।

यह साझेदारी स्कूलों, शिक्षकों और पुनर्वास पेशेवरों को यह समझने में मदद करेगी कि कैसे दिव्यांग बच्चों को सामान्य शिक्षा व्यवस्था में सम्मिलित किया जाए।

दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच: लेह समावेश पहल

यह समझौता ‘लेह समावेश पहल (Leh Inclusion Initiative)’ जैसे विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी पहुंच बनाने की दिशा में एक प्रयास है, जिससे देश के सभी हिस्सों में समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।

शोध और भविष्य की योजनाएं

श्री अरबिंदो सोसाइटी प्रशिक्षण के साथ-साथ शोध एवं विकास कार्य भी करेगी, ताकि समावेशी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। इसमें नई शिक्षण विधियों का अध्ययन और उपयोगी शैक्षणिक सामग्री का निर्माण शामिल होगा।

यह परियोजना लंबे समय में शिक्षकों के लिए एक मजबूत सहायता प्रणाली तैयार करेगी और सुनिश्चित करेगी कि कोई भी बच्चा केवल दिव्यांगता के कारण पीछे न रह जाए

UN ने तालिबान से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार खत्म करने और देश में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव 116 देशों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि अमेरिका और इज़रायल ने इसके खिलाफ मतदान किया। भारत, चीन, रूस और ईरान सहित 12 देशों ने मतदान से परहेज (abstain) किया।

यह प्रस्ताव बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता को दर्शाता है, जो अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के कारण सामने आई है।

प्रस्ताव में क्या कहा गया है?

11 पन्नों के इस प्रस्ताव में तालिबान से आग्रह किया गया है कि वे अपने कठोर नियमों को वापस लें, विशेष रूप से वे जो महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा (छठी कक्षा के बाद शिक्षा पर रोक) और स्वतंत्र आवाजाही जैसे अधिकारों को सीमित करते हैं।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान से सभी आतंकी संगठनों — जैसे अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (ISIS) — को समाप्त किया जाना चाहिए।

हालांकि यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह एक मजबूत वैश्विक संदेश देता है कि दुनिया अफगान जनता, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, के साथ खड़ी है। साथ ही यह आर्थिक पुनरुद्धार और मानवीय सहायता को प्रोत्साहित करता है।

देशों की प्रतिक्रियाएं

यह प्रस्ताव जर्मनी द्वारा पेश किया गया था। जर्मनी की संयुक्त राष्ट्र में राजदूत एंटजे लेंडर्टसे ने कहा कि यह मतदान दिखाता है कि दुनिया ने अफगान महिलाओं और बच्चों को नहीं भुलाया, जो गरीबी, भूख और हिंसा का सामना कर रहे हैं।

हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रस्ताव का विरोध किया। अमेरिकी प्रतिनिधि जोनाथन श्रियर ने कहा कि यह प्रस्ताव गलत तरीके से तालिबान को वैश्विक मान्यता की दिशा में बढ़ावा देता है, जबकि वे अभी भी मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

उन्होंने प्रस्ताव के उस हिस्से की आलोचना भी की जिसमें ईरान और पाकिस्तान को अफगान शरणार्थियों को शरण देने के लिए सराहा गया है। श्रियर ने आरोप लगाया कि ईरान अफगान शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है, उन्हें बिना उचित सुनवाई के फांसी दे रहा है और उन्हें मिलिशिया में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा है।

अब आगे क्या होगा?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महासचिव एंतोनियो गुटेरेस से एक विशेष समन्वयक (special coordinator) नियुक्त करने का सुझाव दिया है, जो अफगानिस्तान पर वैश्विक प्रयासों और बातचीत को अधिक संरचित, एकजुट और प्रभावी बना सके।

यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब रूस तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने वाला पहला देश बन चुका है, जिससे वैश्विक बहस और तेज़ हो गई है। फिर भी, अधिकांश देशों का मानना है कि यदि तालिबान को वैश्विक स्वीकृति चाहिए, तो उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा करनी होगी और आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से काम करना होगा।

इटरनल ने आदित्य मंगला को फूड डिलीवरी का सीईओ नियुक्त किया

भारत के तेजी से बढ़ते फूड डिलीवरी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में, Eternal ने आदित्य मंगला को अपने फूड ऑर्डरिंग और डिलीवरी डिवीजन का नया CEO नियुक्त किया है। यह नेतृत्व परिवर्तन 6 जुलाई 2025 को हुआ, जो कंपनी की पूर्व-नियोजित रणनीति का हिस्सा था।

फूड डिलीवरी यूनिट की कमान संभालेंगे आदित्य मंगला

आदित्य मंगला अब अगले दो वर्षों के लिए Eternal के फूड डिलीवरी संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगे। वे राकेश रंजन की जगह लेंगे, जो पिछले दो सालों से इस पद पर थे और अब सभी वरिष्ठ प्रबंधन भूमिकाओं से अलग हो रहे हैं।

आदित्य मार्च 2021 से Eternal से जुड़े हुए हैं और उन्होंने कंपनी में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं — जैसे सप्लाई और कस्टमर एक्सपीरियंस टीम का नेतृत्व। उन्होंने रेस्तरां भागीदारी बढ़ाने और डिलीवरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

कंपनी की दिशा

दीपिंदर गोयल, Eternal के संस्थापक ने इस नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कंपनी को अब ऐसे नेताओं की ज़रूरत है जो ईमानदारी, तेजी और संवेदनशीलता के साथ जटिल परिस्थितियों को संभाल सकें। उन्होंने आदित्य की उस आदत की सराहना की, जिसमें वे सम्मानपूर्वक निर्णयों पर सवाल उठाते और चुनौतियां पेश करते हैं, जिसे उन्होंने नेतृत्व के लिए मूल्यवान गुण बताया।

दीपिंदर ने यह भी कहा कि Eternal अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां स्वतंत्र सोच रखने वाले नेता और नई सोच के साथ संचालन सुधारने वाले लोगों की जरूरत है।

पृष्ठभूमि: हालिया चुनौतियां

अप्रैल 2025 में, दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़ोमैटो और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को एक एंटी-ट्रस्ट केस को लेकर नोटिस भेजा था। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने इस मामले में गोपनीय जानकारियों से बाहर रखे जाने को लेकर आपत्ति जताई थी। यह मामला अभी चल रहा है और इसका ज़ोमैटो के भविष्य के संचालन पर असर पड़ सकता है।

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