प्रहलाद जोशी ने हरियाणा में पेलेट प्लांट का उद्घाटन किया

भारत में सतत ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले में एक बायोमास पेलेट प्लांट का उद्घाटन किया और एक बायो-एथेनॉल प्लांट की आधारशिला रखी। ये दोनों परियोजनाएँ भारत के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य और E20 मिशन को पूरा करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएँगी। इनका उद्देश्य कृषि अवशेष (फसल का बरड़ा), जिसे पहले कचरा माना जाता था, को स्वच्छ ऊर्जा के उपयोगी स्रोत में बदलना है—जिससे पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय, दोनों को लाभ मिलेगा।

पेलेट प्लांट: पराली से बनेगी ऊर्जा

रेवाड़ी में स्थापित यह नया पेलेट प्लांट प्रतिदिन 240 टन बायोमास पेलेट का उत्पादन करेगा। इसमें निम्नलिखित कृषि अवशेषों का उपयोग होगा—

  • धान का पुआल

  • सरसों का ठूंठ

  • कपास के डंठल

ये पेलेट थर्मल पावर प्लांट में को-फायरिंग (कोयले के साथ जलाने) के लिए उपयोग किए जाएँगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। यह भारत सरकार की उस अनिवार्य नीति के अनुरूप है, जिसमें थर्मल प्लांट्स को बायोमास और कचरे का एक हिस्सा ईंधन के रूप में उपयोग करना जरूरी किया गया है।

मुख्य लाभ

  • पराली जलाने और वायु प्रदूषण में कमी

  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन

  • किसानों को फसल अवशेष से अतिरिक्त आय

  • नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण को बढ़ावा

बायो-एथेनॉल प्लांट: E20 मिशन को गति

पेलेट प्लांट के साथ ही K2 बायो-एथेनॉल प्लांट की आधारशिला रखी गई, जो इसी तरह के कृषि अवशेषों से बायो-एथेनॉल तैयार करेगा—जो पेट्रोल में मिलाए जाने वाला स्वच्छ ईंधन है।

यह प्लांट भारत के E20 लक्ष्य (2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण) को पूरा करने में अहम योगदान देगा। फसल अवशेषों से बनने वाला एथेनॉल, ईंधन आयात पर निर्भरता कम करता है और प्रदूषण भी घटाता है।

बायो-एथेनॉल प्लांट की प्रमुख विशेषताएँ

  • पराली को एथेनॉल में परिवर्तित कर ईंधन मिश्रण में उपयोग

  • तेल आयात में कमी और कार्बन उत्सर्जन में घटौती

  • ग्रामीण उद्योगों और किसानों की आय में वृद्धि

  • पर्यावरण समस्याओं का स्थायी समाधान

सरकारी नीतिगत समर्थन

कार्यक्रम में मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि पहले कृषि अवशेष को बोझ समझा जाता था, जिससे पराली जलाने की समस्या होती थी। अब सरकारी नीतियों के कारण वही अवशेष ऊर्जा उत्पादन का बहुमूल्य संसाधन बन रहा है।

उन्होंने यह भी बताया—

  • थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास को-फायरिंग अब अनिवार्य है

  • सरकार ग्रामीण ऊर्जा ढाँचे को मजबूत कर रही है

  • विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों पर समान ध्यान दिया जा रहा है

हरियाणा में स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार

यह परियोजना हरियाणा में हरित अवसंरचना और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे बदलाव का हिस्सा है। रेवाड़ी जैसे कृषि-प्रधान क्षेत्रों में बायो-फ्यूल और पेलेट प्लांट बनने से राज्य आगे बढ़ेगा—

  • नवीकरणीय ईंधन नवाचार में

  • विकेंद्रीकृत ऊर्जा उत्पादन में

  • ग्रामीण औद्योगिक विकास में

यह प्रयास किसानों को ऊर्जा उत्पादक के रूप में सशक्त बनाता है और विकास व पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

स्थिर तथ्य

  • स्थान: रेवाड़ी, हरियाणा

  • शामिल मंत्री: प्रह्लाद जोशी (केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री)

  • पेलेट प्लांट क्षमता: 240 टन प्रतिदिन

  • कच्चा माल: धान पुआल, सरसों अवशेष, कपास डंठल

  • उपयोग: थर्मल पावर प्लांट को-फायरिंग

  • बायो-एथेनॉल प्लांट: K2 सुविधा की आधारशिला रखी गई

  • लक्ष्य मिशन: E20 (2025 तक 20% एथेनॉल मिश्रण)

भारत ने 23 सदस्यों वाले दल के साथ वर्ल्डस्किल्स एशिया 2025 में पदार्पण किया

भारत ने पहली बार आधिकारिक रूप से वर्ल्डस्किल्स एशिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है — यह एशिया का प्रतिष्ठित कौशल चैम्पियनशिप कार्यक्रम है, जिसमें पूरे महाद्वीप के सर्वश्रेष्ठ युवा पेशेवर भाग लेते हैं।

24 नवंबर 2025 को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने 23-सदस्यीय भारतीय दल को औपचारिक रूप से रवाना किया, जो 27 नवंबर 2025 से चीनी ताइपे में आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा।

यह पदार्पण भारत के “स्किल कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” बनने के मिशन में एक ऐतिहासिक कदम है। यह सरकार के उस व्यापक दृष्टिकोण से जुड़ा है, जिसमें व्यावसायिक उत्कृष्टता, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता, और कौशल आधारित विकास को केंद्र में रखा गया है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल: 23 प्रतियोगी, 21 विशेषज्ञ

भारतीय टीम में शामिल हैं:

  • 23 प्रतिभागी, जो 21 कौशल श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करेंगे

  • 21 डोमेन विशेषज्ञ, जो प्रतिभागियों का मार्गदर्शन और प्रशिक्षण करेंगे

इन प्रतिभागियों को उद्योग विशेषज्ञों और सेक्टर स्किल काउन्सिल्स के मार्गदर्शन में आयोजित राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया है।
इस कार्यक्रम का संचालन नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) द्वारा किया जा रहा है, जो भारतीय दल का नेतृत्व कर रहा है, जबकि वर्ल्डस्किल्स इंडिया इसके क्रियान्वयन और ज्ञान साझेदार के रूप में कार्य कर रहा है।

वैश्विक कौशल मान्यता का मंच

वर्ल्डस्किल्स एशिया व्यापक वर्ल्डस्किल्स आंदोलन का क्षेत्रीय मंच है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (VET) उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है।
प्रतिभागी अपनी दक्षता निम्नलिखित ट्रेडों में प्रदर्शित करेंगे:

  • मैक्ट्रॉनिक्स

  • CNC मिलिंग

  • वेब डेवलपमेंट

  • मोबाइल रोबोटिक्स

  • ग्राफिक डिज़ाइन टेक्नोलॉजी

  • फ़ैशन टेक्नोलॉजी

  • क्लाउड कंप्यूटिंग आदि

भारत की भागीदारी यह दर्शाती है कि देश 21वीं सदी के उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप युवाओं को वैश्विक स्तर के कौशल प्रदान करने पर विशेष ध्यान दे रहा है।

कौशल उत्कृष्टता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता

सेन्ड-ऑफ समारोह में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री जयंत चौधरी ने भारतीय टीम पर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई:

  • युवाओं को भविष्य-उन्मुख कौशल प्रदान करना

  • व्यावसायिक शिक्षा में भारत की वैश्विक उपस्थिति को मजबूती देना

  • कौशल इकोसिस्टम में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम भारतीय युवाओं को “प्रतिस्पर्धा, सहयोग और योगदान” करने का अवसर देता है और दुनिया के सामने भारत की कौशल क्षमता प्रदर्शित करता है।

इस पहली भागीदारी का महत्व

भारत की वर्ल्डस्किल्स एशिया में पहली आधिकारिक भागीदारी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है:

  • वैश्विक कौशल मंच पर भारत की स्थिति मजबूत होगी

  • प्रतियोगियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों को समझने का अवसर मिलेगा

  • भारत के युवा अपनी क्षमता का वैश्विक स्तर पर मूल्यांकन कर सकेंगे

  • वर्ल्डस्किल्स इंटरनेशनल प्रतियोगिता (वैश्विक संस्करण) में बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ़ेगी

यह कदम स्किल इंडिया मिशन में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगा और कौशल आधारित करियर को अधिक प्रतिष्ठित बनाएगा।

NSDC और वर्ल्डस्किल्स इंडिया की भूमिका

नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC) भारत के कार्यबल को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
वर्ल्डस्किल्स इंडिया के साथ मिलकर NSDC:

  • प्रतिभागियों का चयन, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन करता है

  • उद्योग और शिक्षण संस्थानों के साथ साझेदारी बनाता है

  • प्रशिक्षण को अंतरराष्ट्रीय कौशल मानकों के अनुरूप बनाता है

इस संगठित प्रक्रिया से न सिर्फ़ पदक जीतने में मदद मिलती है, बल्कि देश में कौशल-आधारित व्यवसायों का सम्मान भी बढ़ता है।

स्थिर तथ्य 

  • कार्यक्रम: वर्ल्डस्किल्स एशिया 2025

  • स्थान: चीनी ताइपे

  • तारीखें: 27 नवंबर 2025 से

  • भारतीय दल: 23 प्रतियोगी, 21 विशेषज्ञ

  • कौशल श्रेणियाँ: 21

  • नेतृत्व: नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC)

  • क्रियान्वयन साझेदार: वर्ल्डस्किल्स इंडिया

  • पहली आधिकारिक भागीदारी: हाँ

UNEP की ग्लोबल मीथेन स्टेटस रिपोर्ट 2025: मुख्य बातें और भारत की स्थिति

भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों (PSBs) में प्रबंधन और संचालन नेतृत्व को मजबूत करने के लिए पांच नए कार्यकारी निदेशकों (EDs) की नियुक्ति की है। ये नियुक्तियाँ 24 नवंबर 2025 से प्रभावी हुईं और प्रत्येक अधिकारी को तीन वर्ष का कार्यकाल प्रदान किया गया है। यह बदलाव सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रदर्शन-आधारित नेतृत्व, उन्नत सुशासन, और बेहतर परिचालन क्षमता को बढ़ावा देने की सरकार की निरंतर नीति को दर्शाता है। इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र में निर्णय-प्रक्रिया, डिजिटल सुधारों और वित्तीय स्थिरता को और अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है।

मिथेन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सबसे गंभीर चिंताओं में से एक बन गया है। यद्यपि यह वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की तुलना में कम समय तक रहता है, लेकिन इसकी ऊष्मा-फँसाने की क्षमता बहुत अधिक है और यह वैश्विक तापमान वृद्धि में बड़ा योगदान देता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की ग्लोबल मिथेन स्टेटस रिपोर्ट 2025, जिसे COP30 शिखर सम्मेलन में जारी किया गया, यह दिखाती है कि मिथेन उत्सर्जन किस तेजी से बढ़ रहा है और क्यों तुरंत वैश्विक कार्रवाई अनिवार्य है।

भारत जैसे देशों—जो विश्व के सबसे बड़े मिथेन उत्सर्जकों में से एक है—के लिए इस रिपोर्ट के निष्कर्ष पर्यावरणीय, आर्थिक और नीतिगत स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मिथेन के प्रभाव, वैश्विक नीति ढाँचा और भारत की स्थिति को समझना न केवल जलवायु विमर्श के लिए बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी आवश्यक है।

मिथेन क्या है?
मिथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जो वैश्विक ताप वृद्धि में CO₂ के बाद दूसरा सबसे बड़ा योगदान देती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, औद्योगिक क्रांति के बाद से बढ़े वैश्विक तापमान में लगभग 30% की हिस्सेदारी मिथेन की है।

अत्यधिक ऊष्मा-ग्रहण क्षमता
20 साल की अवधि में मिथेन, CO₂ की तुलना में 80 गुना से अधिक शक्तिशाली है, इसलिए यह कम समय का लेकिन अत्यधिक प्रभावशाली प्रदूषक है।

वातावरण में कम आयु
जहाँ CO₂ सदियों तक वायुमंडल में रह सकती है, वहीं मिथेन लगभग 12 वर्षों में टूट जाती है। इसलिए इसे कम करना तेजी से लाभ देने वाला कदम माना जाता है।

ग्लोबल मिथेन स्टेटस रिपोर्ट 2025 के प्रमुख निष्कर्ष
UNEP द्वारा जारी रिपोर्ट कई चिंताजनक रुझान दिखाती है।

उत्सर्जन बढ़ रहे हैं
मानव-जनित मिथेन उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। ऊर्जा क्षेत्र ने अकेले 2023 में 12 करोड़ टन मिथेन छोड़ा। यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ जारी रहीं, तो 2030 तक उत्सर्जन 13% और 2050 तक 56% बढ़ सकता है—जो पेरिस समझौते और ग्लोबल मिथेन प्लेज के लक्ष्यों को प्रभावित करेगा।

मिथेन के प्रमुख स्रोत
विश्व भर में प्रतिवर्ष लगभग 600 मिलियन टन मिथेन उत्सर्जित होती है, जिसमें से 60% मानव गतिविधियों से आती है—मुख्यतः:
• कृषि – 42% (पशुधन, धान की खेती, गोबर)
• ऊर्जा उत्पादन – तेल, गैस और कोयला क्षेत्र
• कचरा प्रबंधन – लैंडफिल और जल-मल प्रबंधन

ग्लोबल मिथेन प्लेज क्या है?
COP26 (2021) में EU और USA द्वारा शुरू किया गया यह वैश्विक प्रतिज्ञा 2020 के स्तर की तुलना में 2030 तक मिथेन उत्सर्जन में 30% कटौती को लक्ष्य बनाता है। नवंबर 2025 तक 159 देश इसे अपना चुके हैं।

भारत की स्थिति

तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक
भारत, चीन और अमेरिका के बाद मिथेन का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जिसकी वैश्विक हिस्सेदारी लगभग 9% है।

भारत ने यह प्रतिज्ञा क्यों नहीं अपनाई?
भारत निम्नलिखित कारणों से ग्लोबल मिथेन प्लेज से नहीं जुड़ा है:

  1. CO₂ पर प्राथमिक फोकस: भारत दीर्घकालिक कार्रवाई का केंद्र कार्बन डाइऑक्साइड को मानता है।

  2. कृषि पर निर्भरता: भारत में बड़ा मिथेन हिस्सा छोटे किसानों की कृषि से आता है।

  3. खाद्य सुरक्षा का मुद्दा: बंधनकारी लक्ष्य किसानों की आय व उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं।

  4. नीतिगत स्वायत्तता: भारत UNFCCC और पेरिस समझौते के ढाँचे के भीतर ही अपने लक्ष्य तय करना चाहता है।

भारत में मिथेन कम करने के प्रयास

1. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)
धान खेती में मिथेन कम करने के लिए तकनीकें:

• डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) – कम पानी, कम उत्सर्जन
• अल्टरनेट वेटिंग एंड ड्राइंग (AWD) – उत्सर्जन 45% तक घटाता है

2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन
• बेहतर नस्ल
• संतुलित पशु आहार

3. गोबर-धन योजना
ग्राम्य जैव-अपशिष्ट से बायोगैस बनाकर मिथेन को ऊर्जा में बदलना।

एसएंडपी ने FY2025-26 में भारत के लिए 6.5% GDP ग्रोथ का अनुमान लगाया

भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान और आने वाले वित्तीय वर्षों में स्थिर गति से बढ़ने की ओर अग्रसर है, जैसा कि S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने अनुमान लगाया है। एजेंसी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था FY2025-26 में 6.5% और FY2026-27 में 6.7% की दर से विस्तार करेगी। इस वृद्धि के पीछे मजबूत घरेलू खपत, संभावित कर कटौती और अनुकूल मौद्रिक नीति रुख जैसे प्रमुख कारक हैं। यह अनुमान बताता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत बड़े और तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बना हुआ है। यह दृष्टिकोण भारत की नीतिगत स्थिरता और ऐसी आर्थिक संरचना पर विश्वास को दर्शाता है, जो निर्यात या बाहरी मांग पर अत्यधिक निर्भर रहने के बजाय आंतरिक आर्थिक कारकों के आधार पर टिकाऊ विकास कर सकती है।

घरेलू उपभोग से संचालित वृद्धि

S&P के विश्लेषण का मुख्य आधार यह है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में घरेलू उपभोग (कन्ज़म्प्शन) प्रमुख भूमिका निभाएगा। आगामी कर राहत उपायों से लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू खर्च बढ़ेगा और यह आर्थिक वृद्धि का मुख्य इंजन बनेगा। साथ ही, मौद्रिक नीति में ढील—जिसमें ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी शामिल है—से ऋण (क्रेडिट) लेने में वृद्धि होगी और निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, विशेषकर रिटेल, सेवाओं और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में।

भारत का GDP अप्रैल–जून 2025 तिमाही में 7.8% की वृद्धि के साथ एक साल में सबसे तेज़ रहा। आने वाली तिमाहियों में यह गति थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन फिर भी मजबूत स्तर पर बनी रहेगी, जिससे भारत दुनिया की अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से आगे रहेगा।

बाहरी नीतिगत विकासों की भूमिका

S&P ने यह भी संकेत दिया कि यदि भारत–अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम रूप ले लेता है, तो इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और भारतीय कंपनियों के लिए नए बाज़ार खुलेंगे। यह समझौता विशेष रूप से टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और अन्य श्रम-प्रधान उद्योगों को स्थिरता प्रदान कर सकता है, और वैश्विक सुरक्षा-वादी (प्रोटेक्शनिस्ट) नीतियों के प्रभाव को कम कर सकता है।

हालाँकि, अमेरिका द्वारा कुछ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क अब भी एक चुनौती हैं और निर्यात-निर्भर क्षेत्रों की वृद्धि को सीमित कर सकते हैं। इसके बावजूद, भारत की मज़बूत घरेलू मांग इन जोखिमों को संतुलित करने में सहायक मानी जा रही है।

आरबीआई के अनुमान से तुलना

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.8% लगाया है, जो S&P के 6.5% अनुमान से थोड़ा अधिक है। फिर भी, दोनों ही अनुमान बताते हैं कि वैश्विक चुनौतियों—जैसे मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और व्यापार तनाव—के बीच भी भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर और सुदृढ़ बनी हुई है।

नीति और विकास के लिए संकेत

S&P के अनुसार इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए भारत को निम्न क्षेत्रों पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है:

  • व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) में सुधार

  • लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी सहित बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना

  • ग्रामीण एवं अर्ध-कुशल श्रमिकों को बेहतर तरीके से समायोजित करने के लिए श्रम बाज़ार में सुधार

  • कल्याणकारी योजनाओं और सार्वजनिक निवेश को समर्थन देते हुए राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना

  • मैन्युफैक्चरिंग, तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधार जारी रखना

ये सभी उपाय भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • S&P का भारत का GDP पूर्वानुमान:

    • FY 2025–26: 6.5%

    • FY 2026–27: 6.7%

  • Q1 FY 2025–26 GDP वृद्धि: 7.8% (पिछली पाँच तिमाहियों में सर्वाधिक)

  • RBI का GDP अनुमान (FY 2025–26): लगभग 6.8%

  • मुख्य प्रेरक कारक: कर राहत, नीति में ढील, निजी उपभोग

  • महत्वपूर्ण बाहरी कारक: संभावित भारत–अमेरिका व्यापार समझौता

  • मुख्य जोखिम: अमेरिकी बाज़ार में भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क

हैली गुब्बी ज्वालामुखी कहाँ स्थित है?

हैली गुब्बी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित एक शील्ड ज्वालामुखी है। यह एर्टा एले पर्वतमाला की दक्षिणतम ज्वालामुखीय संरचना माना जाता है। हजारों वर्षों तक यह ज्वालामुखी पूरी तरह शांत था, और पिछले 12,000 वर्षों में इसके किसी भी ज्ञात विस्फोट का रिकॉर्ड नहीं मिला था। लेकिन नवंबर 2025 में इसकी यह लंबी शांति अचानक समाप्त हो गई, जब इसमें अप्रत्याशित रूप से विस्फोट हुआ।

हैली गुब्बी का स्थान

हैली गुब्बी एक शील्ड ज्वालामुखी है, जो इथियोपिया के अफार क्षेत्र में, देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह अर्ता एले पर्वतमाला का हिस्सा है, जो अपने सक्रिय ज्वालामुखीय परिदृश्य के लिए प्रसिद्ध है। हैली गुब्बी इस पर्वतमाला का सबसे दक्षिणी ज्वालामुखी है। यह क्षेत्र बेहद दुर्गम है—तेज़ गर्म रेगिस्तानों और पथरीले इलाकों से घिरा हुआ—जिसके कारण वैज्ञानिकों और यात्रियों के लिए यहां तक पहुंचना काफी कठिन होता है।

एक लंबे समय तक शांत रहा ज्वालामुखी

अफार क्षेत्र की दूरस्थता और कठिन भू-भाग के कारण यहां ज्वालामुखीय गतिविधियों के बहुत अधिक ऐतिहासिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। फिर भी, 2025 तक हैली गुब्बी में होलोसीन युग की शुरुआत (लगभग 12,000 वर्ष) से कोई ज्ञात विस्फोट नहीं हुआ था। इसी वजह से नवंबर 2025 में इसका अचानक सक्रिय हो जाना वैज्ञानिकों के लिए एक आश्चर्यजनक और महत्वपूर्ण घटना माना गया।

2025 का विस्फोटक ज्वालामुखी विस्फोट

2025 में हैली गुब्बी का विस्फोटक ज्वालामुखी विस्फोट अचानक और अत्यंत शक्तिशाली था, जिसने आकाश में ऊँचाई तक विशाल राख का बादल भेज दिया और वैज्ञानिकों को चौंका दिया।

विस्फोट कैसे शुरू हुआ?

23 नवंबर 2025 को टूलूज़ वॉल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) ने घोषणा की कि हैली गुब्बी अचानक फट गया है। सैटेलाइट तस्वीरों में आकाश में उठते हुए एक बड़े राख बादल को स्पष्ट रूप से देखा गया।
विस्फोट लगभग 08:30 UTC पर शुरू हुआ और राख का बादल 45,000 फीट (14,000 मीटर) की ऊँचाई तक पहुँच गया—जो हवाई यातायात के लिए खतरनाक स्तर माना जाता है।

विस्फोट की प्रकृति

इस विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इसे सब-प्लिनियन (Sub-Plinian) विस्फोट के रूप में वर्गीकृत किया गया। इसका अर्थ है कि ज्वालामुखी ने एक ऊँचा और शक्तिशाली राख का स्तंभ (ash column) आकाश में भेजा। घटना के दौरान ली गई तस्वीरों में ज्वालामुखी के ऊपर उठता हुआ एक विशाल, चमकीला राख-स्तंभ स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

शाम 20:00 UTC तक विस्फोट का मुख्य और तीव्र चरण लगभग समाप्त हो गया था।

राख के बादल की गति

प्रारंभिक विस्फोट के बाद, तेज हवाओं ने राख के बादल को अरब प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों की ओर धकेल दिया। यह बादल यमन और ओमान जैसे क्षेत्रों के ऊपर जाकर पहुँचा।

इससे वहाँ दृश्यता कम होने और वायु गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका पैदा हुई थी। हालांकि, अब तक किसी बड़ी पर्यावरणीय या स्वास्थ्य समस्या की पुष्टि नहीं हुई।

चिंताएँ और प्रभाव

1. वायु गुणवत्ता:
लोग चिंतित थे कि हवा में उड़ता ज्वालामुखीय राख का बादल कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को खराब कर सकता है। हालांकि, बादल के फैलने के बावजूद किसी बड़े स्वास्थ्य या पर्यावरणीय खतरे की जानकारी नहीं मिली।

2. हवाई यात्रा:
ज्वालामुखीय राख विमानों के लिए खतरनाक होती है, क्योंकि यह इंजन को नुकसान पहुँचा सकती है और दृश्यता कम कर सकती है। इसलिए, अधिकारियों ने स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी। सौभाग्य से, विस्फोट क्षेत्र से दूर हवाई मार्गों पर किसी बड़े व्यवधान की रिपोर्ट नहीं मिली।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2025

हर वर्ष 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जो लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों के वैश्विक सक्रियता अभियान की शुरुआत भी है। वर्ष 2025 का विषय “UNiTE to End Digital Violence Against All Women and Girls” महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती डिजिटल हिंसा—जैसे साइबर स्टॉकिंग, डॉक्सिंग, डीपफेक, और समन्वित ऑनलाइन उत्पीड़न—पर वैश्विक चिंताओं को उजागर करता है।

भारत पारंपरिक और तकनीक-सक्षम दोनों तरह की हिंसा से निपटने के लिए कानून, डिजिटल पहलों, हेल्पलाइन सेवाओं और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से एक समन्वित दृष्टिकोण अपना रहा है, ताकि महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और सशक्तिकरण को वास्तविक जीवन के साथ-साथ डिजिटल दुनिया में भी सुनिश्चित किया जा सके।

वैश्विक पृष्ठभूमि और इतिहास

अंतरराष्ट्रीय दिवस की उत्पत्ति

  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया।
  • यह तिथि मिराबल बहनों की 1960 में हुई हत्या की याद में चुनी गई, जिन्होंने डोमिनिकन रिपब्लिक की तानाशाही का विरोध किया था।
  • यही दिन 16 दिनों के अभियान (25 नवंबर से 10 दिसंबर—मानवाधिकार दिवस) की शुरुआत भी करता है।
  • वर्षों में यह दिन एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जो सरकारों, नागरिक समाज और समुदायों को हर प्रकार की लैंगिक हिंसा के खिलाफ एकजुट करता है।

डिजिटल सुरक्षा की ओर रुझान

पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने डिजिटल क्षेत्र में भी गंभीर रूप ले लिया है। महिलाएँ तेजी से निम्न प्रकार की ऑनलाइन हिंसा का सामना कर रही हैं:

  • साइबरस्टॉकिंग

  • ऑनलाइन ब्लैकमेल

  • निजी तस्वीरों का बिना अनुमति प्रसार

  • डीपफेक तकनीक से बनाए गए आपत्तिजनक वीडियो

  • ट्रोलिंग और लक्षित ऑनलाइन उत्पीड़न

2025 की वैश्विक थीम इस बढ़ते डिजिटल ख़तरे से महिलाओं की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने वाले विधिक ढाँचे

भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023

1 जुलाई 2024 से प्रभावी यह नया दंड संहिता कानून IPC का स्थान लेता है। इसमें शामिल हैं:

  • यौन अपराधों के लिए कठोर दंड—18 वर्ष से कम आयु की लड़की के बलात्कार पर आजीवन कारावास

  • यौन अपराधों की परिभाषाओं का विस्तार

  • पीड़िता के बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य

  • महिलाओं व बच्चों से जुड़े मामलों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई

घरेलू हिंसा सुरक्षा: PWDVA, 2005

यह कानून महिलाओं को घरेलू परिवेश में होने वाले सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा देता है, जैसे—

  • शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक हिंसा

  • दहेज उत्पीड़न

  • लिव-इन संबंधों में सुरक्षा

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (POSH Act), 2013

सभी कार्यस्थलों पर लागू, इसमें शामिल है:

  • 10 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में आंतरिक समिति (IC)

  • जिला स्तर पर स्थानीय समिति (LC)

  • 90 दिनों के भीतर शिकायत का निवारण

  • SHe-Box पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत और ट्रैकिंग

मिशन शक्ति: महिलाओं के सशक्तिकरण की राष्ट्रीय रणनीति

सरकार की प्रमुख योजना मिशन शक्ति दो भागों में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित है:

  • संबल: सुरक्षा और संरक्षण सेवाएँ

  • समर्थ्य: कौशल, शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से सशक्तिकरण

यह मिशन महिलाओं को जीवनचक्र आधारित सहायता प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण सहायता योजनाएँ और हेल्पलाइन

वन स्टॉप सेंटर (OSCs)

2015 से कार्यरत ये केंद्र प्रदान करते हैं:

  • चिकित्सीय, कानूनी, पुलिस, मनोवैज्ञानिक सहायता

  • अस्थायी आश्रय

स्वाधार गृह योजना

2016 से संचालित, यह संकटग्रस्त महिलाओं की मदद करती है, जैसे:

  • हिंसा की शिकार

  • मानसिक आघात झेल रही महिलाएँ

  • तस्करी पीड़ित

  • परामर्श, आश्रय, कानूनी सहायता, और कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है

महिला हेल्पलाइन 181

24×7 सेवा जो महिलाओं को पुलिस, अस्पताल, आश्रय और कानूनी सहायता से जोड़ती है।

NCW हेल्पलाइन: 7827170170

तात्कालिक पुलिस, चिकित्सा और कानूनी सहायता के लिए उपलब्ध।

तकनीक आधारित सुरक्षा उपाय

शी-बॉक्स

POSH अधिनियम के तहत कार्यस्थल यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों का ऑनलाइन निवारण पोर्टल।

डिजिटल शक्ति अभियान

राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संचालित—महिलाओं की साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने हेतु।

अपराध ट्रैकिंग प्रणालियाँ

  • ITSSO: यौन अपराध मामलों की पुलिस जांच की निगरानी

  • NDSO: दुष्कर्म व यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस

  • Cri-MAC: पुलिस के लिए रियल-टाइम अपराध अलर्ट

तेज़ न्याय के लिए संस्थागत तंत्र

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSCs)

पूरे देश में 773 FTSCs (जिनमें 400 विशेष POCSO अदालतें शामिल) स्थापित।
अगस्त 2025 तक 3.3 लाख से अधिक मामलों का निपटारा।

महिला सहायता डेस्क (WHDs)

फरवरी 2025 तक 14,658 डेस्क पुलिस थानों में स्थापित—सुरक्षित शिकायत और परामर्श हेतु।

मानसिक स्वास्थ्य सहायता: परियोजना स्त्री मनोरक्षा

NIMHANS, बेंगलुरु के सहयोग से:

  • OSC स्टाफ को मानसिक स्वास्थ्य और ट्रॉमा काउंसलिंग का प्रशिक्षण

  • हिंसा की पीड़िताओं को बेहतर मनो-सामाजिक सहायता

स्थिर तथ्य 

  • दिन: 25 नवंबर (महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस)

  • 2025 की थीम: “सभी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ डिजिटल हिंसा समाप्त करने के लिए एकजुट हों”

  • हेल्पलाइन: 181, 7827170170 (NCW), 112 (आपातकाल), 7217735372 (WhatsApp)

  • मुख्य विधिक सुधार: भारतीय न्याय संहिता 2023, PWDVA 2005, POSH Act 2013

  • प्रमुख योजनाएँ: मिशन शक्ति, स्वाधार गृह, वन स्टॉप सेंटर, डिजिटल शक्ति

  • डिजिटल उपकरण: ITSSO, NDSO, Cri-MAC, SHe-Box

  • महिला सहायता डेस्क: 14,658

  • फास्ट ट्रैक कोर्ट: 773 (400 विशेष POCSO अदालतें)

  • स्वाधार गृह योजना: अप्रैल 2016 से संशोधित रूप में लागू

इथियोपिया में 12 हजार साल बाद ज्वालामुखी फटा, जानें किन-किन देशों तक होगा इसका असर?

इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी 12 हजार साल बाद अचानक 23 नवंबर 2025 को फट गया। इस विस्फोट से उठने वाली राख और सल्फर डाइऑक्साइड करीब 15 किमी ऊंचाई तक पहुंच गई। यह लाल सागर पार करते हुए यमन और ओमान तक फैल गई। विस्फोट से उठी भारी मात्रा में ज्वालामुखी राख ऊपरी वायुमंडल तक पहुंच गई है। ये राख बादल हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अब उत्तरी भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात प्रभावित हो रहा है और विमानन प्राधिकरणों द्वारा अलर्ट जारी किए गए हैं। इस घटना के बाद भारत के डीजीसीए और कई एयरलाइनों ने एडवाइजरी जारी की है, जबकि मौसम विज्ञान एजेंसियाँ राख के फैलाव और उसकी दिशा की निरंतर निगरानी कर रही हैं।

कितने सालों बाद फिर सक्रिय हुआ ज्वालामुखी?

हैली गुब्बी एक शील्ड-टाइप ज्वालामुखी है और इथियोपिया के दूर-दराज अफार क्षेत्र में आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ज्वालामुखी के होलोसीन काल (कई हजार साल) में विस्फोट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। माना जाता है कि यह 10,00012,000 साल बाद फिर से सक्रिय हुआ है। इलाका बेहद दूर और कठिन है, इसलिए ज्वालामुखी की निगरानी आम तौर पर सैटेलाइट के जरिए ही होती है। इसी कारण विस्फोट से जुड़ी शुरुआती जानकारी भी उपग्रहों से ही मिली है।

हैली गुब्बी कहाँ है और यह क्यों महत्वपूर्ण है

हैली गुब्बी ज्वालामुखी इथियोपिया की रिफ्ट वैली में स्थित है, जो एर्टा अले पर्वतमाला का हिस्सा है और अपनी उच्च भू-भौतिकीय गतिविधि के लिए जाना जाता है।

मुख्य बिंदु

  • यह ज्वालामुखी लगभग 10,000–12,000 वर्ष पहले अंतिम बार फटा था।

  • 8:30 AM UTC (13:30 IST) पर इस बार विस्फोट हुआ।

  • ज्वालामुखीय राख 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच गई, जिससे यह उच्च-ऊँचाई वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए खतरा बन गई।

  • अपनी भौगोलिक स्थिति और विस्फोट की तीव्रता के कारण यह घटना पूर्वी अफ्रीका–मध्य पूर्व–दक्षिण एशिया को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण हवाई मार्गों को प्रभावित कर रही है।

ज्वालामुखीय राख का बादल क्या होता है?

ज्वालामुखी के विस्फोट के दौरान जब सामग्री अत्यधिक दबाव के साथ वातावरण में फेंकी जाती है, तो वह मिलकर राख का बादल बनाती है। इसमें शामिल होते हैं—

  • अत्यंत बारीक राख कण

  • सल्फर डाइऑक्साइड जैसे ज्वालामुखीय गैसें

  • सूक्ष्म चट्टान और कांच के टुकड़े

ये बादल 45,000 फीट तक ऊँचाई पर पहुँच सकते हैं और 100–120 किमी/घंटा की रफ्तार से यात्रा करते हैं।
ऐसे बादल विमानों के इंजन और नेविगेशन सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं, साथ ही ज़मीन पर वायु गुणवत्ता को भी खराब कर देते हैं।

भारत में संभावित रूप से प्रभावित क्षेत्र
IndiaMetSky Weather के अनुसार, हाइली गुब्बी ज्वालामुखी से उठा राख का गुबार भारत के कई हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।

  • राख का बादल शाम तक गुजरात में प्रवेश कर सकता है

  • रात 10 बजे तक इसके राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तक पहुँचने की संभावना

  • आगे चलकर यह हिमालयी क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है

मौसम विभाग और प्रदूषण निगरानी एजेंसियाँ इसकी गति, ऊँचाई और घनत्व पर लगातार नजर रखे हुए हैं।

ज्वालामुखीय राख के खतरे

1. विमानन जोखिम

ज्वालामुखीय राख विमानों के लिए अत्यंत खतरनाक होती है क्योंकि—

  • यह जेट इंजनों के भीतर पिघलकर इंजन फेलियर का कारण बन सकती है

  • पायलटों के लिए दृश्यता कम कर देती है

  • कॉकपिट की खिड़कियों को नुकसान पहुँचाती है और नेविगेशन सिस्टम में बाधा डालती है

1982 के माउंट गालुंगगुंग हादसे जैसे उदाहरणों में विमानों के इंजन बंद हो जाने के गंभीर मामले देखे गए हैं।

2. स्वास्थ्य जोखिम

राख के कण मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं, विशेषकर—

  • अस्थमा, COPD या अन्य सांस संबंधी बीमारियों वाले लोगों के लिए परेशानी

  • आँखों और त्वचा में जलन

  • यात्रा बाधित होने और चेतावनियों के कारण मानसिक तनाव

विमानन प्रभाव और DGCA की सलाह

भारत की DGCA ने स्थिति को देखते हुए तुरंत चेतावनी जारी की है—

  • एयरलाइंस को प्रभावित ऊँचाइयों और हवाई क्षेत्रों से बचने के निर्देश

  • फ्लाइट रूट और ईंधन योजना में बदलाव की सलाह

  • मौसम और विमानन प्राधिकरणों के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखने को कहा गया

ज्वालामुखीय राख विमानों के लिए खतरा पैदा करती है—

  • दृश्यता घटाकर

  • जेट इंजनों को नुकसान पहुँचाकर

  • संवेदनशील एवियोनिक्स उपकरणों को क्षतिग्रस्त कर

एयरलाइनों की प्रतिक्रिया

  • IndiGo: स्थिति पर लगातार नजर, सभी सुरक्षा उपायों के लिए तैयार

  • Air India: अभी कोई व्यवधान नहीं, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों पर नजर

  • SpiceJet: दुबई के आसपास की उड़ानों में देरी की चेतावनी; यात्रियों से स्थिति जाँचने का अनुरोध

  • Akasa Air: क्षेत्रीय जोखिम पर नजर रखते हुए सभी सलाहों की समीक्षा कर रही है

हवाई अड्डे और यात्रियों के लिए अलर्ट — हिंदी अनुवाद

हवाई अड्डे और यात्री अलर्ट
छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (मुंबई) ने एक सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए कहा:

“इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण कुछ अंतरराष्ट्रीय मार्ग प्रभावित हो सकते हैं। यात्री हवाई अड्डे के लिए निकलने से पहले अपनी उड़ान स्थिति की पुष्टि करें।”

यह सलाह इसलिए जारी की गई है क्योंकि आशंका है कि राख का गुबार आने वाले दिनों में भारत के वायुमंडल में प्रवेश कर सकता है, जो हवा की दिशा और मौसम की स्थिति पर निर्भर करेगा।

वर्तमान राख गुबार (Ash Plume) की दिशा और मौसम विभाग की निगरानी

टूलूज़ वॉल्कैनिक ऐश एडवाइज़री सेंटर (VAAC) ने पुष्टि की है कि भले ही विस्फोट अब रुक चुका है, लेकिन राख का गुबार अभी भी सक्रिय है और उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। इसके चलते पाकिस्तान, यमन, ओमान और भारत के हवाई क्षेत्र में अलर्ट जारी हुए हैं।

मौसम विशेषज्ञ सैटेलाइट इमेजरी की मदद से लगातार यह निगरानी कर रहे हैं:

  • राख की वास्तविक समय में गति

  • एशिया के संभावित प्रभावित क्षेत्र

  • विमानन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए अपडेटेड चेतावनियाँ

आपको क्या करना चाहिए: सुरक्षा दिशानिर्देश

सामान्य जनता के लिए

  • राख के संपर्क से बचें: घर के अंदर रहें, दरवाजे-खिड़कियाँ बंद रखें

  • बाहर निकलना ज़रूरी हो तो N95 मास्क पहनें

  • दमा, COPD या अन्य श्वसन रोग वाले लोग दवाएँ तैयार रखें

  • दृश्यता कम हो तो बाहरी गतिविधियों से बचें

  • पानी, भोजन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ढककर रखें

यात्रियों के लिए

  • हवाई अड्डे निकलने से पहले उड़ान की स्थिति जाँचें

  • देरी, डायवर्जन या कैंसिलेशन संभव हैं

  • एयरलाइन से वास्तविक समय अपडेट लेते रहें

स्टैटिक फैक्ट्स 

  • ज्वालामुखी का नाम: हेली गुब्बी
  • स्थान: एर्टा एले रेंज, इथियोपिया (रिफ्ट वैली)
  • अंतिम विस्फोट: लगभग 12,000 वर्ष पहले
  • विस्फोट का समय: 8:30 AM UTC / 13:30 IST (रविवार)
  • राख गुबार की ऊँचाई: ~14 किमी
  • प्रभावित क्षेत्र: भारत, पाकिस्तान, रेड सी देश, मध्य पूर्व
  • DGCA सलाह: भारतीय एयरलाइनों को रूट बदलने / ऊँचाई समायोजित करने का निर्देश
  • निगरानी करने वाली एयरलाइंस: इंडिगो, एयर इंडिया, अकासा एयर, स्पाइसजेट, KLM

 

उपराष्ट्रपति ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय की प्रमुख पहलों की समीक्षा की

भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन को हाल ही में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और वरिष्ठ अधिकारियों ने मंत्रालय की उन पहलों के बारे में अवगत कराया, जो देशभर की जनजातीय आबादी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं। संसद भवन में हुई इस बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और जनजातीय समुदायों के अधिकारों पर केन्द्रित कई कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। उपराष्ट्रपति ने मंत्रालय के बढ़े हुए बजट की सराहना की और विश्वविद्यालयों–स्कूलों के बीच मजबूत संबंध, अधिक शैक्षणिक सहायता और विशेष रूप से जनजातीय-बहुल क्षेत्रों में त्वरित स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

जनजातीय कल्याण के लिए बड़ा बजट बढ़ोतरी

  • पिछले 11 वर्षों में मंत्रालय के बजट में तीन गुना वृद्धि हुई है। मंत्रालय का बजट 2014-15 में लगभग ₹4,500 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में करीब ₹15,000 करोड़ हो गया है।
  • यह वृद्धि शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और विशेष रूप से अति संवेदनशील जनजातीय समूहों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

शिक्षा को सशक्त बनाना: EMRS से विश्वविद्यालय तक

शिक्षा जनजातीय उत्थान रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार ने दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के नेटवर्क को तेजी से बढ़ाया है।

मध्य-2025 तक:

  • 728 EMRS स्वीकृत

  • 479 स्कूल कार्यरत

  • 1.38 लाख से अधिक जनजातीय विद्यार्थी नामांकित

उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय-सह विद्यालय साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि जनजातीय छात्र उच्च शिक्षा—यहाँ तक कि वैश्विक अवसरों—तक आसानी से पहुँच सकें। उन्होंने ड्रॉपआउट दर कम करने के लिए सतत शैक्षणिक सहयोग की जरूरत भी बताई।

समग्र विकास के प्रमुख कार्यक्रम

मंत्रालय की विकास दृष्टि बहु-क्षेत्रीय है, जिसे कई प्रमुख योजनाएँ आगे बढ़ाती हैं:

PM-JANMAN

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान
PVTGs (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) को शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और आवास जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करता है।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्‍कर्ष अभियान

यह योजना जनजातीय गाँवों में बुनियादी ढाँचे की 100% उपलब्धता पर केंद्रित है—सड़क, बिजली, स्कूल, और डिजिटल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ काम करती है।

आदि कर्मयोगी अभियान

जनजातीय युवाओं और अधिकारियों में नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता विकसित करने की अनूठी पहल।

स्वास्थ्य प्राथमिकता: सिकल सेल एनीमिया से लड़ाई

सिकल सेल एनीमिया जनजातीय क्षेत्रों में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है। इसे नियंत्रित करने के लिए मंत्रालय ने कई पहलें शुरू की हैं:

  • व्यापक स्क्रीनिंग और प्रारंभिक पहचान

  • उपचार और काउंसलिंग तक बेहतर पहुँच

  • दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत करना

उपराष्ट्रपति ने इन प्रयासों की सराहना की और यह सुनिश्चित करने की जरूरत बताई कि जनजातीय समुदायों को समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ मिलें।

जनजातीय संस्कृति और आजीविका को बढ़ावा

मंत्रालय जनजातीय कला, संस्कृति और विरासत के संरक्षण के साथ-साथ उनकी आजीविका सुधारने पर भी काम कर रहा है। परंपरागत कौशल—हस्तशिल्प, वन उपज संग्रहण, जनजातीय उद्यमिता—को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण के माध्यम से मजबूत किया जा रहा है।

इस प्रयास का उद्देश्य जनजातीय पहचान को संरक्षित रखते हुए बेहतर आय और आर्थिक स्वावलंबन प्रदान करना है।

चुनौतियाँ जो अभी भी बनी हुई हैं

हालांकि बहुत प्रगति हुई है, लेकिन कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अब भी हैं:

  • योजनाओं को हर जनजातीय परिवार तक पहुँचाना

  • ड्रॉपआउट दर कम करना और उच्च शिक्षा के लिए मार्ग सुगम बनाना

  • दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करना

  • योजनाओं के क्रियान्वयन में समुदाय की भागीदारी बढ़ाना

उपराष्ट्रपति ने कहा कि केवल तभी भारत विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) बन सकता है, जब जनजातीय समुदायों तक कल्याण योजनाओं के वास्तविक लाभ पहुँचें।

स्थिर तथ्य 

  • मंत्रालय बजट (2025-26): ₹14,925.81 करोड़

  • EMRS स्वीकृत: 728

  • EMRS कार्यरत: 479

  • EMRS नामांकन: 1.38 लाख+

  • प्रमुख योजनाएँ: PM-JANMAN, धरती आबा अभियान, आदि कर्मयोगी अभियान

  • लक्ष्य समूह: अनुसूचित जनजाति (विशेष रूप से PVTGs)

  • स्वास्थ्य फोकस: सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग व उपचार

  • शिक्षा फोकस: विश्वविद्यालय–विद्यालय सहयोग, विदेशी अध्ययन के अवसर

  • दृष्टि: जनजातीय उत्थान ही विकसित भारत का मार्ग

जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण करने के बाद औपचारिक रूप से भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार संभाला। उनका यह कार्यभार भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, क्योंकि वे दशकों के कानूनी अनुभव और कई ऐतिहासिक निर्णयों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व करने जा रहे हैं। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा, जिससे उन्हें देश की सर्वोच्च अदालत का नेतृत्व करने के लिए एक वर्ष से अधिक का समय मिलेगा।

शपथ ग्रहण समारोह

  • न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हिंदी में, ईश्वर के नाम पर, एक संक्षिप्त लेकिन गरिमामय समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
  • इस अवसर पर उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई उच्च-स्तरीय नेता उपस्थित थे।
  • समारोह के बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने प्रधानमंत्री से औपचारिक रूप से मुलाकात की। इसके बाद राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, निवर्तमान CJI न्यायमूर्ति गवई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ एक पारंपरिक समूह फ़ोटोग्राफ़ लिया गया।
  • पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी नए मुख्य न्यायाधीश को बधाई देने पहुंचे।

हिसार से भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद तक का सफर

  • 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कानूनी सफर एक छोटे-शहर के अधिवक्ता के रूप में शुरू हुआ।
  • न्यायिक पदों पर निरंतर प्रगति करते हुए उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।
  • 2018 में वे हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
  • इसके बाद 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
  • उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम शामिल है, जिसमें उन्हें “फर्स्ट क्लास फर्स्ट” का सम्मान प्राप्त हुआ।

संविधान और सुधारों से आकार लेती उनकी न्यायिक दृष्टि

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • अनुच्छेद 370 हटाए जाने से जुड़े मामले

  • पेगासस स्पाइवेयर जांच

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता संबंधी मुद्दे

  • बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन, जिसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम हटने पर गंभीर सवाल उठाए

  • राज्य कानून से संबंधित मामलों में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर राष्ट्रपति के संदर्भ का परीक्षण

इन फैसलों ने उनकी उस प्रतिबद्धता को दर्शाया है जो संवैधानिक लोकतंत्र की बदलती जरूरतों और संस्थागत संतुलन को मजबूती देती है।

मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी प्राथमिकताएँ

न्यायमूर्ति सूर्यकांत का शीर्ष न्यायालय के लिए एजेंडा निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है—

  • लंबित मामलों में कमी: निचली अदालतों को मजबूत करना और निपटान समय में सुधार

  • संविधान पीठों को पुनर्जीवित करना: 5, 7 या 9 न्यायाधीशों वाली लंबे समय से लंबित संविधान पीठों के मामलों में प्रगति

  • मध्यस्थता और वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा

  • तकनीक आधारित नवाचार: डिजिटल केस मैनेजमेंट को बढ़ावा और AI उपकरणों के उपयोग की संभावनाओं पर ध्यान, साथ ही न्याय में मानव निर्णय की अनिवार्यता पर जोर

  • न्याय की सुलभता: विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए संवेदनशील और समान न्याय वितरण पर बल

उनकी नियुक्ति का महत्व

CJI के रूप में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में संवैधानिक व्याख्या और संस्थागत सुधारों की निरंतरता को दर्शाती है।
उनके कार्यकाल में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान रहने की उम्मीद है—

  • न्यायिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक जवाबदेही के बीच संतुलन

  • केंद्र-राज्य समन्वय के साथ कानूनी सुधारों को बढ़ावा

  • अधिकार-आधारित न्यायशास्त्र और पारदर्शी शासन को मजबूत करना

भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के दौर में उनका नेतृत्व न्यायिक स्थिरता और प्रगतिशील कानूनी विकास को दिशा देगा।

स्थैतिक तथ्य 

  • नाम: न्यायमूर्ति सूर्यकांत

  • पद: भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI)

  • शपथ तिथि: 24 नवंबर 2025

  • सेवानिवृत्ति तिथि: 9 फरवरी 2027 (65 वर्ष की आयु पर)

  • जन्म: 10 फरवरी 1962, हिसार, हरियाणा

  • शिक्षा: एलएलएम, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय

  • पूर्व भूमिकाएँ: मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय; न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

  • सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल आरंभ: 24 मई 2019

इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक, 2025: भारत के बिजली क्षेत्र में सुधार

इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक, 2025 भारत के बिजली क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार पहल है। इसका उद्देश्य बिजली की आपूर्ति, मूल्य निर्धारण और विनियमन से जुड़ी पुरानी प्रणालियों को बदलकर एक अधिक प्रतिस्पर्धी, कुशल और उपभोक्ता-अनुकूल ढांचा स्थापित करना है।

विधेयक क्या करना चाहता है?

मुख्य लक्ष्य

  • बिजली की लागत का तर्कसंगतीकरण ताकि टैरिफ वास्तविक आपूर्ति लागत को दर्शा सकें।

  • छिपी हुई क्रॉस-सब्सिडी को कम करना, जहां उद्योग और वाणिज्यिक उपभोक्ता अन्य श्रेणियों को सब्सिडी देते हैं।

  • किसानों और निम्न-आय वर्गों के लिए सब्सिडी वाली बिजली को पूरी तरह सुरक्षित रखना।

  • नियामक जवाबदेही को मजबूत करना, जिससे निर्णय समय पर हों और वितरण कंपनियों पर वित्तीय दबाव कम हो।

  • साझा नेटवर्क उपयोग को बढ़ावा देना, ताकि समानांतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता कम हो और लागत में कमी आए।

  • बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार, साथ ही केंद्र-राज्य समन्वय बढ़ाना।

मुख्य संरचनात्मक सुधार

1. वितरण में प्रतिस्पर्धा

  • एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण लाइसेंसधारकों को काम करने की अनुमति दी जाएगी।

  • इससे पारंपरिक एकाधिकार मॉडल टूटेगा और उपभोक्ताओं को विकल्प तथा बेहतर सेवा मिलेगी।

  • सभी लाइसेंसधारकों पर सार्वभौमिक सेवा दायित्व (USO) लागू होगा, जिससे किसी भी उपभोक्ता के साथ भेदभाव नहीं होगा।

2. टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी का तर्कसंगतीकरण

  • टैरिफ को लागत-संगत (cost-reflective) बनाना अनिवार्य होगा।

  • उद्योग, रेलवे और मेट्रो जैसे उपभोक्ताओं के लिए क्रॉस-सब्सिडी को पाँच वर्षों में समाप्त करने का लक्ष्य।

  • कमजोर वर्गों को मिलने वाली सब्सिडी बरकरार रहेगी।

3. अवसंरचना और नेटवर्क दक्षता

  • नियामक आयोग को व्हीलिंग चार्ज तय करने की शक्ति दी गई है।

  • साझा नेटवर्क मॉडल को बढ़ावा देकर अनावश्यक समानांतर ढाँचे को रोका जाएगा।

  • ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) को बिजली प्रणाली के आधिकारिक हिस्से के रूप में मान्यता।

4. प्रशासन एवं नियामक सुधार

  • इलेक्ट्रिसिटी काउंसिल की स्थापना, जो केंद्र और राज्यों के बीच नीति समन्वय बढ़ाएगी।

  • राज्य विद्युत नियामक आयोगों (SERCs) को अधिक शक्तियाँ दी जाएँगी, जैसे—

    • अनुपालन न होने पर दंड लगाना

    • देर होने पर स्वतः टैरिफ आदेश जारी करना (suo motu)

5. बाज़ार एवं स्थिरता-केंद्रित सुधार

  • गैर-जीवाश्म स्रोतों से बिजली खरीदने के दायित्व को मजबूत किया गया है।

  • बिजली बाज़ारों, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और उन्नत डिस्पैच तंत्र को बढ़ावा।

  • स्वच्छ ऊर्जा और नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप नीतियाँ।

संदर्भ और आवश्यकता

इन चुनौतियों के कारण सुधार आवश्यक हुए:

  • वितरण कंपनियों (DISCOMs) की लगातार वित्तीय समस्याएँ, उच्च AT&C नुकसान और बिलिंग अक्षमताएँ।

  • एकल-आपूर्तिकर्ता मॉडल के कारण उपभोक्ता विकल्पों की कमी और सेवा गुणवत्ता में सीमित सुधार।

  • उद्योगों पर उच्च बिजली दरों का बोझ, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है।

  • ISTS (अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम) मॉडल ने दर्शाया कि साझा नेटवर्क और प्रतिस्पर्धा से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

यह विधेयक बिजली क्षेत्र को भविष्य-तैयार बनाने का प्रयास है ताकि वह भारत की आर्थिक वृद्धि, उद्योगों, घरेलू उपभोक्ताओं और जलवायु लक्ष्यों में मजबूत योगदान दे सके।

स्थैतिक तथ्य (Static Facts)

  • विधेयक का नाम: इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक, 2025

  • मुख्य नीति: लागत-प्रतिबिंबित टैरिफ, कमजोर वर्गों की सुरक्षा के साथ

  • क्रॉस-सब्सिडी समाप्ति लक्ष्य: उद्योग, रेलवे, मेट्रो – 5 वर्षों में

  • मुख्य संरचनात्मक सुधार:

    • एक क्षेत्र में कई वितरण लाइसेंस

    • साझा नेटवर्क

    • ESS को मान्यता

  • शासन सुधार:

    • इलेक्ट्रिसिटी काउंसिल

    • SERC की शक्तियों में वृद्धि

  • उद्देश्य: एकाधिकार से हटकर चयन-आधारित प्रतिस्पर्धी मॉडल की ओर संक्रमण

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