भारत नवंबर 2024 में यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के लिए विशेष भागीदार होगा

भारत को नवंबर 2024 में आयोजित होने वाले यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के लिए विशेष साझेदार घोषित किया गया है। यह घोषणा नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ग्रीन हाइड्रोजन (ICGH-2024) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन की गई। यह साझेदारी ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में अपनी निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ के हरित नियमों के साथ जुड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

ICGH-2024 की मुख्य विशेषताएं

भारत-यूरोपीय संघ सहयोग

इस कार्यक्रम में निर्यात वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के लिए यूरोपीय संघ के हरित नियमों का पालन करने में भारत की भूमिका पर जोर दिया गया। नीदरलैंड के चैन टर्मिनल और भारत के एसीएमई क्लीनटेक के बीच अमोनिया आयात टर्मिनलों के लिए एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए, जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

इस कार्यक्रम में ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के दृष्टिकोण को सामने लाने वाले सत्र भी आयोजित किए गए। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के सचिव पंकज अग्रवाल की अध्यक्षता में यूरोपीय संघ के सत्र में हाइड्रोजन यूरोप के सीईओ जोर्गो चटजीमार्काकिस ने वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। यूरोपीय संघ हाइड्रोजन को जीवाश्म ईंधन के एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में समर्थन देने के लिए अपने उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) में सुधार करने पर केंद्रित है।

चुनौतियाँ और अवसर

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने सीएसआईआरओ हाइड्रोजन उद्योग मिशन के नेता डॉ. पैट्रिक हार्टले से बात की, जिन्होंने साझा किया कि उद्योग को व्यापक तौर पर बढ़ाने, प्रौद्योगिकी उन्नति और कार्यबल विकास को बढ़ावा देने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेष रूप से भारत जैसे देशों के साथ सहयोग आवश्यक है। विनियामक ढांचे, भंडारण समाधान और बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा तक पहुंच कायम करना हाइड्रोजन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं।

नीदरलैंड की रणनीति

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर की अध्यक्षता में नीदरलैंड सत्र ने वैश्विक हाइड्रोजन उन्नति को आगे बढ़ाने के लिए नीदरलैंड की व्यापक रणनीति का गहन अवलोकन प्रदान किया। इस सत्र में हाइड्रोजन अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के समन्वयक और आर्थिक मामलों और जलवायु नीति मंत्रालय में वरिष्ठ नीति सलाहकार हान फीनस्ट्रा, हेवनबेड्रिज रॉटरडैम एन.वी. में व्यवसाय प्रबंधक मार्क-साइमन बेंजामिन्स और भारत, नेपाल और भूटान में नीदरलैंड साम्राज्य की राजदूत महामहिम सुश्री मारिसा जेरार्ड्स ने भाग लिया।

युवा जुड़ाव और नवाचार

युवा सत्र

एमएनआरई के सचिव अजय यादव ने युवाओं को हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रोफेसर अजय के. सूद ने 2050 तक महत्वपूर्ण रोजगार अवसर पैदा करने की इस क्षेत्र की क्षमता पर प्रकाश डाला।

प्रेरणादायक संबोधन

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और अन्य पैनलिस्ट ने स्थिरता और नवाचार के महत्व को रेखांकित किया। युवा सत्र में जलवायु कार्रवाई और स्थिरता में युवा नेताओं की भूमिका पर चर्चा की गई।

GH2Thon हैकाथॉन

उद्योग जगत के खिलाड़ियों और सार्वजनिक कंपनियों के 100 से अधिक स्टॉल ग्रीन हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और नवाचारों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों, स्टार्टअप, नीति निर्माताओं और राजनयिकों सहित 2000 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदर्शनी के दौरान, इस दिन एक राष्ट्रीय पोस्टर प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने एक स्थायी भविष्य के निर्माण में अपने विचारों और नवाचारों का प्रदर्शन किया।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और रणनीतिक वार्ता

इस दिन सिंगापुर और दक्षिण कोरिया पर दो देश गोलमेज सम्मेलन, भारत-अमेरिका हाइड्रोजन टास्कफोर्स के लिए एक उद्योग गोलमेज सम्मेलन और हाइड्रोजन पर एक सफल गोलमेज सम्मेलन भी हुआ, जिसमें सभी ने गहन अंतरराष्ट्रीय सहयोग और रणनीतिक संवादों को बढ़ावा दिया।

आयोजक और भागीदार

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन 2024 (आईसीजीएच-2024) का दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) तथा ईवाई क्रमशः कार्यान्वयन एवं ज्ञान भागीदार हैं। फिक्की उद्योग जगत का भागीदार है।

भारतीय सेना की टुकड़ी पांचवें भारत-ओमान संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अल नजाह’ के लिए रवाना

भारत-ओमान संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अल नजाह’ के पांचवें संस्करण के लिए भारतीय सेना की टुकड़ी रवाना हो गई। यह अभ्यास 13 से 26 सितंबर 2024 तक ओमान के सलालाह में रबकूट प्रशिक्षण क्षेत्र में आयोजित होने वाला है। अभ्यास ‘अल नजाह’ 2015 से भारत और ओमान के बीच बारी-बारी से द्विवार्षिक आधार पर आयोजित किया जाता है। इस अभ्यास का पिछला संस्करण राजस्थान के महाजन में आयोजित किया गया था।

कुल 60 कर्मियों वाली भारतीय सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की एक बटालियन द्वारा अन्य अंगों एवं सेवाओं के कर्मियों के साथ किया जा रहा है। ओमान की शाही सेना की टुकड़ी में भी 60 कर्मी शामिल हैं, जिसका प्रतिनिधित्व फ्रंटियर फोर्स के सैनिकों द्वारा किया जाएगा।

उद्देश्य

इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। यह अभ्यास रेगिस्तानी वातावरण में संचालन पर केन्द्रित होगा।

फोकस

अभ्यास के दौरान किए जाने वाले सामरिक अभ्यासों में संयुक्त योजना, घेरा और खोज अभियान, निर्मित क्षेत्र में लड़ाई, मोबाइल वाहन चेक पोस्ट की स्थापना, काउंटर ड्रोन और रूम इंटरवेंशन शामिल हैं। वास्तविक दुनिया के आतंकवाद विरोधी अभियानों का अनुकरण करने वाले संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास की भी योजना बनाई गई है।

महत्व

अभ्यास अल नजाह-V दोनों पक्षों को संयुक्त अभियानों के लिए रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं से संबंधित सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों का आदान-प्रदान करने की अनुमति देगा। यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता, सद्भावना और सौहार्द को बढ़ावा देगा। इसके अतिरिक्त, यह संयुक्त अभ्यास रक्षा सहयोग को मजबूत करेगा और दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगा।

डीआरडीओ और नौसेना ने सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से 12 सितंबर 2024 को दोपहर लगभग 3 बजे वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया। यह उड़ान परीक्षण एक भूमि-आधारित ऊर्ध्वाधर लांचर से किया गया था, जिसमें कम ऊंचाई पर उड़ रहे उच्च गति वाले एक हवाई लक्ष्य पर निशाना साधा गया था। मिसाइल प्रणाली ने सफलतापूर्वक लक्ष्य का पता लगाया और उसे भेद दिया।

इस परीक्षण का उद्देश्य प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर सहित हथियार प्रणाली के कई अद्यतन तत्वों को मान्य करना था। इस प्रणाली के प्रदर्शन की आईटीआर चांदीपुर में तैनात रडार इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे विभिन्न उपकरणों द्वारा सावधानीपूर्वक निगरानी व पुष्टि की गई।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की टीमों की उनकी उपलब्धि के लिए सराहना करते हुए कहा कि यह परीक्षण वीएल-एसआरएसएएम हथियार प्रणाली की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता की पुष्टि करता है। डीआरडीओ के अध्यक्ष तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस परीक्षण में शामिल टीमों को बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी और बल गुणक के रूप में कार्य करेगी।

परीक्षण का उद्देश्य

इस परीक्षण का उद्देश्य तेज गति से चलने वाले हवाई लक्ष्य पर निशाना साधना और उसे निष्क्रिय करना था, साथ ही मिसाइल प्रणाली में प्रमुख उन्नयनों, विशेष रूप से निकटता पहचान और सीकर प्रौद्योगिकी के संदर्भ में, को प्रमाणित करना था।

निगरानी और डेटा मूल्यांकन

वीएल-एसआरएसएएम के प्रदर्शन का मूल्यांकन रडार, ईओटीएस और टेलीमेट्री सिस्टम सहित कई उपकरणों का उपयोग करके किया गया था, जिन्हें सटीक डेटा ट्रैकिंग और पुष्टि के लिए आईटीआर चांदीपुर में तैनात किया गया था।

महाराष्ट्र सरकार का फैसला, नासिक में जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करेगा

हाल ही में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने बताया कि आदिवासी समुदायों के छात्रों के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण वाला एक जनजातीय विश्वविद्यालय नासिक में स्थापित किया जाएगा। राज्यपाल ने अपने नासिक दौरे के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के स्थानीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने इस अवसर पर घोषणा की कि महाराष्ट्र राज्य आदिवासी छात्रों के विकास और उनके बेहतर भविष्य के लिए आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना करेगा। यह विश्वविद्यालय महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थापित किया जाएगा।

विश्वविद्यालय का विवरण

  • यह नासिक में स्थापित किया जाएगा।
  • किंडरगार्टन स्तर से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक की महत्वपूर्ण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
  • इस विश्वविद्यालय में कुल 80% सीटें आदिवासी छात्रों के लिए आरक्षित होंगी।

राज्यपाल की विश्वविद्यालय के प्रति शक्तियाँ

  • चूँकि राज्य का राज्यपाल राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है।
  • महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1984 के अनुसार, वह राज्य विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की शक्तियाँ प्राप्त करता है।
  • साथ ही वह शिक्षा के विकास के लिए संस्थान की नींव की घोषणा भी कर सकता है।

उद्देश्य

  • आदिवासियों को आदिवासी ही रहने नहीं देना है, बल्कि उन्हें दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रशिक्षित करना है। हमें अलग-थलग रहने वाले आदिवासियों को आधुनिक शिक्षा देकर उन्हें सक्षम बनाने की जरूरत है।
  • प्रस्तावित विश्वविद्यालय आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करेगा।
  • क्षेत्र के सामाजिक विकास के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
  • इस विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की बेहतरीन सुविधाएं होंगी।
  • जैसा कि नासिक औद्योगिक रूप से विकसित हो रहा है, यह विश्वविद्यालय आदिवासी छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाएगा।

आमतौर पर, भारत में आदिवासी छात्रों के लिए 2 केंद्रीय सरकारी आदिवासी विश्वविद्यालय संचालित हैं।

  1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय
  2. आंध्र प्रदेश का केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय

इसके अलावा, आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय और राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में आदिवासी छात्रों के लिए कई सीटें आरक्षित की गई हैं।

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने हेतु PM E-DRIVE योजना को मिली मंजूरी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में देश में बिजली आधारित परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRVE) योजना’ के कार्यान्वयन के लिए भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना के लिए 2 वर्षों की अवधि में 10,900 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है।

सरकार की यह पहल पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को दूर करेगी, साथ-साथ यह टिकाऊ परिवहन समाधानों को बढ़ावा देने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। यह योजना अपने पीएमपी के साथ ईवी क्षेत्र और संबंधित आपूर्ति चेन इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देगी। इसके अतिरिक्त यह योजना मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ महत्वपूर्ण रोजगार अवसर पैदा करेगी। विनिर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के माध्यम से भी रोजगारों का सृजन होगा।

ई-एम्बुलेंस के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित

इस योजना में ई-एम्बुलेंस को प्रोत्साहन देने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह केंद्र सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत मरीजों के आरामदायक परिवहन के लिए ई-एम्बुलेंस के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। ई-एम्बुलेंस के प्रदर्शन और सुरक्षा मानकों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा अन्य संबंधित स्टेकहोल्डरों के परामर्श से तैयार किया जाएगा।

14,028 ई-बसों को सहायता

यह योजना 24.79 लाख ई-2डब्ल्यू, 3.16 लाख ई-3डब्ल्यू और 14,028 ई-बसों को सहायता प्रदान करेगी। एमएचआई योजना के तहत मांग प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए ईवी खरीदारों के लिए ई-वाउचर पेश किया जा रहा है। ईवी की खरीद के समय, योजना के पोर्टल पर खरीदार के लिए आधार प्रमाणित ई-वाउचर जारी होगा। ई-वाउचर डाउनलोड करने के लिए एक लिंक खरीदार के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। इस ई-वाउचर पर खरीदार द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे और योजना के तहत मांग प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए डीलर को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद, ई-वाउचर पर डीलर द्वारा भी हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे पीएम ई-ड्राइव पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। हस्ताक्षर युक्त ई-वाउचर खरीदार और डीलर को एसएमएस के माध्यम से भेजा जाएगा। योजना के तहत मांग प्रोत्साहन की प्रतिपूर्ति का दावा करने के उद्देश्य से ओईएम के लिए हस्ताक्षरित ई-वाउचर आवश्यक होगा।

4,391 करोड़ रुपये की धनराशि

बता दें कि राज्य परिवहन निगमों (एसटीयू)/सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा 14,028 ई-बसों की खरीद के लिए 4,391 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की गई है। 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ शहरों अर्थात् दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलोर, पुणे और हैदराबाद में मांग एकत्रीकरण का काम सीईएसएल द्वारा किया जाएगा। राज्यों के परामर्श से इंटरसिटी और अंतरराज्यीय ई-बसों को भी समर्थन दिया जाएगा।

ई-ट्रकों के चलन को मिलेगा बढ़ावा

ट्रकों से वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा होता है। PM E-DRIVE से देश में ई-ट्रकों के चलन को बढ़ावा मिलेगा। ई-ट्रकों को प्रोत्साहित करने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके तहत, उन लोगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा जिनके पास एमओआरटीएच द्वारा अनुमोदित वाहन स्क्रैपिंग केंद्रों (आरवीएसएफ) से स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र होगा।

इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन को बढ़ावा

दरअसल यह योजना इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (EV PCS) की स्थापना को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देकर ईवी खरीदारों की चिंता को दूर करती है। ये ईवीपीसीएस बड़े स्तर पर ईवी की पैठ वाले चयनित शहरों और चयनित राजमार्गों पर स्थापित किए जाएंगे। इस योजना में ई-4 डब्ल्यू के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, ई-बसों के लिए 1800 फास्ट चार्जर और ई-2 डब्ल्यू/3 डब्ल्यू के लिए 48,400 फास्ट चार्जर लगाने का प्रस्ताव है। ईवी पीसीएस के लिए परिव्यय 2,000 करोड़ रुपये होगा।

 

कैबिनेट ने पीएम-ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,435.33 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (PTA) द्वारा ई-बसों की खरीद और संचालन के लिए “पीएम-ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (PSM) योजना” को स्वीकृति दे दी है। इसके तहत 3,435 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ 38,000 से अधिक ई-बसों की तैनाती होगी। यह योजना प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने में बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। इस पहल का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देकर ई-बसों को अपनाने में सहूलियत प्रदान करना है। इस योजना से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आएगी और जीवाश्म ईंधन की खपत भी कम होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने पीएसएम योजना को मंजूरी दी है। दरअसल वर्तमान में, सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों द्वारा संचालित अधिकांश बसें डीजल और सीएनजी पर चलती हैं, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर, ई-बसें पर्यावरण के अनुकूल हैं और उनकी परिचालन लागत भी कम है। हालांकि, ऐसा अनुमान लगाया गया था कि पीटीए को ऊंची अग्रिम लागत और संचालन से राजस्व की कम प्राप्ति के कारण ई-बसों की खरीद और संचालन करना चुनौतीपूर्ण लगेगा।

योजना का विवरण

ई-बसों की ऊंची पूंजी लागत का समाधान निकालने के लिए, सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरण सकल लागत अनुबंध (जीसीसी) मॉडल पर सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से इन बसों को शामिल करते हैं। जीसीसी मॉडल के तहत पीटीए को बस की अग्रिम लागत का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, इसके बजाय ओईएम/ऑपरेटर मासिक भुगतान के साथ पीटीए के लिए ई-बसों की खरीद और संचालन करते हैं। हालांकि, भुगतान में संभावित चूक से जुड़ी चिंताओं के कारण ओईएम/ऑपरेटर इस मॉडल को अपनाने में संकोच करते हैं।

भुगतान सुरक्षा

यह योजना एक समर्पित कोष के माध्यम से ओईएम/ऑपरेटरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करके इस चिंता का समाधान करती है। पीटीए द्वारा भुगतान में चूक के मामले में, कार्यान्वयन एजेंसी सीईएसएल योजना निधि से आवश्यक भुगतान करेगी, जिस रकम को बाद में पीटीए/राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा आगे काट लिया जाएगा।

पर्यावरणीय और परिचालन लाभ

प्रभाव: डीजल/सीएनजी बसों से ई-बसों में बदलाव से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी आएगी, जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण के निर्माण को दी मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ग्रामीण विकास विभाग के “वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण (PMGSY-IV) के कार्यान्वयन” के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत पात्र 25,000 असंबद्ध बस्तियों को नए संपर्क मार्ग प्रदान करने के लिए 62,500 किलोमीटर सड़क के निर्माण और नए संपर्क मार्गों पर पुलों के निर्माण और उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना का कुल परिव्यय 70,125 करोड़ रुपये होगा।

योजना का मुख्य विवरण

  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – IV वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए, 70,125 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया है। बता दें इसमें केंद्र का हिस्सा 49,087.50 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 21,037.50 करोड़ रुपये है ।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस योजना के तहत मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक आबादी वाली, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 250 से अधिक, विशेष श्रेणी के क्षेत्रों-जनजाति अनुसूची V, आकांक्षी जिले एवं ब्लॉक, रेगिस्तानी क्षेत्र और एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 100 से अधिक आबादी वाली 25,000 असंबद्ध बस्तियों को कवर किया जाएगा।
  • इस योजना के तहत असंबद्ध बस्तियों को 62,500 किलोमीटर की आल वेदर रोड प्रदान की जाएंगी। आल वेदर रोड के एलाइनमेंट के साथ आवश्यक पुलों का निर्माण भी किया जाएगा।

इस योजना से लाभ

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में 25,000 असंबद्ध बस्तियों को आल वेदर रोड कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। आल वेदर रोड दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के आवश्यक सामाजिक-आर्थिक विकास और परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगी। बस्तियों को जोड़ते समय, स्थानीय लोगों के लाभ के लिए, जहां तक संभव हो, पास के सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य, बाजार, विकास केंद्रों को आल वेदर रोड से जोड़ा जाएगा।

पीएमजीएसवाई – IV सड़क निर्माण के तहत अंतरराष्ट्रीय मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करेगा, जैसे कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी और वेस्ट प्लास्टिक, पैनेल्ड सीमेंट कंक्रीट, सेल फिल्ड कंक्रीट, फुल डेप्थ रिक्लेमेशन, निर्माण अपशिष्ट और अन्य अपशिष्ट जैसे फ्लाई ऐश, स्टील स्लैग, आदि का उपयोग। इसके अतिरिक्त पीएमजीएसवाई – IV सड़क एलाइनमेंट योजना पीएम गति शक्ति पोर्टल के माध्यम से बनाई जाएगी।

पीएम मोदी ने विवेकानंद के शिकागो भाषण की 132वीं वर्षगांठ मनाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में 1893 में दिए गए विश्व धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की 132वीं वर्षगांठ मनाई। मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विवेकानंद के भाषण ने वैश्विक दर्शकों को भारत के एकता, शांति और भाईचारे के शाश्वत संदेश से परिचित कराया। उन्होंने विवेकानंद के शब्दों के स्थायी प्रभाव की प्रशंसा की और कहा कि ये शब्द पीढ़ियों तक प्रेरणा देते रहेंगे।

मुख्य बिंदु

  • वर्षगांठ स्मरणोत्सव: प्रधानमंत्री मोदी ने विवेकानंद के शिकागो भाषण की 132वीं वर्षगांठ मनाई।
  • वैश्विक संदेश: विवेकानंद के भाषण में एकता, शांति और भाईचारे पर जोर दिया गया था।
  • स्थायी प्रेरणा: मोदी ने एकजुटता और सद्भाव को बढ़ावा देने पर विवेकानंद के संदेश के स्थायी प्रभाव को रेखांकित किया।
  • सार्वजनिक साझाकरण: मोदी ने भाषण को एक्स पर साझा किया और आगे पढ़ने के लिए बेलूर मठ की आधिकारिक वेबसाइट का लिंक दिया।

स्वामी विवेकानंद: मुख्य बिंदु

  • जन्म और प्रारंभिक जीवन: 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता, भारत में जन्मे।
  • शिकागो भाषण: 1893 में विश्व धर्म संसद में अपने संबोधन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की, जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म और सार्वभौमिक भाईचारे को बढ़ावा दिया।
  • दर्शन: वेदांत और योग की वकालत की, सभी धर्मों की एकता और आत्म-साक्षात्कार की शक्ति पर जोर दिया।
  • मुख्य कार्य: आध्यात्मिकता पर प्रभावशाली पुस्तकें और भाषण लिखे, जिनमें “राज योग” और “कर्म योग” शामिल हैं।
  • बेलूर मठ: अपने शिष्यों के साथ मिलकर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, समाज सेवा और आध्यात्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया।
  • विरासत: पश्चिम में भारतीय आध्यात्मिक शिक्षाओं को पेश करने के उनके प्रयासों और हिंदू धर्म के पुनरुद्धार में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेमीकॉन इंडिया 2024 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में सेमीकॉन इंडिया 2024 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदर्शनी का दौरा किया। 11 से 13 सितंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत की सेमीकंडक्टर रणनीति और नीति को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।

पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

पीएम मोदी ने सेमीकंडक्टर सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत इस तरह के वैश्विक सेमीकंडक्टर कार्यक्रम की मेजबानी करने वाला आठवां देश है। उन्होंने भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए वर्तमान अनुकूल समय पर जोर देते हुए कहा, “21वीं सदी के भारत में, चिप्स कभी भी बंद नहीं होते।” मोदी ने सेमीकंडक्टर उद्योग और डायोड के बीच एक सादृश्य बनाया, स्थिर नीतियों और अनुकूल कारोबारी माहौल प्रदान करने में भारत की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सेमीकंडक्टर डिजाइन में भारत के योगदान की प्रशंसा की, जिसमें 85,000 पेशेवरों के कार्यबल और 1 ट्रिलियन रुपये के विशेष अनुसंधान कोष के निर्माण का उल्लेख किया गया।

भारत का सेमीकंडक्टर विजन

मोदी ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की त्रि-आयामी शक्ति को रेखांकित किया: एक सुधारवादी सरकार, एक बढ़ता हुआ विनिर्माण आधार और एक आकांक्षी बाजार। उन्होंने राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने और डिजिटल बुनियादी ढांचे के माध्यम से अंतिम-मील वितरण में सुधार करने में सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर दिया। मोदी ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए सरकार के पर्याप्त वित्तीय समर्थन पर प्रकाश डाला, जिसमें उद्योग के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने के लिए सुविधाओं और पहलों के लिए 50% वित्त पोषण शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और भविष्य के लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने वैश्विक सेमीकंडक्टर पहलों में भारत की भूमिका पर जोर दिया, जिसमें इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की आपूर्ति श्रृंखला परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में इसकी स्थिति और क्वाड सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला पहल में भागीदारी शामिल है। मोदी ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में जापान, सिंगापुर और अमेरिका के साथ सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने आईआईटी के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान में सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की।

क्षेत्र विकास और रणनीतिक उद्देश्य

प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर पर भारत के ध्यान की आलोचना करने वाले लोगों से डिजिटल इंडिया मिशन की सफलता का अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया मिशन का उद्देश्य देश को पारदर्शी, प्रभावी और लीक-रहित शासन प्रदान करना था और इसका गुणात्मक प्रभाव आज अनुभव किया जा सकता है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की वर्तमान मूल्यांकन 150 बिलियन डॉलर से अधिक है, प्रधानमंत्री ने देश के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने और इस दशक के अंत तक 6 मिलियन नौकरियों का सृजन करने का एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि सीधे तौर पर भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को लाभान्वित करेगी। “हमारा लक्ष्य है कि 100 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक निर्माण भारत में ही हो। भारत सेमीकंडक्टर चिप्स और तैयार उत्पाद दोनों बनाएगा”, उन्होंने जोड़ा।

उपस्थित लोग और पृष्ठभूमि

इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और श्री जितिन प्रसाद तथा प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियों के नेता शामिल हुए। सेमीकॉन इंडिया 2024, जिसका विषय “सेमीकंडक्टर भविष्य को आकार देना” है, में 250 से अधिक प्रदर्शक और 150 वक्ता शामिल होंगे, जो सेमीकंडक्टर उद्योग के वैश्विक नेताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाएंगे।

कैबिनेट ने 2,000 करोड़ रुपये के ‘मिशन मौसम’ को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ ‘मिशन मौसम’ को मंजूरी दे दी। मिशन मौसम को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से कार्यान्वित किया जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेतृत्व में इस मिशन का उद्देश्य वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान और विकास को बढ़ाना और मौसम पूर्वानुमान और प्रबंधन में सुधार करना है। यह पहल मौसम की भविष्यवाणी में नए मानक स्थापित करने के लिए उन्नत अवलोकन प्रणाली, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों को एकीकृत करेगी।

मुख्य उद्देश्य

इस मिशन के तहत भारत के मौसम और जलवायु-संबंधी विज्ञान, अनुसंधान एवं सेवाओं को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल की परिकल्पना की गई है। यह मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में नागरिकों सहित हितधारकों को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करेगा।

मौसम की भविष्यवाणी

यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम लंबे समय में समुदायों, क्षेत्रों और इकोसिस्टम की क्षमता एवं अनुकूलन को व्यापक बनाने में सहायता करेगा। इस मिशन के जरिये भारत, वायुमंडलीय विज्ञान, विशेष रूप से मौसम निगरानी, मॉडलिंग, पूर्वानुमान और प्रबंधन में अनुसंधान एवं विकास तथा क्षमता का तेजी से विस्तार करेगा। इसके तहत उन्नत अवलोकन प्रणालियों, हाईटेक कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके अधिक स्पष्टता के साथ मौसम की भविष्यवाणी की जा सकेगी।

वर्तमान सटीकता स्तर: आईएमडी ने पिछले पांच वर्षों में दैनिक वर्षा पूर्वानुमानों के लिए 80% सटीकता और पांच दिवसीय पूर्वानुमानों के लिए 60% सटीकता की रिपोर्ट की है। हाल ही में किए गए सुधारों ने जुलाई में सटीकता को 88% तक बढ़ा दिया है, जो कि बेहतर डेटा और निर्णय समर्थन प्रणालियों के कारण है।

अपेक्षित परिणाम

बेहतर पूर्वानुमान: मौसम संबंधी सलाह और नाउकास्ट प्रौद्योगिकियों में बेहतर सटीकता, अगले 5-6 वर्षों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

 

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